Students prefer Class 7 Hindi Extra Question Answer Malhar Chapter 8 बिरजू महाराज से साक्षात्कार Extra Questions and Answers that are written in simple and clear language.
Class 7 Hindi बिरजू महाराज से साक्षात्कार Extra Question Answer
Class 7 Hindi Chapter 8 Extra Question Answer बिरजू महाराज से साक्षात्कार
NCERT Class 7 Hindi Chapter 8 Extra Questions अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बिरजू महाराज का बचपन में जीवन कैसा था?
उत्तर :
बिरजू महाराज का बचपन में जीवन संघर्षों से भरा था।
प्रश्न 2.
बिरजू महाराज ने पिता को भेंट कैसे दी?
उत्तर :
बिरजू महाराज ने दो कार्यक्रमों की कमाई अपने पिता को भेंट स्वरूप दी।
प्रश्न 3.
बिरजू महाराज की माताजी ने ज़री की साड़ियाँ जलाकर क्या किया?
उत्तर :
बिरजू महाराज की माताजी ने ज़री की साड़ियाँ जलाकर उसमें से सोने चाँदी के तार निकालकर बेचे ।
प्रश्न 4.
‘गंडा’ क्या होता है?
उत्तर :
‘गंडा’ एक प्रकार का ताबीज़ है जो गुरु- शिष्य को बाँधता है।
प्रश्न 5.
‘बिरजू महाराज’ के लिए उनके पिता और चाचा किसके समान थे ?
उत्तर :
‘बिरजू महाराज’ के लिए उनके पिता और चाचा ब्रह्मा, विष्णु और महेश थे।
बिरजू महाराज से साक्षात्कार Class 7 Hindi Extra Question Answer लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बिरजू महाराज ने अपनी बेटियों के संबंध में क्या निर्णय लिया और क्यों ?
उत्तर :
बिरजू महाराज ने अपनी बेटियों को कथक सिखाया, क्योंकि उनका मानना था कि लड़कियों के पास शिक्षा या कोई न कोई हुनर अवश्य होना चाहिए ताकि वे आत्मनिर्भर हो सकें। उनका मानना था कि हुनर ऐसा खज़ाना है, जिसे कोई नहीं छीन सकता और वक्त पड़ने पर काम आता है।
प्रश्न 2.
बिरजू महाराज ने किस प्रकार अपने पिता से कथक की तालीम लेनी शुरू की?
उत्तर :
कथक की तालीम शुरू करते समय गुरु-शिष्यों को गंडा (ताबीज़) बाँधते हैं और शिष्य गुरु को भेंट देता है। जब बिरजू महाराज ने अपने पिता से गुरु रूप में तालीम देने की बात की तो उनके पिता ने कहा, कि भेंट मिलने पर ही वे गंडा (ताबीज़) बाँधंगे, तब बिरजू की माताजी ने उनके कार्यक्रमों की कमाई बाबूजी को भेंट के रूप में दी।
प्रश्न 3.
बिरजू महाराज को किस प्रकार चित्रकारी का शौक लगा?
उत्तर :
बिरजू महाराज की बेटी-दामाद चित्रकार हैं, उन्हें देख-देखकर पेंटिंग बनाने का शौक उन्हें भी हो गया । वे प्रायः रात बारह बजे के बाद चित्र बनाने बैठते और जब नींद में आँखे बंद होने लगती तो ब्रश को एक तरफ रखकर सो जाते। उन्होंने दो वर्षों में लगभग सत्तर चित्र बनाए थे।
प्रश्न 4.
लय और खेल के संबंध में बिरजू महाराज के क्या विचार थे?
उत्तर :
बिरजू महाराज चाहते थे कि माता-पिता अपने बच्चों को लय के साथ खेलने दें। जैसे अन्य खेल हैं वैसे ही यह भी एक खेल है, जिसमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
बिरजू महाराज से साक्षात्कार Extra Questions दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
“ अगर मैं नर्तक न होता तो शायद इंजीनियर होता” बिरजू महाराज ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
बिरजू महाराज ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उनका मशीनों में बहुत मन लगता था । कोई भी मशीन या यंत्र खोलकर उसके कल – 1 -पुर्जे देखने की जिज्ञासा होती थी। वे अपने ब्रीफकेस में हरदम पेचकस और दूसरे छोटे-मोटे औजार रखते थे। वे अपना पंखा, फ्रिज व अन्य मशीनें भी स्वयं ही ठीक कर लिया करते थे। मशीनों के प्रति अपने लगाव को देखकर उन्हें लगता था कि यदि वे नर्तक न होते तो शायद इंजीनियर होते।
प्रश्न 2.
‘कथक’ और भरतनाट्यम में क्या अंतर है?
उत्तर :
कथक की भाव-भंगिमा दैनिक जीवन से ली गई है और भरतनाट्यम में मूर्तिकला से । भरतनाट्यम में दोनों भावों का इकट्ठा प्रयोग होता है और कथक में बारी-बारी से। ओडिसी और मणिपुरी में कोमलता है, कथकली में ओज है। कथक में दोनों हैं। कथक में गर्दन को हल्के से हिलाया जाता है। चिराग की लौ के समान । इसी प्रकार उँगलियाँ भी धीरे-धीरे हिलाई जाती हैं।
प्रश्न 3.
पहले समय में नर्तक कथा के दृश्यों का कैसा वर्णन करते थे?
उत्तर :
पहले नर्तक कथा के दृश्यों का ऐसा विस्तृत वर्णन करते थे कि दर्शक के सामने पूरा दृश्य खिंच जाता था – कि कैसे गोपियों ने घड़ा उठाया, धीमी चाल से पनघट की ओर चली, पीछे से कृष्ण चुपचाप आए, कंकड़ उठाया और दे मारा। अब सिर्फ ‘पनघट की गत देखो’ कहकर बाकी दर्शक की कल्पना पर छोड़ दिया जाता था ।
Class 7 Hindi Chapter 8 Extra Questions and Answers योग्यता विस्तार प्रश्न
प्रश्न 1.
‘चाहे नृत्य हो या कुछ और, परंपरा एक वृक्ष के समान होती है’- अपने विचारानुसार और बिरजू महाराज के कथनानुसार तथ्य स्पष्ट करें।
उत्तर :
चाहे नृत्य हो या कुछ और, परंपरा एक वृक्ष के समान होती है- यह कथन बिल्कुल सही है, वह परंपरा ही होती है जिसमें पीढ़ी-दर-पीढ़ी फल लगते चले आते हैं। अपनी इस बात को स्पष्ट करते हुए बिरजू महाराज बताते हैं कि एक बार उनसे फ्रांस के एक दर्शक ने कहा, नहीं जानता कि यशोदा कौन है? तब बिरजू महाराज ने उन्हें बताया कि इस धरती पर सब माँएँ यशोदा हैं और बच्चे नन्हें कृष्ण हैं। सबकी जिद, रोना, उठना, बैठना सब एक जैसा होता है। धीरे-धीरे हमें भाषा और संस्कार अलग-अलग मिलते हैं। इसी प्रकार नृत्य और परंपरा भी एक वृक्ष के समान होती हैं जो सबको एक जैसी छाया और आश्रय देती है, फिर भले ही उसके नीचे विश्राम करने वालों का स्वभाव, अलग-अलग ही क्यों ना हों।
प्रश्न 2.
जीवन में संगीत के अनेक लाभ हैं जिन्हें बिरजू महाराज ने भी प्रकट किया है। अपने विचार के अनुसार उन्हें लिखें।
उत्तर :
जीवन में संगीत के निम्नलिखित लाभ हैं-
1. इससे मन को शांति मिलती है।
2. मानसिक तनाव दूर होता है ।
3. मन प्रसन्न रहता है।
4. इससे अनुशासन आता है।
5. संगीत संतुलन सिखाता है।
6. नाचने, गाने और बजाने वाले एक- दूसरे के साथ तालमेल बैठाकर एक नई रचना करते हैं।
7. सुर और लय से हमें एक-दूसरे का सहयोगी बनकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
8. समय का सदुपयोग सीखते हैं।
NCERT Class 7 Hindi Chapter 8 Extra Questions अर्थग्रहण संबंधी एवं प्रश्न
दिए गए गद्यांशों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. मेरे गुरु थे मेरे पिता अच्छन महाराज और चाचा शंभु महाराज और लच्छू महाराज। घर में चूँकि कथक का माहौल था, अत: औपचारिक प्रशिक्षण शुरू होने से पहले ही मैं देख-देखकर कथक सीख गया था और नवाब के दरबार में नाचने भी लगा था । कथक की तालीम शुरू करते समय गुरु शिष्यों को गंडा (ताबीज़ ) बाँधते हैं और शिष्य गुरु को भेंट देता है। जब मेरी तालीम शुरू होने की बात आई तो बाबूजी ने कहा, “ भेंट मिलने पर ही गंडा बाँधूंगा । ” इस पर अम्मा ने मेरे दो कार्यक्रमों की कमाई बाबूजी को भेंट के रूप में दे दी। ‘गंडा’ गुरु और शिष्य के बीच पवित्र रिश्ता होता है। मैंने अब इस रस्म को उल्टा कर दिया है। कई वर्षों तक नृत्य सिखाने के बाद जब देखता हूँ कि शिष्य में सच्ची लगन है तभी गंडा बाँधता हूँ । (पृष्ठ 97-98)
(क) बिरजू महाराज के गुरु कौन थे?
उत्तर :
बिरजू महाराज के गुरु उनके पिता अच्छन महाराज और चाचा, शंभू महाराज तथा लच्छू महाराज थे।
(ख) कथक की तालीम शुरू होने से पहले ही बिरजू महाराज किस प्रकार कथक सीख गए थे?
उत्तर :
बिरजू महाराज के घर कथक का माहौल था अतः प्रशिक्षण शुरू होने से पहले ही वह घर में देख-देखकर कथक सीख गए थे।
(ग) तालीम शुरू होने से पूर्व बिरजू महाराज के पिता ने क्या कहा?
उत्तर :
तालीम शुरू होने से पूर्व बिरजू महाराज के पिता -” भेट मिलने पर ही गंडा बाँधूगा । ”
ने कहा-
2. कथक की परंपरा बहुत पुरानी है । ‘महाभारत’ के आदिपर्व और ‘रामायण’ में इसकी चर्चा मिलती है। पहले कथक रोचक और अनौपचारिक रूप से कथा कहने का ढंग होता था। तब यह मंदिरों तक ही सीमित था । हमारे लखनऊ घराने के लोग मूलत: बनारस – इलाहाबाद के बीच हरिया गाँव के रहने वाले थे। वहाँ 989 कथिकों के घर हुआ करते थे। कथिकों का एक तालाब अभी भी है। गाँव में एक बैरगिया नाला है, जिसके साथ यह कहानी जुड़ी हुई है – एक बार नौ कथिक नाले के पास से गुजर रहे थे कि तीन डाकू वहाँ आ पहुँचे। कुछ कथिक डर गए, किंतु उन कथिकों की कला में इतना दम था कि डाकू सब कुछ भूलकर उन कथिकों के कथक में मग्न हो गए । (पृष्ठ 98)
(क) किन प्राचीन ग्रंथों में कथक का वर्णन मिलता है?
उत्तर :
‘महाभारत और रामायण’ में कथक का वर्णन मिलता है।
(ख) ‘कथक घराने’ के लोग कहाँ के रहने वाले थे?
उत्तर :
कथक घराने के लोग मूलतः बनारस- इलाहाबाद के बीच हरिया गाँव के रहने वाले थे।
(ग) गाँव के बैरगिया नाले के साथ कौन-सी कहानी जुड़ी हुई थी ?
उत्तर :
गाँव के बैरगिया नाले के साथ यह कहानी जुड़ी हुई थी कि एक बार नौ कथिक नाले के पास से गुजर रहे थे कि तीन डाकू वहाँ आ पहुँचे। कुछ कथिक डर गए, किंतु उन कथिकों की कला में इतना दम था कि डाकू सब कुछ भूलकर उन कथिकों के कथक में मग्न हो गए।
3. गाना, बजाना और नाचना – ये तीनों संगीत का हिस्सा” हैं। संगीत में लय होती है। उसका ज्ञान आवश्यक है। नृत्य में शरीर, ध्यान और तपस्या का साधन होता है । नृत्य करना एक तरह से अदृश्य शक्ति को निमंत्रण देना है – कृष्ण, मेरे अंदर समाओ और नाचो । नृत्य ही नहीं, हमारी हर गतिविधि में लय होती है। घसियारा घास को हाथ से पकड़ कर उस पर हँसिया मारता है और फिर घास हटाता है। मारने और हटाने की इस लय में जरा भी गड़बड़ी हुई नहीं कि उसका हाथ गया। लय हर काम में, नृत्य में, जीवन में संतुलन बनाए रखती है। लय एक तरह का आवरण है, जो नृत्य को सुंदरता प्रदान करती है। अगर नर्तक को सुर-ताल की समझ है तो वह जान पाएगा कि यह लहरा ठीक नहीं है। इसके माध्यम से नृत्य अंगों में प्रवेश नहीं करेगा। (पृष्ठ 99)
(क) नृत्य क्या है?
उत्तर :
नृत्य में शरीर, ध्यान और तपस्या का साधन होता है। नृत्य करना एक तरह से अदृश्य शक्ति को निमंत्रण देना है।
(ख) नर्तक को लहरा की पहचान कैसे होगी ?
उत्तर :
अगर नर्तक को सुर-ताल की समझ है तो वह जान पाएगा कि यह लहरा ठीक नहीं है।
(ग) लय क्या कार्य करती है?
उत्तर :
लय हर काम में, नृत्य में, जीवन में संतुलन बनाए रखती है। लय एक तरह का आवरण है जो नृत्य को सुंदरता प्रदान करती है।
4. भाषाएँ अलग-अलग होती हैं पर इंसान तो सब जगह एक-से होते हैं। फ्रांस में एक दर्शक ने कहा, “मैं नहीं जानता कि यशोदा कौन है?” मैंने उन्हें बताया कि इस धरती पर सब माँएँ यशोदा हैं और सब नन्हें बच्चे कृष्ण। बच्चे की जिद, रोना, उठना, बैठना, सब जगह एक जैसा होता है। धीरे-धीरे हमें अलग-अलग भाषा, संस्कार और तौर-तरीके मिलते हैं। चाहे नृत्य हो या कुछ और, परंपरा एक वृक्ष के सामन होती है, जो सबको एक जैसी छाया और आश्रय देती है। उसके नीचे बैठने वाले अलग-अलग स्वभाव के होते हैं। वृक्ष से लिए बीज को बोएँ तो समय आने पर ही एक और वृक्ष फलेगा। वह नया वृक्ष कैसा होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उसे कैसी हवा, पानी और खाद मिलता है। (पृष्ठ 100)
(क) फ्रांस के एक दर्शक को बिरजू महाराज ने क्या बताया?
उत्तर :
फ्रांस के एक दर्शक को बिरजू महाराज ने बताया कि इस धरती पर सब माँएँ यशोदा हैं और सब नन्हें बच्चे कृष्ण।
(ख) परंपरा को किसके समान बताया गया है और क्यों?
उत्तर :
परंपरा को वृक्ष के समान बताया गया है जो सबको एक जैसी छाया और आश्रय देता है ।
(ग) बच्चों को धीरे-धीरे क्या सीखने को मिलता है?
उत्तर :
बच्चों को धीरे-धीरे भाषा, संस्कार और तौर-तरीके सीखने को मिलते हैं।
5. खाली तो होता ही नहीं हूँ। नींद में भी हाथ चलता रहता है। मशीनों में मन खूब लगता है। अगर मैं नर्तक न होता तो शायद इंजीनियर होता । कोई भी मशीन या यंत्र खोलकर उसके कल-पुर्जे देखने की जिज्ञासा होती है। तुम्हें जानकर हैरानी होगी कि मैं अपने ब्रीफकेस में हरदम पेचकस और दूसरे छोटे-मोटे औजार रखता हूँ। कभी अपना पंखा- फ्रिज ठीक किया तो कभी और मशीनें | बेटी-दामाद चित्रकार हैं, उन्हें देख-देखकर पेंटिंग बनाने का भी शौक हो गया है। प्रायः रात बारह बजे के बाद चित्र बनाने बैठता हूँ। जब नींद से आँखें बंद होने लगती हैं तो ब्रश एक तरफ रख देता हूँ और सो जाता हूँ। पिछले दो वर्षों में लगभग सत्तर चित्र बनाए हैं। (पृष्ठ 102)
(क) बिरजू महाराज अगर नर्तक ना होते तो क्या होते?
उत्तर :
बिरजू महाराज अगर नर्तक ना होते तो इंजीनियर होते ।
(ख) बिरजू महाराज के ब्रीफकेस में हमेशा क्या रखा रहता था और वे उससे क्या करते थे?
उत्तर :
बिरजू महाराज के ब्रीफकेस में हरदम पेचकस और दूसरे छोटे-मोटे औजार रहते थे, जिससे वे अपना पंखा, फ्रिज और मशीनें ठीक कर लिया करते थे।
(ग) बिरजू महाराज को चित्रकार बनने का शौक कैसे हुआ ?
उत्तर :
बेटी-दामाद के चित्रकार होने और उन्हें देख-देखकर पेंटिंग बनाने के कारण यह शौक बिरजू महाराज को हुआ।
6. मेरी बहनों को कथक नहीं सिखाया गया पर मैंने अपनी बेटियों को खूब सिखाया। लड़कियों के पास शिक्षा या कोई-न-कोई हुनर अवश्य होना चाहिए ताकि वे आत्मनिर्भर हो सकें। हुनर ऐसा खज़ाना है, जिसे कोई नहीं छीन सकता और वक्त पड़ने पर काम आता है। बच्चो, तुम लोग संगीत सीखते हो? यदि नहीं तो ज़रूर सीखो। मन की शांति के लिए यह बहुत जरूरी है। लय हमें अनुशासन सिखाती है, संतुलन सिखाती है। नाचने गाने और बजाने वाले एक-दूसरे के साथ तालमेल बैठाकर एक नई रचना करते हैं। सुर और लय से हमें एक-दूसरे का सहयोगी बनकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। (पृष्ठ 103)
(क) बिरजू महाराज ने अपनी बेटियों को क्या सिखाया और क्यों?
उत्तर :
बिरजू महाराज ने अपनी बेटियों को कथक सिखाया ताकि वे आत्मनिर्भर बनें।
(ख) वे लड़कियों के विषय में क्या कहते थे ?
उत्तर :
बिरजू महाराज लड़कियों के विषय में कहते थे कि लड़कियों के पास शिक्षा या कोई हुनर अवश्य होना चाहिए जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
(ग) सुर और लय से हमें क्या प्ररेणा मिलती है ?
उत्तर :
सुर और लय से हमें एक-दूसरे का प्रेमी, सहयोगी बनकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।