Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 2 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Term 2 Set 2 with Solutions
समय: 2 घंटे
पूर्णांकः 40
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और खंड ‘ख’
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खण्ड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खण्ड – ‘क’
(पाठ्य पुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक) (अंक 20)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए (2 x 4 = 8)
(क) बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल जी के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर:
किसी भी कहानी का ताना-बाना बुनने और उसे सलीके से आगे बढ़ाने के लिए एक विचार, घटनाक्रम, कथावस्तु, पात्र और पात्रों द्वारा किए गए संवाद का होना अति आवश्यक है। इन्हीं के आधार पर कहानी को आगे बढ़ाया जा सकता है। सिर्फ लेखक की इच्छा से ही कहानी नहीं लिखी जा सकती; मैं लेखक के इस बात से पूर्ण सहमत हूँ। वास्तव में यशपाल जी का यह कथन आजकल के लेखकों पर व्यंग्य है।
(ख) फादर बुल्के एक संन्यासी थे; परंतु पारम्परिक अर्थ में हमें उन्हें संन्यासी क्यों नहीं कह सकते?
उत्तर:
वे परंपरागत ईसाई पादरियों और भारतीय संन्यासियों से भिन्न थे। वे संकल्प से संन्यासी थे मन से नहीं। उनका जीवन नीरस नहीं था। व्यवहार और कर्म से संन्यासी होते हए भी वे अपने परिचितों के साथ गहरा लगाव रखते थे। वे सभी के परिवारों में आते जाते थे, उत्साह के साथ समारोहों में भाग लेते थे और पुरोहितों की तरह आशीष भी देते थे। दुःख की स्थिति में वे लोगों को सांत्वना देते थे, सहानुभूति प्रकट करते थे। आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से कॉलेज में अध्ययन एवं अध्यापन भी करते थे। इस प्रकार वे परंपरागत संन्यासी से भिन्न थे।
(ग) लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से यह महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं
उत्तर:
जब लेखक ने सेकंड क्लास के डिब्बे में प्रवेश किया तो वहाँ पहले से बर्थ पर पालथी मारे बैठे नवाब साहब के चेहरे पर असंतोष का भाव छा गया। उन्होंने लेखक से बातचीत करने की कोई कोशिश नहीं की। वे खिड़की से बाहर देखते हुए लेखक को न देखने का झूठा प्रदर्शन करते रहे। इससे लेखक को महसूस हुआ कि नवाब, उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं है।
(घ) फादर कामिल बुल्के के भारत-प्रेम पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
संन्यास लेते समय फादर द्वारा भारत जाने की शर्त रखने से यह बात स्पष्ट होती है कि उन्हें भारत से बहुत लगाव था। जहाँ लगाव होता है वहाँ प्रेम की उत्पत्ति स्वतः ही हो जाती है। फादर बुल्के का भारत से लगाव स्वाभाविक ही था। संन्यासी हो जाने की भावना मन में आने के बाद ‘प्रभु की इच्छा’ मानकर ही उन्होंने भारत आने का निर्णय लिया। उन्होंने हिन्दी विषय में शोध कार्य व सदैव हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के पक्षधर रहे।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए (2 x 3 = 6)
(क) ‘कन्यादान’ कविता में माँ द्वारा जो सीख दी गई है, वर्तमान परिस्थितियों में वह कितनी प्रासंगिक है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कन्यादान कविता में माँ द्वारा जो सीख दी गई है वह माँ के अनुभव की उपज है। माँ को दुनियादारी और ससुराल वालों द्वारा किए गए व्यवहार का अनुभव है। उन्हें ध्यान में रखकर भावी जीवन के लिए बेटी को सीख देती है। आज जब समाज में छल-कपट, शोषण और दहेज जैसी बुराइयाँ बढ़ी हैं, तब ससुराल में अधिक सजग रहने की जरूरत बढ़ गई है। अत: माँ द्वारा बेटी को दी गई सीख की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।
(ख) कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर:
फागुन माह में चारों तरफ एक-से-एक सुंदर फूल खिल जाते हैं। डाली-डाली हरे और लाल रंग के पत्तों से भर जाती है। वातावरण सुगंधित फूलों की खुशबू से महक उठता है। प्रकृति इतनी सुंदर और मनमोहक हो उठती है कि कवि उसकी सुंदरता पर मोहित हो उठते हैं। वह प्रकृति के उस सौंदर्य से अपनी आँखें तो हटाना चाहते हैं पर उनकी आँखें उस पर से हट नहीं रही है।
(ग) कवि बादल से फुहार या रिमझिम बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए क्यों कहता है?
उत्तर:
‘उत्साह’ कविता कवि ‘निराला’ का ओज और शक्ति से पूर्ण एक आह्वान गीत है। इसमें कवि बादलों से ऐसी गर्जना की अपेक्षा करता है जिसे सुनकर लोगों के मन में उत्साह का संचार हो, क्रांति हो जाए। जबकि बादलों की रिमझिम फुहार से व्यक्ति के मन में कोमल भावों की उत्पत्ति होती है, शान्ति का अनुभव होता है। ऐसे भावों से कवि का उद्देश्य पूरा नहीं होता। कवि संसार को जड़ता से मुक्त करने के लिए क्रांति चाहता है इसलिए वह बादलों से रिमझिम बरसने के स्थान पर गरजने के लिए कहता है।
(घ) ‘आग रोटियाँ सेकने के लिये है जलने के लिए नहीं’ इन पंक्तियों से समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर:
इन पंक्तियों से समाज में स्त्री की शोचनीय एवं दयनीय स्थिति की ओर संकेत किया गया है। जब दहेजलोभी लड़की को जलाकर मार दिया करते थे या उन्हें स्वयं जलकर आत्महत्या करने के लिए विवश कर दिया करते थे।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए (3 x 2 = 6)
(क) आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है ?
उत्तर:
बच्चों को अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलना रुचिकर लगता है। उनके साथ खेलकर वे अपने सारे दुःख भूल जाते हैं। दूसरा कारण मनोवैज्ञानिक भी है- बच्चों को अपने साथियों के सामने रोने या सिसकने में हीनता का अनुभव होता है। यही कारण है कि माँ द्वारा ज़बरदस्ती सिर में तेल लगाने और चोटी बनाने से चिढ़ा हुआ भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है।
(ख) जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या प्रयास किए ?
उत्तर:
मूर्तिकार ने उन फाइलों की खोज करवाई जिनसे लाट के पत्थर के विषय में पता चल सके। इसमें असफल होने पर वह हिन्दुस्तान के हर पहाड़ पर गया । देश के सभी महापुरुषों यहाँ तक कि बिहार के सेक्रेटरियट के सामने सन् बयालीस में शहीद हुए बच्चों की मूर्तियों की नाक नापी। अंत में देश के किसी जिंदा व्यक्ति की नाक लगाने का प्रयास किया जिसमें वह सफल रहा।
(ग) एक संवेदनशील नागरिक के रूप में पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में आपकी क्या भूमिका हो सकती है? ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रकृति का संरक्षण करना हम सभी का कर्त्तव्य है। वृक्षों के कटाव को रोकना और अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करना, पर्यटक स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण, जल स्रोतों के जल को प्रदूषण-रहित रखना, पॉलीथीन के प्रयोग को बंद करना आदि उपायों द्वारा हम पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं।
खण्ड – ‘ख’
(रचनात्मक लेखन खंड) (अंक 20)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित अनुच्छेदों में से किसी एक विषय पर संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए (5)
(क) समाज में बढ़ती अराजकता
- भूमिका
- अराजकता के कारण
- उपसंहार
उत्तर:
समाज में बढ़ती अराजकता मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज का उत्थान या पतन उसमें रहने वाले मनुष्यों की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। वर्तमान समाज में अराजकता अपने चरम पर है। समाज में व्याप्त अराजकता का प्रमुख कारण है मनुष्य की स्वार्थ पर लोलुपता एवं असन्तोष की प्रवृत्ति। ऐसे व्यक्ति बुराइयों में लिप्त होते हैं तथा समाज को दूषित करते हैं। इन्हीं व्यक्तियों से समाज में अराजकता का विस्तार होता है। आधुनिक समाज में अराजकता अनेक रूपों में विद्यमान है। समाज में व्याप्त चोरी, डकैती, लूटखसोट, हत्याएँ, महिलाओं से छेड़छाड़, रिश्वतखोरी आदि सभी अराजकता के ही रूप हैं। अराजकता को दूर करना यदि असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है पर सभी लोगों के सामूहिक प्रयास से इसे समाप्त किया जा सकता है। किसी एक व्यक्ति विशेष या वर्ग से नहीं अपितु समाज के समस्त वर्गों के लोगों को उसका विरोध करना होगा। हमें उन्हें रोकने के नये उपाय खोजने होंगे तथा कानून के नियमों को और भी अधिक सख्त बनाना होगा ताकि इनसे भली-भाँति निपटा जा सके। सभी असामाजिक तत्वों का सामाजिक रूप से बहिष्कार भी इस दिशा में एक उत्तम उपाय बन सकता है। हमारे इस प्रयास में समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएँ, चलचित्र, दूरदर्शन एवं संचार के अन्य माध्यम भी प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। तब वह दिन दूर नहीं जब हम एक सुसंस्कृत, उन्नत एवं गौरवशाली समाज का गठन कर सकेंगे।
(ख) भारतीय किसान और कृषि
- भूमिका
- किसानों का महत्त्व
- उपसंहार
उत्तर:
भारतीय किसान और कृषि भारतीय किसान भारतवासियों के लिए अन्नदाता हैं, उनके पालक हैं। वह धरती की छाती को फाड़कर, हल चलाकर अन्न उपजाता है किन्तु उसके परिश्रम का फल व्यापारी लूट ले जाता है। भारत में कृषि और किसानों की हालत दिनों-दिन बदतर होती जा रही है। जिसके कारण अनेक किसान आत्महत्या तक करने पर मजबूर होते जा रहे हैं। भारत में बहुत-से ऐसे लघु उद्योग हैं जिसे किसान आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए सरकार को जागरूक होना चाहिए। कभी खराब बीजों की वजह, कभी फसलों की कम कीमत, कभी खराब मौसम और कभी सरकार की गलत नीतियों की दोहरी मार से किसानों की दुर्दशा हो जाती है। किसानों की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए सरकार को किसानों के कर्ज माफ कर देने चाहिए तथा किसानों के लिए सरकार को लघु उद्योग लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही कृषि को व्यावहारिक बनाने के लिए अनुबन्ध कृषि को एक विकल्प के रूप में अपनाने पर जोर देना चाहिए ताकि, किसानों के जीवन को सही दिशा दी जा सके। भारतीय किसान बड़े परिश्रमी हैं। वह गर्मी-सर्दी तथा वर्षा की परवाह किये बिना ही अपने कार्य में जुटे रहते हैं। जेठ की दोपहरी, वर्षा ऋतु की उमड़ती-घुमड़ती काली मेघ-मालाएँ तथा शीत ऋतु की हाड़ कँपा देने वाली वायु उसे अपने कर्तव्य से रोक नहीं पाती। अभाव और विवशता के बीच ही वह जन्म लेता है तथा इसी दशा में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। धन्य हैं, अन्नदाता भारतीय किसान।
(ग) मेरे जीवन का लक्ष्य
- भूमिका
- अनगिनत विकल्प
- उपसंहार
उत्तर:
मेरे जीवन का लक्ष्य
‘पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले’-हरिवंशराय बच्चन। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य का निर्धारण सोच-समझ कर करता है। वह अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करता है। अर्जुन को जैसे चिड़िया की आँख ही दिख रही थी क्योंकि वही उनका लक्ष्य था। सारी इन्द्रियाँ एकाग्रचित्त करके जब उन्होंने बाण चलाया तो वे लक्ष्य बेधने में सफल हुए। जीवन का लक्ष्य बहुत सोच-समझकर प्रारम्भ से ही तय करना चाहिए तभी सफलता प्राप्त होती है। जो बार-बार अपना लक्ष्य बदलते रहते हैं, वे अवश्य ही असफल हो जाते हैं। मधुशाला में बच्चनजी कहते हैं, ‘राह पकड़ तू एक चला चल पा जायेगा मधुशाला।’ हर व्यक्ति के सामने अनगिनत लक्ष्य रहते हैं। कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई इंजीनियर, कोई शिक्षक बनना चाहता है, तो कोई फौजी अफसर। व्यक्ति यदि प्रारम्भ से ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर ले तो एकाग्रचित्त होकर उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील हो जाता है और अन्ततः अपना लक्ष्य पा लेता है। मैंने अपने जीवन का लक्ष्य शिक्षक बनना निर्धारित किया है। शिक्षक बनकर मैं देश की भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सकूँगा और उनका चारित्रिक विकास कर देश को अच्छा नागरिक देकर देश सेवा में योगदान दे सकूँगा। इससे औरों के समान मुझे भी आत्मसन्तोष तथा गर्व प्राप्त होगा।
प्रश्न 5.
मुकुल आपका मित्र है जिसने राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिता में स्वर्णपदक प्राप्त कर विद्यालय का नाम रोशन किया है, उसे बधाई देते हुए लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए। (5)
अथवा
अपने नगर के विद्युत अधिकारी को बिजली की कटौती के कारण पढ़ाई में आने वाली कठिनाइयों के विषय में अवगत कराते हुए, इसमें सुधार के लिए लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए।
उत्तर:
ए-47, सेक्टर 16 नोएडा, उत्तर प्रदेश
दिनांक: 15-07-20xx
प्रिय मुकुल,
सस्नेह नमस्कार,
कल के समाचार-पत्र में तुम्हारी शानदार सफलता के विषय में पढ़कर अतीव प्रसन्नता का अनुभव हुआ। तुमने राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिता में स्वर्णपदक प्राप्त करके न केवल अपने माता-पिता बल्कि विद्यालय को भी गौरवान्वित किया है।
मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि तुम्हारी इस उपलब्धि हेतु तुम्हें विद्यालय के वार्षिक समारोह में राज्य के खेलकूद मंत्री द्वारा सम्मानित किया जाएगा। नि:संदेह तुम इस सम्मान के अधिकारी हो। कठिन परिश्रम एवं निरंतर अभ्यास द्वारा तुमने अपना लक्ष्य पा ही लिया।
मेरे माता-पिता भी तुम्हें आशीर्वाद भेज रहे हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि तुम उत्तरोत्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर रहो । मेरी ओर से अपने माता-पिता को भी बधाई देना। तुम्हारी इस शानदार जीत की मिठाई खाने शीघ्र मिलूँगा।
तुम्हारा मित्र
अ ब स
अथवा
प्रेषक : अ ब स
22, जवाहरपुरी
कानपुर, उत्तर प्रदेश
दिनांक 19-06-20XX
सेवा में,
विद्युत अधिकारी कानपुर, उत्तर प्रदेश
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान नगर में व्याप्त विद्युत संकट की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। गत दो माह से इस नगर की विद्युत आपूर्ति में अत्यधिक कटौती की जा रही है। जब-तब बिजली चली जाती है और कई घंटों तक नहीं आती है।
महोदय, विद्युत आपूर्ति भंग होने से हम विद्यार्थियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। हमारी परीक्षाएँ भी निकट ही हैं । अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि कृपया इस दिशा में उचित कार्यवाही कर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराने की कृपा करें।
भवदीय
अ ब स
प्रश्न 6.
(क) इंजीनियरिंग और मेडिकल की परीक्षा की तैयारी के लिए आपके शहर में एक नया कोचिंग संस्थान ‘विकास’ खुला है। छात्रों को आकर्षित करने एवं संस्थान के प्रचार के लिए 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
हिन्दी के विद्यार्थियों के लिए एक नई व्याकरण पुस्तक ‘सुगम हिंदी व्याकरण’ बाजार में आई है। इसके प्रचार और बिक्री के लिए 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:
अथवा
(ख) ‘केशकांति आयुर्वेदिक तेल’ नामक उत्पाद हेतु एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
अपने विद्यालय की नयी ब्रांच हेतु विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:
अथवा
प्रश्न 7.
(क) अपने भाई को प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करने पर लगभग 40 शब्दों में बधाई-संदेश लिखिए। (2.5)
अथवा
मित्र के पिताजी का आकस्मिक निधन होने पर, मित्र को सांत्वना संदेश लगभग 40 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
संदेश लेखन
बधाई संदेश
29-07-20XX
प्रातः 10:00 बजे
प्रिय भाई आयुष,
प्रतियोगिता परीक्षा में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत-बहुत बधाई। तुम्हारी इस सफलता से विद्यालय ही नहीं, अपितु परिवार भी गौरवान्वित हुआ है। तुम इसी प्रकार उन्नति करते रहो, तुम्हारा भविष्य उज्ज्वल हो, यही शुभकामनाएँ हैं।
तुम्हारी बहन
शिवांगी
अथवा
सांत्वना संदेश
29-07-20XX
प्रातः 10:30 बजे
प्रिय ऋषभ,
तुम्हारे पिताजी के आकस्मिक निधन का दुःखद समाचार मिला। ईश्वर शोकाकुल परिवार को धैर्य प्रदान करे और दिवंगत आत्मा को शांति दे। दुःख की घड़ी है परंतु धैर्य बनाये रखना। इस दुःखद घड़ी में हम सब तुम्हारे साथ हैं।
आलोक
(ख) मित्र/सखी को जन्मदिन की शुभकामनाएँ देते हुए लगभग 40 शब्दों में संदेश लिखिए। (2.5)
अथवा
‘शिक्षक दिवस’ के अवसर पर अपने हिन्दी शिक्षक के लिए एक भावपूर्ण संदेश लगभग 40 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
बधाई संदेश
22-03-20XX
प्रातः 06:00 बजे
प्रिय अभिनव,
जन्मदिन की अंसख्य शुभकामनाएँ मित्र !
‘तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हों पचास हजार’
ईश्वर तुम्हें स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि, यश एवं बुद्धि प्रदान करे। आने वाला प्रत्येक नया दिन तुम्हारे जीवन में अनेक खुशियाँ और अपार सफलताएँ| लेकर लाए। समस्त परिवार को बहुत बधाई।
मुकेश
अथवा
06-सितम्बर-20XX
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई
परम श्रद्धेय गुरुदेव,
ज्ञान के दीप से जीवन पथ आलोकित कर दिया
आपने हमारा मार्गदर्शन कर जीवन सफल कर दिया। आपके द्वारा दिए गए अद्भुत ज्ञान और प्रेरणा के लिए आपका कोटिशः धन्यवाद। आपका प्रेरक व्यक्तित्व हमारे मन में नवीन ऊर्जा का संचार | करता है। हम सब छात्र आपके सदैव आभारी रहेंगे।
राजीव