Well-organized Class 11 Geography Notes in Hindi and Class 11 Geography Chapter 1 Notes in Hindi भूगोल एक विषय के रूप में can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 11 Chapter 1 Notes in Hindi भूगोल एक विषय के रूप में
→ भूगोल का अध्ययन:
भूगोल का अध्ययन स्वतन्त्र विषय के रूप में करने पर इसके अन्तर्गत पृथ्वी के भौतिक वातावरण, मानवीय क्रियाओं तथा उनके अन्तःप्रक्रियात्मक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। भूगोल हमें विविधता समझने तथा समय एवं स्थान के सन्दर्भ में विभिन्नताओं को उत्पन्न करने वाले कारकों की खोज करने की क्षमता प्रदान करता है। इससे मानचित्र में परिवर्तित गोलक अर्थात् ग्लोब को समझने तथा धरातल के दृश्य ज्ञान की कुशलता विकसित होती है।
→ भूगोल का अर्थ:
अत्यन्त सरल शब्दों में भूगोल का अर्थ पृथ्वी का वर्णन है। सर्वप्रथम भूगोल शब्द का प्रयोग इरेटॉस्थेनीज, नामक ग्रीक विद्वान ने किया था। अंग्रेजी भाषा में ज्योग्राफी (Geography) भूगोल का पर्यायवाची शब्द है। यह ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘Geo’ (पृथ्वी) तथा Graphos (वर्णन) से मिल कर बना है। इन दोनों शब्दों का अर्थ पृथ्वी का वर्णन है।
→ बहुआयामी प्रकृति होना:
पृथ्वी की प्रकृति बहुआयामी है। इसी कारण अनेक प्राकृतिक विज्ञान, यथा— भौमिकी, मृदा विज्ञान, समुद्र विज्ञान, वनस्पति शास्त्र, जीवन विज्ञान, मौसम विज्ञान तथा अन्य सह – विज्ञान व सामाजिक विज्ञान के अनेक सहयोगी विषय यथा अर्थशास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, नृ-विज्ञान आदि धरातल की वास्तविकता के विभिन्न पक्षों का अध्ययन करते हैं । भूगोल मानव तथा उसके भौतिक वातावरण के मध्य गत्यात्मक अंतर्प्रक्रिया से उपजे तथ्यों के बीच साहचर्य एवं अन्तर्सम्बन्ध का विश्लेषण करता है।
→ भूगोल एक समाकलन विषय के रूप में:
भूगोल एक संश्लेषणात्मक विषय है जो कि क्षेत्रीय संश्लेषण का प्रयास करता है तथा इतिहासकालिक संश्लेषण का प्रयास करता है। इसके उपागम की प्रकृति समग्रात्मक होती है भूगोल का एक संश्लेषणात्मक विषय के रूप में अनेक प्राकृतिक तथा सामाजिक विज्ञानों से अन्तरापृष्ठ सम्बन्ध है। प्राकृतिक या सामाजिक सभी विज्ञानों का एक मूल उद्देश्य यथार्थता को ज्ञात करना है।
भूगोल स्थानिक सन्दर्भ में यथार्थता को समग्रता से समझने में सहायक होता है। अत: भूगोल न केवल एक स्थान से दूसरे स्थान में तथ्यों की भिन्नता पर ध्यान देता है अपितु उनको समग्रता में समाकलित करता है। धरातल पर विद्यमान प्रत्येक भौगोलिक तथ्य समय के साथ परिवर्तित होता रहता है तथा समय के परिप्रेक्ष्य में उसकी व्याख्या की जा सकती है। भू-आकृति, जलवायु, वनस्पति, आर्थिक क्रियाएँ, व्यवसाय तथा सांस्कृतिक विकास एक निश्चित ऐतिहासिक पथ का अनुसरण करते हैं।
→ भौतिक भूगोल एवं प्राकृतिक विज्ञान:
भौतिक भूगोल की सभी शाखाएँ प्राकृतिक विज्ञान की अन्तरापृष्ठ हैं। परम्परागत भौतिक भूगोल, भौमिकी, मौसम विज्ञान, जल विज्ञान तथा मृदा विज्ञान से सम्बन्धित है। इस प्रकार भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, सामुद्रिक विज्ञान, मृदा भूगोल का प्राकृतिक विज्ञान से निकट का सम्बन्ध है।
→ भूगोल एवं सामाजिक विज्ञान:
सामाजिक विज्ञान भूगोल की एक शाखा के रूप में अन्तरापृष्ठ रूप से सम्बन्धित है । सामाजिक विज्ञान के सभी विषय, यथा- समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, जनांकिकी, सामाजिक यथार्थता का अध्ययन करते हैं। भूगोल की सभी शाखाएँ, यथा – सामाजिक भूगोल, राजनीतिक भूगोल, आर्थिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल, अधिवास भूगोल आदि विषयों से घनिष्ठता से जुड़ी हुई हैं क्योंकि इनमें से प्रत्येक में स्थानिक विशेषताएँ पाई जाती हैं
→ भूगोल के अध्ययन के उपागम: भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख उपागम हैं, यथा-
- विषय-वस्तुगत अर्थात् क्रमबद्ध उपागम: इस उपागम में एक तथ्य का सम्पूर्ण विश्व स्तर पर अध्ययन किया जाता । उसके उपरान्त क्षेत्रीय स्वरूप के वर्गीकृत प्रकारों की पहचान की जाती है।
- प्रादेशिक उपागम – इस उपागम में विश्व को विभिन्न पदानुक्रमिक स्तर के प्रदेशों में विभाजित करके एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है।
भूगोल की शाखाएँ:(विषय-वस्तुगत या क्रमबद्ध उपागम के आधार पर)
→ भौतिक भूगोल:
- भू-आकृति विज्ञान : इसके अन्तर्गत भू-आकृतियों, उनके क्रमिक विकास एवं सम्बन्धित प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
- जलवायु विज्ञान ; इसके अन्तर्गत वायुमण्डल की संरचना, मौसम तथा जलवायु के तत्त्व, जलवायु के प्रकार तथा जलवायु प्रदेश का अध्ययन किया जाता है।
- जल विज्ञान – इसके अन्तर्गत समुद्र, नदी, झील तथा अन्य सभी जलाशय सम्मिलित हैं।
- मृदा भूगोल – इसके अन्तर्गत मिट्टी निर्माण की प्रक्रियाओं, प्रकार, उनका उत्पादकता स्तर, वितरण एवं उपयोग आदि का अध्ययन किया जाता है।
→ मानव भूगोल:
- सामाजिक एवं सांस्कृतिक भूगोल : इसके अन्तर्गत समाज तथा इसकी स्थानिक एवं प्रादेशिक गत्यात्मकता एवं समाज के योगदान से बने सांस्कृतिक तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।
- जनसंख्या एवं अधिवास भूगोल : जनसंख्या भूगोल के अन्तर्गत ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि, उसका वितरण, घनत्व, लिंग-अनुपात, प्रवास एवं व्यावसायिक संरचना का अध्ययन किया जाता है जबकि अधिवास भूगोल में ग्रामीण तथा नगरीय अधिवासों के वितरण प्रारूप तथा अन्य विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।
- आर्थिक भूगोल : इसके अन्तर्गत मानव की आर्थिक क्रियाओं, यथा- कृषि, उद्योग, व्यापार, परिवहन आदि का अध्ययन किया जाता है।
- ऐतिहासिक भूगोल : इसके अन्तर्गत भौगोलिक तत्त्वों में होने वाले सामयिक परिवर्तनों की व्याख्या की जाती है।
- राजनीतिक भूगोल : इसके अन्तर्गत देश विशेष की सीमाओं, निकटवर्ती पड़ोसी देशों के मध्य भू- वैन्यासिक सम्बन्ध, निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन एवं चुनाव परिदृश्य का विश्लेषण किया जाता है।
→ जीव भूगोल:
- प्राणी भूगोल : इसके अन्तर्गत पशुओं एवं उनके निवास क्षेत्र के स्थानिक स्वरूप तथा भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।
- वनस्पति भूगोल : इसके अन्तर्गत प्राकृतिक वनस्पति का उसके निवास क्षेत्र में स्थानिक प्रारूप का अध्ययन किया जाता है।
- पारिस्थैतिक विज्ञान : इसके अन्तर्गत प्रजातियों के निवास व स्थिति क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।
- पर्यावरण भूगोल : इसके अन्तर्गत पर्यावरणीय समस्याओं, यथा- अध्ययन किया जाता है।
→ प्रादेशिक उपागम पर आधारित भूगोल की शाखाएँ – इस आधार पर भूगोल की चार शाखाएँ हैं
- प्रादेशिक अध्ययन / क्षेत्रीय अध्ययन
- प्रादेशिक विकास
- प्रादेशिक विश्लेषण
- प्रादेशिक योजना।
→ भौतिक भूगोल एवं इसका महत्त्व:
भौतिक भूगोल के अन्तर्गत भू-मण्डल, वायुमण्डल, जल- मण्डल तथा जैव – मण्डल का अध्ययन किया जाता है। वर्तमान समय में भौतिक भूगोल प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबन्धन से सम्बन्धित विषय के रूप में विकसित हो रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भौतिक पर्यावरण एवं मानव के मध्य सम्बन्धों को जानना आवश्यक है। भौतिक पर्यावरण संसाधन प्रदान करता है तथा मानव इन संसाधनों का उपयोग करते हुए अपना आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास सुनिश्चित करता है। तकनीकी की सहायता से संसाधनों के बढ़ते उपयोग ने विश्व में पारिस्थैतिक असन्तुलन उत्पन्न कर दिया है। अतः सतत विकास के लिए भौतिक वातावरण का ज्ञान होना परम आवश्यक है जो कि भौतिक भूगोल के महत्त्व को दर्शाता है।
→ भौगोलिक शब्दावली:
- जी. पी. एस. : जी.पी.एस. अर्थात् वैश्विक स्थितीय तन्त्र सही स्थिति ज्ञात करने का आसान उपकरण है।
- जी.आई.एस. : वैश्विक स्थानिक आँकड़ों के प्रग्रहण, भण्डारण, इच्छानुसार पुन: प्राप्ति, रूपान्तरण एवं प्रदर्शन करने की सशक्त युक्तियों का एक कम्प्यूटर आधारित समूह।
- अन्तरापृष्ठ : भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल के अन्तरापृष्ठ के फलस्वरूप जीव – भूगोल का विकास हुआ।