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Class 6th SST Chapter 14 Question Answer in Hindi Medium
Social Science Class 6 Chapter 14 Question Answer in Hindi
कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान पाठ 14 के प्रश्न उत्तर in Hindi हमारे आस-पास की आर्थिक गतिविधियाँ
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर ( पृष्ठ 195)
प्रश्न 1.
आर्थिक गतिविधियों को किस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है?
उत्तर:
आर्थिक गतिविधियाँ तीन मुख्य प्रकार के क्षेत्रकों (सेक्टरों) में वर्गीकृत की जाती हैं-
प्राथमिक क्षेत्रक: इसमें ऐसी गतिविधियाँ आती हैं जो सीधे प्रकृति से संसाधन प्राप्त करती हैं, जैसे – कृषि, खनन, मत्स्य पालन आदि।
द्वितीयक क्षेत्रकः इसमें प्राथमिक क्षेत्रक से प्राप्त कच्चे माल को प्रसंस्कृत करके अंतिम उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है, जैसे-उद्योग, निर्माण, वस्त्र निर्माण आदि ।
तृतीयक क्षेत्रकः इसमें उन सेवाओं का समावेश होता है जो उत्पादन और उपभोक्ताओं के बीच मध्यस्थता करती हैं, जैसे- परिवहन, बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ आदि ।
प्रश्न 2.
विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को क्षेत्रकों ( सेक्टरों) में समूहबद्ध करने का क्या आधार है ?
उत्तर:
आर्थिक गतिविधियों को क्षेत्रकों में वर्गीकृत करने का आधार यह है कि प्रत्येक क्षेत्रक की गतिविधियाँ | एक विशेष प्रकार के संसाधन का उपयोग करती हैं और एक विशिष्ट कार्य करती हैं।
प्राथमिक क्षेत्रक में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है।
द्वितीयक क्षेत्रक में कच्चे माल को प्रसंस्कृत करके उत्पाद तैयार किए जाते हैं।
तृतीयक क्षेत्रक में सेवाओं का वितरण और आपूर्ति की जाती है जो उत्पादन और उपभोग के बीच मध्यस्थता करती हैं।
प्रश्न 3.
यह तीन क्षेत्रक (सेक्टर) आपस में किस प्रकार संबंधित हैं?
उत्तर:
ये तीन क्षेत्रक आपस में एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं और एक-दूसरे की गतिविधियों को पूरा करते हैं।
प्राथमिक क्षेत्रक प्राकृतिक संसाधन प्रदान करता है जिन्हें द्वितीयक क्षेत्रक द्वारा प्रसंस्कृत किया जाता है।
द्वितीयक क्षेत्रक द्वारा तैयार किए गए उत्पादों का तृतीयक क्षेत्रक में वितरण और विपणन किया जाता है । इसके अलावा, तृतीयक क्षेत्रक जैसे परिवहन, बैंकिंग, और विपणन सेवाएँ दोनों (प्राथमिक और द्वितीयक ) क्षेत्रकों को सहयोग प्रदान करती हैं। इस प्रकार, ये तीनों क्षेत्रक आपस में मिलकर एक पूर्ण आर्थिक प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं।
आइए विचार करें ( पृष्ठ 198)
प्रश्न 1.
क्या आप ऐसी प्राथमिक गतिविधियों के बारे में सोच सकते हैं, जिन्हें आपने पहले देखा है?
इन गतिविधियों में कौन-से प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग हुआ है? इनमें से दो के नाम बताइए और अपने अनुभवों को सहपाठियों के साथ साझा कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक गतिविधियाँ वे गतिविधियाँ हैं जिनमें लोग सीधे तौर पर प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हैं। इनमें कृषि, खनन, मछली पकड़ना, पशुपालन, वानिकी आदि प्रमुख हैं।
मैंने जो प्राथमिक गतिविधियाँ देखी हैं, उनमें से दो करती हैं, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं-
1. कृषि ( खेती ): मैंने अपने गाँव में लोगों को गेहूँ और धान की खेती करते देखा है। इसमें मुख्य रूप से मिट्टी और जल जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग होता है। किसान अपने खेतों में बीज बोते हैं और उन्हें पानी देते हैं, ताकि फसल उग सके।
2. पशुपालन: मैंने पास के गाँव में लोगों को गायों और बकरियों का पालन करते देखा है। इसमें घास, जल और वायु का उपयोग होता है। किसान अपने जानवरों को खिलाने के लिए हरे घास और चारा इकट्ठा करते हैं और उनका ध्यान रखते हैं।
इन दोनों गतिविधियों में प्राकृतिक संसाधनों का सीधा उपयोग होता है और ये दोनों ही आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण क्योंकि इनसे लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी होती है।
अनुभव साझा करें:
मैंने देखा है कि गाँवों में किसानों को मौसम के अनुसार खेती में कठिनाइयाँ आती हैं। कभी बहुत अधिक बारिश होती है तो कभी सूखा पड़ जाता है, जिससे फसल प्रभावित होती है। पशुपालन में भी मौसम का असर पड़ता है, जैसे सर्दियों में जानवरों की विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इन अनुभवों को सहपाठियों के साथ साझा करते हुए यह समझा जा सकता है कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग और प्रबंधन आर्थिक गतिविधियों के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
आइए पता लगाएँ (पृष्ठ 200)
प्रश्न 1.
हमने द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण देखे हैं, क्या आप द्वितीयक क्षेत्रक की दो अन्य आर्थिक गतिविधियों के नाम बता सकते हैं?
उत्तर:
द्वितीयक क्षेत्रक की अन्य गतिविधियाँ जो कच्चे माल का प्रसंस्करण कर तैयार उत्पादों में परिवर्तित का उदाहरण निम्नलिखित है-
- कागज का निर्माण – लकड़ी या अन्य पौधों से प्राप्त कच्चे माल को प्रोसेस करके कागज बनाना।
- इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्माण- जैसे मोबाइल फोन, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण।
- ग्लास का निर्माण – रेत और अन्य सामग्री से काँच (ग्लास) का उत्पादन।
- फैशन उद्योग- वस्त्रों से विभिन्न फैशन उत्पादों, जैसे- जैकेट, शर्ट और सूट का निर्माण ।
- जूते और चप्पल का निर्माण – चमड़ा या रबर से जूते, चप्पल आदि बनाना । (दिए गए में से कोई दो चुनें)
यह सभी द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ हैं, जो कच्चे माल से तैयार उत्पादों का निर्माण करती हैं, जो अंततः उपभोक्ताओं के उपयोग में आते हैं।
आइए विचार करें ( पृष्ठ 206)
प्रश्न 1.
पृष्ठ 205 पर चित्र 14.1 ( पाठ्यपुस्तक ) में प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को देखिए और अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए ।
उत्तर:
चित्र 14.1 में, हम एक अनुक्रम देखते हैं। जो कच्चे माल के निष्कर्षण से लेकर उत्पाद की अंतिम बिक्री तक उत्पादन के विभिन्न चरणों को दर्शाता है। आइए चरणों को तोड़ें-
1. पेड़ काटना: यह पेड़ों को काटने की प्राथमिक गतिविधि का प्रतिनिधित्व करता है, जो प्राथमिक क्षेत्र का हिस्सा है। यहाँ का प्राकृतिक संसाधन लकड़ी है।
2. लकड़ियों के लट्टे का परिवहन: पेड़ों को काटने के बाद, लट्ठों को लादकर एक कारखाने में ले जाया जाता है। इसमें लॉजिस्टिक्स शामिल है और तृतीयक क्षेत्र ( सेवाओं) के अंतर्गत आता है।
3. लॉग का प्रसंस्करण: इस चरण में, लॉग को एक कारखाने में संसाधित किया जाता है, जहाँ उन्हें कागज जैसे उपयोगी उत्पादों में बदल दिया जाता है। यह द्वितीयक क्षेत्र का हिस्सा है क्योंकि इसमें विनिर्माण शामिल है।
4. प्रसंस्कृत माल का परिवहनः प्रसंस्कृत माल, जैसे पेपर रोल को ट्रकों पर लाद दिया जाता है और फिर से बाजार में ले जाया जाता है। यह कदम तृतीयक क्षेत्र ( परिवहन सेवाएँ) का हिस्सा है।
5. तैयार माल का उत्पादन: प्रसंस्कृत सामग्री को नोटबुक या मुद्रित सामग्री जैसे अंतिम उत्पादों में परिष्कृत किया जाता है। यह भी द्वितीयक क्षेत्र से संबंधित है, क्योंकि यह विनिर्माण का हिस्सा है।
6. खुदरा और बिक्री: अंत में, तैयार उत्पादों को दुकानों में प्रदर्शित और बेचा जाता है, जहाँ उपभोक्ता उन्हें खरीद सकते हैं। यह एक तृतीयक क्षेत्र की गतिविधि है क्योंकि इसमें व्यापार और सेवाएँ शामिल हैं।
आइए पता लगाएँ ( पृष्ठ 206)
प्रश्न 1.
पृष्ठ 205 पर दिए गए चित्र 14.1 ( पाठ्यपुस्तक) में दर्शाए गए कार्यों को क्षेत्रकों में वर्गीकृत कीजिए-
1. प्राथमिक क्षेत्रक
2. द्वितीयक क्षेत्रक
3. तृतीयक क्षेत्रक
उत्तर:
1. लुगदी का उत्पादन (Primary Sector):
सबसे पहले पेड़ों से लकड़ी काटी जाती है।
- लकड़ी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है, फिर उसे पानी में उबालकर काष्ठीय रेशों (लुगदी) में परिवर्तित किया जाता है।
- लुगदी को साफ करके उसे महीन और मुलायम बनाया जाता है, ताकि वह कागज बनाने के लिए तैयार हो सके।
2. कागज का निर्माण (Secondary Sector):
- लुगदी को एक मशीन के माध्यम से कागज के रूप में रूपांतरित किया जाता है।
- लुगदी को पानी के साथ मिलाकर घोल तैयार किया जाता है, जिसे फिर कागज बनाने के लिए आकार में डाला जाता है।
- कागज को सुखाया जाता है और रोल या शीट्स में बदल दिया जाता है।
3. मुद्रण (Printing):
- तैयार कागज पर पाठ्य सामग्री मुद्रित की जाती है।
- इसके लिए आधुनिक प्रिंटिंग मशीनों का उपयोग किया जाता है, जो उच्च गुणवत्ता वाले प्रिंट्स प्रदान करती हैं।
- कागज पर किताबों के अध्याय, चित्र, ग्राफिक्स और अन्य सामग्री छापी जाती है।
4. पुस्तक का निर्माण ( Binding ):
- मुद्रित कागज को व्यवस्थित रूप से जोड़कर पुस्तक का रूप दिया जाता है।
- कागज की चादरों को एक साथ बाँधा जाता है और फिर उन्हें एक मजबूत कवर से जोड़ा जाता है।
- कवर पर किताब का नाम लेखक का नाम, और अन्य जानकारी मुद्रित की जाती है।
5. वितरण (Tertiary Sector ) :
- तैयार पुस्तकों को विभिन्न पुस्तकालयों, विद्यालयों, कॉलेजों और पुस्तक विक्रेताओं को वितरित किया जाता है।
- परिवहन और वितरण के लिए ट्रकों, रेलगाड़ियों, और अन्य परिवहन विधियों का इस्तेमाल किया जाता है।
- पाठ्यपुस्तकों को विभिन्न स्थानों तक पहुँचाने के लिए उचित आपूर्ति श्रृंखला स्थापित की जाती है।
इन सभी गतिविधियों में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक की भूमिका होती है, जो मिलकर पूरी प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाते हैं।
प्रश्न 2.
आपके विद्यालय की कक्षाओं में और कार्यालयों में हम कागज का विभिन्न प्रकार से विवेकपूर्ण उपयोग कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
हमारे विद्यालय की कक्षाओं और कार्यालयों में कागज का विवेकपूर्ण उपयोग करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं-
1. पुन: उपयोग ( Reuse)
पुराने कागज का पुन: उपयोग करें: कक्षाओं में पुराने कागज के एक तरफ का उपयोग करने के बाद उसे दूसरी तरफ लिखने या उसके अन्य उपयोगों के लिए इस्तेमाल करें।
- पुस्तकों का पुनः उपयोग करें: पुराने पाठ्यपुस्तकों को ठीक से रखकर अगली पीढ़ी के लिए इस्तेमाल में लाएँ ।
2. कागज की बर्बादी कम करें
- डिजिटल टूल्स का उपयोग करें: जहाँ तक संभव हो, डिजिटल नोट्स, ईमेल्स और दस्तावेजों का उपयोग करें। इससे कागज की खपत कम होगी।
- कागज का सटीक उपयोगः केवल आवश्यक पंक्तियों और दस्तावेजों को प्रिंट करें, ताकि अनावश्यक कागज की बर्बादी न हो।
3. कागज का पुनर्चक्रण (Recycling)
- पुनर्चक्रण के लिए कागज एकत्रित करें: कक्षाओं और कार्यालयों में कागज को पुनर्चक्रण के लिए अलग से संग्रहित करें, ताकि उसे नए उत्पादों में बदला जा सके।
- पुनर्चक्रित कागज का उपयोग करें: जितना हो सके, पुनर्चक्रित कागज का प्रयोग करें।
4. प्रिंटर का विवेकपूर्ण उपयोग
- समान सामग्री को एक ही पेज पर प्रिंट करें: प्रिंटर से दो पृष्ठों को एक साथ प्रिंट करें, ताकि कागज की खपत कम हो।
- डबल – साइड प्रिंटिंगः यदि संभव हो, तो दोनों तरफ से कागज का इस्तेमाल करें।
5. कागज के अन्य उपयोग
- कला और शिल्प के लिए कागज का उपयोगः पुराने कागज को कला, शिल्प और परियोजनाओं के लिए पुनः उपयोग में लाएँ ।
- प्राकृतिक उत्पाद बनाने में कागज का प्रयोगः कागज को खाद्य पैकेजिंग, बागवानी (जैसे बीजों के पैकेट ) या अन्य प्राकृतिक उत्पादों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता {
6. कागज के स्थान पर अन्य सामग्री का उपयोग
- डिजिटल नोटबुक्स: जहाँ तक संभव हो, डिजिटल नोटबुक्स का प्रयोग करें।
- न केवल कागज की खपत कम करते हैं बल्कि आपके नोट्स को व्यवस्थित भी रखते हैं।
- ऑनलाइन मीटिंग्स और कक्षाएँ: ऑनलाइन मीटिंग्स, वेबिनार्स और कक्षाएँ आयोजित करें ताकि कागज पर निर्भरता कम हो ।
इन उपायों को अपनाकर हम विद्यालय और कार्यालयों में कागज के विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और कागज की बर्बादी भी कम होगी।
आइए पता लगाएँ ( पृष्ठ 207)
प्रश्न 1.
अपने आस-पास की आर्थिक गतिविधियों की एक सूची बनाइए और प्राथमिक, द्वितीयक या तृतीयक गतिविधियों के रूप में उन्हें वर्गीकृत कीजिए। इसके उपरांत तीर लगाकर दर्शाइए कि वे एक-दूसरे से किस प्रकार संबंधित और परस्पर आश्रित हैं, यदि इनमें से किसी एक गतिविधि का अंत हो जाता है, तो क्या होगा?
उत्तर:
आइए, अपने आस-पास की आर्थिक गतिविधियों की सूची बनाते हैं और उन्हें प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक गतिविधियों के रूप में वर्गीकृत करते हैं। इसके बाद, हम यह देखेंगे कि ये गतिविधियाँ किस प्रकार आपस में संबंधित और परस्पर आश्रित हैं. और यदि इनमें से कोई एक गतिविधि समाप्त हो जाती है तो इसका प्रभाव क्या होगा।
आर्थिक गतिविधियों की सूची:
1. प्राथमिक गतिविधियाँ:
कृषिः खेतों में अनाज और सब्जियों की खेती ।
मछली पालनः मछलियाँ पकड़ना ।
खननः कोयला, खनिजों का खनन करना ।
पशुपालन: गाय, भैंस का पालन करना ।
वानिकी : जंगल से लकड़ी और अन्य वनस्पति प्राप्त करना।
2. द्वितीयक गतिविधियाँ:
आटा मिलः कृषि से प्राप्त अनाज का आटा बनाना।
कागज का निर्माण: लकड़ी से लुगदी बनाकर कागज का निर्माण करना।
फर्नीचर निर्माण: लकड़ी से फर्नीचर तैयार करना।
धातु निर्माण: लौह अयस्क से स्टील बनाना ।
गाड़ी निर्माण: कच्चे माल से कारों का निर्माण |
3. तृतीयक गतिविधियाँ:
परिवहनः ट्रक, बसों और रेल से माल और व्यक्ति का परिवहन।
बैंकिंग सेवाएँ: बैंकों द्वारा पैसे की लेन-देन की सेवा।
शिक्षा: स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाई की सेवा ।
स्वास्थ्य सेवाएँ: अस्पतालों और क्लिनिकों में चिकित्सा सेवा ।
खुदरा बिक्री: दुकानों और बाजारों में सामान बेचना।
परस्पर निर्भरता का चित्र:
प्राथमिक गतिविधियाँ → द्वितीयक गतिविधियाँ → तृतीयक गतिविधियाँ
प्राथमिक गतिविधियाँ (कृषि, खनन, मछली पालन ) कच्चे माल प्रदान करती हैं जो द्वितीयक गतिविधियों (आटा मिल, कागज निर्माण, फर्नीचर निर्माण) के लिए आवश्यक होते हैं। उदाहरण के लिए, कृषि से प्राप्त अनाज का उपयोग आटा मिल में होता है और लकड़ी से कागज और फर्नीचर बनते हैं।
द्वितीयक गतिविधियाँ में निर्मित उत्पादों को तृतीयक गतिविधियों (परिवहन, बैंकिंग, खुदरा बिक्री ) द्वारा उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाता है। उदाहरण के लिए, आटा मिल से बने आटे को परिवहन द्वारा दुकानों में पहुँचाया जाता है, और बैंकिंग सेवाएँ इन गतिविधियों के संचालन में मदद करती हैं।
परस्पर आश्रिता गतिविधियाँ:
1. यदि प्राथमिक गतिविधियाँ समाप्त हो जाती हैं: कच्चे माल की आपूर्ति रुक जाएगी, जिससे द्वितीयक गतिविधियाँ प्रभावित होंगी। उदाहरण के लिए, अगर कृषि बंद हो जाती है, तो आटा मिल बंद हो जाएगा।
2. यदि द्वितीयक गतिविधियाँ समाप्त हो जाती हैं: कच्चे माल से बने उत्पादों की कमी हो जाएगी, जिससे तृतीयक गतिविधियाँ (जैसे खुदरा बिक्री) प्रभावित होंगी। उदाहरण के लिए, अगर फर्नीचर का निर्माण नहीं होता, तो दुकानों में फर्नीचर उपलब्ध नहीं होगा।
3. यदि तृतीयक गतिविधियाँ समाप्त हो जाती हैं: उत्पादों का वितरण और बिक्री रुक जाएगी, जिससे प्राथमिक और द्वितीयक गतिविधियों का लाभ नहीं मिल पाएगा। उदाहरण के लिए, अगर परिवहन सेवा बंद हो जाती है, तो उत्पादों को बाजार तक पहुँचाना संभव नहीं होगा।
निष्कर्षः तीनों आर्थिक गतिविधियाँ ( प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक ) एक-दूसरे पर निर्भर करती हैं। यदि इनमें से कोई एक गतिविधि रुक जाती है, तो पूरे आर्थिक ढाँचे पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, और समग्र उत्पादकता और सेवाएँ प्रभावित होंगी।
एन.सी.ई.आर.टी. प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएँ (पृष्ठ 207)
प्रश्न 1.
प्राथमिक क्षेत्रक क्या है? यह द्वितीयक क्षेत्रक से किस प्रकार भिन्न है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्रकः प्राथमिक क्षेत्रक उन आर्थिक गतिविधियों से संबंधित है, जो सीधे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती हैं। इसमें भूमि, जल, खनिज, वन्यजीव और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से सीधे उत्पाद प्राप्त करना शामिल है। इन गतिविधियों में लोग प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, जैसे कृषि, खनन, वानिकी, मछली पालन आदि ।
प्राथमिक क्षेत्रक और द्वितीयक क्षेत्रक में भिन्नताः प्राथमिक क्षेत्रक में प्राकृतिक संसाधनों से वस्तु का उत्पादन होता है, जबकि द्वितीयक क्षेत्रक में प्राथमिक
क्षेत्रक से प्राप्त कच्चे माल को बदलकर उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
दो उदाहरण:
1. प्राथमिक क्षेत्रक – कृषि ( धान, गेहूँ की खेती ) ।
2. द्वितीयक क्षेत्रक – आटा मिल से गेहूँ का आटा बनाना।
प्रश्न 2.
द्वितीयक क्षेत्रक किस प्रकार से तृतीयक क्षेत्रक पर निर्भर है ? उदाहरणों द्वारा समझाइए |
उत्तर:
द्वितीयक क्षेत्रक और तृतीयक क्षेत्रक पर निर्भरताः द्वितीयक क्षेत्रक में कच्चे माल से तैयार उत्पादों का निर्माण होता है, और इन उत्पादों को अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुँचाने के लिए तृतीयक क्षेत्रक की सेवाओं की आवश्यकता होती है। तृतीयक क्षेत्रक में वे सभी गतिविधियाँ आती हैं, जो उत्पादन के बाद के कार्य करती हैं, जैसे परिवहन, विपणन, बिक्री, सेवा प्रदायगी, आदि।
उदाहरण:
1. द्वितीयक क्षेत्रक: फर्नीचर का निर्माण ( कच्ची लकड़ी को फर्नीचर में बदलना ) ।
2. तृतीयक क्षेत्रकः इस फर्नीचर को बाजार में ले जाने के लिए परिवहन सेवाएँ, और खुदरा विक्रेताओं द्वारा बिक्री करना ।
प्रश्न 3.
प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों के बीच परस्पर निर्भरता का एक उदाहरण दीजिए । इसको प्रवाह चित्र (फ्लोचार्ट) का प्रयोग करते हुए समझाइए |
उत्तर:
स्पष्टीकरणः
- प्राथमिक क्षेत्रक प्राकृतिक संसाधनों से कच्चे माल प्राप्त करता है।
- द्वितीयक क्षेत्रक इन कच्चे माल को उत्पादों में बदलता है।
- तृतीयक क्षेत्रक इन तैयार उत्पादों को बाजार तक पहुँचाने और सेवा प्रदान करने का कार्य करता है।
ये तीनों क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं और इनकी सहयोगी क्रियाएँ ही आर्थिक विकास को सुनिश्चित करती हैं।