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NCERT Class 7th Hindi Chapter 4 पानी रे पानी Question Answer
पानी रे पानी Class 7 Question Answer
कक्षा 7 हिंदी पाठ 4 प्रश्न उत्तर – Class 7 Hindi पानी रे पानी Question Answer
पाठ से प्रश्न – अभ्यास
(पृष्ठ 45-48)
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा ( * ) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) हमारा भूजल भंडार निम्नलिखित में से किससे समृद्ध होता है?
- नल सूख जाने से।
- पानी बरसने से
- तालाब और झीलों से।
- बाढ़ आने से।
उत्तर :
- पानी बरसने से
- तालाब और झीलों से
(2) निम्नलिखित में से कौन – सी बात जल – चक्र से संबंधित है ?
- वर्षा जल का संग्रह करना ।
- समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर बरसना।
- नदियों का समुद्र में जाकर मिलना ।
- बरसात में चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देना।
उत्तर :
- समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर बरसना।
- नदियों का समुद्र में जाकर मिलना ।
(3) ” इस बड़ी गलती की सजा अब हम सबको मिल रही है।” यहाँ किस गलती की ओर संकेत किया गया है ?
- जल – चक्र की अवधारणा को न समझना ।
- आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग करना।
- तालाबों को कचरे से पाटकर समाप्त करना।
- भूजल भंडारण के विषय में विचार न करना।
उत्तर :
तालाबों को कचरे से पाटकर समाप्त करना।
(ख) अब अपने मित्रों के साथ संवाद कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर :
वर्षा के दिनों में खूब पानी बरसता है। यह पानी तालाबों और झीलों में एकत्रित होता है। तालाबों और झीलों में जमा पानी जमीन के नीचे छिपे जल के भंडार में धीरे-धीरे रिसकर, छनकर जा मिलता है, जिससे भूजल भंडार समृद्ध हो जाता है । अतः पहले प्रश्न के लिए चयनित उत्तर सर्वथा उचित है।
जल-स्रोत से जल वाष्पीकरण द्वारा वाष्प के रूप में ऊपर उठता है। जलवाष्प के संघनन से बादल बनते हैं तथा वर्षण द्वारा जल वर्षा के रूप में पुनः जल स्रोतों में आता है । इस चक्र को जल चक्र कहते हैं। अतः लिए चयनित उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त है।
एक दौर ऐसा भी आया जब लोग छिपे खजाने का महत्व भूल गए और जमीन के लालच में अपने तालाबों को कचरे से पाटकर, भरकर समतल बना दिया। जिस पर मकान, कहीं बाजार, स्टेडियम और सिनेमा आदि खड़े हो गए। परिणामस्वरूप, प्रकृति में असंतुलन स्थापित हो गया । गर्मी के दिनों में नल सूख जाते हैं और बरसात के दिनों में बस्तियाँ डूबने लगती हैं । अतः तीसरे प्रश्न के लिए चयनित उत्तर उपयुक्त है।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से कुछ शब्द समूह या संदर्भ चुनकर स्तंभ 1 में दिए गए हैं और उनके अर्थ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर सही मिलान कीजिए ।
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. वर्षा जल संग्रहण | 1. जमीन के नीचे छिपा जल भंडार । |
2. जल संकट | 2. वर्षा के जल को प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रूप से ( मानवीय प्रयासों से ) धरती में संग्रह करना। |
3. जल – चक्र | 3. जल की अत्यधिक कमी होना । |
4. भूजल | 4. समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर पानी में बदलना और वर्षा के द्वारा पुनः समुद्र में मिल जाना। |
उत्तर :
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. वर्षा जल संग्रहण | 2. वर्षा के जल को प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रूप से ( मानवीय प्रयासों से ) धरती में संग्रह करना। |
2. जल संकट | 3. जल की अत्यधिक कमी होना । |
3. जल – चक्र | 4. समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर पानी में बदलना और वर्षा के द्वारा पुनः समुद्र में मिल जाना। |
4. भूजल | 1. जमीन के नीचे छिपा जल भंडार । |
पंक्तियों पर चर्चा
प्रश्न 1.
इस पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और अपने सहपाठियों से चर्चा कीजिए-
” पानी आता भी है तो बेवक्त । ”
“देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं।”
“ कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम जाता है । ”
‘अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। ”
उत्तर :
“ पानी आता भी है तो बेवक्त” अर्थात नलों में अब समय पर पानी नहीं आता है। जैसे कि रात में या सुबह जल्दी, जब इसकी आवश्यकता नहीं होती है। इसका कारण है कि पानी की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इसका मतलब है कि भूजल का भंडार समाप्ति की ओर अग्रसर है। अतः पानी का उपयोग हमें सोच-समझकर करना चाहिए। पानी की बेफजूल खर्च से बचना चाहिए। • गरमी के मौसम में पानी की कमी और बढ़ जाती है। सभी ओर पानी के लिए हाहाकार होने लगता है। लोग मीठी नींद छोड़कर घर भर की बालटियाँ, बर्तन और घड़े भरने लगते हैं। पानी को लेकर कभी-कभी, कहीं-कहीं, तू-तू, मैं-मैं भी होने लगती है। यह दर्शाता है कि देश के कई हिस्सों में पानी का अकाल पड़ गया है।
बरसात के मौसम में सब तरफ पानी ही पानी बढ़ने लगता है। घर, स्कूल, सड़कों, रेल की पटरियों पर पानी भर जाता है। देश के कई भाग बाढ़ में डूब. जाते हैं। यह बाढ़ न गाँवों को छोड़ती है और न बड़े शहरों को। कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम जाता है।
अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं क्योंकि दोनों ही जल-संबंधी चरम स्थितियों से संबंधित हैं, जो एक-दूसरे के पूरक होते हैं। अकाल का मतलब पानी की कमी या सूखा, जबकि बाढ़ का मतलब है पानी का अत्यधिक बढ़ जाना।
सोच-विचार के लिए
प्रश्न 1.
लेख को एक बार पुनः पढ़िए और निम्नलिखित के विषय में पता लगाकर लिखिए।
(क) पाठ में धरती को एक बहुत बड़ी गुल्लक क्यों कहा गया है?
उत्तर :
” पानी रे पानी” पाठ में धरती को गुल्लक इसलिए कहा गया है क्योंकि यह वर्षा के जल को जमा करती है और फिर उसे धीरे-धीरे जलस्रोतों में प्रवाहित करती है, ठीक वैसे ही जैसे हम गुल्लक में पैसे जमा करते हैं।
(ख) जल चक्र की प्रक्रिया कैसे पूरी होती है ?
उत्तर :
जल-चक्र की प्रक्रिया वाष्पीकरण, संघनन, वर्षा और संग्रहण से मिलकर पूरी होती है। वाष्पीकरण में, सूर्य की गर्मी से पानी वाष्प में बदल जाता है और हवा में उठता है। यह वाष्प फिर संघनित होकर बादल बनाता है। बादलों से पानी वर्षा, हिमपात या ओलावृष्टि के रूप में धरती पर गिरता है फिर यह पानी या तो भूजल में रिस जाता है या नदियों और समुद्रों में बहता है । इस तरह, जलचक्र एक सतत प्रक्रिया में चलता रहता है।
(ग) यदि सारी नदियाँ, झीलें और तालाब सूख जाएँ तो क्या होगा?
उत्तर :
यदि सभी नदियाँ, झीलें और तालाब सूख जाएँ, तो यह एक बहुत ही गंभीर स्थिति होगी जो पृथ्वी पर जीवन प्रभावित कर सकती है। सबसे पहले तो यह मानव जीवन के लिए एक बहुत बड़ी समस्या होगी, क्योंकि हमें पीने, खेती करने और अन्य गतिविधियों के लिए पानी की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, यह सभी प्रकार के जलीय जीवों के लिए एक गंभीर खतरा होगा, क्योंकि वे इन जल निकायों पर निर्भर होते हैं, या यों कहें कि यदि सभी नदियाँ, झीलें, तालाब सूख जाएँ तो पृथ्वी को मरुस्थल होने से कोई नहीं बचा सकता है।
(घ) पाठ में पानी को रुपयों से भी कई गुना मूल्यवान क्यों बताया गया है?
उत्तर :
” पानी रे पानी” पाठ में पानी को रुपयों से भी कई गुणा मूल्यवान बताया गया है क्योंकि पानी जीवन के लिए आवश्यक है और यह हमारे शरीर के लगभग हर कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पानी हमारे शरीर के वजन का लगभग 60% बनाता है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने से लेकर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने तक, स्वास्थ्य और जीवन शक्ति बनाए रखने के लिए आवश्यक है। पानी की कमी से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। इसकी कमी से अकाल और वृद्धि से बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए पानी को रुपयों से भी अधिक मूल्यवान माना जाता है, क्योंकि यह हमारे जीवन के लिए आवश्यक है।
शीर्षक
प्रश्न 1.
(क) इस पाठ का शीर्षक ‘पानी रे पानी’ दिया गया है । पाठ का यह नाम क्यों दिया गया होगा? अपने सहपाठियों के साथ चर्चा करके लिखिए। अपने उत्तर का कारण भी लिखिए।
उत्तर :
पाठ का शीर्षक ” पानी रे पानी” इसलिए दिया गया है क्योंकि यह पाठ पानी की विभिन्न रूप-रेखाओं, जैसे कि नदियों, झीलों, बारिश और समुद्री जल पर केंद्रित है। पाठ का मुख्य विषय पानी के महत्व, पानी की विभिन्न अवस्थाओं और मानव जीवन में पानी की भूमिका को उजागर करना है। यह शीर्षक पाठ की विषय- – वस्तु को स्पष्ट रूपं से दर्शाता है और पाठ के प्रति आकर्षण पैदा करता है।
(ख) आप इस पाठ को क्या नाम देना चाहेंगे? इसका कारण लिखिए।
उत्तर :
” पानी रे पानी” पाठ का नाम मैं ” जल-चक्र की यात्रा” देना चाहूँगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यह पाठ जल के प्राकृतिक चक्र, जैसे कि समुद्र से भाप बनकर बादल बनना, वर्षा होना और फिर नदियों तथा जलमार्गों के माध्यम से वापस समुद्र में मिलना, पर केंद्रित है।
” जल चक्र की यात्रा” नाम इस पाठ के विषय को बेहतर ढंग से दर्शाता है। यह पाठ जल के लगातार होने वाले चक्र को एक यात्रा के रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे पाठकों को जल के स्रोत और उसके मार्ग के बारे में समझने में मदद मिलती है।
शब्दों की बात
बात पर बल देना
प्रश्न 1.
” हमारी यह धरती भी इसी तरह की एक गुल्लक है।”
“हमारी यह धरती इसी तरह की एक गुल्लक है। ”
(क) इन दोनों वाक्यों को ध्यान से पढ़िए। दूसरे वाक्य में कौन-सा शब्द हटा दिया गया है? उस शब्द को हटा देने से वाक्य के अर्थ में क्या अंतर आया है, पहचान कर लिखिए
उत्तर :
दूसरे वाक्य में ‘भी’ शब्द हटा दिया गया है। ‘भी’ शब्द को हटाने से पहला वाक्य जिसमें बल निपात का प्रयोग हुआ है। वह अब निपात रहित वाक्य बन गया है।
(ख) पाठ में ऐसे ही कुछ और शब्द भी आए हैं जो अपनी उपस्थिति से वाक्य में विशेष प्रभाव उत्पन्न करते हैं। पाठ को फिर से पढ़िए और इस तरह के शब्दों वाले वाक्यों को चुनकर लिखिए ।
उत्तर :
(i) एक सुंदर – सा चित्र भी होता है।
(ii) चित्र में कुछ तीर भी बने रहते हैं।
(iii) पानी आता भी है तो बेवक्त ।
(iv) शहरों में तो अब कई चीजों की तरह पानी भी बिकने लगा है।
(v) प्रदेशों की राजधानियों में और दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और बंगलौर जैसे बड़े शहरों में भी लोगों को भयानक कष्ट में डाल देती है।
समानार्थी शब्द
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों के स्थान पर समान अर्थ देने वाले उपयुक्त शब्द लिखिए। इस कार्य के लिए आप बादल में से शब्द चुन सकते हैं।
(क) सूरज की किरणें पड़ते ही फूल खिल उठे।
(ख) समुद्र का पानी भाप बनकर ऊपर जाता है।
(ग) अचानक बादल गरजने लगे।
(घ) जल-चक्र में हवा की भी बहुत बड़ी भूमिका है।
उत्तर :
समानार्थी शब्द
(क) सूर्य की किरणें पड़ते ही फूल खिल उठे।
(ख) समुद्र का पानी वाष्प बनकर ऊपर जाता है।
(ग) अचानक मेघ गरजने लगे।
(घ) जल-चक्र में वायु की भी बहुत बड़ी भूमिका है।
उपसर्ग
“देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं । ”
उपर्युक्त वाक्य में रेखांकित शब्द में ‘अ’ ने ‘काल’ शब्द में जुड़कर एक नया अर्थ दिया है। काल का अर्थ है–समय, मृत्यु। जबकि अकाल का अर्थ है – कुसमय, सूखा । कुछ शब्दांश किसी शब्द के आरंभ में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं या कोई विशेषता उत्पन्न कर देते हैं और इस प्रकार नए शब्दों का निर्माण करते हैं। इस तरह के शब्दांश ‘उपसर्ग’ कहलाते हैं।
आइए, कुछ और उपसर्गों की पहचान करते हैं-
अब आप भी उपसर्ग के प्रयोग से नए शब्द बनाकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
उत्तर :
वाक्य प्रयोग
(i) सुपात्र – सुपात्र लोगों को ही पुरस्कार दिया जाना चाहिए।
(ii) अपात्र – वह दान के लिए अपात्र है।
(iii) अज्ञान – अज्ञान एक ऐसा अंधेरा है जो ज्ञान की रोशनी से मिटा दिया जाता है।
(iv) विज्ञान – विज्ञान हमें नई चीजें सिखाता है ।
पाठ से आगे प्रश्न – अभ्यास
(पृष्ठ 48-54)
आपकी बात
(कं) धरती की गुल्लक में जलराशि की कमी न हो इसके लिए आप क्या-क्या प्रयास कर सकते हैं, अपने सहपाठियों के साथ चर्चा करके लिखिए।
उत्तर :
धरती की गुल्लक में जलराशि की कमी न हो इसके लिए हमें निम्नलिखित प्रयास करना चाहिए-
(i) हमें अपने आसपास के जल स्रोतों, जैसे कि नदियों, तालाबों और जलाशयों की अच्छी तरह देखभाल करनी चाहिए ।
(ii) बारिश के पानी को इकट्ठा करके और भूजल भंडार को सुरक्षित रखकर हम अपने ” गुल्लक” को भर सकते हैं, जिससे भविष्य में पानी की कमी नहीं होगी।
(iii) उद्योगों और कृषि से निकलने वाले प्रदूषित पानी को नदियों और जलस्रोतों में जाने से रोकना चाहिए।
(iv) नहाते समय बाल्टी का प्रयोग करना चाहिए, दाँत साफ करते समय नल को बंद रखना चाहिए।
(v) पानी का उपयोग करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि पानी बर्बाद न हो।
(vi) कृषि क्षेत्र में जल का उपयोग कम करने के लिए ड्रिप सिंचाई और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना चाहिए ।
(vii) उद्योगों से निकलने वाले दूषित पानी को साफ करके नदियों में छोड़ा जाना चाहिए ।
उपर्युक्त उपायों के माध्यम से, हम धरती के गुल्लक में पानी की कमी को रोकने और भविष्य में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।
(ख) इस पाठ में एक छोटे से खंड में जल – चक्र की प्रक्रिया को प्रस्तुत किया गया है। उस खंड की पहचान करें और जल चक्र को चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करें।
उत्तर :
पाठ के मुख पृष्ठ पर जल चक्र को प्रस्तुत किया गया है। यहाँ बताया गया है कि समुद्र का पानी सूर्य की गर्मी को पाकर भाप बनकर ऊपर उठने लगता है और बादल बन जाता है। यही बादल ठंडा होकर धरती पर पानी बरसता है। यह पानी झरनों, नदियों, तालाबों, जलाशयों से होता हुआ पुनः समुद्र में वापिस मिल जाता है। इसी को जल – चक्र की संज्ञा देते हैं।
(ग) अपने द्वारा बनाए गए जल चक्र के चित्र का विवरण प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर :
सूर्य की गर्मी के कारण पानी वाष्प में बदल जाता है और वायुमंडल में चला जाता है। जलवाष्प हवा में ठंडी होकर छोटे पानी की बूँदों या बर्फ के क्रिस्टल में बदल जाती है, जिससे बादल बनते हैं। जब बादल पानी या बर्फ के साथ भारी हो जाते हैं, तो वे पृथ्वी पर वर्षा, बर्फ या ओले के रूप में गिरते हैं। पानी जमीन में रिस जाता है या नदियों, झीलों, जलाशयों आद से होते हुए समुद्र में मिल जाता है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। इसे ही जल – चक्र की संज्ञा देते हैं।
सृजन
(क) कल्पना कीजिए कि किसी दिन आपके घर में पानी नहीं आया। आपको विद्यालय जाना है। आपके घर के समीप ही एक सार्वजनिक नल है । आप बालटी आदि लेकर वहाँ पहुँचते हैं और ठीक उसी समय आपके पड़ोसी भी पानी लेने पहुँच जाते हैं। आप दोनों ही अपनी-अपनी बालटी पहले भरना चाहते हैं। ऐसी परिस्थिति में आपस में किसी प्रकार का विवाद ( तू-तू, मैं-मैं ) न हो, यह ध्यान में रखते हुए पाँच संदेश वाक्य (स्लोगन ) तैयार कीजिए ।
उत्तर :
(i) पानी बचाओ, पानी बचाओ, पानी है अनमोल । न बहने दो पानी को, जानो इसका मोल।
(ii) जब तक पानी है, तब तक जिंदगानी है।
(iii) जीवन का आधार जल है।
(iv) जल है तो सुंदर कल है।
(v) अगर आज जल नहीं बचाओगे, तो कल प्यासे रह जाओगे।
(vi) जल ही जीवन है।
(ख) “सूरज, समुद्र, बादल, हवा, धरती, फिर बरसात की बूँदें और फिर बहती हुई एक नदी और उसके किनारे बसा तुम्हारा, हमारा घर, गाँव या शहर । ” इस वाक्य को पढ़कर आपके सामने कोई एक चित्र उभर आया होगा, उस चित्र को बनाकर उसमें रंग भरिए ।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
पानी रे पानी
नीचे हम सबकी दिनचर्या से जुड़ी कुछ गतिविधियों के चित्र हैं । उन चित्रों पर बातचीत कीजिए जो धरती पर पानी के संकट को कम करने में सहायक हैं और उन चित्रों पर भी बात करें जो पानी की गुल्लक को जल्दी ही खाली कर रहे हैं।
उत्तर :
पानी के संकट को कम करने में सहायक हो ।
पानी के संकट को कम करने में सहायक है।
पानी की गुल्लक को जल्दी ही में सहायक है।
पानी के संकट को कम करने खाली कर रहा है।
पानी की गुल्लक को जल्दी ही खाली कर रहा है।
पानी की गुल्लक को जल्दी ही खाली कर रहा है।
पानी के संकट को कम करने में सहायक।
पानी की गुल्लक को जल्दी ही खाली कर रहा है।
पानी के संकट को कम करने में सहायक है।
सबका पानी
‘सभी को अपनी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त पानी कैसे मिले’ इस विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन करें। परिचर्चा के मुख्य बिंदुओं को आधार बनाते हुए रिपोर्ट तैयार करें।
उत्तर :
सभी लोगों को जरूरत के हिसाब से पानी मिले इसके लिए पानी का संरक्षण, बेहतर जल प्रबंधन और स्वच्छ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है।
1. पानी का संरक्षण-
- पानी की बर्बादी न करें ।
- जल – बचत तकनीकों का उपयोग करें।
- पानी की बर्बादी रोकने के लिए सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाएँ।
2. बेहतर जल प्रबंधन
- जल संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करें।
- जल प्रदूषण को नियंत्रित करें।
- पानी की गुणवत्ता की निगरानी करें।
3. स्वच्छ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना-
- स्वच्छ जल प्रणाली स्थापित करें।
- जल शोधन तकनीकों का उपयोग करें।
- जल वितरण को बेहतर बनाएँ।
दैनिक कार्यों में पानी
(क) क्या आपने कभी यह जानने का प्रयास किया है कि आपके घर में एक दिन में औसतन कितना पानी खर्च होता है? अपने घर में पानी के उपयोग से जुड़ी एक तालिका बनाइए। इस तालिका के आधार पर पता लगाइए-
घर के कार्यों में एक दिन में लगभग कितना पानी खर्च होता है ? (बालटी, घड़े या किसी अन्य बर्तन को मापक बना सकते हैं )
आपके माँ और पिता या घर के अन्य सदस्य पानी बचाने के लिए क्या- क्या उपाय करते हैं?
उत्तर :
घर में पानी के उपयोग की तालिका
मद | पानी का उपयोग (लीटर में) |
पीने में | 20 |
नहाने में | 30 |
खाना पकाने में | 05 |
कपड़े धोने में | 50 |
बर्तन साफ करने में | 04 |
दाँत साफ़ करने में | 01 |
बागवानी | 10 |
एयर कूलर | 20 |
अन्य | 10 |
कुल | = 150 |
[नोट : विद्यार्थी अपने-अपने घरों में पानी के उपयोग के अनुसार तालिका तैयार कर सकते हैं।]
घर के कार्यों में एक दिन में लगभग 150 लीटर पानी खर्च होता है।
मेरे माँ और पिता या घर के अन्य सदस्य पानी बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय करते हैं-
(क) नल को टपकने नहीं देते हैं। हमेशा ठीक से बंद रखते हैं।
(ख) ब्रश करते समय नल को बंद रखते हैं।
(ग) शॉवर की जगह बालटी से नहाते हैं।
(घ) बर्तन धोते सयम लगातार नल नहीं चलाते हैं।
(ङ) सब्जियों और फ़लों को धोने के बाद बचे पानी का उपयोग पौधों में करते हैं।
(ख) क्या आपको अपनी आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध हो जाता है? यदि हाँ, तो कैसे? यदि नहीं, तो क्यों?
उत्तर :
यदि हाँ हाँ, हमें अपनी आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध हो जाता है। हमारे घरों में पानी का कनेक्शन है। साथ ही नगर निगम द्वारा पानी की नियमित सप्लाई होती है जिससे हमें अपनी आवश्यकता को पूरा करने में कठिनाई नहीं होती है।
यदि नहीं-नहीं, हमें अपनी आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है। क्योंकि नलों में पूरे समय पानी नहीं आता है। पानी आता भी है तो असमय । कभी देर रात को तो कभी बहुत सबेरे, जिसके कारण हम पानी भर नहीं पाते है। और हमारी आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती है।
(ग) आपके घर में दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पानी का संचयन कैसे और किन पात्रों में किया जाता है ?
उत्तर :
हमारे घर में दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पानी का संचयन नलों द्वारा बालटियों, बर्तनों, डिब्बों और घड़ों में किया जाता है।
जन – सुविधा के रूप में जल
नीचे दिए गए चित्रों को ध्यान से देखिए –
इन चित्रों के आधार पर जल आपूर्ति की स्थिति के बारे में अपने साथियों से चर्चा कीजिए और उसका विवरण लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
बिन पानी सब सून
(क) पाठ में भूजल स्तर के कम होने के कुछ कारण बताए गए हैं, जैसे – तालाबों में कचरा फेंककर भरना आदि । भूजल स्तर कम होने के और क्या-क्या कारण हो सकते हैं? पता लगाइए और कक्षा में प्रस्तुत कीजिए। (इसके लिए आप अपने सहपाठियों, शिक्षकों और घर के सदस्यों की सहायता भी ले सकते हैं। )
उत्तर :
भूजल स्तर कम होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
(i) कृषि, औद्योगिक और शहरी गतिविधियों के लिए भूजल का अत्यधिक निष्कर्षण भूजल स्तर को कम करता है ।
(ii) तेजी से शहरीकरण और औद्योगीकरण से पानी की माँग बढ़ती है, जिससे भूजल पर दबाव बढ़ता है।
(iii) जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा में अनियमित बदलाव और तापमान में वृद्धि होती है, जिससे भूजल पुनर्भरण में कमी आती है।
(iv) भारत में लगभग 80% जल का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है, जिसमें भूजल का प्रमुख योगदान है।
(v) रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, औद्योगिक अपशिष्ट के कारण भूजल दूषित होता है, जिससे इसकी गुणवत्ता प्रभावित होती है।
(vi) बाँधों और जलाशयों के निर्माण से भूजल के पुनर्भरण में बाधा आती है।
(vii) वनों की कटाई और भूमि के क्षरण से भूजल पुनर्भरण में कमी आती है।
(viii) बढ़ती जनसंख्या से पानी की माँग बढ़ती है, जिससे भूजल पर दबाव बढ़ता है।
(ख) भूजल स्तर की कमी से हमें आजकल किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है?
उत्तर :
भूजल स्तर की कमीं से हमें निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है—
(i) भूजल स्तर गिरने से किसानों को सिंचाई के लिए पानी प्राप्त करने में कठिनाई होती है, जिससे उन्हें गहरी बोरिंग और महँगी पंपिंग तकनीकी का उपयोग करना पड़ता है, जिससे उनकी लागत बढ़ती है।
(ii) भूजल की कमी से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता कम हो जाती है, लोगों को पीने, साफ-सफाई और अन्य घरेलू कार्यों के लिए पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
(iii) अत्यधिक भूजल निष्कर्षण से जमीन में धँसाव हो सकता है, जिससे सड़कें और इमारतें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
(iv) भूजल स्तर में गिरावट से नदियों, झीलों और आर्द्रभूमि का प्रवाह कम हो जाता है। जिससे वन्य जीवों और पौधों की जीवनशैली प्रभावित होती है।
(v) भूजल स्तर गिरने से, हानिकारक रासायनिक पदार्थ जैसे आर्सेनिक कैडमियम और फ्लोराइड का स्तर बढ़ सकता है, जिससे पानी पीने के लिए अयोग्य हो जाता है।
(vi) भूमिगत जल स्तर नीचे गिरने से पंपिंग के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिससे ऊर्जा की बर्बादी होती है।
(vii) भूजल की कमी से कृषि उत्पादकता कम हो जाती है। जिससे किसानों की आय प्रभावित होती है।
(ग) आपके विद्यालय, गाँव या शहर के स्थानीय प्रशासन द्वारा भूजल स्तर बढ़ाने के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा रहे हैं, पता लगाकर लिखिए।
उत्तर :
हमारे विद्यालय, गाँव या शहर के स्थानीय प्रशासन द्वारा भूजल स्तर बढ़ाने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा रहे हैं-
(i) वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए बाहर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे भूजल स्तर में वृद्धि हो सकती है।
(ii) कुओं, बावड़ियों और तालाबों जैसे पारंपरिक जल स्रोतों का रखरखाव और गहरा करना, जिससे जल जमाव हो सके।
(iii) अधिक पेड़ लगाकर, मिट्टी के कटाव को रोककर और मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करते हैं।
(iv) सिंचाई प्रणालियों में सुधार, कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों को बढ़ावा देना और जल के उपयोग को सीमित करना, जिससे भूजल का दोहन कम हो ।
(v) कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं, जैसे पुनर्भरण कुओं और चेक डैम का निर्माण करके भूजल को पुनर्भरण किया जा रहा है।
यह भी जानें
वर्षा जल संग्रहण
वर्षा के जल को एकत्र करना और उसका भंडारण करके बाद में प्रयोग करना जल की उपलब्धता में वृद्धि करने का एक उपाय है। इस उपाय द्वारा वर्षा का जल एकत्र करने को ‘वर्षा जल संग्रहण’ कहते हैं। वर्षा जल संग्रहण का मूल उद्देश्य यही है कि ” जल जहाँ गिरे वहीं एकत्र कीजिए । ” वर्षा जल संग्रहण की एक तकनीक इस प्रकार है-
छत के ऊपर वर्षा जल संग्रहण
इस प्रणाली में भवनों की छत पर एकत्रित वर्षा जल को पाइप द्वारा भंडारण टंकी में पहुँचाया जाता है। इस जल में छत पर उपस्थित मिट्टी के कण मिल जाते हैं। अतः इसका उपयोग करने से पहले इसे स्वच्छ करना आवश्यक होता है।
अपने घर या विद्यालय के आस-पास, मुहल्ले या गाँव में पता लगाइए कि वर्षा जल संग्रहण की कोई विधि अपनाई जा रही है या नहीं? यदि हाँ, तो कौन-सी विधि है ? उसके विषय में लिखिए। यदि नहीं, तो अपने शिक्षक या परिजनों की सहायता से इस विषय में समाचार पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए ।
उत्तर :
केवल जानकारी के लिए।
आज की पहेली
जल के प्राकृतिक स्रोत हैं- वर्षा, नदी, और तालाब । दिए गए वर्ग में जल और इन प्राकृतिक स्रोतों के समानार्थी शब्द ढूँढ़िए और लिखिए ।
उत्तर :
जल – पानी, नीर, अंबु
वर्षा – बारिश, जलप्रपात
नदी – सरिता, तटिनी, प्रवाहिनी
झील – ताल, सरोवर, जलाशय
तालाब – जलाशय, सरोवर, सर, ताल
खोजबीन के लिए
पानी से संबंधित गीत या कविताओं का संकलन कीजिए और इनमें से कुछ को अपनी कक्षा में प्रस्तुत कीजिए ।
इसके लिए आप अपने परिजनों एवं शिक्षक अथवा पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
झरोखे से
प्रश्न 1.
आपने तालाबों और नदियों से रिसकर धरती रूपी गुल्लक में जमा होने वाले पानी के संबंध में यह रोचक लेख पढ़ा। अब आप तालाबों के बनने के इतिहास के विषय में अनुपम मिश्र के एक लेख ‘पाल के किनारे रखा इतिहास’ का अंश पढ़िए।
(नोट : अंश पाठ्यपुस्तक में पढ़ें।)
पाल के किनारे रखा इतिहास “अच्छे-अच्छे काम करते जाना”, राजा ने कूड़न किसान से कहा था। एक दिन घर से खेत जाते समय बेटी को एक नुकीले पत्थर से ठोकर लग गई। उसे बहुत गुस्सा आया। उसने अपनी दराँती से उस पत्थर को उखाड़ने की कोशिश की। पर लो, उसकी दराँती तो पत्थर पर पड़ते ही लोहे से सोने में बदल गई। और फिर बदलती जाती हैं इस लम्बे किस्से की घटनाएँ बड़ी तेजी से। पत्थर उठाकर लड़की भागी-भागी खेत पर आती है। अपने पिता और चाचाओं को सब कुछ एक साँस में बता देती है। चारों भाइयों की साँस भी अटक जाती है। जल्दी-जल्दी सब घर लौटते हैं। उन्हें मालूम पड़ चुका है कि उनके हाथ में कोई साधारण पत्थर नहीं है, पारस है। वे लोहे की जिस चीज को छूते हैं, वह सोना बनकर उनकी आँखों में चमक भर देती है। पर आँखों की यह चमक ज्यादा देर तक नहीं टिक पाती। कूड़न को लगता है कि देर-सबेर राजा तक यह बात पहुँच ही जाएगी और तब पारस छिन जाएगा। तो क्या यह ज्यादा अच्छा नहीं होगा कि वे खुद जाकर राजा को सब कुछ बता दे। किस्सा आगे बढ़ता है। फिर जो कुछ घटता है, वह लोहे को नहीं बल्कि समाज को पारस से छुआने का किस्सा बन जाता है। यह कहानी सच्ची है, ऐतिहासिक है- नहीं मालूम। पर देश के मध्य भाग में एक बहुत बड़े हिस्से में यह इतिहास को अँगूठा दिखाती हुई लोगों के मन में रमी हुई है। यहीं के पाटन नामक क्षेत्र में चार बहुत बड़े तालाब आज भी मिलते हैं और इस कहानी को इतिहास की कसौटी पर कसने वालों को लजाते हैं- चारों तालाब इन्हीं चारों भाइयों के नाम पर हैं। बूढ़ा सागर है, मझगवाँ में सरमन सागर है, कुआँग्राम में कौराई सागर है तथा कुंडम गांव में कुंडम सागर। सन 1907 में गजेटियर के माध्यम से इस देश का इतिहास लिखने के लिए घूम रहे एक अंग्रेज ने भी इस इलाके में कई लोगों से यह किस्सा सुना था और फिर देखा-परखा था इन चार बड़े तालाबों को। तब भी सरमन सागर इतना बड़ा था कि उसके किनारे पर तीन बड़े-बड़े गाँव बसे थे और तीनों गाँव इस तालाब को अपने-अपने नामों से बाँट लेते थे। पर वह विशाल ताल तीनों गाँवों को जोड़ता था और सरमन सागर की तरह स्मरण किया जाता था। इतिहास ने सरमन, बुढ़ान, कौंराई और कूड़न को याद नहीं रखा लेकिन इन लोगों ने तालाब बनाए और इतिहास को उनके किनारे पर रख दिया था। देश के मध्य भाग में, ठीक हृदय में धड़काने वाला यह किस्सा उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम-चारों तरफ किसी न किसी रूप में फैला हुआ मिल सकता है और इसी के साथ मिलते हैं सैंकड़ों, हजारों तालाब। इनकी कोई ठीक गिनती नहीं है। इन अनगिनत तालाबों को गिनने वाले नहीं, इन्हें तो बनाने वाले लोग आते रहे और तालाब बनते रहे। किसी तालाब को राजा ने बनाया तो किसी को रानी ने, किसी को किसी साधारण गृहस्थ ने तो किसी को किसी असाधारण साधु-संत ने- जिस किसी ने भी तालाब बनाया, वह महाराज या महात्मा ही कहलाया। एक कृतज्ञ समाज तालाब बनाने वालों को अमर बनाता था और लोग भी तालाब बनाकर समाज के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते थे। |
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
साझी समझ
‘पानी रे पानी’ और ‘पाल के किनारे रखा इतिहास’ में आपको कौन-कौन सी बातें समान लगीं ? उनके विषय में अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
परीक्षोपयोगी नहीं ।