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CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 1 with Solutions
निर्धारित समय: 3 घण्टे
पूर्णांक: 80
1. इस प्रश्नपत्र में दो खण्ड हैं- खण्ड ‘अ’ और ‘ब’ । खण्ड-अ में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खण्ड-ब में वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
2. प्रश्नपत्र के दोनों खण्डों में प्रश्नों की संख्या 19 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
3. यथासम्भव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए ।
4. खण्ड ‘अ’ में कुल 12 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 45 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
5. खण्ड ‘ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
खण्ड ‘अ’
(वस्तुपरक प्रश्न)
‘I’ : अपठित गद्यांश
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए – (1 × 5 = 5)
वह ईंट धन्य है जो कट – छँटकर कंगूरे पर चढ़ती है और हमारा ध्यान अपनी ओर खींचती है। इसके साथ-साथ वह ईंट भी धन्य है जो ज़मीन के सात हाथ नीचे जाकर नींव में गड़ गई और इमारत की पहली ईंट बनी । उसी ईंट पर इमारत की मज़बूती टिकी रहती है। उस ईंट के हिल जाने से कंगूरा नीचे आ गिरेगा अर्थात् नींव की ईंट अधिक महत्त्वपूर्ण है। उस ईंट ने स्वयं को इसलिए नींव में नीचे डाल दिया ताकि इमारत सौ हाथ ऊपर जा सके, उस ईंट ने अंधे कुएँ में जाना इसलिए स्वीकार किया ताकि ऊपर के लोगों को साफ़ हवा मिलती रहे, सुनहरी रोशनी मिलती रहे। कुछ स्वतंत्रता सेनानियों ने इसलिए अपना बलिदान दे दिया ताकि आने वाली आज़ादी का सुख दूसरे लोग भोग सकें। सुन्दर निर्माण के लिए हमेशा बलिदान की आवश्यकता होती है। यह बलिदान चाहे ईंट का हो अथवा व्यक्ति का । सुंदर इमारत बनाने के लिए पक्की – लाल ईंटों को नींव में जाना ही पड़ता है। उसी प्रकार समाज को सुंदर बनाने के लिए कुछ तपे-तपाए लोगों को चुपचाप बलिदान देना ही पड़ता है।
(1) कंगूरे की ईंट को लेखक ने धन्य क्यों कहा है?
(क) कंगूरे पर चढ़ती है, तो सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है।
(ख) कंगूरे पर नहीं चढ़ती है, तो सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है।
(ग) विकल्प (क) और (ख)।
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(ख) कंगूरे पर नहीं चढ़ती है, तो सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है।
व्याख्या- ईंट कट-छँटकर जब क़गूरे पर चढ़ती है तो सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है। इसलिए लेखक ने उसे धन्य कहा है।
(2) निम्नलिखित कथन (A) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए । कथन (A): नींव की ईंट को धन्य माना गया है।
कारण (R): नींव की ईंट को स्थायित्व देने के कारण धन्य माना गया है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता हैं।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत हैं।
(घ) कथन (A) गलत तथा कारण (R) सही है ।
उत्तर:
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता हैं।
व्याख्या- इमारत को स्थायित्व देने के कारण नींव की ईंट को धन्य माना गया है । इमारत की मज़बूती उसी पर टिकी है।
(3) नींव की ईंट अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों होती है ?
(क) इमारत की मज़बूती उसी पर टिकी है।
(ख) इमारत की मज़बूती उस पर नहीं टिकी ।
(ग) विकल्प (क) और (ख)।
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(क) इमारत की मज़बूती उसी पर टिकी है।
व्याख्या- नींव की ईंट अधिक महत्त्वपूर्ण होती है, क्योंकि इमारत की मज़बूती उसी नींव की ईंट पर टिकी रहती है।
(4) पक्की ईंट कौन-सी है ?
(क) लाल
(ख) हरी
(ग) पीली
(घ) नीली
उत्तर:
(क) लाल
व्याख्या- पक्की-पक्की लाल ईंट कहकर लेखक युवाओं को उत्साहित कर रहा है । उह उन्हें तपे – तपाए लोग भी कहता है।
(5) किस शब्द में निर् उपसर्ग है ?
(क) निर्माण
(ख) नीरव
(ग) नाश
(घ) आशा
उत्तर:
(क) निर्माण
2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए – (1 × 5 = 5)
संसार में अमरता ऐसे ही लोगों को मिलती है जो अपने पीछे कुछ आदर्श छोड़ जाते हैं । बहुधा ऐसा देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति सम्पन्न परिवारों में बहुत कम पैदा होते हैं। अधिकांश ऐसे लोगों का जन्म मध्यम वर्ग के घरों में या ग़रीब परिवारों में ही होता है। इस तरह उनका पालन-पोषण साधारण परिवार में होता है और वे सादा जीवन बिताने के आदी हो जाते हैं।
मनुष्य में विनय, उदारता, सहिष्णुता और साहस आदि चारित्रिक गुणों का विकास अति आवश्यक है। इन गुणों का प्रभाव उसके जीवन पर पड़ता है। ये गुण व्यक्ति के जीवन को अहंकारहीन और सरल बनाते हैं । सादगी का विचारों से घनिष्ठ सम्बन्ध है। हमें सादा जीवन व्यतीत करना चाहिए और अपने विचारों को उच्च बनाए रखना चाहिए ।
व्यक्ति की सच्ची पहचान उसके आचार एवं विचारों से करनी होती है। मनुष्य के विचार उसके आचरण पर प्रभाव डालते हैं और उसके ‘िववेक को जाग्रत रखते हैं। विवेकशील व्यक्ति ही अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखता है। उन्हें अपने ऊपर हावी नहीं होने देता है। सादा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति को कभी भी हतप्रभ होकर अपने आत्मसम्मान पर आँच नहीं आने देनी चाहिए। सादगी मनुष्य के चरित्र का अंग है, वह बाहरी चीज़ नहीं है । महात्मा गाँधी सादा जीवन पसन्द करते थे और हाथ के कते और बुने खद्दर के मामूली वस्त्र पहनते थे, किन्तु अपने उच्च विचारों के कारण वे संसार में वंदनीय हो गए।
(1) विवेकशील व्यक्ति की प्रमुख पहचान है-
(क) उनका जीवन अहंकारहीन और सरल होता है।
(ख) बहुत सोचने के बाद निर्णय लेता है
(ग) मौके का फायदा उठाता है।
(घ) समय की बचत करता है।
उत्तर:
(क) उनका जीवन अहंकारहीन और सरल होता है।
(2) व्यक्ति की सच्ची पहचान होती है-
(क) रोज़गार से
(ख) परिवार से
(ग) वस्त्रों से
(घ) कर्मों से
उत्तर:
(घ) कर्मों से
व्याख्या – व्यक्ति की सच्ची पहचान उसके कर्मों से होती है ।
(3) अमरता कैसे लोगों को मिलती है ?
(क) जो कभी नहीं मरते
(ख) जो पुनः मानवरूप में जन्म नहीं लेते हैं
(ग) जो आदर्शवादी होते हैं
(घ) जो सेना में होते हैं ।
उत्तर:
(ग) जो आदर्शवादी होते हैं
(4) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक हो सकता है-
(क) मनुष्य के विचार
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) अहंकारहीन जीवन
(घ) आत्मसम्मान
उत्तर:
(क) मनुष्य के विचार
व्याख्या- ‘मनुष्य के विचार’ उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक हो सकता है।
(5) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए ।
कथन (A) : गाँधीजी उच्चविचारक थे इसलिए वंदनीय हो गए।
कारण (R) : वे खादी के वस्त्र पहनते थे इसलिए वंदनीय थे ।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं
(ग) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) गलत तथा कारण (R) सही है ।
उत्तर:
(ग) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत है।
‘II’ : व्यावहारिक व्याकरण
3. निम्नलिखित शब्द और पद पर आधारित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 2 = 2)
(1) ‘राधा बाज़ार गई है’ में ‘राधा’ है-
(क) शब्द
(ख) वर्ण
(ग) वाक्य
(घ) पद
उत्तर:
(घ) पद
व्याख्या- ‘राधा बाज़ार गई है’ में राधा पद है क्योंकि जब शब्द स्वतन्त्र न रहकर व्याकरण के नियमों में बँध जाता है, तब वह पद का रूप धारण कर लेता है।
(2) ‘शहर, बादल, सागर’ हैं-
(क) पद
(ख) वर्ण
(ग) वाक्य
(घ) शब्द
उत्तर:
(घ) शब्द
4. निम्नलिखित ‘अनुस्वार तथा अनुनासिक’ पर आधारित तीन बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 2 = 2)
(1) अनुस्वार चिह्न के उचित प्रयोग वाला शब्द है-
(क) चंचल
(ख) कहां
(ग) पडितं
(घ) वीरागंना
उत्तर:
(क) चंचल
(2) अनुनासिक चिह्न के उचित प्रयोग वाला शब्द है-
(क) साँप
(ख) महँगाई
(ग) सँभव
(घ) गँद
उत्तर:
(क) साँप
व्याख्या- साँप अनुनासिक-चिह्न के उचित प्रयोग वाला शब्द है।
(3) अनुनासिक चिह्न के उचित प्रयोग वाला शब्द नहीं है-
(क) पाँचवाँ
(ख) मुँह
(ग) फूँकना
(घ) हँसमुख
उत्तर:
(ख) मुँह
5. निम्नलिखित ‘उपसर्ग और प्रत्यय’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(1) ‘निराधार’ शब्द में उचित उपसर्ग है-
(क) निरा
(ख) निर्
(ग) निराध
(घ) निर
उत्तर:
(ख) निर्
व्याख्या – निराधार शब्द में उचित उपसर्ग निर् है ।
(2) ‘भौगोलिक’ शब्द में उचित प्रत्यय है-
(क) लिक
(ख) क
(ग) इक
(घ) ईक
उत्तर:
(ग) इक
(3) ‘प्रतिद्वंदी’ शब्द में उचित उपसर्ग है-
(क) प्रती
(ख) प्र
(ग) प्रति
(घ) प्रत
उत्तर:
(ख) प्र
(4) ‘समझदार’ शब्द में उचित प्रत्यय है-
(क) दर
(ख) आर
(ग) दार
(घ) समझ
उत्तर:
(ग) दार
(5) ‘छिड़काव ‘ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय व मूल शब्द है-
(क) छिड़ + काव
(ख) छिड़क + आव
(ग) छिड़का + अव
(घ) छि + उकाव
उत्तर:
(ख) छिड़क + आव
व्याख्या- ‘छिड़काव’ शब्द में मूल शब्द छिड़क तथा प्रत्यय आव है जैसे छिड़क + आव = छिड़काव।
‘छिड़काव’ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय व मूल शब्द छिड़क + आव है।
6. निर्देशानुसार ‘स्वर संधि’ पर आधारित चार बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 3 = 3)
(1) ‘सुरेन्द्र’ में कौन-सी सन्धि है-
(क) दीर्घ सन्धि
(ख) गुण सन्धि
(ग) वृद्धि सन्धि
(घ) अयादि सन्धि
उत्तर:
(ख) गुण सन्धि
व्याख्या- सुरेन्द्र गुण संधि का उदारहण है इसका संधि विच्छेद होगा – सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
(2) ‘नदीश’ में कौन-सी सन्धि है-
(क) दीर्घ सन्धि
(ख) गुण सन्धि
(ग) वृद्धि सन्धि
(घ) अयादि सन्धि
उत्तर:
(क) दीर्घ सन्धि
(3) सन्धि के कितने प्रकार हैं-
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(ग) तीन
व्याख्या – संधि के तीन भेद होते हैं- स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि ।
(4) स्वर सन्धि के कितने भेद हैं ?
(क) पाँच
(ख) चार
(ग) तीन
(घ) दो
उत्तर:
(क) पाँच
7. निर्देशानुसार ‘विराम चिह्न’ पर आधारित चार बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 3 = 3)
(1) (;) विराम चिह्न का नाम है-
(क) अर्द्ध विराम चिन्ह
(ख) पूर्ण विराम चिन्ह
(ग) अल्प विराम चिन्ह
(घ) हंसपद चिन्ह
उत्तर:
(क) अर्द्ध विराम चिन्ह
(2) वाक्य के अंत किस चिह्न का प्रयोग किया जाता है ?
(क) योजक चिह्न
(ख) उद्धरण चिह्न
(ग) अल्प विराम चिह्न
(घ) पूर्ण विराम चिह्न
उत्तर:
(घ) पूर्ण विराम चिह्न
(3) जहाँ पूर्ण विराम की अपेक्षा कम रुकना अपेक्षित हो वहाँ कौन से चिह्न का प्रयोग होगा ?
(क) अल्प-विराम चिन्ह
(ख) संक्षेप चिह्न चिन्ह
(ग) अर्द्ध-विराम चिन्ह
(घ) कोष्ठक चिन्ह
उत्तर:
(ग) अर्द्ध-विराम चिन्ह
व्याख्या- जहाँ पूर्ण विराम की अपेक्षा कम रुकना अपेक्षित हो वहाँ अर्द्धविराम का प्रयोग होता है।
(4) किसी बड़े अंश का संक्षिप्त रूप दर्शाने के लिए किस चिह्न का प्रयोग किया जाता है ?
(क) संक्षेपसूचक चिह्न
(ख) अल्प-विराम
(ग) अर्द्ध-विराम
(घ) कोष्ठक
उत्तर:
(क) संक्षेपसूचक चिह्न
8. निर्देशानुसार अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद पर आधारित तीन बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 2 = 2)
(1) ‘अहमद साहब मंच पर हैं’ अर्थ के आधार पर वाक्य है-
(क) विधान वाचक
(ख) संदेह वाचक
(ग) आज्ञा वाचक
(घ) इच्छा वाचक
उत्तर:
(क) विधान वाचक
व्याख्या- अहमद साहब मंच पर हैं यह विधान वाचक वाक्य का उदाहरण है।
(2) ‘भिखारी को भोजन दो ।’ अर्थ के आधार पर वाक्य है-
(क) विधान वाचक
(ख) इच्छा वाचक
(ग) निषेधवाचक
(घ) आज्ञावाचक
उत्तर:
(घ) आज्ञावाचक
(3) कॉलम – 1 को कॉलम-2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
Img 1
विकल्प:
(क) 1-(i), 2-(ii), 3-(iii)
(ख) 1- (ii), 2- (iii), 3- (i)
(ग) 1- (iii), 2-(ii), 3- (i)
(घ) 1- (i), 2-(iii), 3- (ii)
उत्तर:
(ख) 1- (ii), 2- (iii), 3- (i)
9. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
‘ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै ।
गरीब निवाजु मुसईया मेरा माथै छत्रु धरै ||
जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै ।
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै॥
नामदेव, कबीरू तिलोचनु, सधना सैनु तरै।
कहि रविदासु सुनहू रे संतहु हरिजीउ ते सभै सरै ॥
(1) कवि ईश्वर की किस विशेषता से अभिभूत है ?
(क) ईश्वर सर्वव्यापी है ।
(ख) ईश्वर अन्तर्यामी है
(ग) ईश्वर ग़रीबों पर दया करके उनके कष्टों का निवारण करता है ।
(घ) ईश्वर गुणों का भण्डार है।
उत्तर:
(ग) ईश्वर ग़रीबों पर दया करके उनके कष्टों का निवारण करता है ।
व्याख्या- ईश्वर ग़रीबों पर दया करके उनके कष्टों का निवारण करता है क्योंकि वही सर्वसमर्थ है।
(2) कवि ने ‘ग़रीब निवाजु’ किसे कहा है ? काव्यांश के आधार पर बताइए-
(क) संसार को
(ख) बादलों को
(ग) ईश्वर को
(घ) ग़रीबों को
उत्तर:
(ग) ईश्वर को
(3) निम्नलिखित में से सत्य कथन है-
(क) अधम व्यक्ति को कोई ऊपर नहीं उठाता
(ख) अधम व्यक्ति को गोविन्द ऊपर उठाता है
(ग) अधम व्यक्ति ऊपर नहीं उठ सकता
(घ) अधम व्यक्ति नीचे ही गिरता है।
उत्तर:
(ख) अधम व्यक्ति को गोविन्द ऊपर उठाता है
(4) ‘छोति’ के लिए प्रचलित शब्द छाँटिए-
(क) छूना
(ख) अछूत
(ग) छुआछूत
(घ) छूत
उत्तर:
(ग) छुआछूत
व्याख्या- छूआछूत ‘छोति’ शब्द का प्रचलित अर्थ है।
(5) कवि ने किन-किन साधु सन्तों का नाम पंक्तियों में लिया है?
(क) नामदेव
(ख) कबीर
(ग) त्रिलोचन
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
10. निम्नलिखित दो प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 2 = 2)
(1) ‘छोति’ का क्या आशय है-
(क) छुआछूत
(ख) छतरी
(ग) छोरी
(घ) ज्योति
उत्तर:
(क) छुआछूत
व्याख्या- छोति का तात्पर्य है छूआछूत ।
(2) रैदास ने ईश्वर को ‘गरीब निवाजु’ क्यों कहा है?
(क) गरीबों पर अत्याचार करने के कारण
(ख) अमीरों पर दया करने के कारण
(ग) दीन, दुःखियों, ग़रीबों पर दया करने के कारण
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(ग) दीन, दुःखियों, ग़रीबों पर दया करने के कारण
11. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
उपनेता प्रेमचन्द, जो अग्रिम दल का नेतृत्व कर रहे थे, 26 मार्च को पैरिच लौट आए। उन्होंने हमारी पहली बड़ी बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से हमें अवगत कराया। उन्होंने कहा कि उनके दल ने कैंप-एक ( 6000 मीटर), जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झंडियों से रास्ता चिन्हित कर, सभी बड़ी कठिनाइयों का जायज़ा ले लिया गया है। उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि ग्लेशियर बर्फ की नदी है और बर्फ का गिरना अभी जारी है। हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलाव के कारण अभी तक के लिए किए गए सभी काम व्यर्थ हो सकते हैं और हमें रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता है।
(1) मार्ग में आने वाली कठिनाइयों का जायजा लेने हेतु क्या किया गया ?
(क) पुल बनाए
(ख) रस्सियाँ बाँधी
(ग) झंडियाँ लगाई गईं
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
(2) प्रेमचन्द ने पहली सबसे बड़ी बाधा किसे बताया ? विचार कीजिए और विकल्प का चयन कीजिए ।
(i) हिम शिखर ।
(ii) हिमपात दरार ।
(iii) हिम खण्ड ।
(iv) खुम्भु हिमपात ।
विकल्प :
(क) केवल (i)
(ख) केवल (ii)
(ग) केवल (iii)
(घ) केवल (iv)
उत्तर:
(घ) केवल (iv)
(3) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (B) को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए ।
कथन (A) : रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता था ।
कारण (R) : पर्वत शिखर पर हिमपात जारी था ।
विकल्प :
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत हैं
(ग) कथन (A) गलत तथा कारण (R) सही हैं ।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याया करता है।
उत्तर:
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याया करता है।
(4) प्रेमचन्द कौन था ?
(क) अग्रिम दल का कप्तान
(ख) अग्रिम दल का उपनेता
(ग) अग्रिम दल का लीडर
(घ) अग्रिम दल का गाइड ।
उत्तर:
(ख) अग्रिम दल का उपनेता
(5) ‘अनियमित’ शब्द का विलोम शब्द है-
(क) यमित
(ख) मित
(ग) नियमित
(घ) अनिय
उत्तर:
(ग) नियमित
12. निम्नलिखित दो प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 2 = 2)
(1) बछेन्द्रीपाल की पर्वतारोहण के दौरान किससे मुलाकात हुई ?
(क) तेनजिंग शेरण
(ख) अंगदोरजी
(ग) ल्हाटू
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) तेनजिंग शेरण
(2) ग्लेशियर किसे कहा जाता है ?
(क) बर्फ की चट्टान को
(ख) बर्फ़ के फूल को
(ग) बर्फ़ की नदी को
(घ) बर्फ़ के पहाड़ को
उत्तर:
(क) बर्फ की चट्टान को
खण्ड ‘ब’ (40)
(वर्णनात्मक प्रश्न)
13. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(1) पुत्र – वियोगिनी बुढ़िया माँ और संभ्रांत महिला के दुःखों की तुलना कीजिए ।
उत्तर:
भगवाना की माँ अत्यंत गरीब एवं मेहनतकश महिला है। रोज़ कमाने और रोज़ खाने वाली । भगवाना की माँ का परिवार आर्थिक तंगी के दौर से निरंतर गुज़रता रहता है। उसके बेटे भगवाना की आकस्मिक मौत ने उसे पूरी तरह हिलाकर रख दिया था। अंधविश्वास के कारण आधुनिक चिकित्सा के अभाव ने उसके बेटे भगवाना की जान ले ली, लेकिन इकलौते बेटे की मृत्यु से जड़ – सी बन चुकी भगवाना की माँ के सामने और भी दायित्व खड़े थे।
घर में अनाज का दाना नहीं होने से भूख से बिलबिलाते बच्चे एवं बुखार से तपती बहू की जान की परवाह भी उसे ही करनी थी। इसलिए उसके पास अपने इकलौते बेटे की मृत्यु का दुःख मनाने का अवसर नहीं है। वह अंदर से दुःखी है, लेकिन उसे स्वयं पर नियंत्रण रखकर घर की ज़िम्मेदारी निभानी है ।
दूसरी तरफ़ अपने बेटे की मृत्यु के बाद एक संभ्रांत महिला महीनों तक बिस्तर पकड़े रहती है । बेटे की मृत्यु ने उसे शोक संतृप्त कर दिया है और वह अपने होश को सँभाल नहीं पा रही है, उसकी तीमारदारी में दो-दो डॉक्टर लगे हुए हैं। ध्यान देने की बात यह है कि हर माँ का दिल अपने बेटे के प्रति प्रेम एवं ममता लिए एक जैसा ही होता है, लेकिन इससे ज़्यादा कड़वी सच्चाई यह भी है कि समय एवं परिस्थिति मनुष्य को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना सिखा देती है।
संभ्रांत महिला के सामने भगवाना की माँ की तरह अपने परिवार का पेट पालने की ज़िम्मेदारी नहीं है। उसके घर में भूख से बिलबिलाते बच्चे एवं बुखार से तपती बहू नहीं है और वह घर की ज़िम्मेदारी उठाने वाली एकमात्र सदस्या नहीं है। इसलिए उसे अपना दुःख मनाने का अवसर प्राप्त हो जाता है, जिसका भगवाना की माँ के पास घोर अभाव है।
(2) लेखिका के तम्बू में गिरे बर्फ़ – पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है ?
उत्तर:
लेखिका के तम्बू में गिरे बर्फ पिंड का वर्णन इस प्रकार किया गया है-
15-16 मई, 1984 को बुद्ध पूर्णिमा की रात लगभग 12:30 बजे लेखिका के कैम्प-तीन के नायलॉन के तम्बू के ऊपर एक भारी बर्फ़ का पिंड आ गिरा । यह लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से टकराया। उसकी नींद खुल गई। यह बर्फ पिण्ड कैम्प के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा। उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखण्डों, बर्फ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ़ के इस विशालकाय पुंज ने एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति और भीषण गर्जना के साथ, सीधी ढलान से नीचे आते हुए कैम्प को तहस-नहस कर दिया था। इससे प्रत्येक व्यक्ति को चोट तो लगी, पर मरा कोई नहीं ।
(3) रामन् के किन चारित्रिक गुणों के उन्हें महान् वैज्ञानिक बनाया था ? ‘वैज्ञानिक चेतना के वाहक’ पाठ के आधार परस्पटए ।
उत्तर:
जिज्ञासु प्रवृत्ति, सफ़ल वैज्ञानिक, भारतीय संस्कृति से लगाव रखने वाले, राष्ट्रीय चेतना व देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित। उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना की । अनेक शोध छात्रों का मार्गदर्शन किया। अनेक विज्ञान पत्रिकाओं का सम्पादन किया ।
व्याख्यात्मक हल :
चन्द्रशेखर वेंकट रामन् को भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव था । वे जिज्ञासु प्रवृत्ति के एक सफ़ल वैज्ञानिक थे । रामन् सदैव ही राष्ट्रीय चेतना व देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिन्तन के विकास के प्रति समर्पित थे । देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने के लिए सर चन्द्रशेखर वेंकट रामन् ने बंगलुरू में अत्यन्त उन्नत प्रयोगशाला व शोध संस्थान ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की स्थापना की । उन्होंने अनेक शोध छात्रों का मार्गदर्शन किया। साथ ही भौतिकशास्त्र को बढ़ावा देने के लिए ‘इण्डियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ नामक शोध पत्रिका निकाली। विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ‘करेंट साइंस’ नामक पत्रिका का सम्पादन भी किया।
14. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(1) कवि ने ‘नए इलाके में’ कविता में ‘समय की कमी’ की ओर क्यों इशारा दिया है ?
उत्तर:
कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी’ की ओर इशारा किया है। लोग हरदम कुछ-न-कुछ करने, बनाने और रचने की जुगाड़ में लगे रहते हैं। इस अन्धी प्रगति में उनकी पहचान खो गई है। वे स्वयं को भूल गए हैं। इस कारण उनके भीतर एक डर समा गया है कि कहीं वे अकेले तो नहीं रह गए हैं। क्या कोई उन्हें पहचानने वाला मिल पाएगा या नहीं। पुरानी स्मृतियों को सोचने के लिए वह समय की कमी महसूस कर रहा है।
(2) ‘खूशबू रचते हैं हाथ’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर:
इस कविता का प्रतिपाद्य है – श्रमिकों की दीन-हीन दशा की ओर समाज का ध्यान आकर्षित कराना । कवि उनके रहने और काम करने की विषम परिस्थितियों की ओर हमारा ध्यान दिलाता है । दूसरों की जिंदगी में खुशबू फैलाने वाले लोग स्वयं दुर्गन्धमय वातावरण में जीते हैं। वे नरकीय जीवन जीने के लिए विवश हैं। ये कूड़े-करकट के ढेरों के इर्द-गिर्द रहते हैं । इनके जीवन में गंदगी-ही-गंदगी है, पर ये सुगंधित अगरबत्तियाँ बनाते हैं। हमारा कर्त्तव्य है कि हम इनके रहने की स्थितियों में अपेक्षित सुधार लाएँ।
(3) कवि ने अपनी तुलना ईश्वर से किस रूप में की है ?
उत्तर:
कवि अपने आराध्य को याद करते हुए उनसे अपनी तुलना करता है। उनका प्रभु हर तरह से श्रेष्ठ है तथा उनके मन में निवास करता है। हे प्रभु आप चंदन तथा हम पानी हैं। आपकी सुगंध मेरे अंग-अंग में बसी है। आप बादल हैं, मैं मोर हूँ। जैसे घटा आने पर मोर नाचता है। मेरा मन भी आपके स्मरण से नाच उठता है। जैसे चकोर प्रेम से चाँद को देखता है वैसे ही मैं आपको देखता हूँ। प्रभु आप दीपक हैं तो मैं उसमें जलने वाली बाती हूँ, जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है। प्रभु आप मोती हो तो मैं माला का धागा हूँ। जैसे सोने और सुहागे का मिलन हो गया हो, प्रभु आप स्वामी हैं और मैं आपका दास हूँ। मैं सदा आपकी भक्ति करता हूँ।
15. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए-
(1) अस्वस्थ लेखिका का ध्यान गिल्लू किस तरह रखता ? इस कार्य से गिल्लू की कौन-सी विशेषता का पता चलता है ?
उत्तर:
लेखिका को एक मोटर दुर्घटना में घायल होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा था । लेखिका की अनुपस्थिति में गिल्लू का किसी काम में भी मन नहीं लगता था । यहाँ तक कि उसने अपना मनपसंद भोजन काजू खाना भी कम कर दिया था । वह हमेशा लेखिका का इंतज़ार करता रहता और किसी के भी आने की आहट सुनकर लेखिका के अस्पताल से लौट आने की उसकी उम्मीदें बढ़ जातीं। लेखिका के घर वापस आने के बाद गिल्लू तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से लेखिका का सिर एवं बाल धीरे-धीरे सहलाता रहता था । लेखिका को उसकी उपस्थिति एक परिचारिका की उपस्थिति महसूस होती । इन्हीं कारणों से लेखिका ने गिल्लू के लिए परिचारिका शब्द का प्रयोग किया है।
(2) दोनों भाइयों ने मिलकर कुएँ में नीचे उतरने की क्या युक्ति अपनाई ?
उत्तर:
कुएँ में चिट्ठियाँ गिर जाने पर दोनों भाई सहम गए और डरकर रोने लगे । छोटा भाई ज़ोर-ज़ोर से और लेखक आँख डबडबा कर रो रहा था। तभी उन्हें एक युक्ति सूझी। उनके पास एक धोती में चने बँधे थे, दो धोतियाँ उन्होंने कानों पर बाँध रखी थीं और दो धोतियाँ वह पहने हुए थे। उन्होंने पाँचों धोतियाँ मिलाकर कसकर गाँठ बाँध कर रस्सी बनाई । धोती के एक सिरे पर डंडा बाँधा, तो दूसरा सिरा चरस के डेंग पर कसकर बाँध दिया और उसके चारों ओर चक्कर लगाकर एक ओर गाँठ लगाकर छोटे भाई को पकड़ा दिया। लेखक धोती के सहारे कुएँ के बीचों-बीच उतरने लगा । छोटा भाई रो रहा था पर लेखक ने उसे विश्वास दिलाया कि वह साँप को मारकर चिट्ठियाँ ले आएगा ।
(3) लेखक ने उत्तरी त्रिपुरा जिले के जिलाधिकारी से कौन-सी उत्सुकता प्रकट की ? मानवीय जिज्ञासा के संदर्भ में पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर:
लेखक जब उत्तरी त्रिपुरा जिले के जिलाधिकारी से मिला, तो उसने स्वभाव से मिलनसार, तेजतर्रार तथा उत्साही दिखाई दे रहे जिलाधिकारी से उनाकोटी के विषय में जानने की इच्छा जताई, क्योंकि उसने उनाकोटी के बारे में सुना तो था, लेकिन उसे इस स्थान की विधिवत् जानकारी नहीं थी । जब जिलाधिकारी महोदय ने उसे बताया कि उनाकोटी भारत के बड़े शैव तीर्थों में से एक है, तो लेखक को यह उत्सुकता हुई कि दुनिया के इस हिस्से में, जहाँ युगों से आदिवासी धर्म ही फलते-फूलते रहे हैं, देश के विशालतम शैव तीर्थ (उनाकोटी) का होना कैसे संभव हुआ ?
एक अन्य महत्त्वपूर्ण बात, जिसने लेखक की उत्सुकता उनाकोटी के बारे में जानने के संदर्भ में और बढ़ा दी थी, लेखक को दिया जाने वाला ‘शूटिंग का प्रस्ताव’ था। जिलाधिकारी ने लेखक से अपनी बातचीत के क्रम में उनाकोटी में शूटिंग करने का प्रस्ताव दिया था।
16. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- (6 × 1 = 6)
1. मेरा प्रिय खिलाड़ी :
- मेरा प्रिय खिलाड़ी – सचिन तेंदुलकर ।
- सचिन और क्रिकेट एक-दूसरे के पूरक और सफल कप्तान ।
उत्तर:
मेरा प्रिय खिलाड़ी
मेरा प्रिय खिलाड़ी : सचिन तेंदुलकर- मेरा प्रिय खिलाड़ी क्रिकेट की दुनिया का जादूगर व बादशाह सचिन तेंदुलकर है। वे क्रिकेट के विश्व प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं। प्रत्येक खिलाड़ी उनके समान खेलने व बनने के स्वप्न देखता है। सचिन ने जब क्रिकेट की दुनिया में क़दम रखा उस समय वह सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे । अपने सधे हुए खेलने के तरीके व अपनी खेल भावना के कारण वह एक प्रिय खिलाड़ी हैं। सचिन एक गम्भीर स्वभाव के खिलाड़ी हैं। जब वह मैदान पर होते हैं तो सभी दर्शकों की निगाहें उन्हीं पर टिकी रहती हैं। उनके खेलने के अंदाज़ को देखकर सभी दाँतों तले अपनी अँगुलियाँ दबा लेते हैं।
सचिन और क्रिकेट एक-दूसरे के पूरक और सफल कप्तान – खेल के विपरीत परिस्थितियों में होने पर भी वह अपना संयम नहीं खोते हैं और सामान्य होकर खेल को खेलते हैं। विपक्षी खिलाड़ियों में सदैव ही उन्हें आउट करने की होड़ लगी रहती है। उन्होंने अब तक कई शतक और अर्द्धशतक बनाए हैं। उनके खेलने के तरीके की प्रशंसा केवल उनके साथी खिलाड़ी ही नहीं वरन् अन्य देशों के खिलाड़ी भी करते हैं। सचिन जब भी मैदान पर आते हैं तो शतक अथवा अर्द्धशतक पूरा होने तक मैदान पर डटे रहते हैं । उनमें एक सफल कप्तान के भी सभी गुण विद्यमान हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने कई मैच भी जीते हैं ।
इस प्रकार सचिन मेरे प्रिय खिलाड़ी हैं और मैं सदैव उनके जैसा खेलने का प्रयास करता हूँ । यद्यपि मैं जानता हूँ कि इसके लिए अत्यधिक परिश्रम की आवश्यकता है, किन्तु मैं परिश्रम से पीछे नहीं हटूंगा और भविष्य में उनके जैसा खिलाड़ी अवश्य बनूँगा ।
2. अबला नहीं, सबला है नारी :
- नारी के अनेक रूप।
- समाज में नारी की स्थिति ।
- नारी अबला नहीं सबला ।
उत्तर:
अबला नहीं, सबला है नारी
नारी के अनेक रूप- समाज में नारी के माँ, प्रेयसी, पुत्री, पत्नी अनेक रूप हैं। सम परिस्थितियों में वह देवी है तो विषम परिस्थितियों में दुर्गा भवानी। नाना रूपों में मानव जीवन को प्रभावित करने वाली नारी समाज रूपी गाड़ी का एक पहिया है जिसके बिना समग्र समाज पंगु है।
समाज में नारी की स्थिति – मानव जाति के इतिहास पर विचार करें तो ज्ञात होगा कि सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, साहित्यिक, धार्मिक आदि सभी क्षेत्रों में प्रारम्भ से ही नारी की अपेक्षा पुरुष का आधिपत्य रहा है। उसने नारी की स्वतन्त्रता छीनकर उसे पराधीन बना दिया। पुरुष प्रधान समाज ने नारी के मन-मस्तिष्क में यह बात अच्छी तरह जमा दी कि वह असहाय, हीन और अबला है किन्तु, वर्तमान समय में नारी ने स्वयं को जगाया, ऊपर उठाया, संघर्ष का संबल प्राप्त किया। स्वयं को शिक्षित करके अपने जीवन को प्रत्येक परिस्थिति का सामना करने के योग्य बनाया।
नारी अबला नहीं सबला – आज की नारी अबला न रहकर सबला बन चुकी है। वह पूरी तरह आत्मनिर्भर रहकर परिवार, समाज तथा राष्ट्र की प्रगति में योगदान दे रही है। वर्तमान युग में नारी शिक्षा, प्रशासन, चिकित्सा, सुरक्षा, राजनीति, विज्ञान, खेलकूद हर दिशा में आगे आ रही है।
नारी-जीवन के विकास पर आज समाज गर्व करता है । समाज के हर कार्य, हर क्षेत्र में आज पुरुष के समान नारी के महत्त्व को स्वीकार किया जा रहा है।
3. पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश :
- प्रकृति क्या है?
- इसके बदलते रूप और महत्त्व |
- हमारा कर्त्तव्य ।
उत्तर:
पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश
प्रकृति क्या है? – हमारे आस-पास का वातावरण पेड़, पौधे, पर्वत, पहाड़, मैदान, नदियाँ आदि हमारी प्रकृति है । प्रकृति की गोद में वो सुख है जो लाखों-करोड़ों की संपत्ति पाकर भी नहीं मिलता। इसके सानिध्य में रहकर मनुष्य जीने की प्रेरणा पाता है। प्रकृति की हरियाली में सुख और शांति है। जब प्रकृति के आकर्षण का मोहपाश खुलता है तो मनुष्य हैरान रह जाता है। प्रकृति का प्रभाव सरल – शांत और सुखकारी है। यहाँ शीतलता भी है, चंचलता भी है। विरल शांति भी है, मन को प्रसन्न करने वाले दृश्य भी हैं।
इसके बदलते रूप और महत्त्व – प्रकृति हर पल अपना रूप बदल रही है। वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश के हर पल परिवर्तित हो रहे परिवेश को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। वर्षा ऋतु में कभी पर्वत फूल रूपी आँखों के माध्यम से नीचे तालाब में अपना रूप निहारते हैं, तो कभी झरने पर्वत का गौरवगान करते हैं। कभी पर्वत बादलों के पीछे छिप जाते हैं, तो कभी शाल के वृक्ष धरती में धँसे हुए प्रतीत होते हैं। दृश्य तेज़ी से बदलते रहते हैं। वर्षा ऋतु में प्रकृति के पर्वत प्रदेश में बदलते बादलों के रूपों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो इन्द्रदेव ने इंद्रजाल फैला दिया हो । कभी मूसलाधार वर्षा, कभी धूप, कभी बादलों का छा जाना । धूप के निकलने पर आस-पास वातावरण का सौन्दर्य स्पष्ट होना, बादलों के आने से चारों ओर अंधेरा छा जाना, झरनों का मोती की लड़ियों के समान सुशोभित होना, झरनों का झर-झर के स्वर से पर्वत का यशगान करना। इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति सचमुच पल-पल अपना रूप बदलती है।
हमारा कर्त्तव्य-आजकल बढ़ते प्रदूषण और बढ़ते औद्योगीकरण के कारण प्रकृति का स्वरूप बिगड़ने लगा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, वर्षा निश्चित नहीं है। अतः हमारा कर्त्तव्य है कि हमें वृक्षों को नहीं काटना चाहिए तथा वृक्षारोपण करना चाहिए । पर्वतीय पर्यटन-स्थलों पर जाकर गंदगी नहीं फैलानी चाहिए। प्लास्टिक की बोतलों और पॉलिथिन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
17. वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम आने पर अपने मित्र को बधाई देते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (6 × 1 = 6)
उत्तर:
273 A, गांधीनगर,
नई दिल्ली।
दिनांक : 17-10-20xx
प्रिय मित्र, सुगम,
सप्रेम नमस्कार।
आज ही सुबह समाचार-पत्र में तुम्हारा फोटो देखा और पता चला कि तुम अंतरविद्यालयी वाद-विवाद प्रतियोगिता में पूरी दिल्ली में प्रथम आए हो। यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई। सचमुच हम सब के लिए यह बड़ी प्रसन्नता की बात है; यह उपलब्धि तुम्हारी योग्यता के अनुरूप ही है। ईश्वर करे तुम और भी ऊँचाइयों को छुओ और इसी प्रकार जीवन में सफलता प्राप्त करते रहो। कृपया इस उपलब्धि के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
अपने माता-पिता को भी मेरी ओर से बधाई देना।
तुम्हारा मित्र,
प्रमोद
18. नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए और चित्र को आधार बनाकर उसका परिचय देते हुए कोई लेख, घटना अथवा कहानी लिखिए, जिसका सीधा व स्पष्ट सम्बन्ध चित्र से होना चाहिए। (5×1=5)
उत्तर:
प्रस्तुत चित्र में किसी माध्यमिक विद्यालय के छात्र- -छात्राएँ विद्यालय परिसर में सफ़ाई करते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनके हाथ में झाड़ू है। वे पूरी तन्मयता व जोश के साथ इस सफाई अभियान में जुटे हुए हैं। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वच्छता अभियान पूरे देश में चलाया हुआ है। स्वच्छता के महत्त्व को देखते हुए विद्यार्थियों ने अपने शहर को साफ़ करने का जो प्रयास आरम्भ किया है वह सराहनीय है। जिस प्रकार स्वस्थ रहने के लिए स्वयं की सफ़ाई की आवश्यकता होती है उसी प्रकार हमें अपने आस-पास भी सफाई रखनी चाहिए। सफ़ाई की आदत का विकास बचपन से करना उचित होता है । घर हो या विद्यालय, बच्चे को यहाँ-वहाँ कचरा न फेंकने व कूड़ेदान में कचरा डालने की सीख देनी चाहिए । समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाकर अन्य लोगों को भी साफ़-सफाई रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। हमें अपनी सफाई भी रखना आवश्यक है । स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए । बाल व नाखूनों को समय पर काटते रहना चाहिए । घर के अन्दर और बाहर भी नियमित सफाई करनी चाहिए। स्वच्छ वातावरण में हमारा स्वास्थ्य भी ठीक रहता है और हम कई बीमारियों से बच जाते हैं।
इस प्रकार इन विद्यार्थियों द्वारा स्वच्छता के दिए संदेश को अपने जीवन में अपनाकर हम स्वच्छ भारत का सपना साकार कर सकते हैं। इसके लिए हमें मिलजुल कर आपसी सहयोग से सतत् रूप से कार्य करने की आवश्यकता है।
19. पुत्री द्वारा बनाए गए चित्र को लेकर माँ – पुत्री में हुए संवाद को लगभग 100 शब्दों में लिखिए । (5×1=5)
अथवा
परीक्षा निकट आने पर दो मित्रों के बीच संवाद को लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
माँ-पुत्री में संवाद-
माँ – आशिमा, इधर बैठकर चित्र बनाना सीखो। तुमने चित्र में लड़की की आँखें ठीक नहीं बनाईं।
आशिमा – पुस्तक में तो इसी तरह बनी हुई हैं।
माँ – ध्यान से देखो तो तुम्हें पता चल जाएगा। चित्र बनाकर रंग भी ठीक से भरना।
आशिमा – मम्मी! आप चिंता न करें। मैं ड्राइंग की इस पुस्तक जैसा ही चित्र बनाऊँगी।
माँ – मेरी इच्छा है कि बड़ी होकर तुम बहुत अच्छी चित्रकार बनो ।
आशिमा – मम्मी, हमारे दीपांकर सर बहुत बड़े चित्रकार हैं । उनके चित्रों की प्रदर्शनियाँ मुंबई और नई दिल्ली तक में लग चुकी हैं। वे कहते हैं कि मैं बहुत अच्छी चित्रकार बनूँगी ।
माँ – शाबाश आशिमा! मुझे तुमसे ऐसी ही आशा है।
अथवा
दो मित्रों के बीच संवाद
तरुण – चार मार्च से हमारी परीक्षा शुरू होने वाली है और कुल पंद्रह दिन रह गए। अभी तक मेरी हिंदी की तैयारी भी शुरू नहीं हुई है। क्या करूँ, कुछ समझ में नहीं आता।
रूपम – ऐसा क्यों? हिन्दी अच्छी नहीं लगती क्या ?
तरुण – नहीं, ऐसी बात तो नहीं है । पर विज्ञान, गणित और अंग्रेज़ी की पढ़ाई से फुर्सत मिले तब न, सामाजिक विज्ञान में भी इतना रटना पड़ता है कि क्या बताऊँ ?
रूपम – लेकिन इस प्रकार हिन्दी को ताक पर उठाकर रख देना भी तो उचित नहीं।
तरुण – यह तो मैं भी मानता हूँ पर क्या करूँ ? अच्छा, अब बताओ, जल्दी-जल्दी इसकी तैयारी कैसे करूँ?
रूपम – सुनो, अब प्रतिदिन कम-से-कम दो घंटे हिन्दी विषय के अध्ययन के लिए रखो और पहले पाठ्य-पुस्तक के पाठों को ध्यान से पढ़ो और अपनी कॉपी में किए गए प्रश्नोत्तर याद करो। फिर व्याकरण को खूब ध्यान से पढ़ो। अगर एक बार उसके नियम समझ में आ जाएँ तो फिर उन्हें याद करना कोई मुश्किल काम नहीं । एक काम करो, ओसवाल बुक्स की ‘क्वेश्चन बैंक कक्षा-9’ मेरे पास है । उसे ले जाकर तैयारी करो ।
तरुण – तो ठीक है, ऐसा ही करता हूँ।