CBSE Class 6 Hindi रचना अनुच्छेद-लेखन
किसी विचार अथवा भाव को व्यक्त करने हेतु सुगठित वाक्य समूह को अनुच्छेद के नाम से पुकारा जाता है। इसमें सभी वाक्य सार्थक होते हैं। एक ही पैरगग्राफ में अपने विचारों को प्रस्तुत किया जाता है। यह लगभग 80 से 100 शब्दों तक लिखा जाता है।
अनुच्छेद के कुछ उदाहरण देखिए-
1. जल की महत्ता
एक समय था, जब जल हर स्थान पर मिल जाता था। इसको कोई महत्व नहीं दिया जाता था। परंतु तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या तथा परिवर्तिंत जीवन शैली के कारण जल अब दुर्लभ हो गया है। इसी दुर्लभता के कारण जल का मूल्य बहुत अधिक बढ़ गया है। अब जल की माँग, सिंचाई के साथ-साथ उद्योग एवं घोरूूू उपयोग के लिए भी बढ़ गई है। जल एक बहुमूल्य संसाधन बन गया है। नगरों में ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा इसकी आवश्यकता भारी मात्रा में है। ग्रामीण क्षेत्रों में जिस जल का उपयोग किया जाता है, उसमें कई दूषित पदार्थ पाए जाते हैं। अतः जल को संध्छ करने की व्यवस्था होनी चाहिए।
2. वाणी की मधुरता
हमारी वाणी इतनी शक्तिशाली होती है कि हम किसी को भी अपना बना सकते हैं और किसी को भी दूर कर सकते हैं। यदि हम किसी से प्रेमपूर्वक वार्तालाप करते हैं तो वह हमसे आकर्षित होता है और कठोर शब्दों का प्रयोग करते हैं तो वह हमसे दूर चला जाता है। मध उर वचन सिर्फ श्रोता को ही नहीं, बल्कि वक्ता को भी शांति और आत्मिक सुख प्रदान करते हैं। किसी के दुख में यदि हम सहानुभूति के दो शब्द भी बोल दें तो वे उसे बहुत सहारा देते हैं। मधुरभाषी सदैव स्नेह और सम्मान प्राप्त करते हैं, पराए भी उनके अपने बन जाते हैं। सभी के द्वारा उनको प्रशंसा प्राप्त होती है। मधुर वाणी बोलने वाले कभी किसी पर क्रोध नहीं दर्शाते, बल्कि सौहार्द अथवा प्रेम से समाज में मेल-जोल बढ़ाते हैं।
3. विश्वासपात्र मित्र
विश्वासपात्र मित्र जीवन में एक औषधि है। हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों में हमें दृढ़ करेंगे, दोषों और त्रुटियों से हमें बचाएँगे। सत्य, पवित्रता और मर्यादा से हमारे प्रेम को पुष्ट करेंगे। जब हम कुमार्ग की ओर अग्रसर होंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे। जब हम हतोत्साहित होंगे तब हमें उत्साहित करेंगे। तात्पर्य यह है कि उत्तमतापूर्वक जीवन-निर्वाह करने में हर तरह से मदद करेंगे। सच्ची मित्रता में सर्वोत्तम वैद्य की-सी निपुणता और परख होती है, अच्छी-से-अच्छी माँ के समान धैर्य एवं स्नेह होता है। किसी प्राचीन विद्वान ने कहा है – “विश्वासपात्र मित्र से बड़ी रक्षा होती है। जिसे ऐसा मित्र मिल जाए, उसे समझना चाहिए कि खज़ाना मिल गया।” ऐसी ही मित्रता करने का प्रयत्ल प्रत्येक मनुष्य को करना चाहिए।
4. श्रम
भारत देश के शिक्षित युवा वर्ग की बेकारी का सबसे बड़ा कारण है – ‘श्रम से परहेज करना’। युवा वर्ग यह नहीं सोचता कि परिश्रम का फल कितना आनंददायक होता है। ईसा मसीह तक ने लोगों को यह संदेश दिया है कि कठोर परिश्रम के बाद शरीर को सुख मिलता है और मन को संतोष। भारत में इसके बिल्कुल विपरीत हो रहा है। लोगों ने यह मान लिया है कि जो परिश्रम करता है, उसका समाज में नीचा स्थान है। बिना परिश्रम के जो व्यक्ति धन कमाते हैं, वे विभिन्न प्रकार के रोगों के शिकार हो जाते हैं। वही समाज स्वस्थ एवं सुखी होता है जो परिश्रम को पूज्य तथा सम्मान की दृष्टि से देखता है। स्वस्थ और सुखमय जीवन का रहस्य श्रम ही है।
5. सच्चे वीर
सच्चे वीर अपने प्रेम के ज़ोर से लोगों को हमेशा के लिए बाँध देते हैं। वीरता की अभिव्यक्ति कई प्रकार से होती है, कभी लड़ने-मरने से, तो कभी तोप-तलवार के सामने बलिदान करने से, कभी खून बहाने से, तो कभी जीवन के गूढ़ तत्व और सत्य की तलाश में सिद्ध गर्थ जैसे राजकुमार की तरह विरक्त हो जाने से। वीरता सदैव निराली और नई होती है। वीरों को बनाने के कारखाने नहीं होते हैं, वे देवदार वृक्ष की तरह बिना पानी के ही बढ़ते जाते हैं। ‘जीवन के केंद्र में निवास करो तथा सत्य की चट्टान पर दृढ़ता से खड़े हो जाओ। ‘बाहर की सतह छोड़कर जीवन के अंदर की तहों में पहुँचो, तब नए रंग खिलेंगे’ यही वीरता का संदेश है।
6. कंप्यूटर का महत्व
आज का युग कंप्यूटर का युग है। कंप्यूटर एक ऐसा मशीनी मस्तिष्क है जो ऐसे-ऐसे कार्य करने में सक्षम है जो मनुष्य की पहुँच से बाहर का है। लाखों, करोड़ों व इससे भी अधिक संख्याओं की गणना यह पलक झपकते ही करने की क्षमता रखता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भले ही मनुष्य इसके उपयोग में किसी प्रकार की कोई गलती कर दे, लेकिन यह सही सूचना देने में पूर्णतया सफल होता है। आज कंप्यूटर सभी विभागों, कार्यालयों, बैंको, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों यहाँ तक कि बस स्टैंडों और दुकानों तक के कार्यों में पूर्ण सहयोगी है। मनोरंजन के साधनों में भी इसकी कोई बराबरी नहीं कर सकता। बच्चे तो बच्चे बड़े भी इसके मनोरंजन से प्रसन्न रहते हैं। परंतु कई बार कुछ लोग इसका गलत प्रयोग कर स्वयं ही राह भटक जाते हैं जो कि गलत बात है। हमें इस अत्यंत महत्वपूर्ण यंत्र का प्रयोग बड़ी सावधानी के साथ करना चाहिए।