Well-organized NCERT Class 11 Geography Notes in Hindi and Class 11 Geography Chapter 5 Notes in Hindi प्राकृतिक वनस्पति can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 11 Chapter 5 Notes in Hindi प्राकृतिक वनस्पति
→ प्राकृतिक वनस्पति:
प्राकृतिक वनस्पति से अभिप्राय उस पौधा समुदाय से है जो कि लम्बे समय तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगता है और इसकी विभिन्न प्रजातियाँ वहाँ पाई जाने वाली मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में यथासम्भव स्वयं को ढाल लेती हैं। भारत में विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पति पाई जाती है। वनों के प्रकार प्रमुख वनस्पति प्रकार तथा जलवायु परिस्थिति के आधार पर भारतीय वनों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता
- उष्ण कटिबंधीय सदाबहार तथा अर्द्ध सदाबहार वन:
भारत में इस प्रकार के वन पश्चिमी ढाल पर उत्तर पूर्वी क्षेत्र की पहाड़ियों पर और अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं। ये वन 200 सेन्टीमीटर से अधिक वर्षा व 22° सेल्शियस से अधिक तापमान वाले उष्ण और आर्द्र प्रदेशों में पाए जाते हैं। इसमें पाई जाने वाली मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ रोजवुड, महोगनी, ऐनी और एबनी हैं। - उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन:
भारत में इस प्रकार के वन बहुतायत में पाए जाते हैं। इनको मानसूनी वनों के नाम से भी जाना जाता है। ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 70 से 200 सेन्टीमीटर तक होती है। जल की उपलब्धता के आधार पर इन वनों को आर्द्र और शुष्क पर्णपाती वनों के अन्तर्गत विभाजित किया जाता है। - उष्ण कटिबंधीय काँटेदार वन:
उष्ण कटिबंधीय काँटेदार वन उन भागों में पाए जाते हैं जहाँ वर्षा 50 सेन्टीमीटर से कम होती है। ये दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र में पाए जाते हैं। इन वनों में पाई जाने वाली मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ बबूल, बेर, खजूर, खैर, नीम, खेजड़ी और पलास आदि हैं। - पर्वतीय वन:
पर्वतीय क्षेत्रों में ऊँचाई के साथ तापमान के कम होने के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी परिवर्तन आता है। इन वनों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है- उत्तरी पर्वतीय वन:
ऊँचाई बढ़ने के साथ हिमालय पर्वत श्रृंखला में उष्ण कटिबंधीय वनों में टुण्ड्रा वनस्पति पाई जाती है। हिमालय के गिरिपद पर पर्णपाती वन पाए जाते हैं। इसके बाद 1,000 से 2,000 मीटर की ऊँचाई पर आर्द्र शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं। - दक्षिणी पर्वतीय वन:
दक्षिणी पर्वतीय वन मुख्य रूप से प्रायद्वीप के तीन भागों यथा:
पश्चिमी घाट, विंध्याचल और नीलगिरी पर्वत श्रृंखलाओं पर मिलते हैं। इनकी समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 1,500 मीटर है। केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों तथा पश्चिमी घाट में इस प्रकार की वनस्पति विशेष रूप से पाई जाती है। इन वनों में मगनोलिया, लैरेल, सिनकोना और वैरल आदि वृक्ष पाए जाते हैं।
- उत्तरी पर्वतीय वन:
- वेलांचली व अनूप वन:
भारत में विभिन्न प्रकार के आर्द्र व अनूप आवास पाए जाते हैं। इसके 70 प्रतिशत भाग पर चावल की खेती की जाती है। देश की आर्द्र भूमि को आठ वर्गों में रखा गया है। भारत में मैंग्रोव वन अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह व पश्चिमी बंगाल के सुन्दर वन डेल्टा में अत्यधिक विकसित हैं। इसके अलावा ये महानदी, गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टाई भाग में पाए जाते हैं।
→ भारत में वन आवरण:
राजस्व विभाग के आँकड़ों के अनुसार भारत में 23.28 प्रतिशत भाग पर वन हैं। इंडिया स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2011 के अनुसार वास्तविक वन आवरण केवल 21.05 प्रतिशत है। उसमें से 12.29 प्रतिशत भाग पर सघन वन और 8.75 प्रतिशत भाग पर विवृत वन पाए जाते हैं। वन क्षेत्र और वन आवरण दोनों में ही राज्यवार अन्तर पाया जाता है। जहाँ लक्षद्वीप में वन क्षेत्र शून्य है, वहीं अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह में 86.93 प्रतिशत क्षेत्र वन के अधीन है।
→ वन संरक्षण:
वनों का जीवन और पर्यावरण के साथ जटिल सम्बन्ध है। वन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमें बहुत आर्थिक व सामाजिक लाभ पहुँचाते हैं। अतः वनों के संरक्षण की मानवीय विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। भारत सरकार ने पूरे देश के लिए वन संरक्षण नीति 1952 में लागू की जिसे 1988 में संशोधित किया गया।
→ सामाजिक वानिकी:
सामाजिक वानिकी का अर्थ पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद के उद्देश्य से वनों का प्रबंध, सुरक्षा तथा ऊसर भूमि पर वनरोपण करना सामाजिक वानिकी कहलाता है। इसे निम्नलिखित तीन वर्गों के अन्तर्गत विभाजित किया गया है-
- शहरी वानिकी,
- ग्रामीण वानिकी तथा
- फार्म वानिकी।
→ फार्म वानिकी :
फार्म वानिकी के अन्तर्गत किसान अपने खेतों में व्यापारिक महत्त्व वाले या दूसरे पेड़ लगाते । वन विभाग इसके लिए छोटे तथा मध्यम किसानों के लिए निःशुल्क पौधे उपलब्ध करवाता है।
→ वन्य प्राणी:
विश्व के ज्ञात पौधों और प्राणियों की किस्मों में से 4 से 5 प्रतिशत किस्में भारत में पाई जाती हैं। भारत में बड़े पैमाने पर जैव विविधता पाए जाने का कारण यहाँ पर पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र हैं। समय के साथ पारिस्थितिकी तंत्रों के आवास मानव क्रियाओं के द्वारा प्रभावित हुए और फलस्वरूप जैव प्रजातियों की संख्या काफी कम हो गई है। कुछ प्रजातियाँ लुप्त होने के कगार पर हैं।
→ भारत में वन्य प्राणी संरक्षण:
भारत में वन्य प्राणी अधिनियम सन् 1972 में पास हुआ जो कि वन्य प्राणियों के संरक्षण और रक्षण की कानूनी रूपरेखा तैयार करता है। इस अधिनियम के दो प्रमुख उद्देश्य हैं, यथा – अधिनियम के तहत अनुसूची में सूचीबद्ध संकटापन्न प्रजातियों को सुरक्षा प्रदान करना तथा नेशनल पार्क, पशु विहार जैसे संरक्षित क्षेत्रों को कानूनी सहायता प्रदान करना। देश में 103 नेशनल पार्क तथा 535 वन्य प्राणी अभय वन हैं।
→ जीवमण्डल निचय:
जीवमण्डल निचय अर्थात् आरक्षित क्षेत्र विशेष प्रकार के भौमिक तथा तटीय पारिस्थितिक तंत्र हैं जिनको यूनेस्को के मानव और जीवमण्डल कार्यक्रम के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त है। भारत में 18 जीवमंडल निचय हैं जिनमें से 10 जीवमंडल निचय यूनेस्को द्वारा जीव मंडल निचय विश्व के नेटवर्क पर मान्यता प्राप्त है। भारत के प्रमुख जीवमण्डल निचय निम्नलिखित हैं-
- नीलगिरी जीवमण्डल निचय:
इसकी स्थापना सन् 1986 में हुई थी और यह भारत का पहला जीवमण्डल निचय है। इस निचय में वायनाड वन्य जीवन सुरक्षित क्षेत्र, नगरहोल, बांदीपुर, मदुमलाई, निलंबूर का सम्पूर्ण वन से ढका ढाल, ऊपरी नीलगिरी पठार, साइलेण्ट वैली और सिदुवानी की पहाड़ियाँ शामिल हैं। - नन्दा देवी जीवमण्डल निचय:
नन्दा देवी जीवमण्डल निचय उत्तराखण्ड में स्थित है जिसमें चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ तथा बागेश्वर जिलों के भाग शामिल हैं। यहाँ पर मुख्य रूप से शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं। - सुन्दरबन जीवमण्डल निचय:
यह जीवमण्डल निचय पश्चिमी बंगाल में गंगा नदी के दलदली डेल्टा पर स्थित है। यहाँ मैंग्रोव वन, अनूप और वनाच्छादित द्वीप पाए जाते हैं । सुन्दरबन लगभग 200 रॉयल बंगाल टाइगर का आवासीय क्षेत्र है। - मन्नार की खाड़ी का जीवमण्डल निचय:
यह जीवमण्डल निचय लगभग 1 लाख 5 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है तथा भारत के दक्षिणी-पूर्वी तट पर स्थित है। समुद्रीय जीव विविधता की दृष्टि से यह क्षेत्र विश्व के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक है।
→ भौगोलिक शब्दावली:
- प्राकृतिक वनस्पति : वह पौधा समुदाय जो कि लम्बे समय तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगता
- वनस्पति : पेड़-पौधों का समूह।
- सामाजिक वानिकी : पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद के उद्देश्य से वनों का प्रबंध, सुरक्षा तथा ऊसर भूमि पर वनारोपण।
- शहरी वानिकी : शहरों एवं इनके आसपास सार्वजनिक स्थानों पर वृक्ष लगाना।
- अवर्गीकृत वन : एक क्षेत्र जो कि वन के रूप में अंकित होता है किन्तु वनों के संरक्षित अथवा आरक्षित संवर्ग में शामिल नहीं होता है।
- आरक्षित वन : भारतीय वन अधिनियम के अन्तर्गत अधिसूचित एक क्षेत्र जो कि पूर्ण रूप से रक्षित होता है।
- प्राणी जगत : किसी निश्चित काल अथवा प्रदेश का पशु जीवन।
- कृषि वानिकी : कृषि योग्य तथा बंजर भूमि पर पेड़ और फसलें एक साथ लगाना।
- फार्म वानिकी : किसानों के द्वारा खेतों पर व्यापारिक महत्त्व वाले पेड़ लगाना।
- जीवमण्डल निचय : बहुउद्देश्यीय संरक्षित क्षेत्र जिनमें प्रत्येक प्रकार के पौधे व जन्तुओं को उनके प्राकृतिक पर्यावरण में संरक्षित किया जाता है।