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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 3 with Solutions
समय : 3 घंटा
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
(i) इस प्रश्नपत्र में दो खंड हैं- खंड “अ” और “ब”। खंड अ में वल्कुप्रक / बहुविकल्पीय और खंड-ब में वस्तुनिष्ठ वर्णवात्यक प्रश्न दिए गए हैं।
(ii) प्रश्नपत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
(iii) यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
(iv) खंड ‘अ’ में कुल 10 प्रश्न हैं; जिनमें उपग्रश्नों की संख्या 44 हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपग्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य हैं।
(v) खंड “ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्य का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
रण्ड ‘अ’ वस्तुपरक-प्रश्न (40 अंक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए – (1 × 5 = 5)
वैज्ञानिकों का मानना है कि दुनियाभर में बढ़ते पर्यावरण संकट को कम करने में जैविक खेती एक उपचारक भूमिका निभा सकती है। गौरतलब है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में प्राकृतिक खेती बड़े पैमाने पर अपनाई जा रही है। धीरे-धीरे दक्षिण भारत, मध्य भारत और उत्तर भारत में भी यह किसानों में लोकप्रिय हो रही है। अब किसानों ने जैविक खेती को एक सशक्त विकल्प के रूप में अपना लिया है। गौरतलब है कि जैविक या प्राकृतिक खेती की तरफ़ भारतीय किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। धीरे-धीरे जैविक खेती का प्रचलन बढ़ रहा है। जैविक बीज, जैविक खाद, पानी, किसानी के यंत्रों आदि की आसानी से उपलब्धता जैविक खेती की लोकप्रियता को और अधिक बढ़ा सकती है।
प्राकृतिक खेती को लेकर अनुसंधान भी बहुत हो रहे हैं। किसान नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। इससे कृषि वैज्ञानिक भी प्राकृतिक खेती को लेकर अधिक उत्साहित हैं। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि जैविक या प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से पर्यावरण, खाद्यान्न, भूमि, इंसान की सेहत, पानी की शुद्धता को और बेहतर बनाने में मदद मिलती है। रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से होने वाली बीमारियों और समस्याओं की जानकारी न होने की वजह से किसान इनका प्रयोग काफी ज़्यादा करने लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ् सिक्किम में प्राकृतिक खेती से पर्यावरण को जितनी मदद मिली है उससे साफ़ हो गया है कि प्राकृतिक खेती को अपनाकर कई समस्याओं का समाधान हो सकता है।
(i) आज जैविक खेती की माँग क्यों बढ़ती जा रही है? है
(क) सस्ती होने के कारण
(ख) अधिक उत्पादन के कारण.
(ग) स्वच्छ पर्यावरण के कारण
(घ) सरकारी मदद मिलने के कारण
उत्तर:
(ग) स्वच्छ पर्यावरण के कारण
व्याख्या – वैज्ञानिकों का मानना है कि दुनियाभर में बढ़ते पर्यावरण संकट को कम करने में जैविक खेती एक उपचार भूमिका निभा सकती है।
(ii) सही कथन का चयन कीजिए-
(क) उत्तर भारत में जैविक खेती के लिए प्रेरणा की जरूरत है।
(ख) पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक खेती के प्रति अधिक उत्साह है।
(ग) लोगों में प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी का अभाव है।
(घ) प्राकृतिक खेती के लिए विश्वविद्यालय से शिक्षित होना जुरूरी है।
उत्तर:
(ग) लोगों में प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी का अभाव है।
व्याख्या – लोगों में प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी का अभाव है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए-
कथन (A): जैविक खेती को किसानों की पहली पसंद बनानी चाहिए।
‘कारण (R): जैविक बीज, खाद, किसानी के यंत्र आदि सुविधाएँ उपलब्ध करवानी चाहिए।
(क) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) गलत है।
(ग) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) और कारण (R) दानों सही हैं।
उत्तर:
(घ) कथन (A) और कारण (R) दानों सही हैं।
(iv) वर्तमान समय में खेती के लिए अनुसंधानों में बढ़ोत्तरी हुई है। उपर्युक्त कथन के पक्ष में निम्नलिखित तकों पर विचार ‘कीजिए। ह।
(i) जैविक खेती के सन्दर्भ में
(ii) रासायनिक खाद के सन्दर्भ में
(iii) नए बीज के सन्दर्भ में
विकल्प
(क) (i) सही है।
(ख) (iii) सही है।
(ग) (i) और (ii) सही हैं।
(घ) (ii) सही है।
उत्तर:
(क) (i) सही है।
(v) किसान कीटनाशकों और रासायनिक खादों का अधिक प्रयोग क्यों करने लगे हैं?
(क) सहज उपलब्धता के कारण
(ख) दुष्प्रभावों की जानकारी न होने के कारण
(ग) अधिक प्रचार-प्रसार के कारण
(घ) सस्ती होने के कारण
उत्तर:
(ख) दुष्प्रभावों की जानकारी न होने के कारण
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांशों पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
बिन बैसाखी अपनी शर्तों पर, मैं मदमस्त चला।
सब्जबाग को दिखा-दिखा
दुनिया रह-रह मुसकाई।
कंचन और कामिनी ने भी
अपनी छटा दिखाई।
सतरंगे जग के साँचे में, मैं न कभी ढला।।
चिनगारी पर चलते-चलते
रुका-झुका ना पल-छिन।
गिरे हुओं को रहा उठाता
गले लगाता अनुदिन।
बस आता है मुझको।
पीड़ाओं के संग-संग जीना
भाता है बस मुझको।
मैं तटस्थ, जो भी जग समझे कह ले बुरा-भला।
हलाहल पीते-पीते ही मैं जीवन-भर चला।।
कितने बढ़े-चढ़े द्रुत चलकर
शैलशिखर श्रृंगों पर।
कितने अपनी लाश लिए
फिरते अपने कंधों पर।
सबकी अपनी अलग नियति है, है जीने की कला।।
आँधी से जूझा करना ही
(क) इस कविता के केंद्रीय भाव हेतु दिए गए कथनों को पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. मनुष्य को सुख-दुःख में एकसमान रहना चाहिए।
2. मनुष्य को कष्टों में अवलंब तलाश करना चाहिए।
3. मनुष्य को स्वयं को भाग्य के सहारे नहीं छोड़ना चाहिए।
4. मनुष्य को आँधियों के साथ जूझ़ा चाहिए।
कूट
(i) केवल 2 सही है
(ii) 1 और 3 सही हैं
(iii) 1,3 और 4 सही हैं
(iv) 1,2,3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(ii) 1 और 3 सही हैं मनुष्य को सुख-दु:ख में समान रहना चाहिए, विपत्तियों में भी जीवन हैसकर बिताना चाहिए। कभी भी स्वयं को भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए।
(ख) कवि को जीवन में क्या रास नहीं आया?
(i) कष्टों से भरे मार्ग पर चलना
(ii) दीनों का उद्धार करना
(iii) सुखमय क्षणों को भोगना
(iv) आजीवन वेदनाओं का विष पान करना
उत्तर :
(iii) सुखमय क्षणों को भोगना कवि ने अपने जीवन में सुख और भोगों को स्थान नहीं दिया। वह हमेशा सभी परिस्थितियों में एक जैसा ही रहा। उसने अपने सिद्धांतों के अनुकूल जीवन जिया। दुःख और सुख में उसने किसी को भी अपना सहारा नहीं बनाया। अतः कवि को जीवन में सुखमय क्षणों को भोगना रास नहीं आया, क्योंकि उसने इनके प्रति केवल तटस्थता की भूमिका निभाई।
(ग) ‘सबकी अपनी अलग नियति है, है जीने की कला’ से कवि का क्या आशय है?
(i) कोई धनी है, तो कोई धनहीन है
(ii) कोई उन्नति करता है, तो कोई निराश रहता है
(iii) कोई सुख भोग रहा है, तो कोई दु:ख
(iv) कोई स्वस्थ है, तो कोई रोगी है
उत्तर :
(ii) कोई उन्नति करता है, तो कोई निराश रहृता है दी गई पंक्ति से यह आशय है कि संसार में सबकी जीवन-शैली भिन्न-भिन्न प्रकार की है। सभी के जीवन जीने का तरीका अलग-अलग है। अतः इसका यह प्रभाव पड़ता है कि कोई तो अत्यधिक उन्नति करता है अर्थात् उत्तरोत्तर सफलता को प्राप्त करता है तथा कोई सफलता न मिलने पर निराश हो जाता है।
(घ) कवि ने जीवन कैसे बिताया है?
(i) कष्ट्रों से जूझकर और पीड़ाओं को चूमकर
(ii) दु:खियों के दु;ख दूर कर और निराश्रितों को आश्रय देकर
(iii) डूबते को बचाकर और भूखों को भोजन देकर
(iv) क्रांति का बिगुल बजाकर और मातृभूमि को जीवन देकर
उत्तर :
(i) कष्टों से जूझ्लकर और पीड़ाओं को चूमकर कवि कहता है कि उसने जीवन को कष्टों से जूझकर तथा पीड़ाओं को चूमकर बिताया है। वह हमेशा गिरते हुए व्यक्ति को उठाता रहा। उसने अपने जीवन में आई समी विपत्तियों का साहस के साथ सामना किया।
(ङ) कथन (A) और कारण (R) पर विचार करते हुए सही विकल्प चुनिए।
कथन (A) वह मनुष्य सतरंगी संसार में मोहित नहीं हो सकता।
कारण (R) जो अपने सिद्धान्तों से प्यार और सुख-दुख में तटस्थ रहता
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कथन (A) कारण (R) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कथन (A) कारण (R) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कथन (A) कारण (R) की सही व्याख्या करता है। प्रस्तुत कविता के अनुसार वह मनुष्य जो सतरंगी संसार में मोहित नहीं होता है अर्थात् यहाँ के देख-देखावे से प्रभवित नहीं होता और अपने सिद्धांतों से प्यार करता है तथा सदैव अपने दुःख-सुख में हमेशा तटस्थ अर्थात् परिवर्तनशील नहीं होता वह मनुष्य ही आदर्श पुरुष है।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 4 = 4)
(i) निम्नलिखित में मिश्र वाक्य कौन-सा है?
(क) हालदार साहब जब कस्बे से गुजरते तब नेताजी की मूर्ति पर बदले हुए चश्मों को देखते।
(ख) ज्ञान-चक्षु खुल गए।
(ग) नवाब साहब ने खीरे की तैयारी की और थककर लेट गए।
(घ) क्या ऐसे तरीके से उदर की तृप्ति भी हो सकती है?
उत्तर:
(क) हालदार साहब जब कस्बे से गुजरते तब नेताजी की मूर्ति पर बदले हुए चश्मों को देखते।
व्याख्या-मिश्र वाक्य में जब-तब, जैसा-वैसा, कि इत्यादि योजक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
(ii) निम्नलिखित में संयुक्त वाक्य कौन-सा है?
(क) उन्होंने हमें देखकर भी अनदेखा किया।
(ख) उन्होंने दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला।
(ग) दूर तो जाना नहीं था।
(घ) बर्थ पर एक सफ़ेदपोश सज्जन बैठे थे जिन्होंने हमारी संगति के लिए कोई उत्साह नहीं दिखाया।
उत्तर:
(ख) उन्होंने दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला।
(iii) निम्नलिखित वाक्य का सरल वाक्य होगा-
“पानी मुँह में भर आया और उसका घूँट गले से उतर गया।’
(क) जब पानी मुँह में भर आया तब उसका घूँट गले से उतर गया।
(ख) जैसे ही मुँह में पानी भर आया वैसे ही उसका घूँट गले से उतर गया।
(ग) मुँह में पानी भर आया इसलिए पानी का घूँट गले से उतर गया।
(घ) मुँह में भर आए पानी का घूँट गले से उतर गया।
उत्तर:
(घ) मुँह में भर आए पानी का घूँट गले से उतर गया।
(iv) निम्नलिखित वाक्यों में संयुक्त वाक्य पहचानकर नीचे दिए गए सबसे सही विकल्पों में से सर्वाधिक सही विकल्प चुनिए-
(1) कठोर बनो परन्तु सहदय रहो।
(2) बालक रोता रहा और बाद में चुप हो गया।
(3) वे काशी से बाहर रहते हैं।
(4) वे सभी बालाजी मंदिर गए थे।
विकल्प
(क) (1) सही है।
(ख) (1) और (2) सही हैं।
(ग) (3) सही है।
(घ) (4) सही है।
उत्तर:
(ख) (1) और (2) सही हैं।
(v) सूची (1) को सूची (2) से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए-
सूची (1) | सूची (2) |
1. जब भी मैं पूनम के घर गई, मेरा आदर सत्कार हुआ। | (i) मिश्र वाक्य |
2. मैंने मोबाइल खरीदा है और वह नया है। | (ii) संयुक्त वाक्य |
3. राजू कपड़े पहनता है। | (iii) सरल वाक्य |
विकल्प
(क) (1)-(iii), (2)-(ii), (3)-(i)
(ख) (1)-(ii), (2)-(iii), (3)-(i)
(ग) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
(घ) (1)-(i), (2)-(iii), (3)-(ii)
उत्तर:
(ग) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकत्प का चयन कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. मुझसे यह किताब पढ़ी नहीं जाती है। | 1. कर्तृवाच्य |
B. मुझसे अब पढ़ा नहीं जाता। | 2. कर्मवाच्य |
C. मैं यह किताब नहीं पढ़ सकूँगा। | 3. भाववाच्य |
कूट
A B C
(i) 1 2 3
(ii) 3 2 1
(iii) 3 1 2
(iv) 2 3 1
उत्तर :
(iv) A-2, B-3, C-1
(ख) निम्नलिखित वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य छाँटिए।
(i) क्या यह पत्र तुम्हारे द्वारा लिखा गया है?
(ii) क्या यह पत्र तुम लिख रहे हो?
(iii) क्या यह पत्र तुमने लिखा है?
(iv) क्या पत्र तुम लिखते हो?
उत्तर :
(i) क्या यह पत्र तुम्हारे द्वारा लिखा गया है?
(ग) निम्नलिखित में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य छाँटिए।
(i) पुलिस ने चेतावनी दी।
(ii) कवि द्वारा एक कविता सुनाई गई।
(iii) उससे चुपचाप नहीं रहा जाता।
(iv) उससे उठा-बैठा नहीं जाता।
उत्तर :
(i) पुलिस ने चेतावनी दी।
(घ) ‘मैं अब नहीं खा पाता।’ (भाववाच्य में परिवर्तित कीजिए)
(i) मुझसे अब नहीं खाया जाता।
(ii) मेरे द्वारा अब खाया नहीं जाता है।
(iii) मेरे से खाया नहीं गया।
(iv) मैं अब नहीं खा सकता।
उत्तर :
(i) मुझसे अब नहीं खाया जाता।
(ङ) ‘पक्षी बाग छोड़कर नहीं उड़े।’ इसका कर्मवाच्य होगा
(i) पक्षी बाग छोड़कर नहीं उड़ सकते।
(ii) पक्षी बाग छोड़कर नहीं उड़ सके।
(iii) पक्षी से बाग छोड़कर उड़ा नहीं जाता।
(iv) पक्षियों द्वारा बाग छोड़कर नहीं उड़ा गया।
उत्तर :
(iv) पक्षियों द्वारा बाग छोड़कर नहीं उड़ा गया।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्य में रेखांकित शब्दों में से किन्हीं चार पदों के सही पद परिचय वाला विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 4 = 4)
“नमक-मिर्च छिड़क दिए जाने से ताजे खीरे की पनियाती फाँकें देखकर मुँह में पानी खूब आ रहा था लेकिन वे इंकार कर चुके थे।
(i) खीरे |
(क) जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंधकारक
(ख) व्यक्तिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंधकारक
(ग) जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, संबंधकारक
(घ) व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकबचन, पुल्लिंग, कर्त्ताकारक
उत्तर:
(क) जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंधकारक
व्याख्या-खीरे-जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, सम्बन्ध कारक है।
(ii) पनियाती |
(क) गुणवाचक विशेषण, ‘फाँकें’ विशेष्य, स्त्रीलिंग, बहुवचन
(ख) गुणवाचक विशेषण, “खीरे’ विशेष्य, स्त्रीलिंग, बहुवचन
(ग) गुणवाचक विशेषण, ‘फाँकें’ विशेष्य, पुल्लिंग, बहुवचन
(घ) गुणवाचक विशेषण, ‘खीरे’ विशेष्य, स्त्रीलिंग, एकवचन
उत्तर:
(क) गुणवाचक विशेषण, ‘फाँकें’ विशेष्य, स्त्रीलिंग, बहुवचन
(iii) खूब
(क) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, “देखकर ‘ क्रिया का विशेषण
(ख) परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, ‘आ रहा था’ क्रिया का विशेषण
(ग) स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, “देखकर ‘ क्रिया का विशेषण
(घ) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, ‘ आ रहा था क्रिया का विशेषण
उत्तर:
(ख) परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, ‘आ रहा था’ क्रिया का विशेषण
(iv) लेकिन
(क) समानाधिकरण समुच्चयबोधक योजक, दो वाक्य जोड़ रहा है।
(ख) समानाधिकरण समुच्चयबोधक योजक, दो शब्दों को जोड़ रहा है।
(गु) व्यधिकरण समुच्चयबोधक योजक, दो वाक्यों को जोड़ रहा है।
(घ) व्यधिकरण समुच्चयबोधक योजक, दो शब्दों को जोड़ रहा है।
उत्तर:
(क) समानाधिकरण समुच्चयबोधक योजक, दो वाक्य जोड़ रहा है।
(v) वे
(क) अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्त्ताकारक
(ख) अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्त्तकारक
(ग) निश्चयवाचक सर्वनाम, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्त्ताकारक
(घ) निश्चयवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्त्तकारक
उत्तर:
(घ) निश्चयवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्त्तकारक
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक।
जो करते विप्लव, उन्हें ‘हरि’ का है आतंक।।’
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(i) श्लेष प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में ‘ हरि’ शब्द एक बार प्रयुक्त हुआ है, परंतु उसके दो अर्थ निकलते हैं। पहला अर्थ है-बंदर एवं दूसरा अर्थ है-भगवान। इसलिए यहाँ श्लेष अलंकार है।
(ख) ‘एक दिन बोला यूँ पुष्प डाल से, लगते हैं कुछ हाल तुम्हारे निढाल से’ इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
उत्तर :
(iii) मानवीकरण काव्यांश में पुष्प डाल से बोलने जैसी मानवीय क्रिया कर रहा है। अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।
(ग) ‘परवल पाक, फाट हिय गेहूँ।’ इस काव्य पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(iv) अतिशयोक्ति प्रस्तुत पंक्ति में गेहूँ का ह्ददय फट गया। यह बात बढ़ा-चड़ाकर बोली गई है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
(घ) “बहुत काली सिल जरा-से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो” इन पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(ii) उत्रेक्षा प्रस्तुत पंक्ति में बहुत काले पत्थर की जरा से लाल केसर से धुलने की कल्पना की गई है। अतः यहाँ उत्रेक्षा अलंकार है।
(ङ) ‘मैं बरजी कैबार तू, इतकल लेती करौटं।
(iv) अतिशयोक्ति पंखुरी लगे गुलाब की, परि है गात खरौटं। इन काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त अंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(iv) अतिशयोक्ति यहाँ गुलाब की पंखुड़ियों से चोट लगने की बात कही गई है, जोकि असंभव है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
पानवाले के लिए यह एक मज़ेदार बात थी, लेकिन हालदार साहब के लिए चकित और द्रवित करने वाली। यानी वह ठीक ही सोच रहे थे। मूर्ति के नीचे लिखा ‘मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल’ वाकई कस्बे का अध्यापक था। बेचारे ने महीने-भर में मूर्ति बनाकर पटक देने का वादा कर दिया होगा। बना भी ली होगी, लेकिन पत्थर में पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया ज़ाए काँचवाला-यह तय नहीं कर पाया होगा। या कोशिश की होगी और असफ़ल रहा होगा या बनाते-बनाते “कुछ और बारीकी ‘ के चक्कर में चश्मा टूट गया होगा। या पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा।उफ …….. !
(i) हालदार साहब के लिए कौन-सी बात चकित और द्रवित करने वाली थी? ह
(क) मूर्ति बनाने वाला कस्बे का एक अध्यापक था
(ख) मूर्ति बहुत सुन्दर थी
(ग) मूर्ति को बनाने वाला कोई बड़ा कलाकार नहीं था
(घ) मूर्ति बहुत थोड़े समय में बनाई गई थी
उत्तर:
(क) मूर्ति बनाने वाला कस्बे का एक अध्यापक था
व्याख्या-हालदार साहब का अनुमान था कि मूर्ति बनाने के लिए बाकायदा टेण्डर निकालकर किसी मूर्तिकार को मूर्ति बनाने का ऑर्डर दिया गया होगा लेकिन इतनी सुंदर मूर्ति कस्बे के ही एक अध्यापक ने बनाई है, बात जान वे चकित हो गए।
(ii) मूर्तिकार क्या तय नहीं कर पाया होगा ?
(क) मूर्ति इतनी जल्दी कैसे पूरी की जाए?
(ख) मूर्ति के लिए संगमरमर पत्थर कहाँ से लाया जाए?
(ग) मूर्ति के लिए पत्थर का पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए?
(घ) मूर्ति पर कौन-सा चश्मा फिट किया जाए?
उत्तर:
(ग) मूर्ति के लिए पत्थर का पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए?
व्याख्या-मूर्ति संगमरमर की थी, लेकिन मूर्तिकार शायद पत्थर का पारदर्शी चश्मा बनाना नहीं जानता होगा इसीलिए चश्मा विहीन मूर्ति पर रीयल चश्मा लगाना पड़ा।
(iii) ‘कुछ और बारीकी के चक्कर में “वाक्य का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है? है ।
(क) काँच के चश्मे के संबंध में
(ख) मूर्ति को सुंदर बनाने के संबंध में
(ग) मूर्ति को जल्दी बनाने के संबंध में
(घ) मूर्ति को नेताजी जैसा दिखाने के संबंध में
उत्तर:
(क) काँच के चश्मे के संबंध में
(iv) ‘पारदर्शी’ का अर्थ है-
(क) जिसके आर-पार न देखा जा सके
(ख) जिसके आर-पार देखा जा सके
(ग) जिसके आर-पार धुँधला दिखाई दे
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) जिसके आर-पार देखा जा सके
(v) मूर्ति बनाने वाला कहाँ काम करता था
(क) वह कस्बे के स्कूल में चपरासी था
(ख) वह कस्बे के स्कूल में गणित का अध्यापक था
(गं) वह कस्बे के स्कूल में प्रधानाचार्य था
(घ) वह कस्बे के स्कूल में ड्राइंग मास्टर था
उत्तर:
(घ) वह कस्बे के स्कूल में ड्राइंग मास्टर था
प्रश्न 8.
क्षितिज के गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में लेखक ने किस पर कटाक्ष किया है?
(i) सामंती वर्ग की बनावटी जीवन-शैली पर
(ii) सामंती वर्ग की यथार्थवादी जीवन-शैली पर
(iii) सामान्य जनजीवन पर
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) सामंती वर्ग की बनावटी जीवन-शैली पर पाठ में लेखक ने उस सामंती वर्ग की बनावटी जीवन-सौली पर कटाक्ष किया है, जो वास्तविकता से बेखबर कृत्रिम जीवन जीने में विश्वास रखता है।
(ख) ‘संस्कृति’ पाठ के आथार पर बताइए कि वास्तव में ‘संस्कृत व्यक्ति’ कौन है?
(i) जो व्यक्ति अपनी बुद्धि व विवेक से समाज को किसी नए तथ्य से अवगत कराता है
(ii) जो व्यक्ति अपनी संस्कृति को भली-भाँति समझता है
(iii) जो व्यक्ति अपने प्राचीन रीति-रिवाजों व परंपराओं से बँधा रहता है
(iv) जो व्यक्ति सफलता के नए सोपान चढ़ता है
उत्तर :
(i) जो व्यक्ति अपनी बुद्धि व विवेक से समाज को किसी नए तथ्य से अवगत कराता है वही व्यक्ति वास्तव में ‘संस्कृत व्यक्ति’ है, जो अपनी बुद्धि व विवेक से समाज को किसी नए तथ्य से अवगत कराता है और अनुसंधान करता है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा
सुनत लखन के बचन कठोरा। परसु सुधारि धरेउ कर घोरा।।
अब जनि देइ दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालकु बधजोगू।।
बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा। अब येहु मरनिहार भा साँचा।।
‘कौसिक कहा छमिअ अपराधू। बाल रोष गुन गनहिं न साधू।।
खर कुठार मैं अकरुन कोही। आगे अपराधी गुरुद्रोही ।।
उतर देत छोड़ों बिनु मारे। केवल कौसिक सील तुम्हारे।।
न त येहि काटि कुठार कठोरे। गुरहि उरिन होतेडँ श्रम थोरे।।
गाधिसूनु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहूँ न बूझ अबूझ।।
(i) विश्वामित्र परशुराम के किस व्यवहार पर मन ही मन हँसे ? १
(क) परशुराम की अज्ञानता पर।
(ख) परशुराम के अकारण क्रोधित होने पर।
(ग) परशुराम-राम-लक्ष्मण को साधारण क्षत्रिय समझ रहे थे।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ग) परशुराम-राम-लक्ष्मण को साधारण क्षत्रिय समझ रहे थे।
व्याख्या-परशुराम राम-लक्ष्मण को साधारण राजकुमार व बालक समझ रहे थे जबकि विश्वामित्र वास्तविकता जानते थे अत: वे परशुराम की अज्ञानता व क्रोध पर मन ही मन हँसने लगे।
(ii) परशुराम के गुरु कौन थे? है]
(क) विश्वामित्र।
(ख) शिवजी।
(ग) विष्णु।
(घ) श्रीकृष्ण।
उत्तर:
(ख) शिवजी।
(iii) ‘गाधिसूनु कह हृदय हसि’ यहाँ ‘गाथिसूनु’ किसे कहा गया है? |
(क) मुनि परशुराम को।
(ख) मुनि देवर्षि को।
(ग) मुनि दधीचि को।
(घ) गाधि के पुत्र विश्वामित्र को।
उत्तर:
(घ) गाधि के पुत्र विश्वामित्र को।
व्याख्या-गाधिसूनु का अर्थ है-गाधि का पुत्र। विश्वामित्र गाधि के पुत्र थे।
(iv) ऊखमय व अयमय खाँड़ से क्या तात्पर्य है? है|
(क) गन्ने के रस से बनी खाँड़।
(ख) लोहे से बनी खाँड़ (तलवार)।
(ग) (क), (ख) दोनों।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) (क), (ख) दोनों।
(v) लक्ष्मण के अपराध को क्षमा करने के लिए विश्वामित्र ने क्या कहा? ह।
(क) साधु लोग सज्जन नहीं होते हैं।
(ख) साधुजन बालकों के गुण-दोषों पर ध्यान नहीं देते।
(ग) साधु पुरुष अबोध मानकर क्षमा ही नहीं करते है।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ख) साधुजन बालकों के गुण-दोषों पर ध्यान नहीं देते।
व्याख्या-विश्वामित्र परशुराम को शांत करने हेतु परशुराम से कहते हैं कि लक्ष्मण अभी बालक हैं और आप जैसे ज्ञानी साधुजन बालकों की बातों पर नाराज नहीं होते वरन् उनकी नादानी को अनदेखा कर देते हैं।
प्रश्न 10.
पाठ्यपुस्तक में निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त त्रिकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘पद’ के आधार पर बताइए कि श्रीकृष्ण ने उद्धव के माध्यम से निर्गुण ब्रह्म एवं योग का संदेश किस उद्देश्य से भेजा?
(i) गोपियों की पीड़ा को कम करने के लिए
(ii) गोपियों की पीड़ा को बढ़ाने के लिए
(iii) गोपियों को समझाने के लिए
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) गोपियों की पीड़ा को कम करने के लिए श्रीकृष्ण ने उद्धव के माध्यम से निर्गुण ब्रह्म एवं योग का संदेश गोपियों की पीड़ा को कम करने के उद्देश्य से भेजा।
(ख) ‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि ने क्या दर्शाया है?
(i) फाल्गुन के सौदर्य और उल्लास को
(ii) ग्रीष्म ऋतु के सौददर्य को
(iii) शीत ऋतुतु के सौद्यं को
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) फाल्गुन के सौंदर्य और उल्लास को ‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि ने फाल्गुन के सौंदर्य और उल्लास को दर्शाया है। चारों ओर फाल्गुन की शोभा संपूर्ण वातावरण में इतनी फैली हुई है कि वह कवि के तन में समा नहीं पा रही है अर्थात् कवि उसके सौदर्य का वर्णन शब्दों में नहीं कर सकत्ता। इस समय चारों ओर फूल खिलते हैं और फूलों की खुशबू प्रकृति को सुगंधित कर देती है। यह सब देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है।
रखण्ड ‘ब’ वर्णनात्मक-प्रश्न (40 अंक)
प्रश्न 11.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए- (2 × 3 = 6)
(i) भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार “संस्कृति’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लेखक ने आग का आविष्कार और सुई-धागे का आविष्कार मनुष्य की खोजने की शक्ति का परिणाम बताया है। इसे ही वह संस्कृति मानते हैं। जिस मनुष्य की खोज प्रवृत्ति जितनी अधिक सुदृढ़ होगी वह उतना ही अच्छा आविष्कार करेगा और उतना ही संस्कृत व्यक्ति भी बनेगा।
(ii) “नवाब साहब ने खीरे बाहर फेंक दिए’- आपकी दृष्टि में उनका यह व्यवहार कहाँ तक उचित है?
उत्तर:
“नवाब साहब ने खीरे बाहर फेंक दिए’ हमारी दृष्टि में उनका यह व्यवहार बिल्कुल भी उचित नहीं है। स्वयं को श्रेष्ठ दिखाने के लिए उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। उनका ऐसा करना दिखावे की संस्कृति का परिचायक है।
(iii) हम कैसे कह सकते हैं कि मन्नू भण्डारी के पिता बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे ?
उत्तर:
मन्नू भण्डारी के पिता बहुत ही विद्वान व्यक्ति थे। वह सदा पढ़ने-लिखने में ही व्यस्त रहते थे। वह बिना किसी स्वार्थ के दूसरे लोगों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते थे।
(iv) भारत रत्न बिस्मिल्ला खाँ पर “सादा जीवन उच्च विचार’ वाली कहावत चरितार्थ होती है, कैसे ?
उत्तर:
भारत रत्न मिलने पर भी बिस्मिल्ला खाँ ने कभी स्वयं पर घमण्ड नहीं किया। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता को कायम रखने का प्रयास किया। एक दिन उन्होंने फटी लुँगिया पहनी तो उनकी एक शिष्या ने मना किया तब उन्होंने शिष्या को समझाया कि मनुष्य की प्रतिभा महत्त्वपूर्ण होती है न कि दिखावा।
प्रश्न 12.
निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 – 30 शब्दों में लिखिए (2 × 3 = 6)
(क) “राज धरम तो यहै ‘सूर’, जो प्रजा ने जाहि सताए” ‘पद’ के आधार पर बताइए कि पंक्ति में गोपियों की कौन-सी आकांक्षा निहित है?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में गोपियों कृष्ण को राजधर्म का स्मरण कराते हुए कहती हैं कि प्रजा को सताना या उन पर अत्याचार करना राजधर्म नहीं है। इस उक्ति के पीछे उनकी यह आकांक्षा निहित है कि कृष्ण स्वर्य गोपियों से मिलने के लिए उनके पास आएँ और उनकी विरह व्यथा को दूर करें।
(ख) ‘उत्साह’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने किसके विरोध पर बल दिया है?
उत्तर :
‘उत्साह’ एक प्रतीकात्मक कविता है, जिसमें कवि निराला ने बादलों के माध्यम से सामाजिक विकृतियों का विरोध करने पर बल दिया है। उनका मानना है कि समाज में परिवर्तन केवल क्रांति के माध्यम से ही लाया जा सकता है।
(ग) ‘संगतकार’ काव्य के आथार पर बताइए कि संगतकार द्वारा स्थायी को सँभाल रखने की तुलना किन-किन बातों से की गई है?
उत्तर :
संगतकार द्वारा स्थायी को संभाले रखने की तुलना मुख्य गायक के गायन के उपरांत पीछे छूटे हुए सामान को समेटने से की गई है, क्योंकि सुरों के साथ उसके सामान को सँभालना वह अपना दायित्व समझता है। इसके अतिरिक्त उसकी तुलना किसी नौसिखिए अर्थात् नए-नए सीखने वाले के सुरों में होने वाले भटकाय की याद दिलाने वाले से की है, जो उसके भटकाव को दूर करने में उसकी सहायता करते थे।
(घ) सूरदास के पद के आधार पर बताइए कि कृष्ण के किस कार्य को गोपियाँ अन्याय मानती हैं?
उत्तर :
गोपियाँ कृष्ण की अनन्य मेमिका हैं। भीकृष्ण से एक क्षण का वियोग भी वे सहन नहीं कर सकती हैं। कृष्ण उनकी विरह वेदना से भली-भाँति परिचित होते हुए भी उनसे मिलने न आकर उन्हें योग साथना का मार्ग अपनाने का संदेश उद्धव द्वारा भिजवाते हैं। श्रीकृष्ण के इस कार्य को गोपियाँ अन्याय मानती हैं।
प्रश्न 13.
पूरक पाठ्य-पुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(i) “माता का अँचल! पाठ में बच्चों की दिनचर्या आजकल के बच्चों की दिनचर्या से भिन्न है, कैसे ? उदाहरण सहित स्पष्ट ‘कौजिए।
उत्तर:
उस समय लोग अधिकतर संयुक्त परिवार में रहते थे तथा ग्रामीण जीवन के अधिक निकट थे। पाठ में वर्णित भोलानाथ के पिता स्वयं के साथ भोलानाथ को भी पूजा में बैठाते थे तथा रामायण का पाठ करते थे। भोलानाथ अपने साथियों के साथ खेल में फ़लल उगाता था, बारात का भी खेल खेलता था लेकिन आज कई परिवर्तन आ गए हैं। खेल के नए उपकरण आ गए हैं। बच्चों के पालन-पोषण में भी फ़र्क आ गया है। बच्चे आज मोबाइल पर अधिक निर्भर हो गए हैं।
(ii) ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के संदर्भ में लिखिए कि प्राकृतिक जल संचय की व्यवस्था को कैसे सुधारा जा सकता है? इस दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
जल संचय की व्यवस्था प्रकृति ने बर्फ़ के रूप में की है। प्रत्येक वर्ष बर्फ़ हिमालय से गिरती है और पिघलकर वे नदियों में जाकर मिल जाती है। गाँवों में इन्हीं नदियों के पानी के माध्यम से सिंचाई व्यवस्था की जाती है। मानव जीवन के लिए जल आवश्यक है। इसलिए हमें इसकी स्वच्छता पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
(iii) ‘मैं क्यों लिखता हूँ” पाठ के संदर्भ में लिखिए कि आपके विचार से विज्ञान का दुरुपयोग कैसे हो रहा है और उससे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:
पाठ के अन्तर्गत हिरोशिमा के बिस्फोट की चर्चा हुई है जिसमें विज्ञान का दुरुपयोग बुरी तरह से किया गया है। रेडियोधर्मी पदार्थ की किरणों ने वहाँ के पत्थर को भी बुरी तरह से झुलसा दिया था। आदमी तो भाप बनकर ही उड़ गया होगा। आज आतंकवादी संसार में किसी भी जगह विस्फोट कर देते हैं। अनावश्यक वैज्ञानिक खोज और उत्पाद को रोककर हम विज्ञान के दुरुययोग को कम कर सकते हैं।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) सिकुड़े वन बिगड़ता पर्यावरण
संकेत बिंदु –
- भूमिका
- सिकुड़ते वन
- वनों का महत्त्व
- पर्यावरण पर प्रभाव
उत्तर :
सिकुड़ते वन बिगड़ता पर्यावरण
आज विश्व में विकास की अंधी दौड़ में बड़ी तेजी से वनों को काटा जा रहा है, जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इसी कारण पृथ्वी पर जीवों के अस्तित्य के लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है। वनों का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। इनसे हमें जीवन रक्षक जड़ी-बूटियाँ, औषधियाँ, इंचन आदि मिलता है। साथ ही हरे-भरे पेड़ों से हमें ऑक्सीजन मिलती है, जो जीवित रहने के लिए परम आवश्यक है। वृक्षों से पर्यावरण संतुलन बना रहता है, क्योंकि जीवों द्वारा उत्सर्जित कार्बन-डाइ ऑक्साइड को पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में शोषित कर लेते हैं तथा बदले में ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। दूसरी ओर जंगलों के कारण बारिश होती है। यनों के रहने से पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बाँधने का कार्य करती हैं, जिससे भूमि कटाव तथा भूरखलन नहीं होता या कम होता है। आधुनिक समय में जनसंख्या वृद्धि के साथ जंगलों का विनाश बढ़ गया है।
पेड़ों और जंगलों से हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, परंतु तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण मानय अपनी आवश्यकताओं के लिए अधधाधुध जंगलों का दिनाश कर रहा है। यही कारण है कि आज जंगलों का अस्तित्व खतरे में है। शहरीकरण का दबाव, बढ़ती आबादी और तेजी से विकास की भूख ने हमें प्रकृति से वंचित कर दिया है। जब मनुष्य ने जंगलों को काटकर बस्तियाँ बसाई थीं और खेती शुरू की, तब यह सभ्यता के विस्तार की शुरुआत थी, किंतु विकास के नाम पर मनुष्य की अपनी स्वार्थ पूर्ति के चलते जंगलों की कटाई का सिलसिला लगातार चलता रहा है। यदि जंगल नहीं बचे, तो हमारी सभ्यता का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। सिकुड़ते वनों के कारण अब हमें शुद्ध वायु, जल और धरातल मुश्कित से प्राप्त हो रहे हैं।
यह हमारे स्वास्थ्य और जीवन के लिए कष्टदायक और अवरोधक स्थिति है। वनों के अभाव के कारण विभिन्न प्रकार के जंगली जीव-जंतुओं की भारी कमी हो रही है। इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। अंततः कहा जा सकता है कि पृथ्वी पर सभी प्राणियों का अस्तित्व बचाने के लिए पेड़-पौधों को मित्र समझकर उनकी रक्षा करना आवश्यक है। सरकार के साथ-साथ प्रत्येक नागरिक को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों का विनाश करके पर्यावरण को हानि नहीं पहुँचाएगा।
(ख) सिनेमा और युवा पीढ़ी
संकेत बिंदु –
- भूमिका
- युवा पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव
- युवा पीढ़ी पर सकारात्मक प्रभाव
- उद्देश्य प्रधान सिनेमा की आवश्यकता
उत्तर :
सिनेमा और युवा पीढ़ी
आज के आधुनिक युग में सिनेमा का हमारे जीवन में प्रभाव बहुत अधिक बढ़ गया है। फिल्में हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई हैं। बच्चे-बूढ़ सभी फिल्मों की नकल करने की कोशिश करते है। युवा पीढ़ी की बात की जाए तो सिनेमा का प्रभाव उन पर सबसे अधिक पड़ता है। सिनेमा के बहुत सारे प्रभाव हैं, जिनसे युवा पीढ़ी सबसे अधिक प्रभावित होती है। सिनेमा एक तरफ जहाँ हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव डालता है, वहीं दूसरी ओर इसका युरा प्रभाव भी होता है। सभी फिल्में विभिन्न प्रकार के दर्शकों की रुचि को पूरा करने के लिए बनाई जाती हैं। ऐसी फिल्मों, जिनमें शिक्षाप्रद सामग्री शामिल होती है, को देखने से युवा पीढ़ी का ज्ञान बढ़ता है और उन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
दूसरी ओर, फिल्में युवा पीढ़ी के लिए मनोरंजन के रूप में भी सहायक सिद्ध होती हैं। अत्यधिक सिनेमा देखना युवाओं के लिए समय की बर्बादी बन जाता है। कई युवाओं को फिल्मों की लत लग जाती है और वे अपना कीमती समय पढ़ाई के स्थान पर फिल्में देखने में नष्ट कर देते हैं। आजकल ऐसी कई फिल्में प्रदर्शित हो रही हैं, जो अपना दुष्प्रभाव सीथा दर्शक पर छोड़ती है, जिनमें नए-्नए फैशन दर्शकों को दिखाए जाते हैं। फिल्मों में दिखाए गए चोरी, डकैती, बलात्कार के दृश्यी से युवा पीढ़ी पर बहुत अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और देश की संस्कृति भी इससे प्रभावित होती है।
सिनेमा युवा पीद़ी की मानसिकता पर सीधा प्रभाव डालता है। कभी-कभी तो वे स्वयं को खतरे में भी डाल लेते हैं और जीवन को बर्बाद कर लेते है। वास्तव में, सिनेमा के कुछ लाभ हैं, तो बहुत अधिक हानि भी है। फिल्मों ने हमारे सामाजिक जीवन को विकृत कर दिया है। इसमें सुधार लाने के लिए सामाजिक उद्देश्य प्रधान फिल्मों के निर्माण की आवश्यकता है। फिल्मों में मनोरंजन के साथ-साथ मार्गदर्शन भी होना चाहिए। युवा पीढ़ी देश की भावी निर्माता है। उन पर फिल्मों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ऐसी फिल्मों का निर्माण होना चाहिए, जिनमें मनोरंजन और मार्गदर्शन दोनों का सम्भिलित पुट हो।
(ग) राष्ट्रीय एकता
संकेत बिंदु –
- भूमिका
- राष्ट्रीय एकता के अभाव के दुष्परिणाम
- महत्त्व एवं आवश्यकता
- राष्ट्रीय एकता में बाधक तत्त्व
उत्तर :
राष्ट्रीय एकता
राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य राष्ट्र के विभिन्न घटकों में परस्पर एकता, प्रेम एवं भाईचारा विद्यमान रहने से है, भले ही उनमें विचारों और आस्थाओं के आधार पर असमानता क्यों न हो। राष्ट्रीय एकता किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए सर्वाधिक महत्त्चपूर्ण मानी गई है। एकता में असीम शक्ति होती है, जिस प्रकार छोटी-छोटी इकाइयाँ परस्पर संगठित होकर बलवती हो जाती हैं, उसी प्रकार एक राष्ट्र की छोटी-छोटी इकाइयाँ अर्थात् उसके नागरिक मिलकर राष्ट्र को बलवान बनाते हैं। राष्ट्रीयता के लिए भौगोलिक सीमाएँ, राजनीतिक चेतना और सास्कृतिक एकबद्धता अनिवार्य होती है। राष्ट्र की आंतरिक शांति तथा सुव्यवस्था बनाए रखने और बाहरी दुश्मनों से रक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है। यदि हम भारतवासी किसी कारणवश छिन्न-भिन्न हो गए, तो हमारी पारस्परिक फूट को देखकर अन्य देश इसका लाभ उठाने की कोशिश करेंगे।
यदि हमारा देश संगकित है, तो विश्व पटल पर इसे बड़ी शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। एकता तथा सामूहिक प्रयास के कारण देश सदा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है। जिस प्रकार समाज, जाति या परिवार में एकता का अभाव होने से वह विखंडित हो जाता है, उसी प्रकार राष्ट्रीय एकता के अभाव में राष्ट्र खंडित हो जाता है। प्राचीन समय में हमारे देश में लोग मिल-जुलकर रहते थे, परंतु धीरे-धीरे यहाँ के लोग धर्म के नाम पर बेंट गए और अपने-अपने व्यक्तिगत हितों के लिए आपस में ही लड़ने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि हमें अंग्रेजों ने अपना गुलाम बना लिया।
सबसे अधिक दु:ख की बात तो यह है कि हमें गुलामी के साथ-साथ विभाजन का दर्द भी सहना पड़ा। अतः हमें अपने इतिहास से सीख लेकर अपनी राष्ट्रीय एकत्ता को बनाए रखना चाहिए, जिससे भविध्य में कोई हमारा शोषण न कर पाए। यद्यपि अंग्रेजों से तो हम आज़ाद हो गए है, परंतु अभी भी हम देख रहे है कि आतंकवाद, सांप्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जातीयता, अशिक्षा आदि ने देश को आक्रांत कर रखा है। ये सभी हमारी राष्ट्रीय एकता के विकास में बाधक हैं। अतः हमें शीघ ही इनका समाधान करना होगा।
प्रश्न 15.
किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5 × 1 = 5)
आप तनुज/तनुजा हैं। विद्यालय के पुस्तकालय में छात्रों को समसामयिक विषयों पर पुस्तकों का अभाव खटकता है। प्रधानाचार्य जी को लगभग 00 शब्दों में पत्र लिखकर इस विषय से संबंधित पुस्तकें मँगवाने के लिए निवेदन कीजिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
परीक्षा केन्द्र
दिनांक- 20 मई xxxx
सेवा में,
प्रधानाचार्य
मीरा बाई इण्टर कॉलेज
आगरा
विषय-विद्यालय में समसामयिक विषयों की पुस्तकें मँगवाने हेतु
महोदय/महोदया,
सविनय निवेदन यह है कि हमारे विद्यालय के पुस्तकालय में समसामयिक विषयों पर पुस्तक नहीं हैं। आगामी दिनों में जी. के. की परीक्षा होने वाली हैं। कक्षा 2वीं. के छात्र इस परीक्षा में अव्वल आना चाहते हैं इसलिए उन्हें समसामयिक विषयों से संबंधित पुस्तकों की आवश्यकता पड़ रही है। ये पुस्तकें परीक्षा के साथ-साथ हमारे ज्ञानवर्धन में भी सहायक हैं।
अतः आप हमारे स्कूल के पुस्तकालय में भी समसामयिक विषयों से सम्बन्धित पुस्तकें मँगवाने की अनुमति प्रदान करें।
आपके इस कदम से कक्षा १2वीं के छात्र आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
तनुज
कक्षा-12वीं
अथवा
आप विभू/विभूति हैं। अपने मित्र तेजस्विन शंकर को राष्ट्रमंडल खेल में ऊँची कूद के लिए पदक जीतने पर लगभग 100 शब्दों में बधाई-पत्र लिखिए।
उत्तर:
61/2 त्रिवेणी नगर
कमला नगर
आगरा
दिनांक: 26 अप्रैल xxxx
प्रिय तेजस्विन
मधुर स्नेह।
कल अखबार के माध्यम से मुझे पता चला कि राष्ट्रमंडल खेल में तुम्हें ऊँची कूद के लिए पदक मिला है। तुम्हारी माँ को और हमें तुम पर गर्व है। तुमने अपने परिवार के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन किया है। तुम्हारी इस जीत के लिए तुम्हें बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ मेरे माता-पिता ने भी तुम्हें शुभकामनाएँ और ढेर सारा आशीर्वाद भेजा है। ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है कि तुम अपने जीवन में इसी प्रकार सफ़लता प्राप्त करते रहो और अपने देश का नाम भी रोशन करो। अपने माता-पिता को मेरा नमस्कार कहना। तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा रहेगी।
तुम्हारा मित्र
विभू
प्रश्न 16.
आप प्रतिभा शर्मा हैं। आप एक समाजसेविका के रूप में कार्य कर रही हैं और आँगनबाड़ी में सहायिका पद के लिए आवेदन करना चाहती हैं, इसके लिए आप अपना एक संक्षिप्त स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों में तैयार कीजिए। (5)
अधवा
आप जितेंद्र त्यागी हैं। आप शिपिंग कंपनी से सामान भेजने के लिए जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। इस संदर्भ में लगभग 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए।
उत्तर :
स्ववृत्त-
नाम : प्रतिभा शर्मा
पिता का नाम : विराज शर्मा
माता का नाम : साक्षी शर्मा
जन्म तिथि : 5 जुलाई, 19XX
वर्तमान पता : मकान नंबर 32, शिवाजी नगर, अजमेर (राजस्थान)
स्थायी पता : अ-69, सूर्या कॉलोनी, अजमेर (राजस्थान)
दूरभाष नंबर : 0140-56283XX
मोबाइल नंबर : 8867 X X X X X
ई-मेल : 17 [email protected]
शैक्षणिक योग्यताएँ
अन्य संबंधित योग्यताएँ
- कंप्यूटर का ज्ञान
- डे-कैंपों व ओवर-नाइट-कैंपों के आयोजन का अनुभव
- राजस्थानी भाषा का विशेष ज्ञान
उपलब्धियाँ
- वाद-विवाद राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता, प्रथम पुरस्कार, 2013
- आशुभाषण प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर (द्वितीय पुरस्कार) 2016
कार्योत्तर गतिविधियाँ तथा अभिरुचियाँ
- समाजसेविका के रूप में कार्यरत्
- अनाथ आश्रमों व मदर टेरेसा होम का नियमित अंतराल पर दौरा
- समाचार-पत्र का नियमित पठन
संदर्भित व्यक्तियों का विवरण
- श्री गणेश लाल चौधरी, सरपंच ग्राम तिलोनिया
- श्रीमती रीता मल्होत्रा, प्रिंसिपल डी.ए.वी. कॉलेज, अजमेर
तिथि : 7.10.20XX
स्थान : अजमेर
प्रतिभा शर्मा
हस्ताक्षर
अथवा
प्रश्न 17.
आपके पिताजी ने पाठ्यपुस्तकों की दुकान खोली है, उसके प्रचार के लिए लगभग 40 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए। (4 × 1 = 4)
उत्तर:
अथवा
ईद पर अपने मित्र को लगभग 40 शब्दों में बधाई संदेश भेजिए।
उत्तर:
दिनांक- 21/9/xxxx
समय- 8.00 am
प्रिय सुमित,
ईद का त्योहार आया है, अपने संग हजारों खुशियाँ लाया है। अल्लाह से यही दुआ है कि तुम सदैव खुश रहो और अपने जीवन में सफ़लता प्राप्त करो। इस ईद के अवसर पर अल्लाह तुम्हारे जीवन में और तुम्हारे परिवार के जीवन में रहमत बरसे। ईद की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ मेरे प्रिय दोस्त ! तुम भी सदैव ईद के चाँद की तरह जगमगाते रहो।
तुम्हारा प्रिय मित्र
सिद्धार्थ