CBSE Class 6 Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ
लोकोक्ति का अर्थ है-ऐसी उक्ति जो लोक में प्रसिद्ध हो। लोकोक्ति एक पूर्ण वाक्य होती है, जिसका स्वतंत्र रूप से भी प्रयोग किया जा सकता है। यह किसी घटना या कहानी पर आधारित होती है।
लोकोक्ति के कुछ प्रचलित उदाहरण-
1. अंधों में काना राजा (मूखों में कुछ पढ़ा-लिखा व्यक्ति)-गाँव में कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति नहीं है, इसलिए लोग पोंडित अनोखे राम को ही सब कुछ समझते हैं। ठीक ही कहा गया है-अंधों में काना राजा।
2. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता (अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता)-बलवान और बहादुर होते हुए भी रामदास जी इकैतों का सामना नहीं कर सके। ठीक ही कहा गया है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता।
3. अयजल गगरी छलकत जाए (ओछा व्यक्ति बहुत घमंड करता है) रामू थोड़ा पढ़-लिख क्या गया कि वह स्वयं को विद्वान समझने लगा। ठीक ही कहा गया है-अधजल गगरी छलकत जाए।
4. आगे नाब न पीछें पगहा (जिम्मेदारी का न होना) -पिता के देहांत के बाद सोहन बिल्कुल स्वतंत्र हो गया है। इसे ही कहा जाता है- आगे नाथ न पीछे पगहा ।
5. आम के आम गुठलियों के दाम (अधिक लाभ)-काम की पुस्तक साहित्य-भवन से खरीदें और पास होने पर आधे दामों पर बेचें। इसी को कहते हैं-आम के आम गुठलियों के दाम।
6. दूय का दूय पानी का पानी (सही न्याय करना)-वकील ने अदालत में सबूत पेश करके दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।
7. खोदा पहाड़ निकली चुहिया (अधिक परिश्रिम कम लाभ)-सारा दिन मेहनत करने के बाद भी कुछ नहीं मिला। यह तो वही बात हो गई-खोदा पहाड़ निकली धुहिया।
8. घर की मुर्गी दाल बराबर (घर की चीज़ की कोई कद्र नहीं होती)-घर में वकील रहते हुए आप दूसरे वकील से राय लेते हैं। ठीक ही कहा गया है-घर की मुर्गी दाल बराबर।
9. कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली (ज्रमीन-आसमान का अंतर)-तुम सेठ करोड़ीमल के बेटे हो और में एक मज़दूर का बेटा। हमारा तुम्हारा कैसा मेल। कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली।
10. आगे कुआँ पीछे साई (दोनों ओर मुसीबत) -अगर दोस्त की मदद करता हैं, तो पत्नी नाराज़ होगी और अगर नहीं करता हूँ तो दोस्त नाराज़ होगा। मेरे लिए तो आगे कुआँ पीछे खाई है।
11. भैस के आगे बीन बजाना (मूर्ख के आगे ज्ञान की बात करना)-रामू के आगे ज्ञान की बातें करना भैंस के आगे बीन बजाने के बराबर है।
12. आ बैल मुझे मार (जान-बूझकर मुसीबत मोल लेना)-वेटे के जन्मदिन पर पहले सबको बुला लिया, अब खर्चे का रोना रोता है। सच ही कहा गया है-आ बैल मुझे मार।
13. ऊँट के मुँह में जीरा (बडे को थोड़ी वस्तु देना)-हाथी को थोड़ा-सा भोजन देना ऊँंट के मुँह में जीरा देने के बराबरहै।
14. घर का भेदी लंका दाए (आपसी फूट से हानि होती है) विभीषण और रावण की आपसी फूट से रावण का वध हो गया। संच ही कहा गया है कि घर का भेदी लंका दाए।
15. साँप भी मर जाए और लाठी भी न दूटे (कोई ऐसा उपाय जिससे काम भी बन जाए और हानि भी न हों-उस पहलयान से क्यों लड़ते हो। कोई ऐसा उपाय सोचो कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
16. एक अनार सो बीमार (चीज्ञ कम और चाहने वाले अधिक)-गाँव में सिर्फ़ एक डॉक्टर है और मरीज़ अधिक। वहाँ पर एक अनार और सौ बीमार वाली स्थिति है।
17. एक पंथ दो काज (एक साधन से दो काम)-ऑफ़िस के कार्य से कानपुर जा रहा हूं। यहीं बहन से भी मिल लूँगा। इस तरह एक पंथ दो कार्य हो जाएँगे।
18. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए (बहुत कंजूस होना) -रामदास कई दिनों से बीमार हैं, किन्तु खर्च के डर से अच्छे ङॉक्टर को नहीं दिखा रहे हैं। उनके लिए चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए वाली बात है।
19. काला अक्षर भैस बराबर (निरा अशिक्षित)-रोहन काला अक्षर भैंस बराबर है।
20. चोर की दाढ़ी में तिनका (शांकित रहना) -पराथी हमेशा सावधान रहता है क्योंकि चोर की दाढ़ी में तिनका होता है।
21. साँच को औँच नहीं (सत्य बोलने वाले को कोई भय नहीं)-मुझे बहुत डराया गया कि अगर मैं सच बोलूँगा तो दंड मिलेगा किंतु मैंने सय बोला क्योंकि साँच को आँच नहीं।
22. मन चंगा तो कठौती में गंगा (मन घंगा हो तो तीर्थ पर जाने की आवश्यकता नहीं)-मेरा मानना है कि अगर मन चंगा है तो कठौती में गंगा है।
23. हाय कंगन को आरसी क्या (प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होतीी-मकान को देखकर ही लग रहा है कि इसे बनवाने में मोटी रकम लगी है। यही तो है हाथ कंगन को आरसी क्या।
24. होनहार बिराान के होत चिकने पात (होनहार व्यक्ति के लक्षण आरंभ से ही दिखाई देने लगते हैं)-लोकमान्य तिलक बचपन से ही योग्य और विवेकशील थे। सभी उनकी प्रशंसा करते थे कि बड़े होकर महापुरुष बनेंगे। ठीक ही कहा गया है-होनहार बिरान के होत चिकने पात।
25. एक हाथ से हालीी नहीं बजती (झगड़ा एक तरफ़ से शुरू नहीं होता)-में आपकी बात कैसे मान लूँ कि झगड़ा किसी एक के कारण हुआ है। आखिर आपने भी तो कुछ कहा होगा क्योंकि एक हाथ से ताली नहीं बजती।
26. जितने मुँह उतनी बातें (प्रत्येक की अलग-अलग राय)-अभी तक रेल-ुुर्घटना का पता नहीं चला। अभी तक जितने मुँह उतनी बातें हो रही हैं।
27. ईंश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया (संसार की गति विचित्र है) इस संसार में अमीर-गरीब, सुली-दुखी, कमजोर-बलवान सभी प्राणी पाए जाते हैं। सत्य है-ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया।
28. आँख का अंधा नाम नयनसुख (नाम के प्रतिकूल काम करना)-उसका नाम रानी है किन्तु बह नीकरानी का काम करती है। ठीक ही कहा गया है-आँख का अंधा नाम नयनसुख।
29. अपने मुँह मियाँ मिट्टू बनना (अपनी प्रशंसा स्वयं करना)-सोहनलाल जी अपनी प्रशंसा स्वयं करते रहते हैं। सच ही गया है-अपने मुँह मियाँ मिट्र्ठ बनना।
अभ्यास-प्रश्न
नीचे दिए गए अर्थ के लिए कौन-सा लोकोक्ति उचित है ? विकल्पों में से हैँढ्कर लिखिए :
प्रश्न 1.
बहुत कंजूस होना-
(क) काला अक्षर भैंस बराबर
(ख) साँच को आँच नहीं
(ग) चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
(घ) जितने मुँह उतनी बातें
उत्तर:
(ग) चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
प्रश्न 2.
सही न्याय करना-
(क) हाथ कंगन को आरसी क्या
(ख) दूध का दूध पानी का पानी
(ग) आगे नाथ न पीछे पगहा
(घ) आ बैल मुझे मार
उत्तर:
(ख) दूध का दूध पानी का पानी
प्रश्न 3.
जान बूझकर मुसीबत मोल लेना-
(क) साँच को आँच नरीं
(ख) आ बैल मुझे मार
(ग) चोर की दाढ़ी में तिनका
(घ) एक पंथ दो काज
उत्तर:
(ख) आ बैल मुझे मार
प्रश्न 4.
खोदा पहाड़ निकली चुहिया-
(क) अधिक परिश्रम कम लाभ
(ख) घर की चीज की कद्य नहीं होती
(ग) दोनों ओर मुसीबत
(घ) बड़े को थोड़ी वस्तु दैना
उत्तर:
(क) अधिक परिश्रम कम लाभ
प्रश्न 5.
एक अनार सौ बीमार-
(क) बड़े को थोड़ी वस्तु देना
(ख) चीज कम चाहने वाले अधिक
(ग) एक साधन से दो काम
(घ) दोनों ओर मुसीबत
उत्तर:
(ख) चीज कम चाहने वाले अधिक
प्रश्न 6.
आगे नाय न पीठे पगहा-
(क) जिम्मेदारी का न होना
(ख) अधिक लाभ
(ग) अधिक परिश्रम कम लाभ
(घ) घर की चीज़ की कोई कद्य नहीं होती
उत्तर:
(क) जिम्मेदारी का न होना
प्रश्न 7.
कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली-
(क) अधिक परिश्रम कम लाभ
(ख) ज़मीन आसमान का अंतर
(ग) दोनों ओर मुसीबत
(घ) अधिक लाभ
उत्तर:
(ख) ज़मीन आसमान का अंतर
प्रश्न 8.
भैंस के आगे बीन बजाना-
(क) मूर्ख के आगे ज्ञान की बात करना
(ख) आपसी फूट से हानि होती है
(ग) एक साधन से दो काम
(घ) अधिक लाभ
उत्तर:
(क) मूर्ख के आगे ज्ञान की बात करना