Students can access the CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A with Solutions and marking scheme Set 5 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 5 with Solutions
निर्धारित समय: 3 घण्टे
पूर्णांक: 80
1. इस प्रश्नपत्र में दो खण्ड हैं- खण्ड ‘अ’ और ‘ब’ । खण्ड-अ में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खण्ड-ब में वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
2. प्रश्नपत्र के दोनों खण्डों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
3. यथासम्भव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए ।
4. खण्ड ‘अ’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 44 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
5. खण्ड ‘ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
खण्ड – ‘अ’ (बहुविकल्पीय / वस्तुपरक प्रश्न)
अपठित गद्यांश व काव्यांश (10 अंक)
1. निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय / वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
आप दुःखों से डरिए मत। घबराइए मत, काँपिए मत, उन्हें देखकर चिन्तित या व्याकुल मत होइए, वरन् उन्हें सहन करने को तैयार रहिए, किन्तु सच्चे सहृदय मित्र की तरह भुजा पसार कर मिलिए ।
खबरदार: ऐसा मत कहना, कि यह संसार बुरा है, दुष्ट है, पापी है, दुःखमय है। ईश्वर की पुण्य कृति, जिसके कण-कण में उसने कारीगरी भर दी है, कदापि बुरी नहीं हो सकती । सृष्टि पर दोषारोपण करना तो उसके कर्ता पर आक्षेप करना होगा। ‘यह घड़ा बहुत बुरा बना है’- इसका अर्थ है – कुम्हार को नालायक बताना। आपका पिता इतना नालायक नहीं है जितना कि आप । ‘दुनिया दुःखमय है’ – यह शब्द कह कर उसकी प्रतिष्ठा पर लांछन लगाते हैं । ईश्वर की पुण्य भूमि में दुःख का एक अणु भी नहीं है। हमारा अज्ञान ही हमारे लिए दुःख है। आइए, अपने अन्दर से समस्त कुविचारों और दुर्गुणों को धोकर अन्तःकरण को पवित्र कर लें जिससे दुःखों की आत्यंतिक निवृत्ति हो जाए और हम परम पद प्राप्त कर सकें।
(1) दुःख का मूल कारण क्या है?
(क) अंधकार
(ख) हमारी अज्ञानता
(ग) हमारे कुविचार
(घ) अविश्वास
उत्तर:
(ख) हमारी अज्ञानता
(2) हमें परम पद कैसे प्राप्त हो सकता है ?
(क) जब हमारा अंत:करण पवित्र होगा।
(ख) जब हम अज्ञान से युक्त होंगे।
(ग) जब हम दुःखों से घबरा जाएँगे ।
(घ) जब हम दुःखों से पलायन करने लगेंगे।
उत्तर:
(क) जब हमारा अंत:करण पवित्र होगा।
व्याख्या-हम अपने समस्त कुविचारों और दुर्गुणों को धोकर अपने अन्तःकरण को पवित्र कर परम पद को प्राप्त कर सकते हैं।
(3) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उचित विकल्प चुनिए-
कथन (A) : सृष्टि पर दोषारोपण करना सही है ।
कारण (R) : यह संसार दुःखमय है।
(क) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
(घ) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत हैं।
व्याख्या-सृष्टि पर दोषारोपण करना ईश्वर पर आक्षेप करना है तथा संसार को दुःखमय कहना ईश्वर की प्रतिष्ठा पर लांछन लगाने के समान है।
(4) ‘मनुष्य को अपने अंदर सकारात्मक प्रवृत्तियों को विकसित करना चाहिए’ – उपर्युक्त कथन के पक्ष में निम्नलिखित तर्कों पर विचार कीजिए-
1. एक सच्चे मित्र की भाँति भुजा पसार कर दुःखों का स्वागत कर सकें ।
2. दुःखों से डरें या घबराएँ नहीं ।
3. दुःखों का सामना कर सकें।
(क) 1 सही है।
(ख) 2 सही है।
(ग) 3 सही है।
(घ) ये सभी ।
उत्तर:
(घ) ये सभी ।
(5) ‘पुण्यकृति’ शब्द का समास विग्रह और समास का नाम है-
(क) पुण्य की कृति – तत्पुरुष समास
(ख) पुण्य से भरी कृति – तत्पुरुष समास
(ग) पुण्य से भरी है जो कृति – कर्मधारय समास
(घ) पुण्य और कृति – द्वंद्व समास
उत्तर:
(ग) पुण्य से भरी है जो कृति – कर्मधारय समास
2. निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय / वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए ।
निजता की संकीर्ण क्षुद्रता
तेरे सुविपुल में खो जाए,
ओ दुस्सह तेरी दुस्सहता
सहज सह्य हमको हो जाए ।
ओ कृतान्त हमको भी दे जा
निज कृतान्तता का कुछ अंश,
नई सृष्टि के नवोल्लास में,
फूट पड़े तेरा विभ्रंश !
नव भूखंड अमृत के घट – सा
दे ऊपर की ओर उछाल
सागर का अन्तस्तल मथ कर
तेरे विप्लव का भूचाल ।
जीर्ण-शीर्णता के दुर्गों को
कुसंस्कार के स्तूपों को
ढा दे एक साथ ही उठकर
दुर्जय तेरा क्रोध कराल
कुछ भी मूल्य नहीं जीवन का
हो यदि उसके पास न ध्वंस;
ओ कृतान्त हमको भी दे जा
निज कृतान्तता का कुछ अंश ।
ओ भैरव, कवि की वाणी का
मृदु माधुर्य लजा दे आज,
वंशी के ओठों पर अपना,
निर्मम शंख बजा दे आज ।
(1) काव्यांश में ‘संकीर्ण क्षुद्रता’ का क्या अभ्रिपाय है?
(क) समाज की स्वार्थ पूर्ण क्षुद्र मानसिकता
(ख) समाज में व्याप्त कुरीतियाँ
(ग) समाज के जीर्ण-शीर्ण कुसंस्कार
(घ) उपर्युक्त सभी कथन सही हैं
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी कथन सही हैं
(2) कवि ‘नव भूखंड अमृत के घट-सा, दे ऊपर की ओर उछाल ‘के माध्यम से ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है?
(क) वह हमारे जीवन में अमृत भर दे ।
(ख) ईश्वर हमें अमर कर दें।
(ग) हमें नवीन उत्साह और आत्मविश्वास रूपी अमृत से भरा जीवन दें।
(घ) सारे संसार को अमृत के घड़े जैसा बना दें।
उत्तर:
(ग) हमें नवीन उत्साह और आत्मविश्वास रूपी अमृत से भरा जीवन दें।
(3) कवि मानव से कैसे क्रोध की अपेक्षा करता है?
(क) सब कुछ नष्ट कर देने वाले
(ख) जो समाज की कुरीतियों और कुसंस्कारों को जलाकर राख कर दे ।
(ग) जिसे देखकर सब भयभीत हो जाएँ ।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) जो समाज की कुरीतियों और कुसंस्कारों को जलाकर राख कर दे ।
व्याख्या-कवि मानव से ऐसे क्रोध की अपेक्षा करता है जो समाज की कुरीतियों और कुसंस्कारों को जलाकर राख कर दें।
(4) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उचित विकल्प चुनिए-
कथन (A) : समाज के उत्थान के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन करने वाले व्यक्ति का जीवन मूल्यवान होता है।
कारण (R) : वह समाज में अपने नियम चलाता है।
(क) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है ।
(घ) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(ग) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है ।
(5) काव्यांश में आए ‘कुसंस्कार’ और ‘निजता’ शब्दों में प्रयुक्त उपसर्ग और प्रत्यय हैं-
(क) कुसंस्कार में ‘कुसं’ उपसर्ग और निजता में ‘जता’ प्रत्यय
(ख) कुसंस्कार में ‘संस्कार’ उपसर्ग और निजता में ‘नि’ प्रत्यय
(ग) कुसंस्कार में ‘र’ उपसर्ग और निजता में ‘ता’ प्रत्यय
(घ) कुसंस्कार में ‘कु’ उपसर्ग और निजता में ‘ता’ प्रत्यय
उत्तर:
(घ) कुसंस्कार में ‘कु’ उपसर्ग और निजता में ‘ता’ प्रत्यय
व्याकरण (16 अंक)
3. निर्देशानुसार ‘ उपसर्ग और प्रत्यय’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
(1) ‘अव’ उपसर्ग से निर्मित शब्द है-
(क) अवन्य
(ख) अवरेण्य
(ग) अवशेष
(घ) अवाम
उत्तर:
(ग) अवशेष
व्याख्या-‘अवशेष’ शब्द में ‘अव’ उपसर्ग का प्रयोग किया गया है।
(2) ‘अना’ प्रत्यय से निर्मित शब्द है-
(क) भावना
(ख) जुर्माना
(ग) पहचाना
(घ) रोजाना
उत्तर:
(क) भावना
व्याख्या-‘भावना’ शब्द ‘भाव’ मूल शब्द में ‘अना’ प्रत्यय जोड़कर बना है
(3) ‘अ’ उपसर्ग से निर्मित शब्द है-
(क) अन्याय
(ख) अन्नपूर्णा
(ग) अन्यथा
(घ) अन्य
उत्तर:
(क) अन्याय
(4) ‘लिखावट’ में प्रयुक्त मूल शब्द और प्रत्यय है-
(क) लिख्, वट
(ख) लिख, अवट
(ग) लिख, आवट
(घ) लिखाव, ट
उत्तर:
(ग) लिख, आवट
व्याख्या-‘लिखावट’ शब्द ‘लिख’ मूल शब्द तथा ‘आवट’ प्रत्यय से बना है।
(5) ‘अनुपम’ शब्द में उपसर्ग है-
(क) अन्
(ख) अनु
(ग) आ
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) अनु
व्याख्या-‘अनुपम’ शब्द ‘ अनु’ उपसर्ग से बना शब्द है।
4. निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
(1) ‘राम-लक्ष्मण’ का समास विग्रह कर समास का नाम बताइए –
(क) राम है जो लक्ष्मण – कर्मधारय समास
(ख) राम और लक्ष्मण – द्विगु समास
(ग) राम और लक्ष्मण – द्वंद्व समास
(घ) राम और लक्ष्मण – बहुव्रीहि समास
उत्तर:
(ग) राम और लक्ष्मण – द्वंद्व समास
व्याख्या-राम-लक्ष्मण समस्तपद में दोनों पद राम और लक्ष्मण प्रधान होने के कारण द्वंद्व समास है।
(2) ‘चक्रपाणि’ का समास विग्रह कर समास का नाम बताइए-
(क) चक्र और पाणि- द्वंद्व समास
(ख) चक्र के लिए पाणि- तत्पुरुष समास
(ग) चक्र है जो पाणि- कर्मधारय समास
(घ) चक्र पाणि में है जिसके अर्थात् विष्णु – बहुव्रीहि समास
उत्तर:
(घ) चक्र पाणि में है जिसके अर्थात् विष्णु – बहुव्रीहि समास
व्याख्या-‘चक्रपाणि’ समस्तपद में कोई भी पद प्रधान न होकर अपितु समस्त पद ‘विष्णु’ की विशेषता का कार्य कर रहा है।
(3) ‘आनंदमग्न’ का समास विग्रह कर समास का नाम बताइए-
(क) आनंद के लिए मग्न – तत्पुरुष समास
(ख) आनंद में मग्न – तत्पुरुष समास
(ग) आनंद से मग्न – तत्पुरुष समास
(घ) आनंद का मग्न – तत्पुरुष समास
उत्तर:
(ख) आनंद में मग्न – तत्पुरुष समास
(4) ‘बेनाम’ का विग्रह कर समास का नाम बताइए-
(क) बिना ही नाम का – द्वन्द्व समास
(ख) बिना नाम के – अव्ययीभाव समास
(ग) बिना के नाम के कर्मधारय समास
(घ) बिना नाम का ही – द्वन्द्व समास
उत्तर:
(ख) बिना नाम के – अव्ययीभाव समास
व्याख्या-‘बेनाम’ समस्तपद में पूर्व पद ‘बे’ अव्यय शब्द होने के कारण अव्ययीभाव समास है।
(5) ‘नीलगाय’ का विग्रह कर समास का नाम बताइए-
(क) नीली है जो गाय – कर्मधारय समास
(ख) नील गाय है जो – कर्मधारय समास
(ग) नीले रंग की गाय है जो – द्विगु समास
(घ) नीली जो है गाय – कर्मधारय समास
उत्तर:
(क) नीली है जो गाय – कर्मधारय समास
5. निर्देशानुसार ‘अर्थ के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(1) ‘क्या कक्षा में छात्र शांतिपूर्वक बैठे हैं? ‘ को आज्ञावाचक वाक्य में बदलिए-
(क) क्या कक्षा में छात्र शांतिपूर्वक बैठते हैं ?
(ख) छात्र कक्षा में शांतिपूर्वक बैठें।
(ग) भगवान करे छात्र कक्षा में शांतिपूर्वक बैठे हों ।
(घ) शायद छात्र कक्षा में शांतिपूर्वक बैठे हैं।
उत्तर:
(ख) छात्र कक्षा में शांतिपूर्वक बैठें।
(2) ‘वह गायब हो गया।’ विस्मयवाचक वाक्य में बदलिए-
(क) वह अरे ! गायब हो गया ।
(ख) वह गायब अरे हो गया ।
(ग) अरे ! वह गायब हो गया ।
(घ) वह गायब हो गया अरे !
उत्तर:
(ग) अरे ! वह गायब हो गया ।
(3) ‘मैं आज बाज़ार नहीं गई ।’ अर्थ के आधार पर वाक्य भेद बताइए-
(क) आज्ञावाचक वाक्य
(ख) विधानवाचक वाक्य
(ग) निषेधवाचक वाक्य
(घ) संकेतवाचक वाक्य
उत्तर:
(ग) निषेधवाचक वाक्य
व्याख्या-‘मैं आज बाज़ार नहीं गई ।’ वाक्य में ‘नहीं’ शब्द के कारण यह निषेधवाचक वाक्य है।
(4) ‘तुम्हारा जूता फटा है।’ प्रश्नवाचक में बदलिए-
(क) तुम्हारा जूता क्या फटा है ?
(ख) तुम्हारा क्या जूता फटा है ?
(ग) तुम्हारा जूता फटा है क्या ?
(घ) क्या तुम्हारा जूता फटा है ?
उत्तर:
(घ) क्या तुम्हारा जूता फटा है ?
व्याख्या-‘ क्या तुम्हारा जूता फटा है ? ‘ वाक्य में ‘क्या’ शब्द के कारण यह प्रश्नवाचक वाक्य है।
(5) “ईश्वर सबको खुश रखता है । ‘ इच्छावाचक वाक्य में बदलिए-
(क) ईश्वर खुश सबको ही रखे।
(ख) खुश सबको ईश्वर रखे।
(ग) ईश्वर सबको ही खुश रखे।
(घ) ईश्वर सबको खुश रखे।
उत्तर:
(घ) ईश्वर सबको खुश रखे।
6. निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(1) ‘मधुर मृदु मजुल मुख मुस्कान । ‘ में अलंकार है-
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) यमक अलंकार
उत्तर:
(क) अनुप्रास अलंकार
व्याख्या-‘म’ वर्ण की आवृत्ति के कारण यह अनुप्रास अलंकार है।
(2) ‘नागिन-सा रूप है तेरा । ‘ में अलंकार है-
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर:
(ग) उपमा अलंकार
व्याख्या – नागिन के रूप से तुलना होने के कारण उपमा अलंकार है ।
(3) ‘प्रात: नभ था, बहुत नीला शंख जैसे । ‘ में अलंकार है-
(क) रूपक अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) यमक अलंकार
उत्तर:
(ख) उपमा अलंकार
(4) ‘वह बाँसुरी की धुनि कानि परे, कुल कानि हियों तजि भाजति है। ‘ में अलंकार है-
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) यमक अलंकार
उत्तर:
(घ) यमक अलंकार
व्याख्या-यहाँ ‘कानि’ शब्द की दो बार आवृत्ति’ है। प्रथम कानि का अर्थ ‘कान’ तथा दूसरे कानि का अर्थ मर्यादा है अतः यमक अलंकार है।
(5) ‘पायो जी मैंने राम रतन धन पायो । ‘ में अलंकार है-
(क) उपमा अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) यमक अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर:
(ख) रूपक अलंकार
पाठ्य पुस्तक क्षितिज भाग-1 (14 अंक)
गद्य खण्ड (7 अंक)
7. निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
पता नहीं, इतिहास में कब कृष्ण ने वृंदावन में रासलीला रची थी और शोख गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाया था। कब माखन भरे भाँड़े फोड़े थे और दूध – छाछ से अपने मुँह भरे थे। कब वाटिका में, छोटे-छोटे किंतु घने पेड़ों की छाँह में विश्राम किया था। कब दिल की धड़कनों को एकदम से तेज़ करने वाले अंदाज़ में बंसी बजाई थी और पता नहीं कब वृदांवन की पूरी दुनिया संगीतमय हो गई थी। पता नहीं यह सब कब हुआ था ? लेकिन कोई आज भी वृंदावन जाए तो नदी का साँवला पानी उसे पूरे घटनाक्रम की याद दिला देगा। हर सुबह, सूरज निकलने से पहले, जब पतली गलियों से उत्साह भरी भीड़ नदी की ओर बढ़ती है, तो लगता है जैसे उस भीड़ को चीरकर अचानक कोई सामने आएगा और बंसी की आवाज़ पर सब किसी के कदम थम जाएँगे। हर शाम सूरज ढलने से पहले, जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा, तो लगता है जैसे बस कुछ ही क्षणों में वह कहीं से आ टपकेगा और संगीत का जादू वाटिका के भरे-पूरे माहौल पर छा जाएगा। वृंदावन कभी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली हुआ है क्या ?
(1) वृंदावन में श्रीकृष्ण ने कौन-कौन सी रासलीलाएँ रचाईं ?
(क) माखन की हड़िया फोड़ डाली
(ख) चुरा – चुरा कर माखन खाने की लीला
(ग) दूध, छाछ गिराने और खाने की
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
व्याख्या-वृंदावन में श्रीकृष्ण ने गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाया। उन्होंने मक्खन और दही से भरी मटकियाँ फोड़ीं। खूब माखन खाया । वाटिकाओं और कुंजों में बंसी बजाई ।
(2) वृंदावन जाने पर सैलानियों को क्या याद आता है ?
(क) घंटियों की आवाज़
(ख) मधुर बंसी की आवाज़
(ग) दरवाज़ें खुलने की आवाज़
(घ) बच्चों के रोने की आवाज़
उत्तर:
(ख) मधुर बंसी की आवाज़
व्याख्या-वृंदावन जाने पर सैलानियों को श्रीकृष्ण की मधुर बंसी की याद अवश्य आती है। उन्हें ऐसा लगता है मानों अभी कोई भीड़ को चीरकर सामने प्रकट होगा और उसकी मधुर बंसी को सुनकर सबके कदम थम जाएँगे ।
(3) कृष्ण की बाँसुरी के जादू से कौन-सा स्थान खाली नहीं होता ?
(क) द्वारका
(ख) हस्तिनापुर
(ग) मथुरा
(घ) वृंदावन
उत्तर:
(घ) वृंदावन
व्याख्या-वृंदावन कभी भी श्रीकृष्ण की मधुर बंसी के प्रभाव से मुक्त नहीं होता । उसका जादू सदैव छाया रहता है।
(4) गद्यांश में प्रयुक्त ‘शोख’ शब्द का अर्थ लिखिए ।
(क) चंचल
(ख) मूर्ख
(ग) बुद्धिहीन
(घ) विवेकी
उत्तर:
(क) चंचल
व्याख्या-‘शोख’ उर्दू भाषा का शब्द है, इसका अर्थ है-चंचल।
(5) वाटिका पर किसका जादू छा जाएगा?
(क) संगीत का
(ख) फूलों का
(ग) माली का
(घ) सैलानियों का
उत्तर:
(क) संगीत का
8. ‘क्षितिज भाग – I’ के गद्य पाठों पर आधारित निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 2 = 2)
(1) थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में किसकी जान-पहचान के लोग थे ? उससे उन्हें क्या लाभ हुआ ?
(क) लेखक के मित्र सुमति के, उन्हें ठहरने के लिए अच्छी जगह मिली।
(ख) लेखक के, उनकी खूब आवभगत हुई ।
(ग) वहाँ के जागीरदार के, उन्होंने दोनों की सुरक्षा का ध्यान रखा ।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) लेखक के मित्र सुमति के, उन्हें ठहरने के लिए अच्छी जगह मिली।
व्याख्या-इस गाँव में सुमति की जान पहचान के बहुत व्यक्ति थे इसलिए भिखमंगे के भेष में भी उन लोगों को ठहरने के लिए अच्छी जगह मिल गई ।
(2) लेखक और प्रेमचंद की फ़ोटो में क्या अंतर है?
(क) लेखक की अँगुली ऊपर से ढकी है, पंजा नीचे से घिस रहा है
(ख) लेखक और प्रेमचंद दोनों की स्थिति समान है
(ग) लेखक और प्रेमचंद दोनों की अँगुली दिख रही है
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) लेखक की अँगुली ऊपर से ढकी है, पंजा नीचे से घिस रहा है
व्याख्या-लेखक दिखावे की प्रवृत्ति के कारण कष्ट झेलता है जबकि प्रेमचंद फटा जूता पहनकर भी खुश प्रतीत होते हैं।
काव्य खण्ड (7 अंक)
9. निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
काली त, रजनी भी काली तू,
शासन की करनी भी काली
काली लहर कल्पना काली
मेरी काल कोठरी काली
टोपी काली, कमली काली
मेरी लौह श्रृंखला काली
पहरे की हुंकृति की ब्याली
तिस पर है गाली, ऐ आली
इस काले संकट – सागर पर
मरने की मदमाती ।
(1) कवि ने ‘हुंकृति की ब्याली’ किसे बताया है ?
(क) पहरे को
(ख) खाने को
(ग) काल कोठरी को
(घ) रात को
उत्तर:
(क) पहरे को
(2) कवि ने काली किसे कहा है?
(क) अपनी तकदीर को
(ग) जुबान को
(ख) अपने जीवन को
(घ) ब्रिटिश शासन की करतूत
उत्तर:
(घ) ब्रिटिश शासन की करतूत
व्याख्या-कवि ने कोयल को, रात को, ब्रिटिश शासन की काली करतूतों को, कालकोठरी को, मन में उठने वाली कल्पनाओं को, हथकड़ी को काली कहा है।
(3) काली चीजें किसका निर्माण कर रही हैं ?
(क) उत्साह का
(ख) द्वेष का
(ग) निराशा का
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) निराशा का
(4) उत्साह के वातावरण का निर्माण कौन कर रही है?
(क) चिड़िया
(ख) पंछी
(ग) कोयल
(घ) मैना
उत्तर:
(ग) कोयल
व्याख्या-कोयल अपने गीतों से चारों ओर जोश और उत्साह के वातावरण का निर्माण कर रही है ।
(5) प्रस्तुत पद्यांश से रूपक अलंकार का उदाहरण है-
(क) संकट सागर
(ख) काली लहर कल्पना काली
(ग) काला रंग कोकिल का
(घ) रजनी भी काली
उत्तर:
(क) संकट सागर
10. पाठ्यपुस्तक में निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित दो प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 2 = 2)
(1) कवयित्री ललद्यद का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) श्रीनगर के एक गाँव में
(ख) कश्मीर स्थित पाम्पोर के सिमपुरा गाँव में
(ग) हिमाचल प्रदेश में
(घ) इम्फाल में
उत्तर:
(ख) कश्मीर स्थित पाम्पोर के सिमपुरा गाँव में
व्याख्या-कश्मीरी भाषा की लोकप्रिय संत कवयित्री ललद्यद का जन्म कश्मीर स्थिति पाम्पोर के सिमपुरा गाँव में हुआ था ।
(2) कबीर के अनुसार ईश्वर कहाँ है ?
(क) मन्दिर में
(ख) मस्ज़िद में
(ग) सर्वव्यापक
(घ) कहीं भी नहीं
उत्तर:
(ग) सर्वव्यापक
व्याख्या-ईश्वर की प्राप्ति मन्दिर, मस्ज़िद में नहीं होती, वह सर्वव्यापक है।
खण्ड – ‘ब’ (40)
(वर्णनात्मक प्रश्न)
पाठ्य पुस्तक क्षितिज भाग-1 व पूरक पाठ्य पुस्तक कृतिका भाग-1 (20 अंक)
11. गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए – (2 × 3 = 6)
(1) दो बैलों की कथा के आधार पर बताएँ कि कांजीहौस में पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी ?
उत्तर:
दो बैलों की कथा पाठ में वर्णित कांजीहौस पशुओं की एक प्रकार की जेल थी । उसमें प्रतिदिन पशुओं की हाज़िरी पशुओं की संख्या पर नजर रखने के लिए ली जाती होगी। इससे यह जानने में सुविधा होती थी कि किसी की मृत्यु तो नहीं हो गई या कोई पशु भाग तो नहीं गया।
(2) थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में लेखक को भिखमंगे के वेश में क्यों रहना पड़ा ?
उत्तर:
भिखमंगे पर डाकू हमला नहीं करते । भद्र के वेश में डाकुओं का भय था । इसलिए थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में लेखक को भिखमंगे के वेश में रहना पड़ा।
(3) सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री जी के सामने पर्यावरण से सम्बन्धित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं। पठित पाठ ‘साँवले सपनों की याद’ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर:
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को बताया होगा कि रेगिस्तानी गर्म हवाओं के झोंकों से ‘साइलेंट वेली’ के झुलसने का खतरा है। हरियाली समाप्त हो जाएगी। जीव-जन्तुओं के जीवन पर संकट आ जाएगा। यह जानकर चौधरी साहब द्रवित हो उठे थे।
(4) प्रेमचंद साधारण किसानों की भाँति जीवन-यापन करते थे । यद्यपि वे राष्ट्रीय ख्याति के कथाकार थे फिर भी उनका रहन-सहन आडम्बरहीन था। वे साधारण धोती-कुर्ता पहनते थे । उनके साधारण-से जूतों को देखकर उनके किन गुणों का परिचय मिलता है ?
उत्तर:
बुराइयों को छोड़ दें / समानता का भाव लाएँ / दिखावा / आडम्बर न करें ।
व्याख्यात्मक हल –
प्रेमचंद के साधारण-से जूतों को देखकर हमें बुराइयों को छोड़ने का, सभी के साथ समानता का व्यवहार करने का, कभी भी दिखावा न करने की प्रवृत्ति का और आडम्बर-हीन जीवन-यापन करने जैसे गुणों का परिचय मिलता है।
12. निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए- (2 × 3 = 6)
(1) न खाकर बनेगा अहंकारी, कहकर किस तथ्य की ओर संकेत किया है ?
उत्तर:
‘न खाकर बनेगा अहंकारी’ में इस तथ्य की ओर संकेत किया गया है कि मानव परमात्मा को प्राप्त करने के लिए तरह-तरह के बाह्य आडंबर करता हैं भूखे रहकर व्रत करता है परंतु उसे वह स्वयं को संयमी और शरीर पर नियंत्रण रखने वाला मान लेता है। इससे उसके मन में अहंकर उत्पन्न हो जाता है । वह स्वयं को योगी पुरुष मानने लगता है । अर्थात् इन्द्रिय निग्रह, व्रत, संयम आदि से मन में त्यागी होने का अहंकार आ जाता है।
(2) कवि रसखान का ब्रज के वन, बाग, तड़ाग को निहारने के पीछे क्या कारण है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
ब्रज के वन, बाग, तड़ाग से श्रीकृष्ण की स्मृतियाँ जुड़ी हैं इसलिए रसखान उन्हें निहारना चाहते हैं। इससे रसखान का श्रीकृष्ण के प्रति अथाह प्रेम प्रकट होता है।
(3) बच्चों को किस प्रकार की सुख-सुविधाएँ मिलनी चाहिए ? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पाठ के आलोक में लिखिए ।
उत्तर:
शिक्षा, खेलने के लिए आँगन एवं बगीचे ।
किताबें, खिलौने।
व्याख्यात्मक हल :
बच्चों को काम पर भेजना उनके साथ घोर अन्याय है। बचपन भविष्य की नींव होता है । इस पर ही देश का भविष्य निर्भर करता है। जिस समाज में बच्चों के विकास को कुचला जाता है वह समाज अन्यायी तथा अविकसित है तथा पिछड़ेपन का जीता-जागता उदाहरण है। जो किसी बड़े हादसे के ही समान है।
(4) गोपी सारे स्वांग अर्थात् क्रियाकलाप श्रीकृष्ण के अनुरूप ही करने को तैयार है पर ऐसी कौन-सी वस्तु है जिससे उसे परहेज है ? और क्यों ?
उत्तर:
गोपी अपनी सखी के कहने पर श्रीकृष्ण के सारे क्रिया-कलाप करने को तैयार है किन्तु वह अपने अधरों पर मुरली नहीं रखेगी। वह मुरली को अपनी सौत मानती है क्योंकि वह मुरली हमेशा कृष्ण के होठों से लगी रहती है जिसके कारण उन्हें कृष्ण का सानिध्य प्राप्त नहीं होता हैं। यहाँ मुरली के प्रति गोली के मन में ईष्याभाव है। अतः उसे अपने होठों पर वह धारण नहीं करेगी ।
13. पूरक पाठ्यपुस्तक कृतिका भाग-I के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(1) माटी वाली कौन थी ? उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
माटीवाली एक गरीब अनुसूचित जाति की महिला थी । वह बूढ़ी महिला पूरे टिहरी शहर में घर-घर लाल मिट्टी देने जाती थी जो लिपाई-पुताई के काम आती है। वह जिस प्रकार का जीवन जी रही थी उससे हमें मेहनत और ईमानदारी से जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा मिलती है। परिवार के प्रति निष्ठावान रहने की सीख भी उसके जीवन से हमें प्राप्त होती है। साथ ही यह भी प्रेरणा मिलती है कि जीवन में पढ़ना-लिखना कितना आवश्यक है ।
(2) कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों ?
उत्तर:
कथावस्तु के आधार पर ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की प्रमुख पात्र है – उमा । उमा इस एकांकी के केन्द्र में है एवं सम्पूर्ण कहानी उसी के इर्द-गिर्द घूमती है। एकांकी की प्रमुख घटना उमा के विवाह से ही सम्बन्धित है। उसे देखने लड़के वाले आते हैं। परन्तु वह अपनी उच्च शिक्षा एवं लड़के शंकर की चरित्रहीनता की बात दृढ़तापूर्वक प्रकट कर देती है । अपने सद्गुणों, आदर्शों एवं स्पष्टवादिता के आधार पर उमा ही इस एकांकी की मुख्य पात्र सिद्ध होती है । वह एक सच्चरित्र, उच्च शिक्षा प्राप्त, आकर्षक व्यक्तित्व वाली युवती है।
(3) टिहरी शहरवासियों के लिए माटीवाली का क्या महत्त्व था ? वे माटीवाली को किस तरह पहचानते थे ?
उत्तर:
टिहरी निवासी माटी वाली को भली-भाँति जानते थे। हर घर वाला, बच्चा, किराएदार सब जानते थे क्योंकि हर घर में लाल मिट्टी देने वाली वह अकेली स्त्री थी । उसके बिना टिहरी शहर में चूल्हे जलाना कठिन था । लोगों के सामने रसोई और भोजन के बाद चूल्हे – चौके की लिपाई करने की समस्या पैदा हो जाएगी। हर घर में रोज़ लाल मिट्टी की ज़रूरत पड़ती थी । इसलिए माटी खाने से लाल मिट्टी लाकर हर घर में मिट्टी देने वाली को हर कोई जानता था।
लेखन (20 अंक)
14. निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए- (6 × 1 = 6)
(1) आज़ादी अभी अधूरी है
[ संकेत बिंदु – आज़ादी का महत्त्व, पूर्ण आज़ादी से तात्पर्य, आज़ादी की सुरक्षा कैसे ? ]
उत्तर:
आज़ादी अभी अधूरी है
आज़ादी का महत्त्व – स्वतंत्रता मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है। स्वतंत्रता मनुष्य को ही नहीं बल्कि जीव-जंतुओं तथा पक्षियों को भी प्रिय है। कहा भी गया है-पराधीन सपनेहुँ सुख नाहिं।
अंग्रेज़ों की गुलामी को भारतवासी सहन नहीं कर सके। वे इस गुलामी की जंजीरों को काटने का अनवरत प्रयास करते रहे और अंततः 15 अगस्त, 1947 को शताब्दियों से खोई स्वतंत्रता हमें पुनः प्राप्त हो गई। इस दिन को हम ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाने लगे।
पूर्ण आज़ादी से तात्पर्य – हमें यह आज़ादी अनेक बलिदानों के पश्चात् प्राप्त हुई है, परंतु यह अभी पूर्ण आज़ादी नहीं है। हम आज भी मानसिक तौर पर गुलाम हैं। हमें इस स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सदैव सजग रहना चाहिए। स्वार्थवश कोई ऐसा कार्य न करें, जिससे भारत कलंकित हो अथवा इसकी स्वतंत्रता को कोई हानि पहुँचाए ।
आज़ादी की सुरक्षा कैसे ? – इसके लिए भारतीयों को न सिर्फ बाहरी ताकतों से अपितु देश के भीतर छिपे गद्दारों से भी सावधान रहने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें सभी में देशभक्ति की भावना को जाग्रत करना होगा। अपने अधिकारों के साथ अपने कर्त्तव्यों का भी पालन करना होगा। अपनी कानून व्यवस्था को दुरस्त करना होगा, तभी हम अपनी आज़ादी को सुरक्षित रख पाएँगे।
(2) बहुत कठिन है इंसान बनना
[ संकेत बिंदु – इंसान से तात्पर्य, कठिन क्यों ?, क्या करें ? ]
उत्तर:
बहुत कठिन है इंसान बनना
इंसान से तात्पर्य – इंसान से तात्पर्य है – जिसमें इंसानियत हो अर्थात् ऐसा प्राणी, जो दूसरे को पीड़ा में देखकर दु:खी होता है और उन्हें प्रसन्न देख सुख का अनुभव करता है । जो दया, स्नेह, क्षमा, परोपकार आदि गुणों से युक्त होता है, वही वास्तव में इंसान कहलाने योग्य होता है।
कठिन क्यों? – इंसान बनना बहुत कठिन है, विशेषकर वर्तमान समय में। आज मनुष्य स्वार्थी होता जा रहा है। लोभ, घृणा, ईर्ष्या, अहंकार आदि दानवी प्रवृत्तियाँ अपना मोहजाल तेज़ी से फैला रही हैं वहीं मानवीय मूल्यों व नैतिक शिक्षा का ह्रास हो रहा है। दूसरों से आगे निकलने की होड़ ने मनुष्य को अंधा बना दिया है। वह दूसरों को हानि पहुँचाकर, उसे गिराकर स्वयं की तरक्की करने के हर संभव प्रयास में लगा रहता है। भौतिक सुख-सुविधाओं के अंधानुकरण में वह अपने मानव धर्म को भूलता जा रहा है। जिन आदर्शों का पालन करना उसका कर्त्तव्य होना चाहिए उसे वह कोरी काल्पनिक बातें और बकवास समझता है।
क्या करें? – सही मायनों में इंसान बनने के लिए हमें अपने मन को संयमित करना होगा । नेकी, ईमानदारी, संवेदनशीलता, करुणा आदि को जीवन में अपनाते हुए बचपन से ही इनका अभ्यास प्रारम्भ करना होगा । धर्म सदाचार का पालन करना होगा । एक सच्चा इंसान बनना कठिन अवश्य है पर असंभव नहीं ।
(3) स्कूल इमारत की आत्मकथा
[ संकेत बिंदु – निर्माण कथा, बच्चों का साथ, मेरा सपना ।]
उत्तर:
स्कूल इमारत की आत्मकथा
निर्माण कथा – शिक्षा प्राप्त करना हर बच्चे का अधिकार है, लेकिन आज भी भारत में कई गाँव शिक्षा से वंचित है । ऐसे ही एक गाँव में शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए मेरे निर्माण का निर्णय लिया गया। गाँव के प्रधान ने मेरे निर्माण के लिए भूखंड दान में देकर नींव रखीं। कई मज़दूर रात-दिन कार्य में लगाए गए क्योंकि अप्रैल माह से प्रारम्भ होने वाले सत्र से पहले मेरे निर्माण का लक्ष्य हासिल कर लेना था। धन व समय की कमी के कारण कई गाँव वाले भी श्रमदान करने को आगे आए। निःस्वार्थ भाव से मेरे निर्माण में बहाए उनके पसीने से मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करने लगी। मेरा निर्माण एक महान् उद्देश्य की पूर्ति के लिए हो रहा था । धीरे-धीरे मैं आकार लेने लगी । छोटी-बड़ी कई कक्षाएँ, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, शौचालय आदि का निर्माण होने लगा। एक बगीचे के द्वारा मेरे आँचल को हरा-भरा बनाया गया। तरह-तरह के फर्नीचर, श्यामपट्ट, पुस्तकों, खेल के सामान आदि साधनों से मुझे सजाया गया।
बच्चों का साथ-सत्र के प्रारम्भ होते ही छोटे-बड़े कई बच्चे विद्यालयी गणवेश में सुसज्जित होकर मेरे आँगन में आए। उनकी किलकारियों व शरारतों से मेरा नीरस वातावरण गुंजायमान हो उठा। उनकी शिक्षा प्राप्ति में सहायक बन मैं स्वयं को धन्य मानने लगी।
मेरा सपना – मेरा यही सपना है कि भविष्य में मेरा आकार समय-समय पर विस्तार लेता रहे ताकि अधिकाधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर एक आदर्श नागरिक बन सकें और जीवन में सफ़लता प्राप्त करें।
15. किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए- (5 × 1 = 5)
बस कंडक्टर के सहानुभूतिपूर्ण और विनम्र व्यवहार की प्रशंसा करते हुए परिवहन निगम के प्रबंधक को एक पत्र लिखिए ।
अथवा
अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखकर धन्यवाद दीजिए कि आड़े वक्त में उसने किस तरह आपका साथ दिया था ?
उत्तर:
सेवा में,
मुख्य प्रबन्धक,
हरियाणा राज्य परिवहन,
अंबाला ।
महोदय,
निवेदन है कि मैं जयपुर का निवासी हूँ। मैं हरियाणा राज्य की बस सेवा का कायल हूँ । आपकी बस व्यवस्था बहुत कुशल, चुस्त-दुरुस्त और गतिशील है। पिछले दिनों मैंने आपके एक बस चालक का ऐसा संवेदनशील और उदार व्यवहार देखा कि मैं उसका प्रशंसक हो गया हूँ ।
जयपुर से पानीपत जाने वाली बस संख्या RJBW143115 का चालक रामवीर सिंह बस का कंडक्टर था । रास्ते में हमारे सामने एक स्कूटर और ट्रक की टक्कर हो गई । स्कूटर – सवार लहूलुहान सड़क पर पड़ा था। सभी वाहन उसे तड़पता छोड़कर अपने-अपने रास्ते पर जा रहे थे। तब रामवीर सिंह ने बस रुकवाई । मुझे पता नहीं कि वह यात्री जीवित बचा या नहीं, परन्तु आपके ड्राइवर व कंडक्टर ने उसकी प्राण-रक्षा करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। मैं उनके ऐसे मानवीय और उदार व्यवहार की प्रशंसा करता हूँ । आपके विभाग से निवेदन करता हूँ कि उन्हें सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाए ताकि औरों को भी प्रेरणा मिले।
भवदीय,
नवनीत लाल,
335 A, गाँधीनगर
जयपुर
दिनांक …………
अथवा
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्कार।
संसार में सभी लोग एक-जैसे नहीं होते। तुम जैसे अच्छे मित्र बिरले ही होते हैं। मैं अपने को भाग्यशाली मानता हूँ कि तुम जैसे भले मित्र ने मुझे बेहद परेशानी के दिनों में आर्थिक सहायता करके मेरा साथ दिया। एतदर्थ में हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ। इन क्षणों को जीवन-भर याद रखूँगा। तुम जैसा मित्र जीवन में मिलना कठिन होता है। यह मेरा सौभाग्य है कि तुमने केवल सहायता ही नहीं दी मुझे, बल्कि समय-समय पर मेरा उचित भी मार्गदर्शन किया जिसकी वजह से मैं आज प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हूँ। मैं सदा तुम्हारा रहूँगा।
तुम्हारा सन्मित्र,
सुशील कुमार राठौर,
अहमद नगर ।
दिनांक …………..
मोबाइल न.
16. ‘गढ़ा धन’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लगभग 100 शब्दों में लघुकथा लिखिए । (5 × 1 = 5)
अथवा
अपने कर्मचारियों को कार्य समय में परिवर्तन की सूचना हेतु लगभग 100 शब्दों में ई-मेल लिखिए ।
उत्तर:
गढ़ा धन
एक बार एक किसान था । उसके पास काफी ज़मीन थी। वह किसान बहुत परिश्रमी था । वह खेतों में बहुत मेहनत करता जिससे फ़सल होती थी, लेकिन उसके चार लड़के थे और चारों ही बहुत आलसी थे। वे खेती के काम में किसान की मदद नहीं करते और सारा दिन यहाँ-वहाँ घूमते रहते। किसान उन्हें बहुत समझाता लेकिन उनकी समझ में कोई बात नहीं आती जिससे किसान बहुत परेशान रहता, लेकिन किसान की पत्नी उसे यह कहकर सांत्वना देती कि बड़े होने पर बच्चे समझदार हो जाएँगे।
धीरे-धीरे समय बीतता गया । किसान वृद्ध हो गया, लेकिन उसके लड़कों को समझ नहीं आई। जब किसान का अंत समय आया तो उसने अपने चारों लड़कों को अपने पास बुलाकर कहा कि मैं आज तुम्हें एक रहस्य बताना चाहता हूँ। हमारे खेत में एक खजाना गढ़ा है। मैं चाहता हूँ कि तुम खेत को खोदकर खजाना निकाल लो और चैन से जीवनयापन करो ।
खजाने के बारे में सुनते ही आलसी बेटों की आँखों में चमक आ गई। लेकिन खजाना खेत में किस तरफ़ गढ़ा है, यह पूछने से पहले ही किसान की मृत्यु हो गई। खजाने के लालच में चारों भाइयों ने पूरे खेत की गहराई तक खुदाई की लेकिन उन्हें कहीं खजाना नहीं मिला। वे निराश हो गए। तब किसान के मित्र ने उन्हें खेत में कुछ बीज बोने की सलाह दी। चारों ने वैसा ही किया। चारों यह देखकर हैरान रह गए कि इस बार जैसी फ़सल पहले कभी नहीं हुई थी। वे समझ गए कि किसान उन्हें किस खजाने के बारे में बताना चाहता था। अब उन्होंने खेतों में कठिन परिश्रम कर खजाना प्राप्त करने की सीख मिल चुकी थी ।
अथवा
From : [email protected]
To : [email protected]
CC : [email protected]
BCC : ………..
दिनांक : 02-04-XX
विषय : कार्य समय में परिवर्तन की सूचना देने हेतु ।
प्रिय साथियों,
हमारी कंपनी बढ़ रही है और हर हफ़्ते परियोजनाओं की अच्छी आमद हो रही है। यह आपको समर्पित और समयबद्ध होम वर्क से संभव हुआ है। इसे बनाए रखने हेतु हमने तय किया है कि काम के घण्टे में 30 मिनट बढ़ा दिए जाएँ। संशोधित समय सुबह 8:30 से शाम 5 बजे तक होगा। समय बढ़ाने के साथ-साथ आपके वेतन में दस प्रतिशत की भी वृद्धि की जाएगी। साथ ही अच्छे प्रदर्शन के लिए बोनस की भी व्यवस्था की गई है। यह 5 अप्रैल 20XX से प्रभावी होगा। आप सभी का सहयोग हमारी कम्पनी के लिए अति आवश्यक हैं।
सुझावों के साथ आएँ, यदि कोई हो तो।
साभार
मुन्ना भाई
मैनेजर ऑफ कम्पनी
17. दो राष्ट्र प्रेमी मित्रों के बीच देश की वर्तमान अवस्था पर हुए संवाद को लगभग 80 शब्दों में लिखिए । (4 × 1 = 4)
अथवा
विद्यालय में छुट्टी के उपरान्त फुटबॉल खेलना सीखने की विशेष कक्षाएँ आयोजित की जाएँगी। इच्छुक विद्यार्थियों द्वारा अपना नाम देने हेतु सूचना पट्ट के लिए लगभग 80 शब्दों में एक सूचना लिखिए ।
उत्तर:
दो मित्रों के मध्य संवाद
प्रकाश : पुष्पेन्द्र, कल रात को नरेन्द्र मोदी का राष्ट्र के नाम सन्देश सुना।
पुष्पेन्द्र : हाँ, सुना, मज़ा आ गया। अचानक 500 और 1000 के नोट बन्द करके कालाधन इकट्ठा करने वालों की जड़ें ही हिला दीं ।
प्रकाश : बिल्कुल ठीक और इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव पाकिस्तान पर पड़ेगा। अब वह आतंकवादियों को शरण नहीं दे पाएगा।
पुष्पेन्द्र : हाँ प्रकाश, सही कह रहे हो क्योंकि पाकिस्तान के आतंकी संगठन 500 व 1000 के नकली नोटों के द्वारा हमारे युवाओं को आतंकवादी बनाते थे । पर अब धन न होने से उनके मंसूबे ध्वस्त हो जाएँगे।
प्रकाश : ठीक कह रहे हो परन्तु हमारे देश के नेता तो बौखला रहे हैं क्योंकि काले धन से चुनाव लड़ने की उनकी तैयारी धरी रह गई।
पुष्पेन्द्र : सही बात है वैसे कुछ अच्छे परिवर्तन करने के लिए थोड़ी-बहुत परेशानी तो उठानी पड़ती है।
प्रकाश : कोई बात नहीं। राष्ट्र हित में हम इतनी परेशानी तो उठा ही सकते हैं।
अथवा
क.ख.ग. विद्यालय, राजनगर, दिल्ली फुटबॉल खेलना सीखने के संदर्भ में
दिनांक- ……………….
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय की छुट्टी के उपरांत विद्यालय के मैदान में फुटबॉल सीखने की विशेष कक्षाएँ आयोजित की जाएँगी। फुटबॉल सीखने की विशेष कक्षाओं का आयोजन इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अगले महीने राज्य स्तर पर फुटबॉल की प्रतियोगिता होने वाली है। इस प्रतियोगिता में सभी विद्यालयों की टीमों को आमंत्रित किया गया है। साथ ही प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करने वाली टीम को पाँच हज़ार की राशि से सुरस्कृत किया जाएगा तथा इससे विद्यालय का भी नाम रोशन होगा । इच्छुक विद्यार्थी कल तक अपना नामांकन खेल सचिव के पास लिखवा दें।
राजेश भदौरिया
(खेल सचिव)