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NCERT Class 12 Geography Chapter 9 Solutions in Hindi अंतराष्ट्रीय व्यापार
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनें –
(i) संसार के अधिकांश महान पत्तन इस प्रकार वर्गीकृत किए गए हैं –
(अ) नौसेना पत्न
(स) तैल पत्तन
(ब) विस्तृत पत्तन
(द) औद्योगिक पत्तन।
उत्तर:
(ब) विस्तृत पत्तन
(ii) निम्नलिखित महाद्वीपों में से किस एक से विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है?
(अ) एशिया
(ब) यूरोप
(स) उत्तरी अमेरिका
(द) अफ्रीका।
उत्तर:
(स) उत्तरी अमेरिका
(iii) दक्षिण अमरीकी राष्ट्रों में से कौनसा एक ओपेक का सदस्य है?
(अ) ब्राजील
(ब) वेनेजुएला
(स) चिली
(द) पेरू।
उत्तर:
(ब) वेनेजुएला
(iv) निम्न व्यापार समूहों में से भारत किसका एक सह-सदस्य है?
(अ) साफ्टा (SAFTA)
(ब) आसियान (ASEAN)
(स) ओइसीडी (OECD)
(द) ओपेक (OPEC )
उत्तर:
(अ) साफ्टा (SAFTA)
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30 शब्दों में दीजिए –
(i) विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य कौनसे हैं?
उत्तर:
(1) विश्व व्यापार संगठन एक ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जो कि राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों का व्यवहार करता है।
(2) यह विश्वव्यापी व्यापार तन्त्र के लिए नियमों को नियत करता है।
(3) यह विश्व को उच्च सीमा शुल्क और विभिन्न प्रकार की बाधाओं से मुक्त करवाता है।
(4) विश्व व्यापार संगठन इसके सदस्य देशों के मध्य व्यापार सम्बन्धी विवादों का निपटारा करता है।
(ii) ऋणात्मक भुगतान सन्तुलन का होना किसी देश के लिए क्यों हानिकारक होता है?
उत्तर:
जब किसी देश में आयातित वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य देश के निर्यात मूल्य से अधिक होता है, तब वह देश ऋणात्मक भुगतान संतुलन की स्थिति में होता है। यह स्थिति उस देश में अन्तिम रूप में वित्तीय संचय की समाप्ति को अभिप्रेरित करती है।
(iii) व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा राष्ट्रों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
व्यापारिक समूहों के निर्माण से व्यापार की मदों में भौगोलिक सामीप्य, समरूपता तथा पूरकता प्राप्त होती है। इनके द्वारा विभिन्न देशों के मध्य व्यापार बढ़ाने तथा व्यापार पर प्रतिबन्ध हटाने में सहायता मिलती है। साथ ही सदस्य राष्ट्र को व्यापार शुल्क से मुक्ति मिलती है एवं मुक्त व्यापार के प्रोत्साहन से देश को अधिक व्यापारिक लाभ प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों से अधिक में न दें –
1. पत्तन किस प्रकार व्यापार के लिए सहायक होते हैं? पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए।
उत्तर:
पत्तन निम्नलिखित प्रकार से व्यापार के लिए सहायक होते हैं, यथा –
(1) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया के मुख्य प्रवेश- द्वार पोताश्रय तथा पत्तन होते हैं। इन्हीं पत्तनों के द्वारा जहाजी माल तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं।
(2) पत्तन जहाज के लिए गोदी, लादने, उतारने तथा भण्डारण के लिए सुविधाएँ प्रदान करते हैं। इन सुविधाओं को प्रदान करने के उद्देश्य से पत्तन के प्राधिकारी नौगम्य द्वारों का रख-रखाव, रस्सों, बजरों अर्थात् छोटी अतिरिक्त नौकाओं की व्यवस्था करने और श्रम एवं प्रबन्धकीय सेवाओं को उपलब्ध करवाने की व्यवस्था करते हैं।
(3) एक पत्तन के महत्त्व को नौभार के आकार और निपटान किए गए जहाजों की संख्या द्वारा निश्चित किया जाता है।
(4) एक पत्तन द्वारा निपटाया गया नौभार उसके पृष्ठ प्रदेश के विकास के स्तर का सूचक होता है।
अवस्थिति के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण- अवस्थिति के आधार पर पत्तनों को निम्नलिखित वर्गों के अन्तर्गत वर्गीकृत किया गया हैं –
(1) अन्तर्देशीय पत्तन – अन्तर्देशीय पत्तन समुद्र तट से दूर अवस्थित होते हैं। ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर के द्वारा जुड़े होते हैं। इस प्रकार के पत्तन चौरस तल वाले जहाज या बजरे द्वारा ही गम्य होते हैं, यथा – मानचेस्टर पत्तन सागर से एक नहर द्वारा जुड़ा हुआ है तथा मेंफिस पत्तन मिसीसिपी नदी द्वारा सागर से जुड़ा है। इसी प्रकार मैनहीम एवं ड्यूसबर्ग पत्तन राइन नदी द्वारा तथा कोलकाता पत्तन हुगली नदी द्वारा सागर से जुड़े हुए हैं।
(2) बाह्य पत्तन – बाह्य पत्तन गहरे जल के पत्तन हैं। जो कि वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। ये उन जहाजों, जो कि अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुँचने में अक्षम हैं, को ग्रहण करके पैतृक पत्तनों को सेवाएँ प्रदान करते हैं। यथा – एथेन्स तथा यूनान में इसके बाह्य पत्तन पिरेइअस से उच्च कोटि का संयोजन देखने को मिलता है।
2. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देश कैसे लाभ प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यदि विभिन्न राष्ट्र वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाए तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक होता है। अर्थात् अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता तथा हस्तान्तरणीयता के सिद्धान्तों पर आधारित होता है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देश निम्न प्रकार से लाभ प्राप्त करते हैं –
(i) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के अन्तर्राष्ट्रीय मूल्यों में अधिक भिन्नताएँ नहीं मिलती हैं। वस्तुतः अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य नियंत्रण में प्रभावी भूमिका निभाता है।
(ii) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा विश्व के कुछ विकासशील देशों में बाह्यस्त्रोतन के कार्य से एक ओर लाखों व्यक्तियों को रोजगार मिला है, वहीं दूसरी ओर बाह्यस्रोतन करने वाले देशों को पर्याप्त पूँजी की प्राप्ति होती है।
(iii) कुछ देशों में कुछ वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन, आवश्यकता से अधिक होता है, जबकि कुछ देशों में उन वस्तुओं एवं सेवाओं की कमी होती है। ऐसी स्थिति में वस्तुओं और सेवाओं का अधिक उत्पादन करने वाले देश, इन वस्तुओं व सेवाओं का निर्यात दूसरे अल्प उत्पादित देशों में करने लगते हैं। इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदार देश वस्तुओं व सेवाओं का लाभ उठाते हैं।
(iv) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा विदेशी सम्बन्धों में उल्लेखनीय सुधार होता है, जिससे देशों में सामाजिक व सांस्कृतिक विकास होता है।
(v) आयातित उत्पादों एवं सेवाओं के द्वारा आयात करने वाले देश की जनसंख्या के जीवन स्तर में सुधार आता है, जबकि निर्यात करने वाले देश को निर्यात के बदले भारी मात्रा में पूँजी प्राप्त होती है। इस पूँजी से निर्यात करने वाले देश अपने आर्थिक विकास को गति प्रदान करते हैं।
(vi) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से विभिन्न राष्ट्रों में वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन का विशिष्टीकरण को बल मिलता है।
(vii) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार केवल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं होते वरन् यह विश्व शान्ति तथा सामाजिक- सांस्कृतिक विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है।