Students can access the CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions and marking scheme Set 10 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 10 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
(i) निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
(ii) इस प्रश्न पत्र में खंड “अ’ में वस्तुपरक तथा खंड “ब में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
(iii) खंड “अ’” में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
(iv) खंड “ब” में वर्णनात्मक ग्रएन पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
(v) दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(vi) यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्त क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न (अंक 40)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (10 × 1 = 10)
हिंदी के बारे में या उसके विरोध के बारे में जब भी कोई हलचल होती है, तो राजनीति का मुखौटा ओढ़े रहने वाले भाषा व्यवसायी बेनकाब होने लगते हैं। उनकी बेचैनी समझ में नहीं आती । संविधान में स्पष्ट प्रावधानों के बाद भी यह अविश्वास का माहौल बनता क्यों है? यहाँ हम केवल एक ही प्रावधान को याद करें। संविधान के अनुच्छेद 351 में हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश देते हुए स्पष्ट कहा गया है: “संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे, जिससे वह भारत की सामाजिक संस्कृति के सभी तत्त्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात् करते हुए और जहाँ आवश्यक या वांछनीय हो वहाँ उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणत: अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे।’
यही सब देखकर हिंदी के विषय में अक्सर यह लगने लगता है जैसे संविधान के संकल्पों का निष्कर्ष कहीं खो गया है और हम निर्माताओं के आशय से कहीं दूर भटक गए हैं। सहज ही मन में ये प्रश्न उठते हैं कि हमने संविधान के सपने को साकार करने के लिए. क्या किया ? क्यों नहीं हमारे कार्यक्रम प्रभावी हुए ? क्यों और कैसे अंग्रेजी भाषा की मानसिकता हम पर और हमारी युवा एवं किशोर पीढ़ी पर इतनी हावी हो चुकी है कि इसी मिट्टी से जन्मी हमारी अपनी भाषाओं की अस्मिता और भविष्य संकट में प्रतीत होता है। शिक्षा में, व्यापार और व्यवहार में , संसदीय , शासकीय एवं न्यायिक प्रक्रियाओं में हिंदी और प्रादेशिक भाषाओं को वर्चस्व क्यों नहीं मिल पा रहा ?
1. भारतीय संविधान में कुल कितनी भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है?
(क) 20
(ख) 21
(ग) 22
(घ) 23
उत्तर:
(ग) 22
2. भाषा व्यवसायी से क्या अभिप्राय है?
(क) भाषा में व्यवसाय करने वाला।
(ख) भाषा के मुद्दे से लाभ कमाने वाला।
(ग) प्रकाशन के क्षेत्र में कार्य करने वाला।
(घ) विज्ञापन के क्षेत्र में कार्य करने वाला।
उत्तर:
(ख) भाषा के मुद्दे से लाभ कमाने वाला।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (I) संघ को हिन्दी भाषा के विकास का कर्त्तव्य बताया गया है।
कथन (II) राज्य को हिन्दी भाषा के विकास का कर्त्तव्य बताया गया है।
‘कथन (III) केन्द्रशासित प्रदेशों को हिन्दी भाषा के विकास का कर्त्तव्य बताया गया है।
कथन (IV) केवल ग्रामीण क्षेत्रों को हिन्दी भाषा के विकास का कर्तव्य बताया गया है।
गद्यांश के अनुसार कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(क) केवल कथन (II) सही है।
(ख) केवल कथन (IV) सही है।
(ग) केवल कथन (I) सही है।
(घ) केवल कथन (III) सही है।
उत्तर:
(ग) केवल कथन (I) सही है।
4. हमारी मिद्टी से जन्मी हमारी भाषाओं की अस्मिता व भविष्य पर संकट उत्पन्न होने का कारण है-
(क) शिक्षा का प्रसार
(ख) संविधान की कमजोरी
(ग) अंग्रेजी भाषा का हावी होना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) अंग्रेजी भाषा का हावी होना
व्याख्या–अंग्रेज़ी भाषा की मानसिकता हम पर और हमारी युवा एवं किशोर पीढ़ी पर इतनी हावी हो चुकी है कि हमारी मिट्टी से जन्मी हमारी भाषाओं की अस्मिता और भविष्य संकट में प्रतीत होता है।
5. हिंदी और प्रादेशिक भाषाओं के उत्थान के लिए आवश्यक है, कि-
(क) उनका अधिक-से-अधिक प्रयोग किया जाए।
(ख) उन्हें समृद्ध बनाया जाए।
(ग) कानूनी मान्यता दिलाई जाए।
(घ) धर्म के नाम पर लोगों को डराया जाए।
उत्तर:
(क) उनका अधिक-से-अधिक प्रयोग किया जाए।
6. संविधान के किस अनुच्छेद में हिंदी भाषा के विकास हेतु निर्देश दिए गए हैं ?
(क) अनुच्छेद 350
(ख) अनुच्छेद 351
(ग) अनुच्छेद 352
(घ) अनुच्छेद 353
उत्तर:
(ख) अनुच्छेद 351
7. किस क्षेत्र में हिंदी और प्रादेशिक भाषाओं का वर्चस्व स्थापित नहीं हो पा रहा है?
(को शिक्षा में।
(ख) व्यापार और व्यवहार में।
(ग) शासकीय एवं न्यायिक प्रक्रियाओं में।
(घ) उपर्युक्त सभी ।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी ।
8. कौन-सी भाषा हमारी युवा एवं किशोर पीढ़ी पर हावी हो चुकी है ?
(क) हिंदी
(ख) जर्मनी
(ग) अंग्रेजी
(घ) मैथिली
उत्तर:
(ग) अंग्रेजी
9. संविधान की किस अनुसूची में भारतीय भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है ?
(क) पाँचर्वीं
(ख) छठी
(ग) सातर्वी
(घ) आठवीं
उत्तर:
(घ) आठवीं
10. राजनीति का मुखौटा ओढ़े रहने वाले भाषा व्यवसायी बेनकाब होने लगते हैं क्योंकि-
(क) राजनीति समानता को बढ़ावा देती है।
(ख) समाज में केवल ग्रामीण व्यक्ति हैं।
(ग) राजनीति समानता को बढ़ावा नहीं देती है।
(घ) आर्थिक समानता केवल राजनीति द्वारा आती है।
उत्तर:
(ग) राजनीति समानता को बढ़ावा नहीं देती है।
प्रश्न 2.
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
यादें होती हैं गहरी नदी में उठे भंवर की तरह
नसों में उतरती कड़वी दवा की तरह
या खुद के भीतर छिपे बैठे साँप की तरह
जो औचके में देख लिया करता है
यादें होती हैं जानलेवा खुशबू की तरह
ग्राणों के स्थान पर बैठे जानी दुश्मन की तरह
शरीर में धैंसे उस काँच की तरह
जो कभी नहीं दिखता
पर जब-तब अपनी सत्ता का
भरपूर एहसास दिलाता रहता है
यादों पर कुछ भी कहना
ख़ुद को कठघरे में खड़ा करना है
पर कहना मेरी मजबूरी है।
1. कवि ने किसे जानी दुश्मन की तरह माना है ?
(क) मित्रों को
(ख) यादों को
(ग) नदी को
(घ) खुशबू को
उत्तर:
(ख) यादों को
व्याख्या-कवि की यादें कड़वी हैं, उसे डराने और रुलाने वाली हैं। इसलिए उसे वे जानी दुश्मन की तरह मानता है।
2. कवि ने यादों के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है? ह।
(क) शरीर में धँसे काँच की तरह।
(ख) नदी में उठी भँवर की तरह।
(ग) जानलेवा खुशबू की तरह।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।
3. यादों को मन में हलचल पैदा कर अतीत की गहराइयों में ले जाने के कारण कवि ने उन्हें क्या कहा है ? ह।
(क) जानी दुश्मन की तरह।
(ख) भीतर छिपे बैठे साँप की तरह।
(ग) नदी में उठे भँवर की तरह।
(घ) कड़वी दवा की तरह।
उत्तर:
(ग) नदी में उठे भँवर की तरह।
4. उपरोक्त काव्यांश में कवि ने स्वयं के विषय में अपने विचार व्यक्त किए हैं। निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (I) खुद पर कुछ भी कहना खुद को कठवघरे में खड़ा करने के समान है।
कथन (II) खुद पर कुछ भी कहना नेता समझने के समान है।
कथन (III) खुद पर कुछ भी कहना सम्मानित करने के समान है।
कथन (IV) खुद पर कुछ भी कहना दूसरों पर अँगुली उठाने के समान है।
निम्नलिखित विकल्पों पर विचार कीजिए तथा सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(क) केवल कथन (I) सही है।
(ख) केवल कथन (IV) सही है।
(ग) केवल कथन (III) सही है।
(घ) केवल कथन (II) सही है।
उत्तर:
(क) केवल कथन (I) सही है।
5. कॉलम (1) को कॉलम (2) से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए-
कॉलम-1 | कॉलम-2 | ||
1 | कठपरे में खड़ा करना | i | स्वयं को |
2 | बैठे जानी दुश्मन की तरह | ii | प्राणों केस्थानपर |
3 | कड़बीदवाकीतरह | iii | नसों में उतरती |
विकल्प
(क) (1)-(iii), (2)-(ii), (3)-(i)
(ख) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
(ग) (1)-(ii), (2)-(i), (3)-(iii)
(घ) (1)-(ii), (2)-(iii), (3)-(i)
उत्तर:
(ख) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
अभिव्यक्ति और माध्यम अंक (5)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
1. भुगतान के आधार पर काम करने बाले पत्रकार कहलाते हैं ?
(क) फ्रीलांसर
(ख) वॉचडॉग
(गे) बीट
(घ) संपादक
उत्तर:
(क) फ्रीलांसर
व्याख्या-फ्रीलांसर पत्रकार भुगतान के आधार पर अलग-अलग अख़बारों के लिए लिखते हैं।
2. समाचार के प्रारम्भिक अंश को क्या कहते हैं ?
(क) इन्ट्रो
(ख) बॉडी
(गु) ककार
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) इन्ट्रो
व्याख्या-समाचार के विस्तृत तत्त्वों को घटते क्रम में लिखना बॉडी कहलाता है तथा समाचार का प्रारंभ-भाग इन््ट्रो/मुखड़ा कहलाता है। इसे उल्टा पिरामिड शैली कहते हैं।
3. निम्न में से प्रिंट मीडिया का माध्यम है-
(क) टेलीविज़न
(ख) रेडियो
(ग) सिनेमा
(घ) समाचार-पत्र
उत्तर:
(घ) समाचार-पत्र
व्याख्या-प्रिंट मीडिया/मुद्रित माध्यम जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में से सबसे पुराना माध्यम है। वास्तव में आधुनिक युग की शुरुआत मुद्रण के आविष्कार से हुई।
4. सिनेमा है-
(क) श्रव्य माध्यम
(ख) प्रिंट माध्यम
(ग) दृश्य माध्यम
(घ) सभी
उत्तर:
(ग) दृश्य माध्यम
5. ऑल इंडिया रेडियो वर्तमान में किस संस्था के अंतर्गत है ?
(क) प्रसार भारती
(ख) भारतीय टेलीकॉम
(ग) डी. डी. नेशनल
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) प्रसार भारती
व्याख्या-सन् 1997 में आकाशवाणी को केन्द्र सरकार के सीधे नियंत्रण से निकालकर प्रसार भारती नाम के स्वायत्तशासी निकाय को सौंप दिया गया।
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 अंक (10)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
प्रात: नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
1. प्रातः कालीन आकाश की तुलना किससे की गई है ?
(क) नीली सिल से
(ख) नीले शंख से
(ग) नदी के पानी से
(घ) नीले आँचल से
उत्तर:
(ख) नीले शंख से
व्याख्या-कविता में प्रात: कालीन आकाश की तुलना नीले शंख से की है क्योंकि प्रातः:कालीन का आकाश बहुत गहरा नीला दिखाई देता है। उस समय सूर्य उदय नहीं हुआ होता जिस कारण आकाश गहरी नीलिमा लिए सुंदर प्रतीत होता है।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए पद्मांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए-
(क) कवि ने भोर के नभ को राख से लीपा चौका बताया है।
(ख) कवि ने भोर के नभ को गंदा पड़ा चौका बताया है।
(ग) कवि ने भोर के नभ को खड़िया पोता हुआ बताया है।
(घ) कवि ने भोर के नभ को बिखरा पड़ा चौका बताया है।
उत्तर:
(क) कवि ने भोर के नभ को राख से लीपा चौका बताया है।
व्याख्या-अंधकार की कालिमा से युक्त आसमान में भोर का हल्का प्रकाश फैलने से आसमान राख से लिपे गीले चौके के समान स्लेटी रंग का नजर आता है।
3. “लाल केसर’ का प्रयोग किसके लिए हुआ है ?
(क) प्रेयसी के लाल-लाल गालों के लिए
(ख) पूजा के लिए लाए लाल चंदन के लिए
(ग) सुबह की लालिमायुक्त किरणों के लिए
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) सुबह की लालिमायुक्त किरणों के लिए
व्याख्या-प्रातःकाल में नीले आसमान में छाई सूर्य की लालिमा युक्त किरणों को लाल केसर की उपमा दी गई है।
4. निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): काव्यांश में गाँव की सुबह का गतिशील चित्रण किया गया है।
कारण (R): इसमें ग्रामीण दृश्यों जैसे-लिपा चूल्हा, नन््हें हाथ इत्यादि सुन्दर चित्र को उकेरा गया है।
विकल्प
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दानों गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
उत्तर:
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
व्याख्या-उषा कविता में ग्रामीण दृश्यों, जैसे–लिपा चूल्हा, स्लेट की कालिमा पर चाक से रंग मलते अदृश्य नन््हें हाथ, नीले जल में झिलमिलाती सुन्दरी जैसे शब्दों से सुंदर चित्र उकेरा गया है।
5. उपर्युक्त काव्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) दिन जल्दी-जल्दी ढलता है
(ख) भोर और बरखा
(ग) प्रातःकाल
(घ) उषा
उत्तर:
(घ) उषा
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
जहाँ बैठ के यह लेख लिख रहा हूँ उसके आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ, शिरीष के अनेक पेड़ हैं। जेठ की जलती धूप में, जबकि धरित्री निर्धूम अग्निकुंड बनी हुई थी, शिरीष नीचे से ऊपर तक फूलों से लद गया था। कम फूल इस प्रकार की गर्मी में फूल सकने की हिम्मत करते हैं। कर्णिकार और आरग्वध (अमलतास) की बात मैं भूल नहीं रहा हूँ। वे भी आस-पास बहुत हैं। लेकिन शिरीष के साथ आरग्वध की तुलना नहीं की जा सकती। वह पद्रंह-बीस दिन के लिए फूलता है, वसंत ऋतु के पलाश की भाँति। कबीरदास को इस तरह पद्रंह दिन के लिए लहक उठना पसंद नहीं था। यह भी क्या कि दस दिन फूले और फिर खंखड़-के-खंखड़-दिन दस फूला फूलिके खंखड़ भया पलास !’ ऐसे दुमदारों से तो लँडूरे भले। फूल है शिरीष। वसंत के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक जो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गया तो भरे भादों में भी निर्घात फूलता रहता है। जब उमस से प्राण ‘उबलता रहता है और लू से हृदय सूखता रहता है, एकमात्र शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता का मंत्र प्रचार करता रहता है। यद्यपि कवियों की भाँति हर फूल-पत्ते को देखकर मुग्ध होने लायक हृदय विधाता ने नहीं दिया है, पर नितांत दूँठ भी नहीं हूँ। शिरीष के पुष्प मेरे मानस में थोड़ा हिल्लोल जरूर पैदा करते हैं।
1. शिरीष कब नीचे से ऊपर तक फूलों से लद जाता है?
(क) जेठ की जलती धूप में
(ख) पौष के महीने की सर्दी में
(ग) श्रावण के महीने की वर्षा ऋतु में
(घ) चैत्र की वसंत ऋतु में
उत्तर:
(क) जेठ की जलती धूप में
व्याख्या-जेठ महीने की जलती धूप में जब पृथ्वी भी निर्निमिष रूप में एक जलते हुए अग्निकुंड की तरह लगती है और जब सभी पेड़-पौधे गर्मी की मार से सूखने लगते है, शिरीष तब नीचे से ऊपर तक फूलों से लद॒ जाता है।
2. गद्यांश में लेखक ने किन फूलों के नाम लिए हैं जिनकी तुलना शिरीष से नहीं हो सकती ?
(क) कर्णिकार (कनेर)
(ख) आरग्वध (अमलतास)
(ग) पलाश
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
व्याख्या-लेखक ने कनेर, अमलतास, पलाश फूलों के बारे में कहा है कि इनकी तुलना शिरीष से नहीं हो सकती क्योंकि ये सभी फूल पंद्रह-बीस दिन के लिए ही खिलते हैं लेकिन शिरीष छः महीने तक खिला रहता है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए गद्यांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए-
(क) शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन में निःस्वार्थी बनने के मंत्र का प्रचार करता है।
(ख) शिरीष कालजर्यी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता के मंत्र का प्रचार करता है।
(ग) शिरीष कालजर्यी अवधूत की भाँति जीवन में सुखी होने के मंत्र का प्रचार करता है।
(घ) शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन में सकारात्मक होने के मंत्र का प्रचार करता है।
उत्तर:
(ख) शिरीष कालजर्यी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता के मंत्र का प्रचार करता है।
व्याख्या-जब उमस से प्राण उबल रहे होते हैं और लू से हृदय भी सूखता रहता है, एकमात्र शिरीष है जो किसी कालजयी अवधूत के समान खिला हुआ होता है और विपरीत परिस्थितियों में भी जीवन में अजेयता के मंत्र का प्रचार करता है।
4. कॉलम (1) को कॉलम (2) से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए-
कॉलम-1 | कॉलम-2 | ||
1 | शिरीष के अनेक पेड़ | i | दाएँ-बाएँ |
2 | अग्निकुंड बनी हुई थी | ii | धरित्री निर्धूम |
3 | आरग्वध कौ तुलना नहीं की जा सकती | iii | शिरीष के साथ |
विकल्प
(क) (1)-(i), (2)-(iii), (3)-(ii)
(ख) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
(ग) (1)-(ii), (2)-(iii), (3)-(i)
(घ) (1)-(iii), (2)-(ii), (3)-(i)
उत्तर:
(ख) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
5. “शिरीष के फूल’ के रचयिता का नाम है-
(क) फणीश्वर नाथ रेणु
(ख) धर्मवीर भारती
(ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर:
(ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 अंक (10)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (10 × 1 = 10)
1. यशोधर बाबू को स्वयं के लिए कौन-सा संबोधन पसंद था?
(क) कुँवर सा
(ख) लाडेसर
(ग) बाबू
(घ) भाऊ
उत्तर:
(घ) भाऊ
2. बुढ़ापे में गाँव के पुश्तैनी घर में रहने में क्या समस्या थी ?
(क) उस पर बहुत लोगों का हक था
(ख) वह घर दूटा-फूटा था
(ग) मरम्मत में काफ़ी पैसा खर्च करना पड़ता
(घ) उपर्युक्त सभी हे
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी हे
व्याख्या-गाँव का पुश्तैनी घर बहुत टूटा-फूटा था। उसकी मरम्मत में काफ़ी पैसा भी खर्च करना पड़ता। साथ ही उस पर बहुत लोगों का हक भी था इसलिए बुढ़ापे में गाँव के पुश्तैनी घर में रहने में समस्या थी।
3. गीता की व्याख्या में जनार्दन शब्द सुनकर यशोधर बाबू को किसकी याद आ गई ?
(क) जीजा की
(ख) मित्र की
(ग) चाचा की
(घ) भाई की
उत्तर:
(क) जीजा की
व्याख्या-गीता की व्याख्या में जनार्दन शब्द सुनकर यशोधर बाबू को अपने जीजाजी जनार्दन जोशी की याद आ जाती है जो अहमदाबाद में रहते हैं। उनका स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण वे उनसे मिलने जाना चाहते हैं।
4. निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): सौंदलगेकर एक अध्यापक था।
कारण (R): वह मराठी विषय पढ़ाता था।
विकल्प
(क) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) गलत है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दानों गलत हैं।
उत्तर:
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) दादा ने पाठशाला भेजने के बदले लेखक से मन लगाकर पढ़ने का वचन लिया।
(II) दादा ने पाठशाला भेजने के बदले लेखक से पुलिस बनने का वचन लिया।
(III) दादा ने पाठशाला भेजने के बदले लेखक से सुबह-शाम खेतों पर काम करने का वचन लिया।
(IV) दादा ने पाठशाला भेजने के बदले लेखक से सेना में भर्ती होने का वचन लिया।
सही कथन / कथनों वाले विकल्प को चयनित कर लिखिए-
(क) केवल कथन I सही है।
(ख) केवल कथन IV सही है।
(ग) केवल कथन III सही है।
(घ) कथन I और III सही है।
उत्तर:
(ग) केवल कथन III सही है।
व्याख्या-दादा दत्ता जी की बात टाल नहीं सके और लेखक को स्कूल भेजने को राजी हो गए परन्तु उन्होंने पाठशाला भेजने के बदले लेखक से यह वचन लिया कि वह सुबह-शाम खेतों पर जाकर काम करेगा।
6. जूझ कहानी से लेखक की किस प्रवृत्ति का उद्धारन हुआ है?
(क) पढ़ने की
(ख) कविता करने की
(ग) लेखन की
(घ) संघर्षमयी की
उत्तर:
(घ) संघर्षमयी की
7. माँ ने लेखक के पिता की तुलना किससे की ?
(क) मरियल बैल से
(ख) आवारा साँड से
(ग) खूँखार शेर से
(घ) बरहेला सूअर से
उत्तर:
(घ) बरहेला सूअर से
8. सिंधु सभ्यता की तस्वीरें ‘उतारते समय’ दृश्यों के रंग उड़े हुए क्यों प्रतीत होते हैं?
(क) धूल उड़ने के कारण
(ख) चौंधियाती धूप के कारण
(ग) खेतों के हरेपन के कारण
(घ) पारदर्शी धूप के कारण
उत्तर:
(ख) चौंधियाती धूप के कारण
व्याख्या-सिंधु-सभ्यता की धूप पारदर्शी न होकर चौंधियाती हुई होने के कारण तस्वीर लेने के लिए कैमरे को घुमाकर\ लेना पड़ता है नहीं तो, तेज़ धूप से तस्वीर के रंग उड़े हुए आते हैं।
9. गढ़ के मुकाबले छोटे टीलों पर बनी बस्तियों को क्या कहा जाता है ?
(क) छोटा टीला
(ख) नीचा नगर
(ग) टीला नगर
(घ) खुदा नगर
उत्तर:
(ख) नीचा नगर
व्याख्या-छोटे टीले पर बस्तियाँ बनी होने के कारण इन्हें ‘नीचा नगर” कहकर पुकारा जाता है। खुदाई-प्रक्रिया में टीलों का आकार काफ़ी घट गया है और कहीं-कहीं वे जमीन से जा लगे हैं।
10. सिंधु-सभ्यता साधन संपन्न होने पर भी उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था। कैसे ?
(क) वहाँ भव्य राजप्रासाद नहीं मिले हैं और न ही मंदिर
(ख) वहाँ राजाओं, महंतों की समाधियाँ नहीं मिली हैं
(ग) वहाँ के मूर्तिशिल्प और औज़ार छोटे हैं
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।
व्याख्या-मुअनजो-दड़ो को उसके साधनों और व्यवस्थाओं को देखते हुए सबसे समृद्ध माना है लेकिन वहाँ भव्य राजाप्रासाद, मंदिर या फिर राजाओं, महंतों की समाधियाँ नहीं मिलती हैं इसलिए वहाँ भव्यता का आडम्बर नहीं था।
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न 40 अंक
‘जनसंचार और सृजनात्मक लेखन अंक (16)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)
(क) आज़ादी का अमृत महोत्सव :स्वर्णिम 75 साल
उत्तर:
आज़ादी का अमृत महोत्सव एक बड़ा ही लम्बा त्योहार है जिसे 12 मार्च 2021 में प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था जिसके बाद 12 मार्च से ही आज़ादी का अमृत महोत्सव भारत के काछ क्षेत्रों में मनाया जा रहा है जिसे 15 अगस्त को अति उत्साह के साथ आने वाले 15 अगस्त 2023 तक मनाया जाएगा। आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने से सभी भारतवासियों के दिल में देश के प्रति सम्मान और गौरव को प्रचलित करना है। इस योजना से भारत की सैन्य शक्ति की भी प्रदर्शनी करवाई जाएगी। आज़ादी का अमृत महोत्सव विभिन्न जगहों पर अलग-अलग तरह के कार्यक्रम और बड़े पैमाने पर भारतीय हथियार की प्रदर्शनी के साथ मनाया जा रहा है। साथ ही भारत के सभी नागरिकों के मन में भारत के लिए एक अलग ही सम्मान प्रकट हो पाएगा। इस अमृत महोत्सव में उन वीर सुपूर्तों को याद करना है जिन्होंने अपना परिवार और अपना समस्त जीवन केवल देश को समर्पित कर दिया। कवि प्रदीप ने कहा है-
“ऐ मेरे वतन के लोगो ज़रा आँख में भर लो पानी।
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी ।”
(ख) हिंदी साहित्य की उपेक्षा
उत्तर:
किसी देश की भाषा जिसका प्रयोग उस देश के लगभग सभी राज्यों, क्षेत्रों, नगरों और गाँव के लोगों के द्वारा किया जाता है वह मातृभाषा कहलाती है। इसे भारतीय संविधान में भारत की आधिकारिक राजभाषा का स्थान प्राप्त है। स्वतंत्रता के पश्चात् इस भाषा के साहित्यिक पक्ष की लोग उपेक्षा कर रहे हैं। वर्तमान समय में भी इसके साहित्य के प्रति लोगों का रुझान घटता जा रहा है। लोग हिन्दी साहित्य को छोड़कर विदेशी साहित्य व मनोरजंन के प्रधान साधन सिनेमा की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं।
हिन्दी की दुर्दशा एवं उपेक्षा आहत करने वाली है। इस दुर्दशा के लिए हिन्दी वालों का जितना हाथ है, उतना किसी अन्य का नहीं। अंग्रेजों के राज में यानी दो सौ साल में अंग्रेजी उतनी नहीं बढ़ी जितनी पिछले सात दशकों में बढ़ी है। इस त्रासद स्थिति में पड़ताल के लिए हिन्दी वालों को अपना अंतस खंगालना होगा चुनाव के माहौल में यह एक बड़ा मुद्दा बनना चाहिए। पैसा, तथाकथित आधुनिकता, समृद्धि एवं राजनीतिक मानसिकता इसके कारण प्रतीत होते हैं तो भी इसकी सूक्ष्मता में जाने की जरूरत है। इसकी उपेक्षा के मूल कारण हैं-हिन्दी साहित्य के प्रचार-प्रसार में कमी, दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों में इससे संबंधित कार्यक्रमों का अभाव व विद्यालयों में हिन्दी पर कम ध्यान दिया जाना। यदि यही स्थिति रही तो एक दिन हिन्दी साहित्य अपना अस्तित्व खो देगा। इसके अस्तित्व को बचाने व लोगों में इसके प्रति रुचि बढ़ाने के लिए इसके प्रचार-प्रसार पर अधिक बल देना होगा। दूरदर्शन के कार्यक्रमों में इससे सम्बन्धित कार्यक्रमों को स्थान देना होगा। काव्य गोष्ठियों का आयोजन करना होगा। तभी हिन्दी साहित्य को पुन: अपना स्थान प्राप्त होगा। यह खुशी की बात है कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने शासनकाल में हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए प्रयास किए हैं, न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी उनके प्रयासों से हिन्दी का गौरव बढ़ा है।
(ग) विज्ञापनों का जीवन पर प्रभाव
उत्तर:
आज का युग विज्ञापनों का युग है। रेडियो, दूरदर्शन, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ आदि इसके मुख्य साधन हैं। विज्ञापन का उद्देश्य है- प्रचार-प्रसार द्वारा प्रचारकर्ता और आम जनता के बीच सम्पर्क स्थापित करना। सामान्य रूप से व्यापारी या उत्पादक उपभोक्ता अपना माल बेचने के लिए विज्ञापनों का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार विज्ञापन उत्पादक और उपभोक्ता के बीच सेतु का कार्य करते हैं। ये एक ओर उत्पादकों का माल जनता तक पहुँचाते हैं, दूसरी ओर जनता को नई-नई जानकारियाँ देकर नए उत्पादों से परिचित कराते हैं, उन्हें शिक्षित कर रहे हैं।
विज्ञापन विविध प्रकार के होते हैं-व्यापारिक, शैक्षिक, प्रवेश और नियुक्ति सम्बन्धी, जन-जागरण सम्बन्धी, धार्मिक, मनोरंजन सम्बन्धी आदि। ये विज्ञापन हमारे मन को निश्चित रूप से प्रभावित करते हैं। आज कोई भी ग्राहक सामान खरीदते समय केवल प्रसिद्ध ब्राण्डों पर ही नज़र दौड़ाता है। नमक हो या साबुन, पंखे हों या फ्रिज-सबके चुनाव में विज्ञापन हमें प्रेरित करते हैं। ऐसे में विज्ञापनों का यह दायित्व बनता है कि वे ग्राहकों को लुभावने दृश्य दिखाकर गुमराह न करें, बल्कि उन्हें अपने उत्पाद के गुणों से परिचित कराएँ। तभी उचित माल, उचित ग्राहक तक पहुँचेगा और विज्ञापन अपने लक्ष्य में सफल होगा।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर लगभग 40 शब्दों में निर्देशानुसार उत्तर दीजिए- (2 × 2 = 4)
(i) कहानी के नाट्य रूप में दृश्य विभाजन कैसे करते हैं ?
उत्तर:
कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय दृश्य विभाजन निम्न प्रकार करते हैं-
- कहानी की कथावस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजित करके दृश्य बनाए जाते हैं।
- प्रत्येक दृश्य कथानक के अनुसार बनाया जाता है।
- एक स्थान और समय पर घट रही घटना को एक दृश्य में लिया जाता है।
- दूसरे स्थान और समय पर घट रही घटना को अलग दृश्यों में बाँटा जाता है।
- दृश्य विभाजन करते समय कथाक्रम और विकास का भी ध्यान रखा जाता है।
अथवा
रेडियो नाटक में पात्रों की संख्या सीमित क्यों होती है ?
उत्तर:
रेडियो नाटक में पात्रों की संख्या 5-6 से अधिक नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसमें श्रोता केवल ध्वनि के सहारे ही पात्रों को याद रख पाता है। यदि रेडियो नाटक में अधिक पात्र होंगे तो श्रोता उन्हें याद नहीं रख सकेंगे और नाटक से उनकी रुचि हटने लगेगी इसलिए रेडियो नाटक में पात्रों की संख्या सीमित होनी चाहिए।
(ii) रचनात्मक लेखन कैसे लिखते हैं ?
उत्तर:
लिखने के लिए जो भी विषय चुनें, उसके बारे में पूरी जानकारी हो, तथ्यों की सत्यता जाँचने के बाद ही उनका प्रयोग करें। विषय की अधिक जानकारी, आपकी सोच और शब्द चयन, लेखन को प्रभावशाली और रचनात्मक बना देते हैं। जब भी कुछ लिखना चाहते हैं, और अचानक से कोई विचार मन में आता है, तो उसे तुरंत लिख लेना चाहिए। जिससे हमारे लेखन में खास प्रस्तुतीकरण हो।
अथवा
नाटक में कहानी के पात्रों को किस प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है।
उत्तर:
नाटक में कहानी के पात्रों को निम्न प्रकार से परिवर्तित किया जा सकता है-
- नाट्य रूपांतरण करते समय कहानी के पात्रों की दृश्यात्मकता का नाटक के पात्रों से मेल होना चाहिए।
- पात्रों की भावभंगिमाओं तथा उनके व्यवहार का भी उचित ध्यान रखना चाहिए।
- पात्र घटनाओं के अनुरूप मनोभावों को प्रस्तुत करने वाले होने चाहिए।
- पात्र अभिनय के अनुरूप होने चाहिए।
- पात्रों का मंच के साथ मेल होना चाहिए।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) भारत में इंटरनेट पत्रकारिता पर टिप्पणी करें।
उत्तर:
भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का अभी दूसरा दौर चल रहा है। भारत के लिए पहला दौर 1993 से शुरू माना जा सकता है, जबकि दूसरा दौर सन् 2003 से शुरू हुआ है। पहले दौर में हमारे यहाँ भी प्रयोग हुए। डॉटकॉम का तूफ़ान आया और बुलबुले की तरह फूट गया अंततः वही टिके रह पाए जो मीडिया उद्योग में पहले से ही टिके हुए थे। आज पत्रकारिता की दृष्टि से टाइम्स ऑफ इंडिया’, हिंदुस्तान टाइम्स ‘, “इंडियन एक्सप्रेस ‘, हिन्दू’, ‘ट्रिब्यून’, स्टेट्समैन ‘, “पॉयनियर ‘, ‘एनडीटी.वी ‘, “आईबीएन’, ‘जी न्यूज’, “आजतक ‘ और ‘ आउटलुक ‘ की साइटें ही बेहतर हैं। इंडिया टुडे’ जैसी कुछ साइटें भुगतान के बाद ही देखी जा सकती हैं। जो साइटें नियमित अपडेट होती हैं, उनमें ‘ हिन्दू ‘, “टाइम्स ऑफ़ इंडिया ‘, ‘ आउटलुक ‘, इंडियन एक्सप्रेस ‘, ‘एनडीटी.वी ‘, “आजतक ‘ और “जी न्यूज ‘ प्रमुख हैं।
(ii) इंटरनेट को जनसंचार का नया माध्यम क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
इंटरनेट एक ऐसा माध्यम है जिसमें प्रिंट मीडिया, रेडियो, टेलीविजन, किताब, सिनेमा यहाँ तक कि पुस्तकालय के सारे गुण मौजूद हैं। इसकी पहुँच व रफ़्तार का कोई जवाब नहीं है। इसमें सारे माध्यमों का समागम है। यह एक अंतरक्रियात्मक माध्यम है यानी आप इसमें मूक दर्शक नहीं हैं। इसमें आप बहस कर सकते हैं, ब्लॉग के जरिए अपनी बात कह सकते हैं। इसने विश्व को ग्राम में बदल दिया है। इसके बुरे प्रभाव भी हैं। इस पर अश्लील सामग्री भी बहुत अधिक है जिससे समाज की नैतिकता को खतरा है। दूसरे, इसका दुरुपयोग अधिक है तथा सामाजिकता कम होती जाती है।
(iii) मनुष्य तथा संचार का क्या संबंध है? समझाइए।
उत्तर:
संचार के बिना जीवन सम्भव नहीं है। मानव सभ्यता के विकास में संचार की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। हमें अपनी हर छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए संचार की आवश्यकता पड़ती है। हम चाहें या न चाहें, अपने दैनिक जीवन में हम संचार के बिना नहीं रह सकते। जब तक मनुष्य जीवित रहता है संचार करता रहता है। यहाँ तक कि एक बच्चा भी रोकर या चिल्लाकर अपनी माँ का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करता है, यह भी उसके द्वारा किया गया संचार है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे सामाजिक प्राणी के रूप में विकसित करने में उसकी संचार क्षमता की बड़ी भूमिका रही है। परिवार व समाज में, संचार के जरिए ही सम्बन्ध स्थापित किए जाते हैं। मनुष्य ने चाहे भाषा का विकास किया हो या लिपि का या फिर छपाई का, इसके पीछे की मूल इच्छा संदेशों के आदान-प्रदान की ही थी। संदेशों के आदान-प्रदान में लगने वाले समय और दूरी को कम करने में संचार के माध्यमों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस प्रकार मनुष्य जब तक जीवित है, तब तक वह संचार करता रहता है। मनुष्य के जीवन में संचार का इतना महत्त्व है कि अगर उसके जीवन से संचार खत्म हो जाए तो इसे एक तरह से उसकी मृत्यु ही समझा जा सकता है अत: हम कह सकते हैं कि मनुष्य संचार के बिना नहीं रह सकता, उसके जीवन में संचार का बहुत महत्त्व है।
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 अंक (20)
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) “पर्दे पर वक्त की कीमत है’ कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा है ?
उत्तर:
इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति व्यावसायिक नज़रिया प्रस्तुत किया है। परदे पर जो कार्यक्रम दिखाया जाता है, उसकी कीमत समय के अनुसार होती है। दूरदर्शन व कार्यक्रम-संचालक को जनता के हित या पीड़ा से कोई मतलब नहीं होता। वे अपने कार्यक्रम को कम-से-कम समय में लोकप्रिय करना चाहते हैं। अपंग की पीड़ा को कम करने की बजाए अधिक करके दिखाया जाता है ताकि करुणा को “नकदी ‘ में बदला जा सके । संचालकों की सहानुभूति भी बनावटी होती है।
(ii) नभ की तुलना किससे की गई है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उषा कविता में प्रातःकालीन नभ की तुलना राख से लीपे गए गीले चौके से की है। इस समय आकाश नम तथा धुंधला होता है। इसका रंग राख से लिपे चूल्हे जैसा मटमैला होता है। जिस प्रकार चूल्हा चौका सूखकर साफ़ हो जाता है, उसी प्रकार कुछ देर बाद आकाश भी स्वच्छ एवं निर्मल हो जाता है।
(iii) “बादल राग! कविता में कवि ने बादलों के बहाने क्रांति का आहवान किया है। कैसे ?
उत्तर:
विप्लव-रव’ से तात्पर्य है- क्रांति का स्वर | क्रांति का सर्वाधिक लाभ शोषित वर्ग को ही मिलता है क्योंकि उसी के अधिकार छीने गए होते हैं। क्रांति में शोषक वर्ग के विशेषाधिकार खत्म होते हैं। आम व्यक्ति को जीने के अधिकार मिलते हैं। उनकी दरिद्रता दूर होती है अतः क्रांति की गर्जना से शोषित वर्ग प्रसन्न होता है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए- (2 × 2 = 4)
(i) तुलसीदास की अलंकार योजना समझाइए।
उत्तर:
तुलसीदास के काव्य में कई अलंकारों का प्रयोग हुआ है। उन्होंने मुख्य रूप से उपमा, अनुप्रास, रूपक, अतिश्योक्ति, वीरता आदि अलंकारों का प्रयोग किया है। इन अलंकारों के प्रयोग से भाषा में चमत्कार उत्पन्न हुआ है। वह अधिक प्रभावी बन गई है।
(ii) माँ बच्चे को किस प्रकार तैयार करती है?
उत्तर:
माँ अपने बच्चे को साफ़-स्वच्छ पानी से नहला कर उसके उलझे बालों में कंघी कर उन्हें सुलझाती है और फिर उसे अपने घुटनों के बीच खड़ाकर कपड़े पहनाती है। बच्चा ठंडे पानी से नहाकर स्वयं को ताज़ा महसूस करता है तथा माँ द्वारा तैयार किए जाने पर वह बच्चा अत्यन्त खुश होता है। इस तरह माँ की स्वाभाविक वृत्ति का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
(iii) “छोटा मेरा खेत’ कविता लुटने पर भी क्यों नहीं मिटती ?
उत्तर:
जब कवि की कविता पाठकों तक पहुँचती है, तो वह खत्म नहीं हो जाती, बल्कि उसका महत्त्व और अधिक बढ़ता जाता है। ज्यों-ज्यों वह पाठकों के पास पहुँचती जाती है, वह और अधिक विकसित होती जाती है। यहाँ ‘ लुटने से” आशय बाँटने से है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) जाति और श्रम विभाजन में बुनियादी अंतर क्या है?
उत्तर:
जाति और श्रम विभाजन में बुनियादी अंतर यह है कि जाति के नियामक विशिष्ट वर्ग के लोग हैं। जाति वाले व्यक्तियों की इसमें कोई भूमिका नहीं है। ब्राह्मणवादी व्यवस्थापक अपने हितों के अनुरूप जाति व उसका कार्य निर्धारित करते हैं। वे उस पेशे को विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं बदलने देते, भले ही लोग भूखे मर गए। श्रम विभाजन में कोई व्यवस्थापक नहीं होता। यह वस्तु की माँग, तकनीकी विकास या सरकारी फैसलों पर आधारित होता है। इसमें व्यक्ति अपना पेशा बदल सकता है।
(ii) हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता क्यों जरूरी है ?
उत्तर:
परवर्ती कवि ये समझते रहे कि शिरीष के फूलों में सब कुछ कोमल है अर्थात् वह तो कोमलता का आगार हैं लेकिन द्विवेदी जी कहते हैं कि शिरीष के फूलों में कोमलता तो होती है लकिन उनका व्यवहार बहुत कठोर होता है अर्थात् वह हृदय से तो कोमल है किन्तु व्यवहार से कठोर है इसलिए हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार का कठोर होना अनिवार्य हो जाता है।
(iii) ढ्ोोलक की थाप से मृत गाँव में कैसी समानता दर्शाई गई है ? कला से जीवन के सम्बन्ध को ध्यान रखते हुए चर्चा कीजिए।
उत्तर:
कला और जीवन का गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। कला जीवन को जीने का ढंग सिखाती है। व्यक्ति का जीवन आनंदमय बना रहे इसके लिए कला बहुत जरूरी है। यह कई रूपों में हमारे सामने आती है; जैसे नृत्य कला, संगीत कला, चित्रकला आदि। कला जीवन की प्राण शक्ति है। कला के बिना जीवन की कल्पना करना बेमानी लगता है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(i) “बाज़ार दर्शन’ पाठ निबंधों की किस श्रेणी का है?
उत्तर:
निबंध प्रकार की दृष्टि से बाज़ार दर्शन को वर्णनात्मक निबंध कहा जा सकता है। निबंधकार ने हर स्थिति, घटाने का वर्णन किया है। प्रत्येक बात को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया है। वर्णनात्मकता के कारण निबंध में रोचकता और स्पष्टता दोनों आ गए हैं। वर्णनात्मक निबंध प्राय: उलझन पैदा करते हैं लेकिन इस निबंध में यह कमी नहीं है।
(ii) ‘शिरीष के फूल’ की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर:
शिरीष की तुलना कबीरदास जी से की है क्योंकि संत कबीर बहुत कुछ शिरीष के फूल के समान ही थे। वे मस्त और बेपरवाह थे लेकिन इसके साथ-साथ वे सरस एवं मादक भी थे। शिरीष की तुलना अद्भुत अवधूत से भी की गई है क्योंकि शिरीष अदभूत अवधूत की तरह सुख और दुःख में कभी भी हार नहीं मानता है। वे सुदृढ़ रहता है।
(iii) धर्मवीर भारती मेंढक मंडली पर पानी डालना क्यों व्यर्थ मानते थे ?
उत्तर:
धर्मवीर भारती मेंढक मंडली पर पानी डालना व्यर्थ मानते थे क्योंकि इस समय पानी की भारी कमी है। लोगों ने कठिनता से पीने के लिए बालटी भर पानी इकट्ठा कर रखा है। उसे इस मेंढक मंडली पर फेंकना पानी की घोर बर्बादी है। इससे देश व समाज की क्षति होती है। वह पानी को इस तरह फेंकने के सिवाय अंधविश्वास को कुछ नहीं मानता।
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 अंक (4)
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(i) सिन्धु घाटी सभ्यता की वास्तुकला का बेजोड़ नमूना किसे माना जाता है?
उत्तर:
महाकुंड स्तूप के टीले से नीचे उतरने पर मिलता है। कुंड करीब सात फुट गहरा, चालीस फुट लंबा और पच्चीस फुट चौड़ा पक्की ईंटों से बना है। कुंड में उत्तर और दक्षिण से सीढ़ियाँ उतरती हैं। कुंड के पानी के बंदोबस्त वेह लिए एक तरफ़ कुआँ है। दो पंक्तियों में आठ स्नानघर हैं जिसमें किसी का द्वार एक-दूसरे के सामने नहीं खुलता। ऐसी कई विशेषताओं के कारण यह वास्तुकला का बेजोड़ नमूना माना जाता है।
(ii) मास्टर सौंदलगेकर ने लेखक को कविता के बारे में क्या बताया ?
अथवा
गिरीश कौन है?
उत्तर:
मास्टर सौंदलगेकर मराठी भाषा के अध्यापक थे तथा मराठी भाषा का अध्यापन बड़े ही रूचिपूर्वक ढंग से कराते थे वे लेखक से बहुत प्रसन्न थे। वह उसकी कविताओं पर उसको शाबाशी देते और उसको बताते कि छंद की जाति को कैसे पहचानते हैं, उसका ‘लयक्रम किस प्रकार देखा जाता है, शुद्ध लेखन करना क्यों जरूरी है ओर उसके नियम कया हैं ? वे सबसे पहले कविता को कक्षा में गाकर सुनाते थे साथ ही अभिनय भी करते थे।