प्रकृति पर्व – फूलदेई NCERT Class 3rd Hindi Veena Chapter 9 Question Answer
प्रकृति पर्व – फूलदेई Class 3 Question Answer
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
त्यौहार क्यों मनाए जाते हैं?
उत्तर-
त्यौहार समाज, संस्कृति, प्रकृति और परंपराओं से जुड़ने के अवसर प्रदान करते हैं। ये आनंद, खुशी और मेल-मिलाप के मौके भी प्रदान करते हैं।
प्रश्न 2.
आपका प्रिय त्यौहार कौन-सा है?
उत्तर-
छात्र अपने प्रिय त्यौहार का नाम बताएँ।
प्रश्न 3.
आप अपना प्रिय त्यौहार कैसे मनाते हैं?
उत्तर-
छात्र अपने प्रिय त्यौहार की तैयारी, बनाए जाने वाले पकवानों आदि के बारे में बताएँ; जैसे- होली के दिन हम अपने दोस्तों को रंग-गुलाल लगाते हैं। सब मिलकर गुझिया और दही-बड़ों का लुत्फ़ उठाते हैं।
प्रश्न 4.
वसंत ऋतु के आगमन पर भारत में मनाए जाने वाले त्यौहार कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
वसंत ऋतु के आगमन पर भारत में होली, बैसाखी, वसंतपंचमी, रामनवमी, बिहू आदि कई महत्वपूर्ण त्यौहार मनाए जाते हैं।
प्रश्न 5.
उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में माँ को इजा कहकर पुकारते हैं। आप अपनी माँ को क्या कहकर पुकारते हैं?
उत्तर-
छात्र माता के प्रति अपने संबोधन को बताएँ।
सोचिए और लिखिए
प्रश्न 1.
फुलारी किसे कहते हैं?
उत्तर-
फुलारी मित्रों की टोली को कहा जाता है जो कई प्रकार के फूल अपनी छोटी-छोटी डलिया में इकट्ठे करते हैं और हर घर के मुख्य द्वार की देहली पर फूलों को डालते हैं।
प्रश्न 2.
फुलारी को मिले चावल और गुड़ से क्या-क्या बनाया जाता है?
उत्तर-
फुलारी को मिले चावल और गुड़ को मिलाकर, हलवा, छोई और पापड़ी जैसे कई स्थानीय व्यंजन बनाए जाते हैं।
प्रश्न 3.
फूलदेई को बाल पर्व क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
फूलदेई त्यौहार बच्चों द्वारा मनाया जाता है इसीलिए इसे बाल पर्व कहा जाता है।
प्रश्न 4.
फूलदेई पर्व बच्चों को प्रकृति से कैसे जोड़ता है?
उत्तर-
फूलदेई पर्व में बच्चे फूल चुनने के लिए डलिया लेकर जंगल की ओर जाते हैं। तरह-तरह के फूल चुनते हैं। इस प्रकार यह पर्व बच्चों को प्रकृति से जोड़ता है।
भाषा की बात
ऊपर दिए गए चित्र में शिक्षक पूजा से प्रश्न पूछ रहे हैं। पूजा उत्तर देते हुए अपने और अपने मित्रों के बारे में बता रही है। इन दोनों उदाहरणों में पूर्ण विराम (।) अल्प विराम (,) और प्रश्नवाचक चिह्न (?) का प्रयोग किया गया है।
नीचे दिए गए वाक्यों में इन विराम चिह्नों का उपयोग कर वाक्य ठीक कीजिए-
गरिमा को फल खाना बहुत पसंद है वह अपने मित्र गौरव दीपक ममता और नवजोत को भी फल खाने की सलाह देती है क्या आपको भी फल खाना पसंद है
उत्तर-
गरिमा को फल खाना बहुत पसंद है। वह अपने मित्र गौरव, दीपक, ममता और नवजोत को भी फल खाने की सलाह देती है। क्या आपको भी फल खाना पसंद है?
पता कीजिए
प्रश्न 1.
फूलदेई वसंत ऋतु (मार्च-अप्रैल) में मनाया जाने वाला त्यौहार है। ऐसे ही शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) और हेमंत ऋतु (नवंबर-दिसंबर) में मनाए जाने वाले त्यौहारों की जानकारी खोजिए और लिखिए-
उत्तर-
हमारे अवकाश
प्रश्न 2.
आपके विद्यालय में मिलने वाले अवकाशों की जानकारी प्राप्त कीजिए और ऋतुओं के आधार पर नीचे दी गई तालिका में लिखिए-
उत्तर-
छात्र अपने विद्यालय के अवकाशों की जानकारी प्राप्त करें और उन्हें तालिका में लिखें।
आइए, अपना घर सजाएँ
प्रश्न 3.
फूलदेई के दिन घरों को स्वच्छ करके मुख्य द्वार की देहली को गोबर-मिट्टी से लीपकर तैयार किया जाता है। आप अपने घर को त्यौहारों के लिए सजाने हेतु किन-किन वस्तुओं का प्रयोग करते हैं?
उत्तर-
रंगोली | दीये |
मोमबत्तियाँ | फूल |
पत्तों/कागज़ की झालर | बिजली के बल्ब |
मेरी कलाकारी
प्रश्न 1.
फूल, आम और अशोक के पत्तों से या अन्य किसी भी वस्तु के उपयोग से सुंदर तोरण बनाइए-
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
कल्पना कीजिए
प्रश्न 1.
मधुरानी एक दिन उद्यान में गई। वह बहुत प्रसन्न थी। वहाँ उसे मिली सूरजमुखी बहन और सूरज मामा। सोचकर लिखिए, वे तीनों आपस में क्या बातचीत कर रहे होंगे?
उत्तर-
छात्र अपनी कल्पना से बातचीत लिख सकते हैं।
आइए जानें
प्रश्न 1.
बुरांस के फूल लाल रंग के होते हैं जो गरमी के मौसम में आते हैं। ये देखने में बहुत सुंदर लगते हैं। इनका उपयोग दवाई बनाने के लिए किया जाता है। यह हिमालयी राज्यों में बड़ी संख्या में पाया जाने वाला वृक्ष है।
फ्योंली के फूल वसंत के आगमन की सूचना देते हैं। पीले रंग के होने के कारण इनका नाम फ्योंली रखा गया है। ये पहाड़ों की सुंदरता के प्रतीक हैं। ये भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।
उत्तर-
छात्रों की जानकारी के लिए दिया गया है।
Class 3 Hindi Chapter 9 प्रकृति पर्व – फूलदेई पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ के माध्यम से बच्चों में सामाजिक सद्भाव एवं प्रकृति प्रेम की भावना को विकसित करने का प्रयास किया गया है। इसमें उत्तराखंड के एक बाल- त्यौहार ‘फूलदेई’ की चर्चा की गई है। यह त्यौहार-वर्णन लोक परंपराओं और मान्यताओं को समझने का अवसर प्रदान करता है और साथ ही संस्कृति एवं प्रकृति से जुड़े रहने के लिए प्रेरित भी करता है।
शब्दार्थ- दहली – दहलीज़, अक्षत – बिना टूटे चावल के दाने, मित्र – दोस्त, स्वच्छ – साफ़, भेंट – उपहार, परंपरा – रीति-रिवाज़।