Students can find the 11th Class Hindi Book Antral Questions and Answers CBSE Class 11 Hindi Elective रचना डायरी लिखने की कला to develop Hindi language and skills among the students.
CBSE Class 11 Hindi Elective Rachana डायरी लिखने की कला
क्या है डायरी?
डायरी का जिक्र आते ही मोटे गत्ते की जिल्दवाली उस नोट बुक का ध्यान आता है, जिसके पृष्ठों पर साल के 365 दिनों की तिथियाँ क्रम से सजी होती हैं। इसके नीचे आधे पृष्ठ या एक पृष्ठ की खाली जगह छोड़ी जाती है। इस खाली जगह में उस तिथि से जुड़ी विशेष सूचनाएँ या निजी बातें दर्ज़ की जाती हैं।
डायरी में खास दिन के लिए तयशुदा दायित्व और योजनाओं से जुड़ी बातें लिखी जाती हैं। डायरी उस तिथि को हमें इसकी याद दिलाती है। इसके अलावा हम अपना विशेष अनुभव इसमें लिखते हैं, जिसे बाद में पढ़कर यादें ताजी कर लेते हैं।
डायरी लेखन :
डायरी लेखन का आशय है- दिनभर की जिन घटनाओं, गतिविधियों और विचारों से हम गुजरते हैं, उन्हें डायरी के पृष्ठों पर शब्दबद्ध करना। यही डायरी लेखन कहलाता है। पिछले कुछ दशकों से इस तरह का लेखन एक विधा के रूप में पाठक समाज के बीच खासा लोकप्रिय हो चला है।
एनी फ्रैंक की डायरी – एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ :
एनी फ्रैंक की डायरी पिछली सदी में सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक है। इसे उसने 1942-44 के दरम्यान नाजी अत्याचार के बीच एम्स्टर्डम में छुपकर रहते हुए लिखी थी। यह डायरी जब प्रकाशित हुई, तो उसे एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ के साथ-साथ एक साहित्यिक कृति के रूप में भी महत्वपूर्ण माना गया।
हिंदी के प्रसिद्ध डायरी लेखक :
पिछले कुछ दशकों में हिंदी के कई बड़े रचनाकारों की डायरियाँ; जैसे-मोहन राकेश की डायरी, रमेशचंद्र शाह की डायरी आदि भी किताब की शक्ल में छप चुकी हैं, जिन्हें उनकी निजी ज़िदगी तथा उनके दौर में झाँकने के एक नायाब निमंत्रण के तौर पर बड़े चाव से पढ़ा गया है। यात्रा-वृत्तांत तो काफी पहले से डायरी के रूप में लिखे जाते रहे हैं। रामवृक्ष बेनीपुरी की ‘पैरों में पंख बाँध कर’, राहुल सांकृत्यायन की ‘रूस में पच्चीस मास’, सेठ गोविंददास की ‘सुदूर दक्षिण पूर्व’, कर्नल सज्जन सिंह की ‘लद्दाख यात्रा की डायरी’, डॉ. रघुवंश की ‘हरी घाटी’ इत्यादि पुस्तकें यात्रा-डायरी ही हैं। उन्नीसवीं सदी के पाँचवें दशक में हिंदी के महान कवि और विचारक गजानन माधव मुक्तिबोध ने ‘एक साहित्यिक की डायरी’ लिखकर साहित्यिक समस्याओं से संबंधित अपनी उधेड़बुन को उपयोगी पाठ बनाने का एक अद्भुत प्रयोग किया था।
डायरी एक अलग साहित्यिक विधा :
डायरी, कहानी, उपन्यास, कविता या नाटक की तरह पाठकों के लिए लिखी जाने वाली कुछ खास तरह की रचनाओं की विधा नहीं है। डायरी भले ही किसी और साहित्यिक विधा की कृति को अपना रूप उधार दे दे, पर इस अर्थ में डायरी साहित्यिक विधा नहीं रह जाती है। निबंध, कहानी, उपन्यास, डायरी की शक्ल में लिखे जा सकते हैं पर यह डायरी का रूप मात्र होगा। उसकी अंतर्वस्तु के आधार पर उसे डायरी नहीं कह सकते हैं।
डायरी-नितांत निजी स्तर पर घटित घटानाओं और प्रतिक्रियाओं का लेखा-जोखा :
व्यक्ति डायरी किसी और के लिए नहीं स्वयं अपने लिए शब्दबद्ध करता है। इसलिए कहा जा सकता है कि डायरी नितांत निजी स्तर पर घटित घटनाओं और तत्संबंधी बौद्धिक, भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का लेखा-जोखा है। ऐसा हो सकता है कि उपयोगिता के कारण उसे प्रकाशित करने का दबाव बनाया जाए, पर इसका मतलब यह नहीं कि उसे सार्वजनिक करने के लिए लिखा जाता है। एक तरह से डायरी अपना ही अंतरंग साक्षात्कार है और अपने ही साथ स्थापित होनेवाला संवाद है, जिसमें हम सभी तरह की वर्जनाओं से मुक्त रहते हैं। जिन बातों को हम दूसरों से नहीं कह पाते हैं, उन्हें भी डायरी के पन्नों पर शब्दबद्ध करके खुद को सुना डालते हैं। इससे हम खुद को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं तो अपने अंदर अनजाने इकट्ठा हो रहे भार से भी मुक्त होते हैं। इसके अलावा हम अपने व्यक्तित्व के विस्मृत होने वाले पहलुओं को बाद में छूने के लिए रिकॉर्ड कर रख लेते हैं।
डायरी- एक व्यक्तिगत दस्तावेज़ :
डायरी एक तरह का व्यक्तिगत दस्तावेज़ भी है, जिसमें अपने जीवन के खास क्षणों, किसी समय विशेष में मन के अंदर कौंध जानेवाले विचारों, यादगार मुलाकातों और बहस-मुबाहिसों को हम दर्ज़ कर लेते हैं। अपनी कई तरह की स्मृतियों को हम कैमरे की मदद से भी रिकॉर्ड करते हैं, पर खुद अपना पाठ तैयार करना और जो कुछ घटित हुआ, उसकी कहानी कहना एक ऐसा तरीका है, जो हमें आनेवाले दिनों में उन लम्हों को दुबारा जीने का मौका देता है। आज की तेज़ रफ्तार ज़िदगी में यह तरीका सचमुच नायाब है।
ज़िदगी की तेज़ रफ्तार में इस बात की आशंका हमेशा बनी रहती है कि सतही और फ़ौरी किस्म की चिताओं के अनवरत हमलों के बीच गहरे आशय वाली घटनाओं और वैचारिक उत्तेजनाओं को हम भूल जाएँ। डायरी हमें भूलने से बचाती है। यात्राओं के दौरान डायरी लिखना तो बहुत ही उपयोगी साबित होता है। एक लंबी यात्रा का विवरण यदि हम यात्रा से लौटने के बाद लिखना चाहें तो पूरे अनुभव का शायद दो-तिहाई अंश भी न लिख पाएँ, लेकिन यदि हम यात्रा की अवधि में प्रतिदिन डायरी में लिखते रहे हैं तो अपने अनुभव को पूरी तरह दोहराने में सफल हो सकते हैं।
डायरी लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें :
डायरी लिखना अपने आपसे दोस्ती गाँठना है। इसके लिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए :
डायरी किसी नोटबुक में या पुराने साल की डायरी में लिखना चाहिए। इसमें पड़ी तिधियों की जगह नई तिथि डालना चाहिए ताकि हम अपने विचारों को सीमित स्थान में ही लिखने के लिए बाध्य न हों। हो सकता है कि किसी दिन दो-तीन पंक्तियाँ ही लिखना चाहें और किसी दिन हमारी बात पाँच पृष्ठों में भी पूरी न हो।
डायरी लेखन करते समय हमें हर तरह के बाहरी दबावों से मुक्त होना चाहिए। कौन-सी घटनाएँ भविष्य में याद करने लायक हैं, इन पर विचार करने के बाद ही डायरी लिखना चाहिए।
डायरी लेखन यह सोचकर करना चाहिए कि वह किसी और के द्वारा नहीं पढ़ी जाएगी।
डायरी परिष्कृत और मानक शैली में लिखी जाए, यह आवश्यक नहीं है। होना यह चाहिए कि डायरी में जो कुछ भी हम लिखना चाहते हैं और जिस तरीके से लिखना चाहते हैं, लिखें। व्यक्ति के अंदर के स्वाभाविक वेग से शैली जो रूप ग्रहण करती है, वही डायरी की सही शैली है।
डायरी नितांत निजी स्तर की घटनाओं और भावनाओं का लेखा-जोखा होने के साथ-साथ व्यक्ति के मन के दर्पण में उसके दौर का अक्स भी है। व्यक्ति जिन अनुभवों को लिखता है, वह उसकी नज़र से देखा-परखा गया समकालीन इतिहास किसी-न-किसी मात्रा में मौज़ूद रहता है। इसका ध्यान मस्तिष्क में रहने से व्यक्ति अपने काम के प्रति आश्वस्त हो सकता है।
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से तीन अवसरों का डायरी लिखिए-
(क) आज आपने पहली बार नाटक में भाग लिया।
(ख) प्रिय मित्र से झगड़ा हो गया।
(ग) परीक्षा में आपको सर्वोत्तम अंक मिले हैं।
(घ) परीक्षा में आप अनुत्तीर्ण हो गए हैं।
(ङ) सड़क पर रोता हुआ 10 वर्षीय बालक मिला।
(च) कोई ऐसा दिन जिसकी आप डायरी लिखना चाहते हैं।
उत्तर :
(क) शनिवार
26 जनवरी, 2019
आज का दिन मेरे लिए प्रतीक्षित, उल्लासपूर्ण एवं प्रसन्नता से भरपूर रहा। मैं नाटक देखकर सोचा करता था कि मुझे इसमें अभिनय करने का अवसर मिले। गणतंत्र दिवस के अवसर पर ‘स्वतंत्रता के सिपाही चंद्रशेखर आज़ाद’ नामक नाटक का मंचन किया जाना था। इसकी तैयारी करीब बीस दिन से चल रही थी। मेरी पूरी तैयारी, जोश एवं उत्सुकता को देखते हुए मुझे ‘आज़ाद’ का जो अभिनय करना था, वह आज पूरा हो सका। न्यायालय में अंग्रेज जज के सामने जिस निर्भीकता से उत्तर दिया, उससे साथी कलाकार तथा दर्शक विस्मित हो रहे थे। वे मेरे द्वारा दिए गए हर उत्तर पर तालियाँ बजा रहे थे। कोड़े पड़ने पर जब मैं ‘महात्मा गांधी की जय’, ‘भारत माता की जय’ बोलता तो मेरे साथ-साथ सभी जयकार करते थे। अंत में जब सज़ा पूरी होने के बाद मुझे फूल-मालाओं से लाद दिया गया तो मुझे जो खुशी मिली, उसे शब्दों में लिखा नहीं जा सकता। सचमुच आज वर्षों का सपना पूरा हो गया।
विनय
(ख) सोमवार
18 फरवरी, 2019
आज हमारी ग्यारवहीं की अंग्रेजी की वार्षिक परीक्षा थी। मेरा मित्र सोहन, जिसकी तैयारी आधी-अधूरी थी, वह भी मेरे बगल वाली पंक्ति में बैठा प्रश्नों के उत्तर लिख रहा था। अध्यापक की दृष्टि बचाकर मैंने उसे धीरे-से एक प्रश्न का उत्तर बता दिया। उसने उसे लिखा और वह फिर पूछने लगा। मैं उसकी बातें अनसुनी कर अपना प्रश्न-पत्र पूरा करने लगा। कुछ देर बाद जब उसने जोर से मुझे बुलाया तो शिक्षक ने सुन लिया और उसे डाँट दिया। खैर, परीक्षा जैसे-तैसे खत्म हुई। विद्यालय के बाहर आते ही मेरी कोई बात सुने बिना सोहन मुझसे झगड़ने लगा। यह तो अच्छा हुआ कि कुछ ही देर में उसके पापा उसे लेने आ गए और उसे समझा-बुझाकर शांत कराया। घर आकर उस बात को भूलने की कोशिश करते हुए मैं शाम को अगले प्रश्न-प्रत्र की तैयारी करने में जुट गया।
शिखर
(ग) सोमवार,
25 मार्च, 2019
परीक्षा समाप्त होने के दिन से ही आज के दिन की मैं प्रतीक्षा कर रहा था। मेरे सब प्रश्न-पत्र अच्छे हुए थे, इसलिए मन में फेल होने का भय न था। फिर भी अपना परीक्षाफल जानने की जिज्ञासा लिए हुए मैं विद्यालय पहुँच गया। कक्षाध्यापक द्वारा परीक्षा का परिणाम सुनाया गया, तो मैं खुशी से उछल पड़ा कि मैं कक्षा में प्रथम आया हूँ। मुझे अस्सी प्रतिशत अंक मिले थे। यद्यपि मुझे आशा थी कि अच्छे अंक आएँगे, परंतु सबसे ज्यादा अंक आएँगे, इसकी कल्पना भी न थी। मन में हर्ष एवं आश्चर्य की मिली-जुली सुखद अनुभूति हो रही थी। मैंने ईश्वर को धन्यवाद दिया। विद्यालय में अध्यापकों के पैर छुए और घर आकर माता-पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। रात के नौ बज चुके थे, पर मित्रों से शुभकामनाओं के फ़ोन आए जा रहे थे।
सौम्य
(घ) मंगलवार
22 जनवरी, 2019
आज का दिन मेंरे लिए अच्छा नहीं रहा था। आज विद्यालय में प्री बोर्ड परीक्षा का परिणाम बताया गया। जनवरी के प्रथम सप्ताह से ही तबीयत ठीक न होने के कारण मैं प्री बोर्ड की तैयारी न कर पाया था। यह तो पता था कि कम अंक मिलेंगे, पर अनुत्तीर्ण होने की बात सोची भी न थी। इस परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने की बात सुनकर बड़ा दुख हुआ। मेरी आँखों में आँसू आ गए। मित्रों ने मुझे ढाँढ़स बँधाया और वार्षिक परीक्षा की तैयारी करने की सलाह दी। अध्यापक ने भी मेरा हौसला बढ़ाया। घर आकर जब यह बात माता-पिता को बताई तो उन्होंने मन लगाकर पढ़ने की सीख दी।
आशीष
(ङ) शनिवार
16 मार्च, 2019
आज वार्षिक परीक्षा का आखिरी दिन था। प्रश्न-पत्र अच्छा हुआ था, इसलिए प्रसन्न मन से घर लौट रहा था। मैं सड़क के किनारे पहुँचा ही था कि मुझे लगभग दस वर्षीय बच्चा रोता हुआ दिखा। मैं उसके पास गया और उससे उसका नाम पूछा। मैंने उसे चॉकलेट दिलाने का वायदा किया तो वह चुप हो गया। मैंने पास की दुकान से उसे चॉकलेट दिलाकर अपने घर ले गया। उसे खाना खिलाया। अब उससे उसका नाम पता पूछा और अपने बड़े भाई को साथ लेकर उसे उसके घर छोड़ आया।
विक्रम
(च) बृहस्पतिवार
21 मार्च, 2019
मैं साल भर जिस त्योहार की प्रतीक्षा करता हूँ, वह है- रंगों का त्योहार होली। पर आज की होली मेरे लिए कई तरह से भिन्न थी। मैंने अपने कुछ दोस्तों का समूह बनाया और न किसी पर पानी के गुब्बारे फेंके और न कीचड़। ऐसा करने वाले बच्चों के पास जाकर उन्हें समझाया और उन्हें अबीर-गुलाल से होली खेलने के लिए कहा। मैंने अपने दोस्तों के साथ जाकर अपने से बड़ों को अबीर लागया, पैर छुए और आशीर्वाद लिया। सादगी से होली मनाने का यह आनंद अनूठा ही था।
दीपक
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए कथनों के सामने ‘✓’ या ‘✗’ का चिह्न लगाते हुए कारण भी दें-
(क) डायरी नितांत वैयक्तिक रचना है। [ ]
(ख) डायरी स्वलेखन है इसलिए उसमें किसी घटना का एक ही पक्ष उजागर होता है। [ ]
(ग) डायरी निजी अनुभूतियों के साथ-साथ सामाजिक आर्थिक परिप्रेक्य का भी ब्योरा प्रस्तुत करता है। [ ]
(घ) डायरी अंतरंग साक्षात्कार है। [ ]
(ङ) डायरी हमारी सबसे अच्छी दोस्त है। [ ]
उत्तर :
क्रम कारण
(क) (✓) इसमें डायरी लेखक अपनी व्यक्तिगत बातों का उल्लेख करता है।
(ख) (✓) डायरी लेखक के विचार ही हमारे समक्ष आ पाते हैं।
(ग) (✓) डायरी लेखक अपनी व्यक्तिगत अनुभूतियों के साथ-साथ तत्कालीन घटनाओं पर भी टिप्पणी करता है।
(घ) (✓) डायरी लिखनेवाला स्वयं अपने साथ ही संवाद स्थापित करता है।
(ङ) (✓) डायरी में हम अपने सुख-दुख की नितांत गोपनीय बातें भी लिखते हैं। वह हमारे सुख-दुख की मित्र होती है।
अन्य हल प्रश्न –
प्रश्न 1.
डायरी लेखन क्या है?
उत्तर :
व्यक्ति दिनभर जिन घटनाओं, गतिविधियों और विचारों से गुजरता है, उन्हें ही डायरी के पृष्ठों पर शब्दबद्ध करना डायरी लेखन कहलाता है।
प्रश्न 2.
डायरी हमें हमारे संकल्प की याद किस तरह दिलाती है?
उत्तर :
डायरी में आनेवाले किसी खास दिन के लिए दायित्व और कार्य-योजनाएँ लिखकर छोड़ दी जाती हैं, जब हम डायरी पढ़ते हैं तो वह हमारे संकल्प की याद दिला देती है।
प्रश्न 3.
एनी फ्रैंक द्वारा लिखी डायरी का विषय क्या है?
उत्तर :
एनी फ्रैंक द्वारा लिखी गई डायरी का विषय है- 1942 से 1944 के मध्य नाज़ियों द्वारा किया गया अत्याचार।
प्रश्न 4.
हिंदी साहित्य में डायरी विधा के कुछ लेखकों के नाम बताइए।
उत्तर :
हिंदी साहित्य में डायरी विधा के कुछ प्रमुख लेखक हैं- मोहन राकेश, रमेश चंद्र शाह, रामवृक्ष बेनीपुरी, सेठ गोर्विददास आदि।
प्रश्न 5.
डायरी में किसका लेखा-जोखा रहता है?
उत्तर :
डायरी में निजी स्तर पर घटित घटनाओं और तत्संबंधी बौद्धिक भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का लेखा-जोखा रहता है। इन्हें हम स्वयं अपने लिए शब्दबद्ध करते हैं।
प्रश्न 6.
डायरी को अपना ही अंतरंग साक्षात्कार कहा गया है। इस साक्षात्कार की क्या विशेषता होती है?
उत्तर :
डायरी को दिए गए अंतरंग साक्षात्कार की यह विशेषता है कि इसमें हम हर तरह की वर्जनाओं से मुक्त रहते हैं, जिन बातों को हम दुनिया में किसी और को नहीं सुना सकते हैं, वह भी हम डायरी पर अंकित कर देते हैं।
प्रश्न 7.
डायरी को व्यक्तिगत दस्तावेज़ क्यों कहा गया है?
उत्तर :
डायरी को व्यक्तिगत दस्तावेज इसलिए कहा जाता है क्योंकि व्यक्ति इसमें अपने जीवन के खास क्षणों, किसी समय विशेष में मन में कौंध जानेवाले विचारों, यादगार मुलाकातों आदि को सँजोकर रखता है।
प्रश्न 8.
डायरी हमें भूलने से बचाती है, कैसे?
उत्तर :
डायरी के माध्यम से हम अपना खुद तैयार किया हुआ पाठ लिखते हैं और जो कुछ घटित हुआ है, उसकी कहानी इस तरह सँजोकर रखते हैं जो आनेवाले दिनों में हमें उन लम्हों को दुबारा जीने का मौका देता है। इससे हम गहरे आशयवाली घटनाओं और वैचारिक उत्तेजनाओं को भूल नहीं पाते हैं।
प्रश्न 9.
खुद से दोस्ती गाँठने के लिए व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
उत्तर :
खुद से दोस्ती गाँठने के लिए व्यक्ति को डायरी लिखना शुरू कर देना चाहिए।
प्रश्न 10.
डायरी लेखन में हम अपने काम के महत्व के प्रति अधिक आश्वस्त कब हो सकते हैं?
उत्तर :
डायरी व्यक्ति की निजी घटनाओं और भावनाओं का लेखा-जोखा होने के साथ-साथ उसके दौर का अक्स भी होता है। उसके द्वारा लिखे गए अनुभवों में उसकी नज़र से देखा-परखा गया समकालीन इतिहास किसी-न-किसी मात्रा में मौजूद रहता है। इस बात को ध्यान में रखकर डायरी लेखन करने से हम अपने काम के महत्व के प्रति अधिक आश्वस्त हो सकते हैं।