Reading Class 8 Hindi Notes Malhar Chapter 4 हरिद्वार Summary in Hindi Explanation helps students understand the main plot quickly.
हरिद्वार Class 8 Summary in Hindi
हरिद्वार Class 8 Hindi Summary
हरिद्वार का सारांश – हरिद्वार Class 8 Summary in Hindi
प्रस्तुत पाठ हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध रचनाकार भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित एक पत्र है। इसमें लेखक ने हरिद्वार की सुंदरता, धार्मिक महत्व और वहाँ के जीवन का विस्तृत वर्णन किया है। वे हरिद्वार को ‘पुण्यभूमि’ और ‘मोक्षदायिनी’ मानते हैं।
लेखक बताते हैं कि हरिद्वार में गंगा नदी की निर्मल धारा बहती है और उसके तट पर विभिन्न घाट, मंदिर और आश्रम हैं। वे कनखल, कुशावर्त्त, नीलधारा, विल्वपर्वत और मानसा देवी मंदिर जैसे महत्वपूर्ण स्थलों का भी उल्लेख करते हैं । लेखक हरिद्वार की प्राकृतिक सुषमा, पर्वतों की हरियाली, झरनों और गंगा की पवित्रता से अत्यधिक प्रभावित हैं।

पाठ में यात्रियों और साधुओं की भीड़, धार्मिक अनुष्ठान और दान-पुण्य का भी चित्रण किया गया है। लेखक स्वयं गंगा स्नान और विभिन्न मंदिरों में दर्शन का अनुभव साझा करते हैं। वे हरिद्वार की महिमा का गुणगान करते हुए कहते हैं कि यह स्थान ज्ञान, शांति और भक्ति का केंद्र है, जहाँ आकर मनुष्य को असीम संतोष और आनंद मिलता है। लेखक का मानना है कि हरिद्वार की यात्रा केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि शिक्षा और आत्मिक उन्नति का माध्यम भी है। अंत में, लेखक इस पुण्यभूमि की प्रशंसा करते हुए पाठकों को भी यहाँ आने के लिए प्रेरित करते हैं।
शब्दार्थः
पृष्ठ संख्या – 45 :
पुण्यभूमि – पवित्र भूमि ।
वल्ली – लता ।
घाम – धूप |
अर्थी – याचक (माँगने वाला) ।
विमुख – मुँह मोड़ना ।

पृष्ठ संख्या – 46 :
कल्लोल – क्रीड़ा, अठखेलियाँ, मौज-मस्ती । (जल-जंतुओं के लिए) ।
त्रिभुवन पावनी – तीनों लोकों को पवित्र करने वाली (गंगा नदी के लिए प्रयुक्त) ।
भगीरथ – पौराणिक राजा जिन्होंने गंगा को पृथ्वी पर लाया था।
उज्ज्वल कीर्ति – चमकीली/शानदार प्रसिद्धि।
लता-सी – बेल के समान ।
बिछायत – बिछौना ।
जल-जंतु – पानी में रहने वाले जीव ।
पाट – नदी का किनारा या चौड़ाई।
वेग – गति, बहाव।
धर्मशाला – यात्रियों के ठहरने का स्थान ।
वैरागी – सांसारिक मोह माया त्यागने वाला व्यक्ति, साधु ।
मठ – साधुओं का आश्रम।
देवत्व – देवभाव, ईश्वर होने का गुण ।

पृष्ठ संख्या-47 :
खानि (खान) – स्रोत, भंडार, उत्पत्ति का स्थान।
पंडे – दुकानदार – पुरोहित और दुकानदार, ‘पंडे’ पुरोहितों के लिए इस्तेमालं किया जाता है।
कनखल – हरिद्वार के पास एक प्राचीन तीर्थ स्थान ।
ज्वालापुर – हरिद्वार के पास एक अन्य स्थान ।
विलक्षण – अनोखा, अद्भुत, असाधारण ।
संतोषी – संतोष करने वाला, संतुष्ट ।
कुशावर्त – हरिद्वार में एक कुंड / तीर्थ स्थान ।
नीलधारा – गंगा की एक धारा।
विल्व पर्वत – एक पर्वत, जिस पर विल्वेश्वर महादेव की मूर्ति है ।
हरि की पैड़ी – हरिद्वार का प्रसिद्ध घाट जहाँ गंगा स्नान किया जाता है।
विल्वेश्वर महादेव – भगवान शिव का एक रूप ।
दक्ष – पौराणिक कथाओं के अनुसार एक प्रजापति, जिन्होंने कनखल में यज्ञ किया था।
सती – दक्ष की पुत्री और भगवान शिव की पत्नी, जिन्होंने दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह किया था।
भारामल जैकृष्णदास खत्री – गद्यांश में वर्णित एक धनी व्यक्ति ।
निर्मल – स्वच्छ, पवित्र, शुद्ध ।
सेवन योग्य – रहने योग्य, अनुभव करने योग्य ।
पारायण – किसी ग्रंथ या पाठ का अध्ययन करना। (यहाँ श्री भागवत का पारायण)
परमानंदी – परमानंद में रहने वाला, अत्यधिक प्रसन्न ।
निदान – अंत में, आखिर में।

पृष्ठ संख्या – 48 :
कुशा – एक प्रकार की पवित्र घास ।
सुगंधमय – सुगंध से युक्त, खुशबूदार ।
अपूर्व – अनोखा, अद्भुत।
विरागमय साधु – वैराग्य धारण करने वाले साधु।