Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 5 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Term 2 Set 5 with Solutions
समय: 2 घंटे
पूर्णांकः 40
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और खंड ‘ख’
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खण्ड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खण्ड – ‘क’
(पाठ्य पुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक) (अंक 20)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए। (2 x 2 = 4)
(क) वज़ीर अली ने कर्नल को कैसे मात दे दी? ‘कारतूस’ एकांकी के आधार पर लिखिए।
उत्तरः
वज़ीर अली एक बहादुर सिपाही था। कर्नल ने उसे पकड़ने के लिए जंगल में डेरा डाला पर उसने वेश बदलकर सवार के रूप में कर्नल ने अकेले बात की। उसने कर्नल से कहा कि वह वज़ीर अली को पकड़वाने में उसकी मदद करेगा, यदि वह उसे कारतूस दे दे। वज़ीर अली महीनों तक अंग्रेजों को दौड़ाता रहा था परन्तु हाथ नहीं आया था। कर्नल ने उसे सवार समझकर कारतूस दे दी। वह कारतूस ले गया और अपना सही नाम भी बताया गया। इस तरह उसने कर्नल को मात दे दी।
(ख) ‘कर चले हम फ़िदा’ शीर्षक कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत कविता में देश के सिपाही अपनी जान न्यौछावर करने की बात कह रहे हैं। वे देश व देशवासियों को सम्बोधित करके कह रहे हैं कि उन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। वे इस सुरक्षित देश को हमें सौंप रहे हैं। अब हमारा यह कर्तव्य है कि हम आगे भी इस देश को सुरक्षित रखें। इस कविता के माध्यम से कवि युद्ध में गए सैनिकों की परेशानियों, उनकी तकलीफों, मुश्किलों और उनके त्याग, बलिदान को दर्शाने में पूरी तरह सफल हुए हैं। एक सैनिक क्या चाहता है, क्या सोचता है, किन कठिनाइयों को झेलता है, इस कविता ने उस आभास को सफलतापूर्वक दर्शाया है।
(ग) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर बताइए कि शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धंस गए हैं?
उत्तरः
चारों तरफ घने बादल छाए हैं। तेज़ वर्षा में हवा से ऐसा लग रहा है मानो ताल में जलने से धुआँ निकल रहा है और चारों ओर धुआँ फैल गया है। पर्वतों पर चारों तरफ बादल छा गए हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो पर्वत बादल रूपी पंख लगाकर उड़ गया हो। बादलों के चारों तरफ छा जाने से लग रहा है मानो धरती पर अंबर टूटकर गिर पड़ा है। इस रहस्यमयी वातावरण को देखकर शाल के वृक्ष भयभीत हो गए हैं और डर कर मानो धरती में समा गए हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60-70 शब्दों में दीजिए। (4 x 1 = 4)
(क) “हमें सत्य में जीना चाहिए, सत्य केवल वर्तमान है।” ‘झेन की देन’ के इस कथन को स्पष्ट करते हुए लिखिए कि लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
अथवा
(ख) चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
उत्तरः
लेखक के अनुसार मनुष्य का वर्तमान ही सत्य है। वही हमारे सामने है। भूतकाल बीत चुका है और भविष्यकाल आने वाला है। बीते समय को लौटाया नहीं जा सकता है और जो आने वाला है, उसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। अतः जो हमारे सामने है, जो घट रहा है, वही शाश्वत है। एक समझदार मनुष्य को उसी में जीना चाहिए। इस प्रकार हम सत्य वरण करके सरलतापूर्वक आगे बढ़ पाते हैं। लेखक कहते हैं कि प्रायः लोग गुज़रे हुए दिनों की बातों में उलझे रहते हैं या आने वाले भविष्य के सपने देखते रहते हैं। इस तरह हम भूत या भविष्य के भंवर में घिरे रहते हैं। यदि ध्यान दिया जाए, तो बीते कल की यादें दुःख देती हैं और आने वाले भविष्य की चिंता हमारे दुख को और भी बढ़ा देती है। फिर इनमें जीने से क्या लाभ जिसमें रहकर हम स्वयं को महसूस कर पा रहे हैं, वही सत्य होता है बाकी तो सपना मात्र बनकर रह जाता है।
अथवा
चाय पीने के बाद लेखक ने अनुभव किया कि मानो उसके दिमाग की गति मंद हो गई हो। धीरे-धीरे वह दिमाग चलना बंद हो गया। तब उसे सन्नाटा भी सुनाई देने लगा। वर्तमानकाल अनंतकाल जैसा लंबा प्रतीत होने लगा।
प्रश्न 3.
पूरक पाठ्य-पुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से दो के उत्तर दीजिए। (3 x 2 = 6)
(क) ठीक ही तो कह रहे हैं महंत जी। कौन किसका है? पंद्रह बीघे खेत की फसल भाइयों के परिवार को देते हैं तब तो कोई पूछता नहीं, अगर कुछ न दें तब क्या हालत होगी? हरिहर काका के ठाकुरबारी चले जाने पर उनके भाइयों ने क्या किया?
उत्तरः
हरिहर काका भाइयों की पत्नियों के बुरे व्यवहार से दुखी होकर ठाकुरबारी चले गए। भाइयों को जब पता चला तो उन्होंने अपनी पत्नियों पर गुस्सा किया और उन्हें मनाने ठाकुरबारी चले गए परन्तु काका नहीं आए। दूसरे दिन वे फिर गए और काका के पाँव पकड़ कर रोने लगे। इससे काका का दिल पसीज गया और वे वापस आ गए। घर पर भी सभी को समझा दिया गया कि सभी हरिहर काका के साथ अच्छा व्यवहार करें।
(ख) आप अपना ग्रीष्मावकाश किस तरह गुज़ारते हैं? विद्यार्थियों के लिए ग्रीष्मावकाश के पहले और बाद के दिनों में क्या अन्तर होता था? ‘सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तरः
सभी विद्यार्थी ग्रीष्मावकाश में पहले के दिन घूमने-फिरने, खेलकूद करने, मौजमस्ती करने, तालाब में तैरने आदि में निकाल देते थे। परन्तु जैसे-जैसे स्कूल खुलने के दिन पास आते तो उन्हें गृहकार्य याद आता जो पूरा करने का समय नहीं मिलता। वे गृहकार्य को पूरा करने के लिए तरह-तरह की योजनाएँ बनाते परंतु उन योजनाओं को पूरा नहीं कर पाते। इसलिए वे मास्टर से पिटाई खाना ज्यादा अच्छा समझते। उनके अनुसार गृहकार्य करने से एक दिन पिटाई खाना ज्यादा सस्ता सौदा होता था। चूँकि पहले और अब के समय में काफी अंतर आ चुका है। अतः हम अपना ग्रीष्मावकाश गृहकार्य पूरा करने के साथ-साथ खेल-कूद और मोबाइल में गेम्स खेलकर बिताते हैं। अतिरिक्त समय में बागवानी आदि भी करते हैं।
(ग) इफ्फन की दादी के देहान्त के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगने लगा?
उत्तरः
इफ़्फ़न की दादी के देहान्त के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा लगता था क्योंकि घर में किसी और के पास वह नहीं रुकता था। सब उसका मज़ाक बनाते थे। इफ्फ़न की दादी के साथ टोपी की दोस्ती थी। वे दोनों एक ही भाषा बोलते थे। दादी उसे बहुत प्यार करती थीं। एक दादी के न होने से भरा-पूरा घर टोपी के लिए वीरान हो चुका था।
खण्ड – ‘ख’
(लेखन) (अंक 20)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। (6 अंक)
(क) मुसीबत में ही मित्र की परख होती है।
- अच्छे मित्र की पहचान
- मित्र के गुण
- सच्ची मित्रता
- निष्कर्ष
उत्तरः
मुसीबत में ही मित्र की परख होती है।
मित्रता एक अनमोल धन है। इसकी तुलना किसी अन्य रिश्ते से नहीं की जा सकती। यह वह रिश्ता है जिसे व्यक्ति स्वयं बनाता है। मित्रता की कीमत मित्रता ही है। इसका मूल्य रुपये-पैसे से नहीं चुकाया जा सकता। सच्चा मित्र मिलना जीवन में वरदान के समान है। बाइबिल में भी कहा गया है कि एक सच्चा मित्र विश्व की सर्वश्रेष्ठ दवा है। हमारे इतिहास में ‘मित्रता’ के अनेक प्रसंग हैं जैस- कृष्ण और सुदामा, अर्जुन और कृष्ण, विभीषण और सुग्रीव की राम से मित्रता आदि। मैत्री की महिमा बहुत बड़ी है। सच्चा मित्र सुख और दुःख में समान भाव से रहता है। सच्ची मित्रता कड़ी धूप में शीतल छाँव की तरह होती है। आवश्यकता पड़ने पर वह सही मार्गदर्शन करता है। सच्चे मित्रों के मध्य विचारों की एकता का गुण पाया जाता है, जो मैत्री को दिनों-दिन प्रगाढ़ करता है। चापलूसी और झूठी प्रशंसा करने वाले सच्चे मित्र नहीं होते। सच्चे मित्र कुमार्ग पर चलने से रोक कर हममें नैतिक मूल्यों के विकास में सहयोग करते हैं। इसलिए हमें ऐसा मित्र खोजना चाहिए जो सद्चरित्र एवं शुद्ध हृदय वाला हो। सच्चा मित्र जीवन का सर्वश्रेष्ठ अनुभव है। यह एक ऐसा मोती है जो गहरे सागर में डूबकर ही मिलता है। जो विपत्ति में साथ देता है वही सच्चा मित्र होता है। “विपति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत”।
(ख) जीवन का आत्ममंथन
- जीवन की असफलतायें आलसी व्यक्ति
- हालातों को दोष देना
- आत्ममंथन
उत्तरः
जीवन का आत्ममंथन जो लोग अपनी असफलताओं के लिए या जीवन में गतिरोध के लिए हालातों को जिम्मेदार ठहराते हैं, वे या तो गलती पर हैं या हालात से डरते हैं। वे या तो जीवन को समझ नहीं पाए या उलझनों में फंसे हुए हैं। वे या तो आलसी हैं या अकर्मण्य हैं। एक कारण और भी हो सकता है कि उनकी नीयत और नीति में मेल न हो। यह अति आवश्यक है कि नीयत और नीति दोनों एक सूत्र में पिरोई हुई हों अर्थात् मेल खाती हों। ऐसा कदापि संभव नहीं है और नीयत मानसिक इच्छा है, जो खोटी भी हो सकती है और खरी भी। खोटी नीयत वाला व्यक्ति कदापि संसार में नहीं टिक सकता और यदि टिकेगा, तो बहुत कम समय के लिए; केवल तब तक, जब तक उसकी नीयत खुलकर सामने नहीं आती क्योंकि नीति की जननी नीयत है और जब जननी में ही दोष है, तो संतान में कोई-न-कोई विकृति अवश्य आ जाएगी। ऐसे में वह मनुष्य गलत नीयत एवं नीति के कारण पतन का भागी होगा। हालातों को असफलता के लिए ज़िम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है क्योंकि हालात तो उनके साथ भी वही होते हैं या लगभग वही होते हैं, जो सफलता प्राप्त करते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपनी असफलताओं की जिम्मेदारी खुद नहीं ले सकता, तो वह अपनी सफलता की जिम्मेदारी लेने का भी अधिकारी नहीं है। जीवन का असली आनंद तो तभी है, जब परिस्थितियाँ विषम हों।
(ग) विद्यार्थी और अनुशासन
- विद्यार्थी के कर्त्तव्य
- अनुशासन से लाभ
- अनुशासन का विद्यार्थी जीवन में महत्व
उत्तरः
विद्यार्थी और अनुशासन विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व है। इसी के सहारे विद्यार्थी अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। इसलिए कहा भी गया है:
“विद्यालय में अनुशासन जहाँ
है मर्यादित विद्यार्थी वहाँ।”
अनुशासित जीवन द्वारा ही विद्यार्थी अपने भविष्य को सुंदर बना सकता है। विद्यार्थियों का विद्यालय के नियमों का पालन करना, शिक्षकों की आज्ञापालन एवं अपने छोटे व बड़ों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना आदि अनुशासन के ही अंग हैं। अनुशासन का पालन करने से जीवन में व्यवस्था का वातावरण बनता है। इससे दैनिक जीवन में व्यवस्था आती है तथा नियमित रूप से कार्य करने की क्षमता का विकास होता है। अनुशासित विद्यार्थी के लिए सभी शिक्षकों की सद्भावनाएँ बनी रहती हैं। इसके विपरीत, अनुशासनहीन विद्यार्थी उदंड बन जाता है। जो विद्यार्थी अनुशासन में रहकर पढ़ते हैं तथा अपनी दिनचर्या का अनुशासन में रहकर निर्वाह करते हैं, वे अवश्य ही उन्नति करते हैं और अन्य लोगों की प्रेरणा के पात्र बनते हैं।
प्रश्न 5.
आप कक्षा-10 की छात्रा आर्या हैं। कक्षा में भूलवश हुई अपनी अशिष्टता की क्षमा याचना करते हुए कक्षा अध्यापक को लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए। (5 अंक)
अथवा
आप शालीमार बाग के निवासी हैं। आवारा कुत्तों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए नगर निगम अधिकारी को पत्र लिखिए।
उत्तरः
दिनांक……….
सेवा में
कक्षा अध्यापिका
द.-पू., रेलवे, बालिका विद्यालय
खड़गपुर, पश्चिम बंगाल
विषयः क्षमा प्रार्थना हेतु पत्र
माननीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं कक्षा दसवीं की छात्रा हूँ। मुझसे बुधवार दिनांक 25-08-20XX को कक्षा की खिड़की का काँच टूट गया। ये घटना अचानक से खिड़की खोलते समय हुई। अचानक से ही काँच टूट गया। मैं क्षमाप्रार्थिनी हूँ क्योंकि आपने ही कहा था कि मैं स्वयं खिड़की न खोलूँ, किसी सेविका को बुला लूँ , पर मैंने खुद ही ये सब किया। अतः मैं हृदय से क्षमाप्रार्थिनी हूँ। वास्तव में, मैं बहुत ही शर्मिंदा हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मैं कभी भी आपकी बातों को अनसुना नहीं करूँगी।
धन्यवाद !
आपकी आज्ञाकारी शिष्या
आर्या
कक्षा- दसवीं
अथवा
दिनांक……
सेवा में
नगर निगम आयुक्त
दिल्ली नगर निगम
दिल्ली
विषयः आवारा कुत्तों की ओर ध्यानाकर्षण के संबंध में।
माननीय महोदय,
विनम्र निवेदन है कि मैं शालीमार बाग का निवासी हूँ। यह क्षेत्र बहुत अच्छा है लेकिन यहाँ का पश्चिम क्षेत्र आजकल बद-से-बदतर होता जा रहा है। सुबह, शाम, रात जब भी यहाँ जाओ, आवारा कुत्ते चारों तरफ भागते-दौड़ते दिखाई देते हैं। कभी चौराहे पर खड़े होते हैं, तो कभी बीच सड़क में खड़े हो जाते हैं। इस कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। महोदय, आप जल्द-से-जल्द इस समस्या से निजात दिलाने की चेष्टा करें।
धन्यवाद
भवदीय
क. ख. ग.
प्रश्न 6.
(क) आप आई.सी.आई.सी.आई. बैंक की तिलक नगर शाखा के शाखा प्रबंधक हैं। बैंक की शाखा से संबंधित सुझाव आमंत्रण हेतु एक सूचना लिखिए। (2.5)
अथवा
तिमारपुर हॉकी स्टेडियम में हॉकी मैच के आयोजन के संबंध में एक सूचना लिखिए।
उत्तरः
सूचना
आई. सी. आई. सी. आई.
तिलक नगर शाखा, नई दिल्ली
तिलक नगर निवासियों को सूचित किया जाता है कि आपकी सुविधा हेतु उपर्युक्त बैंक ने अपनी नई शाखा आपके क्षेत्र में खोली है। इसमें अपेक्षित सुधार के लिए आपके अनमोल सुझावों का स्वागत है। कृपया अपने सुझावों को सुझाव पेटी में डालने का कष्ट करें।
दिनांक- 06-06-20XX
धन्यवाद!
शाखा प्रबंधक
तिलक नगर शाखा
नई दिल्ली
अथवा
सूचना
ध्यानचंद हॉकी क्लब, तिमारपुर
दिल्ली
सभी खेल प्रेमियों को सूचित किया जाता है कि 15 सितम्बर प्रातः 10 बजे तिमारपुर, हॉकी स्टेडियम में ध्यानचंद हॉकी क्लब द्वारा हॉकी मैच का आयोजन किया जा रहा है।
पहले आइए-पहले पाइए के आधार पर इच्छुक दर्शक अपनी सीटें आरक्षित करवाएँ।
दिनांक-08-10-20xx
प्रबंधक
ध्यानचंद हॉकी क्लब
(ख) साहित्यिक क्लब की ‘प्राचीर’ पत्रिका हेतु विद्यालय के वार्षिकोत्सव की लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार करो। (2.5)
अथवा
आप इस वर्ष दशहरा के अवसर पर विद्यालय के प्रांगण में मेले का आयोजन करना चाहते हैं इससे संबंधित सूचना लगभग 50 शब्दों में विद्यालय के सूचनापट्ट के लिए लिखिए।
उत्तरः
मैरी गोल्ड स्कूल
कंकड़ बाग, पटना
दिनांक: 20 मार्च 20XX
सूचना
सूचित किया जाता है कि हर वर्ष की तरह विद्यालय का वार्षिकोत्सव 25 मार्च 20XX को मनाया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता हमारे प्रदेश के शिक्षा मंत्री करेंगे। इसमें आप सब सादर आमंत्रित हैं।
डी. के. बोस
प्राचार्य
अथवा
क ख ग विद्यालय समय : 3 बजे
सूचना
आप सभी को सूचित करते हुए हमें बड़ा हर्ष हो राह है कि इस वर्ष भी दशहरा के अवसर पर एक भव्य मेले का आयोजन होने जा रहा है। इस मेले में खेल के स्टॉल, भोजन की विविधता पूर्ण स्टॉल के साथ-साथ रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी होगा। इच्छुक छात्रों से प्रार्थना है कि वे अपना नाम व कार्यक्रम या स्टॉल का नाम खेल शिक्षक को लिखवा दें। अधिक जानकारी हेतु नीचे दिए नं. पर संपर्क करें।
कार्यक्रमः
स्थानः विद्यालय का प्रांगण
समयः सुबह 10 से शाम 6 बजे तक
तिथि: 25 सितंबर,
अ ब स (सचिव)
9812161140
प्रश्न 7.
(क) एशियन पेंट कम्पनी हेतु एक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
वी. वो. मोबाइल पर एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
अथवा
(ख) ‘शिक्षा का अधिकार’ के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में इस अधिकार का लाभ उठाने के लिए एक विज्ञापन का आलेख लगभग 25-50 शब्दों में लिखिए। (2.5)
अथवा
आप अपने विद्यालय में एन. सी. सी. छात्र प्रतिनिधि हैं। विद्यालय में होने वाले स्वतंत्रता दिवस के समारोह में अन्य छात्रों से विद्यालय में समारोह के दौरान उचित अनुशासन का पालन हो, के लिए सूचना लिखिए।
उत्तरः
सर्व शिक्षा अभियान
समस्त नागरिकों को सूचित किया जाता है कि भारत सरकार के द्वारा संचालित
निःशुल्क प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा का लाभ सभी ग्रामीण
अपने बच्चों के भविष्य के लिए उठाएं।
सरकारी योजना में सभी को हर संभव मदद की जाएगी।
सर्वसाधारण इस वक्त से भी विदित रहे कि प्राथमिक शिक्षा के दौरान भारत सरकार
के द्वारा अन्य सारी योजनाओं को भी चलाया जा रहा है जैसे कि निःशुल्क वस्त्र
वितरण योजना, नि:शुल्क मिड-डे मील इत्यादि।
अत: हमारे देश की प्रगति के लिए सभी अपने बच्चों को शिक्षा दिलाएं।
अथवा
सूचना
दिल्ली पब्लिक स्कूल, सिलीगुड़ी (प. ब.)
एन. सी. सी. व विद्यालय के सभी छात्र छात्राओं को सूचित किया जाता है कि विद्यालय में मनाए जाने वाले स्वतंत्रता दिवस के समारोह में सभी विद्यार्थी विद्यालय की साफ व स्वच्छ पोशाक में रहें। विद्यालय के नियमों एवं अनुशासन का पालन करें। एन. सी. सी. के छात्रा विद्यालय में उचित अनुशासन बनाए रखें। विद्यालय का समय 15 अगस्त को प्रातः 7 : 30 बजे से 11 : 30 तक है।
दिनांक…………..
एन. सी. सी. प्रतिनिधि
गुरमीत रावत
प्रश्न 8.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघुकथा लिखिए। (5 अंक)
राजा का संत से मिलना – संत का मामूली चटाई पर बैठ धूप सेंकना – राजा ने सोचा संत उसे प्रणाम करेगा- संत का ऐसा न करनासंत का राजा को एक ओर खड़े होने को कहना- धूप आने दो ये कहना- राजा को गुस्सा आना – राजा का पूछना ‘पता है मैं कौन हूँ’- संत का शांत रहना- राजा का स्वयं के विषय में बताना- संत ने कहा तुम राजा नहीं हो- राजा ने कहा मैं विश्वविजयी हूँ- संत का शांति से कहना- राजा, बैचेन होकर नहीं घूम सकता – लोगों का दिल प्रेम से जीतो- राजा का संत को प्रणाम कर चले जाना। (संकेत के आधार पर कहानी लिखिए)
अथवा
एक राजा – मंत्री ईमानदार और समझदार- रात को राजा का जाग जाना- मंत्री को कमरे में चिंतित देखना- गत साल फसल की कमी -कर वसूली में वृद्धि- राजा मंत्री से प्रभावित- अगले साल लगान नहीं वसूलने का निर्णय- राजा और मंत्री दोनों खुश। (संकेत के आधार पर कहानी लिखिए)
उत्तरः
एक राजा की भेंट एक संत से हुई। संत एक खुरदरी घास की चटाई पर बैठा धूप सेंक रहा था। राजा उनके सामने खड़ा हो गया और सोचने लगा कि संत उसे प्रणाम करेगा, पर उसने ऐसा नहीं किया। इसके बदले संत ने उन्हें कहा- कृपया एक ओर खड़े हो जाओ, धूप को मुझ तक आने दो। राजा गुस्से में आ गया और कहने लगा “जानते हो मैं कौन हूँ? संत ने कहा-राजा तुम राजा नहीं हो। राजा आवेशवश बोला-मैं विश्वविजयी हूँ।” राजा की अहंकार भरी बातें सुनकर भी संत ने कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर बाद संत ने कहा- “राजा, तुम्हारी तरह बेचैन होकर नहीं घूमा करते। जाओ, लोगों के दिलों पर प्यार से विजय पाओ।” यह सुनकर राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और वे चुपचाप वहाँ से चला गया।
अथवा
एक देश में राजा महेशपति नामक राजा रहता था। वह काफी ईमानदार और समझदार था। उसका मंत्री सुजान सिंह भी उसी की तरह था। इसलिए सारी प्रजा उनका सम्मान करती थी। एक दिन रात में महेशपति की नींद खुल गई, उन्होंने देखा सुजान सिंह के कमरे में प्रकाश है, राजा वहाँ चले गए। उन्होंने देखा कि सुजान सिंह गहरी चिंता में है, उन्होंने पूछा क्या बात है मंत्री जी! मंत्री ने उत्तर दिया-महाराज गत वर्ष फसल की उपज में कमी आई है परन्तु फिर भी इस वर्ष के लगान की वसूली अधिक है, इसलिए चिंतित हूँ। राजा बोले आमदनी कम तो नहीं है बढ़ गई है न? मंत्री ने कहा-रात बहुत हो गई है आप सो जाइए। कल विचार करेंगे। दूसरे दिन मंत्री ने राजा से कहा कि-“गरीब किसान काफी मेहनत से अन्न उपजाता है। प्रजा को दुखी कर कोई राजा सुखी नहीं रहा है।” राजा को मंत्री की बात समझ आ गई। दूसरे दिन ही राजा ने प्रजा में घोषणा कर दी कि अगले वर्ष लगान नहीं वसूला जाएगा। राजा की इस घोषणा से प्रजा में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। राजा और मंत्री दोनों खुश हो गए।