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CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 3 with Solutions
निर्धारित समय: 3 घण्टे
पूर्णांक: 80
1. इस प्रश्नपत्र में दो खण्ड हैं- खण्ड ‘अ’ और ‘ब’ । खण्ड-अ में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खण्ड-ब में वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
2. प्रश्नपत्र के दोनों खण्डों में प्रश्नों की संख्या 19 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
3. यथासम्भव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए ।
4. खण्ड ‘अ’ में कुल 12 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 45 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
5. खण्ड ‘ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
खण्ड ‘अ’
(वस्तुपरक प्रश्न)
‘I’ : अपठित गद्यांश
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
शिक्षा और गुरु के माध्यम से ही अपने आंतरिक गुणों को हम प्रकाश में लाते हैं । यदि धर्म के मार्ग पर चलकर मानव विज्ञ बनता है तो वह अपने जीवन के विकास के लिए अनवरत लगकर जीवन को सफल बनाता है और सम्यक् ज्ञान, गुण, धर्म से अपने जीवन को ब्रह्म से जोड़कर करोड़ों जन्मों के कर्मों से मुक्ति प्राप्त करता है, किन्तु यह शिक्षा के द्वारा ही संभव है । शिक्षा भी दो माध्यमों से मिलती है। एक जीविकोपार्जन का माध्यम बनती है तथा दूसरी से जीवन – साधना संभव होती है। दोनों में परिपूर्णता गुरु के माध्यम से ही होती है। जीविकोपार्जन की शिक्षा पाकर यह संसार बड़ा सुखमय प्रतीत होता है और जलते हुए दीपक के प्रकाश जैसा वह बाहरी जीवन में प्रकाश पाता है। दूसरी शिक्षा पाने के लिए सद्गुरु की तलाश होती है । वह सद्गुरु कहीं भी कोई भी हो सकता है, जैसे तुलसीदास की सच्ची गुरु उनकी पत्नी थीं, जिनकी प्रेरणा से उनके अंतर्मन में प्रकाश भर गया और सारे विकार धुल गए। मन स्वच्छ हो गया। अपने दुर्लभ जीवन को सफल बनाकर हमेशा-हमेशा के लिए सुखद जीवन जिया । ऐसे ही ब्रह्म-ज्ञान व आत्मनिरूपण की सच्ची शिक्षा के बिना सार्थक जीवन नहीं मिलता। सच्चा ज्ञान मुक्ति का मार्ग है।
(1) हम अपने आन्तरिक गुणों को कैसे प्रकाश में लाते हैं?
(क) शिक्षा के माध्यम से
(ख) गुरु के माध्यम
(ग) खेल के माध्यम से
(घ) (क) और (ख) दोनों के माध्यम से ।
उत्तर:
(घ) (क) और (ख) दोनों के माध्यम से ।
व्याख्या- शिक्षा और गुरु के माध्यम से ज्ञान प्राप्त कर हम अपने आन्तरिक गुणों को प्रकाश में लाते हैं।
(2) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए ।
कथन (A) : जीवन को ब्रह्म से जोड़कर व्यक्ति करोड़ों जन्मों के कर्मों से मुक्ति पा जाता है।
कारण (R) : धर्म के अनुसार चलने से व्यक्ति कर्मों से मुक्ति पा सकता है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं
(ग) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) गलत तथा कारण (R) सही है।
उत्तर:
(ग) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत है।
व्याख्या- सम्यक् ज्ञान, गुण, धर्म से अपने जीवन को ब्रह्म से जोड़कर व्यक्ति करोड़ों जन्मों के कर्मों से मुक्ति पा जाता है।
(3) शिक्षा कितने माध्यमों से मिलती है-
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) पाँच
उत्तर:
(ख) दो
व्याख्या – शिक्षा दो माध्यमों से मिलती है। एक जीविकोपार्जन का माध्यम बनती है तथा दूसरी से जीवन साधना संभव होता है।
(4) तुलसीदास जी के अन्तर्मन में प्रकाश कैसे भर गया जिससे मन के विकार धुल गए।
(क) शिक्षा से
(ख) धर्म से
(ग) जीवकोपार्जन से
(घ) सच्ची गुरु की प्रेरणा से
उत्तर:
(घ) सच्ची गुरु की प्रेरणा से
व्याख्या- सच्ची गुरु (अपनी पत्नी) की प्रेरणा से तुलसीदास जी के अंतर्मन में प्रकाश भर गया और मन के सारे विकार धुल गए। मन निर्मल हो गया।
(5) धर्म के मार्ग पर चलकर मानव क्या बनता है ?
(क) विज्ञ
(ख) पाखण्डी
(ग) धर्मान्ध
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(क) विज्ञ
व्याख्या- धर्म के मार्ग पर चलकर मानव विज्ञ बनता है।
2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
छात्रों की तीन श्रेणियाँ होती हैं- पढ़ने वाले, न पढ़ने वाले और पढ़ने जैसा दिखने वाले। तीसरी श्रेणी के छात्र, जो कि किताबों में वक्त बर्बाद न करने के नाते नए जमाने के लिहाज़ से बहुत व्यावहारिक होते हैं, शायद बाद में इनमें सबसे सफल भी सिद्ध होते हैं। वे जानते हैं कि पढ़ाई का सिर्फ़ नाम ज़रूरी है, काम तो दूसरी चीज़ों से ही निकलता है और वे इन्हीं दूसरी चीज़ों के मास्टर बन जाते हैं। वे हर समस्या का शॉर्टकट से इलाज करने में माहिर होते हैं। मोबाइल, कम्प्यूटर और इंटरनेट के युग में भी उनकी प्रतिभा उसी अंदाज में कुसुमित और पल्लवित हो रही है, क्योंकि कम्प्यूटर पर तो वैसे ही शॉर्टकट के इस्तेमाल से तेज़ काम होता है।
कम्प्यूटर और इंटरनेट के युग में शैक्षणिक शोध के तौर-तरीके खुद एक बड़े शोध के विषय बन गए हैं। कोई भी विश्वविद्यालय कैसे उस शोध पर गर्व कर सकता है, जो वास्तव में इंटरनेट से चोरी किए गए हैं। जैसे-जैसे इंटरनेट का विस्तार हुआ है और उस पर मौजूद अथाह ज्ञानकोश विद्यार्थियों की पहुँच में आया है, कट-एंड-पेस्ट शोधकार्य आम हो गए हैं। शोध ही नहीं, प्राथमिक से लेकर स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रोजेक्ट और एसाइनमेंट का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है। किसी भी स्रोत से मिली सामग्री का सन्दर्भ के रूप में इस्तेमाल करना गलत नहीं है, लेकिन कई-कई पैराग्राफ और अध्याय उड़ाकर इस्तेमाल कर लेना बौद्धिक चोरी की श्रेणी में आता है। यह अनैतिक तो है ही, अपराध भी है और अपने संस्थान एवं स्वयं अपने साथ नाइंसाफ़ी भी है।
(1) लेखक ने छात्रों को कितनी श्रेणियों में बाँटा है?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(ख) तीन
व्याख्या – लेखक ने छात्रों की श्रेणियों को तीन भागों में बाँटा है।
(2) इन्टरनेट का प्रयोग किस कार्य के लिए हो रहा है?
(क) शोधकार्य के लिए
(ख) शोधकार्य व एसाइनमेंट के लिए
(ग) एसाइनमेंट के लिए
(घ) शिक्षण के लिए।
उत्तर:
(ख) शोधकार्य व एसाइनमेंट के लिए
(3) किस श्रेणी के छात्रों को सफलता प्राप्त होती है?
(क) पढ़ने वाले
(ख) परीक्षा के दिनों में दिन-रात एक करने वाले
(ग) पढ़ने- जैसा दिखने वाले
(घ) नकल करने वाले ।
उत्तर:
(ग) पढ़ने- जैसा दिखने वाले
व्याख्या- इस श्रेणी के छात्र किताबों में वक्त बर्बाद न करके नए ज़माने के लिहाज़ से बहुत व्यावहारिक होते हैं। शायद बाद में सफ़ल भी सिद्ध होते हैं।
(4) गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक होगा-
(क) इन्टरनेट चोरी : एक अपराध ।
(ख) शोधकार्य करने के तरीके
(ग) छात्रों की श्रेणियाँ
(घ) कम्प्यूटर और इन्टरनेट का युग ।
उत्तर:
(क) इन्टरनेट चोरी : एक अपराध ।
(5) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए ।
कथन (A) : इन्टरनेट से लिए गए शोध पर विश्वविद्यालय को गर्व हो सकता है।
कारण (R) : क्योकि ऐसा इन्टरनेट किसी की मदद से तैयार किया जाता है।
विकल्प :
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ख) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) गलत तथा कारण (R) सही है।
उत्तर:
(ख) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
‘II’ : व्यावहारिक व्याकरण
3. निम्नलिखित ‘शब्द और पद’ पर आधारित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 2 = 2)
(1) ‘नीता भोजन बनाती है’ रेखांकित है-
(क) शब्द
(ख) पद
(ग) वाक्य
(घ) वर्ण
उत्तर:
(ख) पद
(2) ‘सागर, मदन, गुलाब’ क्या हैं?
(क) पद
(ख) वाक्य
(ग) वर्ण
(घ) शब्द
उत्तर:
(घ) शब्द
व्याख्या- वर्णों का स्वतन्त्र व सार्थक समूह शब्द कहलाता है अत: विकल्प (घ) सही है।
4. निम्नलिखित ‘अनुस्वार तथा अनुनासिक’ पर आधारित तीन बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 2 = 2)
(1) अनुस्वार चिह्न का उचित प्रयोग वाला शब्द है-
(क) संतुलन
(ख) महँगाई
(ग) पत्रिकाएँ
(घ) सकंलित
उत्तर:
(क) संतुलन
व्याख्या- अनुस्वार चिह्न का उचित प्रयोग वाला शब्द ‘संतुलन’ है।
(2) अनुनासिक चिह्न का उचित प्रयोग वाला शब्द है-
(क) सातवाँ
(ख) बासुँरी
(ग) सँगठन
(घ) पाँचवा
उत्तर:
(क) सातवाँ
(3) अनुस्वार चिह्न का उचित प्रयोग वाला शब्द नहीं है-
(क) पंख
(ख) तिरंगा
(ग) चाँद
(घ) पंजाब
उत्तर:
(ग) चाँद
5. निम्नलिखित ‘उपसर्ग और प्रत्यय’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(1) ‘हमख्याल’ में उचित उपसर्ग शब्द है-
(क) ख्याल
(ख) हम
(ग) हमख
(घ) इसमें कुछ नहीं ।
उत्तर:
(ख) हम
व्याख्या- जो शब्दांश मूल शब्दों के आगे जुड़कर नया शब्द बनाते हैं उपसर्ग कहलाते हैं। अतः विकल्प (ख) सही है।
(2) ‘पौराणिक’ में उचित प्रत्यय शब्द है-
(क) इक
(ख) ईक
(ग) णिक
(घ) क
उत्तर:
(क) इक
(3) ‘समलोचना’ में उचित उपसर्ग शब्द है-
(क) समलो
(ख) सम्
(ग) समल
(घ) सम
उत्तर:
(ख) सम्
(4) ‘पंडिताई’ में उचित प्रत्यय है-
(क) आई
(ख) खास
(ग) अताई
(घ) स
उत्तर:
(क) आई
व्याख्या- पंडिताई में उचित प्रत्यय ‘आई’ है अत: विकल्प (क) सही है।
(5) ‘मिठास ‘ शब्द में कौन-सा प्रत्यय है?
(क) ठास
(ख) खास
(ग) आस
(घ) स
उत्तर:
(ग) आस
6. निर्देशानुसार ‘स्वर संधि’ पर आधारित चार बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 3 = 3)
(1) ‘विद्याभ्यास’ में कौन-सी सन्धि है?
(क) दीर्घ सन्धि
(ख) गुण सन्धि
(ग) यण सन्धि
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(क) दीर्घ सन्धि
व्याख्या- इस संधि का परिणाम दीर्घ स्वर होता है । अत: विकल्प (क) सही है।
(2) ‘बधूत्सव’ में कौन-सी सन्धि है ?
(क) गुण सन्धि
(ख) यण सन्धि
(ग) वृद्धि सन्धि
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
(3) ‘परमौषध’ में कौन-सी सन्धि है ?
(क) वृद्धि सन्धि
(ख) अयादि संन्धि
(ग) गुण सन्धि
(घ) यण् सन्धि
उत्तर:
(क) वृद्धि सन्धि
(4) ‘पावन’ में कौन-सी सन्धि है ?
(क) यण् सन्धि
(ख) अयादि सन्धि
(ग) वृद्धि सन्धि
(घ) दीर्घ सन्धि
उत्तर:
(ख) अयादि सन्धि
7. निर्देशानुसार ‘विराम चिह्न’ पर आधारित चार बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 3 = 3)
(1) जहाँ पूर्ण विराम की अपेक्षा कम देर और अल्पविराम की अपेक्षा अधिक देर तक रुकना हो, वहाँ किस विराम का प्रयोग करेंगे ?
(क) अर्द्धविराम चिन्ह
(ख) पूर्णविराम चिन्ह्
(ग) अल्पविराम चिन्ह्
(घ) उपविराम चिन्ह्
उत्तर:
(क) अर्द्धविराम चिन्ह
व्याख्या- जहाँ पूर्ण विराम की अपेक्षा कम देर और अल्पविराम की अपेक्षा अधिक देर तक रुकना हो वहाँ अर्द्धविराम का प्रयोग होता है।
(2) जैसे : अनीस आगरा जाता है । इस कथन में जैसे के बाद किस चिह्न का प्रयोग हुआ है?
(क) अल्पविराम चिन्ह
(ख) पूर्णविराम चिन्ह्
(ग) उपविराम चिन्ह्
(घ) योजक चिन्ह्
उत्तर:
(ग) उपविराम चिन्ह्
(3) निम्नलिखित में से कौन-सा लाघव चिह्न है ?
(क) (.)
(ख) (-)
(ग) (:)
(घ) (:-)
उत्तर:
(क) (.)
(4) (:-) इस चिह्न का नाम बताइए-
(क) निर्देशक
(ख) लाघव
(ग) योजक
(घ) विवरण
उत्तर:
(घ) विवरण
8. निर्देशानुसार ‘अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद’ पर आधारित तीन बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 2 = 2)
(1) ‘मुझे आज बाहर जाने का मन हो रहा है’ अर्थ के आधार पर वाक्य है-
(क) इच्छावाचक
(ख) आज्ञावाचक
(ग) प्रश्नवाचक
(घ) निषेधवाचक
उत्तर:
(क) इच्छावाचक
व्याख्या- मुझे आज बाहर जाने का मन हो रहा है में इच्छा ज़ाहिर हो रही है अत: यह इच्छा वाचक वाक्य है।
(2) ‘अभी तुम बाहर जाओ’ अर्थ के आधार पर वाक्य है-
(क) आज्ञावाचक
(ख) इच्छावाचक
(ग) प्रश्नवाचक
(घ) विधानवाचक
उत्तर:
(क) आज्ञावाचक
(3) कॉलम – 1 को कॉलम-2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
विकल्प :
(क) 1- (i), 2-(ii), 3- (iii)
(ख) 1-(ii), 2-(iii), 3-(i)
(ग) 1- (iii), 2- (i), 3- (ii)
(घ) 1- (i), 2- (iii), 3- (ii)
उत्तर:
(ख) 1-(ii), 2-(iii), 3-(i)
9. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
यहीं इस गली में बनती हैं
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते हैं केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी
अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
खुशबू रचते है हाथ
खुशबू रचते है हाथ।
(1) देश की प्रसिद्ध अगरबत्तियाँ कहाँ बनती हैं?
(क) ऊँची गली में
(ख) गंदी गली में
(ग) चौड़ी गली में
(घ) निचली गली में
उत्तर:
(ख) गंदी गली में
(2) यहाँ कौन-सी अगरबत्तियाँ बनती हैं?
(क) गुलाब, खस और चमेली की
(ख) गुलाब, चमेली और केवड़ा की
(ग) केवड़ा, गुलाब, रातरानी और खस की
(घ) चमेली, गुलाब व रातरानी की।
उत्तर:
(ग) केवड़ा, गुलाब, रातरानी और खस की
व्याख्या – केवड़ा, गुलाब, रातरानी और खस की यहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं। ये सुगंधित अगरबत्तियाँ होती हैं।
(3) ‘मुल्क’ का अर्थ है
(क) राज्य
(ख) देश
(ग) शहर
(घ) ज़िला
उत्तर:
(ख) देश
व्याख्या – मुल्क कर अर्थ देश होता है।
(4) उपर्युक्त काव्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) खुशबू रचते हैं हाथ
(ख) खुशबू फैलाते हैं हाथ
(ग) खुशबू देते हाथ
(घ) खुशबू महकाते हाथ
उत्तर:
(क) खुशबू रचते हैं हाथ
(5) इन पंक्तियों के रचनाकार हैं-
(क) अरूण कमल
(ख) प्रसाद
(ग) पन्त
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर:
(क) अरूण कमल
10. निम्नलिखित दो प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 2 = 2)
(1) समाज को सुंदर बनाने वाले लोग अक्सर कैसी जगहों में रहते हैं ?
(क) अच्छी जगहों में ।
(ख) आलीशान बंगलों में
(ग) गंदी जगहों में
(घ) शहर के बीच में
उत्तर:
(ग) गंदी जगहों में
व्याख्या- समाज को सुंदर बनाने वाले लोग अक्सर गंदी जगहों में रहते हैं।
(2) पीपल के पत्ते से ……….. हाथ- पंक्ति को पूरा कीजिए ।
(क) नए-नए
(ख) पुराने-पुराने
(ग) पीले-पीले
(घ) सुन्दर हाथ।
उत्तर:
(क) नए-नए
11. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
लड़का परसों सुबह मुँह – अँधेरे बेलों में से पके खरबूजे चुन रहा था । गीली मेड़ की तरावट में विश्राम करते हुए एक साँप पर लड़के का पैर पड़ गया। साँप ने लड़के को डस लिया। लड़के की बुढ़िया माँ बावली होकर ओझा को बुला लाई, झाड़ना-फूँकना हुआ। नागदेव की पूजा हुई। पूजा के लिए दान-दक्षिणा चाहिए। घर में जो कुछ आटा और अनाज था, दान-दक्षिणा में उठ गया। माँ, बहू और बच्चे भगवाना से लिपट-लिपटकर रोए, पर भगवाना जो एक दफा चुप हुआ फिर न बोला।
ज़िंदा आदमी निर्वस्त्र भी रह सकता है । परन्तु मुर्दे को निर्वस्त्र कैसे विदा किया जाए ? उसके लिए तो बाज़ार की दुकान से नया कपड़ा लाना ही होगा, चाहे उसकी माँ के हाथों की छन्नी- ककना ही क्यों न बिक जाएँ ।
(1) भगवाना की मृत्यु का क्या कारण था ?
(क) सिर में चोट लगना
(ख) तेज़ बुखार आना
(ग) कोई दुर्घटना होना
(घ) साँप का काटना
उत्तर:
(घ) साँप का काटना
व्याख्या – साँप के काटने से भगवाना की मृत्यु हो गई थी।
(2) बेटे को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या किया ?
(i) ओझा बुलाया।
(ii) नाग देवता पूजे ।
(iii) दान-दक्षिणा दी।
(iv) उपर्युक्त सभी।
विकल्प :
(क) केवल (i)
(ख) केवल (ii)
(ग) केवल (iii)
(घ) (i), (ii), (iii)
उत्तर:
(घ) (i), (ii), (iii)
व्याख्या- बेटे को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने ओझा बुलाया। नागदेवता की पूजा की तथा सब कुछ दान-दक्षिणा में भेंट चढ़ा दिया। उससे लिपटकर सब रोए, फिर भी भगवाना न बच सका ।
(3) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए ।
कथन (A) : जिंदा आदमी निर्वस्त्र भी रह सकता है, परन्तु मुर्दे को निर्वस्त्र विदा नहीं किया जा सकता।
कारण (R) : उसके लिए बाज़ार से नया कपड़ा लाना ही पड़ता है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत है
(ग) कथन (A) गलत तथा कारण (R) सही है ।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं ।
उत्तर:
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं ।
(4) ‘छन्नी- ककना’ का अर्थ है-
(क) बर्तन।
(ख) ज़ेवर
(ग) पदार्थ
(घ) ताँबा
उत्तर:
(ख) ज़ेवर
(5) ‘भगवाना जो एक दफ़ा चुप हुआ तो फिर न बोला । ‘ क्यों ?
(क) वह मर गया था।
(ख) वह क्रोधित हो गया था।
(ग) वह घर से भाग गया था।
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(क) वह मर गया था।
12. निम्नलिखित दो प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प काचयन कीजिए- (1 × 2 = 2)
(1) लॉण्ड्री में कपड़े देने की बात सुनकर लेखक की पत्नी को क्या लगा ?
(क) अब अतिथि चला जाएगा
(ख) खर्च बढ़ेगा।
(ग) समय लगेगा
(घ) अतिथि और कुछ दिन ठहरेगा।
उत्तर:
(क) अब अतिथि चला जाएगा
(2) लेखक अतिथि को कैसे विदाई देना चाहता था ?
(क) कड़वाहट भरी
(ख) भावभीनी
(ग) कष्टदाई
(घ) गरमजोशी भरी
उत्तर:
(ख) भावभीनी
व्याख्या- लेखक अतिथि को भावभीनी विदाई देना चाहता था ।
खण्ड ‘ब’ (40)
(वर्णनात्मक प्रश्न)
13. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(1) इस पाठ का शीर्षक ‘दुख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ सटीक एवं सार्थक है । लेखक यह कहना चाहता है कि यद्यपि दुःख प्रकट करना हर व्यक्ति का अधिकार है, परन्तु हर कोई ऐसा कर नहीं सकता। एक ओर सम्पन्न महिला है और उस पर कोई ज़िम्मेदारी नहीं है। उसके पास पुत्र – शोक मनाने के लिए डॉक्टर हैं, सेवा – कर्मी हैं, साधन हैं, धन है, समय है। परन्तु ग़रीब लोग अभागे हैं, वे चाहें तो भी शोक प्रकट करने के लिए आराम से दो आँसू नहीं बहा सकते। उनके सामने खड़ी भूख, गरीबी और बीमारी उन्हें परेशान करने लगती है अतः दुःख प्रकट करने का अधिकार गरीबों को नहीं है।
(2) एवरेस्ट की शिखर यात्रा में किन-किन लोगों ने लेखिका बछेन्द्री पाल को सहयोग दिया ?
उत्तर:
एवरेस्ट की शिखर यात्रा में अभियान दल के नेता कर्नल खुल्लर, उपनेता प्रेमचंद, साथी अंगदोरजी तथा डॉक्टर मीनू मेहता ने लेखिका को सफ़लता प्राप्त करने में उल्लेखनीय सहयोग दिया। कर्नल खुल्लर ने लेखिका को शिखर यात्रा के प्रारंभ से लेकर अंत तक हिम्मत बँधाई, उसका साहस बढ़ाया। उन्होंने अभियान दल के सभी सदस्यों की मृत्यु को सहजता से स्वीकार करने का पाठ पढ़ाकर उन्हें मृत्यु के भय से मुक्त किया । उपनेता प्रेमचंद ने पहली बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से उन्हें अवगत कराया और सचेत किया कि ग्लेशियर बर्फ़ की नदी है तथा बर्फ का गिरना जारी है अतः सभी लोगों को सावधान रहना चाहिए। डॉक्टर मीनू मेहता ने एल्युमीनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुल बनाने, लट्ठों एवं रस्सियों का उपयोग, बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना आदि सिखाया। अंगदोरजी ने लेखिका को लक्ष्य तक पहुँचने में सहयोग दिया तथा प्रोत्साहित भी किया ।
(3) रामन् के प्रारम्भिक शोधकार्य को हठयोग क्यों कहा गया है ? विस्तार से उत्तर लिखिए ।
उत्तर:
रामन् के प्रारम्भिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग इसलिए कहा गया है, क्योंकि वे दफ़्तर में काम करने के पश्चात् बहू बाजार में स्थित ‘इण्डियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला में जाते थे। वहाँ जाकर गहरी लगन, तीव्र इच्छा शक्ति से काम चलाऊ उपकरणों से शोधकार्य करते थे, जो कि अपने आप में ही आधुनिक हठयोग था।
14. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(1) ‘वसंत का गया पतझड़ को लौटा’ और ‘बैसाख का गया भादौ को लौटा’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘वसंत का गया पतझड़ को लौटा’ और ‘बैसाख का गया भादौ को लौटा’ का अभिप्राय है कुछ ही समय में एकाएक परिवर्तन हो गया है। आने और जाने के समय में ही अद्भुत परिवर्तन हो गया है। पुरानी जगहें नया रूप ले चुकी हैं और पुरानी पहचान गायब हो चुकी है। कवि को अपने घर ठिकाने की ठीक से पहचान नहीं है।
(2) जलहीन की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता है ?
उत्तर:
जलहीन अर्थात् पानी बिना कमल की रक्षा सूर्य भी नहीं कर सकता, यद्यवि सूर्य ही कमल को खिलाता है । कमल पानी के मध्य स्थित होता है तथा पानी ही केवल उसकी सहायता कर पाता है अर्थात् दूसरा भी हमारी मदद तभी कर पाता है जब हमारे पास कुछ होता है। साधनहीन की कोई मदद नहीं करता ।
(3) कवि रैदास अन्य कवियों जैसे नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना एंव सैन की चर्चा क्यों करते हैं ?
उत्तर:
कवि रैदास का कहना है कि उच्च कोटि के संत ; जैसे – नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना एवं सैन निम्न वर्ण एवं निम्न वर्ग के सदस्य होते हुए भी ईश्वर की कृपा पाकर तर गए अर्थात् इस संसार रूपी भव सागर से पार हो गए, ठीक उसी प्रकार सभी संतों को, चाहे वे निम्न वर्ण एवं निम्नवर्ग के ही क्यों न हों, इस पर ध्यान देना चाहिए और ईश्वर की भक्ति एवं आराधना के द्वारा मोक्ष प्राप्त करने के उपाय करने चाहिए ।
वास्तव में ईश्वर अत्यधिक दयालु एवं सर्वशक्तिमान हैं और उनके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है । वह सब कुछ करने में समर्थ हैं, बस उनकी कृपा की आवश्यकता है। संत जनों को यही बताने के लिए कवि ने उपरोक्त संतों का नाम उदाहरण के रूप में दिया है।
15. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
1. गिल्लू की किन चेष्टाओं से आभास मिलने लगा कि अब उसका अंत समीप है?
उत्तर:
सामान्यतः गिलहरी का जीवनकाल दो वर्ष का माना जाता है। जब गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आया तो उसने दिनभर कुछ भी नहीं खाया और वह बाहर भी घूमने नहीं गया। वह अपने झूले से नीचे उतरा और लेखिका के बिस्तर पर आकर उनकी अँगली पकड़कर चिपक गया। इन सभी चेष्टाओं से लेखिका को लगा कि उसका (गिल्लू का) अंत समीप है और सुबह की पहली किरण के साथ ही वह हमेशा के लिए सो गया।
2. लेखक ने इस पाठ में भ्रातृ स्नेह के ताने-बाने को चोट लगने की बात कही है। भाई-से-भाई के स्नेह का कोई अन्य उदाहरण प्रस्तुत करते हुए लेखक के इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर:
लेखक के वर्णन के अनुसार जब कुएँ में साँप से उसका सामना हुआ तो साँप और लेखक के आपसी द्वंद्व में होने वाली क्रियाओं के फलस्वरूप लेखक के छोटे भाई को, जो कुएँ के ऊपर खड़ा था, ऐसा प्रतीत हुआ कि उसके बड़े भाई को साँप ने काट लिया । छोटा भाई यह सोचकर चीख पड़ा । लेखक उसकी चीख को उसके मन में अपने प्रति उपस्थित स्नेह – भाव के कारण उठी चीख मानता है। वास्तव में स्नेह या प्रेम ऐसा ही सकारात्मक मनोविकार है । इसमें अपने स्नेह – पात्र के अमंगल की आशंका से उस स्नेह करने वाले का मन व्यथित हो उठता है । लेखक के छोटे भाई का चीखना इसी का उदाहरण है। ऐसा उदाहरण हम राम और लक्ष्मण के इतिहास प्रसिद्ध ‘भ्रातृ-स्नेह’ में देख सकते हैं, जब ‘युद्ध – भूमि’ में लक्ष्मण के मूर्च्छित हो जाने पर उनके वियोग की आशंका से राम जैसा मर्यादित और वीर पुरुष भी विलाप करने लगा। वस्तुतः भ्रातृ-प्रेम का ऐसा उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है। लेखक ने इसी कारण भ्रातृ-स्नेह के ताने-बाने को चोट लगने की बात कहते हुए भाई-भाई के पास्परिक प्रेम को सामान्य लोकानुभव से जोड़कर देखा है।
3. सत्यार्थ प्रकाश की रचना किसने की थी और इसे पढ़कर लेखक रोमांचित क्यों हो जाता था ?
उत्तर:
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने पुस्तक की रोचक शैली, चित्रों से सुसज्जित, पाखण्डों का विरोध, चूहे द्वारा भोग खाना, प्रतिमा को भगवान न मानना, घर छोड़ तीर्थों-जंगलों, गुफाओं – हिमशिखरों पर साधुओं संग घूमना, ईश्वर- सत्य की तलाश। समाज – मानव विरोधी रुढ़ियों का खण्डन अपने से हारे को क्षमादान। (प्रेरणा छात्र-रुचि अनुसार लेखन)
व्याख्यात्मक हल :
सत्यार्थ प्रकाश की रचना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने की थी । सत्यार्थ प्रकाश की भाषा – शैली अत्यन्त रोचक है। इसमें लेखक के द्वारा पाखंडों का घोर विरोध किया गया है। लेखक स्वामी दयानन्द के जीवन की दो घटनाओं को पढ़कर सर्वाधिक रोमांचित हुआ; जैसे – चूहे को भगवान का भोग खाते देखकर मान लेना कि मूर्तियाँ भगवान नहीं होतीं, घर छोड़कर तीर्थों, जंगलों, गुफाओं और हिमशखरों पर साधुओं के साथ घूमना, उनकी संगत करना और ईश्वर की तलाश करना। उनके द्वारा समाज – मानव विरोधी रूढ़ियों (रीति-रिवाजों) का भारी विरोध और खण्डन किया गया। उन्होंने अपने से हारने वाले को दण्ड के स्थान पर क्षमादान देने का सन्देश भी दिया है।
16. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- (6 × 1 = 6)
1. दूरदर्शन :
- लोकप्रिय माध्यम।
- दूरदर्शन का प्रभाव।
- शिक्षा का सशक्त माध्यम ।
- मनोरंजन का पर्याय |
उत्तर:
दूरदर्शन
वर्तमान समय में दूरदर्शन की लोकप्रियता चरम सीमा पर है। अब तो इसकी घुसपैठ लगभग प्रत्येक परिवार में हो चुकी है । शहरों के साथ-साथ इसके कार्यक्रम गाँवों में भी अत्यंत रुचि के साथ देखे जाते हैं । इतने लोकप्रिय माध्यम का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ना अत्यंत स्वाभाविक ही है।
दूरदर्शन का प्रभाव निरंतर बढ़ता जा रहा है । इसने हमारे पारिवारिक जीवन पर अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के प्रभाव डाले हैं। इससे हमारे मनोरंजन का पक्ष अत्यंत सुदृढ़ हुआ है। दूरदर्शन पर अनेक प्रकार के रोचक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इनमें अपनी रुचि के कार्यक्रम चुनकर हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं। फ़ीचर फ़िल्मों के अतिरिक्त फ़िल्में, धारावाहिक, संगीत, नाटक, कवि सम्मेलन, खेल-जगत से हमारा पर्याप्त मनोरंजन होता है ।
दूरदर्शन शिक्षा का भी सशक्त माध्यम बन गया है। इस पर औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार की शिक्षा दी जा रही है। इस पर स्कूली विद्यार्थियों के लिए नियमित पाठों का प्रसारण किया जाता है। इसके अतिरिक्त किसानों के लिए कृषि – दूरदर्शन, अनपढ़ों के लिए साक्षरता के कार्यक्रम, महिलाओं के लिए घरेलू उपयोगी कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं । इस प्रकार घर बैठे ही सभी को ज्ञानवर्धक कार्यक्रम देखने को मिल जाते हैं। दूरदर्शन की सामग्री अधिक ग्राह्य एवं स्पष्ट प्रभाव डालने वाली होती है। इसका प्रभाव अधिक व्यापक होता है। अतः इस बारे में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
दूरदर्शन ने हमारे जीवन पर अनेक बुरे प्रभाव भी डाले हैं। दूरदर्शन ने हमारे अंदर अकर्मण्यता ला दी है। लोग सामाजिक जीवन से कटते चले जा रहे हैं। अनेक व्यसन भी दूरदर्शन की देन हैं।
2. कमरतोड़ महँगाई :
- महँगाई से त्रस्त लोग ।
- महँगाई के कारण।
- महँगाई पर अंकुश लगाना आवश्यक ।
उत्तर:
कमरतोड़ महँगाई
वर्तमान समय में निम्न – मध्यम वर्ग महँगाई की समस्या से त्रस्त है । महँगाई भी ऐसी, जो रुकने का नाम ही नहीं लेती, बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का महँगाई पर कोई नियंत्रण रह ही नहीं गया है । महँगाई बढ़ने के कई कारण हैं। उत्पादन में कमी तथा माँग में वृद्धि होना महँगाई का प्रमुख कारण है । कभी – कभी सूखा, बाढ़ तथा अतिवृष्टि जैसे प्राकृतिक प्रकोप भी उत्पादन को प्रभावित करते हैं। वस्तुओं की जमाखोरी भी महँगाई बढ़ने का प्रमुख कारण है।
जमाखोरी से शुरू होती है – कालाबाज़ारी, दोषपूर्ण वितरण प्रणाली तथा अंधाधुंध मुनाफ़ाखोरी की प्रवृत्ति । सरकारी अंकुश का अप्रभावी होना महँगाई तथा जमाखोरी को बढ़ावा देता है। सरकार अखबारों में तो महँगाई कम करने की बात करती है, पर वह भी महँगाई बढ़ाने में किसी से कम नहीं है। सरकारी उपक्रम भी अपने उत्पादों के दाम बढ़ाते रहते हैं। इस जानलेवा महँगाई ने आम नागरिकों की कमर तोड़कर रख दी है। अब उसे दो जून की रोटी जुटाना तक कठिन हो गया है। पौष्टिक आहार का मिलना तो और भी कठिन हो गया है ।
महँगाई बढ़ने का एक कारण यह भी है कि हमारी आवश्यकताएँ तेज़ी से बढ़ती चली जा रही हैं। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम किसी भी दाम पर वस्तु खरीद लेते हैं । इससे जमाखोरी और महँगाई को बढ़ावा मिलता है । महँगाई को सामान्य व्यक्ति की आय के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। महँगाई के लिए अंधाधुंध बढ़ती जनसंख्या भी उत्तरदाई है । इस पर भी नियंत्रण करना होगा। महँगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। 80 से 100 रुपए किलो की दाल आम आदमी खरीदकर भला कैसे खा सकता है। सरकार को खाद्य महँगाई पर प्रभावी अंकुश लगाना परमावश्यक है जिससे आम आदमी को राहत मिल सके।
3. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं :
- पराधीनता एक अभिशाप ।
- स्वतंत्रता के लिए बलिदान आवश्यक ।
- पशु-पक्षी भी स्वतंत्रता पसंद ।
- स्वतंत्र होकर जीने में आनंद ।
उत्तर:
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं
पराधीनता का अर्थ है- ‘ दूसरों की अधीनता, मनुष्य पराधीन होकर सपने में भी सुख नहीं प्राप्त कर सकता । पराधीन होकर जीना अर्थात् दूसरों का गुलाम होना, दूसरों की इच्छानुसार जीना, मन मारकर दूसरों के इशारों पर चलना आदि। यह एक भयंकर कष्ट के समान है। पराधीनता में कितनी भी सुख-सुविधाएँ, ऐशो-आराम मिलें, फिर भी व्यक्ति मानसिक शान्ति तथा स्वतन्त्रता का अनुभव कदापि नहीं कर सकता, क्योंकि व्यक्ति स्वभाव से ही स्वतंत्र रहना चाहता है ।
वास्तव में समस्त प्राणी जगत् के लिए पराधीनता एक अभिशाप है, जिसमें व्यक्ति का सब कुछ अभिशप्त हो जाता है। हमारे प्यारे भारत देश को अंग्रेज़ों की सैकड़ों वर्षों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग (बलिदान) कर दिया था, तभी 15 अगस्त, 1947 को हम सभी ने स्वतंत्रता की पहली साँस ली थी । पराधीनता मनुष्य तो क्या, पशु-पक्षी भी पसन्द नहीं करते। सोने के पिंजरे में बन्द पक्षी भी स्वतंत्र आकाश में उड़ना चाहता है, उड़ने के लिए छटपटाता है। वह कड़वी निबौरी खाना पसंद करेगा, समुद्र का बहता खारा पानी पी लेगा, पर आज़ादी से जीना चाहता है, वह भी पंख पसार कर नीलगगन में उड़ान भरना चाहता है ।
पराधीनता में व्यक्ति अपने मान-सम्मान को सुरक्षित नहीं रख सकता, क्योंकि वह पराधीनता की चक्की में पिसता रहता है तथा शोषित होता रहता है। निर्धनता तथा अभावों से ग्रस्त जीवन में भी स्वतंत्र होकर जीने में मनुष्य आनंद तथा प्रसन्नता का अनुभव करता है। संभवत: इसी कारण गोस्वामी तुलसीदास ने अपने महाकाव्य रामचरितमानस में लिखा है – पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं ।
17. परीक्षा में अनुत्तीर्ण हुए मित्र को पुनः उत्साहपूर्वक पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (6 × 1 = 6)
उत्तर:
परीक्षा भवन
दिल्ली ।
दिनांक : 10 जनवरी, 20XX
प्रिय मित्र,
मधुर प्यार !
तुम्हारी असफ़लता का समाचार जानकर अत्यंत दुःख हुआ है। लेकिन मित्र इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है, क्योंकि तुम टाइफाइड से ग्रस्त हो जाने के कारण स्कूल से काफ़ी दिनों तक अनुपस्थित रहे हो । मित्र, घबराने की कोई भी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि असफ़लता के बाद ही शानदार सफ़लता की प्राप्ति होती है। अब मन लगाकर पढ़ाई करना शुरू कर दो तथा उत्साहपूर्वक परीक्षा देना । कठोर परिश्रम करके प्रथम आना। माता जी एवं पिता जी को मेरी नमस्ते कहना तथा राधा को प्यार ।
तुम्हारा मित्र,
क. ख. ग.
18. प्रस्तुत चित्र को ध्यान से देखिए और चित्र को आधार बनाकर उसका परिचय देते हुए कोई लेख, कहानी अथवा घटना लिखिए जिसका सीधा व स्पष्ट सम्बन्ध चित्र से होना चाहिए । (5 × 1 = 5)
उत्तर:
प्रस्तुत चित्र में दो महिलाएँ व दो लड़कियाँ (11-12 साल की ) किसी बस्तीनुमा इलाके में एक जगह बैठकर बीड़ी बनाने का काम कर रही हैं। वे अपना काम पूरी तन्मयता और लगन के साथ कर रही हैं। उन्होंने बाँस की बनी डलिया में बीड़ी बनाने का सामान लेकर उसे अपनी गोद में रखा हुआ है। यह दृश्य किसी टूटी-फूटी इमारत में छप्पर डालकर रहने वालों का प्रतीत हो रहा है। उनके पीछे कुछ बर्तन पड़े हैं और एक चूल्हा भी जल रहा है जिससे काफ़ी धुआँ उठ रहा है।
महिला सशक्तीकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नारा दिया है- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। यह नारा हमें यह संदेश देता है कि हमें कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगानी है तथा बेटियों को शिक्षित करना है । शिक्षित कन्या पितृकुल और पतिकुल दोनों का नाम उजागर करती है। पढ़ी-लिखी लड़कियाँ ही देश और समाज का कल्याण करती हैं। लेकिन अपनी आर्थिक परिस्थितियों के कारण विवश होकर उन्हें ऐसे अनुपयुक्त स्थान पर काम करना पड़ रहा है।
एक बार एक राम प्रकाश नाम का आदमी था । उसकी पत्नी कविता ने एक-एक करके दो बेटियों को जन्म दिया जिसके कारण रामप्रकाश ने अपनी पत्नी और दोनों बेटियों को घर से बाहर निकाल दिया । इसलिए कविता अपनी दोनों बेटियों के साथ भटकती हुई इस खण्डहरनुमा मकान में छप्पर डालकर रहने लगी । जीवनयापन करने के लिए वह बीड़ी बनाने जैसा काम करने लगी। उसने अपनी दोनों बेटियों को भी उसी काम में लगा दिया है लेकिन वह यह नहीं जानती कि विद्यालय जाकर पढ़ने की उम्र में लड़कियों के मज़दूरी करने से उनका पूरा जीवन बर्बाद हो जाएगा। लेकिन वह विवश है। सरकार को ऐसी बेसहारा महिलाओं के उत्थान की दिशा में प्रयास करना चाहिए ताकि वह कोई कौशल अर्जित कर स्वरोज़गार प्रारम्भ कर सकें तथा लड़कियों के प्रति समाज के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाकर बाल श्रम पर रोक लगानी चाहिए।
19. कक्षा में होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के सम्बन्ध में अध्यापक व छात्र के बीच हुए संवाद को लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5 × 1 = 5)
अथवा
अध्यापिका द्वारा गृहकार्य दिया गया था परन्तु मिताली उस कार्य को करके नहीं लाई । इस विषय पर अध्यापिका और मिताली के बीच हुए संवाद को लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
अध्यापक व छात्र के संवाद-
छात्र – नमस्कार, गुरु जी !
अध्यापक – नमस्कार, बेटे! सुखी रहो । कहो, कैसे आना हुआ ?
छात्र – कल गांधी जयंती है, गुरुजी । मुझे कल बाल सभा में गांधी जी के जीवन के विषय में कुछ बोलना है।
अध्यापक – कहो, मैं उसमें तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूँ ?
छात्र – गुरु जी ! मैंने गांधी जी के विषय में भाषण लिख तो लिया है, अब उसे रट रहा हूँ। थोड़ी देर बाद आप मुझसे सुन लीजिए ।
अध्यापक – ऐसी भूल कभी मत करना, अंशु ।
छात्र – क्यों गुरुजी, क्यों नहीं ?
अध्यापक – तुम नहीं जानते, बेटे । जो चीज़ रटकर सुनाई जाती है, उसका श्रोताओं पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता। जब तुम बोलने के लिए श्रोताओं के सामने खड़े होगे, तो तुम्हें अनेक चेहरे दिखाई देंगे। कुछ तुम्हारे भाषण में दिलचस्पी लेते दिखाई देंगे। कुछ आपस में बातें करते दिखाई देंगे। ऐसी दशा में तुम्हें उनके चेहरों के हाव-भाव को देखकर अपने भाषण को बदलना होगा। ऐसा करने में तुम्हारी श्रृंखला टूट जाएगी और तुम रटे हुए भाषण को भूल जाओगे ।
छात्र – किंतु मैं तो रटे बिना एक शब्द भी नहीं बोल सकता।
अध्यापक – ठीक है, पहले-पहल ऐसा ही किया जाता है, किन्तु यदि तुम बीच में कोई वाक्य भूल गए तो क्या करोगे ?
छात्र – इसके लिए मैं कुछ संकेत लिखकर ले जाऊँगा ।
अथवा
अध्यापिका और मिताली के बीच हुआ संवाद-
शिक्षिका – (मिताली की ओर देखते हुए) मिताली ! क्या आपने दिया हुआ गृहकार्य किया है ?
मिताली – (डरते हुए) जी नहीं, मैम ।
शिक्षिका – क्यों ?
मिताली – मैम कल मेरी माताजी की तबियत अचानक ख़राब हो गई, जिस कारण मैं गृहकार्य नहीं कर पाई।
शिक्षिका – (सहानुभूति जताते हुए) कोई बात नहीं मिताली, अब आपकी माताजी कैसी हैं ?
मिताली – अब वे पहले से बेहतर हैं।
शिक्षिका – ठीक है मिताली, तुम अपना गृहकार्य कल ज़रूर करके ले आना।
मिताली – धन्यवाद मैम! मैं अपना गृहकार्य आज ही पूर्ण कर लूँगी ।