Well-organized Class 11 Geography Notes in Hindi and Class 11 Geography Chapter 5 Notes in Hindi खनिज एवं शैल can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 11 Chapter 5 Notes in Hindi खनिज एवं शैल
पृथ्वी की रचना विभिन्न तत्त्वों से मिलकर हुई है। इसकी बाहरी परत में ये तत्त्व ठोस रूप में और आन्तरिक परत में गर्म एवं पिघली अवस्था में पाए जाते हैं। पृथ्वी की सम्पूर्ण पर्पटी का लगभग 98 प्रतिशत भाग ऑक्सीजन, सिलिकन, ऐलुमिनियम, लोहा, कैल्सियम, सोडियम, पोटेशियम तथा मैग्नीशियम से बना है तथा शेष भाग टायटेनियम, हाइड्रोजन, फॉस्फोरस, मैंगनीज, सल्फर, कार्बन, निकल एवं अन्य पदार्थों से बना हुआ है।
→ खनिज :
खनिज एक ऐसा प्राकृतिक कार्बनिक एवं अकार्बनिक तत्त्व है, जिसमें एक क्रमबद्ध परमाणविक संरचना, निश्चित रासायनिक संघटन तथा भौतिक गुणधर्म होते हैं। खनिजों का निर्माण दो या दो से अधिक
तत्त्वों से मिलकर होता है।
→ खनिजों की भौतिक विशेषताएँ-
- क्रिस्टल का बाहरी रूप- खनिज घनाकार, अष्ट भुजाकार, षट्भुजाकार प्रिज्म आदि अनेक रूपों के हो सकते हैं1
- विदलन : सापेक्षिक रूप से समतल सतह बनाने के लिए निश्चित दिशा में टूटने की प्रवृत्ति विदलन कहलाती है।
- विभंजन : क्रिस्टल विदलन तल के अनुसार नहीं अपितु अनियमित रूप से टूटता है।
- चमक : प्रत्येक खनिज की अपनी चमक होती है, यथा मैटेलिक, रेशमी आदि।
- रंग-कुछ खनिजों के रंग उनकी परमाणविक संरचना से निर्धारित होते हैं, यथा मैलाकाइट, एजूराइट, कैल्सोपाइराइट। कुछ खनिजों में अशुद्धियों के कारण रंग आते हैं, यथा- श्वेत, हरा, नीला या पीला।
- धारियाँ : खनिज के पिसने के बाद बने पाउडर का रंग खनिज के रंग का या किसी अन्य रंग का हो सकता है यथा फ्लोराइट का रंग बैंगनी या हरा होता है जबकि इस पर श्वेत धारियां होती हैं तथा मैलाकाइट का रंग हरा होता है और उस पर धारियां भी हरी होती हैं।
- पारदर्शिता : खनिज पारदर्शी, पारभासी तथा अपारदर्शी हो सकते हैं।
- संरचना : प्रत्येक क्रिस्टल अपनी संरचना के अनुसार महीन, मध्यम, तंतु युक्त, पृथक् करने योग्य, अपसारी व विकिरणकारी होता है।
- कठोरता : दस चुने हुए खनिजों में से दस तक की श्रेणी में कठोरता का मापन किया जाता है।
- आपेक्षिक भार : दी गई वस्तु का भार तथा बराबर आयतन के पानी के भार का अनुपात आपेक्षिक भार कहलाता है।
→ खनिजों का निर्माण :
मैग्मा खनिजों का मूल स्रोत है। इसके ठण्डे होने से क्रिस्टल बनने लगते हैं और इस प्रक्रिया में जैसे-जैसे मैग्मा ठण्डा होकर ठोस शैल बनता है खनिजों की क्रमबद्ध श्रृंखला का निर्माण होने लगता है। खनिज कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो कि ठोस, तरल एवं गैस रूप में पाए जाते हैं।
धात्विक खनिज इनमें धातु तत्त्व होते हैं। ये मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं। यथा
- बहुमूल्य धातु : सोना, चांदी, प्लेटिनम आदि।
- लौह धातु : लौह एवं स्टील के निर्माण के लिए लोहे में मिलाई जाने वाली अन्य वस्तुएँ।
- अलौहिक धातु : इनमें तांबा, सीसा, जिंक, टिन, एलुमिनियम आदि धातु शामिल होते हैं।
→ अधात्विक खनिज : इनमें धातु के अंश उपस्थित नहीं होते हैं। गंधक, फॉस्फेट तथा नाइट्रेट अधात्विक खनिज हैं। सीमेन्ट अधात्विक खनिजों का मिश्रण है।
→ शैलें: पृथ्वी की पर्पटी शैलों से बनी है। शैल का निर्माण एक या एक से अधिक खनिजों से मिलकर होता है। शैलों में खनिज घटकों का कोई निश्चित संघटन नहीं होता है। शैलों में सामान्य रूप से पाए जाने वाले खनिज पदार्थ फेल्डस्फर तथा क्वार्ट्ज हैं।
→ शैलों के प्रकार-निर्माण पद्धति के आधार पर तीन प्रकार के शैल समूह होते हैं। यथा
आग्नेय शैल :
इनका निर्माण पृथ्वी के आन्तरिक भाग के मैग्मा एवं लावा से होता है अतः इनको प्राथमिक शैल भी कहा जाता है। मैग्मा के ठण्डे होकर घनीभूत होने से इनका निर्माण होता है। अतः जब अपनी ऊपरगामी गति में मैग्मा ठण्डा होकर ठोस बन जाता है तो यह आग्नेय शैल कहलाता है। ग्रेनाइट, गैब्रो, पैग्मेटाइट, बैसाल्ट, ज्वालामुखीय ब्रेशिया तथा टफ आग्नेय शैलों के प्रमुख उदाहरण हैं।
→ अवसादी शैल :
अवसादी का अर्थ व्यवस्थित होना है। पृथ्वी की सतह की शैलें अपक्षयकारी कारकों के प्रति अनावृत होती हैं जो कि विभिन्न आकार के विखण्डों में विभाजित होती हैं। ऐसे उपखण्डों का विभिन्न बहिर्जनित कारकों के द्वारा संवहन एवं निक्षेप होता है। सघनता के द्वारा ये संचित पदार्थ शैलों में परिणत हो जाते हैं। यह प्रक्रिया शिलिभवन कहलाती है। निर्माण पद्धति के आधार पर अवसादी शैलों को तीन प्रमुख समूहों में विभाजित किया गया है। यथा
- यांत्रिकी रूप से निर्मित : यथा – बालुकाश्म, पिंड शिला, चूना प्रस्तर, शैल, विमृदा आदि।
- कार्बनिक रूप से निर्मित : यथा — गीजराइट, खड़िया, चूना पत्थर, कोयला आदि।
- रासायनिक रूप से निर्मित : यथा-भृंग प्रस्तर, चूना पत्थर, हेलाइट, पोटाश आदि।
→ कायान्तरित शैल :
दाब, आयतन एवं तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप इन शैलों का निर्माण होता है। जब विवर्तनिक प्रक्रिया के कारण शैलें निचले स्तर की ओर बलपूर्वक खिसक जाती हैं या जब भूपृष्ठ से उठता। पिघला हुआ मैग्मा भू-पृष्ठीय शैलों के सम्पर्क में आता है या जब ऊपरी शैलों के कारण निचली शैलों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है तब कायान्तरण होता है। अतः कायान्तरण वह प्रक्रिया है जिसमें समेकित शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है तथा वास्तविक शैलों में पदार्थ पुनः संगठित हो जाते हैं।
→ कायान्तरण दो प्रकार का होता है, यथा:
गतिशील कायान्तरण तथा ऊष्मीय कायान्तरण। ऊष्मीय कायान्तरण भी दो प्रकार का होता है, यथा – सम्पर्क कायान्तरण एवं प्रादेशिक कायान्तरण कायान्तरण की प्रक्रिया में शैलों के कुछ कण या खनिज सतहों या रेखाओं के रूप में व्यवस्थित हो जाते हैं। कायान्तरित शैलों में खनिज अथवा क़णों की इस व्यवस्था को पत्रण या रेखांकन कहते हैं। ग्रेनाइट, साइनाइट, स्लेट, शिस्ट, संगमरमर, क्वार्ट्ज आदि कायान्तरित शैलों के प्रमुख उदाहरण हैं।
→ शैली चक्र:
शैली चक्र एक सतत प्रक्रिया होती है जिसमें पुरानी शैलें परिवर्तित होकर नवीन रूप धारण करती हैं। आग्नेय शैलें प्राथमिक शैलें हैं तथा अवसादी एवं कायान्तरित शैलें इन प्राथमिक शैलों से निर्मित होती हैं। आग्नेय शैलों को कायान्तरित शैलों में परिवर्तित किया जा सकता है। आग्नेय एवं कायान्तरित शैलों से प्राप्त अंशों से अवसादी शैलों का निर्माण होता है। निर्मित भू-पृष्ठीय शैलें प्रत्यावर्तन के द्वारा पृथ्वी के आन्तरिक भाग
में नीचे की तरफ जा सकती हैं तथा पृथ्वी के आन्तरिक भाग 0में तापमान बढ़ने के कारण वे ही पिघलकर मैग्मा में परिवर्तित हो जाती हैं जो कि आग्नेय चट्टानों के मूल स्रोत हैं।
→ भौगोलिक शब्दावली
- खनिज : प्राकृतिक, कार्बनिक एवं अकार्बनिक तत्त्व।
- विदलन : अणुओं की आन्तरिक व्यवस्था का परिणाम।
- पारदर्शी : जिस पदार्थ से प्रकाश की किरणें आर-पार गुजरती हों।
- क्वार्ट्ज : रेत एवं ग्रेनाइट का प्रमुख घटक।
- पेट्रोलॉजी : शैलों का विज्ञान।
- इग्निस : लैटिन भाषा का शब्द जिसका अर्थ अग्नि होता है।
- सेडिमेंटल : लैटिन भाषा का शब्द जिसका अर्थ व्यवस्थित होना है।
- शिलीभवन : संचित पदार्थ के शैलों में परिणत होने की प्रक्रिया।
- पत्रण : कायान्तरित शैलों में खनिज अथवा कणों की व्यवस्था।
- शैली चक्र : वह प्रक्रिया जिसमें पुरानी शैलें परिवर्तित होकर नवीन रूप धारण करती हैं।