Students prefer Malhar Hindi Book Class 7 Solutions Chapter 2 तीन बुद्धिमान के प्रश्न उत्तर Question Answer that are written in simple and clear language.
NCERT Class 7th Hindi Chapter 2 तीन बुद्धिमान Question Answer
तीन बुद्धिमान Class 7 Question Answer
कक्षा 7 हिंदी पाठ 2 प्रश्न उत्तर – Class 7 Hindi तीन बुद्धिमान Question Answer
पाठ से प्रश्न – अभ्यास (पृष्ठ 20-25)
मेरी समझ से
(क) लोककथा के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन सा है? उसके सामने तारा ( * ) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
प्रश्न 1.
लोककथा में पिता ने अपने बेटों से ‘धन संचय करने’ को कहा। उनकी इस बात का क्या अर्थ हो सकतां है?
- खेती-बारी करना और धन इकट्ठा करना
- पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना
- ऊँट का व्यापार करना
- गाँव छोड़कर किसी नगर में जाकर बसना
उत्तर :
पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना
प्रश्न 2.
तीनों भाइयों ने अपने ज्ञान और बुद्धि का उपयोग करके ऊँट के बारे में बहुत कुछ बता दिया। इससे क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
- बुद्धि का प्रयोग करके ऊँट के बारे में सब कुछ बताया जा सकता है।
- समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है।
- किसी व्यक्ति का ज्ञान, बुद्धि और धन ही सबसे बड़ी ताकत है।
- ऊँट के बारे में जानने के लिए दूसरों पर भरोसा करना चाहिए।
उत्तर:
किसी व्यक्ति का ज्ञान, बुद्धि और धन ही सबसे बड़ी ताकत है।
प्रश्न 3.
राजा ने भाइयों की बुद्धिमत्ता पर विश्वास क्यों किया?
- भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया।
- राजा को ऊँट के स्वामी की बातों पर संदेह था ।
- राजा ने स्वयं ऊँट और पेटी की जाँच कर ली थी।
- भाइयों ने राजा को अपनी बात में उलझा लिया था।
उत्तर :
भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया।
प्रश्न 4.
लोककथा के पात्रों और घटनाओं के आधार पर, राजा के निर्णय के पीछे कौन – सा मूल्य छिपा है ?
- दोषी को कड़ा से कड़ा दंड देना हर समस्या का सबसे बड़ा समाधान है।
- अच्छी तरह जाँच किए बिना किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए ।
- राजा की प्रत्येक बात और निर्णय को सदा सही माना जाना चाहिए।
- ऊँट की चोरी के निर्णय के लिए सेवक की बुद्धि का उपयोग करना चाहिए ।
उत्तर :
अच्छी तरह जाँच किए बिना किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने भिन्न-भिन्न उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर :
प्रश्नानुसार मेरे उत्तर बिलकुल सटीक हैं अतः मैंने ये ही उत्तर चुने हैं। क्योंकि प्रत्येक वस्तु स्थिति को पूर्णतः जानने और समझने के लिए पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का होना अति आवश्यक है।
पंक्तियों पर चर्चा
प्रश्न .
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-
(क) “ रुपये-पैसे के स्थान पर तुम्हारे पास पैनी दृष्टि होगी और सोने-चाँदी के स्थान पर तीव्र बुद्धि होगी। ऐसा धन संचित कर लेने पर तुम्हें कभी किसी प्रकार की कमी न रहेगी और तुम दूसरों की तुलना में उन्नीस नहीं रहोगे।’
उत्तर :
लेखक का कथन है कि भले ही आपके पास रुपया-पैसा अथवा सोना-चाँदी न हो, यदि किसी वस्तु-स्थिति को अपनी पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि की धन से परखने की क्षमता है तो दूसरों की तुलना में श्रेष्ठ रहोगे ।
(ख) “ हर वस्तु और स्थिति को पूर्णतः समझने और जानने का प्रयास करो। कुछ भी तुम्हारी दृष्टि से न बच पाए।”
उत्तर :
यहाँ लेखक यह कहना चाह रहा है कि प्रत्येक वस्तु की स्थिति को पूरी तरह से समझने की कोशिश करो ताकि तुम्हारी दृष्टि में कोई कमी न रह जाए।
(ग) “हमने अपने परिवेश को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है। ”
उत्तर :
इस लोककथा में पिता ने अपने अनुभवों की पैनी दृष्टि से देखकर और बुद्धि से सोचने का बहुत ही प्रयासनीय समय लगाया है।
मिलकर करें मिलान
इस लोककथा में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे स्तंभ 1 में दिए गए हैं। उनके भाव या अर्थ से मिलते-जुलते वाक्य स्तंभ 2 में दिए गए हैं। स्तंभ 1 के वाक्यों को स्तंभ 2 के उपयुक्त वाक्यों से सुमेलित कीजिए-
स्तंभ-1 | स्तंभ-2 |
1. कुछ समय पश्चात् पिता चल बसे। | 1. घोड़े पर सवार व्यक्ति ने तीनों भाइयों को अविश्वास से देखा। |
2. हम कहीं भी क्यों न हों, भूखे नहीं मरेंगे। | 2. थोड़े समय के बाद पिता का देहांत हो गया। |
3. घुड़सवार ने तीनों भाइयों को शंका की दृष्टि से देखा। | 3. लोग इतने अचंभित थे कि उनका आश्चर्य व्यक्त करना कठिन था। |
4. बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम कुछ भी अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते। | 4. बचपन से ही हमें आदत हो गई है कि हम हर छोटी-बड़ी वस्तु पर ध्यान अवश्य देते हैं। |
5. लोगों के आश्चर्य का कोई ठिकाना न था। | 5. हम चाहे जहाँ भी हों, हमें खाने के लिए कुछ न कुछ मिल ही जाएगा। |
उत्तर :
स्तंभ-1 | स्तंभ-2 |
1. कुछ समय पश्चात् पिता चल बसे। | 2. थोड़े समय के बाद पिता का देहांत हो गया। |
2. हम कहीं भी क्यों न हों, भूखे नहीं मरेंगे। | 5. हम चाहे जहाँ भी हों, हमें खाने के लिए कुछ न कुछ मिल ही जाएगा। |
3. घुड़सवार ने तीनों भाइयों को शंका की दृष्टि से देखा। | 1. घोड़े पर सवार व्यक्ति ने तीनों भाइयों को अविश्वास से देखा। |
4. बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम कुछ भी अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते। | 4. बचपन से ही हमें आदत हो गई है कि हम हर छोटी-बड़ी वस्तु पर ध्यान अवश्य देते हैं। |
5. लोगों के आश्चर्य का कोई ठिकाना न था। | 3. लोग इतने अचंभित थे कि उनका आश्चर्य व्यक्त करना कठिन था। |
सोच-विचार के लिए
प्रश्न
लोककथा को एक बार फिर ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) तीनों भाइयों ने बिना ऊँट को देखे उसके विषय में कैसे बता दिया था ?
उत्तर :
तीनों भाइयों ने बिना ऊँट को देखे उनके पदचिह्नों को रेत पर देखकर उसके विषय में बता दिया।
(ख) आपके अनुसार इस लोककथा में सबसे अधिक महत्त्व किस बात को दिया गया है- तार्किक सोच, अवलोकन या सत्यवादिता? लोककथा के आधार पर समझाइए।
उत्तर :
इस लोककथा में सबसे अधिक महत्त्व तार्किक क्योंकि तर्क के आधार सोच को दिया गया है। पर इस लोककथा को समझा जा सकता है।
(ग) लोककथा में राजा ने पहले भाइयों पर संदेह किया लेकिन बाद में उन्हें निर्दोष माना। राजा की सोच क्यों बदल गई?
उत्तर :
इस लोककथा में पहले राजा ने भाइयों पर संदेह किया, किंतु बाद में निर्दोष माना। ऐसा तर्क द्वारा ही सम्भव था।
(घ) ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर तुरंत संदेह क्यों किया? आपके विचार से उसे क्या करना चाहिए था जिससे उसे अपना ऊँट मिल जाता ?
उत्तर :
ऊँट के स्वामी को उन तीनों भाइयों पर तुरंत संदेह न करके, आपसी सहयोग और विचार-विमर्श करके ढूँढ़ना चाहिए था, जिससे उनको ऊँट मिल जाता।
(ङ) पिता ने बेटों को ” दूसरे प्रकार का धन” संचित करने की सलाह क्यों दी? इससे पिता के बारे में क्या-क्या पता चलता है?
उत्तर :
पिता ने अपने बेटों को ” दूसरे प्रकार का धन ” संचित करने की सलाह इसलिए दी क्योंकि पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि के प्रयोग से भूखा नहीं रहा जा सकता है।
(च) राजा ने भाइयों की परीक्षा लेने के लिए पेटी का उपयोग किया। इस परीक्षा से राजा के व्यक्तित्व और निर्णय शैली के बारे में क्या-क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
उत्तर :
राजा ने भाइयों की परीक्षा और सच्चाई को परखने के लिए ही पेटी का उपयोग किया, जो उनकी सूझ-बूझ और वास्तविकता के निष्कर्ष को साबित करता है।
(छ) आप इस लोककथा के भाइयों की किस विशेषता को अपनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर :
हम इस लोककथा के माध्यम से भाइयों के ज्ञान, बुद्धि और धन की विशेषता अपनाना चाहेंगे, क्योंकि इसके बिना कुछ भी संभव नहीं है।
अनुमान और कल्पना से
प्रश्न.
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) यदि राजा ने बिना जाँच के भाइयों को दोषी ठहरा दिया होता तो इस लोककथा का क्या परिणाम. होता ?
उत्तर :
यदि राजा बिना जाँच के भाइयों को दोषी ठहरा देता, तो इस लोककथा से तार्किक सोच का महत्त्व नष्ट होकर दुःखद परिणाम होता ।
(ख) यदि भाइयों ने अनार के बारे में सही अनुमान न लगाया होता तो लोककथा का अंत किस प्रकार होता?
उत्तर :
यदि भाइयों ने अनार के बारे में सही अनुमान न लगाया होता तो लोककथा का अंत बिना किसी ठोस साक्ष्य के अभाव में उन्हें सचमुच चोर मान लिया जाता।
(ग) लोककथा में यदि तीनों भाई ऊँट को खोजने जाते तो उन्हें कौन-कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता था?
उत्तर :
लोककथा में यदि तीनों भाई ऊँट खोजने जाते तो उन्हें भूखे रहना, शारीरिक शक्ति का क्षीण होना, पैरों में छाले पड़ना और मानसिक कष्ट का सामना करना पड़ता।
(घ) यदि राजा के स्थान पर आप होते तो भाइयों की परीक्षा लेने के लिए किस प्रकार के सवाल या गतिविधियाँ करते? अपनी कल्पना साझा करें।
उत्तर :
यदि राजा के स्थान पर मैं होता तो भाइयों की परीक्षा अपनी सूझ-बूझ के अनुसार तर्क-वितर्क करके सही निर्णय लेकर करता। क्योंकि सच्चाई की पुष्टि सूक्ष्म दृष्टि और बौद्धिक क्षमता पर ही निर्भर होती है।
शब्द से जुड़े शब्द
प्रश्न.
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘बुद्धि’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए-
उत्तर :
लोककथा को सुनाना
लोककथा के लिखित रूप में आने से पहले कहानियों का प्रचलन मौखिक रूप में ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता था । इसमें कहानी सुनने – सुनाने और याद रखने की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती थी। कहानी कहने या सुनाने वाला इस तरह से कहानी सुनाता था कि सुनने वालों को रोचक लगे। इसमें कहानी सुनने वालों को आनंद तो आता ही था, कथा उन्हें याद भी हो जाती थी।
अब आप अपने समूह के साथ मिलकर इस लोककथा को रोचक ढंग से सुनाइए । लोककथा को प्रभावशाली और रोचक रूप में सुनाने के लिए नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं जो लोककथा को और भी आकर्षक बना सकते हैं-
कथा सुनाना
- स्वर में उतार-चढ़ाव – लोककथा सुनाते समय स्वर में या आवाज़ में उतार-चढ़ाव से उत्साह और रहस्य का निर्माण करें। जब लोककथा में कोई रोमांचक या रहस्यमय पल हो तो स्वर धीमा या तीव्र कर सकते हैं। भावनाओं की अभिव्यक्ति-भावनाओं को प्रकट करने के लिए स्वर का सही चयन करें, जैसे- खुशी, दुख, आश्चर्य आदि को स्वर के माध्यम से दर्शाएँ । लोककथा के पात्रों के लिए अलग-अलग स्वर-जब लोककथा में अलग-अलग पात्र हों तो हर पात्र के लिए अलग स्वर (ऊँचा, नीचा, तेज़, धीमा आदि) का उपयोग किया जा सकता है ताकि उन्हें पहचाना जा सके।
- हाथों और शरीर का उपयोग – जब आप लोककथा में किसी घटना का वर्णन करें तब शारीरिक मुद्राओं और चेहरे के भावों का उपयोग किया जा सकता है।
- हास्य का प्रयोग – जब कोई हास्यपूर्ण या आनंददायक दृश्य हो तो चेहरे की मुस्कान और हँसी के साथ उसे प्रस्तुत करें।
- विवरणात्मक भाषा का उपयोग – लोककथा में वर्णित स्थानों और पात्रों को इस प्रकार प्रस्तुत करें कि श्रोता उनकी छवि अपने मन में बना सकें।
- रोचक मोड़ – एक-दो बार लोककथा के रोमांचक मोड़ों पर थोड़ी देर के लिए रुकें या श्रोताओं में उत्सुकता होने दें, जैसे—“क्या आप जानना चाहते हैं कि आगे क्या हुआ?”
- संवादों को स्पष्ट और प्रासंगिक बनाना – पात्रों के संवाद इस तरह से प्रस्तुत करें कि वे मौलिक लगें।
कारक
नीचे दिए गए वाक्य को ध्यान से पढ़िए-
‘भाइयों जवाब दिया । ”
यह वाक्य कुछ अटपटा लग रहा है न? अब नीचे दिए गए वाक्य को पढ़िए-
भाइयों ने जवाब दिया। ”
इन दोनों वाक्यों में अंतर समझ में आया ? बिलकुल सही पहचाना आपने! दूसरे वाक्य में ‘ने’ शब्द ‘ भाइयों’ और ‘जवाब दिया’ के बीच संबंध को जोड़ रहा है। संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त होने वाले शब्दों के ऐसे रूपों को कारक या परसर्ग कहते हैं कारक शब्दों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं- ने, को, पर, से, के द्वारा, का, में, के लिए, की, के, हे, हो, अरे
प्रश्न
नीचे दिए गए वाक्यों में कारक लिखकर इन्हें पूरा कीजिए-
1. “ हमने तो तुम्हारे ऊँट __________ देखा तक नहीं”, भाइयों __________ परेशान होते हुए कहा ।
उत्तर :
को, ने
2. “मैं अपने रेवड़ों __________ पहाड़ों __________ लिये जा रहा था”, उसने कहा, “ और मेरी पत्नी मेरे छोटे-से बेटे __________ साथ एक बड़े-से ऊँट __________ मेरे पीछे-पीछे आ रही थी ।
उत्तर :
को, पर, के, पर
3. राजा __________ उसी समय अपने मंत्री __________ बुलाया और उसके कान __________ कुछ फुसफुसाया ।
उत्तर :
ने, को, में
4. यह सुनकर राजा __________ पेटी __________ पास लाने __________ आदेश दिया। सेवकों __________ तुरंत आदेश पूरा किया। राजा __________ सेवकों __________ पेटी खोलने __________ लिए कहा।
उत्तर :
ने, को, का, ने, ने, को, के
सूचनापत्र
प्रश्न
कल्पना कीजिए कि आप इस लोककथा के वह घुड़सवार हैं जिसका ऊँट खो गया है। आप अपने ऊँट को खोजने के लिए एक सूचना कागज़ पर लिखकर पूरे शहर में जगह-जगह चिपकाना चाहते हैं। अपनी कल्पना और लोककथा में दी गई जानकारी के आधार पर एक सूचनापत्र लिखिए।
उत्तर :
सूचनापत्र – आप सभी को सूचित किया जाता है कि मेरा एक ऊँट कहीं भटककर चला गया है, जो देखने में बहुत बड़ा है किंतु बायीं आँख भी खराब है। इसकी नस्ल बीकानेरी है और सुसज्जित भी है। जिसकी ऊँचाई ‘सात’ फीट है।
यदि किसी सज्जन को इसका पता चले, तो कृपया हमें निम्न मोबाइल नंबर पर सूचित करें। सूचना देने वाले को यथोचित ईनाम भी दिया जाएगा।
सम्पर्क सूत्र :
मो. नं. x x x x x x 1357
पाठ से आगे प्रश्न – अभ्यास (पृष्ठ 26-28)
आपकी बात
प्रश्न 1.
लोककथा में तीन भाइयों की पैनी दृष्टि की बात कही गई है। क्या आपने कभी अपनी पैनी दृष्टि का प्रयोग किसी समस्या को हल करने के लिए किया है? उस समस्या और आपके द्वारा दिए गए. हल के विषय में लिखिए।
उत्तर :
इस लोककथा में तीन भाइयों की पैनी दृष्टि की बात कही गई है। किंतु मैंने कभी अपनी पैनी दृष्टि के अभाव में किसी समस्या का हल नहीं किया है। इसका एकमात्र कारण बालमन का स्वभाव है, जो उम्र के साथ-साथ बौद्धिक विकास का निर्धारण भी करता है।
प्रश्न 2.
लोककथा में बताया गया है कि भाइयों ने “बचपन से हर वस्तु पर ध्यान देने की आदत डाली।” यदि आपने ऐसा किया है तो आपको अपने जीवन में इसके क्या-क्या लाभ मिलते हैं?
उत्तर :
प्रस्तुत लोककथा में भाइयों ने – “बचपन से हर वस्तु पर ध्यान देने की आदत डाली । ” ऐसा तब होता है, जब जिस बच्चे का जीवन सदैव से संघर्षपूर्ण रहा होता है, तब वह अपने कष्टमय जीवन से अनुभव प्राप्त कर भावी जीवन का लाभ ले सकता है।
प्रश्न 3.
लोककथा में भाइयों को यात्रा करते समय अनेक कठिनाइयाँ आईं, जैसे- भूख, थकान और पैरों में छाले। आप अपने दैनिक जीवन में किन-किन कठिनाइयों का सामना करते हैं? लिखिए।
उत्तर :
लोककथा में भाइयों को यात्रा करते समय अनेक कठिनाइयाँ आईं, किंतु मेरे अपने जीवन में कठिनाइयों का अभाव रहा है लेकिन अस्वस्थता के कारण कुछ-न-कुछ अवश्य सामना करना पड़ता है।
प्रश्न 4.
भाइयों ने बिना देखे ही ऊँट के बारे में सही-सही बातें बताईं। क्या आपको लगता है कि अनुभव और समझ से देखे बिना भी सही निर्णय लिया जा सकता है? क्या आपने भी कभी ऐसा किया है?
उत्तर :
भाइयों ने बिना देखे ही ऊँट के बारे में सही-सही बातें बताईं। परंतु मुझे लगता है सूक्ष्म दृष्टि से अनुभव कर तर्क के माध्यम से सही निर्णय लिया जा सकता है। पर, मैंने कभी ऐसा नहीं किया है।
प्रश्न 5.
जब ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर शंका की तो भाइयों ने बिना गुस्सा किए शांति से उत्तर दिया । क्या आपको लगता है कि कभी किसी को संदेह होने पर हमें भी शांत रहकर उत्तर देना चाहिए? क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है ? ऐसे में आपने क्या किया?
उत्तर :
हमें भी लगता है कि-संदेह होने व अकारण दोष देने पर शांत रहकर उत्तर देना ही उचित होता है। हालाँकि मैंने कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया फिर भी यही उचित है।
प्रश्न 6.
राजा ने भाइयों की बुद्धिमानी देखकर बहुत आश्चर्य व्यक्त किया। क्या आपको कभी किसी की सोच, समझ या किसी विशेष कौशल को देखकर आश्चर्य हुआ है? क्या आपने कभी किसी से कुछ ऐसा सीखा है जो आपके लिए बिलकुल नया और चौंकाने वाला हो ?
उत्तर :
राजा ने भाइयों की बुद्धिमानी देखकर बहुत आश्चर्य व्यक्त किया और मुझे भी पाठ से सबक सीखना पड़ा, किंतु आश्चर्य भी हुआ। लेकिन, किसी से ऐसा सीखने का अवसर नहीं मिला जो बिलकुल नया और आश्चर्य करके चौकाने वाला हो ।
प्रश्न 7.
लोककथा में पिता ने अपने बेटों को यह सलाह दी कि वे समझ और ज्ञान जमा करें। क्या आपको कभी किसी बड़े व्यक्ति से ऐसी कोई सलाह मिली है जो आपके जीवन में उपयोगी रही हो? क्या आप भी अपने अनुभव से किसी को ऐसी सलाह देंगे ?
उत्तर :
लोककथा में अपने बेटों को जीवनोपयोगी सलाह, समझ और ज्ञान देने वाले पिता की कहानी है, किंतु मुझे किसी बड़े से कोई ऐसी सलाह नहीं मिली जो उपयोगी रही हो । हाँ, मैं इतना अवश्य सलाह देना चाहूँगा कि – प्रत्येक मनुष्य के जीवन में उसकी बुद्धि, उसका स्वास्थ्य और उसका पैसा साथ देता है।
प्रश्न 8.
भाइयों ने अपने ऊपर लगे आरोपों के होते हुए भी सदा सच्चाई का साथ दिया। क्या आपको लगता है कि सदा सच बोलना महत्वपूर्ण है, भले ही स्थिति कठिन क्यों न हो? क्या आपको किसी समय ऐसा लगा है कि आपकी सच्चाई ने आपको समस्याओं से बाहर निकाला हो ?
उत्तर :
भाइयों ने अपने ऊपर लगे आरोपों के बावजूद भी सदैव सच्चाई का साथ दिया। मैं भी कहता हूँ कि सच बोलना महत्वपूर्ण है, क्योंकि – ” सत्य भले ही परेशान हो सकता है, अंततोगत्वा विजय सत्य की ही होती है,” जो आपको समस्याओं से बाहर निकाल देता है।
ध्यान से देखना – सुनना – अनुभव करना
‘बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम किसी वस्तु को अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते। हमने वस्तुओं को पैनी दृष्टि से देखने और बृद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है। ”
इस लोककथा में तीनों भाई आसपास की प्रत्येक घटना, वस्तु आदि को ध्यान से देखते, सुनते, सूँघते और अनुभव करते हैं अर्थात् अपनी ज्ञानेंद्रियों और बुद्धि का पूरा उपयोग करते हैं। ज्ञानेंद्रियाँ पाँच होती हैं- आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा। आँख से देखकर, कान से सुनकर, नाक से सूँघकर, जीभ से चखकर और त्वचा से स्पर्श करके हम किसी वस्तु के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं। आइए, अब एक खेल खेलते हैं जिसमें आपको अपनी ज्ञानेंद्रियों और बुद्धि का उपयोग करने के अवसर मिलेंगे।
(क) ‘हाँ’ या ‘नहीं’ प्रश्न-उत्तर खेल चरण
1. एक विद्यार्थी कक्षा से बाहर जाकर दिखाई देने वाली किसी एक वस्तु या स्थान का नाम चुनेगा ।
कक्षा के भीतर से भी कोई नाम चुना जा सकता है।
2. विद्यार्थी वापस कक्षा में आएगा और उस नाम को एक कागज़ पर लिख लेगा। लेकिन ध्यान रहे, वह कागज़ पर लिखे नाम को किसी को न दिखाए।
3. अन्य विद्यार्थी बारी-बारी से उस वस्तु का नाम पता करने के लिए प्रश्न पूछेंगे ।
4. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर केवल ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में दिया जाएगा।
उदाहरण के लिए-
- क्या इस वस्तु का उपयोग कक्षा में होता है?
- क्या यह खाने-पीने की चीज़ है ?
- क्या यह लकड़ी से बनी है ?
- क्या यह बिजली से चलती है ?
5. सभी विद्यार्थी अधिकतम 20 प्रश्न ही पूछ सकते हैं। इसलिए उन्हें सोच-समझकर प्रश्न पूछने होंगे ताकि वे उस वस्तु का नाम पता कर सकें। 6. यदि 20 प्रश्नों के अंदर विद्यार्थी वस्तु का सही अनुमान लगा लेते हैं तो वे जीत जाएँगें ।
7. अब दूसरे विद्यार्थी को बाहर भेजकर गतिविधि दोहराएँगे।
8. गतिविधि के अंत में सभी मिलकर इस खेल से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में चर्चा करें।
उत्तर:
1. ‘हाँ’
3. ‘हाँ’
2. ‘नहीं’
4. ‘नहीं’
(ख) गतिविधि – ‘स्पर्श, गंध और स्वाद से पहचानना’
1. एक थैले या डिब्बे में ( सावधानीपूर्वक एवं सुरक्षित) विभिन्न वस्तुएँ (जैसे- फल, फूल, मसाले, खिलौने, कपड़े, किताब, गुड़ आदि) रखें।
2. विद्यार्थियों को आँखों पर पट्टी बाँधकर केवल स्पर्श, गंध या स्वाद का उपयोग करके वस्तु की पहचान करनी होगी और उसका नाम बताना होगा। 3. बारी-बारी से प्रत्येक विद्यार्थी को बुलाकर उसकी आँखों पर पट्टी बाँधें।
4. उसे डिब्बे से एक वस्तु दी जाए। विद्यार्थी उसे छूकर, सूँघकर, चखकर पहचानने का प्रयास करेंगे।
5. सही पहचान करने के बाद विद्यार्थी बताएँगे कि उन्होंने उस वस्तु को कैसे पहचाना।
6. एक-एक करके सभी विद्यार्थियों को अलग-अलग वस्तुओं को पहचानने का अवसर मिलेगा।
7. अंत में सभी वस्तुओं को कक्षा में दिखाएँ और उनके बारे में चर्चा करें कि किस वस्तु को पहचानना आसान या कठिन लगा ।
उत्तर :
अध्यापक स्वयं कक्षा के समस्त छात्रों से अपनी उपस्थिति में स्पर्श, गंध और स्वाद के बारे में पहचान कराएँ।
आज की पहेली
आपने पढ़ा कि तीनों बुद्धिमान भाई किस प्रकार अपने अवलोकन से वे बातें भी जान जाते थे जो अन्य लोग नहीं जान पाते। अब आपके सामने कुछ पहेलियाँ प्रस्तुत आपको कुछ संकेत दिए जाएँगे । संकेतों के आधार पर आपको उत्तर खोजने हैं-
प्रश्न 1.
कौन है यह प्राणी?
1. इसकी लंबी पूँछ होती है जो पेड़ों की शाखाओं के चारों ओर लिपटी रहती है।
2. इसका मुख्य आहार कीट और छोटे जीव होते हैं जिन्हें यह चुपके से पकड़ता है।
3. यह प्राणी अपने परिवेश में घुल-मिल जाता है और अपनी रंगत को बदल सकता है।
4. इसके पास तेज़ आँखें होती हैं जो चारों दिशाओं – में देख सकती हैं।
उत्तर :
1. बेल
2. छिपकली
3. गिरगिट
4. साँप
प्रश्न 2.
रंगीन डिब्बे
एक मेज़ पर चार रंगीन डिब्बे बराबर-बराबर रखे हैं – लाल, हरा, नीला और पीला। बताइए पीले डिब्बे के बराबर में कौन-सा डिब्बा है? यदि-
1. लाल डिब्बा नीले डिब्बे के पास है।
2. हरा डिब्बा पीले डिब्बे के पास नहीं है।
3. पीला डिब्बा लाल डिब्बे के पास नहीं है।
4. हरा डिब्बा लाल डिब्बे के पास है।
उत्तर :
पीले डिब्बे के बराबर में नीला डिब्बा है।
खोजबीन के लिए
नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करके आप बहुत-सी अन्य लोककथाएँ देख-सुन सकते हैं-
सुनो लोककथा
दुनिया की छत
https://www.youtube.com/watch?v=PehlQ7ludFg
भूल चूक लेनी देनी