Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 1 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Term 2 Set 1 with Solutions
समय: 2 घंटे
पूर्णांकः 40
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और खंड ‘ख’
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खण्ड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खण्ड – ‘क’
(पाठ्य पुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक) (अंक 20)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए (2 x 2 = 4)
(क) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में पर्वत द्वारा अपना प्रतिबिंब तालाब में देखना पर्वत के किन मनोभावों को स्पष्ट करना चाहता है?
उत्तरः
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने पर्वत को मानवीय भावनाएँ व्यक्त करते हुए दर्शाया है। तालाब रूपी दर्पण पर्वत के मनोभावों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। पर्वत तालाब रूपी दर्पण में अपना सौन्दर्य निहारकर आत्ममुग्ध हो रहा है। सहस्र सुमन
रूपी नयनों से तालाब में प्रतिबिंबित अपने विशाल आकार को देखकर उसे गर्व की अनुभूति होती है। साथ ही अपने ऊपर खिले रंग-बिरंगे पुष्पों की शोभा निहारकर वह प्रफुल्लित हो उठता है।
(ख) ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता और ‘कारतूस’ एकांकी के भावों की तुलना कीजिए। विश्लेषण करते हुए अपने मत के समर्थन में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
देशभक्ति भाव से पूर्ण ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता और ‘कारतूस’ एकांकी पाठकों के हृदय में देशप्रेम और कर्तव्यनिष्ठा का भाव जगाती है। इन दोनों रचनाओं में देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए सहर्ष प्राणों का उत्सर्ग करने का संदेश निहित है। जहाँ ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता देश पर हँसते-हँसते कुर्बान हो जाने वाले वीर सैनिकों की भावनाओं की अभिव्यक्ति है वहीं ‘कारतूस’ एकांकी में वज़ीर अली के कारनामों से मातृभूमि के प्रति उसकी कर्तव्यनिष्ठा का बोध होता है।
(ग) वज़ीर अली के जीवन का लक्ष्य अंग्रेज़ों को इस देश से बाहर करना था। ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए।
उत्तरः
वज़ीर अली अवध के नवाब आसिफउद्दौला का अत्यंत वीर, साहसी और पराक्रमी बेटा था। अवध के तख्त पर बैठने के केवल पाँच महीने बाद ही उसने अवध को अंग्रेजों के प्रभाव से पूर्णतः मुक्त कर दिया था। तब अंग्रेजों ने षड्यंत्र रचकर उसे गद्दी से हटाकर उसके पिता के भाई सआदत अली को अवध का नवाब घोषित कर दिया। ऐसी विषम परिस्थितियों में भी वज़ीर अली अपने कुछ जाँबाज़ सिपाहियों के साथ नेपाल की सीमा की ओर बढ़ता रहा ताकि वहाँ पहुँचकर वह अपनी सेना का विस्तार करके अंग्रेजों को बाहर खदेड़ सके।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60-70 शब्दों में दीजिए. (4 x 1 = 4)
(क) मृगाक्षी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मैनेजर के पद पर आसीन है। श्रेष्ठ संचालन व बहुमुखी प्रतिभा की धनी होने के साथ ही बुद्धिमानी से तथ्यों को सुलझाने और सभी कार्यों को व्यवस्थित करने में उसका कोई सानी नहीं। वह रात-दिन काम में जुटी रहती है। कंपनी के स्तर को बढ़ाने के लिए सदैव प्रयासरत रहती है। कुछ दिनों से उसके सिर में दर्द रहने लगा है तथा नींद भी ठीक से नहीं आती है। ज़रा-ज़रा सी बात में चिड़चिड़ापन होता है तथा अक्सर उदासी उसे घेरे रहती है। इसका क्या कारण हो सकता है? ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ पाठ में ‘झेन की देन’ हमें जो सीख प्रदान करती है, क्या वह मृगाक्षी के लिए सही साबित हो सकती है? स्थिति का मूल्यांकन करते हुए अपने विचार लिखिए। (4 अंक)
उत्तरः
‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ के पाठ ‘झेन की देन’ में मानसिक रोगों के कई कारण जैसे जीवन की तेज़ रफ़्तार, मानसिक तनाव और उच्च स्पर्धा आदि बताए गए हैं। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत मृगाक्षी भी दिन-रात काम में जुटी रहकर कंपनी के स्तर को ऊँचा उठाने का प्रयास करती थी। उस पर प्रतिस्पर्धा का मानसिक दबाव भी था। मानसिक तनाव और जीवन की तेज़ रफ़्तार दिमाग को रुग्ण (बीमार) कर देती है। हम एकाकी और चिड़चिड़े हो जाते हैं। इसीलिए कार्य की अधिकता और व्यस्ता के कारण जीवन में संतुलन न रख पाने से मृगाक्षी बीमार हो गई। पाठ ‘झेन की देन’ में ‘टी सेरेमनी’ के माध्यम से भूतकाल और भविष्यकाल को मिथ्या समझकर वर्तमान को स्वीकारने और सुख-चैन से जीवन जीने का महत्त्व बताया गया है। तनावरहित होकर सहजता से कर्मरत रहते हुए हम स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
अथवा
(ख) दुनिया भर में असहिष्णुता लगभग आम हो गई है। जाति, धर्म, रंग और वैचारिक रूप से भिन्न दृष्टिकोण रखने वाले लोगों के प्रति असहिष्णुता की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। सहिष्णुता की परिभाषा पर विचार करें तो जिस विश्वास और प्रथा को हम पसंद नहीं करते, उसमें बाधा डालने की बजाय संयम बरतना ही सहिष्णुता है। कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने कहा, ‘अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।’ इस पंक्ति की सार्थकता व वर्तमान समय में इसका औचित्य स्थापित कीजिए।
उत्तरः
कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने अपनी कविता ‘मनुष्यता’ के माध्यम से मानव को परोपकार, करुणा, उदारता, धैर्य, विश्वबंधुत्व, सहिष्णुता, और दया आदि मानवीय गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। हमें वैचारिक भिन्नता को दूर करके परस्पर प्रेम, सौहार्द और सहयोग भाव का प्रसार करना चाहिए। साथ ही हमें जातिगत, धार्मिक और पारस्परिक मतभेद भुलाकर सभी तर्कों से परे ईश्वर के एक मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए। हम सब उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के अंश हैं और परमात्मा का अस्तित्व सभी तर्कों से ऊपर है। अत: मानव को सद्गुण अपना कर लोककल्याण को अपने जीवन का ध्येय बनाना चाहिए। वर्तमान सन्दर्भ में गुप्त जी की ये काव्य पंक्तियाँ तभी सार्थक होंगी जब हम सब आपसी मतभेद भुलाकर जन-कल्याण के हित में कार्य करेंगे।
प्रश्न 3.
पूरक पाठ्य-पुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से दो के उत्तर दीजिए। (3 x 2 = 6)
(क) कल भी उनके यहाँ गया था, लेकिन न तो वह कल ही कुछ कह सके और न आज ही। दोनों दिन उनके पास मैं देर तक बैठा रहा, लेकिन उन्होंने कोई बातचीत नहीं की। जब उनकी तबीयत के बारे में पूछा तब उन्होंने सिर उठाकर एक बार मुझे देखा फिर सिर झुकाया तो दुबारा मेरी ओर नहीं देखा। हालाँकि उनकी एक ही नज़र बहुत कुछ कह गई। जिन यंत्रणाओं के बीच वह घिरे थे, और जिस मन:स्थिति में जी रहे थे, उसमें आँखें ही बहुत कुछ कह देती हैं, मुँह खोलने की जरूरत नहीं पड़ती।
हरिहर काका की पंद्रह बीघे जमीन उनके लिए ‘जी का जंजाल’ बन गई। कथन के आलोक में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तरः
हरिहर काका एक नि:संतान वृद्ध थे जिनके पास पंद्रह बीघा जमीन थी। उनके और लेखक के बीच बहुत मधुर और आत्मीय संबंध थे। उनकी ज़मीन पर उनके भाइयों के अलावा ठाकुरबाड़ी के महंत की भी दृष्टि थी और उनका उद्देश्य किसी भी तरह काका की ज़मीन को हथियाना था। इसके लिए उन्होंने कई तरह के हथकंडे अपनाए और हरिहर काका पर बहुत अत्याचार किए। उनके सगे रिश्तेदारों ने उनके विश्वास को ठेस पहुँचाई जिसका दर्द लेखक ने उनसे मिलने पर उनकी आँखों में देखा जो रिश्तों की गर्माहट को नकारता हुआ स्वार्थ, लिप्सा और धर्म की आड़ में पनपती हिंसात्मक प्रवृत्ति को उजागर करता है। महंत ने जबरदस्ती उनसे सादे कागज़ पर अंगूठे के निशान लिए और उन्हें मार-पीट कर कमरे में बंद कर दिया। उनके सगे भाइयों ने ज़मीन अपने नाम करवाने के लिए उन्हें जान से मारकर घर में ही गाड़ देने की धमकी दी। इस प्रकार ‘वह पंद्रह बीघा जमीन काका के’ जी का जंजाल, बन गई।
(ख) लेखक गुरदयाल सिंह अपने छात्र जीवन में छुट्टियों के काम को पूरा करने के लिए योजनाएँ तैयार करते थे। क्या आप की योजनाएँ लेखक की योजनाओं से मेल खाती हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए तरह-तरह की योजनाएँ बनाता था। जैसे गणित के दो सौ सवाल को हल करने के लिए वह छुट्टियाँ समाप्त होने से एक महीना पहले बीस दिन में दस सवाल प्रतिदिन पूरे करने का लक्ष्य रखता था। किन्तु खेलकूद में अधिक समय बिताने से काम पूरा न होने पर मास्टर साहब की पिटाई खाने को अच्छा समझने वाले विद्यार्थियों की तरह बहादुर बनने की कल्पना करने लगता। मैं अपने स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को बहुत महत्वपूर्ण समझता हूँ और उसे पूरा करने के लिए कार्य का समयानुसार विभाजन करके नियत समय पर कार्य को पूर्ण कर लेता हूँ। मेरे माता-पिता भी मुझे अपनी शिक्षा के प्रति सजग रहने को प्रेरित करते हैं।
(ग) वह तो जब डॉक्टर साहब की जमानत जब्त हो गई तब घर में ज़रा सन्नाटा हुआ और टोपी ने देखा कि इम्तिहान सिर पर खड़ा
वह पढ़ाई में जुट गया। परन्तु ऐसे वातावरण में क्या कोई पढ़ सकता था? इसलिए उसका पास ही हो जाना बहुत था। “वाह!” दादी बोली, “भगवान नज़रे-बंद से बचाए। रफ्तार अच्छी है। तीसरे बरस तीसरे दर्जे में पास तो हो गए।…” टोपी ज़हीन होने के बावजूद कक्षा में दो बार फेल हो गया। जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियों से हार मान लेना कहाँ तक उचित है? टोपी जैसे बच्चों के विषय में आपकी क्या राय है?
उत्तरः
टोपी के ज़हीन (बुद्धिमान) होने के बाद भी कक्षा में दो बार फेल हो जाने का प्रमुख कारण उसकी पारिवारिक परिस्थितियाँ थीं। जब भी वह पढ़ाई करने बैठता उसकी माँ अथवा बड़ा भाई उसे कोई काम बता देते। उसका छोटा भाई भैरव उसकी कॉपियों के पन्ने फाड़ देता। दूसरे वर्ष टोपी को टायफाइड हो गया। फिर पिता के चुनाव में खड़े होने से घर में चुनावी माहौल छा गया। अपने परिवार से उपेक्षित और प्रताड़ित टोपी ने यह दृढ़ निश्चय किया कि वह अब की बार अवश्य पास होकर दिखाएगा और ऐसा ही हुआ। सच्ची लगन और विश्वास से टोपी ने तीसरे वर्ष जो कार्य कर दिखाया वह पहले वर्ष में ही कर सकता था क्योंकि समय और परिस्थितियाँ सदैव हमारे अनुकूल नहीं होती किन्तु दृढ़तापूर्वक चुनौतियों का सामना करते हुए हम अपने लक्ष्य को पा सकते हैं।
खण्ड – ‘ख’
(लेखन) (अंक 20)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- (6 अंक)
(क) आभासी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया
उत्तरः
संकेत बिन्दुः आरंभ कब और कैसे, लाभ-हानि, सावधानियाँ, स्थिति से सामंजस्य वर्ष 1993 से आभासी शिक्षा को वैध शिक्षा माध्यम के रूप में स्वीकार किया गया है। आभासी शिक्षा प्रणाली में हम शिक्षक से इंटरनेट के माध्यम से लैपटॉप या सेलफोन के द्वारा आभासी कक्षाओं में मिलते हैं तथा घर बैठे शिक्षा प्राप्त करते हैं। सन् 2020 में वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा सभी शैक्षिक संस्थाओं को बंद करने का निर्णय लिया गया और तभी आभासी शिक्षण का विद्यालय स्तर पर भी प्रयोग होना प्रारंभ हुआ। इसके माध्यम से विद्यार्थी अपने अभिभावकों के संरक्षण में घर पर रहकर ही शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हो पाए। इस प्रकार, आभासी शिक्षा ने शिक्षा और सुरक्षा दोनों को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया तथा विभिन्न माध्यमों ने इसमें अपनी भागीदारी निभाई। आभासी शिक्षा से बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर और ट्यूशन का खर्च भी बचने लगा। इस नई पहल में शिक्षा व्यवस्था बाधित होने की बजाय अधिक आसान हुई है। इस माध्यम ने शिक्षण को मनोरंजक और रोमांचकारी बना दिया है। विद्यार्थी अब आभासी कक्षाओं में शिक्षक के साथ ध्यानपूर्वक अध्ययन करते हुए नोट्स भी लेते हैं। इसके प्रसार के लिए सरकार द्वारा दीक्षा पोर्टल और ‘स्वयंप्रभा’ टीटीएच के जरिए भी बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। इसके अंतर्गत ग्रामीण इलाकों के छात्रों और दिव्यांगों द्वारा भी लाभ उठाने की व्यवस्था है। यद्यपि आभासी शिक्षण के छात्रों का स्क्रीन टाइम बढ़ने से उनकी आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही निम्न आर्थिक वर्ग के विद्यार्थियों के लिए मोबाइल और कम्प्यूटर की अनुपलब्धद्धता और नेटवर्क की सुगमता न होना आभासी शिक्षण के मार्ग में बड़ी चुनौती है किन्तु वर्तमान में यह शिक्षण का एक सुरक्षित माध्यम बन गया है।
(ख) क्यों आवश्यक है सहनशीलता
उत्तरः
संकेत बिन्दुः सहनशीलता का अर्थ, इसकी आवश्यकता, नैतिक मूल्य एवं सुखद जीवन सहनशीलता वह गुण है जो मानव को अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ सिद्ध करता है। सहनशील होने से जीवन का वास्तविक विकास होता है। संत कबीर और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का सादगी से भरा जीवन भी सहनशीलता का अनुपम उदाहरण है। जो व्यक्ति विषम परिस्थितियों में भी सहनशील रहकर चुनौतियों का सामना करते हुए जीवन क्षेत्र में आगे बढ़ता है, वही सफलता प्राप्त करता है। सहनशीलता का गुण अभ्यास से ही सीखा जा सकता है। सहनशील मनुष्य के अपने परिवार, आस-पड़ोस और समाज में अच्छे संबंध रहते हैं। वह अपने बिगड़े काम को भी सँभाल लेता है तथा उसे सब का सहयोग और सम्मान प्राप्त होता है। इस गुण के अभाव में कई बार मनुष्य को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और उसके मन-मस्तिष्क पर क्रोध का आधिपत्य हो जाता है। घर हो या स्कूल सभी जगह हमें अपनी सहनशीलता का परिचय देना चाहिए। वर्तमान में नई पीढ़ी में सहनशीलता कम होती जा रही है। इसका प्रमुख कारण भौतिकतावाद, एकाकी परिवार तथा पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव है। एकाकी परिवारों में कामकाजी माता-पिता बच्चों को अधिक समय नहीं दे पाते हैं तथा बच्चों को बुजुर्गों का सान्निध्य नहीं मिल पाता है, यही कारण है कि बच्चों में सहनशीलता का अभाव हो रहा है। बच्चों को जरा-जरा सी बात पर क्रोध आता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक घातक है। आज इस बात की अत्यंत आवश्यकता है कि हम सहनशील बनें ताकि हमारे कर्म और व्यवहार से किसी को कोई कष्ट न हो तथा हम एक स्वस्थ समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकें।
(ग) मेरे सपनों का भारत
उत्तरः
संकेत बिन्दुः मेरे सपनों का भारतगण कैसा है? क्या अपेक्षा है ? आपका कर्तव्य भारत एक गणतांत्रिक देश है। भारतीय संस्कृति समस्त विश्व के देशों के लिए अनुकरणीय रही है। भारतवर्ष विविधताओं का जादू भरा पिटारा है। यही विविधता हमारी शान और समृद्धि का कारण है। मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है। मैं भारत को विश्व के शक्तिशाली देश के रूप में देखना चाहता है/चाहती हूँ। एक ऐसा भारत जो पूर्णतया सुशिक्षित और भ्रष्टाचार, शोषण, हिंसा और बेरोजगारी से मुक्त हो। इसके लिए सरकार को ऐसी शिक्षा का प्रावधान करना चाहिए जिससे युवाओं को व्यवसाय या नौकरी के क्षेत्र में अनगिनत अवसर प्राप्त हो सकें। मैं एक ऐसे भारत की कल्पना करता हूँ/करती हूँ जिसमें देश के सभी नागरिक जातिगत, धर्मगत और वैचारिक मतभेद भुलाकर सांप्रदायिक सद्भाव, विश्व बंधुत्व और आपसी भाईचारे के सिद्धांतों पर चलें। देश में राष्ट्रीय एकता का संचार हो और भारत अपने प्राचीन सम्मान को पुनः प्राप्त कर सके। सभी लोगों को जीने के समान अवसर प्राप्त हो सकें-सब एक-दूसरे के सुख-दुःख में भागीदार बनें। संपूर्ण देश में एक कानून व्यवस्था हो। हम अपने तिरंगे की गरिमा को बनाए रखें ताकि देश की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रहे। साथ ही, भारत सभी क्षेत्रों में उन्नति के चरम शिखर को प्राप्त करे। हमारे देश का प्रत्येक नागरिक अपने अधिकारों के प्रति सजग हो और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करे, तभी हमारी अखंड भारत की संकल्पना साकार होगी।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित आप शौर्य/शारवी हैं। आपने अपने लिए ऑनलाइन पुस्तकें खरीदी थीं। रुपये जमा हो गए परन्तु पुस्तकें प्राप्त नहीं हो सकी। इस बात की शिकायत करते हुए संबंधित अधिकारी को लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए। (5 अंक)
अथवा
आप सृष्टि/सार्थक हैं। बेंगलुरु से चेन्नई शताब्दी एक्सप्रेस में यात्रा करते समय आपका कीमती सामान वाला बैग जल्दबाजी में गाड़ी में ही रह गया। आपके द्वारा की गई शिकायत से आपको अपना बैग वापस मिल गया। प्रबंधन की प्रशंसा करते हुए किसी समाचार-पत्र के संपादक को लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में,
प्रबंधक,
अ.ब.स. प्रकाशन,
लाजपत नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक: 23 जुलाई, 20XX
विषय: ऑनलाइन ऑर्डर की गई पुस्तकें प्राप्त न होने के संदर्भ में
महोदय,
मैं अ.ब.स. विद्यालय, आगरा का छात्र हूँ। लगभग पंद्रह दिन पूर्व आपके प्रकाशन द्वारा पाठ्य-पुस्तकों और व्याकरण पुस्तकों की ऑनलाइन बिक्री का विज्ञापन देखकर मैंने कक्षा 10 की पाठ्य-पुस्तकों का ऑर्डर दिया था। इसके लिए मैंने पुस्तकों का उचित शुल्क भी ऑनलाइन ही जमा कर दिया था, जिसकी मुझे पावती भी प्राप्त हो गई थी। किन्तु अत्यंत खेद का विषय है कि इतने दिन बीत जाने के बाद भी मुझे आज तक पुस्तकें प्राप्त नहीं हुई हैं। इसमें मेरी पढ़ाई बाधित हो रही है।
मैंने कई बार आपके प्रकाशन हाउस के दिए गए दूरभाष नम्बर पर संपर्क करने का प्रयास किया किन्तु मुझे असफलता ही हाथ लगी। अतः आपसे अनुरोध है कि शीघ्र-अति-शीघ्र मेरी समस्या का निवारण कर मुझे मेरे द्वारा किए गए पते पर पुस्तकें उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें।
सधन्यवाद,
भवदीय
शौर्य
12/23 कमला नगर,
आगरा, उत्तर प्रदेश
अथवा
सेवा में, संपादक, हिन्दुस्तान टाइम्स, बेंगलुरु, कर्नाटक। दिनांक: 20 जनवरी, 20XX विषयः रेल प्रबंधन की प्रशंसा हेतु। महोदय, मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से दक्षिण रेलवे-प्रबंधन की कार्यकुशलता और कर्तव्यनिष्ठता की सराहना करना चाहता हूँ। पिछले सप्ताह बेंगलुरु से चेन्नई शताब्दी में यात्रा करते समय मैं अपना कीमती सामान से भरा बैग ट्रेन में ही ऊपर की सीट पर रखकर भूल गया। अपने गंतव्य पर पहुँचकर मुझे अपनी भूल का एहसास हुआ तो मैं बहुत चिंतित हो उठा कि पता नहीं वह बैग मुझे अब मिलेगा या नहीं। जब मैंने इस संदर्भ में रेल प्रबंधन को सूचना दी तो उन्होंने तुरन्त कार्यवाही करते हुए मेरा बैग मेरे घर के पते पर सुरक्षित पहुँचा दिया। उनके द्वारा इतनी शीघ्र कार्यवाही किए जाने से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं दक्षिण रेलवे प्रबंधन की कार्यकुशलता की सराहना करते हुए उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। मुझे आशा है कि यह विभाग भविष्य में भी इसी प्रकार अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह करते हुए अपनी कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देगा।
सधन्यवाद,
भवदीय
सार्थक
प्रश्न 6.
(क) आप निवासी कल्याण संघ (रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन) के अध्यक्ष रमेश सुब्रह्मण्यम हैं। अपने क्षेत्र के मुख्य पार्क में आयोजित होने वाले योग-शिविर के विषय में जानकारी देते हुए लगभग 50 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
आप साहित्य संघ की सचिव सुपोरना चक्रवती हैं। आपके क, ख, ग विद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित होने वाली है। इसके लिए एक सूचना लगभग 50 शब्दों में पत्र लिखिए।
उत्तरः
निवास कल्याण संघ, मयूर विहार कॉलोनी, नई दिल्ली
सूचना
दिनांक: 23 नवम्बर, 20XX
योग-शिविर के आयोजन के संदर्भ में
समस्त क्षेत्रवासियों को सूचित किया जाता है कि शीतावकाश में ‘महर्षि पतंजलि योग संस्थान’ की ओर से दिनांक 25 दिसंबर, 20XX से 1 जनवरी, 20XX तक कॉलोनी के मुख्य पार्क में, एक नि:शुल्क योग-शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इच्छुक व्यक्ति अपने नाम, पता एवं फोन नम्बर का विवरण संघ के मुख्य सचिव के पास लिखवा दें। रमेश सुब्रह्मण्यम अध्यक्ष, निवासी कल्याण संघ
अथवा
क, ख, ग विद्यालय, आगरा
सूचना
दिनांकः 12 जुलाई, 20XX
वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन
समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय में दिनांक 24 जुलाई, 20XX को एक हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन होने जा रहा है। प्रतियोगिता में भाग लेने के इच्छुक विद्यार्थी प्रतियोगिता के विषय की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने तथा अपना नाम लिखवाने के लिए विद्यालय के साहित्य संघ की सचिव से संपर्क करें। प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु नाम लिखवाने की अंतिम तिथि- 16 जुलाई, 20xx है।
सुपोरना चक्रवती
(सचिव, साहित्य संघ)
(ख) आप कक्षा दसवीं के लिओनार्ड/बर्नडैट हैं। विद्यालय के बॉस्केटबॉल मैदान में आपको एक घड़ी मिली है। इससे संबंधित सूचना विद्यालय के सूचनापट्ट के लिए तैयार कीजिए जिससे घड़ी खोने वाला छात्र उसे प्राप्त कर सके। यह सूचना लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
आप अपने विद्यालय में इको क्लब के अध्यक्ष हैं। पर्यावरण दिवस के लिए आप विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहते हैं। इको क्लब के सभी सदस्यों की सभा इसी संदर्भ में आयोजित करने के लिए विद्यालय के सूचनापट्ट के लिए एक सूचना-पत्र लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तरः
नवदीप ज्योति पब्लिक स्कूल, नई दिल्ली
सूचना
दिनांक: 4 अप्रैल, 20XX
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय के बास्केटबॉल ग्राउंड में मुझे एक घड़ी मिली है। वह जिस किसी विद्यार्थी की हो विद्यालय के खोया-पाया विभाग से संपर्क करें और घड़ी की पहचान बताकर श्री एन.के कुलश्रेष्ठ सर से प्राप्त कर लें। लियोनार्ड
कक्षा द
अथवा
जागृति पब्लिक स्कूल, मेरठ
सूचना
दिनांक: 25 मई, 20XX
सभा के आयोजन के संदर्भ में
‘इको क्लब’ के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है कि क्लब की ओर से दिनांक 5 जून, 20XX को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने हेतु आज अष्टम कालांश में विद्यालय के सभागार में एक सभा का आयोजन किया गया है जिसमें ‘इको क्लब’ के सभी सदस्यों की उपस्थिति अपेक्षित है।
अ.ब.स
(अध्यक्ष, इको क्लब)
प्रश्न 7.
(क) स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सरकार की ओर से एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
आपके विद्यालय में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है जिसमें हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा जी विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित हैं। इसका प्रचार-प्रसार करने के लिए लगभग 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
अथवा
(ख) आपके क्षेत्र में निवासी कल्याण संघ (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) द्वारा एक पुस्तकालय तैयार किया गया है जिसमें प्रत्येक आयु वर्ग के लिए पुस्तकें उपलब्ध हैं। इसके प्रचार-प्रसार के लिए लगभग 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
आपकी कक्षा को विद्यालय के मेले के लिए हस्तनिर्मित सामग्री और चित्रों की प्रदर्शनी लगानी है। अपनी प्रदर्शनी के लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
क्या आपको पुस्तकें पढ़ने का शौक है? तो आइए शीघ्र लाभ उठाइए
क्षेत्रवासियों की सुविधा के लिए खुल गया है।
निवासी कल्याण संघ, गंगोत्री बिहार, नई दिल्ली द्वारा स्थापित एवं संचालित
‘सरस्वती पुस्तकालय’
- महान साहित्यकारों की श्रेष्ठ पुस्तकें
- बच्चों के लिए शिक्षाप्रद, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक पुस्तकें
- युवाओं के लिए खेल प्रतियोगिता परीक्षा और रोजगार संबंधी पुस्तकें
- योग, स्वास्थ्य संबंधी और धार्मिक पुस्तकें
- समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ एवं अन्य विषय पर आधारित पुस्तकें
पुस्तकालय खुलने का समयः प्रातः 11 बजे से सांय 7 बजे तक
नोटः आज ही अपना सदस्या कार्ड बनवाकर पुस्तकालय की सुविधाओं का लाभ उठाएँ।
अथवा
दिनांक: 14 नवंबर, 20XX प्रातः 10 : 00 बजे
विवेकानंद पब्लिक स्कूल, सेक्टर-3, रुड़की द्वारा आयोजित
‘बाल-मेला’
बच्चों की प्रतिभाएँ आपको अचंभित कर देंगी
हस्तकला प्रदर्शनी (स्टॉल संख्या-5)
विद्यार्थियों द्वारा निर्मित आकर्षक वस्तुएँ: स्वेटर, खिलौने, मूर्तियाँ, सजावटी सामान, मोमबत्तियाँ, चित्रकारी, कागज़ और कपड़ों के फूल आदि।
- विशेषताएं:
- सभी वस्तुएँ पर्यावरण-अनुकूल हैं।
- कुछ वस्तुओं का निर्माण अनुपयोगी सामग्री से किया गया है।
- कुछ वस्तुएँ यथोचित मूल्य पर बिक्री के लिए भी उपलब्ध हैं।
- स्टॉल संख्या-5
- प्रवेश पास के लिए विद्यालय के कार्यालय से संपर्क कीजिए।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघुकथा लिखिए।
परोपकार का परिणाम अथवा अपूर्व संतोष। (5 अंक)
उत्तरः
परोपकार का परिणाम
उज्जैन में एक बहुत धनी परोपकारी सेठ रहता था। उसका हीरो का बहुत बड़ा व्यवसाय और अपार संपत्ति थी। वह प्रतिदिन अपने कमाए हुए धन का एक हिस्सा साधु-संतों, निर्धनों की सेवा और भूखों को मुफ्त भोजन खिलाने में व्यय करता था। सेठ अब वृद्ध हो चले थे, इसलिए वे अपना धन, योग्य, उत्तराधिकारी को सौंपकर भगवत पूजा में अपना समय बिताना चाहते थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने तीनों पुत्रों को बुलाकर प्रत्येक को सौ सोने के सिक्के देकर कहा कि मैं चाहता हूँ कि तुम इस धन को किसी ऐसे कार्य में लगाओ कि यह धन और तुम्हारा यश बढ़ जाए। उसकी आज्ञा मानकर बड़ा पुत्र रमाकांत कपड़े का व्यवसाय शुरू करके धनोपार्जन करने लगा। दूसरे पुत्र रविकांत ने मजदूरों की सहायता से कुछ घर बनवाए और उन्हें ऊँचे दामों पर बेच दिया। तीसरे पुत्र शशिकान्त ने उस धन से कुछ खेती के औजार, अनाज, फल, सब्जियों और फूलों के बीज खरीदकर निर्धन किसानों के बीच बाँट दिए। समय आने पर उन किसानों के खेतों में फसल लहलहा उठी। उन्होंने बचत के अनुसार फसल का एक भाग अपने पास रखकर शेष भाग सेठ के गोदामों में जमा कर दिया जिसका उपयोग छोटे पुत्र ने गरीबों को मुफ्त भोजन खिलाने के लिए किया। लगभग एक वर्ष पश्चात् जब सेठ अपने पुत्रों के विषय में जानने के लिए नगर के भ्रमण पर निकले तो चारों ओर छोटे पुत्र के परोपकारी स्वभाव की चर्चा हो रही थी और सेठ का गोदाम अनाज, फल, सब्जियों आदि से भरा हुआ था। अपने छोटे पुत्र के परोपकारी स्वभाव के विषय में जानकर सेठ बहुत प्रसन्न हुआ और उसे अपना योग्य उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। सच है ‘परोपकार का परिणाम सुखद होता है।
अथवा
अपूर्व संतोष:
रमेश अपनी कक्षा का सबसे मेधावी छात्र था। वह खेलकूद में भी बहुत होशियार था। रमेश विद्यालय के वार्षिक खेलकूद के अवसर पर सदैव दौड़ में प्रथम आता था। इस बार भी बाल-दिवस पर विद्यालय की ओर से वार्षिक खेलकूद का आयोजन किया गया था। रमेश ने 100 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में भाग लिया। 100 मीटर की दौड़ में उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद 400 मीटर की दौड़ का आरंभ हुआ। सभी प्रतिभागी तीव्र गति से दौड़ रहे थे। हमेशा की तरह रमेश सबसे आगे था कि अचानक उसने देखा कि उसके बिल्कुल पीछे आने वाला प्रतिभागी मानव लड़खड़ा कर गिरा और बेहोश हो गया। रमेश विजय स्थल के निकट था, किन्तु ऐसे में अपने सहपाठी को छोड़कर गंतव्य पर पहुँचना उसे उचित नहीं लगा। उसने मानव को गोद में उठाया और तेजी से विद्यालय के चिकित्सा कक्ष की ओर दौड़ गया। इसी बीच तीसरे स्थान पर दौड़ने वाला विद्यार्थी दौड़ की समाप्ति स्थल पर पहुँच गया और उसे विजय हासिल हो गई। मानव को रमेश ने चिकित्सा स्थल तक पहुँचाया और वहाँ उपस्थित डॉक्टर द्वारा उसे प्राथमिक चिकित्सा दी गई। जब तक मानव को होश नहीं आ गया रमेश उसके सिरहाने ही खड़ा रहा। मुख्य अतिथि ने रमेश की कर्तव्य परायणता की प्रशंसा करते हुए उसे विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया। यद्यपि ऐसा करने में आज रमेश पहली बार दौड़ में विजयी होने से रह गया था किन्तु अपने मित्र को स्वस्थ देखकर उसके चेहरे पर एक अपूर्व संतोष का भाव था।