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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 4 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
(i) इस प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’
(ii) खंड ‘अ’ में उपग्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(iii) खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
(iv) निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
(v) दोनों खंडों के कुल 8 प्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देगा अनिवार्य है।
(vi) यभासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखिए।
खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न (अंक 40)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
परिश्रम यानी मेहनत अपना जवाब आप ही है। उसका अन्य कोई जवाब न है, न हो सकता है अर्थात् जिस काम के लिए परिश्रम करना आवश्यक हो, हम चाहें कि वह अन्य किसी उपाय से पूरा हो जाए, ऐसा हो पाना कतई संभव नहीं। वह तो लगातार और मन लगाकर परिश्रम करने से ही होगा। इसी कारण कहा जाता है कि “उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी” अर्थात् उद्योग या परिश्रम करने वाले पुरुष सिंहों का ही लक्ष्मी वरण करती है। सभी प्रकार की धन-संपत्तियाँ और सफ़लताएँ लगातार परिश्रम से ही प्राप्त होती हैं। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है, यह परीक्षण की कसौटी पर कसा गया सत्य है। निरंतर प्रगति और विकास की मंजिलें तय करते हुए हमारा संसार आज जिस स्तर और स्थिति तक पहुँच पाया है, वह सब हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहने से नहीं हुआ। कई प्रकार के विचार बनाने, अनुसंधान करने, उनके अनुसार लगातार योजनाएँ बनाकर तथा कई तरह के अभावों और कठिनाइयों को सहते हुए निरंतर परिश्रम करते रहने से ही संभव हो पाया है। आज जो लोग सफ़लता के शिखर पर बैठकर दूसरों पर शासन कर रहे हैं, आदेश दे रहे हैं, ऐसी शक्ति और सत्ता प्राप्त करने के लिए पता नहीं किन-किन रास्तों से चलकर, किस-किस तरह के कष्ट और परिश्रमपूर्ण जीवन जीने के बाद उन्हें इस स्थिति में पहुँच पाने में सफलता मिल पाई है। हाथ-पैर हिलाने पर ही कुछ पाया जा सकता है, उदास या निराश होकर बैठ जाने से नहीं। निरंतर परिश्रम व्यक्ति को चुस्त-दुरुस्त रखकर सजग तो बनाता ही है, निराशाओं से दूर रख आशा-उत्साह भरा जीवन जीना भी सिखाया करता है।
(i) परीक्षण की कसौटी पर कसे जाने से तात्पर्य है-
(क) सत्य सिद्ध होना
(ख) कथन का प्रामाणिक होना
(ग) आंकलन प्रक्रिया तीव्र होना
(घ) योग्यता का मूल्यांकन होना
उत्तर:
(ख) कथन का प्रामाणिक होना
(ii) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : हाथ-पैर हिलाने से ही कुछ पया जा सकता है।
कारण (R) : हाथ-पैर हिलाने से लेखक का तात्पर्य परिश्रम से है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों ही सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों ही सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iii) निम्नलिखित गद्यांश से मेल खाते वाक्यों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए। ह।
(क) परिश्रम व्यक्ति को सकारात्मक बनाता है।
(ख) आज संसार पतन की ओर बढ़ रहा है।
(ग) पुरुषार्थ के बल पर ही व्यक्ति धनार्जन करता है।
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) और (ग) सही है।
(iv) निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द गद्यांश में दिए गए ‘ अनुसंधान ‘ शब्द के सही अर्थ को दर्शाता है-
(क) परीक्षण
(ख) योजनाएँ
(ग) अन्वेषण
(घ) सिंहमुपैति
उत्तर:
(ग) अन्वेषण
व्याख्या-‘ अनुसंधान” शब्द का सही अर्थ अन्वेषण होता है।
(v) निम्नलिखित में से किस कथन को गद्यांश की सीख के आधार पर कहा जा सकता है-
(क) अल्पज्ञान खतरनाक होता है।
(ख) गया समय वापस नहीं आता है।
(ग) मेहनत से कल्पना साकार होती है।
(घ) आवश्यकता आविष्कार की जननी है।
उत्तर:
(ग) मेहनत से कल्पना साकार होती है।
व्याख्या-गद्यांश की सीख के आधार पर कहा जा सकता है कि मेहनत का फल मीठा होता है अर्थात् मेहनत से कल्पना साकार होती है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सवीधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1 x 5 = 5)
आज से लगभग छः सौ साल पूर्व संत कबीर ने सांप्रदायिकता की जिस समस्या की ओर ध्यान दिलाया था, वह आज़ भी प्रसुप्त ज्वालामुखी की भाँति भयंकर बनकर देश के वातावरण को विदग्ध करती रहती है। देश का यह बड़ा दुर्भाग्य है कि जहाँ जाति, धर्म, भाषागत ईर्ष्या, द्वेष, वैर-विरोध की भावना समय-असमय भयंकर ज्वालामुख्बी के रूप में भड़क उठती है।
दस-बीस हताहत होते है, कबीर हिंदू-मुसलमान में, जाति-जाति में शारीरिक दृष्टि से कोई भेद नही मानते। भेद केवल विचारों और भावों का है। इन विचारों और भाबों के भेद को बल धार्मिक कट्टरता और साप्रदायिकता से मिलता है। हुदय की चरमानुभूति की दशा में राम और रहीम में कोई अंतर नहीं। अंतर केवल उन माध्यमों में है, जिनके द्वारा वहाँ तक पहुँचने का प्रयत्न किया जाता है। इसलिए कबीर साहब ने उन माध्यमों-पूजा, नमाज, व्रत, रोजा आदि के दिखावे का विरोध किया। समाज में एकरूपता तभी संभव है, जब जाति, वर्ण, वर्ग
भेद न्यून-से-न्यून हों। संतों ने मंदिर-मस्जिद, जाति-पाँति के भेद में विश्वास नहीं रखा। सदाचार ही संतों के लिए महत्त्वपूर्ण है। कबीर ने समाज में व्याप्त बाह्याडंबरों का कड़ा विरोध किया और समाज में एकता, समानता तथा धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया।
(क) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. संतों के अनुसार राम और रहीम एक हैं।
2. हिंदू-मुसलमान में शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी अंतर होता है।
3. वर्तमान में सांग्रदायिकता की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
4. कबीर ने समाज में एकता, समानता, धर्मनिरपेक्षता को महत्त्व दिया। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) 1 और 2
(ii) 1,3 और 4
(iii) केवल 2
(iv) 2 और 4
उत्तर:
(ii) 1,3 और 4 दिए गए कथनों में से सही कथन हैं-द्धदय की चरमानुभूति की दशा में राम और रहीम में कोई अन्तर नहीं। अंतर केवल उन माध्यमों में है, जिनके द्वारा वहाँ तक पहुँचने का प्रयत्न किया जाता है। वर्तमान में सांप्रदायिकता की समस्या की ओर ध्यान दिलाया था, – वह आज भी प्रसुप्त ज्वालामुखी की भाँति दिन-प्रतिदिन भयंकर बनकर देश के वातावरण को विदग्ध करती रहती है। कबीर ने समाज में एकता, समानता, धर्मनिरपेक्षता को महत्त्व दिया है।
(ख) गद्यांश में किस समस्या को ज्वालामुखी कहा गया है?
(i) अनेकता की समस्या को
(ii) सांप्रदायिकता की समस्या को
(iii) शारीरिक विकलांगता की समस्या को
(iv) बेरोजगारी की समस्या को
उत्तर:
(ii) संप्रदायिकता की समस्या को आज से लगभग सौ साल पूर्व संत कबीर ने सांप्रदायकिता की जिस समस्या की ओर ध्यान दिलाया था। वह आज भी प्रसुप्त ज्वालामुखी की भाँति भयंकर बनकर देश के वातावरण को विदग्ध करती रहती है।
(ग) मनुष्य के विचारों और भावों के भेद के परिणामस्वरूप किसे बल मिलता है?
(i) भाषागत विभिन्नता को
(ii) ईष्ष्या-द्वेष की भावना को
(iii) धार्मिक सद्भावना को
(iv) धार्मिक कट्टरता को
उत्तर:
(iv) धार्मिक कट्टरता को कबीर हिंदू-मुसलमान में, जाति-पाँति में शारीरिक दृष्टि से कोई भेद नहीं मानते। भेद केवल विचारों और भावों का है। इन विचारों और भावों के भेद को बल धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता से मिलता है।
(घ) संतों ने मंदिर-मस्जिद, जाति-पाँति के भेद में विश्वास नहीं रखा। पंक्ति के माध्यम से संत मनुष्य जाति के किस गुण में विश्वास रखते हैं।
(i) एकता
(ii) समानता
(iii) धर्मनिरपेक्षता
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी संतों ने मंदिर-मस्जिद, जाति-पाँति के भेद में विश्वास नहीं रखा। सदाचार ही संतों के लिए महत्त्वपूर्ण है। कबीर ने समाज में व्याप्त बाह्याडबरों का कड़ा विरोध किया और समाज में एकता, समानता तथा धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया।
(ङ) समाज में व्याप्त जाति-वर्ण से संबंधित भेदभाव कम होने पर क्या संभव है?
(i) संतों और सूफियों की एकता
(ii) धर्मनिरपेक्षता
(iii) एकरूपता
(iv) सांप्रदायिकता
उत्तर:
(ii) धर्मनिरपेक्षता समाज में व्याप्त जाति-वर्ण से संबंधित भेदभाव कम होने पर धर्मनिरपेक्षता संभव है।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध ‘ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(i) अब पवन-पुत्र हनुमान का प्रवेश हो गया है। रेखांकित पदबंध है-
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) सर्वनाम पदबंध
(ग) विशेषण पदबंध
(घ) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर:
(क) संज्ञा पदबंध
व्याख्या-संज्ञा पद के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले पदबंध “संज्ञा पदबंध’ कहलाते हैं और क्योंकि यहाँ रेखांकित अंश में ‘हनुमान’ (संज्ञा) पद का विस्तार है, अतः यह “संज्ञा पदबंध’ है।
(ii) बाहर से आए मनुष्यों में कुछ शरारती तत्त्व भी हैं। रेखांकित पदबंध है-
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) सर्वनाम पदबंध
(ग) विशेषण पदबंध
(घ) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर:
(ख) सर्वनाम पदबंध
व्याख्या-यहाँ रेखांकित अंश ‘बाहर से आए हुए मनुष्यों में से कुछ में ‘कुछ’ सर्वनाम का विस्तार है, अत: यह ‘सर्वनाम पदबंध’ है।
(iii) वह पुस्तक पढ़ते-पढ़ते सो गया। रेखांकित पदबंध है-
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) सर्वनाम पदबंध
(ग) विशेषण पदबंध
(घ) क्रिया पदबंध
उत्तर:
(घ) क्रिया पदबंध
व्याख्या-यहाँ रेखांकित अंश में “सो गया’ क्रिया का विस्तार है, अत: यह “क्रिया पदबंध’ है।
(iv) उसका घोड़ा अत्यंत सुंदर, फूर्तीला और आज्ञाकारी है। रेखांकित पदबंध है-
(क) सर्वनाम पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध
(ग) क्रिया पदबंध
(घ) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर:
(ख) विशेषण पदबंध
व्याख्या-यहाँ रेखांकित अंश “घोड़ा ‘ संज्ञा की विशेषता बताने के कारण “विशेषण पदबंध’ है।
(v) राम ने मोहन की आधी रात तक प्रतीक्षा की। रेखांकित पदबंध है-
(क) विशेषण पदबंध
(ख) क्रिया पदबंध
(ग) क्रियाविशेषण पदबंध
(घ) संज्ञा पदबंध
उत्तर:
(ग) क्रियाविशेषण पदबंध
व्याख्या-यहाँ रेखांकित अंश ‘ आधी रात तक ‘, ‘प्रतीक्षा की ‘ क्रिया की विशेषता बताने के कारण “क्रिया विशेषण पदबंध ‘ है।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4 = 4)
(क) ‘वजीर अली के जन्म को सआदत अली ने अपनी मौत माना।’ इस वाक्य का संयुक्त वाक्य होगा
(i) वजीर अली का जन्म हुआ और सआदत अली ने इसे अपनी मौत माना।
(ii) सआदत अली ने अपनी मौत मानी, क्योकि वजीर अली का जन्म हुआ।
(iii) वजीर अली का जन्म हुआ, इसलिए सआदत अली ने इसे अपनी मौत माना।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(i) वजीर अली का जन्म हुआ और सआदत अली ने इसे अपनी मौत माना।
(ख) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. राजा घर आया, परंतु तरुण चला गया। | 1. मिश्रित वाक्य |
B. राजा से मिलकर रोहित बहुत खुश हुआ। | 2. संयुक्त वाक्य |
C. जब राजा घर में आया तो रोहित चला गया था। | 3. सरल वाक्य |
कूट
A –B — C
(i) 3 — 2 — 1
(ii) 2 — 3 — 1
(iii) 2 — 1 — 3
(iv) 1 — 2 — 3
उत्तर:
(ii) 2 — 3 — 1
(ग) निम्न में से मिश्र वाक्य है
(i) यदि बड़े भाई साहब सोच-समझकर अध्ययन करते, तो अवश्य सफल होते।
(ii) पेड़ों को रास्ते से हटाना शुरू कर दिया है।
(iii) लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।
(iv) मैं मंदिर भी जाऊँगा और भजन भी सुनूँगा।
उत्तर:
(i) यदि बड़े भाई साहब सोच-समझकर अध्ययन करते, तो अवश्य सफल होते।
(घ) ‘कबीर जी ने सरल और सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया है।’ रचना के आधार पर वाक्य का भेद है
(i) मिश्र वाक्य
(ii) विधानवाचक वाक्य
(iii) सरल वाक्य
(iv) संयुक्त वाक्य
उत्तर:
(iv) संयुक्त वाक्य
(ङ) ‘अंग्रेजी पढ़कर विद्वान बनो।’ का मिश्र वाक्य होगा
(i) जब अंग्रेजी पढ़ोगे, तब विद्वान बनोगे।
(ii) अंग्रेजी पढ़कर विद्वान बना जा सकता है।
(iii) जो अंग्रेजी पढ़ता है, वह विद्वान बनता है।
(iv) विद्वान बनना है, इसलिए अंग्रेजी पढ्रो।
उत्तर:
(iii) जो अंग्रेजी पढ़ता है, वह विद्वान बनता है।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(i) भयाकुल ‘ समस्त पद का सही समास-विग्रह और समास का नाम कौन-सा है?
(क) भय से आकुल – तत्पुरुष समास
(ख) भय से कुल – कर्मधारय समास
(ग) भय में कुल – कर्मधारय समास
(घ) भय में आकुल – तत्पुरुष समास
उत्तर:
(क) भय से आकुल – तत्पुरुष समास
(ii) “आमरण ‘ समस्त पद कौन-से समास का उदाहरण है?
(क) कर्मधारय समास
(ख) तत्पुरुष समास
(ग) अव्ययीभाव समास
(घ) बहुब्रीहि समास
उत्तर:
(ग) अव्ययीभाव समास
व्याख्या-जहाँ प्रथम पद या पूर्व पद प्रधान हो तथा समस्त पद क्रिया विशेषण अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
(iii)निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए-
समस्तपद | समास |
1. रसोईघर | (i) तत्पुरुष समास |
2. देशवासी | (ii) कर्मधारय समास |
3. चौराहा | (iii) द्विगु समास |
4. विद्यालय | (iv) तत्पुरुष समास |
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं
(क) (i), (iii) और (iv)
(ख) केवल (iii)
(ग) (i) और (iv)
(घ) केवल (ii)
उत्तर:
(क) (i), (iii) और (iv)
(iv) “लंबा है उदर जिसका ‘ विग्रह का समस्त पद है-
(क) लंबादर
(ख) लंबाउदर
(ग) लंबादार
(घ) लंबोदर
उत्तर:
(घ) लंबोदर
(v) “आत्मकथा ‘ समस्त पद का विग्रह है-
(क) आत्मा की कथा
(ख) आत्म की कथा
(ग) आत्मा के लिए कथा
(घ) आत्मा से कथा
उत्तर:
(क) आत्मा की कथा
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘मुहावरे’ पर आधारित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) गाँधीजी में देश-सेवा की भावना थी। रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरे से कीजिए
(i) जान से प्यारी
(ii) कूट-कूटकर भरी
(iii) ईंट से ईंट बजाना
(iv) गीदड़ भभकी
उत्तर:
(ii) कूट-कूटकर भरी
(ख) मुठभेड़ में सेना के जवानों ने आतंकवादियों का दिया। रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुहावरे से कीजिए
(i) आड़े हाथों लेना
(ii) तिल का पहाड़ बनाना
(iii) तीन-पाँच करना
(iv) काम तमाम करना
उत्तर:
(iv) काम तमाम करना
(ग) दोषी व्यक्ति के बाइज़्ज़त बरी होने पर सब गए। उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) नाको चने चबाना
(ii) पीठ में छुरा घोंपना
(iii) हक्का-बक्का रहना
(iv) दुम दबाकर भागना
उत्तर:
(iii) हक्का-बक्का रहना
(घ) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्प का चयन कीजिए
(i) गीदड़ भभकी – खतरनाक धमकी
(ii) कब्र में पैर लटकना — मृत्यु के समीप होना
(iii) झाड़ फेरना – सफाई करना
(iv) ठेर करना – इकट्ठा करना
उत्तर:
(ii) कब्र में पैर लटकना-मृत्यु के समीप होना
(ङ) ‘भयंकर शत्रु’ के लिए उपयुक्त मुहावरा है
(i) अजातशत्रु
(ii) खून का प्यासा
(iii) काम तमाम करना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ii) खून का प्यासा
(च) रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त करना उचित होगा?
पिछले कई वर्षों से कंपनी बहुत ऊँचाई पर पहुँच रही है।
(i) रंग दिखाना
(ii) गाढ़ी कमाई
(iii) सातवें आसमान पर होना
(iv) किस्मत चमकना
उत्तर:
(iii) सातवें आसमान पर होना
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
“ जान देने की रुत रोज़ आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
(i) “जान देने की रुत’ किसे कहा गया है?
(कं) मौत का समय
(ख) फ़िदा होने का समय
(ग) देश की रक्षा के लिए प्राणों को न््योछावर करने का समय
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) देश की रक्षा के लिए प्राणों को न््योछावर करने का समय
(ii) प्रस्तुत गीत में धरती की तुलना किससे की गई है?
(क) स्त्री से
(ख) दुल्हन से
(ग) माँ से
(घ) बहन से।
उत्तर:
(ख) दुल्हन से
व्याख्या- प्रस्तुत गीत में धरती की तुलना दुल्हन से की गई है।
(iii) “जवानी का खूँ में नहाने’ से क्या आशय है?
(क) देश की रक्षा करते हुए आत्म-बलिदान देना
(ख) पड़ोसी से लड़ते हुए खून बहाना
(ग) जवानी में खून का उबलना
(घ) जवानी में लड़ाई-झगड़ा करना।
उत्तर:
(क) देश की रक्षा करते हुए आत्म-बलिदान देना
व्याख्या-देश की रक्षा के लिए जवानी की अवस्था ही वह अवस्था होती है, जिसमें सौन्दर्य, प्रेम और जोश चरमोत्कर्ष पर होता है। यदि उस समय जवानी में देश की रक्षा करते हुए खून नहीं बहाया, तो वह जवानी व्यर्थ है।
(iv) प्रस्तुत पंक्तियाँ किस कविता से ली गई हैं?
(क) पर्वत प्रदेश में पावस
(ख) आत्मत्राण
(ग) तोप
(घ) कर चले हम फ़िदा।
उत्तर:
(घ) कर चले हम फ़िदा।
(v) उपर्युक्त पद्मांश में कवि ने किस ऋतु की बात की है?
(क) वसन्त ऋतु
(ख) ग्रीष्य ऋतु
(ग) शरद ऋतु
(घ) शहीद ऋतु
उत्तर:
(घ) शहीद ऋतु
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 2=2)
(क) पर्वतों पर बहने वाले झरनों की झर-झर की आवाज से कवि कैसे प्रेरित होता है?
(i) कवि की नस-नस में जोश भर जाता है
(ii) मन उत्साह एवं उमंग से भर जाता है
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) अत्यंत मधुर आवाज लगती है
उत्तर:
(iii) 1 और 2 दोनों पर्वतों पर बहने वाले झरनों की झर-झर की आवाज को सुनकर कवि की नस-नस में जोश भर जाता है, मन उत्साह व उमंग से भर जाता है तथा वातावरण संगीतमय हो जाता है।
(ख) ‘फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है।’ पंक्ति में कवि किस जश्न के बाद फ़तह का जश्न मनाने के लिए कह रहा है?
(i) संघर्ष व बलिदान के जश्न के बाद
(ii) देश की स्वतंत्रता के जश्न के बाद
(iii) जिंदगी में आगे बढ़ने के जश्न के बाद
(iv) हार के बाद जीतने के जश्न के बाद
उत्तर:
(i) संघर्ष व बलिदान के जश्न के बाद ‘फतह का जश्न इस जश्न के बाद है।’ इस पंक्ति में कवि संघर्ष व बलिदान के जश्न के बाद फतह का जश्न मनाने के लिए कह रहा है। कवि अन्य सैनिकों को बलिदान के लिए प्रेरित करना चाहता है। उनका मानना है कि यदि देश रक्षा के कार्यों को अधूरा छोड़ दिया जाएगा, तो शहीदों का बलिदान व्यर्थ ही है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
अंडमान द्वीपसमूह का अंतिम दक्षिणी द्वीप है- लिटिल अंडमान। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह की श्रृंखला आरंभ होती है जो निकोबारी जनजाति की आदिम संस्कृति के केंद्र हैं। निकोबार ट्वीपसमूह का पहला प्रमुख द्वीप है कार-निकोबार जो लिटिल अंडमान से 96 कि.मी. दूर है। निकोबारियों का विश्वास है कि प्राचीन काल में ये दोनों द्वीप एक ही थे। इनके विभक्त होने की एक लोककथा है जो आज भी दोहराई जाती है।
सदियों पूर्व, जब लिटिल अंडमान और कार-निकोबार आपस में जुड़े हुए थे तब वहाँ एक सुंदर-सा गाँव था। पास में एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। उसका नाम था ततारा। निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे।
(i) निकोबार द्वीप समूह की श्रृंखला किसके बाद आरंभ होती है?
(क) अंडमान द्वीपसमूह
(ख) पोर्ट-ब्लेयर
(ग) कार-निकोबार
(घ) लिटिल अंडमान।
उत्तर:
(घ) लिटिल अंडमान।
व्याख्या-अंडमान द्वीप समूह का अन्तिम दक्षिणी द्वीप है लिटिल अंडमान। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह की श्रृंखला आरम्भ होती है।
(ii) निकोबार द्वीप समूह का पहला प्रमुख द्वीप कौन-सा है? विचार कीजिए। है
(1) लिटिल अंडमान
(2) कार-निकोबार
(3) पोर्ट-ब्लेयर
(4) अंडमान।
विकल्प:
(क) केवल (1)
(ख) केवल (2)
(ग) (1) और (2)
(घ) (3) और (4)
उत्तर:
(ख) केवल (2)
व्याख्या-निकोबार द्वीप समूह का पहला प्रमुख द्वीप कार-निकोबार है।
(iii) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए। है
कथन (A): तताँरा-वामीरों कौ कथा अंडमान-निकोबार की है।
कारण (R): तताँरा-वामीरो की कथा ऐतिहासिक है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) गलत तथा कारण (R) सही है।
उत्तर:
(ग) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत है।
(iv) निकोबारी किसे बेहद प्रेम करते थे?
(क) युवक को
(ख) गाँव को
(ग) जनजाति को
(घ) ततौँरा को।
उत्तर:
(घ) ततौँरा को।
व्याख्या-निकोबारी तताँरा को बेहद प्रेम करते थे।
(v) यह किस प्रकार की कहानी है? |
(क) लोककथा
(ख) प्रेमकथा
(ग) ऐतिहासिक कथा
(घ) (क) और (ख) दोनों।
उत्तर:
(घ) (क) और (ख) दोनों।
व्याख्या-यह एक लोककथा तथा प्रेम कहानी है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 2 = 2)
(क) लेखक बड़े भाई साहब की किस ब्वात से पूर्णतः सहमत हैं?
(i) बड़े भाई साहब को अनुभव अधिक होने से उनमें समझ अधिक है
(ii) बड़े भाई साहव अध्ययन में होशियार हैं
(iii) बड़े भाई साहब लेखक से बहुत प्यार करते हैं
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(i) बड़े भाई साहब को अनुभव अधिक होने से उनमें समझ अधिक है लेखक दड़े भाई साहब की सलाह, व्यावहारिक अनुभव अधिक होने से उनमें समझ अधिक है और वह भविष्ध के लिए कैसे अपने बचपन का गला घोंट रहे हैं। उनकी बातें सुनकर छोटे भाई की औँखें खुल गई। उसे समझ आ गया कि उसके अब्यल आने के पीछे बड़े भाई की ही पेरणा रही है। अतः वे अपने बड़े माई साहब की उपरोक्त बातों से सहमत हैं।
(ख) निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन कलकत्ता के राष्ट्रीय ध्वजारोहण के विषय में सत्य है/है?
1. यह 26 जनवरी, 1931 को मनाया जा रहा था।
2. कलकता में वहाँ के लोगों द्वारा ही इसका संपूर्ण प्रबंध किया गया था।
3. यह छोटे रूप में मनाया जा रहा था।
4. इसके प्रचार में ही केवल दो हजार रुपये खर्च किए थे।
कूट
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 4
(iii) 1,2 और 4
(iv) केषल 2
उत्तर:
(iii) 1,2 और 4 दिए गए कथनों में से कलकत्ता के राष्ट्रीय ध्वजारोहण के विषय में सत्य कथन है-यह 26 जनवरी, 1931 को मनाया जा रहा था। कलकत्ता में वहाँ के लोगों द्वारा ही इसका सम्पूर्ण प्रबन्ध किया गया था। इसके प्रचार-म्पसार में केवल दो हजार रुपये खर्य किए गए थे।
खंड ‘ब’- वर्णनात्मक प्रश्न (अंक 40)
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) “बड़े भाई साहब’ कहानी का बड़ा भाई शिक्षा को ‘रटंत ज्ञान’ और ‘बे-सिर-पैर की बातें’ मानता है जिनका व्यावहारिक जीवन में कोई अर्थ नहीं, इस संदर्भ में आपके क्या विचार हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए ।
उत्तर:
हमें पढ़ाई को बोझ के रूप में न लेकर सहज रूप में लेना चाहिए। बोझ के रूप में लेने से परेशानी और बढ़ जाएगी। हमें पुस्तकों से मिलने वाली शिक्षा को रटने के स्थान पर समझने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि समझी हुई बातें लंबे समय तक हमारे दिमाग में रहती हैं। हमारे व्यक्तित्व के लिए पढ़ाई जितनी महत्त्वपूर्ण है, उतना ही खेल भी। शिक्षा प्रणाली मे अंग्रेज़ी शिक्षा पर बहुत अधिक बल दिया जाता है। इसके अलावा बालक का विकास नहीं हो पाता। इस शिक्षा में इंग्लैंड का इतिहास पढ़ना जरूरी है। वहाँ के बादशाहों का नाम याद रखना आसान नहीं है। इसका कोई लाभ नहीं है तथा बे-सिर-पैर की बातें सिखाई जाती हैं जिनका कोई लाभ नहीं है। छोटे-छोटे विषयों पर व्यापक निबंध लिखने को कहा जाता है इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली से बालकों ‘की मौलिकता नष्ट हो जाती है, उनका स्वाभाविक विकास नहीं हो पाता।
(ii) “कारतूस’ एंकांकी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि सआदत अली वजीर अली का सगा चाचा होते हुए भी उससे नफ़रत क्यों करता था?
उत्तर:
सआदत अली वजीर अली का सगा चाचा था। उसकी नज़र अवध की सत्ता पर थी जिसे हथियाने के लिए उसने अंग्रेजों का सहयोग लिया। इससे वजीर अली के मन में अंग्रेजों के प्रति द्वेष भर गया। सआदत अली और अंग्रेजों के इस व्यवहार से उसे दूर-दूर भटकना पड़ा। अंग्रेजों ने सआदत अली को अवध के तख़्त पर बैठा दिया था। वह अंग्रेजों का दोस्त और ऐश पसंद आदमी था। इसलिए वजीर अली सआदत अली से नफ़रत करता था।
(iii) “तीसरी कसम’ ने साहित्य रचना के साथ किस प्रकार न्याय किया ?
उत्तर:
“तीसरी कसम’ ने साहित्य रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है क्योंकि यह फ़िल्मों में से है जो साहित्य के विषय के साथ-साथ जनता की रुचि पर भी खरी उतरती है। शैलेन्द्र ने राजकपूर जेसे स्टार को ‘हीरामन” बनाकर जनता के सामने प्रस्तुत किया जिसने अपने पात्र के साथ ईमानदारी से अभिनय कर न्याय किया है। लेखक ने यह फ़िल्म समाज के अभिजात्य वर्ग के लिए नहीं अपितु सामान्य जनता को केन्द्र में रखकर बनाई जो साहित्य की आत्मा की सुरक्षित करती है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) ‘जवानी की अवस्था ही वह अवस्था होती है, जिसमें सौदर्य, प्रेम और जोश चरमोत्कर्व पर होता है।’ पंक्ति के माध्यम से कवि देश के युवाओं को क्या संदेश दे रहा है?
उत्तर:
‘जवानी की अवस्था ही वह अवस्था होती है, जिसमें सौददर्य, प्रेम और जोश वरमोत्कर्व पर होता है।’ इस पंक्ति के माध्यम से कवि देश के युवाओं को संदेश दे रहा है कि जिसमें जोश, उत्साह, शक्ति, ऊर्जा आदि भरपूर होती है। यदि इन गुणों का उथित लाभ उढाया जाए, तो जदानी को सार्थक बनाया जा सकता है। यदि युदा वर्ग अपने इस साहस, जोश तथा शबित का मयोग देशहित में करे, तो केवल युवावस्था (जवानी) ही नहीं, उनका पूरा जीबन सार्थक हो जाता है।
कवि ने सैनिकों के माध्यम से देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले लोगों की भावना को आलोकित किया है। देश की रक्षा में अपने प्राणों का उत्सर्ग करने दाला सैनिक ऐसी ही अपेक्षा आने वाली युवा पीड़ियों से मी करता है। उसे देश के लिए ‘मर-मिटना’ अपने जीवन में सॉदर्य तथा प्यार की प्राप्ति से कही अधिक महत्तपूर्ण एवं अर्थपूर्ण लगता है। इसी में जीवन की सार्थकता है। देशभक्ति का उत्साह पवाहित करना ही ‘कर चले हम फिद्या’ कविता का प्रतिमाद्य है।
(ख) करने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है? ‘पर्वत प्रदेश में पावस कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
पर्दतीय प्रदेश में बहते हुए झरने ऊँचे-केंगे पर्वतों के गौरव का गान कर रहे हैं। बहते हुए झरने की तुलना सुंदर मोतियों की लड़ियों से की गई है तथा उनकी आवाज नस-नस में जोश भरने वाली महसूस हो रही है। ये एक संगीतमय वातावरण की सृजन कर रहे है। झरनों के झर-झर की आवाज सुनकर नस-नस में जोश भर जाता है, मन उत्साह एवं उमंग से भर जाता है तथा वातावरण संगीतमय हो जाता है। इस प्रकार गिरते हुए झरनों की आवाज से संपूर्च पर्वत प्रदेश मुखर हो उठता है।
(ग) कवि के जीवन में सुखों के आगमन पर कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है? ‘आत्मत्राण’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि ईशवर से प्रार्थना करता है कि वह उसे विपतियों से उबारने का काम करें, केवल उसकी आंतरिक चेतना में ऐसी क्षमता भरने का प्रयान करें, जिसके कारण वह दिपदाओं से घबराए नहीं और बड़ी-बड़ी वियदाओं पर भी बिजय प्राप्त कर सके कवि ईश्वर से किसी मकार की सहायता नहीं चाहता। वह चाहता है कि ईश्वर उसे पौरुष दें, जिससे वह अपनी सहायता करने में सक्षम हो सके।
कबि ईश्वर से इतना ही चाहत्ता है कि वह उसे मयरहित बनाऐँ, जिससे वह उसकी सता पर, उसके प्रति आस्था पर संदेह न कर सके। कवि ईश्वर को विपदाओं से बचाने के लिए नही बुलाता है। यह मानव की शक्ति पर असीम विश्वास के कारण सम्भव हुआ है। कवि ईश्वर की समृति इसलिए नहीं कारना चाहता कि विपदा के क्षण से वे उसे उबार लें, बल्कि वह ईश्वर से संघर्ष की क्षमता व दु:खों को झेल पाने की शक्ति की कामना करता है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) इफ़्फ़न के पिता के तबादले के बाद टोपी शुक्ला का कोई और मित्र क्यों नहीं बन सका ? इसका उसके बालमन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
टोपी और इफ्फ़न घनिष्ठ मित्र थे। दोनों एक-दूसरे के बिना बिल्कुल अधूरे थे क्योंकि दोनों एक-दूसरे की भावनाओं को बिना कहे समझ लेते थे। यह दोस्ती बचपन में विकसित हुई थी। टोपी तो अपने अजीज दोस्त इफ़्फन के साथ-साथ उसके परिवार वालों का भी आत्मीय था, विशेष रूप से उसकी दादी का जब वह पूरबी बोली बोलती तो उसे अपनी माँ की भाँति ही दिखाई देतीं। जब टोपी को अकेलापन दूर करने वाले अपने अजीज दोस्त इफ्फ़न के जाने का पता चला, तो वह उदास हो गया। इफ्फ़न के जाने का कारण उसके पिता का मुरादाबाद तबादला होना था। इफ्फ़न की दादी की मृत्यु का घाव अभी भरा भी नहीं था कि टोपी को इफ़्फ़ून से अलग होने का जख्म भी मिल गया। इसी कारण टोपी ने कसम खाई थी कि अब वह ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा, जिसके पिता का तबादला होता रहता हो।
(ii) हरिंहर काका और टोपी शुक्ला दोनों ही भरे-पूरे परिवार से संबंधित होते हुए भी अकेले थे। दोनों के अकेलेपन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
“हरिहर काका और टोपी शुक्ला’ दोनों ही भरे-पूरे परिवार के थे। हरिहर काका के चार भाई थे। उन्हें छोड़कर सभी का परिवार था। हरिहर काका के दो विवाह हुए, किंतु उनकी दोनों पत्नियाँ लंबे समय तक उनका साथ न दे सकी और उनकी मृत्यु हो गई है। हरिहर काका निःसंतान रह गए। वे अपने भाइयों के साथ रहते थे। उनके पास काफ़ी जमीन थी। उनकी कोई संतान न होने के कारण उनके भाइयों की दृष्टि उनकी जमीन पर थी। टोपी शुक्ला भी भरे-पूरे परिवार का था। टोपी को अपनों के रूप में अजीज दोस्त इफ़्फन, उसकी दादी व नौकरानी सीता मिली। टोपी के पिता एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं, घर में किसी चीज़ की कमी नहीं है, फिर भी वह अपना अकेलापन दूर करने के लिए इफ्फ़न के घर जाता है, जो वह उसका घनिष्ठ दोस्त है क्योंकि उसके अकेलेपन को समझने वाला अपने घर में कोई नहीं है। उसे इफ़्फन की दादी से गहरा लगाव है, वह उनके पास बैठकर कहानियाँ सुनता है। दादी की मृत्यु होने पर वह अपने को अकेला महसूस करता है, क्योंकि उसे वह दादी माँ की तरह ही लगती थी।
(iii) “सपनों के से दिन’ पाठ में बच्चों को स्कूल जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था, क्यों ? कारण सहित उत्तर स्पष्ट करते हुए बताइए कि स्कूल जाने के संबंध में आपका क्या अनुभव है?
उत्तर:
सपनों के से दिन’ पाठ में बच्चों को स्कूल जाना इसलिए अच्छा नहीं लगता था क्योंकि उन्हें कक्षा कार्य व अध्यापक द्वारा सिखाए गए सबक कभी याद नहीं होते थे। स्कूलों के बारे में मेरी राय है कि शारीरिक दंड पर रोक लगाना बहुत आवश्यक कदम है। बच्चों को विद्यालय में शारीरिक दंड से नहीं अपितु मानसिक संस्कार द्वारा अनुशासित करना चाहिए। इसके लिए पुरस्कार, प्रशंसा, निंदा आदि उपाय अधिक ठीक रहते हैं क्योंकि डर से बच्चा कभी भी अपनी समस्या अपने शिक्षक के समक्ष नहीं रख पाता है। उसे सदैव यही भय सताता रहता है कि यदि वह अपने अध्यापक को अपनी समस्या बताएगा तो उसके अध्यापक कहीं उसकी पिटाई न कर दें जिसके कारण वह बच्चा दब्बू किस्म का बन जाता है। इसके स्थान पर यदि उसे स्नेह से समझाया जाएगा तो वह सदैव अनुशासित रहेगा और ठीक से पढ़ाई भी करेगा और वह नियम से रोजाना विद्यालय आएगा।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। (5 x 1=5)
(क) मेरे जीवन का लक्ष्य
संकेत बिंदु –
- जीवन में लक्ष्य की आवश्यकता
- लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयास
- उपसंहार
- आपका लक्ष्य क्या है?
- सफल होकर समाज के लिए क्या करोगे?
उत्तर:
जीवन में निश्चित सफलता के लिए एक निश्चित लक्ष्व का होना अत्यंत आवश्यक है। जिस तरह निश्चित गंतव्य तय किए बिना, चलते रहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता, उसी तरह लक्ष्य विहीन जीवन मी निर्थक होता है।
एक व्यक्ति को अपनी योग्यता एवं रुचि के अनुरूप अपने लक्ष्य का चयन करना चाहिए। जहाँ तक मेरे जीवन के लक्क्य की बात है, तो मुझे बचपन से ही पदने लिखने का शॉक रह्षा है, इसलिए में एक शिक्षक बनना वाहता हूँ। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास करती है और इस प्रक्रिया में शिक्षक की मूमिका सर्वांिक महत्त्यपूर्ण होती है।
में विक्षक बनकर समाज हित के ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति प्राप्त करना चार्दूँा का, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे एवं समर्पित शिक्षकों का अभाव है। एक आदर्श शिक्षक के रूप में गैं धार्मिक कट्टरता, माइवेट ट्यूशन, नशाखोरी आदि से बचाने हेतु सभी छात्रों का उचित मार्गदर्शन कर्जँगा। सही समय पर विद्यालय जाऊँगा और अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से करॉगा।
शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए सहायक सामग्रियों का भरपूर अच्छा छ्ञान प्राप्त कर्लेंगा। मुझे आज के समाज की आवश्चकताओं का ज्ञान है, इसलिए ने इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु छात्रों को उनके नैतिक कर्त्तव्यों का ज्ञान कराऊँगा। अतः मेरे जीवन का लक्ष्य होगा-आदर्श शिक्षक बनकर समाज की सेवा करना तथा देश के विकास में योगदान देना।
(ख) प्राकृतिक आपबा : भूकंप
संकेत बिंदु –
- भूकंष के कनरण
- भूकंप के प्रकोप
- मूकरप के प्रभाव
- उपसंह्षर
उत्तर:
भूक्य ‘तूफान, अतिवृष्टि, अनावृष्टि हिमपात’ आदि की तरह एक प्राकृतिक आपदा है। इस आपदा का प्रकोप विश्व के किसी-भ-किसी हिस्से पर पड़ता ही रहता है। इस आपदा के शिकार अनेक माणी होते है। इसके होने वाली जान माल की हानि का केवल अनुमान ही लगाया जाता है। ऐसा इसलिए कि इसके प्रभाव असीमित और अनिश्चित होते है। फलतः इसके विषय में निश्चित रूप से कहना कुछ कठिन अवश्य होता है। भूकंप शब्द दो शब्दों के मेल से बना है-भू और कंपा भू शब्द का अर्थ होता है-पृथ्वी और कंप शब्द का अर्थ होता है-काँपना या हिलना। अब म्रश्न यह है कि पृथ्वी का काँपना और हिल्लना क्यों होता है?
दूसरे शब्दों में पृथ्वी क्यों काँपती या हिलती है? इस प्रश्न का उत्तर यैज्ञानिकों ने बड़ी खोजबीन करके दिया है। उनके अनुसार प्राकृतिक कारणों के फलस्वरूप पृथ्वी के भीतर की पर्तें या वट्टाने अस्थिर होकर हिलने लगती है। उनके हिलने से पृथ्वी के कपरी भाग में भी कंपन होता है। इस केपन की प्रक्रिया और स्वरूप को भूरंग कहा जाता है।
भूकम आने के कारण वैज्ञानिकों ने अनेक कारण बताए है। उनमें दो कारण मुख्य रूप से है-विवर्तनिक कारण और अविदर्तनिक कारण। विवर्तनिक कारण के अनुसार पृथ्नी के दाब के कारण भूकें आता है। दूसरे शब्दों में पृथ्वी का दाब सर्वन्र एक समान नहीं है अर्थात् पृथ्यी के नीतर कहीं-कहीं अधिक गहराई पर तापमान कम भी है और अधिक भी।
फलस्वस्त्य इसकी भीतरी परतों पर भी दाब कह्ही अधिक और कहीं कम है। जहाँ पर दाब अधिक है, वह कभी न कभी बहुत बद़ जाता है कभी तो इतना अधिक बढ़ जाता है कि पृथ्वी की भीतरी स्थिर चट्टाने हिलने-डोलने के कारण मुछकर दूटने लगती है। इसका पभाव कपरी चट्टान पर पड़ने लगता है। पलस्वरूप चट्टान सरकने लगती है। इनके सरकने की प्रक्रिया के दौरान भूरंप आने लगता है।
भूकंय के विषय में लोगों के भिन्न-भिन्न मत हैं। भूगर्म शास्त्रियों का मत है कि धरती के भीतर तरल पदार्थ है। यह जब अंदर की गर्मी के कारण तीव्रता से फैलने लगते हैं, तो फृथ्यी हिल जाती है। कभी-कभी ज्वालमुखी का फटना भी भूक्षम का कारण बन जाता है। यहों के लोगों का मत है, कि जब पृथ्वी के किसी भाग पर अत्याचार और अनाचार बढ़ जाते है, तो उस माग में देवी प्रकोप के कारण भूकंप आते है। देहातो में यह कथा भी प्रचलित है कि शेष नाग ने पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर रखा है।
उसके सात सिर है, जब एक सिर पृथ्वी के बोझ के कारण धक जाता है, तो उसे दूसरे सिर पर बदलता है। उसकी इसी क्रिन्या से पृथ्वी हिल जाती है और भूक्रं आ जाता है। भूकप आने से पहले यदि सूबना या पूर्वानुमान हो जाए, तो हमें सर्वमथम स्वय को व अपने सभी आस-पास के लोगो को सचेत करना चाहिए तथा सभी की सुरक्षित जगह पर पहुँचने में सहायता करनी चाहिए। भूके आने पर हमें किसी बड़े पेड़ या सुले मैदान की ओर जाना चाहिए तथा जब तक भूरंग शांत न हो तब तक सुरिक्षत स्थान पर ही रुकना चाहिए।
(ग) समाचार-पत्र और भारत
संकेत बिंदु –
- समाचार-प्पत्रों का महत्त्य
- समाचार-पत्रों की संयमित मूमिका
- समाचार-पत्रों की पह्हुंय
- उपसंहार
उत्तर:
वर्तमान युग में समाचारेक्ष्व को प्रजातंत्र की शक्ति का आवार स्तं भ समझा जाता है, क्योंकि समाधार-पत्र एक ओर जहों जनता की आवाज है, वहीं दूसरी ओर जन-जागरण का भाध्यम भी है। समाचार पत्र के द्वारा देश-विदेश की गतिविधियों, घटनाओं, समस्याओं आद्वि की जानकारी प्राप्त होती है। यह ज्ञानार्जन के साध-साध मनोरंजन का साधन मी है। समाचार-प्रों के द्वारा आज व्यापार, शिक्षा, मनोरंजन आदि से संबंधित अनेक विज्ञापन तथा सूवनाओं का प्रसारण भी होता है।
इसमें खेलकूद, सिनेमा, रेडियो तश दूरदर्शन के कार्यक्म, सरकारी सूचनाएँ आदि अनेक बातों की जानकारी रहती है। इसके सपादकीय में सरकारी नीतियों पर टिण्पणी प्रकाशित होती है। हमारे देश में विभिन्न भाषाओं में अनेक समाधार-पत्र प्रकाशित किए जाते है। आज हिन्दी में हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, जनसता, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला, आज वीर अर्जन, नई दुनिया, लोकसत्ता, लोकमत, राप्ट्रीय सहारा, पंजाब फेसरी जैसे अनेक समाचार-पत्र निकल रहे हैं। हमारा कर्त्तव्य है कि हम समाचार-पत्रों का अध्ययन कर्रें तथा अपना ब्रानवर्षन करें।
देश-दिदेश में होने वाली हर दिन की घटनाओं का परिचय हमें समाचास-पत्रों के माध्यम से मिलता है। समाचास्पत्र बहुत ही शक्तिशाली यंत्र है, जो व्यक्ति के आत्मविश्वास और व्यक्तित्व को विकसित करता है। यह लोगों और संसार के बीच संबंच स्थापित करता है। हमें अपने देश के नेताओं की विचारधाराओं की जानकारी समाचार-पत्रों के माध्यम से बड़ी आसानी से कम खर्च में ही मिल जाती है। दूसरे देशों में क्या चल रहा है। इन सारी बातों को ज्ञान हमें समाचार-पत्रों से ही होता है। अत: समाचार आज एक बडी शक्ति है। जिसके बिना हमारा ज्ञान आज के समय में अचूरा है।
समाथार-पत्र एक वड़ी शक्ति है। इससे बड़े-बड़े नेता भी घबराते हैं। यह कभी-कभी बड़ी-बड़ी सरकारों को भी उखाड़ फेंकला है। कभी जनता में क्रांति की लहर फेलाता है और अच्छी सरकार की स्थापना में मदद भी करता है। समाचार-्पत्र एक योग्य शिक्षक की भूमिका भी निमाता है। हम पर में बैटे-बेठे देश-विदेश की खबरों को जानते है। यह हमारा व्यावहारिक ज्ञान विकसित करता है।
प्रश्न 15.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए- (5 × 1 = 5)
(i) आपका नाम मुदित/मुदिता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश हेतु प्रदेश सरकार द्वारा आर्थिक दृष्टि से कमजोर, प्रतिभाशाली छात्रों के लिए निःशुल्क शिक्षण की जो व्यवस्था की गई है, उसकी सराहना करते हुए किसी दैनिक हिन्दी समाचार-पत्र के संपादक को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में
संपादक
नवभारत टाइम्स
नई दिल्ली
दिनांक…..
विषय- निःशुल्क शिक्षण की व्यवस्था हेतु पत्र
महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र का नियमित पाठक हूँ। मैं आपको पत्र द्वारा अवगत कराना चाहता हूँ कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश हेतु जो आर्थिक दृष्टि से कमज़ोर छात्र हैं, उनके लिए निःशुल्क शिक्षण की व्यवस्था की गई है जिससे कई प्रभावशाली छात्रों को नौकरियों में अवसर मिलेंगे। मैं प्रदेश सरकार को इस कार्य के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ। ऐसी प्रदेश सरकार को सम्मानित करना चाहिए जो अपनी कर्त्तव्य निष्ठा व परोपकार निभाते हैं।
सधन्यवाद
भवदीय
मुदित कुमार
6/387, तिलक नगर अलीगढ़
अथवा
(ii) “आज़ादी के अमृत महोत्सव’ पर आयोजित की जाने वाली सांस्कृतिक गतिविधियों के अभ्यास हेतु सांस्कृतिक कला सचिव की ओर से स्कूल के प्रधानाचार्य को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए जिसमें प्रार्थना सभा के दौरान अभ्यास की अनुमति माँगी
गई हो।
उत्तर:
सेवा में
श्रीमान प्रधानाचार्य जी,
सेन्ट कॉलम बस विद्यालय
कमला नगर,
आगरा।
विषय: सांस्कृतिक गतिविधियों के अभ्यास हेतु अनुमति (प्रार्थना सभा के दौरान)
उत्तरमाला
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की दसर्वी ‘बी’ कक्षा की अध्यापिका हूँ। आगामी सप्ताह में “आजादी का अमृत महोत्सव ‘ पर सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन हो रहा है। इन गतिविधियों में मेरे विद्यालय से अनेक विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। समयाभाव के कारण इन प्रतिभागियों कौ तैयारी उचित रूप से नहीं हो पाई है। महोदय, कला सचिव होने के कारण मैं आपसे प्रार्थना सभा के दौरान अभ्यास करने की अनुमति चाहती हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि सभी प्रतिभागी अनुशासित रहेंगे तथा गतिविधियों में उत्तम प्रदर्शन भी करेंगे। इसके लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद
सोनम
(सांस्कृतिक कला सचिव)
कक्षा – 10 ‘ब’
दिनांक – 00/00/00
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए। (4×1=4)
आपकी एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक विद्यालय में कहीं खो गई है। उसे लौटाने की अपील करते हुए 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए।
अथवा
आप बाल भवन के निदेशक अतुल अग्निहोत्री हैं। ग्रीष्मावकाश में बाल भवन द्वारा आयोजित बाल चित्रकला कार्यशाला के लिए 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए।
उत्तर:
केन्द्रीय विद्यालय, द्वारका, नई दिल्ली दिनांक : 15 मई, 20xx गणित की महत्त्वपूर्ण पुत्तक खो जाने के संबंध में विद्यालय के सभी छात्रगण, मेरे प्रिय सहुपाठी व विद्यातय के कर्मचारीगण कृपया ध्यान दें। में कविता कक्षा 10 वी ‘ब’ की छात्रा हूं। मेरी गणित की पुस्तक दुर्भाग्यवश मेरी लापरवाही के कारण दियालय में कहीं खो गई है। जिस किस्सी भी छात्र सहपाठी व कर्मचारी को वह पुस्तक मिले तो कृग्यया वह पुस्तक मेरी कक्षा के रूम नंबर 19 , दूसरी मंजिल ‘ए’ ब्लॉक में पहुँचाने का कल्ट करें या फिर विद्यालय कार्यालय में जमा करा दें। आपकी अति कृषा होगी। |
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 21 मई, 20xx
सेवा में,
डाकपाल महोदय
मुख्य डाकघर
तिलक नगर क्षेत्र
दिल्ली।
विषय मनीऑर्डर खो जाने की शिकायत हेतु।
महोदय,
निवेदन यह है कि 10 दिन पहले मैंने आपके मुख्य डाकघर से ₹ 12,000 का मनीऑर्डर (धनादेश) करवाया था। यह धनादेश मैंने अपने पिताजी के पास श्री वेदप्रकाश, मथुरा के पते पर भेज़ा था। 15 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक वह धनादेश मेरे पिताजी के पास नहीं पहुँचा है और न ही धनादेश वापिस मुझे प्राप्त हुआ है। इतने दिन बीत जाने के बाद भी मुझे इस विषय की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। धनादेश न मिलने के कारण हमें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इसलिए, में आपको धनादेश का विवरण दे रहा हूँ ताकि आप इस पर कार्यवाही जल्द से जल्द करें। धनादेश रसीद संख्या : 1035, दिनांक 11 मई, 20xx में इस धनादेश की एक छायाप्रति/फोटोकॉपी भी आपके पास भेज रहा हूँ।
कृपया आप शीघ्र अतिशीघ इस लापता धनादेश की जाँच करके उक्त पते पर भेजें तथा मुझे सूचित करें। मुझे आशा है कि आप शीघ्र इस पर उचित कार्रवाई करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
राकेश कुमार
प्रश्न 17.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए- (3 × 1 = 3)
(i) आपकी माता जी तरह-तरह के स्वादिष्ट अचार बनाती हैं। इन अचारों की बिक्री के प्रचार-प्रसार हेतु लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कौजिए।
उत्तर:
अथवा
(ii) विद्यालय में आयोजित होने वाले वसंत मेले के प्रचार-प्रसार हेतु लगभग 40 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए ।
उत्तर:
प्रश्न 18.
‘चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात’ उक्ति को आधार बनाकर लगभग 100 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए। अथवा (5 x 1=5)
आप नमन शर्मा/नेहा शर्मा हैं। आपसे आपकी आय से ज्यादा आयकर लिया जा रहा है। इस विषय पर आयकर अधिकारी को सूचित करते हुए एक ई-मेल लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
एक बार रोम का एक राजा भीषण रोग से पीड़ित हो गया। उस समय के देश-विदेश के प्रख्यात एवं निष्णात चिकित्सक राजा के उपचार के लिए बुलाए गए, किन्तु अच्छी-से-अच्छी औषधियों के प्रयोग से भी वे राजा के रोग का निदान न कर सकें। राजा का रोग पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ता चला गया। असाध्य रोग के कारण राजा के हृद्य में विकलता और राज्य में उदासी छा गई। एक दिन एक वृद्ध पुरुष राजा के दरबार में आया और रोगग्रस्त राजा से कहा राजन एक विशेष औषधि के सेवन से आपका रोग ठीक हो सकता है।
यह विशेष औषधि किसी अन्य व्यक्ति के पित्ताशय (गॉलब्लेडर) से तैयार की जाती है। यह औषधि आपके रोग को मूल से उखाड़ने की क्षमता ही नहीं रखती अपितु आपको चिरंजीवी भी बना सकती है। वृद्ध व्यक्ति के वचनों को सुनकर राजा के निराश मन में आशा का संचार हो गया। उसने वृद्ध के प्रति मन ही मन कृतज्ञता अभिव्यक्त करते हुए राज्य के चिकित्सकों को ऐसे व्यक्ति को तलाश करने का आदेश दिया, जिसकी पित्त की थैली से औषधि बनाई जा सके।
अंततः चिकित्सकों को एक ऐसा परिवार मिल गया, जिनको हाथ की तंगी के कारण भरपेट भोजन भी उपलब्ध नहीं होता था। इस परिवार में केवल 3 सदस्य थे-एक लड़का और उसके माता-पिता। चिकित्सकों ने लड़के के माता-पिता को धन का प्रलोभन देकर उसके एकमात्र पुत्र को खरीदने का प्रस्ताव रखा। धन की लालसा ने माता-पिता की आँखों पर पर्दा डाल दिया। उनकी दृष्टि में धन मोह के सम्मुख पुत्र मोह फीका पड़ गया और उन्होंने अपने घर के दीपक को चिकित्सकों को दे दिया। चिकित्सक लड़के को राजा के सामने लेकर आए। राजा ने लड़के की पित्त की थैली को लेने के विषय में राज्य-पुरोहित से विचार-विमर्श किया।
पुरोहित ने कहा-राजन! यद्यपि देश सर्वोपरि होता है, किन्तु उसका शासक उससे भी बड़ा होता है, क्योंकि वह देश की रक्षा करता है तथा अहर्निश समृद्धि के लिए प्रयास करता है। ऐसे शासक के लिए किसी भी व्यक्ति के जीवन की बलि देना अपराध नहीं है। पुरोहित के वचनों को सुनकर लड़के को राजा के सम्मुख खड़ा कर दिया गया। जल्लाद भी तलवार लेकर आ पहुँचा।
चिकित्सक औषधि तैयार करने वाले उपकरणों को लेकर वहाँ खड़े हो गए। अब राजा के आदेश की प्रतीक्षा थी। उसी क्षण लड़का आकाश की ओर देखकर जोर-जोर से हँसने लगा। उसे हँसते देखकर सम्राट ने लड़के से हँसने का कारण पूछा, लड़के ने कहा जिस देश में माँ-बाप धन के लिए संतान को बेच दें, पुरोहित निरअपराध मनुष्य की हत्या को उचित ठहराए, देश और प्रजा की रक्षा करने वाला शासक निर्दोष प्राणी की जान लेकर अपनी जान बचाएँ, वहाँ तो ऊपर वाले के न्याय पर ही भरोसा करना पड़ेगा।
यहाँ की शासन व्यवस्था तो 4 दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात कहावत को चरितार्थ करती है। लड़के की बातों को सुनकर सम्राट की आँखें खुल गईं। उसे अपनी भूल पर पश्चाताप होने लगा। उसका मन ग्लानि से भर गया। उसके अंदर में मानवता के अंकुर फूट पड़े तथा उसने जल्लाद को वापस भेज दिया।
अथवा