Students prefer Class 7 Hindi Extra Question Answer Malhar Chapter 5 नहीं होना बीमार Extra Questions and Answers that are written in simple and clear language.
Class 7 Hindi नहीं होना बीमार Extra Question Answer
Class 7 Hindi Chapter 5 Extra Question Answer नहीं होना बीमार
NCERT Class 7 Hindi Chapter 5 Extra Questions अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बहुत ढूँढ़ा गया पर क्या नहीं मिला?
उत्तर :
बहुत ढूँढ़ा गया पर थर्मामीटर नहीं मिला।
प्रश्न 2.
कुछ देर बाद जब बच्चे की आँख खुली तो उसकी क्या इच्छा हुई?
उत्तर :
कुछ देर बाद जब बच्चे की आँख खुली तो उसकी तेज इच्छा हुई कि बाहर निकलकर दिन की रोशनी में अपनी गली की चहल-पहल देखेँ ।
प्रश्न 3.
अचानक बच्चे को क्या लगी? उसे क्या मिलने की उम्मीद थी?
उत्तर :
अचानक बच्चे को भूख – सी लगी। उसे फल या साबूदाने की खीर मिलने की उम्मीद थी।
प्रश्न 4.
बच्चे को नींद क्यों नहीं आ रही थी ?
उत्तर :
भूख के कारण बच्चे को नींद नहीं आ रही थी।
प्रश्न 5.
कुसुम मौसी नाश्ता छोड़कर कहाँ भागीं ?
उत्तर :
कुसुम मौसी रोज की तरह नाश्ता छोड़कर कॉलेज बस पकड़ने भागीं ।
नहीं होना बीमार Class 7 Hindi Extra Questions Answer लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बच्चा रजाई में पड़ा पड़ा क्या अनुमान लगा रहा था?
उत्तर :
बच्चा रजाई में पड़ा – पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगा रहा था। अब छोटे मामा नहाकर निकले। अब कुसुम मौसी रोज की तरह नाश्ता छोड़कर कॉलेज बस पकड़ने भागीं । अब मुन्नू अपना जूता ढूँढ़ रहा है। अब छोटे मामा ने साइकिल उठाई। सब चले गए, अब घर में मैं अकेला रह गया।
प्रश्न 2.
बच्चा स्कूल क्यों नहीं गया?
उत्तर :
बच्चा स्कूल नहीं गया क्योंकि उसने होमवर्क नहीं किया था। स्कूल जाता तो उसे जरूर सजा मिलती ।
प्रश्न 3.
“ बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा।” बच्चे ने ऐसा क्यों सोचा?
उत्तर :
बच्चे ने ऐसा इसलिए सोचा कि एक तो उस रोज उसे स्कूल जाने का मन नहीं किया। उसने होमवर्क भी नहीं किया था। अगर स्कूल जाता तो उसे सजा अवश्य मिलती। दूसरी बात यह कि अस्पताल में काका की ठाठ-बाट देखकर उसे भी बीमार पड़ने का मन कर रहा था।
प्रश्न 4.
सुधाकर काका कौन थे? नानीजी ने साबूदाने की खीर का क्या किया?
उत्तर :
सुधाकर काका बच्चे के पड़ोसी थे। जंब वे अस्पताल में भर्ती थे तो नानीजी उनके लिए साबूदाने की खीर बनाकर ले गई थीं। उन्होंने साबूदाने की खीर को अपने हाथ से चम्मच से काका को खिलाईं।
नहीं होना बीमार Extra Questions दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
थर्मामीटर क्या है? चित्र के साथ वर्णन करें।
उत्तर :
थर्मामीटर एक उपकरण है जो तापमान को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। आमतौर पर एक पतली काँच की नली होती है जिसमें तरल पदार्थ जैसे पारा या अल्कोहल होता है। जब तापमान बढ़ता है, तो तरल पदार्थ नली में ऊपर उठता है और जब तापमान घटता है, तो तरल पदार्थ नीचे गिरता है।
प्रश्न 2.
जिस अस्पताल में सुधाकर काका भर्ती थे, वहाँ की व्यवस्था कैसी थी ? “ नहीं होना बीमार ” पाठ के आधार उत्तर दीजिए ।
उत्तर :
बीमार पड़ने के कारण सुधाकर काका अस्पताल में भर्ती थे। वहाँ की व्यवस्था बहुत ही सराहनीय थी । एक बड़े से वार्ड में कई एक जैसे पलंग लाइन से लगे हुए थे। सब पर एक जैसी सफेद चादर और लाल कंबल रखे थे। सफेद दीवारें, ऊँची छत, खिड़कियों पर हरे परदे और फर्श एकदम चमकता हुआ ।
अस्पताल का माहौल बहुत ही अच्छा था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे । न ट्रैफिक का शोरगुल, न धूल, न मच्छर-मक्खी । वातावरण बिलकुल शांत था।
प्रश्न 3.
“ नहीं होना बीमार ” पाठ से हमें क्या सीख मिलती है? यदि बच्चा अपने नानाजी – नानीजी को सब कुछ सच – सच बता देता तो क्या होता?
उत्तर :
” नहीं होना बीमार ” पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी स्कूल से छुट्टी लेने के लिए बीमारी का बहाना नहीं बनाना चाहिए। अपना होमवर्क समय पर कर लेना चाहिए ताकि स्कूल से छुट्टी लेने का बहाना न बनाना पड़े। साथ ही भविष्य में आने वाली परेशानियों से बचा जा सके।
यदि बच्चा अपने नानाजी – नानीजी को सब कुछ सच-सच बता दिया होता, तो वह परेशानियों से बच जाता । न तो उसे भूखे रहना पड़ता और न ही कड़वी दवाई पीनी पड़ती। स्कूल में अपने दोस्तों के साथ मजे करता । उसे गरमागरम कचौड़ी, मावे की बर्फी, बेसन की चिक्की और गोलगप्पे खाने को मिलते। किसी भी चीज के लिए भी उसे तरसना नहीं पड़ता। सभी के साथ रहता, और मौज करता ।
Class 7 Hindi Chapter 5 Extra Questions and Answers अर्थग्रहण संबंधी एवं प्रश्न
दिए गए गद्यांशों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. एक दिन मुझे साथ लेकर नानीजी हमारे पड़ोसी सुधाकर काका को देखने गईं, जो बीमार थे। वे अस्पताल में भर्ती थे। अस्पताल जाने का यह मेरा पहला अवसर था ।
एक बड़े से वार्ड में कई एक जैसे पलंग लाइन से लगे हुए थे। सब पर एक जैसी सफेद चादर और लाल कंबल । सफेद दीवारें, ऊँची छत, खिड़कियों पर हरे परदे और फर्श एकदम चमकता हुआ। एक पलंग पर सुधाकर काका लेटे हुए थे। एकदम पास पहुँचने पर दिखाई दिया।
हमें देखकर सुधाकर काका जैसे खुश हो गए। नानीजी ने उनके सिर पर हाथ फेरा और उनके सिरहाने खड़ी हो गईं और हालचाल पूछने लगीं।
अस्पताल का माहौल मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे। न ट्रैफिक का शोरगुल, न धूल, न मच्छर-मक्खी…। सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुन । बाकी एकदम शांति। (पृष्ठ 57)
(क) नानीजी बच्चे को लेकर कहाँ और किससे मिलने गई ?
उत्तर :
नानीजी बच्चे को लेकर अपने पड़ोसी सुधाकर काका से मिलने अस्पताल गईं।
(ख) सुधाकर काका कौन थे और कहाँ भर्ती थे?
उत्तर :
सुधाकर काका बच्चे के पड़ोसी थे। वे अस्पताल में भर्ती थे।
(ग) नानीजी और बच्चे को देखकर सुधाकर काका की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर :
नानीजी और बच्चे को देखकर सुधाकर काका बहुत प्रसन्न हुए।
2. तभी सफेद कपड़ों में एक नर्स आई। नर्स ने नानीजी को देखकर अभिवादन में सिर हिलाया और काका को दवा खिलाई। नानीजी काका के लिए साबूदाने की खीर बनाकर लाई थीं। नर्स से पूछा कि खिला दूँ क्या ? नर्स के हाँ कहने पर उसके जाने के बाद नानीजी ने चम्मच से धीरे-धीरे काका को साबूदाने की खीर खिलाई। काका ने बहुत स्वाद लेकर खीर खाई ।
क्या ठाठ हैं बीमारों के भी। मैंने सोचा. ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो! काश! सुधाकर काका की जगह मैं होता ! मैं कब बीमार पहुँगा! (पृष्ठ 57-58)
(क) सफेद कपड़ों में कौन आई? उसने नानीजी को देखकर क्या किया ?
उत्तर :
सफेद कपड़ों में नर्स आई। उसने नानीजी को देखकर अभिवादन में सिर हिलाया।
(ख) नानीजी काका के लिए क्या बनाकर लाई थीं?
उत्तर :
नानीजी काका के लिए साबूदाने की खीर बनाकर लाई थीं।
(ग) नानीजी ने खीर का क्या किया?
उत्तर :
नानीजी ने नर्स की सहमति से काका को साबूदाने की खीर खिलाई।
3. कुछ रोज बाद एक दिन मेरा स्कूल जाने का मन नहीं किया। मैंने होमवर्क भी नहीं किया था। स्कूल जाता तो जरूर सजा मिलती। मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिल्कुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।
मैं रजाई से निकला ही नहीं । नानीजी उठाने आईं तो मैंने कहा, “मैं आज बीमार हूँ। “
” क्या हो गया?”
“मेरे सिर में दर्द हो रहा है। पेट भी दुख रहा है और मुझे बुखार भी है। ” नानीजी चली गईं। (पृष्ठ 58)
(क) एक दिन किसको स्कूल जाने का मन नहीं किया?
उत्तर :
एक दिन बच्चे को स्कूल जाने का मन नहीं किया।
(ख) स्कूल जाने पर किसको सजा मिलती और क्यों?
उत्तर :
स्कूल जाने पर बच्चे को सजा मिलती क्योंकि उसने होमवर्क नहीं किया था।
(ग) बच्चे ने स्कूल न जाने के लिए क्या बहाना बनाया?
उत्तर :
बच्चे ने स्कूल न जाने के लिए बीमार होने का बहाना बनाया।
4. मैं रजाई में पड़ा – पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा। अब छोटे मामा नहाकर निकले। अब कुसुम मौसी रोज की तरह नाश्ता छोड़कर कॉलेज बस पकड़ने भागीं। अब मुन्नू अपना जूता ढूँढ़ रहा है। अब छोटे मामा ने साइकिल उठाई। अब सब चले गए। अब घर में मैं अकेला रह गया।
पता नहीं कब झपकी-सी आ गई।
तभी नानाजी आए। ” क्या हो गया? क्या हो गया ?” “बुखार आ गया । ” मैंने कराहते हुए कहा।
“देखें!” नानाजी ने रजाई हटाकर मेरा माथा छुआ। पेट देखा और नब्ज देखने लगे ।
इस बीच नानीजी भी आ गईं। ” क्या हुआ ?”, नानीजी ने पूछा। ” बुखार तो नहीं है । ” नानाजी बोले ।
‘आपको पता नहीं चल रहा । थर्मामीटर लगाकर देखिए। ” मैंने कहा। (पृष्ठ 58-59)
(क) बच्चा रजाई में पड़ा – पड़ा क्या अनुमान लगा रहा था?
उत्तर :
बच्चा रजाई में पड़ा – पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगा रहा था।
(ख) कुसुम मौसी नाश्ता छोड़कर क्यों भागीं?
उत्तर :
कुसुम मौसी नाश्ता छोड़कर कॉलेज बस पकड़ने भागीं।
(ग) नानाजी रजाई हटाकर क्या देखने लगे?
उत्तर :
नानाजी रजाई हटाकर बच्चे का माथा छुआ। पेट देखा और नब्ज देखने लगे ।
5. मुझे पता था घर में कोई नहीं है। थर्मामीटर लगा भी लिया तो देखेगा कौन? पर खुद को बीमार साबित करने के लिए यह चाल अच्छी थी। बहुत ढूँढ़ा गया पर थर्मामीटर मिला ही नहीं। शायद कोई माँगकर ले गया था।
फिर नानाजी की आवाज आई, “ले, पुड़िया खा ले। ” न चाहते हुए भी मुझे कड़वी पुड़िया खानी पड़ी और काढ़े जैसी चाय पीनी पड़ी। फिर नानाजी बोले, ” आज इसे कुछ खाने को मत देना । आराम करने दो। शाम को देखेंगे। “
दोनों चले गए। मैं पता नहीं कब नींद में गुडुप हो गया।
कुछ देर बाद जब मेरी आँख खुली मुझे बड़ी तेज इच्छा हुई कि इसी समय बाहर निकलकर दिन की रोशनी में अपनी गली की चहल-पहल देखूं । देखा जाए कि चंदूभाई ड्राइक्लीनर क्या कर रहे हैं? तेजराम की दुकान पर कितने ग्राहक बैठे हैं? महेश घी सेंटर ने मलाई का भगोना आँच पर चढ़ाया या नहीं और टेलीफोन के तारों पर कितनी चिड़िया बैठी हैं ? लेकिन मजबूरी थी । चाहे जितनी ऊब हो, लेटे ही रहना था।
कुछ देर इधर-उधर की, स्कूल की, दोस्तों की बातें सोचता रहा… फिर लेटे-लेटे पीठ दुखने लगी तो उठकर बैठ गया। लेकिन बाहर कुछ आहट होते ही फिर से लेट गया । नानाजी आए। बोले– “अब कैसा है सिरदर्द ? ” मैंने कहा, “ठीक है” फिर भी एक पुड़िया और खिला गए । (पृष्ठ 59-60)
(क) नानाजी पुड़िया देते हुए क्या बोले ?
उत्तर :
नानाजी ने पुड़िया देते हुए कहा कि लो, पुड़िया खा लो। नानीजी की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज इसे कुछ खाने को मत देना। आराम करने दो। शाम को देखेंगे।
(ख) आँख खुलते ही बच्चे की क्या इच्छा हुई ?
उत्तर :
आँख खुलते ही बच्चे की इच्छा हुई कि इसी समय बाहर निकलकर दिन की रोशनी में अपनी गली की चहल-पहल देखूँ।
(ग) घी सेंटर वाले का नाम क्या था ?
उत्तर :
घी सेंटर वाले का नाम महेश था।
6. अचानक मुझे भूख-सी लगी। फल या साबूदाने की खीर मिलने की उम्मीद की तो सुबह ही हत्या हो चुकी थी। अब नानीजी से जाकर कहूँ कि भूख लग रही है तो वे क्या करेंगी? ज्यादा से ज्यादा यही कि दूध पी ले। या नानाजी से पूछने चली जाएँगी – वो कह रहा है भूख लगी है। और फिर नानाजी क्या कहेंगे? वही जो सुबह कह रहे. थे – तबियत ढीली हो तो सबसे अच्छा उपाय है भूखे रहना । इससे सारे विकार निकल जाएँगे ।
क्या मुसीबत है ! पड़े रहो! आखिर कब तक कोई पड़ा रह सकता है? इससे तो स्कूल चला जाता तो ही ठीक रहता। सजा मिलती तो मिल जाती। कितना मजा आता जब रिसेस में ठेले पर जाकर नमक मिर्च लगे अमरूद खाते कटर-कटर।
फिर झपकी लग गई।
लेकिन भूख के कारण ठीक से नींद भी नहीं आ रही थी। और आँख जरा लगती भी तो खाने ही खाने की चीजें दिखाई देतीं। गरमागरम खस्ता कचौड़ी… मावे की बर्फी.. बेसन की चिक्की… गोलगप्पे और सबसे ऊपर साबूदाने की खीर! पता नहीं क्यों साबूदाने की खीर सिर्फ उपवास और बीमारी में ही बनाई जाती है। जैसे गुझिया सिर्फ होली – दिवाली और पंजीरी सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनाई जाती है। क्यों? क्या ये चीजें जब इच्छा हो तब नहीं बनाई जा सकतीं। कोई मना करता है? (पृष्ठ 60)
(क) बच्चे को अचानक क्या लगी? उसे क्या मिलने की उम्मीद थी?
उत्तर :
बच्चे को अचानक भूख लगी। उसे फल या साबूदाने की खीर मिलने की उम्मीद थी लेकिन नहीं मिली ।
(ख) भूख लगने की बात बच्चे ने नानीजी को क्यों नहीं बताना चाहा?
उत्तर :
भूख लगने की बात बच्चा नानीजी को बताता तो नानी दूध पीने की सलाह देती ।
(ग) भूख लगने की बात नानीजी अगर नानाजी को बताती तो नानाजी क्या कहते?
उत्तर :
भूख लगने की बात नानीजी अगर नानाजी को बताती तो नानाजी कहते कि तबीयत ढीली हो तो सबसे अच्छा उपाय है भूखे रहना । इससे सारे विकार दूर हो जाएँगे ।
7. हे भगवान! यह तो अच्छी खासी बोरियत हो गई । पूरा दिन कोई कैसे लेटा रहे? और शाम को…। क्या शाम को भी नानाजी बाहर जाने देंगे? सारे बच्चे हल्ला मचाते हुए आँगन में खेल रहे होंगे और मैं बिस्तर में पड़ा झख मार रहा होऊँगा। अक्लमन्द ! और बनो बीमार । और आज दिया गया होमवर्क ! किससे कॉपी माँगोगे? मैं रुआँसा हो गया।
पास के कमरे में होती खटर पटर से अंदाजा हुआ किं मुन्नू स्कूल से आ गया है। तो क्या एक बज गया? अब बरतनों की आवाज आ रही है। शायद सब लोग खाना खाने बैठ रहे हैं। मुन्नू एक बार भी मुझे देखने नहीं आया । आया भी होगा तो दबे पाँव आया होगा और मुझे सोता जान लौट गया होगा ।
… वो खाना खा रहे हैं। चबाने की आवाजें आ रही हैं। देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता । कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं। भूखे रहो !! इससे सारे विकार निकल जाएँगे । विकार निकल जाएँ बस । चाहे इस चक्कर में तुम खुद शिकार हो जाओ। (पृष्ठ 60-61)
(क) पास के कमरे में होती खटर खटर से क्या अंदाजा हुआ?
उत्तर :
पास के कमरे में होती खटर पटर से अंदाजा हुआ कि मुन्नू आ गया है।
(ख) शाम को सारे बच्चे क्या कर रहे होते हैं?
उत्तर :
शाम को सारे बच्चे हल्ला मचाते हुए आँगन में खेलते हैं।
(ग) बरतनों की आवाज आने से बच्चे को क्या अनुभव हो रहा था?
उत्तर :
बरतनों की आवाज आने से बच्चे को अनुभव हो रहा था कि सब लोग खाना खाने जा रहे हैं।
8. .. आज क्या खाना बना होगा? खुशबू तो दाल-चावल की आ रही है। अरहर की दाल में हींग -जीरे का बघार
और ऊपर से बारीक कटा हरा धनिया और आधा चम्मच देसी घी। फिर उसमें उन्होंने नीबू निचोड़ा होगा। थोड़ा-सा इस बीमार को भी दे दे कोई ।
…. लेकिन खुशबू तो किसी और चीज की है। क्या हरी मिर्च तली गई है? उसे दाल-चावल में मसलकर खा रहे हैं। जब रहा नहीं गया तो मैं रजाई फेंककर खड़ा हो गया । दबे पाँव दरवाजे तक गया और चुपके से झाँककर देखा । हाँ, दाल-चावल, तली हुई हरी मिर्च |
लेकिन मुन्नू आम चूस रहा था। आम ! इस मौसम में ! जरूर बंबई वाले चाचाजी ने भेजे होंगे। कैसे चूस रहा है। पूरी गुठली मुँह में ठूंसे । जैसे आम कभी देखे न हों। भुक्कड़ कहीं का। पूरा हाथ भी सान रहा है ।
मैं जलन, गुस्से और कुढ़न में पाँव पटकता वापस बिस्तर में आ गया। उस पूरे दिन मुझे भूखे पेट ही रहना पड़ा। सारे विकार निकल गए।
इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया । (पृष्ठ 61)
(क) क्या चीज़ की खुशबू आ रही थी ?
उत्तर :
दाल-चावल की खुशबू आ रही थी।
(ख) मुन्नू क्या चूस रहा था ?
उत्तर :
मुन्नू आम चूस रहा था।
(ग) बच्चा पाँव पटकता हुआ बिस्तर में क्यों आ गया?
उत्तर :
जलन, गुस्से और कुढ़न में बच्चा पाँव पटकता हुआ वापस बिस्तर में आ गया।