By going through these Sanskrit Class 7 Notes and NCERT Class 7 Sanskrit Chapter 10 Hindi Translation Summary Explanation Notes दशमः कः students can clarify the meanings of complex texts.
Sanskrit Class 7 Chapter 10 Hindi Translation दशमः कः Summary
दशमः कः Meaning in Hindi
Class 7 Sanskrit Chapter 10 Summary Notes दशमः कः
प्रस्तुत पाठ में एक रुचिकर कहानी के माध्यम से विद्यार्थियों को संस्कृत गणना का बोध कराया गया है। दस बालक स्नान करने के लिए नदी पर जाते हैं। तैरकर नदी पार भी करते हैं। तब उनका नेता व अन्य बालक भी सबको गिनते हैं। कि सबने नदी पार कर ली। परन्तु कोई भी स्वयं को नहीं गिनता और यह सोचकर दुःखी हो बैठ जाते हैं कि दसवाँ नदी में डूब गया। तभी उनको दुःखी देखकर एक पथिक वहाँ आकर उन्हें बताता है कि तुम नौ तक गिनकर दसवें स्वयं को नहीं गिन रहे हो। तुम दस ही हो। यह जानकर बालक खुशी से अपने घर जाते हैं पाठ में ‘क्त्वा’ और ‘तुमुन्’ प्रत्ययों का प्रयोग भी है। यह कहानी बच्चों के परस्पर स्नेह को दर्शाती है।
Class 7 Sanskrit Chapter 10 Hindi Translation दशमः कः
(क) – अयि भोः! गतसप्ताहे संस्कृत-ओलम्पियाड्-परीक्षा अभवत्। तत्र के भागं गृहीतवन्तः?
– महोदय! वयं सर्वे भागं गृहीतवन्तः।
– तत्र कः प्रथमं स्थानं प्राप्तवान्?
– महोदय! विद्याधरः प्रथमं स्थानं प्राप्तवान्।
– अभिनन्दनम्। अभिनन्दनम्। तर्हि द्वितीयः कः?
– महोदय! सा प्रीतिः।
– अरे! बहु सुन्दरम्। तस्याः अपि अभिनन्दनम्। तर्हि तृतीये स्थाने कः का वा अस्ति?
– महोदय! तृतीयं स्थानं हेमलता प्राप्तवती। (पृष्ठ 104)
शब्दार्था:
गतसप्ताहे – पिछले सप्ताह। प्राप्तवान् – प्राप्त किया। तर्हि – तो। वा – अथवा। गृहीतवन्तः – ग्रहण किया। अभिनन्दन – बधाई।
सरलार्थ-
– अरे! पिछले सप्ताह में संस्कृत-ओलम्पियाड् परीक्षा हुई। वहाँ किसने भाग लिया?
– महोदय! हम सभी ने भाग ग्रहण किया।
– वहाँ किसने पहला स्थान प्राप्त किया?
– महोदय! विद्याधर ने पहला स्थान प्राप्त किया।
– बधाई बधाई। तो दूसरा कौन?
– महोदय! वह प्रीति।
– अरे बहुत सुन्दर। उसको भी बधाई। तो तीसरे स्थान पर कौन था अथवा कौन थी?
– महोदय! तीसरा स्थान हेमलता ने प्राप्त किया।
(ख) – अस्तु तस्याः अपि अभिनन्दनम्। अन्ये केऽपि किमपि स्थानं प्राप्तवन्तः किम्?
– महोदय! अहं पञ्चमी अस्मि।
– महोदय! अहं चतुर्थः अस्मि।
– महोदय! अहं नवमी अस्मि।
– अहो उत्तमम्। भवद्भ्यः सर्वेभ्यः आशीर्वादाः। तर्हि दशमः कोऽस्ति भो?
– दशमस्य विषये वयं न जानीमः श्रीमन्!
– चिन्ता मास्तु, वयम् अद्य दशमस्य विषये एकां कथां पठामः। (पृष्ठ 105)
शब्दार्था:
सर्वेभ्य: – सभी के लिए। कोऽस्ति – (क: + अस्ति) कौन है। दशमस्य – दसवें के। मास्तु – (मा + अस्तु) नहीं हो।
सरलार्थ-
– अच्छा, उसका भी अभिनन्दन। अन्य किसी ने भी क्या कोई स्थान प्राप्त किया?
– महोदय! मैं पाँचवी हूँ।
– महोदय! मैं चौथा हूँ।
– महोदय! मैं नौवीं हूँ।
– अहो उत्तम! आप सभी के लिए आशीर्वाद तो दसवाँ कौन है?
– दसवें के विषय में हम नहीं जानते श्रीमान्।
– चिन्ता मत करो, हम आज दसवें के विषय में एक कथा पढ़ते हैं।
(ग) एकदा दश बालकाः स्नानाय नदीम् अगच्छन्। ते नदीजले चिरं स्नानम् अकुर्वन्। ततः ते तीर्त्वा पारं गताः। तदा तेषां नायकः अपृच्छत्-अपि सर्वे बालकाः नदीम् उत्तीर्णाः? तदा कश्चित् बालकः सर्वान् पङ्क्तौ स्थापयित्वा अगणयत् एकं द्वे, त्रीणि चत्वारि, पञ्च षट्, सप्त, अष्ट, नव इति। सः आत्मानं न अगणयत्। अतः सः अवदत्-अरे वयं नव एव स्म भोः। दशमः नास्ति। अपरः अपि बालक: पुनः आत्मानं त्यक्त्वा अन्यान् बालकान् अगणयत्। तदा अपि नव एव आसन्। अतः ते निश्चयम् अकुर्वन् यत् दशमः नद्यां मग्नः। ते विषण्णाः तूष्णीम् अतिष्ठन्। (पृष्ठ 106)
शब्दार्था:
एकदा – एक बार। स्नानाय – स्नान के लिए। चिरं – देर तक। तीर्त्वा – तैरकर। ततः – फिर। तदा – तब। उत्तीर्णा: – पार हुए। कश्चित् – (क: + चित्) कोई। पङ्क्तौ – पंक्ति में। स्थापयित्वा – खड़ा करके। अगणयत् – गिना। एव – ही। अपर: – दूसरा। आत्मानं – स्वयं को। त्यक्त्वा – छोड़कर। आसन् – थे। नद्यां – नदी में। मग्नः – डूब गया। विषण्णाः – दुःखी। तूष्णीम् – चुपचाप। अतिष्ठन् – बैठ गए।
सरलार्थ-
एक बार दस बालक स्नान के लिए नदी पर गए। उन्होंने नदी में देर तक स्नान किया। फिर वे सब तैरकर पार हो गए। तब उनके नायक (नेता) ने पूछा, “क्या सभी बालक नदी पार हो गए।” तब किसी बालक ने सबको पंक्ति में खड़ा करके गिना-एक, दो, तीन, चार, पाँच, छ:, सात, आठ, नौ। उसने स्वयं को नहीं गिना। अतः वह बोला, “अरे हम नौ ही हैं, दसवाँ नहीं है।” दूसरे बालक ने भी फिर से स्वयं को छोड़कर अन्य बालकों को गिना। तब भी नौ ही थे। इसलिए उन्होंने निश्चय किया कि दसवाँ नदी में डूब गया। वे सब दुःखी चुपचाप ਕੈਟ गए।
(घ) तदा कश्चित् पथिकः तत्र आगच्छत्। सः तान् बालकान् दुःखितान् दृष्ट्वा अपृच्छत्-अयि बालकाः! युष्माकं दुःखस्य कारणं किम्? बालकानां नायक: अकथयत् “वयं दश बालकाः स्नातुम् आगताः। इदानीं नव एव स्मः। एकः नद्यां मग्नः” इति। पथिकः तान् अगणयत्। तत्र दश बालकाः तु आसन्। सः नायकम् आदिशत् त्वं बालकान् गणय। सः नव बालकान् एव अगणयत्। तदा पथिकः अवदत्-दशमः त्वम् असि इति। तत् श्रुत्वा सर्वे प्रहृष्टाः भूत्वा अकथयन्-दशमः प्राप्तः दशमः प्राप्तः इति। ततः सर्वे मिलित्वा आनन्देन गृहम् अगच्छन्। (पृष्ठ 107)
शब्दार्था:
तत्र – वहाँ। दृष्ट्वा – देखकर। युष्माकं – तुम्हारे। स्नातुम् – नहाने के लिए। पथिकः – राहगीर / मुसाफिर। आदिशत् – आदेश दिया। श्रुत्वा – सुनकर। प्रहृष्टाः – प्रसन्न। भूत्वा – होकर। मिलित्वा – मिलकर।
सरलार्थ-
तब कोई राहगीर वहाँ आया। उसने उन बालकों को दुःखी देखकर पूछा, अरे बालको! तुम्हारे दुःख का क्या कारण है? बालकों का नेता बोला, “हम दस बालक स्नान के लिए आए थे। अब नौ ही हैं। एक नदी में डूब गया।”
राहगीर ने उनको गिना। वहाँ दस बालक तो थे। उसने नेता को आदेश दिया, ‘तुम बालकों को गिनो। उसने नौ बालक ही गिने।’ तब राहगीर बोला, ‘दसवें तुम हो।’ यह सुनकर सभी ने प्रसन्न होकर कहा-दसवाँ मिल गया, दसवाँ मिल गया। फिर सब मिलकर आनन्द से घर गए।
विश्वबंधुत्वम् पाठ का परिचय
प्रस्तुत पाठ के द्वारा संसार में बन्धुत्व अर्थात् भाईचारे की भावना की आवश्यकता और महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। सभी विकसित, विकासशील और अविकसित देशों में परस्पर प्रेम और मित्रता का व्यवहार होना चाहिए। पाठ में वर्णन किया गया है कि सूर्य, चन्द्र और प्रकृति भेदभाव नहीं करते हैं, तब मानव को भी वैरभाव छोड़कर बन्धुत्व के भाव से संसार में व्यवहार करना चाहिए। संसार के कल्याण के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी को एक परिवार के रूप में मानने वाले उदार एवं महान् व्यक्ति होते हैं। पाठ में कारक और उपपद विभक्तियों का प्रयोग छात्रों के लिए उपयोगी होगा।
विश्वबंधुत्वम् Summary
इस पाठ में भाईचारे का उपदेश किया गया है। पाठ का सार इस प्रकार है उत्सव में, व्यक्तिगत संकट में, अकाल पड़ने पर, देश पर आपदा आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह मित्र होता है। यदि संसार में सब जगह ऐसा भाव आ जाए तो विश्वबन्धुता सम्भव है।
दुःख की बात है कि समूचे संसार में कलह और अशान्ति का वातावरण है। मनुष्य आपस में विश्वास नहीं करते हैं। वे दूसरे के कष्ट को अपना कष्ट नहीं समझते हैं। समर्थ देश असमर्थ देशों के प्रति अनादर की भावना ‘ प्रदर्शित करते हैं और उन पर अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं। संसार में सब जगह शत्रुता, वैर और हिंसा की भावना दिखाई पड़ती है। देशों का विकास भी बाधित होता है।
यह महान् आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ शुद्ध हृदय से बन्धुता का व्यवहार करें। संसार के मनुष्यों में यह भावना आवश्यक है। इसके द्वारा विकसित अविकसित देशों के बीच में स्वस्थ स्पर्धा होगी। सभी देश ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में मैत्री भावना और सहयोग के द्वारा समृद्धि को प्राप्त करने में समर्थ हो जाएंगे।
सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश सब जगह समान रूप से फैलता है। प्रकृति भी सभी के साथ समान व्यवहार करती है। इसलिए हम सबको आपसी शत्रुता के भाव को छोड़कर संसार में भाईचारा स्थापित करना चाहिए। इसलिए विश्व के कल्याण के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए-यह अपना है अथवा पराया है ऐसी सोच संकीर्ण मन वालों की होती है। उदार मन वालों के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी ही परिवार होती है।
विश्वबंधुत्वम् Word Meanings Translation in Hindi
(क) उत्सवे, व्यसने, दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे, दैनन्दिनव्यवहारे च यः सहायतां करोति सः बन्धुः
भवति। यदि विश्वे सर्वत्र एतादृशः भावः भवेत् तदा विश्वबन्धुत्वं सम्भवति।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
उत्सवे-पर्व में (in festival), व्यसने-संकट के समय में (at the time of distress), दुर्भिक्षे-अकाल पड़ने पर (at the time of famine), राष्ट्रविप्लवे-देश पर विपत्ति (संकट)आने पर [(coming of) trouble to the country], बन्धुः -भाई अथवा मित्र (brother or friend), विश्वबन्धुत्वं-विश्व के प्रति भाईचारा (brotherhood in the world), सम्भवति सम्भव है (is possible).
सरलार्थ :
पर्व (त्योहार) में, संकट के समय में, अकाल पड़ने पर, देश पर विपत्ति आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह भाई होता है। यदि संसार में सब स्थानों पर ऐसी भावना हो, तब संसार में भाईचारा सम्भव होता है।
English Translation :
He who helps during a festival at the time of distress, at the time of famine, adverse during times in a country and during trouble from the enemy is a brother (friend). When there is such feeling everywhere in the world then brotherhood in the world is possible.
(ख) परन्तु अधुना निखिले संसारे कलहस्य अशान्तेः च वातावरणम् अस्ति। मानवाः परस्परं न विश्वसन्ति। ते परस्य कष्टं स्वकीयं कष्टं न गणयन्ति।अपिच समर्थाः देशाः असमर्थान् देशान् प्रति उपेक्षाभावं प्रदर्शयन्ति, तेषाम् उपरि स्वकीयं प्रभुत्वं स्थापयन्ति। संसारे सर्वत्र विद्वेषस्य,शत्रुतायाः, हिंसायाः च भावना दृश्यते।देशानां विकासः अपि अवरुद्धः भवति।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
अधुना-अब (now), निखिले-सम्पूर्ण (में) (in the whole), विश्वसन्ति-विश्वास करते हैं (are trusting), स्वकीयम्-अपना [(one’s) own], उपेक्षाभावम् अनादर की भावना की (disrespect), प्रभुत्वं-प्रभुता को (बड़प्पन की भावना) (superiority), विद्वेषस्य-शत्रुता की (of enmity), अवरुद्धः- रुक जाता/जाती है (stops).
सरलार्थ :
परन्तु अब सारे विश्व में लड़ाई और अशान्ति का वातावरण है। मनुष्य आपस में विश्वास नहीं करते हैं। वे (मनुष्य) दूसरे की पीड़ा को अपनी पीड़ा नहीं गिनते (समझते) हैं। और (भी) सम्पन्न देश असमर्थ (गरीब) देशों के प्रति अनादर का भाव दिखाते हैं और उनके ऊपर अधिकार स्थापित करते हैं (रखते हैं) विश्व में सब स्थानों पर द्वेष की, वैर की और हिंसा की भावना दिखाई देती है। देशों की उन्नति भी रुक जाती है।
English Translation :
But now there is an atmosphere of hostility and unrest in the whole world. Men do not trust each other. They do not consider the pain (trouble) of others as their own. More prosperous countries show (have) a feeling of disrespect for the poorer countries, and impose their superiority over them. Because of that reason the feeling of jealousy, enmity and violence is seen at all places in the world. The progress of the countries also stops.
(ग) इयम् महती आवश्यकता वर्तते यत् एकः देशः अपरेण देशेन सह निर्मलेन हृदयेन बन्धुतायाः व्यवहारं कुर्यात्। विश्वस्य जनेषु इयं भावना आवश्यकी। ततः विकसिताविकसितयोः देशयोः मध्ये स्वस्था स्पर्धा भविष्यति। सर्वे देशाः ज्ञानविज्ञानयोः क्षेत्रे मैत्रीभावनया सहयोगेन च समृद्धि प्राप्तुं समर्थाः भविष्यन्ति।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
वर्तते-है (is), अपरेण-दूसरे से (with another), जनेषु मनुष्यों में (in humans), स्पर्धा-होड़ (मुकाबला) (competition), ज्ञानविज्ञानयोः-ज्ञान और विज्ञान के (of knowledge and science), मैत्रीभावनया-मित्रता की भावना से (with the feeling of friendship).
सरलार्थ :
यह बड़ी आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ शुद्ध हृदय (मन) से भाईचारे का व्यवहार करे। संसार के लोगों के लिए यह भावना आवश्यक है। तब विकसित और अविकसित देशों के बीच में सही होड़ होगी। सभी देश ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में मित्रता की भावना से और सहयोग से उन्नति प्राप्त करने के योग्य होंगे।
English Translation:
There is a great need that one country practices a behaviour of brotherhood with another country with a pure heart. This feeling is necessary among the people of this world. Then there will be healthy competition between the developed and undeveloped countries. All countries with the feeling of friendship and co-operation will be capable of progress in the fields of knowledge and science.
(घ) सूर्यस्य चन्द्रस्य च प्रकाशः सर्वत्र समानरूपेण प्रसरति। प्रकृतिः अपि सर्वेषु समत्वेन
व्यवहरति। तस्मात् अस्माभिः सर्वैः परस्परं वैरभावम् अपहाय विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
प्रसरति-फैलता है/बहता है (flows), ज्ञायते-जाना जाता है (is known), व्यवहरति-व्यवहार करती है (behaves), समत्वेन-समान भावना से (with a similar feeling), अपहाय-छोड़कर (give up), स्थापनीयम्-स्थापित करना चाहिए (establish).
सरलार्थ :
सूर्य और चन्द्र की रोशनी सब स्थानों पर समान रूप से फैलती है। प्रकृति भी सब में समान भावना से व्यवहार करती है। उसी कारण से हम सबको आपसी शत्रुता के भाव को छोड़कर संसार में भाईचारा स्थापित करना चाहिए।
Eglish Translation :
The light of sun and moon spreads equally at all the places. Nature also behaves with equality towards all. Due to this reason, giving up the feeling of mutual enmity we all should establish brotherhood in the world.
(ङ) अतः विश्वस्य कल्याणाय एतादृशी भावना भवेत्
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
निजः-अपना (own), लघुचेतसाम्-छोटे हृदय वालों का (of the narrow minded), वसुधैव (वसुधा+एव)-पृथ्वी ही (only earth), उदारचरितानां-विशाल (दयालु) हृदय वालों का (of large hearted people), कुटुम्बकम्-परिवार (family).
सरलार्थ :
इसलिए संसार की भलाई (हित) के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए-यह अपना है और यह पराया है, इस प्रकार की गिनती (सोच) क्षुद्र (छोटे) हृदय वाले लोगों की होती है। दयालु अर्थात् विशाल हृदय वाले व्यक्तियों के लिए तो (सारी) पृथ्वी ही एक परिवार है।
English Translation :
Therefore, for the welfare of the world the feeling should be like this-This is (my) own and this is others, the narrow minded people think like this. For large-hearted people the (whole of) earth is one family.