Understanding the question and answering patterns through Class 11 Geography Question Answer in Hindi Chapter 12 महासागरीय जल
Class 11 Geography Chapter 12 in Hindi Question Answer महासागरीय जल
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. निम्न में से जिस ग्रह को नीला ग्रह कहां जाता है, वह है-
(अ) बुध
(ब) मंगल
(स) पृथ्वी
(द) शुक्र
उत्तर:
(स) पृथ्वी
2. पृथ्वी पर जल के वितरण के आयतन का 71 प्रतिशत भाग जिनमें निहित है, वह है-
(अ) महासागर
(ब) भूमिगत जल
(स) झीलें
(द) हिमानियाँ
उत्तर:
(अ) महासागर
3. महासागर का सबसे उथला भाग होता है-
(अ) महाद्वीपीय ढाल
(ब) महाद्वीपीय शेल्फ
(स) गहरे समुद्री मैदान
(द) गभीर सागरीय मैदान
उत्तर:
(ब) महाद्वीपीय शेल्फ
4. वर्तमान समय तक ज्ञात महासागरीय गर्तों की संख्या है –
(अ) 68 गर्त
(ब) 70 गर्त
(स) 75 गर्त
(द) 57 गर्त
उत्तर:
(द) 57 गर्त
5. ज्वालामुखी क्रिया के द्वारा उत्पन्न होने वाली समुद्री उच्चावच की आकृति है—
(अ) मध्य महासागरीय घटक
(ब) समुद्री टीला
(स) प्रवाल द्वीप
(द) निमग्न द्वीप
उत्तर:
(ब) समुद्री टीला
6. महाद्वीपीय शेल्फ की औसत प्रवणता होती है-
(अ) 1 डिग्री या उससे कम
(ब) 5 डिग्री
(स) 10 डिग्री
(द) 22 डिग्री
उत्तर:
(अ) 1 डिग्री या उससे कम
7. एम्पेरर समुद्री टीला किस महासागर में है?
(अ) अटलांटिक महासागर
(ब) हिन्द महासागर
(स) प्रशान्त महासागर
(द) आर्कटिक महासागर
उत्तर:
(स) प्रशान्त महासागर
8. हडसन किसका उदाहरण है?
(अ) समुद्री टीला
(ब) कैनियन
(स) निमग्न द्वीप
(द) प्रवाल द्वीप
उत्तर:
(ब) कैनियन
9. तापमान वितरण को प्रभावित करने वाला कारक है—
(अ) अक्षांश
(ब) महासागरीय धाराएँ
(स) सनातन पवनें
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
10. टर्की की वॉन झील की लवणता का प्रतिशत है-
(अ) 238%
(ब) 330%
(स) 220%
(द) 284%
उत्तर:
(ब) 330%
11. महासागरों के सबसे गहरे भाग होते हैं-
(अ) सपाट जलमग्न कैनियन
(ब) प्रवाल द्वीप
(स) गभीर सागरीय मैदान
(द) महासागरीय गर्त
उत्तर:
(द) महासागरीय गर्त
12. समुद्री जल में घुले हुए नमक में निम्न में से कौनसे तत्व की मात्रा सबसे अधिक होती है-
(अ) सल्फेट
(ब) मैग्नीशियम
(स) क्लोरीन
(द) ब्रोमीन
उत्तर:
(स) क्लोरीन
रिक्त स्थान वाले प्रश्न
नीचे दिए गए प्रश्नों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
1. मृत सागर में लवणता का प्रतिशत ____ है। (330 प्रतिशत / 238 प्रतिशत)
2. बंगाल की खाड़ी में गंगा नदी के जल के मिलने से लवणता की प्रवृत्ति ____ पायी जाती है। (कम/अधिक)
3. महासागरों की सतह के जल का औसत तापमान लगभग ____ डिग्री से. होता है। (18/77)
4. आईसलैण्ड ____ का एक उदाहरण है जो मध्य अटलांटिक कटक का एक भाग है। (समुद्री टीला / मध्य महासागरीय कटक)
5. ____ पर लंबे समय तक प्राप्त स्थूल तलछटी अवसाद जीवाश्मी ईंधनों के स्रोत बनते हैं। ( महाद्वीपीय शेल्फो / महासागरीय गर्तो)
6. पृथ्वी को ____ गृह भी कहा जाता है। (नीला / लाल)
उत्तर:
1. मृत सागर में लवणता का प्रतिशत 238 प्रतिशत है।
2. बंगाल की खाड़ी में गंगा नदी के जल के मिलने से लवणता की प्रवृत्ति कम पायी जाती है।
3. महासागरों की सतह के जल का औसत तापमान लगभग 27 डिग्री से. होता है।
4. आईसलैण्ड मध्य महासागरीय कटक का एक उदाहरण है जो मध्य अटलांटिक कटक का एक भाग है।
5. महाद्वीपीय शेल्फो पर लंबे समय तक प्राप्त स्थूल तलछटी अवसाद जीवाश्मी ईंधनों के स्रोत बनते हैं।
6. पृथ्वी को नीला गृह भी कहा जाता है।
सत्य / असत्य वाले प्रश्न
नीचे दिए गए कथनों में से सत्य / असत्य कथन छाँटिए-
1. पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल का लगभग 71 प्रतिशत भाग महासागरों में पाया जाता है।
2. आर्कटिक महासागर में साईबेरियन शेल्फ विश्व में सबसे बड़ा शेल्फ है।
3. सबसे अधिक महासागरीय गर्त अटलांटिक महासागर में पाए जाते हैं।
4. महासागरों के सतही जल का तापमान विषुवत् वृत्त से ध्रुवों की ओर बढ़ता है।
5. अमितटीय पवनें गर्म जल को तट पर जमा कर देती है इससे तापमान बढ़ जाता है।
6. गल्फ स्ट्रीम की धारा उत्तर अमरीका के पूर्वी तट तथा यूरोप के पश्चिमी तट का तापमान घटा देती है।
उत्तर:
1. पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल का लगभग 71 प्रतिशत भाग महासागरों में पाया जाता है। (सत्य)
2. आर्कटिक महासागर में साईबेरियन शेल्फ विश्व में सबसे बड़ा शेल्फ है। (सत्य)
3. सबसे अधिक महासागरीय गर्त अटलांटिक महासागर में पाए जाते हैं। (असत्य)
4. महासागरों के सतही जल का तापमान विषुवत् वृत्त से ध्रुवों की ओर बढ़ता है। (असत्य)
5. अमितटीय पवनें गर्म जल को तट पर जमा कर देती है इससे तापमान बढ़ जाता है। (सत्य)
6. गल्फ स्ट्रीम की धारा उत्तर अमरीका के पूर्वी तट तथा यूरोप के पश्चिमी तट का तापमान घटा देती ह (असत्य)
मिलान करने वाले प्रश्न
निम्न को सुमेलित कीजिए
1. मृत सागर का लवणता प्रतिशत | (अ) 220 प्रतिशत |
2. वॉन झील का लवणता प्रतिशत | (ब) 36 प्रतिशत |
3. ग्रेट साल्ट झील का लवणता प्रतिशत | (स) 238 प्रतिशत |
4. हिन्द महासागर की औसत लवणता | (द) 330 प्रतिशत |
5. अटलांटिक महासागर की औसत लवणता | (य) 35 प्रतिशत |
उत्तर:
1. मृत सागर का लवणता प्रतिशत | (स) 238 प्रतिशत |
2. वॉन झील का लवणता प्रतिशत | (द) 330 प्रतिशत |
3. ग्रेट साल्ट झील का लवणता प्रतिशत | (अ) 220 प्रतिशत |
4. हिन्द महासागर की औसत लवणता | (य) 35 प्रतिशत |
5. अटलांटिक महासागर की औसत लवणता | (ब) 36 प्रतिशत |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विश्व के सबसे चिकने तथा सबसे सपाट भाग कौनसे हैं?
उत्तर:
गभीर सागरीय मैदान।
प्रश्न 2.
महाद्वीपीय ढाल के आधार तथा द्वीपीय चापों के पास महासागरीय अधस्तल का कौनसा भाग स्थित है?
उत्तर:
महासागरीय गर्त।
प्रश्न 3.
आईसलैंड किसका भाग है?
उत्तर:
मध्य अटलांटिक कटक का।
प्रश्न 4.
महासागरीय शेल्फ की औसत प्रवणता कितनी है?
उत्तर:
1° या उससे भी कम।
प्रश्न 5.
विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीपीय शेल्फ कौन-सा है?
उत्तर:
आर्कटिक महासागर में स्थित साइबेरियन शेल्फ।
प्रश्न 6.
ताप प्रवणता (थर्मोक्लाईन) की मोटाई लिखिए।
उत्तर:
500 से 1,000 मीटर तक।
प्रश्न 7.
संसार के उच्चतम लवणता वाले तीन क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- टर्की की वॉन झील (330)
- मृत सागर (238)
- ग्रेट साल्ट झील (220%)।
प्रश्न 8.
उच्च अक्षांश में स्थित होने के बावजूद भी उत्तरी सागर में उच्च लवणता क्यों पायी जाती है?
उत्तर:
उत्तरी अटलांटिक प्रवाह के द्वारा लाए गए अधिक लवणीय जल के कारण।
प्रश्न 9.
बाल्टिक समुद्र तथा काले सागर की लवणता कम क्यों होती है?
उत्तर:
नदियों द्वारा अधिक मात्रा में लाए जाने वाले ताजे जल के कारण।
प्रश्न 10.
एम्पेरर क्या है?
उत्तर:
ज्वालामुखी निर्मित समुद्री टीला है, जो प्रशांत महासागर में हवाई द्वीपसमूहों का विस्तार है।
प्रश्न 11.
महासागरीय अधः स्तल का विस्तार बताइये।
उत्तर:
महासागरीय अधः स्तल का प्रमुख भाग समुद्रतल के नीचे 3 से 6 किलोमीटर के बीच पाया जाता है।
प्रश्न 12.
महासागरीय अधःस्तल के विभाग बताइये।
उत्तर:
- महाद्वीपीय शेल्फ
- महाद्वीपीय ढाल
- गहरे समुद्री मैदान
- महासागरीय गंभीर।
प्रश्न 13.
महाद्वीपीय शेल्फ क्या है?
उत्तर:
प्रत्येक महाद्वीप का विस्तृत सीमान्त जो कि अपेक्षाकृत उथले समुद्रों तथा खाड़ियों से घिरा होता है, महाद्वीपीय शेल्फ कहलाता है।
प्रश्न 14.
महाद्वीपीय ढाल क्या है?
उत्तर:
महाद्वीपीय शेल्फ और गंभीर सागरीय मैदान के मध्य स्थित तीव्र ढाल वाले भाग को महाद्वीपीय ढाल कहते हैं।
प्रश्न 15.
खुले महासागरों की औसत लवणता कितनी होती है?
उत्तर:
खुले महासागरों की औसत लवणता सामान्यत: 33% से 37% के बीच होती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
महासागरीय गर्त क्या है?
उत्तर:
महासागरीय तली का अधिकतम गहरा भाग जो कि सागरीय तली के सीमित क्षेत्र में पाया जाता है उसके किनारे तीव्र ढाल वाले होते हैं तथा उनकी तली अत्यधिक संकीर्ण होती है। महासागर के इन सबसे गहरे भाग को महासागरीय गर्त कहते हैं।
प्रश्न 2.
महासागरीय गर्त प्लेटों के संचलन के अध्ययन के लिए महत्त्वपूर्ण क्यों होते हैं?
उत्तर:
महासागरीय गर्त महाद्वीपीय ढाल के आधार एवं द्वीपीय चापों के पास स्थित होते हैं एवं सक्रिय ज्वालामुखी एवं प्रबल भूकम्प वाले क्षेत्रों से सम्बन्धित होते हैं। यही कारण है कि ये प्लेटों के संचलन के अध्ययन के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं।
प्रश्न 3.
महासागरीय अधः स्तल के विषय में लिखिए।
उत्तर:
महासागरीय अधः स्तल का प्रमुख भाग समुद्रतल के नीचे 3 से 6 किलोमीटर के बीच पाया जाता है। महासागरों के जल के नीचे की भूमि अर्थात् महासागरीय अधः स्तल भूमि पर पाए जाने वाले लक्षणों की अपेक्षा जटिल तथा विभिन्न प्रकार के लक्षणों को प्रदर्शित करते हैं। महासागरों की तली में विश्व की सबसे बड़ी पर्वत शृंखलाएँ, सबसे गहरे गर्त एवं सबसे बड़े मैदान होने के कारण ये ऊबड़-खाबड़ होते हैं। महाद्वीपों पर पाए जाने वाले लक्षणों के समान ये लक्षण भी विवर्तनिक ज्वालामुखीय एवं निक्षेपण की क्रियाओं से बनते हैं।
प्रश्न 4.
निमग्न द्वीप एवं प्रवाल द्वीप में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
निमग्न द्वीप चपटे शिखर वाले समुद्री टीले हैं। इन चपटे शिखर वाले जलमग्न पर्वतों के बनने की अवस्थाएँ क्रमिक अवतलन के साक्ष्यों द्वारा प्रदर्शित होती हैं। प्रशान्त महासागर में अनुमानतः 10,000 से भी अधिक समुद्री टीले एवं निमग्न द्वीप पाए जाते हैं जबकि प्रवाल द्वीप उष्णकटिबंधीय महासागरों में पाए जाने वाले प्रवाल भित्तियों से युक्त निम्न आकार के द्वीप हैं जो कि गहरे अवनमन को चारों तरफ से घेरे हुए होते हैं। प्रवाल द्वीप अनूप का एक भाग होते हैं या कभी-कभी ये साफ, खारे या बहुत अधिक जल से चारों तरफ से घिरे रहते हैं।
प्रश्न 5.
मध्य महासागरीय कटक के विषय में लिखिये।
उत्तर:
मध्य महासागरीय कटक-मध्य महासागरीय कटक पर्वतों की दो शृंखलाओं से निर्मित होता है जो कि एक विशाल अवनमन के द्वारा अलग किए गए होते हैं। इन पर्वत श्रृंखलाओं के शिखर की ऊँचाई 2500 मीटर तक हो सकती है तथा इनमें से कुछ समुद्र की सतह तक भी पहुँच जाती हैं। आइसलैण्ड मध्य अटलाण्टिक कटक का एक भाग है।
प्रश्न 6.
समुद्री टीले क्या हैं?
उत्तर:
समुद्री टीला:
समुद्री टीला नुकीले शिखरों वाला एक पर्वत है जो कि समुद्र की तली से ऊपर की ओर उठता है किन्तु महासागरों की सतह तक नहीं पहुँच पाता है। समुद्री टीले ज्वालामुखी के द्वारा उत्पन्न होते हैं। इनकी ऊँचाई 3000 से 4500 मीटर तक हो सकती है। प्रशान्त महासागर में एम्परेर समुद्री टीला इसका उत्तम उदाहरण है जो हवाई द्वीपों का विस्तार है।
प्रश्न 7.
महासागरों की तली ऊबड़-खाबड़ क्यों होती है? इसकी रचना किस प्रकार होती है?
उत्तर:
महासागरों की तली में विश्व की सबसे बड़ी पर्वत शृंखलाएँ, सबसे गहरे गर्त एवं सबसे बड़े मैदान पाए जाते हैं। इन सब की उपस्थिति के कारण ही इनकी तली ऊबड़-खाबड़ होती है। इनकी रचना विवर्तनिक, ज्वालामुखीय एवं निक्षेपण की क्रियाओं के फलस्वरूप होती है।
प्रश्न 8.
महासागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारक बताइये।
उत्तर:
महासागरीय लवणता को प्रमुख रूप से चार कारक प्रभावित करते हैं-
- महासागरीय सतह पर होने वाला वाष्पीकरण तथा वर्षण।
- तटीय क्षेत्रों में सतह के जल की लवणता, नदियों द्वारा लाए गये स्वच्छ जल के द्वारा तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ के जमने और पिघलने की क्रिया।
- पवन द्वारा सागरीय जल को एक स्थान से दूसरे स्थान में स्थानान्तरित करने से।
- महासागरीय धाराएँ, सागरीय जल का तापमान व घनत्व में भिन्नता आना।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
महासागरीय अधः स्तल के प्रमुख विभाग बताइये।
उत्तर:
महासागरीय अधः स्तल के विभाग
महासागरीय अधः स्तल को निम्नलिखित चार प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है-
(1) महाद्वीपीय शेल्फ:
प्रत्येक महाद्वीप का विस्तृत सीमान्त होता है जो कि अपेक्षाकृत उथले समुद्रों तथा खाड़ियों से घिरा होता है, उसे महाद्वीपीय शेल्फ के नाम से जाना जाता है। यह महासागर का सबसे उथला भाग होता है जिसकी औसत प्रवणता डिग्री या उससे भी कम होती है। शेल्फ अत्यन्त तीव्र ढाल पर समाप्त होता है जिसे शेल्फ अवकाश के नाम से जाना जाता है। महाद्वीपीय शेल्फों की चौड़ाई एक महासागर से दूसरे महासागर में भिन्न होती है। इनकी औसत चौड़ाई 80 किलोमीटर होती है। कुछ सीमान्तों के साथ शेल्फ नहीं होते, कुछ अत्यन्त संकीर्ण होते हैं यथा चिली के तट तथा सुमात्रा के पश्चिमी तट पर संकीर्ण शेल्फ पाए जाते हैं। इसके विपरीत आर्कटिक महासागर में साइबेरियन शेल्फ विश्व में सबसे बड़ा है जिसकी चौड़ाई 1500 किलोमीटर है।
शेल्फ की गहराई भी अलग-अलग होती है। कुछ क्षेत्रों में यह 30 मीटर तथा कुछ क्षेत्रों में 600 मीटर तक गहराई पाई जाती है। महाद्वीपीय शेल्फों पर अवसादों की मोटाई भी अलग-अलग होती है। ये अवसाद भूमि से नदियों, हिमनदियों तथा पवन द्वारा लाए जाते हैं और तरंगों तथा धाराओं के द्वारा वितरित किए जाते हैं। महाद्वीपीय शेल्फों पर लम्बे समय तक प्राप्त स्थूल तलछटी अवसाद जीवाश्मी ईंधनों के स्रोत बनते हैं।
(2) महाद्वीपीय ढाल:
महासागरीय बेसिनों और महाद्वीपीय शेल्फों को महाद्वीपीय ढाल जोड़ते हैं। जहाँ महाद्वीपीय शेल्फ की तली तीव्र ढाल में परिवर्तित हो जाती है वहाँ महाद्वीपीय ढाल की शुरूआत होती है। ढाल वाले प्रदेश की प्रवणता 20 से 50 के मध्य होती है। इसकी गइराई 200 से 3000 मीटर के बीच होती है। ढाल का किनारा महाद्वीपों की समाप्ति को दर्शाता है। इसी भाग में कैनियन एवं खाइयाँ दिखलाई देते हैं।
(3) गभीर सागरीय मैदान:
गभीर सागरीय मैदान महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र होते हैं। ये विश्व के सबसे चिकने तथा सबसे सपाट भाग हैं। इनकी गहराई 3000 से 6000 मीटर के बीच होती है। ये मैदान महीन कणों वाले अवसादों यथा मृत्तिका एवं गाद से ढके होते हैं।
(4) महासागरीय गर्त : महासागरों के सबसे गहरे भाग महासागरीय गर्त कहलाते हैं। ये गर्त अपेक्षाकृत खड़े किनारों वाले संकीर्ण बेसिन होते हैं। अपने चारों तरफ की महासागरीय तली की अपेक्षा ये 3 से 5 किलोमीटर तक गहरे होते हैं। ये महाद्वीपीय ढाल के आधार तथा द्वीपीय चापों के पास स्थित होते हैं एवं सक्रिय ज्वालामुखी एवं प्रबल भूकम्प वाले क्षेत्रों से सम्बन्धित होते हैं। अभी तक लगभग 57 गर्तों को खोजा गया है जिनमें से 32 प्रशान्त महासागर में, 19 अटलाण्टिक महासागर में तथा 6 हिन्द महासागर में हैं।
प्रश्न 2.
महासागरीय उच्चावच की लघु आकृतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
महासागरीय उच्चावच की लघु आकृतियाँ
महासागरीय अधःस्तल के प्रमुख उच्चावचों के अलावा महासागरीय भागों में प्रमुख रूप से निम्नलिखित लघु आकृतियाँ पाई जाती हैं-
(1) मध्य महासागरीय कटक :
एक विशाल अवनमन के द्वारा अलग किए गये पर्वतों की दो शृंखलाओं से मध्य महासागरीय कटक का निर्माण होता है। इन पर्वत शृंखलाओं के शिखर की ऊँचाई 2500 मीटर तक हो सकती है तथा इनमें से कुछ समुद्र की सतह तक भी पहुँच सकती हैं। यथा मध्य अटलाण्टिक कटक का एक भाग आइसलैण्ड है।
(2) समुद्री टीला : यह नुकीले शिखरों वाला पर्वत है जो कि समुद्र की तली से ऊपर की तरफ उठता है लेकिन महासागरों की सतह तक नहीं पहुँच पाता है। समुद्री टीले ज्वालामुखी के द्वारा उत्पन्न होते हैं। ये 3000 से 4500 मीटर तक ऊँचे होते हैं। यथा प्रशान्त महासागर में एम्पेरर एक प्रसिद्ध समुद्री टीला है जो हवाई द्वीप समूहों का विस्तार है
(3) जलमग्न कैनियन:
ये गहरी घाटियाँ होती हैं जिनमें से कुछ की तुलना कोलोरेडो नदी की ग्रॉण्ड कैनियन से की जा सकती है। अनेक बार ये बड़ी नदियों के मुहाने से आगे की तरफ विस्तृत होकर महाद्वीपीय शेल्फ व ढालों को आर-पार काटती नजर आती हैं। यथा – विश्व का सबसे अधिक जाना-माना कैनियन हडसन कैनियन है।
(4) निमग्न द्वीप:
यह चपटे शिखर वाले समुद्री टीले हैं। इन चपटे शिखर वाले जलमग्न पर्वतों के बनने की अवस्थाएँ क्रमिक अवतलन के साक्ष्यों के द्वारा प्रदर्शित होती हैं। प्रशान्त महासागर में अनुमानतः 10,000 से अधिक समुद्री टीले एवं निमग्न द्वीप उपस्थित हैं।
(5) प्रवाल द्वीप:
ये उष्णकटिबंधीय महासागरों में पाए जाने वाले प्रवाल भित्तियों से युक्त निम्न आकार के द्वीप हैं जो कि गहरे अवनमन को चारों तरफ से घेरे हुए होते हैं। प्रवालद्वीप अनूप का एक भाग हो सकते हैं या कभी-कभी ये साफ, खारे या बहुत अधिक जल से चारों तरफ से घिरे रहते हैं।
प्रश्न 3.
महासागरीय जल के तापमान का ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज वितरण बताइये। महासागरीय जल के तापमान का ऊर्ध्वाधर वितरण
उत्तर:
सामान्यतः महासागरीय जल के तापमान में बढ़ती गहराई के साथ क्रमशः गिरावट आती चली जाती है, परन्तु महासागर के सतही जल एवं गहरी परतों के जल के बीच एक ऐसा सीमा क्षेत्र है, जहाँ सागरीय जल के तापमान में तीव्र गिरावट आती है। यह सीमा क्षेत्र सागर तल से लगभग 100 से 400 मीटर नीचे से प्रारंभ होता है तथा कई सौ मीटर तक जाता है। इसे ‘ताप प्रवणता’ (थर्मोक्लाइन) कहा जाता है। सागरीय जल के कुल आयतन का लगभग 90% भाग ताप प्रवणता परत के नीचे पाया जाता है। गहराई के साथ तापमान के घटने की दर सभी जगह समान नहीं होती। 200 मीटर की गहराई तक तापमान बहुत तीव्रता से कम होता है लेकिन इसके बाद तापमान के कम होने की दर कम होती जाती है। सामान्यतया सागर तल से नीचे जाने पर निम्न तीन परतें मिलती हैं।
(i) प्रथम परत:
यह सबसे ऊपरी परत होती है जो कि लगभग 500 मीटर मोटी होती है। इसका तापमान 200 से 250 सेल्शियस के बीच होता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में यह परत पूरे वर्ष उपस्थित होती है, जबकि मध्य अक्षांशों में यह केवल ग्रीष्म ऋतु में विकसित होती है।
(ii) द्वितीय परत :
इस परत को ताप प्रवणता परत कहा जाता है। यह पहली परत के नीचे स्थित होती है। इसमें गहराई के बढ़ने के साथ तापमान में तीव्र गिरावट आती है। यहाँ ताप प्रवणता की मोटाई 500 से 1000 मीटर तक होती है।
(iii) तृतीय परत :
यह परत बहुत ठण्डी होती है तथा गंभीर महासागरीय तली तक विस्तृत होती है। आर्कटिक एवं अण्टार्कटिक वृत्तों में सतही जल का तापमान 0° सेल्शियस के आस-पास रहता है। इसी कारण गहराई के साथ तापमान में बहुत कम परिवर्तन होता है । यहाँ ठण्डे पानी की केवल एक ही परत पाई जाती है जो कि सतह से गंभीर महासागरीय तली तक विस्तृत होती है।
महासागरों की सतह के जल का औसत तापमान लगभग 27° सेल्शियस होता है और यह विषुवत वृत्त से ध्रुवों की तरफ क्रमिक तरीके से कम होता जाता है। बढ़ते अक्षांशों के साथ तापमान के घटने की दर औसत दर प्रति अक्षांश 0.5° सेल्शियस होती है। 20° अक्षांश पर औसत तापमान 22° सेल्शियस, 40° अक्षांश पर 14° सेल्शियस तथा ध्रुवों के निकट 0° सेल्शियस होता है। उत्तरी गोलार्द्ध के महासागरों का तापमान दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा अधिक होता है।
उच्चतम तापमान विषुवत वृत्त के कुछ उत्तर की तरफ अंकित किया जाता है। उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध का औसत वार्षिक तापमान क्रमश: 16° से 19° सेल्शियस के आस-पास रहता है। यह भिन्नता उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थल एवं जल के असमान वितरण के कारण होती है।
प्रश्न 4.
महासागरीय जल की लवणता से क्या अभिप्राय है? लवणता को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
महासागरीय जल की लवणता:
प्रकृति में उपस्थित सभी प्रकार के जलों में खनिज लवण घुले हुए रहते हैं। अत: समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा को लवणता कहा जाता है। इसका परिकलन 1000 ग्राम समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा के द्वारा किया जाता है।
महासागरीय जल की लवणता को प्रभावित करने वाले कारक : महासागरीय जल की लवणता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
- महासागरों की सतह के जल की लवणता मुख्य रूप से वाष्पीकरण एवं वर्षा पर निर्भर करती है।
- तटीय क्षेत्रों में सतह के जल की लवणता नदियों के द्वारा लाए गए ताजे जल के द्वारा तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ के जमने एवं पिघलने की क्रिया से सबसे अधिक प्रभावित होती है।
- हवायें भी जल को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानान्तरित करके लवणता को प्रभावित करती हैं।
- महासागरीय धारायें भी लवणता में भिन्नता उत्पन्न करने में सहयोग करती हैं।
- तापमान एवं घनत्व, लवणता आपस में सम्बन्धित होते हैं। इसी कारण तापमान अथवा घनत्व में किसी भी प्रकार का परिवर्तन किसी क्षेत्र की लवणता को प्रभावित करता है।
प्रश्न 5.
महासागरीय जल में लवणता के क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर वितरण की व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
महासागरीय जल में लवणता का क्षैतिज वितरण:
सामान्य रूप से खुले महासागरों में लवणता 33% से 37 के मध्य पाई जाती है। चारों तरफ स्थल से घिरे लाल सागर में यह 41 तक होती है, जबकि आर्कटिक एवं ज्वार नद मुख में मौसम के अनुसार 0 से 35% के मध्य पाई जाती है। वाष्पीकरण की अधिकता वाले गर्म एवं शुष्क क्षेत्रों में लवणता 70% तक पहुँच जाती है। महासागरों के अनुसार लवणता निम्न प्रकार से पाई जाती है।
(1) प्रशान्त महासागर :
प्रशान्त महासागर की लवणता में भिन्नता मुख्य रूप से इसके आकार एवं बहुत अधिक क्षेत्रीय विस्तार के कारण पाई जाती है। उत्तरी गोलार्द्ध के पश्चिमी भागों में लवणता 35 से कम होकर 31% हो जाती है क्योंकि यहाँ आर्कटिक क्षेत्र का पिघला हुआ जल पहुँचता है, इसी प्रकार 150 से 20° दक्षिण के बाद यह लवणता 33 तक घट जाती है।
(2) अटलाण्टिक महासागर :
अटलाण्टिक महासागर में औसत लवणता 36 के लगभग पाई जाती है। उच्चतम लवणता 150 से 20° अक्षांश के मध्य पाई जाती है। अधिकतम लवणता 20°N एवं 30°N तथा 20°W से 60°W के बीच पायी जाती है। उत्तर की तरफ क्रमिक रूप से कम होती जाती है।
(3) हिन्द महासागर:
हिन्द महासागर में औसत लवणता 35 तक पाई जाती है। बंगाल की खाड़ी में गंगा नदी के जल के मिलने से लवणता की प्रवृत्ति कम पाई जाती है, इसके विपरीत अरब सागर में लवणता उच्च वाष्पीकरण तथा स्वच्छ जल की कम प्राप्ति के कारण अधिक है।
(4) उत्तरी सागर, लाल सागर व बाल्टिक सागर:
उच्च अक्षांश में स्थित होने के बावजूद उत्तरी सागर में उत्तरी अटलाण्टिक प्रवाह के द्वारा लाए गए अधिक लवणीय जल के कारण अधिक लवणता पाई जाती है। बाल्टिक सागर में अधिक मात्रा में नदियों के जल के मिलने के कारण लवणता कम पाई जाती है। उच्च वाष्पीकरण के कारण भूमध्य सागर में लवणता अधिक पाई जाती है। काला सागर में नदियों के द्वारा अधिक मात्रा में जल की आपूर्ति होने के कारण लवणता कम पाई जाती है।
महासागरीय जल में लवणता का ऊर्ध्वाधर वितरण:
महासागरों व सागरों में गहराई के साथ लवणता में परिवर्तन आता है लेकिन यह परिवर्तन समुद्र की स्थिति पर निर्भर करता है। सतह की लवणता जल के बर्फ या वाष्प के रूप में परिवर्तित हो जाने के कारण बढ़ जाती है या स्वच्छ जल के मिलने से घट जाती है। गहराई में लवणता निश्चित होती है क्योंकि वहाँ किसी प्रकार से पानी का ह्रास या नमक की मात्रा में वृद्धि नहीं होती। महासागरों के सतही क्षेत्रों एवं गहरे क्षेत्रों के मध्य लवणता में अन्तर स्पष्ट होता है।
कम लवणता वाला जल उच्च लवणता व घनत्व वाले जल के ऊपर स्थित होता है। लवणता साधारणतः गहराई के साथ बढ़ती है। हैलोक्लाईन क्षेत्र में लवणता तीव्रता से बढ़ती है। लवणता समुद्री जल के घनत्व को प्रभावित करती है तथा महासागरीय जल के स्तरीकरण को प्रभावित करती है। यदि अन्य कारक स्थिर रहते हैं तो समुद्री जल की बढ़ती लवणता उसके घनत्व को बढ़ाती है। उच्च लवणता वाला समुद्री जल प्रायः कम लवणता वाले जल के नीचे बैठ जाता है। इससे लवणता का स्तरीकरण हो जाता है।