NCERT Class 6 Hindi Chapter 6 Extra Question Answer मेरी माँ
मेरी माँ Class 6 Hindi Chapter 6 Extra Questions अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा का प्रभाव बताइए।
उत्तर :
अपनी आत्मकथा के माध्यम से बिस्मिल आज भी हम भारतीयों के मस्तिष्क में जीवित हैं।
प्रश्न 2.
बिस्मिल शाहजहाँपुर की सेवा समिति के लिए क्या करते थे?
उत्तर :
बिस्मिल शाहजहाँपुर की सेवा समिति में बड़े उत्साह से सहयोग देते थे।
प्रश्न 3.
जन्मदात्री जननी का क्या अर्थ होता है?
उत्तर :
जन्म देने वाली जननी माँ को जन्मदात्री कहते हैं।
प्रश्न 4.
बिस्मिल की ‘आत्मकथा’ पुस्तक के प्रकाशन ने अंग्रेजों के होश उड़ा दिए-से क्या अभिप्राय है।
उत्तर :
‘बिस्मिल’ की आत्मकथा पुस्तक के प्रकाशित होते ही लोगों में अंग्रेज़ों के विरुद्ध क्रोध और बढ़ गया। इससे अंग्रेज़ बुरी तरह डर गए।
प्रश्न 5.
संसार-चक्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
संसार-चक्र से अभिप्राय – जीवन-मरण के चक्र में घूमते रहना है अर्थात् मानव का जन्म लेकर भी कोई विशेष कार्य न करना।
मेरी माँ Class 6 Hindi Chapter 6 Extra Question Answer लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
लखनऊ कांग्रेस में जाने से बिस्मिल के पिता जी और दादी जी उन्हें क्यों मना कर रहे थे ?
उत्तर :
उस समय भारत पर अंग्रेजों का राज था। कांग्रेस के सदस्य बनने वाले देश की आज़ादी के लिए प्रयत्न करते थे। अतः वर्तमान शासन उनको दंडित करता था।
प्रश्न 2.
राम प्रसाद बिस्मिल के द्वारा जेल में लिखी उनकी आत्मकथा को किसने प्रकाशित करवाया ?
उत्तर :
राम प्रसाद बिस्मिल जेल में लिखी अपनी आत्मकथा को वे अंग्रेज़ों से बचते-बचाते बाहर भेजते रहे। उनके साथियों ने उसे प्रकाशित भी करवा दिया।
प्रश्न 3.
‘बिस्मिल’ ने अपनी आत्मकथा में मंगलमयी विशेषण का प्रयोग क्यों किया है?
उत्तर :
माँ तो हमेशा ही अपनी संतान के लिएमंगलकामना करती है। बिस्मिल के देश की आज़ादी की डगर में उनकी माँ सहायक रही हैं। अतः उन्होंने मंगलमयी विशेषण का प्रयोग किया है।
प्रश्न 4.
“ शत्रु को कभी प्राणदंड न देना।” इस वाक्य से बिस्मिल जी की माँ के स्वभाव के विषय में क्या पता चलता है?
उत्तर :
” शत्रु को कभी प्राणदंड न देना “। इस वाक्य से बिस्मिल जी की माँ की दयालुता और उदारता की भावना प्रकट होती है।
मेरी माँ Class 6 Hindi Chapter 6 Extra Questions दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी माँ को देवी किस संदर्भ में कहा है?
उत्तर :
रामप्रसाद बिस्मिल का मानना था कि उनके जीवन में जो साहस आया, वह उनकी माता जी तथा उनके गुरुदेव श्री सोमनाथ जी की कृपाओं का ही परिणाम है। उनकी माँ ने कभी उनका साहस भंग न होने दिया। एक देवी की भाँति शक्तिस्वरूपा बनकर उनका मार्गदर्शन किया।
प्रश्न 2.
बिस्मिल की माता जी के सद्व्यवहार का उन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर :
बिस्मिल की माता जी के प्रोत्साहन और सद्व्यवहार ने उनके जीवन में वह दृढ़ता उत्पन्न की कि किसी आपत्ति तथा संकट के समय भी उन्होंने अपना संकल्प न छोड़ा। वह निडर होकर अपने क्रांतिकारी जीवन को आगे बढ़ाते रहे।
प्रश्न 3.
अंग्रेज सरकार क्रांतिकारियों पर बहुत अत्याचार करती थी। इतने सख्त कानून होने पर भी अपनी आत्मकथा लिखना और उसे जेल से बाहर भिजवाना – इससे बिस्मिल के किन गुणों का पता चलता है?
उत्तर :
अंग्रेज़ भारतीयों पर बहुत अत्याचार करते थे। वे साधारण भारतीयों को चैन से नहीं रहने देते थे। विशेष रूप से क्रांतिकारियों पर तो उनके अत्याचारों की कोई सीमा ही नहीं होती थी। उन्हें बेड़ियों में बाँधकर रखते थे। ऐसे वातावरण में कुछ भी लिखकर बाहर भेजना असंभव था, किंतु हमारे आजादी के मतवालों के शब्दकोश में असंभव शब्द तो था ही नहीं। बिस्मिल जी द्वारा आत्मकथा का जेल में लिखा जाना और बाहर भेजकर उसका प्रकाशित होना उनके के अदम्य साहस, निडर, चतुर, होनहार, बुद्धिमान, पारस्परिक समन्वय, सामंजस्य आदि अनेक गुणों के समायोजन के कारण ही संभव हो पाया।
प्रश्न 4.
गुरु गोबिंद सिंह जी की धर्मपत्नी ने अपने पुत्रों की मृत्यु की खबर सुनी तो वे प्रसन्न क्यों हुई ? यह लिखकर बिस्मिल ने अपनी माँ से क्या कहने का प्रयत्न किया है?
उत्तर :
गुरु गोबिंद सिंह जी को धर्मपत्नी ने अपने पुत्रों की मृत्यु की खबर सुनी तो वे प्रसन्न हुई और गुरु के नाम पर ध र्म-रक्षार्थ अपने पुत्रों के बलिदान पर मिठाई बाँटी थीं। अपने पुत्रों की मृत्यु पर वे हृदय से अत्यंत दुखी हुई होंगी क्योंकि माँ अपने पुत्रों से अथाह प्रेम करती हैं । किंतु हमारे देश की इन वीरांगनाओं ने देश-प्रेम एवं धर्म-रक्षा को सर्वोपरि माना है। उन्होंने पुत्र-प्रेम, पति – प्रेम को इनके बाद स्थान दिया है। इतना साहस इतनी, दिलेरी किसी साधारण मानव के लिए संभव नहीं है। बिस्मिल को भी पता था कि उनकी मृत्यु का समाचार उनकी माँ के लिए कितना हृदय विदारक होगा। इसलिए अपनी माँ को गुरु गोबिंद सिंह जी पत्नी की भाँति हौसला रखने की बात कह रहे हैं।
मेरी माँ Class 6 Hindi Chapter 6 Extra Question Answer बहुविकल्पीय प्रश्न
नीचे दिए गए वाक्यों में आए रिक्त स्थान के लिए सही शब्द दिए गए विकल्पों में से चुनिए-
(क) श्री राम प्रसाद बिस्मिल बड़े नौजवान थे।
(i) शायर
(ii) होनहार
(iii) पहलवान
(iv) निर्दयी
उत्तर :
(ii) होनहार
(ख) अंग्रेज़ों ने रामप्रसाद बिस्मिल को जेल भेज दिया और दे दी।
(i) उम्रकैद
(ii) फाँसी की सजा
(iii) दस साल जेल
(iv) पाँच साल की कैद
उत्तर :
(ii) फाँसी की सजा
(ग) जेल में रहते-रहते ही उन्होंने चोरी-छिपे अपनी लिखी।
(i) कविताएँ
(ii) क्रांतिलेख
(iii) गज़ल
(iv) आत्मकथा
उत्तर :
(iv) आत्मकथा
(घ) उनकी माता जी विवाह के पश्चात ___________ आईं।
(i) बुंदेलखंड
(ii) प्रयागराज
(iii) शाहजहाँपुर
(iv) मेरठ
उत्तर :
(iii) शाहजहाँपुर
(ङ) बिस्मिल के जन्म के ___________ वर्ष बाद उनकी माता जी ने हिंदी पढ़ना आरंभ किया ।
(i) 5-7
(ii) 8-10
(iii) 3-4
(iv) 2-3
उत्तर :
(i) 5-7
(च) ‘आरंभ’ शब्द का विलोम शब्द ___________ हैं ।
(i) उपरांत
(ii) अंत
(iii) खत्म
(iv) अंतिम
उत्तर :
(ii) अंत
(छ) बिस्मिल अपने जीवन में हमेशा ___________ का आचरण करते थे।
(i) सत्य
(ii) अहिंसा
(iii) हिंसा
(iv) पाप
उत्तर :
(i) सत्य
मेरी माँ Class 6 Hindi Chapter 6 Extra Questions अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
निम्नांकित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर आधारित पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए या चुनिए-
प्रश्न 1.
लखनऊ कांग्रेस में जाने के लिए मेरी बड़ी इच्छा थी। दादी जी और पिता जी तो विरोध करते रहे, किंतु माता जी ने मुझे खर्च दे ही दिया। उसी समय शाहजहाँपुर में सेवा समिति का आरंभ हुआ था। मैं बड़े उत्साह के साथ सेवा समिति में सहयोग देता था। पिता जी और दादी जी को मेरे इस प्रकार के कार्य अच्छे न लगते थे, किंतु माता जी मेरा उत्साह भंग न होने देती थीं, जिसके कारण उन्हें अकसर पिता जी की डाँट-फटकार तथा दंड सहन करना पड़ता था । वास्तव में, मेरी माता जी देवी हैं। मुझमें जो कुछ जीवन तथा साहस आया, वह मेरी माता जी तथा गुरुदेव श्री सोमदेव जी की कृपाओं का ही परिणाम है। दादी जी और पिता जी मेरे विवाह के लिए बहुत अनुरोध करते, किंतु माता जी यही कहतीं कि शिक्षा पा चुकने के बाद ही विवाह करना उचित होगा। माता जी के प्रोत्साहन तथा सद्व्यवहार ने मेरे जीवन में वह दृढ़ता उत्पन्न की कि किसी आपत्ति तथा संकट के आने पर भी मैंने अपने संकल्प को न त्यागा ।
(क) ‘रामप्रसाद बिस्मिल’ को कहाँ जाने की इच्छा थी?
(i) खेलने जाने की
(ii) विद्यालय जाने की
(iii) लखनऊ कांग्रेस में जाने की
(iv) शाहजहाँपुर कांग्रेस में जाने की
उत्तर :
(iii) लखनऊ कांग्रेस में जाने की
(ख) सेवा समिति का आरंभ कहाँ हुआ ?
(i) लखनऊ
(ii) अयोध्या
(iii) शाहजहाँपुर
(iv) बरेली
उत्तर :
(iii) शाहजहाँपुर
(ग) रामप्रसाद बिस्मिल के पिता जी और दादी जी किस बात का विरोध कर रहे थे ?
(i) उनके मित्रों के साथ जाने का
(ii) उनके खेलने जाने का
(iii) उनके घूमने जाने का
(iv) उनके लखनऊ कांग्रेस में जाने का
उत्तर :
(iv) उनके लखनऊ कांग्रेस में जाने का
(घ) माता जी को डाँट क्यों सहनी पड़ती थी?
(i) काम ढंग से न करने पर
(ii) काम समय पर न करने पर
(iii) देशभक्ति कार्यों में उनका सहयोग देने के कारण
(iv) वह गलत काम करती थी
उत्तर :
(iii) देशभक्ति कार्यों में उनका सहयोग देने के कारण
(ङ) दादी जी और पिता जी किस बात का अनुरोध करते थे?
(i) शिक्षा पर ध्यान देने का
(ii) व्यापार संभालने का
(iii) उनके विवाह करने का
(iv) नौकरी करने का
उत्तर :
(iii) उनके विवाह करने का
प्रश्न 2.
एक समय मेरे पिता जी दीवानी मुकदमें में किसी पर दावा . करके वकील से कह गए थे कि जो काम हो वह मुझसे करा लें। कुछ आवश्यकता पड़ने पर वकील साहब ने मुझे बुला भेजा और कहा कि मैं पिता जी के हस्ताक्षर वकालतनामे पर कर दूँ। मैंने तुरंत उत्तर दिया कि यह तो धर्म विरुद्ध होगा, इस प्रकार का पाप मैं कदापि नहीं कर सकता। वकील साहब ने बहुत समझाया कि मुकदमा खारिज हो जाएगा। किंतु मुझ पर कुछ भी प्रभाव न हुआ, न मैंने हस्ताक्षर किए। अपने जीवन में हमेशा सत्य का आचरण करता था, चाहे कुछ हो जाए, सत्य बात कह देता था।
ग्यारह वर्ष की उम्र में माता जी विवाह कर शाहजहाँपुर आई थीं। उस समय वह नितांत अशिक्षित एक ग्रामीण कन्या के समान थीं। शाहजहाँपुर आने के थोड़े दिनों बाद दादी जी ने अपनी छोटी बहन को बुला लिया। उन्होंने माता जी को गृहकार्य की शिक्षा दी। थोड़े दिनों में माता जी ने घर के सब काम-काज को समझ लिया और भोजनादि का ठीक-ठीक प्रबंध करने लगीं।
(क) वकील ने रामप्रसाद बिस्मिल से क्या करने के लिए कहा ?
(i) अदालत चलने के लिए
(ii) केस की पैरवी करने के लिए
(iii) वकालतनामे पर पिता जी के हस्ताक्षर करने के लिए
(iv) अपनी माता जी को अदालत लाने के लिए
उत्तर :
(iii) वकालतनामे पर पिता जी के हस्ताक्षर करने के लिए
(ख) वकालतनामे पर हस्ताक्षर न होने पर क्या नुकसान होना था ?
(i) मुकदमा अन्य अदालत में चला जाता
(ii) मुकदमा खारिज हो जाता ।
(iii) मुकदमें में लंबी तारीख मिलती
(iv) वकील को दंड मिलता
उत्तर :
(ii) मुकदमा खारिज हो जाता ।
(ग) इस गद्यांश में रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के चरित्र की किस विशेषता का वर्णन है?
(i) देश-प्रेम
(iii) मातृ-प्रेम
(ii) मित्र- प्रेम
(iv) भ्रातृ-प्रेम
उत्तर :
(i) देश-प्रेम
(घ) उनकी माँ का विवाह किस आयु में हुआ था ?
(i) आठ वर्ष
(ii) दस वर्ष
(iii) ग्यारह वर्ष
(iv) नौ वर्ष
उत्तर :
(iii) ग्यारह वर्ष
(ङ) उनकी माँ को गृहकार्य में दक्ष किसने बनाया?
(i) उनकी माँ ने
(ii) उनकी दादी ने
(iii) उनकी बहन ने
(iv) ससुराल में उनकी सास की बहन ने
उत्तर :
(iv) ससुराल में उनकी सास की बहन ने
प्रश्न 3.
मेरे जन्म होने के पाँच या सात वर्ष बाद उन्होंने हिंदी पढ़ना आरंभ किया। पढ़ने का शौक उन्हें खुद ही पैदा हुआ था। मुहल्ले की सखी-सहेली जो घर पर आया करती थीं, उन्हीं में जो शिक्षित थीं, माता जी उनसे अक्षर-बोध करतीं। इस प्रकार घर का सब काम कर चुकने के बाद जो कुछ समय मिल जाता, उसमें पढ़ना-लिखना करती । परिश्रम के फल से थोड़े दिनों में ही वह देवनागरी पुस्तकों का अध्ययन करने लगीं। मेरी बहनों को छोटी आयु में माता जी ही शिक्षा दिया करती थीं। जब से मैंने आर्यसमाज में प्रवेश किया, माता जी से खूब वार्तालाप होता। उस समय की अपेक्षा अब उनके विचार भी कुछ उदार हो गए हैं। यदि मुझे ऐसी माता न मिलतीं तो मैं भी अति साधारण मनुष्यों की भाँति संसार-चक्र में फँसकर जीवन निर्वाह करता । शिक्षादि के अतिरिक्त क्रांतिकारी जीवन में भी उन्होंने मेरी वैसी ही सहायता की है, जैसी मेजिनी को उनकी माता ने की थी । माता जी का सबसे बड़ा आदेश मेरे लिए यही था कि किसी की प्राणहानि न हो। उनका कहना था कि अपने शत्रु को भी कभी प्राणदंड न देना। उनके इस आदेश की पूर्ति करने के लिए मुझे मजबूरन दो-एक बार अपनी प्रतिज्ञा भंग करनी पड़ी थी।
(क) रामप्रसाद बिस्मिल की माँ ने पढ़ना कब आरंभ किया?
उत्तर :
रामप्रसाद बिस्मिल की माता जी ने उनके जन्म के लगभग पाँच या सात वर्ष बाद पढ़ना आरंभ किया था।
(ख) माता जी अपना पढ़ना-लिखना किस समय करती थीं?
उत्तर :
घर का काम पूरा खत्म करने के पश्चात् जो थोड़ा-बहुत समय बचता था, उसी समय माता जी पढ़ना-लिखना करती थीं।
(ग) उनकी माता जी किन पुस्तकों का अध्ययन करती थीं?
उत्तर :
माता जी ‘देवनागरी’ भाषा में लिखी पुस्तकों का अध्ययन करती थीं।
(घ) बिस्मिल की बहनों को छोटी आयु में कौन शिक्षा देता था ?
उत्तर :
बिस्मिल की बहनों को छोटी आयु में उनकी माता जी शिक्षा देती थीं।
(ङ) पढ़ना सीखने के पश्चात् ‘रामप्रसाद बिस्मिल’ की माँ के विचारों में क्या परिवर्तन आए ?
उत्तर :
पढ़ना सीखने के बाद उनकी माँ के विचार कुछ और उदार हो गए।
प्रश्न 4.
जन्मदात्री जननी ! इस जीवन में तो तुम्हारा ऋण उतारने का प्रयत्न करने का भी अवसर न मिला। इस जन्म में तो क्या यदि मैं अनेक जन्मों में भी सारे जीवन प्रयत्न करूँ तो भी तुमसे उऋण नहीं हो सकता। जिस प्रेम तथा दृढ़ता के साथ तुमने इस तुच्छ जीवन का सुधार किया है, वह अवर्णनीय है। मुझे जीवन की प्रत्येक घटना का स्मरण है कि तुमने जिस प्रकार अपनी देववाणी का उपदेश करके मेरा सुधार किया है। तुम्हारी दया से ही मैं देश सेवा में संलग्न हो सका। धार्मिक जीवन में भी तुम्हारे ही प्रोत्साहन ने सहायता दी। जो कुछ शिक्षा मैंने ग्रहण की उसका भी श्रेय तुम्हीं को है। जिस मनोहर रूप से तुम मुझे उपदेश करती थीं, उसका स्मरण कर तुम्हारी मंगलमयी मूर्ति का ध्यान आ जाता है और मस्तक झुक जाता है। तुम्हें यदि मुझे ताड़ना भी देनी हुई, तो बड़े स्नेह से हर बात को समझा दिया । यदि मैंने धृष्टतापूर्ण उत्तर दिया तब तुमने प्रेम भरे शब्दों में यही कहा कि तुम्हें जो अच्छा लगे, वह करो, किंतु ऐसा करना ठीक नहीं, इसका परिणाम अच्छा न होगा । जीवनदात्री ! तुमने इस शरीर को जन्म देकर केवल पालन-पोषण ही नहीं किया बल्कि आत्मिक, धार्मिक तथा सामाजिक उन्नति में तुम्हीं मेरी सदैव सहायक रहीं। जन्म-जन्मांतर परमात्मा ऐसी ही माता दें।
(क) जन्मदात्री जननी के लिए बिस्मिल को किस बात का अफसोस है?
उत्तर:
जन्मदात्री जननी का ऋण उतारने का यानी उनकी सेवा करने का अवसर उन्हें इस जीवन में नहीं मिला।
(ख) बिस्मिल के जीवन का सुधार किसने और कैसे किया है?
उत्तर :
बिस्मिल के जीवन का सुधार उनकी माँ ने प्रेम और दृढ़ता के साथ किया था।
(ग) माता जी उन्हें किस प्रकार डाँटती थीं?
उत्तर :
माता जी उन्हें डाँटती भी, प्रेमपूर्वक थीं।
(घ) रामप्रसाद की देश-सेवा में उनकी माँ ने क्या योगदान दिया?
उत्तर:
रामप्रसाद की देश सेवा की भावना को उनकी माँ ने प्रोत्साहन दिया।
(ङ) अपनी माँ के लिए ‘रामप्रसाद बिस्मिल’ क्या कामना करते हैं?
उत्तर :
‘रामप्रसाद बिस्मिल’ कामना करते हैं कि जन्म-जन्मांतर तक परमात्मा उन्हीं को उनकी माता बनाए।