Understanding the question and answering patterns through Class 11 Geography Question Answer in Hindi Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन
Class 11 Geography Chapter 15 in Hindi Question Answer पृथ्वी पर जीवन
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. निम्न में से कौनसा ताजे जल के पारितंत्र में शामिल नहीं है-
(अ) झीलें
(ब) तालाब
(स) सरिताएँ
(द) प्रवाल भित्ति
उत्तर:
(द) प्रवाल भित्ति
2. निम्न में से कौनसा पारितंत्र का जैविक कारक है—
(अ) तापमान
(ब) वर्षा
(स) उत्पादक
(द) सूर्य का प्रकाश
उत्तर:
(स) उत्पादक
3. निम्न में से कौनसा प्रथम श्रेणी का उपभोक्ता नहीं है-
(अ) हिरण
(ब) बाघ
(स) बकरी
(द) चूहा
उत्तर:
(ब) बाघ
4. निम्न में से कौनसा द्वितीयक श्रेणी का उपभोक्ता नहीं है-
(अ) साँप
(ब) बाघ
(स) शेर
(द) बकरी
उत्तर:
(द) बकरी
5. मृत जीवों पर निर्भर रहने वाले कहलाते हैं-
(अ) उत्पादक
(ब) उपभोक्ता
(स) अपघटक
(द) अजैविक कारक
उत्तर:
(स) अपघटक
6. प्रकाश संश्लेषण क्रिया का प्रमुख सह – परिणाम है-
(अ) नाइट्रोजन
(ब) ऑक्सीजन
(स) कार्बन डाइऑक्साइड
(द) हीलियम
उत्तर:
(ब) ऑक्सीजन
7. पारितंत्र का अजैविक कारक कौनसा है ?
(अ) तापमान
(ब) वर्षा
(स) सूर्य का प्रकाश
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
8. पारितंत्र के जैविक कारक हैं-
(अ) उत्पादक
(ब) उपभोक्ता
(स) अपघटक
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
9. निम्न में से कौन प्रथम श्रेणी का उपभोक्ता है ?
(अ) चूहा
(ब) साँप
(स) बाघ
(द) शेर
उत्तर:
(अ) चूहा
10. बायोम का प्रकार है-
(अ) वन बायोम
(ब) जलीय बायोम
(स) घास भूमि बायोम
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
रिक्त स्थान वाले प्रश्न
नीचे दिए गए प्रश्नों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
1. जीवधारियों (जैविक) व अजैविक (भौतिक) पर्यावरण घटकों के पारस्परिक सम्पर्क के अध्ययन को _____ कहते हैं। ( जन्तु विज्ञान / पारिस्थतिकी विज्ञान)
2. _____ पौधों व प्राणियों का एक समुदाय है जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। (परिवार / बायोम)
3. पारितंत्र के _____ कारकों में तापमान, वर्षा, सूर्य का प्रकाश, आर्द्रता, मृदा की स्थिति सम्मिलित है। (अजैविक/ जैविक)
4. _____ श्रेणी के उपभोक्ताओं में शाकाहारी जन्तु और सभी पौधों पर निर्भर जीव शामिल है। (प्रथम/द्वितीयक)
5 पारितंत्र में जीवाणु एक _____ श्रृंखला से परस्पर जुड़े हुए होते हैं। (खाद्य/कार्य)
6. जैव भू रासायनिक चक्र के _____ चक्र में पदार्थ का मुख्य भंडार/स्रोत वायुमण्डल व महासागर है। (गैसीय / तलछटी)
उत्तर:
1. जीवधारियों (जैविक) व अजैविक (भौतिक) पर्यावरण घटकों के पारस्परिक सम्पर्क के अध्ययन को पारिस्थितिकी विज्ञान कहते हैं।
2. बायोम पौधों व प्राणियों का एक समुदाय है जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है।
3. पारितंत्र के अजैविक कारकों में तापमान, वर्षा, सूर्य का प्रकाश, आर्द्रता, मृदा की स्थिति सम्मिलित है।
4. प्रथम श्रेणी के उपभोक्ताओं में शाकाहारी जन्तु और सभी पौधों पर निर्भर जीव शामिल है।
5 पारितंत्र में जीवाणु एक खाद्य श्रृंखला से परस्पर जुड़े हुए होते हैं।
6. जैव भू रासायनिक चक्र के गैसीय चक्र में पदार्थ का मुख्य भंडार/स्रोत वायुमण्डल व महासागर है।
सत्य असत्य वाले प्रश्न
नीचे दिए गए कथनों में से सत्य / असत्य कथन छाँटिए-
1. वायुमण्डलीय गैसों में 78 प्रतिशत भाग नाइट्रोजन गैस का है।
2. नाइट्रोजन का लगभग 50 प्रतिशत भाग जैविक है अर्थात् जीव ही ग्रहण कर सकते हैं।
3. भूमध्य रेखीय वन भूमध्य रेखा के 10° से 25° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों में पाए जाते हैं।
4. शीतोष्ण कटिबंधीय वन पूर्वी उत्तरी अमेरिका, उत्तरी-पूर्वी एशिया, पश्चिमी व मध्य यूरोप में पाए जाते हैं
5. सहारा, कालाहारी व रुब – एल – खाली आदि शीत मरुस्थल है।
6. शीतोष्ण कटिबंधीय घास भूमि, यूरेशिया के कुछ भाग व उत्तर अमेरिका में पायी जाती है।
उत्तर:
1. वायुमण्डलीय गैसों में 78 प्रतिशत भाग नाइट्रोजन गैस का है। (सत्य)
2. नाइट्रोजन का लगभग 50 प्रतिशत भाग जैविक है अर्थात् जीव ही ग्रहण कर सकते हैं। (सत्य)
3. भूमध्य रेखीय वन भूमध्य रेखा के 10° से 25° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों में पाए जाते हैं। (असत्य)
4. शीतोष्ण कटिबंधीय वन पूर्वी उत्तरी अमेरिका, उत्तरी-पूर्वी एशिया, पश्चिमी व मध्य यूरोप में पाए जाते हैं (सत्य)
5. सहारा, कालाहारी व रुब – एल – खाली आदि शीत मरुस्थल है। (असत्य)
6. शीतोष्ण कटिबंधीय घास भूमि, यूरेशिया के कुछ भाग व उत्तर अमेरिका में पायी जाती है। (सत्य)
मिलान करने वाले प्रश्न
निम्न को सुमेलित कीजिए-
(1) बकरी | (अ) द्वितीयक श्रेणी उपभोक्ता |
(2) साँप | (ब) अपघटक |
(3) नेवला | (स) प्राथमिक उपभोक्ता |
(4) बैक्टीरिया | (द) तापमानों |
(5) पारितंत्र का अजैविक कारक | (य) चरम स्तर के माँसाहारी |
उत्तर:
(1) बकरी | (स) प्राथमिक उपभोक्ता |
(2) साँप | (अ) द्वितीयक श्रेणी उपभोक्ता |
(3) नेवला | (य) चरम स्तर के माँसाहारी |
(4) बैक्टीरिया | (ब) अपघटक |
(5) पारितंत्र का अजैविक कारक | (द) तापमानों |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
पारिस्थितिकी (Ecology) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस विद्वान ने किया था?
उत्तर:
जर्मन प्राणीशास्त्री अर्नस्ट हैक्कल ने।
प्रश्न 2.
पारिस्थितिकी तंत्र की संकल्पना को किसने प्रतिपादित किया था?
उत्तर:
ए. जी. टान्सले ने।
प्रश्न 3.
पारितंत्र के प्रमुख प्रकार लिखिए।
उत्तर:
- स्थलीय पारितंत्र
- जलीय पारितंत्र।
प्रश्न 4.
संसार के प्रमुख पारितंत्र कौन-कौन से हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
- वन क्षेत्र
- घास क्षेत्र
- मरुस्थल
- टुंड्रा क्षेत्र।
प्रश्न 5.
पारिस्थितिक विज्ञान किसे कहते हैं?
उत्तर:
जैविक व अजैविक (भौतिक पर्यावरण) घटकों के पारस्परिक संपर्क के अध्ययन को ही पारिस्थितिक विज्ञान कहते हैं।
प्रश्न 6.
बायोम की सीमा का निर्धारण किनके द्वारा होता है?
उत्तर:
जलवायु व अपक्षय सम्बन्धी तत्त्व।
प्रश्न 7.
प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता कौन होते हैं?
उत्तर:
शाकाहारी जंतु, जैसे हिरण, बकरी, चूहे और सभी पौधों पर निर्भर जीव प्राथमिक उपभोक्ता होते हैं।
प्रश्न 8.
ऊर्जा प्रवाह किसे कहते हैं?
उत्तर:
खाद्य श्रृंखला की प्रक्रिया में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा के रूपांतरण को ऊर्जा प्रवाह कहते हैं।
प्रश्न 9.
जैव मण्डल किस प्रकार निर्मित हुआ है?
उत्तर:
जैव मण्डल सभी पौधों, जन्तुओं, प्राणियों और उनके चारों तरफ के पर्यावरण के पारस्परिक अन्तर्सम्बन्ध से निर्मित हुआ है।
प्रश्न 10.
जलीय पारितंत्र के प्रकार बताइये।
उत्तर:
- समुद्री पारितंत्र : इसमें महासागरीय, ज्वार नद मुख, प्रवाल भित्ति पारितंत्र शामिल हैं।
- ताजे जल का पारितंत्र : इसमें झीलें, तालाब, सरिताएँ, कच्छ व दलदल शामिल हैं।
प्रश्न 11.
चराई खाद्य श्रृंखला क्या है?
उत्तर:
चराई खाद्य शृंखला पौधों से आरंभ होकर मांसाहारी तक जाती है जिसमें शाकाहारी मध्यम स्तर पर हैं।
प्रश्न 12.
अपरद खाद्य श्रृंखला क्या है?
उत्तर:
अपरद खाद्य शृंखला चराई खाद्य श्रृंखला से प्राप्त मृत पदार्थों पर निर्भर है और इसमें कार्बनिक पदार्थ का अपघटन शामिल है।
प्रश्न 13.
जलचक्र क्या है?
उत्तर:
सभी जीवधारी वायुमण्डल व स्थल मण्डल में जल का एक चक्र बनाये रखते हैं जोकि तरल, अवस्था में है, इसे ही जलचक्र कहते हैं।
प्रश्न 14.
स्वतंत्र नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत क्या है ?
उत्तर:
स्वतंत्र नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया व सम्बन्धित पौधों की जड़ें व रन्ध्र वाली मृदा है जहाँ से यह वायुमण्डल में पहुँचती है।
प्रश्न 15.
पारिस्थितिक सन्तुलन क्या है?
उत्तर:
किसी पारितंत्र या आवास में जीवों के समुदाय में परस्पर गतिक सभ्यता की अवस्था ही पारिस्थितिक संतुलन है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विश्व के प्रमुख बायोमों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बायोम, पौधों व प्राणियों का एक समुदाय है, जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। इस प्रकार विशेष परिस्थितियों में पादप व जंतुओं के अंतर्सम्बन्धों का कुल योग ‘बायोम’ कहलाता है। विश्व के प्रमुख बायोम निम्न प्रकार से हैं।
- वन बायोम
- मरुस्थलीय बायोम
- घास भूमि बायोम
- जलीय बायोम
- उच्च प्रदेशीय बायोम।
प्रश्न 2.
मरुस्थलीय बायोम के प्रमुख उप-प्रकार और जलवायु सम्बन्धी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
मरुस्थलीय बायोम के उप-प्रकार और जलवायु सम्बन्धी विशेषताएँ निम्न प्रकार से हैं-
प्रश्न 3.
डी – नाइट्रीकरण (De – nitrification) की प्रक्रिया को समझाइये।
उत्तर:
जीवधारियों तथा पौधों के मृत होने पर इनके नाइट्रोजन अपशिष्ट मिट्टी में उपस्थित वियोजक तथा बैक्टीरिया द्वारा नाइट्राइट यौगिक में बदल दिया जाता है। इनमें से कुछ बैक्टीरिया नाइट्राइट को नाइट्रेट में बदल देते हैं। इस प्रकार प्राप्त नाइट्रेट्स का पौधों की जड़ों द्वारा अवशोषण कर लिया जाता है जिससे हरे पौधों द्वारा पुनः नाइट्रोजन स्थिरीकरण हो जाता है। कुछ अन्य प्रकार के जीवाणु इस नाइट्रेट को पुनः स्वतंत्र नाइट्रोजन में परिवर्तित कर देते हैं। यह प्रक्रिया ही ‘डी – नाइट्रीकरण’ कहलाती है।
प्रश्न 4.
स्पष्ट कीजिए कि जैवमण्डल और इसके घटक पर्यावरण के महत्त्वपूर्ण तत्व हैं।
उत्तर:
जैवमण्डल सभी पौधों, जन्तुओं, प्राणियों और उनके चारों तरफ के पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्ध से बना है। अधिकांश जीव स्थलमण्डल पर रहते हैं लेकिन कुछ जलमण्डल और वायुमण्डल में भी रहते हैं। जैवमण्डल के तत्व अन्य प्राकृतिक घटकों जैसे भूमि, जल व मिट्टी के साथ पारस्परिक क्रिया करते हैं। ये वायुमण्डल के तत्वों यथा तापमान, वर्षा, आर्द्रता व सूर्य के प्रकाश से भी प्रभावित होते हैं। जैविक घटकों का भूमि, वायु व जल के साथ पारस्परिक आदान-प्रदान जीवों के जीवित रहने, बढ़ने व विकसित होने में सहायक होता है। अतः स्पष्ट है कि जैवमण्डल और इसके घटक पर्यावरण के बहुत महत्त्वपूर्ण तत्व हैं।
प्रश्न 5.
पारितंत्र एवं पारिस्थितिक अनुकूलन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी विशेष क्षेत्र में किसी विशेष समूह के जीवधारियों का भूमि, जल अथवा वायु से ऐसा अन्तर्सम्बन्ध जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण श्रृंखलाएँ स्पष्ट रूप से समायोजित हों, उसे पारितंत्र कहते हैं, जबकि विभिन्न प्रकार के पर्यावरण व विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न प्रकार के पारितंत्र पाए जाते हैं जहाँ अलग-अलग प्रकार के पौधे व जीव-जन्तु विकासक्रम द्वारा उस पर्यावरण के अभ्यस्त हो जाते हैं । इस प्रकरण को पारिस्थितिकी अनुकूलन कहा जाता है।
प्रश्न 6.
इकोलॉजी क्या है?
उत्तर:
इकोलॉजी का अर्थ-इकोलॉजी शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘ओइकोस’ और ‘लोजी’ से मिलकर बना है। ओइकोस का शाब्दिक अर्थ ‘घर’ तथा लोजी का अर्थ विज्ञान या अध्ययन से है। शाब्दिक अर्थ के अनुसार इकोलॉजी पृथ्वी पर पौधों, मनुष्यों, जन्तुओं व सूक्ष्म जीवाणुओं के घर के रूप में अध्ययन है। एक दूसरे पर आश्रित होने के कारण ही ये एक साथ रहते हैं।
प्रश्न 7.
पारिस्थितिक विज्ञान एवं पारिस्थितिकी में अंतर बताइये।
उत्तर:
- पारिस्थितिकी विज्ञान :
जीवधारियों अर्थात् जैविक व अजैविक (भौतिक पर्यावरण) घटकों के पारस्परिक सम्पर्क के अध्ययन को ही पारिस्थितिकी विज्ञान कहते हैं। - पारिस्थितिकी :
जीवधारियों का आपस में व उनका भौतिक पर्यावरण से अन्तर्सम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन पारिस्थितिकी कहलाता है
प्रश्न 8.
पारितंत्र के प्रमुख प्रकार बताइये।
उत्तर:
पारितंत्र के प्रमुख प्रकार- पारितंत्र मुख्यतः दो प्रकार के हैं-
- स्थलीय पारितंत्र:
स्थलीय पारितंत्र को पुनः बायोम में विभक्त किया जा सकता है। बायोम वस्तुतः पौधों वं प्राणियों का एक समुदाय है जो कि एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। विश्व के कुछ प्रमुख स्थलीय पारितंत्र वन, घास, क्षेत्र, मरुस्थल और टुण्ड्रा प्रदेश हैं। - जलीय पारितंत्र : इसे दो वर्गों में विभाजित किया गया है-
- समुद्री पारितंत्र : इसके अन्तर्गत महासागरीय, ज्वार नदमुख, प्रवाल भित्ति पारितंत्र शामिल हैं।
- ताजे जल का पारितंत्र : इसमें झीलें, तालाब, सरिताएँ, कच्छ व दलदल शामिल हैं।
प्रश्न 9.
पारिस्थितिक असन्तुलन के प्रभाव बताइये।
उत्तर:
मनुष्य के हस्तक्षेप के कारण पादप समुदाय का सन्तुलन प्रभावित होता है जो कि अन्त में सम्पूर्ण पारितंत्र के संतुलन को प्रभावित करता है। इस असन्तुलन से कई अन्य द्वितीय अनुक्रमण आते हैं। प्राकृतिक संसाधनों पर जनसंख्या के दबाव से भी पारिस्थितिकी बहुत प्रभावित हुई है। इसने पर्यावरण के वास्तविक रूप को लगभग नष्ट कर दिया है तथा सामान्य पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव डाला है। पर्यावरण असन्तुलन के कारण ही प्राकृतिक आपदाएँ, यथा बाढ़, भूकम्प, बीमारियाँ और अनेक जलवायु सम्बन्धी परिवर्तन हो जाते हैं जो कि प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
कार्बन चक्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कार्बन चक्र :
सभी जीवधारियों में कार्बन पाया जाता है जो कि सभी कार्बनिक यौगिक का मूल तत्व जैवमण्डल में असंख्य कार्बन, यौगिक के रूप में भी जीवों में विद्यमान रहते हैं। कार्बन चक्र, कार्बन डाइऑक्साइड का परिवर्तित रूप है। यह परिवर्तन पौधों में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के यौगिकीकरण द्वारा आरंभ होता है। इस प्रक्रिया से कार्बोहाइड्रेट्स व ग्लूकोस बनता है जोकि कार्बनिक यौगिक जैसे स्टार्च, सेल्यूलोस, सुक्रोज के रूप में पौधों में संचित हो जाता है। कार्बोहाइड्रेट्स का कुछ भाग सीधे पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयोग हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान विघटन से पौधों के पत्तों व जड़ों के द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त होती है।
शेष कार्बोहाइड्रेट्स जो कि पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयुक्त नहीं होते वे पौधों के ऊतकों में संचित हो जाते हैं। ये पौधे या तो शाकाहारियों के भोजन बनते हैं अन्यथा सूक्ष्म जीवों के द्वारा विघटित हो जाते हैं। शाकाहारी जीव उपभोग किए गए कार्बोहाइड्रेट्स को कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित करते हैं और श्वसन क्रिया द्वारा वायुमण्डल में छोड़ते हैं। इनमें से शेष कार्बोहाइड्रेट्स का जन्तुओं के मरने पर सूक्ष्म जीव अपघटन करते हैं। सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स ऑक्सीजन प्रक्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित होकर पुनः वायुमण्डल में आ जाती है।
प्रश्न 2.
ऑक्सीजन चक्र तथा जैवमंडल में मुख्य भू- रासायनिक तत्त्वों के अतिरिक्त पाए जाने वाले अन्य खनिज चक्रों के विषय में लिखिए।
उत्तर:
(1) ऑक्सीजन चक्र :
ऑक्सीजन प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया का प्रमुख सह – परिणाम है। यह कार्बोहाइड्रेट्स ऑक्सीकरण में शामिल है जिससे ऊर्जा, कार्बन डाइऑक्साइड व जल विमुक्त होते हैं। ऑक्सीजन चक्र बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। बहुत से रासायनिक तत्वों और सम्मिश्रणों में ऑक्सीजन पाई जाती है। यह नाइट्रोजन के साथ मिलकर नाइट्रेट बनाती है तथा बहुत से अन्य खनिजों व तत्वों से मिलकर अनेक प्रकार के ऑक्साइड बनाती है, यथा आयरन ऑक्साइड, ऐलुमिनियम ऑक्साइड आदि। सूर्य प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान जल अणुओं के विघटन से ऑक्सीजन उत्पन्न होती है और पौधों की वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया के दौरान भी यह वायुमण्डल में पहुँचती है।
(2) अन्य खनिज चक्र :
जैवमण्डल में मुख्य भू- रासायनिक तत्वों यथा कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के अलावा पौधों व प्राणी जीवन के लिए अत्यधिक महत्त्व के बहुत से अन्य खनिज पाए जाते हैं। जीवधारियों के लिए आवश्यक ये खनिज पदार्थ प्राथमिक तौर पर अकार्बनिक रूप में पाए जाते हैं। इनमें फॉस्फोरस, सल्फर, कैल्सियम और पोटैशियम प्रमुख हैं। प्रायः ये तत्व घुलनशील लवणों के रूप में मिट्टी या झील, नदियों व समुद्री जल में पाए जाते हैं। जब घुलनशील लवण जल चक्र में शामिल हो जाते हैं तब ये अपक्षय की प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी की पर्पटी पर और बाद में समुद्र तक पहुँच जाते हैं।
अन्य लवण तलछट के रूप में धरातल पर पहुँचते हैं और फिर अपक्षय से चक्र में शामिल हो जाते हैं। सभी जीवधारी अपने पर्यावरण में घुलनशील अवस्था में उपस्थित खनिज लवणों से ही अपनी खनिजों की आवश्यकता को पूरा करते हैं। कुछ अन्य जन्तु पौधों व प्राणियों के भक्षण से इन खनिजों को प्राप्त करते हैं। जीवधारियों की मृत्यु के उपरान्त ये खनिज अपघटित व प्रवाहित होकर मिट्टी व जल में मिल जाते हैं।
प्रश्न 3.
पारितंत्र की संरचना व कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पारितंत्र की संरचना व कार्यप्रणाली:
पारितंत्र : किसी विशेष क्षेत्र में किसी विशेष समूह के जीवधारियों का भूमि, जल अथवा वायु (अजैविक तत्त्वों) से ऐसा अंतर्सम्बन्ध, जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण श्रृंखलाएँ स्पष्ट रूप से समायोजित हों, उसे पारितंत्र कहते हैं।
संरचना : इस प्रकार किसी भी पारितंत्र या पारिस्थितिकी तंत्र में निम्नलिखित दो घटकों का होना आवश्यक होता है।
(1) अजैविक या भौतिक कारक :
अजैविक या भौतिक कारकों में तापमान, वर्षा, सूर्य का प्रकाश, आर्द्रता, मृदा की स्थिति, अजैविक या अकार्बनिक तत्व, यथा कार्बन डाइऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन, कैल्सियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम आदि शामिल हैं।
(2) जैविक कारक :
जैविक कारकों में उत्पादक, उपभोक्ता (प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक) तथा अपघटक शामिल हैं। इनका वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है-
- उत्पादक :
सभी हरे पौधे जो कि प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते हैं, उत्पादक कहलाते हैं। - उपभोक्ता : प्रथम श्रेणी के उपभोक्ताओं में शाकाहारी जन्तु, यथा- हिरण, बकरी व चूहे आदि सभी पौधों पर निर्भर रहने वाले जीव शामिल हैं। द्वितीयक श्रेणी के उपभोक्ताओं में सभी मांसाहारी जीव, यथा साँप, बाघ, शेर आदि शामिल हैं। कुछ मांसाहारी जो कि दूसरे मांसाहारी जीवों पर निर्भर हैं उनको चरम स्तर के मांसाहारी के रूप में जाना जाता है।
- अपघटक :
वे जीव जो कि मृत जीवों पर निर्भर रहते हैं, अपघटक कहलाते हैं। यथा कौवा और गिद्ध। कुछ अन्य अपघटक, यथा बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्म जीवाणु मृतकों को अपघटित करके उनको सरल पदार्थों में परिवर्तित करते हैं।
कार्य-प्रणाली:
इस प्रकार प्राथमिक उपभोक्ता उत्पादक पर निर्भर होते हैं जबकि प्राथमिक उपभोक्ता, द्वितीयक उपभोक्ताओं के भोजन बनते हैं। द्वितीयक उपभोक्ता फिर तृतीयक उपभोक्ताओं के द्वारा खाए जाते हैं। अपघटक प्रत्येक स्तर पर मृतकों पर निर्भर होते हैं। ये अपघटक मृतकों को विभिन्न पदार्थों यथा कार्बनिक व अकार्बनिक अवयवों और मिट्टी की उर्वरता के लिए पोषक तत्वों में परिवर्तित कर देते हैं।
खाद्य श्रृंखला:
पारितंत्र के प्रत्येक जीवधारी एक खाद्य श्रृंखला से आपस में जुड़े हुए होते हैं। यथा – पौधों पर जीवित रहने वाला एक कीड़ा एक मेंढक का भोजन है, मेंढक साँप का भोजन है तथा साँप बाज के द्वारा खा लिया जाता है। यह खाद्य क्रम खाद्य श्रृंखला कहलाता है तथा इस क्रम से एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा प्रवाह होता है। खाद्य श्रृंखला की प्रक्रिया में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा के रूपान्तरण को ऊर्जा प्रवाह कहते हैं।
खाद्य जाल :
खाद्य शृंखलाएँ अलग अनुक्रम न होकर एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं। यथा- एक चूहा जो कि अन्न पर निर्भर है वह अनेक द्वितीयक उपभोक्ताओं का भोजन है और तृतीयक मांसाहारी अनेक द्वितीयक जीवों से अपने भोजन की पूर्ति करते हैं। इस प्रकार प्रत्येक मांसाहारी जीव एक से अधिक प्रकार के शिकार पर निर्भर है। परिणामस्वरूप खाद्य श्रृंखलाएँ आस-पास में एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। प्रजातियों के इस प्रकार जुड़े होने को खाद्य जाल कहा जाता है। सामान्यतया खाद्य श्रृंखलायें निम्नलिखित दो प्रकार की होती हैं-
- चराई खाद्य श्रृंखला :
यह पौधों (उत्पादक) से प्रारंभ होकर मांसाहारी जीवों (तृतीयक उपभोक्ता) तक जाती है। इसमें शाकाहारी मध्यम स्तर पर होता है। हर स्तर पर ऊर्जा का ह्रास होता है। इस खाद्य श्रृंखला में तीन से पाँच स्तर होते हैं। - अपरद खाद्य श्रृंखला :
यह खाद्य श्रृंखला चराई खाद्य श्रृंखला से प्राप्त मृदा पदार्थों पर निर्भर है तथा इसमें कार्बनिक पदार्थों का अपघटन शामिल होता है।