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NCERT Class 7th Hindi Chapter 10 मीरा के पद Question Answer
मीरा के पद Class 7 Question Answer
कक्षा 7 हिंदी पाठ 10 प्रश्न उत्तर – Class 7 Hindi मीरा के पद Question Answer
पाठ से प्रश्न – अभ्यास
(पृष्ठ 129-134)
आइए, अब हम इस कविता पर विस्तार से चर्चा करें। आगे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा ( * ) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं-
(1) “बसो मेरे नैनन में नंदलाल ” पद में मीरा किनसे विनती कर रही हैं?
- संतों से
- वैजंती से
- भक्तों से
- श्रीकृष्ण से
उत्तर :
श्रीकृष्ण से
(2) “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” पद का मुख्य विषय क्या है?
- प्रेम और भक्ति
- प्रकृति की सुंदरता
- युद्ध और शांति
- ज्ञान और शिक्षा
उत्तर :
प्रेम और भक्ति
(3) “बरसे बदरिया सावन की” पद में कौन-सी ऋतु का वर्णन किया गया है?
- सर्दी
- वर्षा
- गरमी
- वसंत
उत्तर :
वर्षा
(4) “बरसे बदरिया सावन की ” पद को पढ़कर ऐसा लगता है, जैसे मीरा-
- प्रसन्न हैं।
- उदास हैं।
- दुखी हैं।
- चिंतित हैं।
उत्तर :
दुखी हैं
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर :
विद्यार्थी अपने समूह में चर्चा करें।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
शब्द | अर्थ / संदर्भ |
1. नंदलाल | 1. पर्वत को धारण करने वाले, श्रीकृष्ण |
2. वैजंती माल | 2. श्रावण का महीना, आषाढ़ के बाद का और भाद्रपद के पहले का महीना |
3. सावन | 3. वैजयंती पौधे के बीजों से बनने वाली माला |
4. गिरधर | 4. नंद के पुत्र, श्रीकृष्ण |
उत्तर :
शब्द | अर्थ / संदर्भ |
1. नंदलाल | 4. नंद के पुत्र, श्रीकृष्ण |
2. वैजंती माल | 3. वैजयंती पौधे के बीजों से बनने वाली माला |
3. सावन | 2. श्रावण का महीना, आषाढ़ के बाद का और भाद्रपद के पहले का महीना |
4. गिरधर | 1. पर्वत को धारण करने वाले, श्रीकृष्ण |
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “नन्हीं नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सोहावन की ।। ”
उत्तर :
इस पंक्ति में सावन के मौसम का सुंदर वर्णन किया गया है। बादल बरस नहीं रहे हैं, लेकिन ठंडी-ठंडी हवा चल रही है जिससे वातावरण बहुत सुखद लग रहा है।
(ख) “मीरा के प्रभु संतन सुखदाई, भक्त वछल गोपाल।।”
उत्तर :
इस पंक्ति में मीरा भगवान श्रीकृष्ण को अपने इष्ट देवता, संतों के प्रिय और भक्तों पर कृपा करने वाले गोपाल के रूप में स्मरण कर रही हैं।
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) पहले पद में श्रीकृष्ण के बारे में क्या-क्या बताया गया है?
उत्तर :
श्रीकृष्ण को भक्तों पर कृपा करने वाले, संतों के प्यारे और मीरा के इष्टदेव के रूप में बताया गया है।
(ख) दूसरे पद में सावन के बारे में क्या-क्या बताया गया है?
उत्तर :
सावन में बादल नहीं बरस रहे, लेकिन ठंडी और सुखद हवा चल रही है जिससे मौसम बहुत मनमोहक लग रहा है।
कविता की रचना
” मीरा के प्रभु संतन सुखदाई”
“मीरा के प्रभु गिरधरनागर ”
इन दोनों पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों में मीरा ने अपने नाम का उल्लेख किया है। मीरा के समय के अनेक कवि अपनी रचना के अंत में अपने नाम को सम्मिलित कर दिया करते थे। आज भी कुछ कवि अपना नाम कविता में जोड़ देते हैं।
आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। (जैसे- कविता में छोटी-छोटी पंक्तियाँ हैं। श्रीकृष्ण के लिए अलग-अलग नामों का प्रयोग किया गया है आदि।)
उत्तर :
ये पंक्तियाँ मीरा के गहरे भक्ति भाव को दर्शाती हैं। वे श्रीकृष्ण को अलग-अलग नामों से पुकारती हैं, जैसे – ” गिरधरनागर”, “गोपाल”, आदि ।
(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए ।
उत्तर :
पाठ की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. भक्ति भाव की गहराई
2. प्रकृति का सुंदर वर्णन
3. भाषा की सरलता और माधुर्य
4. प्रतीकों का प्रयोग.
5. मीरा की आत्मनिष्ठा
6. कविता के माध्यम से संप्रेषण
7. धार्मिक और सांस्कृतिक संकेत
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर :
अपने समूह की साझा सूची
1. भक्ति भाव की गहराई
2. प्रकृति का सुंदर वर्णन
3. भाषा की सरलता और माधुर्य
4. प्रतीकों का प्रयोग
5. मीरा की आत्मनिष्ठा
6. कविता के माध्यम से संप्रेषण
7. धार्मिक और सांस्कृतिक संकेत
अनुमान और कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) मान लीजिए कि बादलों ने मीरा को श्रीकृष्ण के आने का संदेश सुनाया है। आपको क्या लगता है कि उन्होंने क्या कहा होगा? कैसे कहा होगा?
उत्तर :
वे कहते होंगे – ” मीरा ! तुम्हारे प्रभु श्रीकृष्ण जल्दी ही तुम्हारे दर्शन करने आने वाले हैं। वे तुम्हारी भक्ति से अत्यंत प्रसन्न हैं । ” खुशी से उत्साहित होकर कहा होगा।
(ख) यदि आपको मीरा से बातचीत करने का अवसर मिल जाए तो आप उनसे क्या-क्या कहेंगे और क्या-क्या पूछेंगे ?
उत्तर :
यदि मीरा से बात करने का अवसर मिले, तो-
- आपने श्रीकृष्ण के प्रति इतना अटूट प्रेम कैसे पाया?
- क्या कभी श्रीकृष्ण ने आपको दर्शन दिए?
- आपकी भक्ति की प्रेरणा क्या थी?
शब्दों के रूप
अगले पृष्ठ पर शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।
(क) “मोहनि मूरति साँवरि सूरति, नैना बने विशाल । ” इस पंक्ति में ‘साँवरि’ शब्द आया है। इसके स्थान पर अधिकतर ‘साँवली’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं, जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं। इन्हें आप जिस रूप में बोलते – लिखते हैं, तरह से लिखिए।
- नैनन ____________
- सोभित ____________
- भक्त वछल ____________
- बदरिया ____________
- मेरो मनवा ____________
- आवन ____________
- दिश ____________
- मेहा ____________
उत्तर :
- नैनन – नैन
- सोभित – शोभित
- भक्त वछल – भक्त स्नेही
- बदरिया – बदली
- मेरो मनवा – मेरा मन
- आवन – आना
- दिश – दिशा
- मेहा – मेघ
शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए स्थानों में श्रीकृष्ण से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए-
उत्तर :
पंक्ति से पंक्ति
नीचे स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलती-जुलती पंक्तियों को रेखा खींचकर मिलाइए-
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. अधर सुधा रस मुरली राजति, उर वैजंती माल | 1. चारों दिशाओं से बादल उमड़-घुमड़ कर बरस रहे हैं. बिजली चमक रही है, वर्षा की झड़ी लग गई है। |
2. क्षुद्र घोटका कटितट सोभित, नूपुर शब्द रसाल | 2. होंठों पर सुरीली धुनों से भरी हुई बाँसुरी और सीने पर वैजयंती माला सजी हुई है। |
3. मीरा के प्रभु संतन सुखदाई भक्त वछल गोपाल | 3. सावन के महीने में मेरे मन में बहुत सी उमंगें उठ रही हैं, क्योंकि मैंने श्रीकृष्ण के आने की चर्चा सुनी है। |
4. सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की | 4. हे मीरा के प्रभु! तुम संतों को सुख देने वाले हो और अपने भक्तों से स्नेह करने वाले हो । |
5. उमड़ घुमड़ चहुँ दिश से आया, दामिन दमकै झर लावन की | 5. कमर पर छोटी-छोटी घंटियाँ सजी हुई हैं और पैरों में बँधे हुए नुपुर मीठी आवाज में बोल रहे हैं। |
उत्तर :
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. अधर सुधा रस मुरली राजति, उर वैजंती माल | 2. होंठों पर सुरीली धुनों से भरी हुई बाँसुरी और सीने पर वैजयंती माला सजी हुई है। |
2. क्षुद्र घोटका कटितट सोभित, नूपुर शब्द रसाल | 5. कमर पर छोटी-छोटी घंटियाँ सजी हुई हैं और पैरों में बँधे हुए नुपुर मीठी आवाज में बोल रहे हैं। |
3. मीरा के प्रभु संतन सुखदाई भक्त वछल गोपाल | 4. हे मीरा के प्रभु! तुम संतों को सुख देने वाले हो और अपने भक्तों से स्नेह करने वाले हो । |
4. सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की | 3. सावन के महीने में मेरे मन में बहुत सी उमंगें उठ रही हैं, क्योंकि मैंने श्रीकृष्ण के आने की चर्चा सुनी है। |
5. उमड़ घुमड़ चहुँ दिश से आया, दामिन दमकै झर लावन की | 1. चारों दिशाओं से बादल उमड़-घुमड़ कर बरस रहे हैं. बिजली चमक रही है, वर्षा की झड़ी लग गई है। |
कविता का सौंदर्य
‘बरसे बदरिया सावन की । ” इस पंक्ति में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए । क्या आपको कोई विशेष बात दिखाई दी ? इस पंक्ति में ‘बरसे’ और ‘बदरिया’ दोनों शब्द साथ- साथ आए हैं और दोनों ‘ब’ वर्ण से शुरू हो रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इस पंक्ति में ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है। इस कारण यह पंक्ति और भी अधिक सुंदर बन गई है। पाठ में से इस प्रकार के अन्य उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर :
- मोहनि – मूरति
- साँवरि – सूरति
- संतन – सुखदाई
- बरसे – बदरिया
- दामिन – दम
- नन्हीं-नन्हीं बूँदन
रूप बदलकर
पाठ के किसी एक पद को एक अनुच्छेद के रूप में लिखिए। उदाहरण के लिए – ‘सावन के बादल बरस रहे हैं…’ या ‘सावन की बदरिया बरसती है…’ आदि ।
उत्तर :
अनुच्छेद : “सावन के बादल बरस रहे हैं’
सावन का महीना वर्षा ऋतु का सबसे सुंदर और मनभावन समय होता है। जब आकाश में काले-काले बादल छा जाते हैं और ठंडी-ठंडी हवा चलने लगती है, तो मन खुशी से झूम उठता है। “सावन के बादल बरस रहे हैं ” – यह दृश्य न केवल धरती को हरियाली से भर देता है, बल्कि लोगों के मन को भी शीतलता प्रदान करता है। खेतों में हरियाली छा जाती है, पेड़-पौधे नहाकर ताजगी से भर जाते हैं और किसानों के चेहरे पर आशा की किरणें चमकने लगती हैं। बच्चों के लिए यह मौसम खेलकूद का, और कवियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। मयूर नाचते हैं, कोयल गुनगुनाती है और चारों ओर एक अलौकिक संगीत-सा बिखर जाता है। सचमुच, सावन के बादल जब बरसते हैं, तो प्रकृति अपना सबसे सुंदर रूप दिखाती है।
मुहावरे
“ बसो मेरे नैनन में नंदलाल । ”
नैनों या आँखों में बस जाना एक मुहावरा है, जब हमें कोई व्यक्ति या वस्तु इतनी अधिक प्रिय लगने लगती है कि उसका ध्यान हर समय मन में बना रहने लगता है तब हम इस मुहावरे का प्रयोग करते हैं, जैसे- उसकी छवि मेरी आँखों में बस गई है। ऐसा ही एक अन्य मुहावरा है – आँखों में घर करना।
नीचे आँखों से जुड़े कुछ और मुहावरे दिए गए हैं। अपने परिजनों, साथियों, शिक्षकों, पुस्तकालय और इंटरनेट की सहायता से इनके अर्थ समझिए और इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।
1. आँखों का तारा
अर्थ : बहुत प्यारा
वाक्य : रोहन अपने माता-पिता की आँखों का तारा है।
2. आँखों पर पर्दा पड़ना
अर्थ : सच्चाई को न देख पाना
वाक्य : मोह के कारण उसकी आँखों पर पर्दा पड़ गया है, वह सच्चाई नहीं देख पा रहा।
3. आँखों के आगे अँधेरा छाना
अर्थ : अचानक सदमे या दुःख से मानसिक संतुलन खो देना।
वाक्य : पिता की मृत्यु की खबर सुनकर उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया।
4. आँख दिखाना
अर्थ : गुस्से से देखना
वाक्य : बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए शिक्षक ने आँख दिखाई।
5. आँख का काँटा
अर्थ : अप्रिय व्यक्ति
वाक्य : उसकी सफलता कुछ लोगों के लिए आँख का काँटा बन गई है।
6. आँखें फेरना
अर्थ : पहले जैसा व्यवहार न करना
वाक्य : समय आने पर पुराने मित्रों ने उससे आँखें फेर लीं।
7. आँख भर आना
अर्थ : भावनाओं के कारण आँखों में आँसू आना।
वाक्य : बेटी की विदाई पर माँ की आँख भर आई ।
8. आँखें चुराना
अर्थ : सामना करने से बचना।
वाक्य : गलती करने के बाद वह सभी से आँखें चुराने लगा।
9. आँखों से उतारना
अर्थ : स्नेह समाप्त हो जाना ।
वाक्य : विश्वासघात के बाद उसने अपने पुराने मित्र को आँखों से उतार दिया।
10. आँखों में खटकना
अर्थ : अप्रिय लगना
वाक्य : उसकी तरक्की कुछ लोगों की आँखों में खटक रही है।
सबकी प्रस्तुति
पाठ के किसी एक पद को चुनकर अपने के साथ मिलकर अलग-अलग तरीके से कक्षा के सामने प्रस्तुत कीजिए, उदाहरण के लिए – गायन करना, भाव- नृत्य प्रस्तुति करना, कविता पाठ करना आदि।
उत्तर :
गायन करना – भक्ति भाव से हारमोनियम या तबले की सहायता से समूह में सहयोग और समर्पण की भावना से सुंदर संगीत में पद का गायन करें।
भाव – नृत्य प्रस्तुति करना – श्रीकृष्ण की छवि, मुरली वादन, नूपुर की ध्वनि आदि को अभिनय और नृत्य के माध्यम से भाव – नृत्य में मुद्राओं (हाथों की) और भाव-भंगिमाओं का प्रयोग कर दर्शा सकते हैं।
कविता-पाठ करना – एकल या समूह में पद का उचित उच्चारण, ठहराव और भाव- प्रदर्शन के साथ कविता – पाठ चेहरे के हाव-भाव और स्वर में भक्ति भाव के साथ करें।
लघु नाटिका – समूह में चेहरे के हाव-भाव में भक्ति भाव के साथ लघु नाटिका मंचन करें।
पाठ से आगे प्रश्न – अभ्यास
(पृष्ठ 134-138)
आपकी बात
(क) “ बरसे बदरिया सावन की ‘
प्रश्न 1. इस पद में सावन का सुंदर चित्रण किया गया है। जब आपके गाँव या नगर में सावन आता है तो मौसम में क्या परिवर्तन आते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
सावन के आते ही मौसम ठंडा और सुहावना हो जाता है। आसमान में काले बादल छा जाते हैं, ठंडी-ठंडी हवा चलने लगती है, चारों ओर हरियाली फैल जाती है। धरती पर वर्षा की बूँदें गिरती हैं जिससे मिट्टी की सोंधी खुशबू आती है। गर्मी से राहत मिलती है और वातावरण आनंदमय हो जाता है।
प्रश्न 2.
सावन की ऋतु में किस-किस प्रकार की ध्वनियाँ सुनाई देती हैं? इन ध्वनियों को सुनकर आपके मन में कौन-कौन सी भावनाएँ उठती हैं? आप कैसा अनुभव करते हैं? अपने अनुभवों के आधार पर बताइए। (उदाहरण के लिए – बिजली के कड़कने या बूँदों के टपकने की ध्वनियाँ )
उत्तर :
सावन में बारिश की बूँदों के गिरने पर टप-टप की आवाज़, बिजली की कड़क, मेंढकों की टर्राहट और पत्तों की सरसराहट सुनाई देती है। ये ध्वनियाँ मन को बहुत सुखद अनुभव कराती हैं। मन प्रसन्न हो जाता है और भीगते हुए खेलने का मन करता है। ये ध्वनियाँ बचपन की यादें ताजा कर देती हैं और मन उत्साह से भर जाता है।
प्रश्न 3.
वर्षा ऋतु में आपको कौन-कौन सी गतिविधियाँ करने या खेल खेलने में आनंद आता है?
उत्तर :
वर्षा ऋतु में मुझे बारिश में भीगना, कागज़ की नाव बनाकर पानी में बहाना, दोस्तों के साथ कीचड़ में खेलना और झूला झूलना बहुत पसंद है। कभी-कभी परिवार के साथ पकौड़े खाना और चाय पीना भी बहुत अच्छा लगता है।
प्रश्न 4.
सावन के महीने में हमारे देश में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। आपके घर, परिसर या गाँव में सावन में कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं? किसी एक के विषय में अपने अनुभव बताइए।
उत्तर :
सावन के महीने में हमारे यहाँ रक्षाबंधन, हरियाली तीज और नागपंचमी जैसे त्योहार मनाए जाते हैं। मुझे रक्षाबंधन सबसे अधिक प्रिय है क्योंकि उस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बाँधती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं। पूरा घर प्रेम और खुशियों से भर जाता है। मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और सब साथ में त्योहार का आनंद लेते हैं।
(ख) “बसो मेरे नैनन में नंदलाल’ इस पद में मीरा श्रीकृष्ण को ‘संतों को सुख देने वाला’ और ‘भक्तों का पालन करने वाला’ कहती हैं।
प्रश्न 1.
क्या आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति है जो सदैव आपकी सहायता करता है और आपको आनंदित करता है? विस्तार से बताइए |
उत्तर :
हाँ, मेरे जीवन में मेरी माता जी ऐसी व्यक्ति हैं। जो सदा मेरी सहायता करती हैं और मुझे खुश देखना चाहती हैं। जब भी मैं परेशान होता हूँ या किसी समस्या में उलझा होता हूँ, तो वह उसे धैर्यपूर्वक सुनती हैं और समाधान करती हैं। उनकी बातें हमेशा प्रेरणा देती हैं और मुझे आगे बढ़ने की शक्ति देती हैं। उनका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मेरे जीवन का सबसे बड़ा सहारा है। उनके बिना मेरा जीवन अधूरा होता ।
प्रश्न 2.
कवयित्री ने पाठ में ‘नूपुर’ और ‘क्षुद्र घंटिका’ जैसे उदाहरणों का प्रयोग किया है। किसी का वर्णन करने के लिए हम केवल बड़ी-बड़ी ही नहीं, बल्कि उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातें भी बता सकते हैं। आप भी अपने आस-पास के किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करते हुए उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दीजिए और उन्हें लिखिए।
उत्तर :
मैं अपने विद्यालय की घंटी का वर्णन करना चाहूँगा। वह घंटी देखने में छोटी है, लेकिन उसका स्वर बहुत तीव्र और स्पष्ट है। जैसे ही वह बजती है, सभी बच्चों के चेहरे पर मुसकान आ जाती है-कभी खेल के समय की, कभी छुट्टी की। वह घंटी केवल एक ध्वनि नहीं है, वह बच्चों की दिनचर्या का संकेत है। उसमें एक अनोखी लय होती है जो सबको आकर्षित करती है। वह छोटी-सी घंटी विद्यालय के हर छात्र की यादों का हिस्सा बन जाती है।
विशेषताएँ
” मोहनि मूरति साँवरि सूरति, नैना बने विशाल ।
(क) इस पंक्ति में कवयित्री ने श्रीकृष्ण की मोहनी मूरत, साँवरी सूरत और विशाल नैनों की बात की है। आपको श्रीकृष्ण की कौन-कौन सी बातों ने सबसे अधिक आकर्षित किया?
उत्तर :
मुझे श्रीकृष्ण की विशाल नैनों की बात सबसे अधिक आकर्षित करती है क्योंकि उनकी आँखों में करुणा, प्रेम और अपनापन झलकता है, जो मन को छू जाता है। उनके नयनों में पूरी सृष्टि समाई हुई लगती है।
(ख) किसी व्यक्ति या वस्तु का कौन-सा गुण आपको सबसे अधिक आकर्षित करता है? क्यों? अपने जीवन से जुड़े किसी व्यक्ति या वस्तु के उदाहरण से बताइए |
उत्तर :
मुझे किसी व्यक्ति की विनम्रता और सहानुभूति सबसे अधिक आकर्षित करती है। उदाहरण के लिए, मेरे शिक्षक बहुत विनम्र थे । वे हर छात्र की मदद करते और सभी से स्नेहपूर्वक व्यवहार करते थे। उनकी यही विशेषता मुझे प्रेरित करती है।
(ग) हम सबकी कुछ विशेषताएँ बाह्य तो कुछ आंतरिक होती हैं। बाह्य विशेषताएँ तो हमें दिखाई दे जाती हैं, लेकिन आंतरिक विशेषताएँ व्यक्ति के व्यवहार से पता चलती हैं। आप अपनी दोनों प्रकार की विशेषताओं के दो-दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर :
बिलकुल सही, जैसे गुलाब का फूल बाहर से सुंदर और खुशबूदार लगता है, लेकिन जब उसे गहराई से समझते हैं तो उसकी कोमलता और संवेदनशीलता का भी पता चलता है । इसी प्रकार, मेरे एक मित्र की आवाज़ बहुत मधुर है (बाहरी है विशेषता), लेकिन वह दूसरों की मदद करने में हमेशा आगे रहता है ( भीतरी विशेषता ) । अतः यहाँ दोनों प्रकार की विशेषताओं के दो-दो उदाहरण दिए जा सकते हैं।
बाहरी विशेषताएँ :
- सुंदरता
- आवाज़
भीतरी विशेषताएँ :
- दयालुता
- ईमानदारी
मधुर ध्वनियाँ
उत्तर :
चित्र करते हैं बातें
नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए –
यह मीरा का काँगड़ा शैली में बना चित्र है। इस चित्र के आधार पर मीरा के संबंध में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
यह चित्र मीरा का है और कांगड़ा शैली में बनाया गया है।
मीरा के संबंध में अनुच्छेद
मीरा एक महान भक्त कवयित्री थीं, जो भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं। वे राजस्थान के राजघराने से थीं, लेकिन उनका जीवन भक्ति और साधना को समर्पित था । चित्र में मीरा को वीणा के साथ ध्यानमग्न अवस्था में दिखाया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे संगीत और भक्ति में लीन थीं। उनकी कविताओं और भजनों में कृष्ण के प्रति प्रेम, विरह और समर्पण की भावनाएँ स्पष्ट दिखाई देती हैं। कांगड़ा शैली में बना यह चित्र मीरा की भक्ति, सौम्यता और सुंदरता को दर्शाता है।
सावन से जुड़े गीत
अपने परिजनों, मित्रों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से सावन में गाए जाने वाले गीतों को ढूँढ़िए और किसी एक गीत को अपनी लेखन – पुस्तिका में लिखिए। आप सावन से जुड़ा कोई भी लोकगीत, खेलगीत, कविता आदि लिख सकते हैं। कक्षा के सभी समूहों द्वारा एकत्रित गीतों को जोड़कर एक पुस्तिका बनाइए और कक्षा के पुस्तकालय में उसे सम्मिलित कीजिए ।
उत्तर :
यहाँ एक सुंदर सावन से जुड़ा लोकगीत प्रस्तुत है, जो उत्तर भारत विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार में बहुत प्रसिद्ध है-
सावन का लोकगीत
कजरी
काहे को ब्याही बिदेस
अरे ललना, काहे को ब्याही बिदेस….. ?
सावन में नयन बहावत नीर
अरे ललना, काहे को ब्याही बिदेस…. ?
भावार्थ : सावन के झूले, हरियाली और रिमझिम फुहारें, स्त्रियों के मन में मायके की यादें ताज़ा कर देती हैं। इस लोकगीत में एक नवविवाहिता स्त्री अपने पीहर को याद कर रो रही है। गीत में उसका दर्द, विरह और भावनाएँ स्पष्ट झलकती हैं। कजरी जैसे लोकगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि लोकसंस्कृति और भावनाओं का जीवंत चित्रण है।
राजस्थानी सावन लोकगीत
पधारो म्हारे देश
सावन आयो रे…..
बूंदन गिरे रे झमाझम
हरियालो भयो प्रदेश…
रिमझिम बरसे बदरिया,
नाचे मोर, थिरके धरणी,
घूंघट में मुस्कावे छोरी,
झूले पड़ग्या अमराई |
पधारो म्हारे देश
सावन आयो रे…
भावार्थ : इस गीत में सावन के आगमन की खुशी मनाई गई है। वर्षा की बूंदों से धरती हरियाली से भर गई है। मोर नाच रहे हैं, पेड़ झूम रहे हैं और स्त्रियाँ झूलों पर झूलती हुई गीत गा रही हैं। यह गीत राजस्थानी संस्कृति, प्रकृति प्रेम और स्त्री मन की उमंग को दर्शाता है।
यहाँ एक सुंदर और सरल सावन पर खेलगीत प्रस्तुत है, जो बच्चे खेलते समय या झूला झूलते समय गाते हैं-
सावन का खेलगीत
झूला झूले पेड़ की डाली,
आया सावन रस की प्याली।
पवन बहे मस्त, बदरिया छाए,
हम भी झूले, मन हर्षाए ।
कूदें, दौड़ें, गायें गीत,
सावन लाया मस्ती रीत ।
पग-पग हरियाली छाई,
देखो खुशियाँ ले के आईं।
भावार्थ : यह खेलगीत बच्चों की उत्साह – भरी दुनिया को दर्शाता है, जहाँ सावन के मौसम में पेड़ों की डालियों पर झूले पड़ते हैं, ठंडी हवा चलती है, बच्चे झूले झूलते हैं, गीत गाते हैं और प्रकृति के साथ खेलते हैं। इसमें सावन की मस्ती और आनंद को playful अंदाज़ में पेश किया गया है।
खोजबीन
आपने पढ़ा कि मीरा श्रीकृष्ण की आराधना करती थीं। आपने कक्षा 6 की पुस्तक मल्हार में पढ़ा था कि सूरदास भी श्रीकृष्ण के भक्त थे। अपने समूह के साथ मिलकर सूरदास की कुछ रचनाएँ ढूँढ़कर कक्षा में सुनाइए। इसके लिए आप पुस्तकालय और इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
आज की पहेली
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इनकी अंतिम ध्वनि से मिलती-जुलती ध्वनि वाले शब्द वर्ग में से खोजिए और लिखिए-
उत्तर :
शब्द | समान ध्वनि वाले शब्द |
1. मूरति | सूरति |
2. सावन | आवन |
3. उमड़ | घुमड़ |
4. नागर | नगर |
5. नंदलाल | गोपाल |
खोजबीन के लिए
नीचे दी गई इंटरनेट कड़ियों का प्रयोग करके आप कवयित्री मीरा के बारे में और जान-समझ सकते हैं-
मीरा
https://www.youtube.com/watch?v-KWKtPM8c-PA&ab_channel=NCERTOFFICIAL
मीराबाई का जीवन परिचय
मीराबाई 16वीं शताब्दी की एक राजपूत राजकुमारी, कवयित्री और कृष्ण भक्त थीं। उनका जन्म लगभग 1498 में राजस्थान के मेड़ता (वर्तमान नागौर) में हुआ था। बचपन से ही वे भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन थीं और उन्हें अपना पति मानती थीं। उनका विवाह चित्तौड़ के राजकुमार भोजराज से हुआ, लेकिन सांसारिक जीवन में उनकी रुचि कम थी। कृष्ण भक्ति के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन वे अपने मार्ग से विचलित नहीं हुईं। उनकी मृत्युं लगभग 1547 में द्वारका, गुजरात में हुई मानी जाती है।
मीरा के भजन
https://www.youtube.com/ watch?v=86Z-AA2vBQM&ab channel=NCERTOFFICIAL
मीराबाई के भजन भक्ति और प्रेम से परिपूर्ण हैं। उनके प्रसिद्ध भजनों में शामिल हैं-
JETIR+3Times Now Navbharat+3JKYog+3
” ऐसी लागी लगन ” – जिसमें वे कृष्ण से मिलन की तीव्र इच्छा व्यक्त करती हैं।
” जो तुम तोड़ो पिया” – जिसमें वे कृष्ण से अपने अटूट प्रेम का इज़हार करती हैं।
“पियाजी म्हारे नैणा आगे रहज्यो” – जिसमें वे कृष्ण से सदैव अपनी दृष्टि में रहने की प्रार्थना करती हैं।
मीराबाई :
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मीराबाई भक्ति आंदोलन की एक महान संत और कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनका जीवन, काव्य और भक्ति आज भी लोगों के दिलों को छूता
मीराबाई का संक्षिप्त परिचय :
- जन्म : लगभग 1498, मेड़ता ( राजस्थान )
- मृत्यु : लगभग 1547
- गुरु : रैदास जी को अपना गुरु माना है।
- भक्ति : श्रीकृष्ण को अपना पति और आराध्य माना
- काव्य भाषा : ब्रज भाषा
- काव्य शैली : निर्गुण भक्ति के साथ-साथ सगुण भक्ति, भावनात्मक, सरल और प्रेममय
प्रमुख विशेषताएँ :
अनन्य कृष्णभक्ति – मीराबाई ने बचपन से ही श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया था। उन्होंने सांसारिक बंधनों की परवाह नहीं की और हर परिस्थिति में कृष्ण की भक्ति करती रहीं ।
सामाजिक विरोध – उनके कृष्णप्रेम को लेकर समाज और ससुराल से विरोध मिला, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं की।
- भक्ति साहित्य – उनके भजन आज भी बड़े श्रद्ध से गाए जाते हैं। जैसे-
- मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो.
- उड़ जायेगा हंस अकेला
आध्यात्मिक स्वतंत्रता की प्रतीक- उन्होंने स्त्रियों की आत्मनिर्भरता और आध्यात्मिक स्वतंत्रता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
मीराबाई का अंत – कहा जाता है कि वे अंततः द्वारका में श्रीकृष्ण की मूर्ति में विलीन हो गईं- एक भक्त का अपने भगवान में पूर्ण समर्पण।
एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी द्वारा गाए गए मीराबाई के कुछ प्रमुख भजन https://www.youtube.com/ watch?v=EhhOcNJXJeI&ab_channel=Prasar BharatiArchives
एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी (MS Subbulakshmi) ने मीराबाई के भजनों को अपनी गायन कला के माध्यम से एक अमिट छाप छोड़ी है। उनकी आवाज़ में एक गहरी भक्ति और भावनाओं का पुट होता है, जो मीराबाई के भजनों को और भी असरदार बनाता है। उनकी प्रसिद्ध गायन शैली ने मीराबाई के भजनों को न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में लोकप्रिय किया ।
- “पियाजी म्हारे नैणा आगे रहज्यौ ” – यह भजन मीराबाई के कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम को दर्शाता है। इसमें वह कृष्ण से अपने नैना (आँखों) को हमेशा अपने दर्शन करने की प्रार्थना करती हैं।
- “ऐसी लागी लगन ” – इस भजन में मीराबाई कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम की गहराई को व्यक्त करती हैं। वह कृष्ण से मिलन की उत्कट इच्छा जताती हैं।
- ” जो तुम तोड़ो पिया” – इस भजन में मीराबाई श्री कृष्ण से अपने अटूट प्रेम का इज़हार करती हैं, और यह प्रेम हर परिस्थिति में स्थिर रहता है।
मीरा फ़िल्म ( 1945 ) भाग एक
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1945 में बनी हिंदी फिल्म
” मीरा ” मीराबाई के जीवन पर आधारित है। इसमें एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी ने मीराबाई की भूमिका निभाई है। फ़िल्म में मीराबाई की कृष्ण भक्ति, उनके संघर्ष और अंततः आत्म-साक्षात्कार की यात्रा को दर्शाया गया है। यह फ़िल्म उनके जीवन की भावनात्मक और आध्यात्मिक गहराई को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है।
मेरे तो गिरधर गोपाल
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” मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो
न कोई ” – यह पंक्ति संत मीराबाई की एक बहुत प्रसिद्ध भक्ति रचना से है। इसका अर्थ है- ” मेरे तो केवल गिरधर गोपाल ( श्रीकृष्ण ) ही सब कुछ हैं, उनके सिवा मेरा और कोई नहीं है । “