CBSE Class 6 Hindi Vyakaran संधि
संधि-दो वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को संधि कहते हैं। संधि का अर्थ है-जोड़ या मिलन।
जैसे- रमा + ईश = रमेश
संधि के भेद
संदि तीन प्रकार की होती है-
स्वर संधि-जब दो स्वर वर्ण आपस में मिलते हैं तो उनमें जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं।
जैसे – विद्या + आलय = विद्यालालय
स्वर संधि पाँच प्रकार की होती है।
(i) दीर्घ संधि-
(ii) गुण संधि-
अ/आ + इ/ई = ए
नर + इंद्र = नरेंद्र
नर + ईश = नरेश
महा + इंद्र = महेंद्र
महा + ईश = महेश
अ/आ + उ/ऊ = ओ
सूर्य + उदय = सूर्योदय
महा + उत्सव = महोत्सव
अ/आ + = अर
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
ब्रह्म + ऋषि = ब्रह्मर्षि
राजा + ऋषि = राजर्षि
(iii) वृदूधि संधि-
अ/आ + ए/ऐ = ऐ
एक + एक = एकैक
सदा + एव = सदैव
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
अ/आ + ओ/औ = औ
परम + औषध = परमौषध
जल + ओध = जलौध
(iv) यण संधि-
(v) अयादि संधि-यदि ‘ए’, ‘ऐ’, ‘ओ’, ‘औ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो 1. ‘ए’ का ‘अयू’ 2. ‘ऐ’ का ‘आय्’ 3. ‘ओ’ का ‘अव्’ और 4. ‘औ’ का ‘आव्’ हो जाता है।
जैसे-
1. ने + अन = नयन
शे + अन = शयन
2. नै + अक = नायक
गै + अक = गायक
3. पो + अन् = पवन
श्रो + अन = श्रवण
4. पौ + अन = पावन
श्रौ + अन = श्रावण
व्यंजन संधि-जब व्यंजन वर्ण से स्वर या व्यंजन वर्ण का मेल होता है तो उत्पन्न विकार को व्यंजन संधि कहते हैं। व्यंजन संघि के नियम-
(i) जब किसी वर्ग के पहले वर्ण के बाद किसी वर्ग का तृतीय या चतुर्थ वर्ण आए या य, र, ल, व या कोई स्वर आए तो पहले वर्ण के स्थान में अपने ही वर्ग का तीसरा वर्ण हो जाता है;
जैसे- दिक् + गज = दिग्गज
दिक् + भ्रम = दिग्ध्रम
सत; + वाणी = सद्वाणी
जगत् + आनंद = जगदानंद
(ii) यदि किसी वर्ग के प्रथम वर्ण के बाद ‘न’ या ‘म’ आए तो प्रथम वर्ण अपने ही वर्ग के पंचम वर्ण में बदल जाता हैं;
जैसे – वाक् + मय = वाङ्मय जगत् + नाथ = जगन्नाथ
उत् + नति = उन्नति षट् + मास = षणुमास
(iii) यदि ‘मू’ के बाद कोई स्पर्श व्यंजन आए तो ‘मू’ का अनुस्वार या बाद वाले वर्ण के वर्ग का पाँचवा वर्ण हो जाता है;
जैसे- अहम् + कार = अहंकार, अहड्कार
किम् + चित = किंचित, किज्चित्
सम् + गम = संगम, सड्गम
(iv) यदि त्न्दू के बाद ‘ल’ हो तो ‘ल’ और ‘न्’ के बाद ‘ल’ हो तो अनुनासिक के साथ ‘ल’ हो जाता है।
जैसे- त् + ल उत् + लास = उल्लास
न् + ल महान् + लाभ = महालाभ
(v) सकार + शकार = शकार
जैसे- रमस्+ + शेते = रमशशेते
तवर्ग + चवर्ग = चवर्ग
जैसे- सत् + चित् = सच्चित्
तवर्ग + टवर्ग = टवर्ग
जैसे- महत् + णकार = महण्णकार
षकार + तवर्ग = षकार
जैसे- द्रष् + ता = द्रष्टा
(vi) यदि वर्गों के अंतिम वर्ण के अतिरिक्त शेष वर्णों के बाद ह आए तो ‘ह’ पूर्ववर्ण के वर्ग का चतुर्थ वर्ण हो जाता है और ‘ह’ के पहले वाला वर्ण अपने वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है;
जैसे- उत् + हत = उद्धत
उत् + हार = उद्धार
वाक् + हरि = वाग्धरि
(vii) हस्व स्वर के बाद ‘छ’ हो तो उसके पहले ‘चू’ जुड़ जाता है। दीर्घ स्वर में विकल्प होता है।
जैसे- परि + छेद=परिच्छेद शाला + छादन=शालाच्छादन
विसर्ग संधि-विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से जो विकार होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं। विसर्ग संधि के नियम-
(i)
विसर्ग के पहले इकार या उकार आए और विसर्ग के बाद का वर्ण क, ख, प, फ हो तो विसर्ग का ‘छ्’ हो जाता है;
जैसे – निः + कपट = निष्कपट
नि: + पाप = निष्पाप
नि: + कारण = निष्कारण
दु: + कर = दुष्कर
निः + फल = निष्फल
(iii) यदि बिसर्ग के पहले ‘अ’ हो और परे क, ख, प, फ हों तो विसर्ग ही रहता है;
जैसे-
प्रातः + काल = प्रातःकाल
पयः + पान = पयःपान
(iv) यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ और ‘आ’ को छोड़कर कोई दूसरा स्वर आए और विसर्ग के बाद कोई स्वर हो या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवा वर्ण हो या य, र, ल, व, हह हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘र्’ हो जाता है ;
जैसे- निः + उपाय = निरुपाय
नि: + धन = निर्धन
नि: + झर = निर्झर
नि: + विकार = निर्विकार
नि: + जल = निर्जल
(v) यदि इ-उ के बाद विसर्ग हो और परे ‘र’ हो तो इ-उ का क्रमशः ई-ज हो जाता है एवं विसर्ग लुप्त हो जाता है।
जैसे- निः + रव = नीरव
दु: + राज = दूराज
(vi) यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ आए और उसके बाद वर्ग का तीसरा, चीथा या पाँचवा वर्ण आए या य, र, ल, व, ह रहे तो विसर्ग का ‘उ’ हो जाता है और यह ‘उ’ पूर्वयर्ती ‘अ’ से मिलकर ‘ओ’ हो जाता है;
जैसे- मनः + रथ = मनोरथ
पय: + द = पयोद
बयः + वृद्ध = बयोवृद्ध
मन: + विकार = मनोविकार
(vii) यदि विसर्ग के आगे-पीछे ‘अ’ हो तो पहला ‘अ’ विसर्ग से मिलकर ‘ओ’ हो जाता है और बाद वाले ‘अ’ का लोप होकर उसकी जगह लोपाकार (s) का चिह्ह लग जाता है;
जैसे- प्रथमः + अध्याय = प्रथमोडध्याय यशः + अभिलाषी = यशोडभिलाषी
यदि विसर्ग के बाद ‘अ’ न हो तो विसर्ग का लोप हो जाएगा;
जैसे- अतः + एव = अतएव
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1.
दो ………… के मेल से उत्पन्न विकार को संधि कहते हैं।
(क) वर्णो
(ख) स्वरों
(ग) शब्दों
(घ) व्यंजनों
उत्तर:
(क) वर्णो
प्रश्न 2.
संधि के कितने भेद होते हैं?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(ख) तीन
प्रश्न 3.
स्वर वर्णों के आपस में मिलने से उत्पन्न परिवर्तन को ……….. कहते हैं।
(क) विसर्ग संधि
(ख) गुण संधि
(ग) व्यंजन संधि
(घ) स्वर संधि
उत्तर:
(घ) स्वर संधि
प्रश्न 4.
स्वर संधि के कितने भेद होते हैं ?
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) छह
(घ) सात
उत्तर:
(ख) पाँच
प्रश्न 5.
दीर्घ संधि का उदाहरण इनमें से कौन-सा है?
(क) भोजन + आलय = भोजनालय
(ख) नर + इंद्य = नरेंद्र
(ग) एक + एक = एकैक
(घ) ने + अन = नयन
उत्तर:
(क) भोजन + आलय = भोजनालय
प्रश्न 6.
यदि + अपि = यद्यप – किस संधि का उदाहरण है?
(क) अयादि संधि
(ख) यण संधि
(ग) गुण संधि
(घ) वृद्धि संधि
उत्तर:
(ख) यण संधि
प्रश्न 7.
‘पावन’ का संधि-विच्छेद होगा ……. ।…।
(क) पो + अन
(ख) पा + वन
(ग) पो + वन
(घ) पौ + अन
उत्तर:
(घ) पौ + अन
प्रश्न 8.
व्यंजन वर्णों से स्वर या व्यंजन का मेल होने पर उत्पन्न विकार को … संधि कहते हैं।
(क) स्वर संधि
(ख) व्यंजन संधि
(ग) विसर्ग संधि
(घ) यण संधि
उत्तर:
(ख) व्यंजन संधि
प्रश्न 9.
जगदानंद =
(क) जग + दानंद
(ख) जगदा + नंद
(ग) जगत् + आनंद
(घ) जगद् + आनंद
उत्तर:
(ग) जगत् + आनंद
प्रश्न 10.
नि: + उपाय. =
(क) निःजपाय
(ख) नीरुपाय
(ग) निश्पाय
(घ) निरुपाय
उत्तर:
(घ) निरुपाय