Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Course A Set 1 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 1 with Solutions
समय : 3 घण्टे
‘पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
(i). इस प्रश्नपत्र में दो खंड हैं- खंड “अ” और “ब”। खंड अ में वस्तुपरक / बहुविकल्पीय और खंड-ब में वस्तुनिष्ठ वर्णनात्मक प्रश्न दिए यए हैं।
(ii) प्रश्नपत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
(iii) यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
(iv) खंड ‘अ’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपग्रश्नों की संख्या 44 हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपग्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य हैं।
(v) खंड “ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए यए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
रण्ड ‘अ’ वस्तुपरक-प्रश्न (40 अंक)
अपठित गद्यांश
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय / वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
हमारे देश में हिंदी फ़िल्मों के गीत अपने आरंभ से ही आम दर्शक के सुख-दुःख के साथी रहे हैं। वर्तमान समय में हिंदी फ़िल्मों के गीतों ने आम जन के हृदय में लोकगीतों सी आत्मीय जगह बना ली है। जिस तरह से एक ज़माने में लोकगीत जनमानस से सुख-दुःख, आकांक्षा, उल्लास और उम्मीद को स्वर देते थे, आज फ़िल्मी गीत उसी भूमिका को निभा रहे हैं। इतना ही नहीं देश की विविधता को एकता के सूत्र में बाँधने में हिंदी फ़िल्मी का योगदान सभी स्वीकार करते हैं। हिंदी भाषा की शब्द संपदा को समृद्ध करने का जो काम राजभाषा विभाग तत्सम् शब्दों की सहायता से कर रहा है वही कार्य फ़िल्मी गीत और डायलॉग लिखने वाले विविध क्षेत्रीय भाषाओं के मेल से करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। यह गाने जन-जन के गीत इसी कारण बन सके क्योंकि इनमें राजनीति के उतार-चढ़ाव की अनुगूंजों के साथ देहाती कस्बाई और नए बने शहरों का देशज जीवन दर्शन भी आत्मसात् किया जाता रहा है। भारत की जिस गंगा-जमुनी संस्कृति का महिमामंडन बहुथा होता है उसकी गूंज भी इन गीतों में मिलती है। आजादी की लड़ाई के दौरान लिखे प्रदीप के गीत हों या स्वाधीनता प्राप्ति साथ ही होने वाले देश के विभाजन की विभीषिका, सभी को भी इन गीतों में बहुत संवेदनशील रूप से व्यक्त किया गया है।
हिंदी फ़िल्मी गीतों के इस संसार में हिंदी-उर्दू का ‘झगड़ा” भी कभी पनप नहीं सका। प्रदीप, नीरज जैसे शानदार हिंदी कवियों, इंदीवर तथा शैलेंद्र जैसे श्रेष्ठ गीतकारों और साहिर, कैफ़ी, मजरूह जैसे मशहूर शायरों को हिंदी सिनेमा में हमेशा एक ही बिरादरी का माना जाता रहा है। यह सिनेमा की इस दुनिया की ही खासियत है कि एक तरफ़ गीतकार साहिर ने ‘कहाँ हैं कहाँ हैं/मुहाफ़िज खुदी के/जिन्हें नाज है हिंद पर/वो कहाँ हैं” लिखा तो दूसरी तरफ़ उन्होंने ही ‘संसार से भागे फिरते हो/भगवान को तुम क्या पाओगे।/ये भोग भी एक तपस्या है/तुम प्यार के मारे क्या जानोगे/अपमान रचयिता को होगा/रचना को अगर ठुकरा ओगे!! जैसी पंक्तियाँ भी रची हैं। परवर्तियों में गुलजार ऐसे गीतकार हैं जिन्होंने उर्दू, हिंदी, पंजाबी, राजस्थानी के साथ पुरबिया बोलियों में मन को मोह लेने वाले गीतों की रचना की है। बंदिनी के “मोरा गोरा अंग लइले, मोहे श्याम रंग दइदे ‘, “कजरारे-कजरारे तेरे कारे-कारे नयना !”, “यारा सिली सिली रात का ढलना” और “चप्पा चप्पा चरखा चले ‘ जैसे गीतों को रचकर उन्होंने भारत की साझा संस्कृति को मूर्तिमान कर दिया है। वस्तुत: भारत में बनने वाली फ़िल्मों में आने वाले गीत उसे विश्व-सिनेमा में एक अलग पहचान देते हैं। ये गीत सही मायने में भारतीय संस्कृति की खूबसूरती को अभिव्यक्त करते हैं।
(i) हिन्दी फिल्मी गीतों और लोकगीतों में क्या समानता है?
(क) ये लोगों के रीति-रिवाज़ों, उनकी लालसाओं, उनकी सोच और कल्पनाओं को स्वर देते हैं।
(ख) ये लोगों के जीवन के अनुभवों, आमोद-प्रमोद, विचारों और दर्शन को स्वर देते हैं।
(ग) ये लोगों के आनंद, उनके शोक, उनके हर्ष और उनकी आशाओं को स्वर देते हैं।
(घं) ये लोगों के जीवन के यथार्थ और कठोरताओं में जिंदा रहने की चाह को स्वर देते हैं।
उत्तर:
(ग) ये लोगों के आनंद, उनके शोक, उनके हर्ष और उनकी आशाओं को स्वर देते हैं।
व्याख्यात्मक हल:
वर्तमान समय में हिन्दी फ़िल्मों के गीतों ने आम जन के हृदय में लोकगीतों सी आत्मीय जगह बना ली है जिस प्रकार लोकगीत जनमानस के सुख:-दुःख, आकांक्षा, उल्लास और उम्मीद को स्वर देते थे, आज फ़िल्मी गीत उसी भूमिका को निभा रहे हैं।
(ii) हिन्दी भाषा की शब्द सम्पदा को समृद्ध करने का काम फ़िल्मी गीतों ने किस प्रकार किया ?
(क) राजभाषा विभाग से प्रेरणा पाकर
(ख) विभिन क्षेत्रीय भाषाओं के मेल से
(ग) क्षेत्रीय भाषाओं की फ़िल्मों को प्रोत्साहित करके
(घ) विदेशी भाषाओं की फ़िल्मों को हतोत्साहित करके
उत्तर:
(ख) विभिन क्षेत्रीय भाषाओं के मेल से
(iii) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए:
कथन (A): हिन्दी फ़िल्मों के गाने जन-जन के गीत बन गए हैं।
कारण (R): इन गीतों में राजनीति की अनुयूजों के साथ, देहाती, कस्बाई और नए बने शहरों का जीवन दर्शन भी आत्मसात् किया जाता रहा है।
(क) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
(घ) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(ग) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
(iv) “हिन्दी फिल्मी गीतों के इस संसार में हिन्दी-उर्दू का ‘झगड़ा’ भी कभी पनप नहीं सका।’ उपर्युक्त कथन के पक्ष में निम्नलिखित तकों पर विचार कीजिए।
1. यहाँ सभी गीतकारों को एक ही बंधुत्व वर्ग का माना जाता है।
2. ये गीतकार सभी भाषाओं में समान रूप से गीत लिखते हैं।
3. इन गीतकारों में वैमनस्य व प्रतिस्पर्धा का भाव नहीं है।
(क) 1 सही है।
(ख) 2 सही है।
(ग) 3 सही है।
(घ) 1 और 2 सही है।
उत्तर:
(क) 1 सही है।
(v) उपर्युक्त गद्यांश में हिन्दी फ़िल्मी गीतों की किस विशेषता पर सर्वाधिक बल दिया गया है?
(क) ये गीत कलात्मक श्रेष्ठता व सर्वधर्म समभाव को अभिव्यक्त करते हैं।
(ख) ये गीत सांप्रदायिक सद्भाव को अभिव्यक्त करते हैं।
(ग) ये गीत पारस्परिक प्रेम व सद्भाव को अभिव्यक्त करते हैं।
(घ) ये गीत हमारी तहज़ीब की खूबसूरती को अभिव्यक्त करते हैं।
उत्तर:
(घ) ये गीत हमारी तहज़ीब की खूबसूरती को अभिव्यक्त करते हैं।
व्याख्यात्मक हलः
भारत में बनने वाली फ़िल्मों में आने वाले गीत उसे विश्व-सिनेमा में एक अलग पहचान देते हैं। ये गीत सही मायने में भारतीय संस्कृति की खूबसूरती को अभिव्यक्त करते हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय/ वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वधधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं।
भरी थकान में सोते फिर भी –
उठते बड़े सवेरे हैं।
धरती की सेवा करते हैं
कभी न मेहनत से डरते हैं
लू हो चाहे ठण्ड सयानी
चाहे झर-झर बरसे पानी
ये तो मौसम हैं हमने
तूफानों के मुँह फेरे हैं।
खेत लगे हैं अपने घर से
हमको गरज नहीं दफ्तर से
दूर शहर से रहने वाले
सीधे-सादे, भोले-भाले
रखवाले अपने खेतों के
जिनमें बीज बिखेरे हैं।
हाथों में लेकर हल-हँसिया
गाते नई फसल के रसिया
धरती को साड़ी पहनाते
दूर-दूर तक भूख मिटाते
मुट्ठी पर दानों को रखकर
कहते हैं बहुतेरे हैं।
हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं।
भरी थकान में सोते फिर भी-
उठते बड़े सवेरे हैं।।
(क) ‘हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं!’ में ‘कमेरे’ से आशय है
(i) परिश्रमी
(ii) काम के
(iii) किसान
(iv) मजदूर
उत्तर :
(i) ‘हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं’ में कमेरे से आशय परिश्रमी होने से है।
(ख) कवि ने किसानों को ‘फसलों का रसिया’ कहा है, क्योंकि वे
(i) फसलों को उगाते हैं
(ii) फसलों को काटते हैं
(iii) फसलों से प्रेम करते हैं
(iv) फसलों को बेचते हैं
उत्तर :
(iii) कवि ने किसानों को ‘फसलों का रसिया’ इसलिए कहा है, क्योंकि वे फसलों से प्रेम करते हैं।
(ग) किसान ‘धरती की सेवा करते है
(i) खेतों में फसल उगाकर
(ii) सर्दी, गर्मी, बरसात सहकर
(iii) बिना विश्राम परिश्रम कर
(iv) खेतों के पास घर बनाकर
उत्तर :
(i) किसान ‘धरती की सेवा खेतों में फसल उगाकर करते हैं।
(घ) कथन (A) और कारण (R) पर विचार करते हुए सही विकल्प चुनिए।
कथन (A) हमारे घर खेतों के पास स्थित होते हैं।
कारण (R) हमारे घर शहरों से दूर होते हैं।
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और (R) दोनों सही हैं तथा कथन (A) कारण (A) की सही व्याख्या है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) सही हैं, परंतु कथन (A) कारण (R) की सही व्यख्या नहीं है।
उत्तर :
(iv) प्रस्तुत काव्यांश के आथार पर कथन (A) और कारण (B) सही हैं, परंतु कथन (A) कारण (R) की सही व्याख्या नहीं है।
(ङ) ‘हम किसानों ने धरती को फसलों के आवरण से ढक दिया है।’ निम्नलिखित में से किस पंक्ति का यह आशय है
(i) तूफानों के मुँह फेरे हैं
(ii) रखवाले अपने खेतों के
(iii) धरती को साड़ी पहनाते
(iv) दूर-दूर तक भूख मिटाते
उत्तर :
(ii) ‘हम किसानों ने धरती को फल्सों के आवरण से उक दिया है’ इस पंक्ति का आशय धरती को साड़ी पहनाने से है।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार रचना के आधार पर वाक्य भेद पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(i) रसूलन और बतूलन ने गाना गाया क्योंकि इसी से अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है।’ सरल वाक्य में लिखिए–
(क) रसूलन और बतूलन के गायन से अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है।
(ख) रसूलन और बतूलन जैसे ही गाती हैं अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है।
(ग) रसूलन और बतूलन गाती हैं और अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है।
(घ) रसूलन और बतूलन के गीतों से अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है।
उत्तर:
(क) रसूलन और बतूलन के गायन से अमीरूद्दीन को खुशी मिलती है।
(ii) “दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुजूरे तो उन्हें मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया।’ इस मिश्रित वाक्य को संयुक्त वाक्य में बदलिए।
(क) जैसे ही दूसरी बार हालदार साहब उधर से गुजरे, उन्हें मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया।
(ख) दूसरी बार उधर से गुजरते समय हालदार साहब को मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया।
(ग) दूसरी बार हालदार साहब उधर से गुजुरे और उनको मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया।
(घ) जब भी हालदार साहब उधर से गुजरते हैं मूर्ति में अंतर दिखाई देता है।
उत्तर:
(ग) दूसरी बार हालदार साहब उधर से गुजुरे और उनको मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया।
व्याख्यात्मक हलः
यहाँ दो सरल वाक्य योजक शब्द ‘और’ से जुड़े हैं अत: यह संयुक्त वाक्य है।
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र साधारण वाक्य या प्रधान उपवाक्य उपस्थित हो, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।
(iii) मिश्र वाक्य का उदाहरण हैः
(क) अजमेर से पहले पिता जी इंदौर में थे।
(ख) हुड़दंग तो इतना मचाया कि कॉलेज वालों को थर्ड इयर भी खोलना पड़ा।
(ग) हमने हुड़दंग मचाया और कॉलेज वालों ने थर्ड इयर खोल दिया।
(घ) हमारे हुड़दंग मचाने के कारण कॉलेज वालों को थर्ड इयर भी खोलना पड़ा।
उत्तर:
(ख) हुड़दंग तो इतना मचाया कि कॉलेज वालों को थर्ड इयर भी खोलना पड़ा।
(iv) निम्नलिखित वाक्यों में संयुक्त वाक्य पहचानकर नीचे दिए गए विकल्पों में से सर्वाधिक सही विकल्प चुनिए।
1. असफल होने पर शोक करना व्यर्थ है।
2. मै एक दिन अमेरिका जाऊँगी तथा अपना शेष जीवन वहीं बिताऊँगी।
3. जैसे ही रमेश आया, बैसे ही मोहन चल दिया।
4. विद्यार्थी परिश्रमी है, तो अवश्य सफ़ूल होगा।
(क) 1और 2 सही है।
(ख) 2 और 3 सही है।
(ग) 1 और 4सही है।
(घ) 2 और 4 सही है।
उत्तर:
(घ) 2 और 4 सही है।
(v) सूची को सूची 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए-
सूची 1 | सूची 2 |
1. सुरेश के आ जाने से सब प्रसन्न हो गए। | (i) मिश्र वाक्य |
2. मैं युवा थी और शीला अग्रवाल की जोशीली बातों ने रगों। में बहते खून को लावे में बदल दिया था। | (ii) सरल वाक्य |
3. कुछ लोग इसलिए दान करते हैं कि उनका नाम हो। | (iii) संयुक्त वाक्य |
(क) 1. (i), 2. (ii), 3. (iii)
(ख) 1. (ii), 2. (iii), 3 (i)
(ग) 1. (i), 2 (iii), 3 (ii)
(घ) 1. (ii), 2. (i), 3. (iii)
उत्तर:
(ख) 1. (ii), 2. (iii), 3 (i)
व्याख्यात्मक हल:
1. सुरेश के आ जाने से सब प्रसन्न हो गए। (सरल वाक्य)
2. मैं युवा थी और शीला अग्रवाल की जोशीली बातों ने रगो में बहते खून को लावे में बदल दिया था। (संयुक्त वाक्य)
3. कुछ लोग इसलिए दान करते हैं कि उनका नाम हो। (मिश्र वाक्य)
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) बालगोबिन भगत कबीर को ‘साहब’ मानते थे। (कर्म वाच्य में बदलिए)
(i) बालगोबिन भगत द्वारा कबीर को ‘साहब’ माना जाता था।
(ii) बालगोबिन भगत द्वारा कबीर को ‘साहब’ माना जाता है।
(iii) बालगोबिन भगत कबीर को ‘साहब’ मानते हैं।
(iv) बालगोबिन भगत से कबीर को ‘साहब’ माना जाता है।
उत्तर :
(i) बालगोबिन भगत द्वारा कबीर को ‘साहब’ माना जाता था।
(ख) भोर में लोगों से बालगोबिन भगत का गीत नहीं सुना गया। वाक्य में वाच्य है
(i) कर्म वाच्य
(ii) भाव वाच्य
(iii) कर्तृ वाच्य
(iv) (i) और (iii) दोनों
उत्तर :
(ii) भाव वाच्य
(ग) ‘धान के पानी-भरे खेतों में बच्चे उछल रहे है।’ उदाहरण है
(i) भाव वाच्य
(ii) कर्तृ वाच्य
(iii) कर्म वाच्य
(iv) विचार वाच्य
उत्तर :
(iii) कर्तृ वाच्य
(घ) निम्नलिखित वाक्यों में भाव वाच्य का उदाहरण है
1. माता जी मिठाई बना सकती हैं।
2. मुझसे बेठा नहीं जाता।
3. भगवान द्वारा हमारी रक्षा की जाती है।
4. गर्मियों में छत पर सोया जाता है।
कूट
(i) 1 और 2 सही हैं।
(ii) 2 और 3 सही हैं।
(iii) 1 और 4 सही हैं।
(iv) 2 और 4 सही हैं।
उत्तर :
(iv) 2 और 4 सही हैं।
(ङ) सूची 1 को सूची 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए।
सूची 1 | सूची 2 |
A. गर्मियों में लोग खूब नहाते हैं। | 1. भाव वाच्य |
B. गोपाल से पत्र लिखा जाता है। | 2. कर्त वाच्य |
C. धूप में चला नहीं जाता। | 3. कर्म वाच्य |
A B C
(i) 1 2 3
(ii) 2 3 1
(iii) 1 3 2
(iv) 2 1 3
उत्तर :
(iii) (A)-2, (B) -3, (C) -1
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय ‘ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(i) हम देहरादून घूमने गए। रेखांकित पद का परिचय है-
(क) संज्ञा, प्रथम पुरुष, पुल्लिंग, बहुबचन, कर्ता
(ख) सर्वनाम, प्रथम पुरुष, पुल्लिंग, बहुबचन, कर्ता
(ग) सर्वनाम, प्रथम पुरुष, पुल्लिंग, एक वचन, कर्ता
(घ) सर्वनामिक विशेषण, प्रथम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता
उत्तर:
(ख) सर्वनाम, प्रथम पुरूष, पुल्लिग, बहुवचन, कर्ता
(ii) ‘शशि दसवीं कक्षा में पढ़ती है। रेखांकित पद का परिचय है-
(क) विशेषण, संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘कक्षा’ विशेष्य
(ख) क्रियाविशेषण, परिमाणवाचक, ‘ पढ़ना ‘ क्रिया
(ग) विशेषण, गुणवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, “कक्षा’ विशेष्य
(घ) विशेषण, संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, “कक्षा’ विशेष्य
उत्तर:
(क) विशेषण, संख्यावाचक, स्नीलिंग, एकवचन, कक्षा विशेष्य ह।
(iii) वह स्कूल से अभी-अभी आया है। रेखांकित पद का परिचय है-
(क) संज्ञा, जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, करण कारक
(ख) संज्ञा, जातिवाचक, बहुवचन, पुल्लिंग, अपादान कारक
(ग) संज्ञा, व्यक्तिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, अपादान कारक
(घ) संज्ञा, जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, अपादान कारक
उत्तर:
(घ) संज्ञा, जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिग, अपादान कारक |
(iv) बह मेरी बात पर बहुत हँसा। रेखांकित पद का परिचय है-
(क) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण, हँसना क्रिया का विशेषण
(ख) विशेषण, संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘ हँसना ‘ विशेष्य
(ग) विशेषण, परिमाण वाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘ हँसना विशेष्य
(घ) विशेषण, परिमाण वाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ‘हँसना’ विशेष्य
उत्तर:
(क) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण, हँसना क्रिया का विशेषण है|
(v) योग्य पिता की संतान भी योग्य होती है। रेखांकित पद का परिचय है-
(क) संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकबचन
(ख) संज्ञा, व्यक्तिवाचक, स्त्रीलिंग, एकबचन
(ग) संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन
(घ) विशेषण, गुणवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘पिता’ विशेष्य
उत्तर:
(क) संज्ञा, जातिवाचक, स्नीलिंग, एकबचन ह।
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौ करुई ककरी’ में अलंकार है
(i) उत्रेक्षा
(ii) श्लेष
(iii) यमक
(iv) अनुप्रास
उत्तर :
(i) उत्पेक्षा
(ख) ‘प्रीति-नदी में पाँड न बोरयो’ रेखांकित में अलंकार है
(i) उपमा
(ii) रूपक
(iii) यमक
(iv) अनुप्रास
उत्तर :
(iii) रूपक
(ग) ‘उस काल मारे क्रोथ के, तन काँपने उसका लगा। मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा।’ में अलंकार है
(i) उत्रेक्षा
(ii) रूपक
(iii) श्लेष
(iv) उपमा
उत्तर :
(i) उत्पेक्षा
(घ) निम्नलिखित में उपमा अलंकार है
(i) बादल, गरजो!
(ii) घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
(iii) ललित ललित, काले घुँघराले
(iv) बाल कल्पना के-से पाले
उत्तर :
(iv) बाल कल्पना के-से पाले
(ङ) ‘अवधि आधार आस आवन की’ में अलंकार है (1)
(i) उपमा
(ii) रूपक
(iii) यमक
(iv) अनुप्रास
उत्तर :
(iv) अनुप्रास
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब उस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे, और अंत में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए। महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है वरना तो देशभक्ति भी आजकल मजाक की चीज होती जा रही है। दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुज़रे तो उन्हें मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया। ध्यान से देखा तो पाया कि चश्मा दूसरा है। पहले मोटे फ्रेमवाला चौकोर चश्मा था, अब तार के फ्रेमवाला गोल चश्मा है। हालदार साहब का कौतूहल और बढ़ा। वाह भई क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती लेकिन चश्मा तो बदल ही सकती है।
(i) “जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई’ अर्थात्-
(क) जीप कस्बे में बिना रुके आगे बढ़ गई।
(ख) जीप कस्बे में रुककर आगे बढ़ गई।
(ग) जीप कस्बे में रुक गई।
(घ) जीप कस्बे में नहीं गई।
उत्तर:
(क) जीप कस्बे में बिना रुके आगे बढ़ गई।
(ii) हालदार साहब किसके विषय में सोचते रहे?
(क) नेताजी के बारे में
(ख) मूर्ति के बारे में
(ग) चौराहे के बारे में
(घ) कस्बे के बारे में
उत्तर:
(ख) मूर्ति के बारे में
व्याख्यात्मक हल:
जब जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई थी तब भी हालदार साहब उस मूर्ति के विषय में ही विचार कर रहे थे और विचार करते हुए अन्त में इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास अत्यन्त सराहनीय है।
(iii) “वरना तो देशभक्ति भी आजकल मजाक की चीज होती जा रही है।’ से आशय है…….
(क) आजकल देशभक्त होना संभव नहीं है।
(ख) आजकल देशभक्त होना हास्यास्पद हो गया है।
(ग) आजकल सभी देशभक्त हो गए हैं।
(घ) आजकल देशभक्ति की प्रासंगिकता नहीं है।
उत्तर:
(ख) आजकल देशभक्त होना हास्यास्पद हो गया है।
(iv) दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुजूरे तो उन्हें मूर्ति में क्या अंतर दिखाई दिया?
(क) मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं था।
(ख) मूर्ति पर पुराना चश्मा था।
(ग) मूर्ति पर एक नया चश्मा था।
(घ) मूर्ति क्षतिग्रस्त थी।
उत्तर:
(ग) मूर्ति पर एक नया चश्मा था।
व्याख्यात्मक हलः
दूसरी बार जब हालदार साहब कस्बे से गुज़रे तो उन्होंने देखा कि मूर्ति का चश्मा बदला हुआ है। पहले मोटे फ्रेम वाला चौकोर चश्मा था, अब तार के फ्रेम वाला गोल चश्मा लगा है।
(v) “नेताजी का चश्मा’ पाठ.
(क) देशभक्ति के भाव पर व्यंग्य करता है।
(ख) देशभक्ति की प्रासंगिकता पर सवाल उठाता है।
(ग) देशभक्ति के महत्त्व को स्थापित करता है।
(घ) देशभक्ति के प्रति उम्मीद जगाता है।
उत्तर:
(घ) देशभक्ति के प्रति उम्मीद जगाता है।
प्रश्न 8.
क्षितिज के गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए।
(क) ‘बालगोबिन भगत के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?”
(i) आडंबर से दूर रहकर ईश्वर भक्ति करने की
(ii) कृषि आधारित जीवन व्यतीत करने की
(iii) सामाजिक रूढ़ियों का समर्थन करने की
(iv) पूजा-पाठ और यज्ञ आदि करने की
उत्तर :
(i) बालगोबिन भगत के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें आडंबर से दूर रहकर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए।
(ख) अमीरुद्दीन को रसूलनबाई और बतूलनबाई के घर वाला रास्ता क्यों पसंद था?
(i) संगीत के प्रति असीम रुचि के कारण।
(ii) संगीत के प्रति अरुचि के कार ग।
(iii) वह छोटा रास्ता था।
(iv) वह रास्ता साफ-सुथरा था।
उत्तर :
(i) संगीत के प्रति असीम रुचि के कारण अमीरुद्दीन को रसूलनबाई और बतूलनबाई के घरवाला रास्ता पसंद था।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित पद्मयांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी ॥
युनि-पुनि मोहि देखाव कुठरु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू ॥
इह्ाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जो तरजनी देखि हरि नाहीं॥
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥
भ्रगुसुत समुजि जनेउ विलोकी। जो कछु कहहु सह रिस रोकी ॥
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई ॥
बे पायु अपकीरति हारें। मारतहूँ पा पारिअ तुम्हारे ॥
(i) परशुराम बार-बार अपना कुठार किसे और क्यों दिखा रहे हैं?
(क) राम को भयभीत करने के लिए
(ख) लक्ष्मण को भयभीत करने के लिए
(ग) विश्वामित्र को भयभीत करने के लिए
(घ) महाराज जनक को भयभीत करने के लिए
उत्तर:
(ख) लक्ष्मण को भयभीत करने के लिए
व्याख्यात्मक हल:
परशुराम बार-बार अपना कुठार लक्ष्मण जी को भयभीत करने के लिए दिखा रहे थे क्योंकि लक्ष्मण जी उनकी बातों का अनुचित जबाव देकर उनके क्रोध को बढ़ा रहे थे।
(ii) निम्नलिखित पंक्तियों में से किस पंक्ति से लक्ष्मण के शक्तिशाली होने का पता चलता हैः
(क) बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥
(ख) पुनि-पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू॥
(ग) देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना ॥
(घ) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं ॥
उत्तर:
(घ) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं ॥
(iii) रघुकुल में किन-किन के प्रति अपनी वीरता का प्रदर्शन नहीं किया जाता है?
(क) देवता, ब्राह्मण, ईश्वर भक्त और गाय पर
(ख) स्त्रियों, बच्चों, ईश्वर भक्त और गाय पर
(ग) देवता, राजा, वीर योद्धा और खियों पर
(घ) स्त्रियों, बच्चों, राजा और गाय पर
उत्तर:
(क) देवता, ब्राह्मण, ईश्वर भक्त और गाय पर
(iv) “बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी ‘ यह कथन …………. का उदाहरण है।
(क) व्यंग्य का
(ख) हास्य का
(ग) क्रोध का
(घ) वैराग्य का
उत्तर:
(क) व्यंग्य का है
(v) उपर्युक्त पद्यांश में लक्ष्मण के चरित्र की कौन-सी विशेषता उजागर होती है?
(क) वीरता
(ख) थैर्य
(ग) शिष्टता
(घ) विनम्रता
उत्तर:
(क) वीरता
व्याख्यात्मक हलः
प्रस्तुत पद्मांश में लक्ष्मण जी की वीरता का परिचय मिलता है क्योंकि परशुराम के स्वभाव को जानते हुए भी उन्होंने उनके प्रश्नों के उत्तर बड़ी ही वीरता के साथ निर्भय होकर दिए थे।
प्रश्न 10.
पाठ्यपुस्तक में निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित दो प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए।
(क) ‘दंतुरित मुस्कान’ कविता में कवि को शिशु का धूल-धूसरित शरीर कैसा प्रतीत होता है?
(i) स्नान करवाने योग्य।
(ii) वस्त्र-आभूषण से सजाने योग्य।
(iii) खिले हुए सुंदर कमल के समान।
(iv) मिट्टी से सने हुए पौधे के समान।
उत्तर :
(iii) ‘दंतुरित मुस्कान’ कविता में कवि को शिशु का धूल-धूसरित शरीर खिले हुए सुंदर कमल के समान प्रतीत होता है।
(ख) संगतकार पाठ के अनुसार, संगतकार की मुख्य विशेषता क्या होती है?
(i) उसकी मानवीयता
(ii) उसकी कलात्मक श्रेष्ठता
(iii) उसकी प्रतिभा-प्रदर्शन की आकांक्षा
(iv) उसकी आत्म मुग्धता
उत्तर :
(i) संगतकार पाठ के अनुसार, संगतकार की मुख्य विशेषता उसकी मानवीयता होती है।
रखण्ड ‘ब’ वर्णनात्मक-प्रश्न (40 अंक)
प्रश्न 11.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित 4 प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए- (2 × 3 = 6)
(i) क्या आपको नवाब साहब का व्यवहार सामान्य लगा? क्यों ? युक्तियुक्त उत्तर दीजिए।
उत्तर:
- नहीं।
- नवाब साहब द्वार लेखक की उपेक्षा
- खीर छीलने, काटने, नमक-मिर्च बुरकने आदि प्रक्रिया हा
व्याख्यात्मक हलः
नवाब साहब का व्यवहार बिल्कुल भी उचित नहीं था क्योंकि उन्होंने अपनी झूठी शान दिखाने के लिए लेखक को देखकर भी अनदेखा कर दिया। समय बिताने के लिए उन्होंने खीरे खरीदे व उन्हें छीला और करीने से काटकर तौलिए पर सजाकर उन पर नमक-मिर्च छिड़का और उन्हें सूँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। हमारा विचार है कि उनका यह व्यवहार उनकी नज़ाकत और लखनवी संस्कृति के साथ ही उनकी जीवन शैली की कृत्रिमता और दिखावे को प्रदर्शित करता है।
(ii) महानगरों की ‘फ्लैट-कल्चर’ और लेखिका मन्नू भंडारी के ‘पड़ोस-कल्चर ‘ में क्या अंतर दिखाई देता है ? विचार करते हुए लिखिए। ”
उत्तर:
फ्लैट कल्चर में अकेलापन, परस्पर अलगाव, कृत्रिम जीवन जबकि
लेखिका मननू भंडारी के पड़ोस कल्चर में पारस्परिक सद्भाव, पारिवारिक संबंध, सहज जीवन
व्याख्यात्मक हलः
महानगरों में ज्यादातर फ्लैट होते हैं और वहाँ रहने वालों को एक-दूसरे से कोई मतलब नहीं होता है। फ्लैटों में आपके सुख-दु :ख में कोई साथ नहीं देता है वहाँ सभी की दिनचर्या व्यस्त होती है। इसके विपरीत लेखिका मन्नू भण्डारी के पड़ोस कल्चर में पारस्परिक सद्भाव की भावना है वहाँ पूरा मोहल्ला अपना-सा प्रतीत होता है। वहाँ एक-दूसरे के घर जाने पर कोई पाबन्दी नहीं होती है। पड़ोस कल्चर में सब मिलजुलकर एक सहज जीवन व्यतीत करते हैं।
(iii) “मंगल ध्वनि’का क्या अभिप्राय है ? बिस्मिल्लाह खाँ को ‘शहनाई की मंगल ध्वनि का नायक ‘ क्यों कहा गया है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
- शहनाई शुभ/मंगल का वातावरण का सूजन करने वाला वाद्य
- बिस्मिल्लाह खाँ सर्वश्रेष्ठ शहनाई वादक
- शहनाई, बनारस और बाबा विश्वनाथ के प्रति अटूट आस्था
- निरंतर रियाज, सहज और दिखावे से दूर
व्याख्यात्मक हलः
‘बिस्मिल्ला खाँ कि शहनाई से निकलने वाली धुन एक मंगल वातावरण का सृजन करती है। बिस्मिल्ला खाँ एक सर्वश्रेष्ठ शहनाई वादक हैं इसलिए उन्हें शहनाई की मंगल ध्वनि का नायक कहा गया है। उनकी शहनाई, बनारस और बाबा विश्वनाथ के प्रति अटूट आस्था है बह प्रतिदिन निरंतर रियाज करते हैं व दिखावे से दूर एक सहज, सरल जीवन जीते हैं।
(iv) सच्चे अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जाता है? संस्कृति पाठ के आधार पर तर्क सहित लिखिए।
उत्तर:
- अपनी बुद्धि तथा योग्यता के बल पर कुछ नया करने की क्षमता
- न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों का उदाहरण
व्याख्यात्मक हलः
जिस व्यक्ति ने अपनी बुद्धि तथा योग्यता से किसी नई चीज़ का आविष्कार किया हो वही व्यक्ति सही अर्थों में संस्कृत व्यक्ति कहलाएगा जैसे न्यूटन ने गुरुवाकर्षण के सिद्धान्त का आविष्कार किया इसलिए वह एक संस्कृत व्यक्ति माना जाता है।
प्रश्न 12.
निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए।
(क) गोपियों ने श्री कृष्ण के प्रति अपने एकनिष्ठ प्रेम को किन उदाहरणों के द्वारा स्पष्ट किया है?
उत्तर :
(i) वे भीकृष्ण के प्रेम में उसी तरह बैधी हुई है, जैसे चींटियाँ गुड़ से चिपकी रहती हैं।
(ii) उनके लिए भीकृष्ण तो हरियल पक्षी की लकड़ी के समान हैं, जिन्हें उन्होंने मन, कर्म और वचन से अपने हृदय में बसाया हुआ है।
(iii) वे तो जागते-सोते, सपने में और दिन-रात कान्हु-कान्हा रटती रहती है।
(ख) ‘साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है।’ इस कथन पर ‘राम लक्ष्मण परशुराम संवाद’ पाठ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
साहस और शक्ति एक योद्धा के अनिवार्य गुण हैं। यदि इन गुणों के साथ विनम्रता हो तो अकारण ही होगे वाला कोई विवाद या युद्ध नहीं हो पाता विनम्र व्यक्ति अपनी विनम्रता से शत्रु के क्रोध को शांत कर देता है। क्रोध क्षणिक होता है, एक जार शांत होने पर विवेक जाग्रत होता है और अनर्थ होने से बच जाता है।
परशुराम और लक्ष्मण दोनों के उदाहरण हमारे सामने हैं। परशुराम पराक्रमी हैं, किंतु स्वयं को महापराक्रमी, बाल ब्रहमारी, क्षत्रिय कुल घातक कहना उनके घमंड को दर्शाता है। लक्ष्मण का साहस हमें मला लगता है, किंतु वह भी अपनी सीमाएं तोड़ देते हैं। धीरे-घीरे वह बहुत उग्र, कठोर और असहज हो जाते है। इस कारण सभी सभाजन उनके विरुद्ध हो जाते हैं। दूसरी ओर रामचंद्र शक्ति और साहस के साथ विनम्रता का भी परिचय देते हैं, इसलिए वे परशुराम सहित सबका दिल जीत लेते हैं।
(ग) आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर :
आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योकि उसके जीवन में सुख के पल कभी नहीं आए। उसके इस छेट-से जीवन में अभावों से भरी बड़ी-बड़ी कथाएँ हैं, जिन्हें वह किसी से नहीं कहना चाहता है। कवि अपने जीवन की दुर्बलवाओं को नहीं कहना ; चाहता, क्योंकि उसे सुनकर किसी को भी सुख प्राप्त नहीं होगा, अपितु वह उनके मध्य हैसी का पात्र बनेगा।
(घ) फसल ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा’ किस प्रकार है? विचार कीजिए।
उत्तर :
कवि कहना चाहता है कि फसल केवल बीज, खाद, पानी, सूर्य और हवा के सहयोग से ही पैदा नहीं होती, अपितु इसमें किसान के परिवार के सभी सदस्यों का कठठर परिभ्रम शामिल होता है। उनके कठोर परिश्रम के बिना फसल का उगना तथा फलना-फूलना संभव नहीं है। इसलिए उसने हज़ारो-लाखों व्यक्तियों के परिश्रम को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहक्रू उन्हें विशेष महत्व दिया है।
प्रश्न 13.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित 3 प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(i) “माता का प्रेम, पिता के प्रेम की अपेक्षा अधिक गहन होता है।’ “माता के अँचल’ पाठ के आधार पर विचार कीजिए।
उत्तर:
- माता से बच्चे का ममत्व का रिश्ता होता है।
- भोलानाथ का अपने पिता से अपार ख्रेह के बावजूद विपदा आने पर अपनी माँ की गोद में जाकर छिपना
- माँ के आँचल में बच्चा स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। 2
व्याख्यात्मक हल:
“माता का प्रेम, पिता के प्रेम की अपेक्षा अधिक गहन होता है क्योंकि माँ से बच्चे का ममत्व का रिश्ता जुड़ा होता है। बच्चों को आत्मीय सुख माँ की छाया में ही प्राप्त होता है। भोलानाथ को अपने पिता से अपर प्रेम था लेकिन जब विपदा आई तो वह अपनी माँ की गोद में जाकर छिप जाता है। वह सारे काम छोड़कर अपने पुत्र को सांत्वना देना का प्रयास करती है।
(ii) ‘मैं क्यों लिखता हूँ” प्रश्न के उत्तर में लेखक क्या कारण बताता है ?
उत्तर:
- अपनी आंतरिक विवशता के कारण
- उसकी अनुभूति उसे लिखने के लिए प्रेरित करती है
- स्वयं को जानने के लिए
व्याख्यात्मक हलः
लेखक स्वयं जानना चाहता है कि वह क्यों लिखता है ? लिखकर ही लेखक उस अंदरूनी विवशता को पहचानता है जिसके कारण उसने ‘लिखा। लेखक भी उस आंतरिक विवशता से मुक्ति पाने के लिए, तटस्थ होकर उसे देखने और पहचान लेने के लिए लिखता है। लेखक के प्रेरणा खरोत रचनाकार को कुछ भी लिखने के लिए विविध प्रकार से उत्साहित करते और कुछ भी लिखने की अपेक्षा करते हैं। जो बातें लेखक को लिखने के कार्य के लिए प्रेरित करती हैं उन सबकी सम्पूर्ति को पूरा होने की बात कहते हैं या उनसे मुक्त हो जाने का अवसर भी बताते हैं।
(iii) ‘“मेहनतकश बादशाहों का शहर’ किस शहर को कहा गया है और क्यों ?
उत्तर:
- गैंगटॉक
- मेंहनती लोग
- अपनी प्रकृतिक और संस्कृति से प्रेम करने वाले लोग
- कठिनाईयों और जोखिमों के बावजूद शहर को खूबसूरत बनाने के लिए परिश्रम
व्याख्यात्मक हलः
मेहनतकश बादशाहों का शहर ‘गैंगटॉक ‘ को कहा गया है क्योंकि वहाँ के सभी लोग बड़े ही मेहनती हैं इसलिए उस शहर का सब कुछ सुन्दर था, उसकी सुबह भी सुन्दर थी और शाम भी । वहाँ के लोग अपनी प्रकृति और संस्कृति से बहुत प्रेम करते हैं और कठिनाई और जोखिम होने के बावजूद अपने शहर को खूबसूरत बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव
संकेत बिंदु
अमृत महोत्सव का अर्थ
इस महोत्सव में होने वाले समारोह
इस महोत्सव का महत्त्व
उत्तर :
आजादी का अमृत महोत्सव
अमृत महोत्सव का अर्थ है – नए विचारों का अमृत, आत्मनिर्भरता का अमृता भारत देश 15 , अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। उसके बाद वर्ष 1950 में यह पूर्ण गणतंत्र देश बन गया। भारत की आजादी को पूर्ण रूष से 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इसी उपलक्ष्य में 75 हफ्तों का एक अनूठा प्रयास है, जो यहाँ के लोगों, संस्कृति और उपलधियों के गौरवशाली झतिहास को याद करने और जश्न मनाने के लिए भारत सरकार की ओर से की जाने वाली एक पहल है।
आजादी का अमृत महोत्सव भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान को प्रगति की ओर ले जाने वाली समी चीजों का एक मूर्त रूप है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च, 2021 में अहमदाबाद के साबरमती आभ्रम में आजादी के अमृत महोत्सव का उद्धाटन किया था, क्योंकि इसी दिन महात्मा गाँधी ने ‘नमक सत्याग्रह’ की शुरूआत की थी। यह महोत्सव 15 अगस्त, 2023 तक चलेगा।
आजादी का यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है, जिन्होंने न केवल भारत को उसकी विकास यात्रा में आगे लाने में महत्त्चपूर्ण भूमिका निभाई है, अपितु उनके मीतर प्रधानमंत्री मोदी के भारत 2.0 को सक्रिय करने के दृष्टिकोण को संभव बनाने की शक्ति और क्षमता भी है, जो आत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित है, जो उद्यम-शीलता का प्रतिबिंब है।
इस महोत्सय में देश की संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, साथ ही आजादी के अमृत महोत्सव में चरखे द्वारा लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा दिया गया। हम भारतीय चाहें देश में रहे या फिर विदेश में, हमने अपनी मेहनत से खुद को साबित किया है। हमें गर्व है हमारे संविधान पर, हमें गर्व है हमारी लोकतांत्रिक परपराओं पर। लोकतंत्र की जननी मारत, आज भी लोकतंत्र को मजबूती देते हुए आगे बढ़ रहा है। ज्ञान-विज्ञान से समृद्ध भारत, आज मंगल से लेकर चंद्रमा तक अपनी छाप छोड़ रहा है।
अतः आजादी का अमृत महोत्सव का महत्व सहयोगात्मक अभियानों के माध्यम से इस जन आंदोलन को और प्रोत्साहित करके इसे भारत एवं विश्व के विभिन्न भागों तक पहुँचाना है। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा घोषित ‘पंच प्राण’ के साथ पंक्तिबद्ध किए गए नौ महत्तपूर्ण विषयों के आधार पर अश्रलिखित अभियान हैं: जैसे- महिलाएँ एवं बच्चे, आदिवासी सशक्तीकरण, जल, सांस्कृतिक गौरव, पर्यावरण के लिए जीवन शैली (जीवन). स्वास्य और कल्याण, समावेशी विकास, आत्मनिर्भर भारत और एकता।
(ख) भाग्य और पुरुषार्थ
संकेत बिंदु
- आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है
- भाग्यवादी व्यक्ति उदासीन रहता है
- परिश्रमी व्यक्ति अपने भाग्य को बदल लेता है।
उत्तर :
भाग्य और पुरुथार्थ
आजकल हो रहे बदलावों के कारण मनुष्य की जीवन-शैली कुछ ऐसी बदलती जा रही है कि मनुष्य बहुत ही आलसी होता जा रहा है। आलस्य मनुष्य का परम शत्रु है शरीर को सजीव होते हुए भी निर्जीव के समान बना देता है।
भाग्य भी सथ है और यह नी सच है कि चरम पुरुषार्थ से नूतन भाग्य का निर्माण किया जा सकता है। भाग्य अर्थात् विगत कर्मों की परिणति, जिसे मोगने के लिए दिवश हुआ जाता है। पुरुषार्थ का तात्पर्य है ऐसा कर्म, जो मनधाहे भाग्य को गड़े और नाग्य की बनी लकीरों को मिटा देने का साहस रखे। पुरुषार्थ की चरम अवस्था ही तपश्यर्या है, जबकि इसके अभाव में व्यक्ति भाग्य की लहरों में हिचकोले खाता रहता है और सुख-दुख की धारा में हैंसता-रोता सूखी लकड़ी के समान अनचाहे- अनजाने बढ़ता रहता है। विगत कर्मो को झेलना तो पड़ता ही है, इसे कम या अधिक करने के लिए पुरुषार्थ करना आवश्यक है।
भाग्यवादी होना चरम जड़ता का प्रतीक एवं पर्याय है। भाग्यवादी का आशय है हमे कुछ भी नही करना है, फिर भी हमारे जीवन में सुख व ऐश्वर्य की छटा बिखरे और यह भी कि हमने विगत जन्मों में जो नुरे कर्म किए, उनका फल भी न भोगना पड़े। हम हाथ पर हाथ घरे बैठे रहें और कोई हमारे लिए सुख की सेज बिछा दे। धन, मान प्रतिष्ठा का अंबार लगा दे। ऐसा संभव है, जब विगत जन्म के पुण्य अति प्रबल हों तथा अनगिनत श्रेष्ठ कर्ग किए गए हों। जीवन तो अनंत की ओर बढ़ने का सतत प्रदाह है और जन्म इसकी एक कड़ी है। जन्मरूपी किसी कड़ी में किया गया परम पुरुषार्थ ही इस जन्म या अगले जन्म में भाग्य के रूप में उदय होता है। यदि अगले जन्म को सुखद एवं ऐश्वर्यपूर्ण या मनोनुकूल बनाना है तो इस जन्म में उसके अनुरूप कर्म में संलग्न होना पड़ेगा यही सुखद भविध्य का सूत्र है।
सच्चा पुरुषार्थ अपनी नियति को बदलता है और दूसरों की नियति को भी परिवर्तित करने की क्षमता रखता है। उसके पास तपश्चर्या की असीम और अपरिमित शक्ति होती है। इस शक्ति से वह किसी भी लोक की कोई भी अप्राप्य वस्तु की उपलध्धि प्राप्त कर सकता है।
परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्वारा अपनी इथ्ठाओं की पूर्ति करते है, उन्हें जिस वस्तु की आंकाक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते है। ऐसे ‘व्यक्ति संकटों के आने से भयभीत नहीं होते, अपितु उस संकट के निद्धान के लिए हल बूँक्ते हैं।
अतः हम सभी को परिश्रम के महत्च को स्वीकारना एवं समझना चहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को भी ऊँचाई पर ले जाना चाहिए।
(ग) पर्वतीय स्थल की यात्रा
संकेत बिंदु
- प्राकृतिक सौंदर्य
- यात्रा वर्णन
- सांस्कृतिक महत्त्व
उत्तर :
पर्वतीय स्थल की यात्रा
मानव सौंदर्य से प्रेम करने वाला प्राणी है। इसीलिए वह प्रकृति की ओर आकर्षित होता है। गगनरुंबी बर्फ से ढके पहाड़, चीड़ और देवदार के वृक्षों की कतारें अनायास मन को मोह लेती हैं। पर्वतीय स्थानों पर एक ओर पहाड़, दूसरी ओर घाटी तथा बीच में घुमाबदार रास्ता होता है। रंग-बिरंगे फूल और मखमली बिछाने-सी हरी घास से ढ़की घाटियाँ अत्यंत सुंद्र लगती हैं। पर्यतों पर वायु अत्यंत शुद्ध तथा स्वार्थवर्द्धक होती है, इसलिए लोग पर्वतीय स्थानों पर भ्रमण करने जाते हैं। पर्वतीय प्रदेश फल-फूल तथा औषधियों के भंडार होते है।
गतवर्ष मुझे शिमला घूमने का सुअदसर मिला शिमला एक प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल है जिसकी राजधानी हिमाचल प्रदेश है। नौगोलिक दृष्टि से देखें तो शिमला हिमालय पर्वत श्रृंखला के निचले भाग में स्थित है। पर्वत पर बसा हुआ है। पर्वतीय स्थल होने के कारण शिमला का मौसम सभी ऋधुओं में बहुत सुहावना होता है। यहाँ का कुफरी पर्वतीय स्थल काफी कँचाई में स्थित होने के कारण सैलानियों के लिए बहुत मनभावन होता है। यहाँ के पर्वतों पर पहुँच कर मुझे ऐसा लगा जैसे कि में प्रकृति की गोद में आ गया हूँ। शांत एवं मनमोहन वातावरण से मेरे अंदर एक स्फूर्ति-सी आ गई। शीत ऋतु होने के कारण मेरी यात्रा के दौरान शिमला बर्फ से ढका हुआ था।
तापमान बहुत कम था। ऐसे में अ्रमण करना बहुत रोमांचक था। कुछ छोटे तो कुछ ऊँचे पहाड़ों ने मन को मोह लिया।
शिमला के प्रसिद्ध स्थान रिज पर, जो कि बहुत ऊँचाई पर है शाम के समय सैलानियों का जमावड़ा लग जाता है। वहाँ एक हनुमान मंदिर भी है जिसमें एक बहुत ऊँची प्रतिमा स्रिथत है। शिमला के पर्वतों की यात्रा मेरे जीवन की सबसे यादगार यात्राओं में से एक थी, जिसमें मुझे प्रकृति और पर्वतों से जुड़ने का अवसर मिला।
प्रश्न 15.
किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5 × 1 = 5)
आपका नाम दिशा/दक्ष है। आपकी आयु मतदान करने योग्य हो गई है। आपने मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए गरुण ऐप के द्वारा आवेदन कर दिया है। किन्तु काफ़ी समय के बाद भी आपका मतदाता पहचान पत्र आपको नहीं मिला। मतदाता पहचान पत्र के वितरण में देरी की शिकायत करते हुए अपने क्षेत्र के बी. एल. ओ. (ब्लॉक लेवल ऑफिसर) को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
बी. एल. ओ. अधिकारी मतदाता केन्द्र
पुष्पांजलि नगर फेज-3
आगरा
दिनांक: xxxxx
विषय: मतदाता पहचान पत्र के वितरण में देरी हेतु शिकायत पत्र
महोदय
मेरा नाम दिशा है और मेरी आयु 8 वर्ष है। मैंने अपना मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए गरुण ऐप के द्वारा आवेदन किया था परन्तु बहुत समय बीत जाने पर भी मेरा मतदाता पहचान पत्र मुझे नहीं मिला है अत: मेरा आपसे निवेदन है कि आप इस दिशा में उचित कदम उठाते हुए मेरी समस्या का निदान करने की कृपा करें। मैं आपकी बहुत आभारी रहूँगी।
धन्यवाद सहित
भवदीया
दिशा
अथवा
आपका नाम दिशा/दक्ष है। आप अपने आसपास अनेक अशिक्षित प्रौढ़ों को देखते हैं और उन्हें साक्षार बनाने हेतु कुछ प्रयास करते हैं। इस विषय में जानकारी देते हुए लगभग 00 शब्दों में अपने मित्र मानव को पत्र लिखिए।
उत्तर:
123-A, साकेत कॉलोनी
आगरा
दिनांक: 3॥ मार्च 20xx
प्रिय मित्र मानव
आशा है कि तुम सानंद होंगे। मैं तुमसे अशिक्षित प्रौ़ो के विषय में बात करना चाहती हूँ। मैं जहाँ रहती हूँ वहाँ बहुत से प्रौढ़ अशिक्षित हैं और मैं चाहती हूँ कि समय निकालकर मैं उन्हें शिक्षित करूँ। इसके लिए मैंने अपनी दिचचर्या के 2 घण्टे प्रोढ़ों को शिक्षित करने के लिए निकाले हैं अतः मैं चाहती हूँ कि तुम भी इस कार्य में भाग लेकर प्रोढ़ो को शिक्षित करके उनकी सहायता करो। इससे उन्हें रोज़गार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे तथा वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे। तुम्हारे पत्र का इंतज़ार रहेगा। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना तथा अपनी छोटी बहन को मेरा प्यार भरा आशीर्वाद देना।
तुम्हारी मित्र
दिशा
प्रश्न 16.
आपका नाम सुनीता/सुरेश है। आप राजेंद्र नगर के निवासी हैं। दैनिक समाचार-पत्र से पता चला है कि स्थानीय राजकीय माध्यमिक विद्यालय में पुस्तकालय अध्यक्ष का पद रिक्त है। आप उक्त पद की योग्यता (बी. लिब. /पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक) को धारण करते हैं। उक्त रिक्त पद हेतु राजकीय माध्यमिक विद्यालय के विद्यालय प्रमुख को भेजने हेतु लगभग 80 शब्दों में अपना एक संक्षिप्त स्ववृत्त लिखिए। (5 × 1 = 5)
अथवा
आपका नाम सुनीता/सुरेश है। आप राजेंद्र नगर के निवासी हैं। पिछले कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति अव्यवस्थित है। अपने क्षेत्र में अनियमित विद्युत आपूर्ति की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए राज्य विद्युत आपूर्ति निगम के महानिदेशक के नाम लगभग 80 शब्दों में एक शिकायती ई-मेल लिखिए।
उत्तर :
शैक्षिक योग्यताएँ
अन्य संबंधित योग्यताएँ
कंप्यूटर का ज्ञान
अंग्रेजी भाषा का ज्ञान
उपलब्धियाँ
विद्यालय कंप्यूटर परीक्षा में प्रथम स्थान कार्येत्तर गतिविधियाँ तथा अभिरुचियाँ नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया में 2 साल कार्यरत् समाचार-पत्र का नियमित पठन
संदर्भित व्यक्तियों का विवरण
श्री मोहित व्यास, पुस्तकालय अध्यक्ष
श्रीमती रमा पटेल, पुस्तकालय अध्यक्ष
तिथि 23 मार्च, 20X X
सुनीता
स्थान – दिल्ली।
हस्ताक्षर
प्रश्न 17.
आप अपना पुराना स्मार्टफ़ोन बेचना चाहते हैं, उससे संबंधित एक आकर्षक विज्ञापन लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (4 × 1 = 4)
उत्तर:
व्याख्यात्मक हल:
अथवा
आप वीणा/विकास हैं। आपकी छोटी बहन ने विद्यालय की वार्षिक परीक्षा में पूरे विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उसे बधाई देते हुए 40 शब्दों में एक संदेश लिखिए। हि
उत्तर:
सन्देश
दिनांक: ……..
प्रात : 11:30
समय: 7:00 भरा
22.05.20XX
प्रिय बहन
अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए तुम्हें बहुत-बहुत बधाई । इसी प्रकार मेहनत करती रहो और सफ़लता की राह पर आगे बढ़ती रहो। ईश्वर से प्रार्थना है कि तुम्हारा हर ख्वाब पूरा हो और तुम सदैव मुस्कुराती रहो।
तुम्हारी इस कामयाबी पर दिल से बधाई।
तुम्हारा भाई विकास