Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 4 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Term 2 Set 4 with Solutions
समय: 2 घंटे
पूर्णांकः 40
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और खंड ‘ख’
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खण्ड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खण्ड – ‘क’
(पाठ्य पुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक) (अंक 20)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए। (2 x 2 = 4)
(क) ‘झेन की देन’ पाठ के आधार पर बताइए कि जापानी लोगों को मानसिक बीमारियाँ अधिक क्यों होती हैं?
उत्तरः
जापान के लोग पूर्णतया प्रतिस्पर्धा में हैं। वे किसी भी तरीके से उन्नति करके अमेरिका से आगे निकलना चाहते हैं। लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगाने की बात कही है क्योंकि वे बहुत तेजी से प्रगति करना चाहते हैं। महीने के काम को एक दिन में पूरा करने की कोशिश करते हैं। इसलिए उनका दिमाग भी तेज़ रफ़्तार से स्पीड इंजन की भाँति सोचता है। इसलिए उनका मस्तिष्क सदा तनावग्रस्त रहता है। इस कारण वे मानसिक रोगों के शिकार होते हैं।
(ख) ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने क्या संदेश दिया है? अपने शब्दों में बताइए।
उत्तरः
‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने प्रेम, एकता, दया, करुणा, परोपकार, विश्वबंधुत्व, सहानुभूति, अहंकार का त्याग आदि करने का संदेश दिया है। कवि ने स्पष्ट रूप से दधीचि, कर्ण, रंतिदेव, महात्मा बुद्ध का उदाहरण देकर हमें कल्याणकारी लिए जीवन जीने की प्रेरणा दी है।
(ग) सआदत अली कौन था? उसने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत क्यों समझा?
उत्तरः
सआदत अली आसिफ़उद्दौला का भाई और अवध का नवाब था परन्तु वज़ीर अली से उसकी शत्रुता थी। वज़ीर अली आसिफउद्दौला का बेटा था। सआदत अली को लगता था कि वज़ीर अली के बड़े होने पर उसे गद्दी सौंप दी जाएगी। वज़ीर अली के जन्म के कारण उसे अपना यह सपना टूटता हुआ सा प्रतीत हुआ। इसलिए वज़ीर अली की पैदाइश उसे अपनी मौत लगती थी।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60-70 शब्दों में दीजिए। (4 x 1 = 4)
(क) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में वर्णित पर्वतों के सौंदर्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तरः
इस कविता में कवि ने वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश के पल-पल परिवर्तित होने वाले रूप-सौंदर्य का सुंदर वर्णन किया है। बादल के आते ही वहाँ प्रकृति का कभी सुहाना रूप दिखाई देता है तो कभी रौद्र रूप भी। कभी बादल छा जाते हैं तो कभी पर्वत ही अदृश्य हो जाते हैं। कहीं झरनों का कल-कल शोर सुनाई देता है तो कहीं ठंडी पवनें आने लगती हैं। पल-पल बदलते नजारे ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे कोई जादू का खेल, खेल रहा है। पर्वतों के सीनों को फाड़ कर उच्चाकांक्षाओं से युक्त पेड़ मानो बाहर आए हैं और अपलक व शांत आकाश को निहार रहे हैं। कहीं तालों से उठती भाप ऐसी जान पड़ती है, मानो उनमें आग-सी लग गई हो और धुआँ उठ रहा हो। पूरा दृश्य मनोरम लगता है।
अथवा
(ख) ‘झेन की देन’ पाठ का संदेश क्या है?
उत्तरः
‘झेन की देन’ पाठ का संदेश यह है कि अत्याधिक काम और आकांक्षाएँ मनुष्य का तनाव अनावश्यक रूप से बढ़ा देती हैं। अत्याधिक पाने की लालसा में व्यक्ति का सहज रूप गायब हो जाता है। यह स्थिति पागलपन की ओर ले जाती है। इस पागलपन से बचने के लिए जीवन को सहज बनाए रखना आवश्यक है। हमें भूत और भविष्य में जीने की अपेक्षा वर्तमान में जीना सीखना
होगा, तभी हमारा कल्याण होगा।
प्रश्न 3.
पूरक पाठ्य-पुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से दो के उत्तर दीजिए। (3 x 2 = 6)
(क) सच्ची मित्रता जाति या धर्म को नहीं देखती। जहाँ एक-दूसरे के प्रति प्रेम तथा स्नेह का भाव जागृत होता है वहाँ मित्रता उत्पन्न होती है। इफ्फन और टोपी की मित्रता पर टिप्पणी करते हुए बताइए कि ऐसी मित्रता भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक हो सकती है?
उत्तरः
इफ्फ़न और टोपी चाहे जाति-धर्म से अलग क्यों न हों पर गहरे मित्र थे। दोनों की मित्रता आंतरिक थी। वे बाह्य दिखावा नहीं करते थे। टोपी जाति से ब्राह्मण होने के कारण इफ्फ़न का खाना छूता भी नहीं था, पर इससे उनकी मित्रता में कोई फर्क नहीं था। दोनों ही एक-दूसरे की भावनाएँ समझते थे एवं सम्मान करते थे। घर पर अचानक ‘अम्मी’ शब्द कहने पर टोपी ने मार तक खाई परन्तु इफ्फन के घर न जाने के लिए नहीं माना। अतः दोनों की ‘मित्रता’ बिल्कुल खरी थी एवं सामाजिक भावनाओं से काफी ऊँची थी। भारत में चूँकि सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं इसलिए आपसी प्रेम-भाव बनाये रखने के लिए भारतीय समाज को इस दोस्ती से प्रेरणा लेनी चाहिए।
(ख) खाते-पीते घरों के लड़के ही स्कूल जाया करते। हमारे दो परिवारों में मैं पहला लड़का या जो स्कूल जाने लगा था। ‘सपनों के से दिन’ कहानी के आधार पर बताइए कि लेखक की पढ़ाई ना छूटने के क्या कारण थे?
उत्तरः
लेखक ने अपनी पढ़ाई ना छूटने का कारण बताया कि स्कूल के हेडमास्टर साहब किसी धनी लड़के के घर जाकर उसे पढ़ाते थे। वे उस लड़के की किताबें लेखक को हर साल दिलवा देते थे। कॉपियों, कलम और स्याही का खर्चा सालभर के लिए एक-दो रुपया होता था। वे सात साल उस स्कूल में पढ़े। इस प्रकार पढ़ाई का खर्चा कम हो जाने के कारण लेखक की पढ़ाई चलती रही।
(ग) जैसे कोई नाव बीच मँझधार में फँसी हो और उस पर सवार लोग चिल्लाकर भी अपनी रक्षा न कर सकते हों क्योंकि उनकी चिल्लाहट दूर तक फैले सागर के बीच उठती-गिरती लहरों में विलीन हो जाने के अतिरिक्त कर ही क्या सकती है? हरिहर काका की किस स्थिति को देखकर लेखक चिंतित हो गए?
उत्तरः
लेखक जब हरिहर काका को देखने आए तो उन्होंने उनकी तबियत के बारे में पूछा पर उन्होंने लेखक को देखकर सिर झुका लिया, फिर दोबारा सिर नहीं उठाया। उनकी इस दशा ने कुछ न कहकर भी बहुत कुछ कह दिया। उनकी इस दशा ने लेखक को चिंतित कर दिया।
खण्ड – ‘ख’
(लेखन) (अंक 20)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए – (6 अंक)
(क) विविधताओं का देश: भारत
- अनेकता में एकता
- विश्व में पहचान
- प्राचीनतम संस्कृतियों व धर्मों का मेल
उत्तरः
विविधताओं का देश : भारत:
हमारा देश भारत विविधताओं का देश होते हुए भी एक सूत्र में बँधा है। सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा’ ये बात यूँ ही नहीं कही गई है क्योंकि हमारा देश मात्र ज़मीन का टुकड़ा नहीं बल्कि विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों की मिसाल है। मैं स्वयं भारतीय हूँ और मुझे भारतीय होने पर गर्व हैं क्योंकि मात्र यही धर्म, खान-पान, बोली, भाषा, वेशभूषा, में विविधताएं होते हुए भी गहरी सांस्कृतिक एकता प्रदर्शित करता है। यह विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों वाला देश है। हमारी संस्कृति ने सभी को अपना माना है एवं ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश पूरे विश्व को दिया है। हमारा देश विश्वबंधुत्व की भावना का प्रबल समर्थक है। अपनी इस सद्वृत्ति के कारण यह प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रहा है। आज हम पूरे विश्व में नई शक्ति के रूप में उभर रहे हैं। मैं तो स्वयं को धन्य मानती हूँ कि इस माटी में मेरा जन्म हुआ है और यह मेरी कर्मभूमि भी है। ‘धन्य-धन्य भारत माता’
(ख) मोबाइल फोन-जरूरत या मुसीबत
- क्या है मोबाइल
- सकास्मक पक्ष
- लाभ-हानि
उत्तरः
मोबाइल फोन-जरूरत या मसीबत:
आज का समय पूर्ण रूप से आधुनिक होता जा रहा है, लोग आधुनिकता के साँचे में स्वयं को ढाल रहे हैं। आज हर वर्ग के लोगों के हाथों में आधुनिक गैजेट ‘मोबाइल’ का बोलबाला है। यह अब एक ऐसी जरूरत बन चुकी है कि हम इसके बिना नहीं रह सकते। इसके केवल एक बटन से ही हम देश-दुनिया तक पहुँच सकते हैं। आज-कल की भाग-दौड़ वाली जिंदगी में मोबाइल एक अनूठा संसार बन चुका है। यह हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा बना चुका है कि इसके बिना हम स्वयं को अपाहिज समझते हैं। चूँकि मोबाइल ने सम्प्रेषण की दुनिया को सरल बना दिया है परन्तु अब यह जरूरत के साथ-साथ मुसीबत भी बनता जा रहा है। इसके फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर आदि अनेक ऐप हैं जिसने हमें इसका लती बना दिया है और हम अपना मूल्यवान् समय इसी में व्यर्थ करने लगे हैं। इससे हानिकारक तंरगे निकलती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। हमें इसकी आवश्यकता को समझना चाहिए न कि इसका गुलाम बनना चाहिए ताकि यह जरूरत के समय हमारा सहारा बने न कि मुसीबत।
(ग) ‘करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’
- निरंतर अभ्यास की आवश्यकता
- अभ्यास में ही सफलता
- अभ्यास और परिश्रम
उत्तरः
‘करत करत अभ्यास के जडमति होत सुजान’। “करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रस्सी आवत जात ते सिल पर पड़त निसान।।”…… अर्थात् अभ्यास द्वारा हमारी जड़ अर्थात् नींव मजबूत होती है जिस प्रकार रस्सी द्वारा पत्थर पर भी बार-बार घिसने से निशान बन जाता है उसी प्रकार बार-बार अभ्यास द्वारा हमारी नींव मजबूत होती है। अभ्यास द्वारा कार्य में दक्षता व निपुणता आती है। अभ्यास और परिश्रम दोनों ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिस प्रकार जड़बुद्धि कालिदास भी निरंतर अभ्यास द्वारा विद्वान बन गए उसी प्रकार निरंतर अभ्यास द्वारा कमज़ोर से कमज़ोर विद्यार्थी भी सफलता पा सकता है। मन में यदि दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। कहते हैं ‘जब जागो तब सवेरा।’ कभी असफल हो भी जाओ तो निराश होने की आवश्यकता नहीं। निरंतर कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
प्रश्न 5.
आप ग्रेटर कैलाश लोक कल्याण समिति के अध्यक्ष गुरमीत सिंह हैं। दिल्ली में जल संकट से उत्पन्न कठिनाइयों का वर्णन करते हुए ‘दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य अधिकारी को लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए। (5 अंक)
अथवा
आप द्वारका निवासी सुमन श्रीवास्तव हैं। परिवहन मंत्रालय को ऑटो-रिक्शा की कुव्यवस्था का वर्णन करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में,
महाप्रबंधक महोदय,
दिल्ली जल बोर्ड
ग्रेटर कैलाश
नई दिल्ली
विषयः जल की समस्या के संदर्भ में।
माननीय महोदय, इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान जल की अनियमितता की ओर दिलाना चाहता हूँ। दिल्ली में लगातार जल-संकट गहराता जा रहा है। लोगों में इसके लिए काफी रोष है। ऊँची इमारतों तक तो कम दबाव के कारण जल पहुँच ही नहीं पा रहा है। पूरे शहर में ये परेशानी महसूस की जा रही है।
अत्यधिक प्रभावित इलाकों में केवल एक बार जलापूर्ति की जा रही है परन्तु बाकी इलाकों में पानी का दबाव भी कम होता है। वज़ीराबाद और चंद्रावल वाटर ट्रीटमैंट प्लांट अब भी पूरी क्षमता से पानी की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। जब तक पड़ोसी राज्य से पानी नहीं आ जाता तब तक स्थिति में कोई सुधार की उम्मीद कम ही है। दक्षिणापुरी, अंबेडकर नगर, ग्रेटर कैलाश एवं वसंत कुंज सहित दक्षिणी दिल्ली के इलाकों में पानी का दबाव काफी कम है। इस समस्या का सामना पूरा शहर कर रहा है।
अतः आप से अनुरोध है कि जनता की असुविधाओं को ध्यान में रखकर इस संकट से मुक्ति दिलाएँ।
धन्यवाद
भवदीय
गुरमीत सिंह (अध्यक्ष)
ग्रेटर कैलाश लोक कल्याण समिति
दिनांक: 25/02/20XX
अथवा
सेवा में,
श्रीमान परिवहन मंत्री
परिवहन विभाग
दिल्ली सरकार, दिल्ली
विषयः ऑटो-रिक्शा की कुव्यवस्था के संबंध में पत्र
माननीय महोदय,
मैं आपका ध्यान दिल्ली में चलने वाले ऑटो-रिक्शा की कुव्यवस्था की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। सरकार ने ऑटो-रिक्शा में मीटर की तो व्यवस्था करा दी, पर चालकों को यह व्यवस्था पसंद नहीं आई इसलिए वे इसका उपयोग न के बराबर ही कर रहे हैं। वे किराया मनचाहा वसूल करते हैं या कहते हैं मीटर खराब है। उनकी बात न मानें तो वे जाने से भी मना कर देते हैं। हम विवश हैं इसलिए लाचारी वश ही किराया जो वे मनमाना वसूल कर रहे हैं वह देना पड़ता है। इस प्रकार नागरिकों का शोषण हो रहा है। अतः आप से निवेदन है कि ऑटो रिक्शा चालकों के विरुद्ध उचित कार्यवाही करें।
धन्यवाद
भवदीय
सुमन श्रीवास्तव (अध्यक्ष)
द्वारका निवासी संघ, नई दिल्ली
प्रश्न 6.
(क) आप मोहल्ला सुधार समिति के सचिव हैं। मोहल्ले में गणतंत्र दिवस आयोजन में भाग लेने के इच्छुक बच्चों के लिए सूचना तैयार कीजिए।
अथवा
आप दक्षिण-पूर्व रेलवे स्टेशन अधीक्षक हैं। दक्षिण, पूर्व रेलवे संभाग की गाड़ियाँ विलंब से चल रही हैं। इस विषय पर सूचना लिखिए। (2.5)
उत्तरः
सूचना
‘अनमोल वाटिका’ में रहने वाले लोगों को सूचित किया जाता है कि आने वाले ‘गणतंत्र दिवस’ का आयोजन बड़ी धूमधाम से इस मोहल्ले में किया जाएगा। जिसमें मोहल्ले के बच्चों के कार्यक्रम, भाषण, कविता एवं विभिन्न प्रकार के रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन होगा। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इच्छुक बच्चे अपना नाम जल्द-से-जल्द मोहल्ला सुधार समिति के कार्यालय में दें एवं इस रंगारंग कार्यक्रम में अपना योगदान दें।
दिनांक- 5.01.20XX
मौहल्ला सुधार समिति
नीरज आहुजा (सचिव)
अथवा
सूचना
दक्षिण पूर्व रेलवे
यात्रियों को सूचित किया जाता है कि दक्षिण पूर्व रेलवे संभाग की ओर आने वाली सभी गाड़ियाँ अपने निर्धारित समय से दो घंटे देर से चल रही हैं। यात्रियों की असुविधा के लिए खेद है। दिनांक- 25 -05 -20XX
स्टेशन अधीक्षक
दक्षिण पूर्व रेलवे
(ख) आप डी. ए. वी. पब्लिक स्कूल के छात्र सचिव राकेश कुमार हैं। आपके विद्यालय के वार्षिक उत्सव में नाटक मंचन हेतु इच्छुक छात्रों को जानकारी देने हेतु लगभग 50 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए।
अथवा
आदर्श पब्लिक स्कूल, विकासपुरी नई दिल्ली के सांस्कृतिक, विभाग की ओर से ‘स्वर परीक्षा समारोह का आयोजन’ दिनांक 14 सितम्बर, 20XX को होने जा रहा है। इस समारोह में भाग लेने वाले विद्यार्थियों के लिए सूचना तैयार करें।
उत्तरः
दिनांक: 24-07-20XX
डी. ए. वी. पब्लिक स्कूल
सूचना
नाटक मंचन का आयोजन
इस विद्यालय के सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय के वार्षिक उत्सव में नाटक मंचन किया जाएगा। जो भी छात्र नाटक में अभिनय करने के इच्छुक हों, वे 03 अगस्त 20XX को अंतिम दो कक्षा (Period) में स्क्रीन टेस्ट हेतु विद्यालय के सभागार में उपस्थित रहें
राकेश कुमार
छात्र सचिव
अथवा
सूचना
आदर्श पब्लिक स्कूल, विकासपुरी नई दिल्ली
सूचना
दिनांक : 15 जुलाई, 20XX कक्षा- VI से XII तक
स्वर परीक्षा समारोह
कक्षा- VI से XII तक के सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय में सांस्कृतिक विभाग की ओर से ‘स्वर-परीक्षा समारोह का आयोजन दिनांक 1 अगस्त, 20XX को विद्यालय के प्रांगण में होने जा रहा है। इच्छुक छात्र-छात्राएँ अपनी कक्षा.अध्यापिका को अपना नाम जल्द से जल्द दें एवं 1 अगस्त को प्रातः 8 बजे विद्यालय के प्रांगण में एकत्रित हों। विजेताओं को उचित पुरस्कार एवं प्रशस्ति-पत्र दिए जाएँगे। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें|
सुमन (सचिव, सांस्कृतिक विभाग)
प्रश्न 7.
(क) गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को नि:शुल्क नृत्य सिखाने के लिए ‘नटराज’ संस्थान की ओर से अधिक-से-अधिक बच्चों को प्रवेश लेने हेतु लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
‘जल है तो कल है’ के लिए विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
अथवा
(ख) योग संस्थान में योग कोर्स के लिए विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
बॉलपेनों की एक कंपनी ‘फेयर’ नाम से बाजार में आई है। उसके लिए एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
अथवा
प्रश्न 8.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघुकथा लिखिए।
चित्र के आधार पर कहानी लिखिए।
अथवा
‘बिना विचारे जो करे सो पाछे पछिताये’ शीर्षक के आधार पर कहानी लिखो ।
उत्तरः
एक समय की बात थी। किसी जंगल में एक कौवा रहता था। वह खुश था क्योंकि उसकी ज्यादा इच्छाएँ नहीं थीं। एक बार उसने जंगल में किसी हंस को देखा और सोचने लगा कि कैसा साफ और सुंदर पक्षी है, इसलिए बहुत खुश रहता होगा। कौवा हंस के पास गया और पूछा कि तुम तो इतने सुंदर हो, इसलिए बहुत खुश रहते होगे। इस पर हंस ने जवाब दिया हाँ, पहले मैं खुश था पर जब मैंने तोते को देखा तो लगा कि तोता धरती का सबसे सुंदर प्राणी हैं। हम दोनों के शरीर पर एक-एक ही रंग है पर तोते के गले में लाल घेरा और सुर्ख लाल चोंच तथा गहरे हरे रंग का है, सच में वो बेहद खूबसूरत है। अब कौवा भी सोचने लगा कि उसे देखना होगा। कौवा तोते के पास गया और उससे कहा कि तुम इतने रंग पाकर बहुत खुश होंगे। तोते ने कहा हाँ, मैं खुश था पर जब मैंने मोर को देखा तो उदास हो गया। फिर कौवा मोर से मिलने चिड़ियाघर गया, लोग उसके साथ फोटो खिंचवा रहे थे। कौवे ने मोर से पूछा तुम तो कितने सुंदर हो इसलिए खुश भी बहुत होंगे। मोर ने कहा मैं खुश नहीं हूँ क्योंकि मैं कैद में हूँ, अपनी मर्जी से घूम नहीं सकता, बंदी बना हुआ हूँ। पर तुम खुश होंगे क्योंकि तुम अपनी मर्जी से घूम सकते हो। मोर की बात सुनकर कौवा हैरान हो गया क्योंकि उसके जीवन की अहमियत कोई और ही बता गया।
शिक्षा-अपनी तुलना दूसरे से न करें।
‘बिना विचारे जो करे सो पाछे पछिताए’
अथवा
एक किसान था। उसके पास नेवला था। एक दिन किसान किसी काम से बाहर गया। उसकी पत्नी घर के कार्यों में व्यस्त थी। उसका छोटा बच्चा अकेले कमरे में सो रहा था। तभी अचानक एक भयंकर सर्प आया जिसे देख कर नेवले ने बच्चे को बचाने के लिए पूरी शक्ति के साथ आक्रमण कर दिया। काफी लड़ाई के बाद नेवले ने साँप को मार दिया। बच्चे के चेहरे पर बस खून ही लगा था, पर जब किसान की पत्नी आई और बच्चे के चेहरे पर लगा खून देखा तो उसने समझा कि नेवले ने बच्चे को कष्ट पहुँचाया है और उसने आवेशवश नेवले को मार दिया, पर जब उसने ज़मीन पर मरा साँप देखा तो उसे अपनी गलती का अहसास हो गया। सच ही है
‘बिना विचारे जो करे सो पाछे पछिताए’