Understanding the question and answering patterns through Class 12 Geography Question Answer in Hindi Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन will prepare you exam-ready.
Class 12 Geography Chapter 7 in Hindi Question Answer खनिज तथा ऊर्जा संसाधन
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सर्वाधिक लौह अयस्क भण्डार किस राज्य में पाए जाते हैं?
(क) उड़ीसा
(ख) कर्नाटक
(ग) झारखण्ड
(घ) छत्तीसगढ़।
उत्तर:
(ग) झारखण्ड
प्रश्न 2.
देश में अग्रणी लौह उत्पादक राज्य है-
(क) कर्नाटक
(ख) उड़ीसा
(ग) छत्तीसगढ़
(घ) झारखण्ड।
उत्तर:
(ग) छत्तीसगढ़
प्रश्न 3.
भारत में सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र कौनसा है?
(क) रानीगंज
(ख) झरिया
(ग) बोकारो
(घ) गिरीडीह।
उत्तर:
(ख) झरिया
प्रश्न 4.
भारत में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना कब हुई थी?
(क) 1856
(ख) 1892
(ग) 1956
(घ) 1972
उत्तर:
(ग) 1956
प्रश्न 5.
देश में गैस अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड की स्थापना कब की गई थी ?
(क) 1956
(ग) 1982
(ख) 1973
(घ) 1984
उत्तर:
(घ) 1984
प्रश्न 6.
राजस्थान में किस स्थान पर सौर ऊर्जा शक्तिगृह स्थापित किया गया है?
(क) जोधपुर (मथानिया )
(ग) बाड़मेर
(ख) बीकानेर
(घ) जैसलमेर।
उत्तर:
(क) जोधपुर (मथानिया )
प्रश्न 7.
एशिया का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा संयन्त्र भारत में कहाँ स्थित है?
(क) लाम्बा
(ख) मथानिया
(ग) चन्द्रपुर
(घ) कैगा।
उत्तर:
(क) लाम्बा
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत का वह कौनसा भाग है, जहाँ खनिजों का अस्तित्व कुछ निश्चित भूगर्भिक संरचनाओं से जुड़ा है ?
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठारी भाग।
प्रश्न 2.
भारत के किस राज्य द्वारा कुल विद्युत उपभोग का सबसे अधिक भाग परमाणु विद्युत से पूरा किया जाता है ?
उत्तर:
राजस्थान।
प्रश्न 3.
ओडिशा में बॉक्साइट के महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्र कौनसे हैं?
उत्तर:
कालाहांडी; संभलपुर, बोलनगीर और कोरापुट।
प्रश्न 4.
छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण लौह-अयस्क खदान कौनसी है?
उत्तर:
बैलाडीला और डल्ली राजहरा।
प्रश्न 5.
भारत की उन चार नदी घाटियों के नाम बताइये, जहाँ कोयले के महत्वपूर्ण निक्षेप पाए जाते हैं।
उत्तर:
दामोदर, गोदावरी, महानदी तथा सोन नदी घाटी ‘क्षेत्र’
प्रश्न 6.
भारत में पेट्रोलियम के किन्हीं तीन व्यापारिक उत्पादन क्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
उत्तर-पूर्वी प्रदेश, गुजरात प्रदेश तथा मुम्बई हाई क्षेत्र।
प्रश्न 7.
मुम्बई हाई कहाँ स्थित है?
उत्तर:
मुम्बई नगर से 160 कि.मी. दूर अरब सागर में।
प्रश्न 8.
भारत में कौनसी किस्म का कोयला प्रमुख रूप से मिलता है?
उत्तर:
बिटुमिनस कोयला।
प्रश्न 9.
भारत के किस क्षेत्र में विशाल गैस भंडारों के पाये जाने के संकेत मिले हैं?
उत्तर:
तमिलनाडु राज्य के रामानाथपुरम जिले में प्राकृतिक गैस के विशाल संचित भंडार होने के संकेत मिले हैं।
प्रश्न 10.
खनिज से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एक निश्चित रासायनिक एवं भौतिक गुणधर्मो के साथ कार्बनिक या अकार्बनिक उत्पत्ति के प्राकृतिक पदार्थ खनिज कहलाते हैं।
प्रश्न 11.
खनिजों के वर्गीकरण का मुख्य आधार क्या है?
उत्तर:
खनिजों को मुख्यतः रासायनिक और भौतिक गुणधर्मों के आधार पर दो प्रमुख श्रेणियों धात्विक (धातु) और अधात्विक (अधातु) में वर्गीकृत किया जाता है।
प्रश्न 12.
धात्विक खनिज से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे खनिज, जिनसे धातु उपलब्ध होती है, धात्विक खनिज कहलाते हैं। जैसे लोहा, ताँबा, स्वर्ण, मैंगनीज, निकल आदि ।
प्रश्न 13.
धात्विक खनिज कितने प्रकार के होते हैं?
उत्त:
धात्विक खनिज लौह अंश की उपस्थिति के आधार पर दो प्रकार-लौह एवं अलौह धात्विक प्रकार के होते हैं।
प्रश्न 14.
लौह धात्विक खनिज कौनसे होते हैं?
उत्तर;
वे सभी प्रकार के खनिज, जिनमें लौह अंश उपस्थित होता है, लौह धात्विक खनिज कहलाते हैं। जैसे- लौह अयस्क, मँगनीज, क्रोमाइट, निकल आदि ।
प्रश्न 15.
अलौह धात्विक खनिजों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे सभी प्रकार के खनिज, जिनमें लौह अंश अनुपस्थित होता है, अलौह धात्विक खनिज कहलाते हैं। जैसे— ताँबा, सीसा, जस्ता, बॉक्साइट, स्वर्ण, टिन आदि।
प्रश्न 16.
भारत में लौह अयस्क के कौनसे प्रकार मिलते हैं?
उत्तर:
भारत में लौह-अयस्क के दो प्रमुख प्रकार— हेमेटाइट और मैग्नेटाइट पाए जाते हैं।
प्रश्न 17.
देश में लौह अयस्क खानें कहाँ स्थित हैं?
उत्तर:
देश में लौह-अयस्क खानें मुख्यतः उत्तर-पूर्वी पठार प्रदेश में कोयला क्षेत्रों के निकट स्थित हैं।
प्रश्न 18.
लौह अयस्क निक्षेप में अग्रणी राज्यों के नाम बताइये।
उत्तर:
लौह अयस्क के कुल आरक्षित भण्डारों का लगभग 95% भाग ओडिशा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गोआ, आन्ध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु में स्थित है।
प्रश्न 19.
देश में मँगनीज उत्पादक अग्रणी राज्य कौनसे हैं ?
उत्तर:
देश में ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश मैंगनीज के अग्रणी उत्पादक राज्य हैं।
प्रश्न 20.
ताँबे के मुख्य उपयोग क्या हैं?
उत्तर:
बिजली की मोटरें, ट्रांसफार्मर, जेनेरेटर्स आदि बनाने, विद्युत उद्योग तथा आभूषणों को सुदृढ़ता प्रदान करने में स्वर्ण के साथ ताँबे का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 21.
अभ्रक के क्या उपयोग हैं?
उत्तर:
इसका उपयोग मुख्यतः विद्युत एवं इलेक्ट्रोनिक – उद्योगों के साथ-साथ औषधि निर्माण, रेडियो, चश्मे, बेतार का तार आदि बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 22.
भारत में अभ्रक के निक्षेप कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
भारत में अभ्रक मुख्यत: झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना व राजस्थान राज्यों में पाया जाता है।
प्रश्न 23.
भारत में गोंडवाना कोयला क्षेत्र कौनसे हैं ?
उत्तर:
भारत में गोंडवाना कोयला मुख्यतः पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना व आन्ध्र प्रदेश में पाया जाता है।
प्रश्न 24.
भारत में टर्शियरी कोयला निक्षेप के क्षेत्र कौनसे हैं ?
उत्तर:
भारत में टर्शियरी कोयला असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैण्ड में पाया जाता है।
प्रश्न 25.
तरल सोना किसे कहते हैं?
उत्तर:
अपनी दुर्लभता और विविध उपयोगों के कारण पेट्रोलियम को तरल सोना कहा जाता है।
प्रश्न 26.
असम के तेल उत्पादक क्षेत्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
असम में डिगबोई, नहारकटिया और मोरान महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र हैं।
प्रश्न 27.
भारत में कितने प्रकार की तेल शोधनशालाएँ पायी जाती हैं?
उत्तर:
भारत में मुख्यतः दो प्रकार की तेल शोधनशालाएँ हैं- क्षेत्र आधारित, जैसे- डिगबोई तेल शोधनशाला तथा बाजार आधारित, जैसे-बरौनी तेल शोधनशाला ।
प्रश्न 28.
प्राकृतिक गैस के परिवहन एवं विपणन के लिए स्थापित संस्था कौनसी है?
उत्तर:
भारत में प्राकृतिक गैस के परिवहन एवं विपणन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में 1984 में ‘गैस अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड’ (GAIL) की स्थापना की गई थी।
प्रश्न 29.
देश के किन क्षेत्रों में मोनाजाइट के निक्षेप पाए जाते हैं?
उत्तर:
देश में मोनाजाइट निक्षेप केरल के पालक्काड़ तथा कोलाम जिलों, आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम तथा ओडिशा में महानदी डेल्टाई क्षेत्र में मिलते हैं।
प्रश्न 30.
किन्हीं पाँच नव्य-करणीय ऊर्जा संसाधनों के नाम बताइये।
उत्तर:
सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा और बायोमास नव्य-करणीय ऊर्जा संसाधन कहलाते हैं।
प्रश्न 31.
जैव ऊर्जा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वह ऊर्जा जो जैविक उत्पादों जैसे कृषि अवशेष, नगरपालिका व औद्योगिक अपशिष्ट आदि से प्राप्त होती है, जैव ऊर्जा कहलाती है।
प्रश्न 32.
कावेरी बेसिन के दो तेल क्षेत्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
नारीमनम एवं कोविलप्पल।
प्रश्न 33.
भारत में पहला परमाणु ( नाभिकीय) शक्ति केन्द्र कहाँ लगाया गया था ?
उत्तर:
भारत में 1969 में मुम्बई के निकट तारापुर में पहला परमाणु शक्ति केन्द्र लगाया गया था।
प्रश्न 34.
भारत में सबसे बड़ी तेल परिशोधनशाला कहाँ स्थित है?
उत्तर:
गुजरात राज्य के जामनगर में रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड द्वारा निजी क्षेत्र में स्थापित परिशोधनशाला, देश की सबसे बड़ी तेल परिशोधनशाला है।
प्रश्न 35.
देश में पहली तेल पाइप लाइन कब निर्मित की गई थी ?
उत्तर:
देश में ‘भारतीय तेल लिमिटेड’ (I.O.L.) द्वारा 1956 में असम के नहरकटिया से बिहार के बरौनी तक पहली तेल पाइप लाइन बिछाई गयी थी ।
प्रश्न 36.
भारत के प्रमुख लौह अयस्क बन्दरगाहों के नाम बताइये।
उत्तर:
गोवा का मार्मागाओ, कर्नाटक का मंगलौर, आंध्रप्रदेश का विशाखापट्टनम एवं ओडिशा का पारादीप बंदरगाह।
लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अलौह खनिज एवं लौह खनिज में अन्तर
उत्तर:
लौह खनिज | अलौह खनिज |
1. जिन खनिज पदार्थों में लौह धातु का अंश होता है, वे लौह खनिज कहलाते हैं। | जिन खनिज पदार्थों में लौह धातु नहीं पाई जाती है, उन्हें अलौह खनिज कहते हैं। |
2. लोहा, मैंगनीज, क्रोमाइट, कोबाल्ट आदि लौह खानिज हैं। | सोना, ताँबा, सीसा, निकल आदि अलौह खनिज हैं। |
3. इनका मुख्य उपयोग लौहइस्पात उद्योग में किया जाता है। | अलौह खनिजों की अपनी अलग-अलग उपयोगिता होती है; जैसे आभूषण निर्माण, विद्युत उद्योग में आदि। |
प्रश्न 2.
भारत में दक्षिण-पश्चिमी पठार प्रदेश खनिज पट्टी का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यह पट्टी कर्नाटक, गोआ तथा संस्पर्शी तमिलनाडु उच्च भूमि और केरल पर विस्तृत है। यह पट्टी लौह धातुओं तथा बॉक्साइट में समृद्ध है। इनमें उच्च कोटि का लौह अयस्क, मँगनीज तथा चूना पत्थर भी पाया जाता है। केरल में मोनाजाइट तथा थोरियम और बॉक्साइट क्ले के निक्षेप है। गोआ में लौह अयस्क निक्षेप पाए जाते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में उत्तर-पूर्वी पठारी प्रदेश खनिज पट्टी का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
उत्तर:
उत्तर-पूर्वी पठारी प्रदेश खनिज पट्टी – इस खनिज पट्टी में झारखण्ड का छोटानागपुर पठार, ओडिशा के पठार, पश्चिम बंगाल तथा छत्तीसगढ़ के कुछ भाग आते हैं। इस पट्टी में विभिन्न प्रकार के खनिज, जैसे- लौह अयस्क, कोयला, मैंगनीज, बॉक्साइट, अभ्रक आदि पाए जाते हैं। इसी क्षेत्र में देश के प्रमुख लौह एवं इस्पात उद्योग भी कच्चे माल की सुविधा के कारण अवस्थित हैं।
प्रश्न 4.
प्राकृतिक संसाधनों को प्रकृति का उपहार क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
वातावरण के उपयोगी तत्त्व, जो कि मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, संसाधन कहलाते हैं। प्राकृतिक वातावरण के प्रमुख तत्त्व, जैसे- भूमि, जल, वनस्पति, खनिज, मिट्टी, जलवायु तथा जीव-जन्तु प्राकृतिक संसाधन हैं। मानव को ये संसाधन हमेशा के लिए स्थायी रूप से प्राप्त होते हैं, जिनका उपयोग वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए करता है। सभी प्राकृतिक संसाधनों को प्रकृति मानव को बिना किसी मूल्य के प्रदान करती है। इसी कारण प्राकृतिक संसाधन प्रकृति प्रदत्त उपहार कहलाते हैं।
प्रश्न 5.
भारत में स्थित महत्त्वपूर्ण कोयला खनन केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में स्थित महत्त्वपूर्ण कोयला खनन केन्द्र निम्न प्रकार से हैं –
- मध्यप्रदेश में सिंगरौली।
- छत्तीसगढ़ में कोरबा।
- ओडिशा में तलचर एवं रामपुर।
- महाराष्ट्र में चाँदा – वर्धा, काम्पटी और बांदेर।
- आंध्रप्रदेश में पांडुर और तेलंगाना में सिंगरेनी।
प्रश्न 6.
भूरा कोयला देश में किन-किन क्षेत्रों में पाया जाता है? लिखिए।
उत्तर:
भूरा कोयला को लिग्नाइट कोयला भी कहा जाता है। यह देश में मुख्यतः तमिलनाडु के तटीय भागों एवं दक्षिणी अर्काट जिले के नैवेली में राजस्थान में बीकानेर के पलाना क्षेत्र में, पांडिचेरी, गुजरात एवं जम्मू व कश्मीर में पाया जाता है।
प्रश्न 7.
भारत में यूरेनियम अयस्क के प्राप्ति स्थल कौन-कौन से हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में यूरेनियम अयस्क के प्राप्ति स्थल निम्न प्रकार से है –
- झारखण्ड की सिंहभूम ताँबा पट्टी के साथ
- राजस्थान के उदयपुर, अलवर, झुंझुनूं जिलों में।
- मध्य प्रदेश के दुर्ग जिले में।
- महाराष्ट्र के भंडारा जिले में।
- हिमाचल प्रदेश का कुल्लू जिला ।
प्रश्न 8.
भारत में प्राकृतिक गैस के खनन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्राकृतिक गैस भारत में 1984 में ‘गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड’ (GAIL) की स्थापना, | सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में प्राकृतिक गैस के परिवहन एवं विपणन के लिए की गई थी। सामान्यतया प्राकृतिक गैस को सभी पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्रों में पेट्रोल के साथ प्राप्त किया जाता है। किन्तु इसके प्रकनिष्ठ संचित भण्डार तमिलनाडु के पूर्वी तट, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान तथा गुजरात एवं महाराष्ट्र के अपतटीय कुओं में भी पाए गए हैं।
प्रश्न 9.
खनिजों के वर्गीकरण को चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
धात्विक खनिज और अधात्विक खनिजों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धात्विक खनिज | अधात्विक खनिज |
1. वे खानिज पदार्थ, जिनसे धातु की प्राप्ति होती है, धात्विक खनिज कहलाते हैं। | वे खनिज पदार्थ, जिनसे किसी भी प्रकार की धातु प्राप्त नहीं होती, अधात्विक खनिज कहलाते हैं। |
2. ये खनिज प्रायः आग्नेय शैलों में पाए जाते हैं। | ये खनिज प्रायः अवसादी शैलों में पाए जाते हैं। |
3. ये खनिज मुख्यतः लोहा, ताँबा, स्वर्ण, मैंगनीज आदि होते हैं। | ये मुख्यतः कार्बनिक उत्पत्ति और अकार्बनिक उत्पत्ति वाले जैसे कोयला, अभ्रक, पेट्रोलियम आदि प्रकार के होते हैं। |
4. इन खनिजों को गलाकर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है। | इन्हें सिर्फ एक बार ही प्रयोग में ले सकते हैं। |
प्रश्न 11.
खनिजों की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
खनिजों की कुछ निश्चित विशेषताएँ होती हैं, जैसे –
- धरातल पर यह असमान रूप से वितरित होते हैं।
- इनकी गुणवत्ता और मात्रा में प्रतिलोमी सम्बन्ध होता है, अर्थात् अधिक गुणवत्ता वाले खनिज, कम गुणवत्ता वाले खनिजों की तुलना में कम मात्रा में मिलते हैं।
- सभी खनिज समाप्त होने वाले व अनवीकरणीय संसाधन होते हैं और समय के साथ इनकी उपलब्धता में कमी आती जाती है। सभी खनिज समय के साथ समाप्त हो जाते हैं।
- भूगर्भिक दृष्टि से इन्हें बनने में बहुत अधिक समय लगता है, अतः आवश्यकता के समय इनका तुरन्त पुनर्भरण सम्भव नहीं है।
प्रश्न 12.
स्पष्ट कीजिए कि किसी देश की आर्थिक, औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति का मुख्य आधार खनिज होते हैं।
उत्तर:
खनिज पदार्थ विश्व के सबसे अधिक मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों में से एक हैं। यह मानव के लिए प्रकृति द्वारा दिया गया उपहार है। खनिज पदार्थ किसी न किसी रूप में मानव के लिए उपयोगी हैं। नमक, आयोडीन, फ्यूओरीन जैसे खनिज पदार्थ तो मनुष्य के भोजन के मुख्य घटक हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। आधुनिक सभ्यता पूर्णत: खनिजों पर ही केन्द्रित है। धात्विक एवं अधात्विक खनिज आवास, मशीन आदि के निर्माण में सहायक हैं, तो खनिज ईंधन मशीनों को चलाने के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं। खनिजों से उद्योगों को कच्चा माल भी प्राप्त होता है। अतः स्पष्ट है कि किसी भी देश की आर्थिक, औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति खनिजों पर ही निर्भर करती है।
प्रश्न 13.
ऊर्जा संसाधनों से क्या अभिप्राय है? ऊर्जा के परम्परागत और गैर-परम्परागत स्रोत कौनसे हैं?
उत्तर:
वे सभी जैविक और अजैविक पदार्थ, जिनके उपयोग से ऊर्जा (शक्ति) प्राप्त होती है, ऊर्जा संसाधन कहलाते हैं। ऊर्जा संसाधन प्रायः परम्परागत और गैर- परम्परागत प्रकार के होते हैं। वे ऊर्जा संसाधन, जो प्राचीन काल से काम में लाये जा रहे हैं, परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत कहलाते हैं, जैसे- कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि, जबकि ऐसे ऊर्जा स्रोत जिन्हें मानव ने आधुनिक युग से ही काम में लेना शुरू किया है, गैर-परम्परागत स्त्रोत कहलाते हैं। जैसे-सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा आदि । साधारणतः परम्परागत स्रोत सीमित एवं समाप्य तथा गैर-परम्परागत स्रोत असीमित व नव्य-करणीय होते हैं।
प्रश्न 14.
चट्टान एवं खनिज अयस्क में अन्तर बताइये।
उत्तर:
चट्टान | खनिज अयस्क |
1. पृथ्वी के भू-पटल का निर्माण करने वाले सभी प्राकृतिक ठोस पदार्थ चट्टान कहलाते हैं। | खनिज एक अजैविक यौगिक है, जो प्राकृतिक रूप में पाया जाता है। |
2. चंट्टान कई प्रकार के खनिजों का समूह होती हैं। | खनिज अयस्क प्रायः एक प्रकार के खनिज से बने होते हैं, जैसे-लौह-अयस्क। |
3. इनका कोई निश्चित रासायनिक संघटन नहीं होता। | खनिजों का एक निश्चित रासायनिक संघटन होता है। |
4. चट्टानें मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं-आग्नेय, अवसादी और कायान्तरित। | खनिज प्रायः 2000 प्रकार के पाए जाते हैं। |
प्रश्न 15.
जैव-ऊर्जा पर एक संक्षित्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जैव ऊर्जा – वह ऊर्जा, जिसे जैविक उत्पादों, जैसे – कृषि अवशेष, नगरपालिका, औद्योगिक तथा अन्य अपशिष्टों के द्वारा प्राप्त किया जाता है, जैव ऊर्जा कहलाती है। जैव ऊर्जा, ऊर्जा परिवर्तन का एक संभावित स्रोत है। इसे विद्युत ऊर्जा, ताप ऊर्जा अथवा खाना पकाने के लिए गैस में परिवर्तित किया जा सकता है।
इस ऊर्जा के उत्पादन एक ओर अपशिष्ट व कूड़ा-करकट का सुचारु रूप से निपटान होगा, तो दूसरी तरफ इससे उपयोगी ऊर्जा की भी प्राप्ति होती है। यह विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक जीवन को भी बेहतर बनाएगी तथा पर्यावरण प्रदूषण घटाएगी, उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ाएगी तथा जलाऊ लकड़ी पर दबाव कम करेगी। वर्तमान में नगरपालिका कचरे को ऊर्जा में बदलने वाली ऐसी ही एक परियोजना नई दिल्ली के ओखला में स्थित है।
प्रश्न 16.
भारत में पवन ऊर्जा के विकास का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
पवन ऊर्जा – यह पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त और ऊर्जा का असमाप्य स्रोत है। भारत में पवन ऊर्जा की तकनीक में हुए आधुनिकीकरण के कारण देश में वायुफार्मों की स्थापना तथा पवन ऊर्जा उत्पादन की पर्याप्त संभावनाएँ हैं। गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत मंत्रालय, भारत के तेल के आयात बिल के भार को कम करने के लिए, पवन ऊर्जा को विकसित कर रहा है।
हमारे देश में पवन ऊर्जा उत्पादन की संभावित क्षमता 50,000 मेगावाट की है, जिसमें से एक- चौथाई ऊर्जा को आसानी से काम में लाया जा सकता है। भारत सरकार के पास पवन ऊर्जा उत्पादन करने के लिए एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसमें 45 मेगावाट की कुल क्षमता के लिए 250 वायुचालित टरबाइनें स्थापित की जानी हैं, जो 12 अनुकूल स्थानों, विशेष रूप से सागरतटीय क्षेत्रों में लगाई जाएँगी। पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ विद्यमान हैं।
प्रश्न 17.
खनिज संसाधनों के संरक्षण के विषय में लिखिए।
उत्तर;
खनिज संसाधनों का संरक्षण- वर्तमान में संसाधन उपयोग के परंपरागत तरीकों के परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में अपशिष्ट के साथ-साथ अन्य पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हो रही हैं। अतएव सतत् पोषणीय विकास के द्वारा मानव की भावी पीढ़ियों के लिए संसाधनों का संरक्षण अनिवार्य है।
अतः खनिज संसाधनों के संरक्षण के लिए अग्र उपाय अपनाये जा सकते हैं –
- ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत, जैसे-सौर ऊर्जा, पवन, तरंग, भूतापीय आदि ऊर्जा के असमाप्य स्रोत हैं। अतः इनका अधिकाधिक विकास किया जाना चाहिए।
- धात्विक खनिजों के मामले में, छाजन धातुओं का उपयोग, धातुओं का पुनर्चक्रण संभव कर सकता है। तांबा, सीसा और जस्ता जैसी धातुओं में, जिनमें भारत के भंडार अपर्याप्त हैं, छाजन (स्क्रैप) का प्रयोग विशेष रूप से सार्थक है।
- अति अल्प धातुओं के लिए प्रतिस्थापनों का उपयोग भी उनकी खपत को घटा सकता है।
- सामरिक और अत्यल्प खनिजों के निर्यात को घटाना चाहिए ताकि वर्तमान आरक्षित भंडारों का लंबे समय तक प्रयोग किया जा सके।
प्रश्न 18.
खनिज किसे कहते हैं? रासायनिक एवं भौतिक गुणधर्मो के आधार पर खनिजों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
खनिज एक निश्चित रासायनिक एवं भौतिक गुणधर्मों (विशिष्टताओं) के साथ कार्बनिक या अकार्बनिक उत्पत्ति के प्राकृतिक पदार्थ, खनिज कहलाते हैं।
खनिजों का वर्गीकरण – रासायनिक एवं भौतिक गुणधर्मों के आधार पर खनिजों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है –
- धात्विक खनिज- ये धातु के स्रोत होते हैं। अतः इनमें लौह अयस्क, ताँबा, सोना, बॉक्साइट जैसी धातु प्रदान करने वाले खनिज सम्मिलित होते हैं। इन खनिजों को लौह अंश की उपस्थिति के आधार पर पुनः लौह एवं अलौह धात्विक श्रेणी में विभक्त किया जाता है।
- अधात्विक खनिज-ये खनिज या तो कार्बनिक उत्पत्ति के होते हैं, जैसे कि कोयला, पेट्रोलियम आदि; इन्हें जीवाश्म ईंधन या खनिज ईंधन भी कहते हैं। या ये खनिज अकर्बनिक उत्पत्ति के होते हैं; जैसे-अभ्रक, चूना- पत्थर, ग्रेफाइट आदि।
प्रश्न 19.
मैंगनीज पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
अथवा
भारत के मैंगनीज उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मैंगनीज यह भारत में खनन किया जाने वाला लौह अयस्क के बाद दूसरा महत्त्वपूर्ण लौह खनिज है। लौह अयस्क के प्रगलन के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है और इसका उपयोग लौह-मिश्रातु विनिर्माण में भी किया जाता है। मँगनीज के निक्षेप मुख्यतः धारवाड़ क्रम की चट्टानों में मिलते हैं।
मैंगनीज उत्पादक क्षेत्र भारत में मैंगनीज उत्पादक प्रमुख क्षेत्र निम्न प्रकार से हैं –
- ओडिशा – यह अग्रणी उत्पादक है। यहाँ की मुख्य खदानें बोनाई, केन्दुझर, सुंदरगढ़, गंगपुर, कोरापुट, कालाहांडी और बोलनगीर जिलों में हैं।
- कर्नाटक – यहाँ की खदानें धारवाड़, बेल्लारी, बेलगाम, उत्तरी कनारा, चिकमगलूर, शिमोगा, चित्रदुर्ग तथा तुमकुर जिलों में हैं।
- महाराष्ट्र – यहाँ पर नागपुर, भंडारा तथा रत्नागिरी जिलों में।
- मध्यप्रदेश – यहाँ बालाघाट, छिंदवाड़ा, निमाड़, मांडला और झाबुआ जिलों में।
- तेलंगाना, गोआ तथा झारखंड भी मँगनीज के अन्य गौण उत्पादक राज्य हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में खनिजों के वितरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वे सभी पदार्थ, जो कि भूमि से खनन द्वारा प्राप्त होते हैं, खनिज कहलाते हैं। खनिज विशेषतः एक निश्चित रासायनिक संरचना एवं विशिष्ट भौतिक गुणधर्म वाले प्राकृतिक पदार्थ होते हैं। भारत के अधिकांश प्रमुख खनिज मंगलौर (कर्नाटक) से कानपुर (उत्तर प्रदेश) को जोड़ने वाली काल्पनिक रेखा के पूर्व में पाए जाते हैं।
देश में खनिज मुख्यतः तीन विस्तृत पट्टियों में सांद्रित है, जो निम्न प्रकार से हैं –
(1) उत्तर-पूर्वी पठारी प्रदेश इस खनिज पट्टी में झारखण्ड का छोटानागपुर पठार, उड़ीसा पठार, पश्चिम बंगाल तथा छत्तीसगढ़ के कुछ भाग आते हैं। इस पट्टी में विभिन्न प्रकार के खनिज, जैसे लौह अयस्क, कोयला, = मँगनीज, बॉक्साइट, अभ्रक आदि पाए जाते हैं। इसी क्षेत्र में देश के प्रमुख लौह एवं इस्पात उद्योग भी कच्चे माल की सुविधा के कारण अवस्थित हैं।
(2) दक्षिण-पश्चिमी पठार प्रदेश- यह खनिज पट्टी कर्नाटक, गोआ, केरल तथा संस्पर्शी तमिलनाडु उच्च भूमि । तक विस्तृत है। यह पट्टी मुख्यतः लौह धातुओं एवं बॉक्साइट में समृद्ध है। इसके अतिरिक्त इसमें उच्च गुणवत्ता का लौह 1 अयस्क, , मैंगनीज और चूना पत्थर भी मिलता है। तमिलनाडु ता के निवेली लिग्नाइट क्षेत्र को छोड़कर, इस पट्टी में कोयला निक्षेपों का अभाव है। इसके अतिरिक्त केरल में मोनाजाइट, वा थोरियम एवं बॉक्साइट क्ले के तथा गोआ में लौह अयस्क नी के निक्षेप मिलते हैं।
(3) उत्तर-पश्चिमी प्रदेश इस खनिज पट्टी के खनिज धारवाड़ क्रम की शैलों से सम्बद्ध हैं। यह सामान्यत: राजस्थान में अरावली और गुजरात के कुछ भागों तक विस्तृत हैं। राजस्थान बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट, संगमरमर, जिप्सम जैसे भवन निर्माण पत्थरों में समृद्ध है और यहाँ मुल्तानी मिट्टी एवं नमक के भी विस्तृत निक्षेप पाए जाते हैं। गुजरात में मुख्यतः पेट्रोलियम व नमक के निक्षेप पाए जाते हैं। उपरोक्त खनिज पट्टियों के अतिरिक्त कुछ अन्य क्षेत्रों में भी कुछ मात्रा में खनिज निक्षेप पाए जाते हैं, जैसे- हिमालय खनिज पट्टी। इस पट्टी में मुख्यतः ताँबा, सीसा, जस्ता, कोबाल्ट तथा रंग रत्न पाए जाते हैं एवं असम घाटी में खनिज तेल के निक्षेप मिलते हैं।
प्रश्न 2.
भारत के प्रमुख लौह खनिज ‘लौह-अयस्क’ का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लौह-अयस्क :
भारत में लौह अयस्क के प्रचुर संसाधन हैं। हमारे देश में लौह अयस्क के दो प्रमुख प्रकारों-हेमेटाइट तथा मैग्नेटाइट का प्रमुख रूप से खनन किया जाता है। उच्च गुणवत्ता के कारण इनकी विश्व भर में भारी माँग रहती है। भारत में संचित भंडार – भारत में एशिया के विशालतम लौह अयस्क भंडार पाए जाते हैं। लौह अयस्क के कुल आरक्षित भण्डारों का लगभग 95 प्रतिशत भाग उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गोआ, आंध्रप्रदेश तथा तमिलनाडु राज्यों में स्थित है।
प्रमुख उत्पादक क्षेत्र भारत में लौह अयस्क के उत्पादक क्षेत्र निम्न प्रकार से हैं –
(1) ओडिशा यह भारत का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक राज्य है। इस राज्य में लौह अयस्क सुन्दरगढ़, मयूरभंज झार स्थित पहाड़ी श्रृंखलाओं में पाया जाता है। यहाँ की महत्त्वपूर्ण खदानें गुरुमहिसानी, सुलाएपत, बादामपहाड़ ( मयूरभंज ), किरुबुरु (केन्दुझार ) एवं बोनाई (सुन्दरगढ़) हैं।
(2) झारखण्ड – यह लौह अयस्क उत्पादन में देश का दूसरा बड़ा राज्य है। इस राज्य में सिंहभूमि मातृभूमि, हजारीबाग आदि लौह उत्पादक जिले हैं एवं नोआमंडी और गुआ प्रमुख खदानें हैं।
(3) छत्तीसगढ़ – इस राज्य में दुर्ग, दांतेवाड़ा और बस्तर जिलों में उच्च किस्म के लौह अयस्क का खनन किया जाता है। बस्तर जिले में बेलाडीला रावघाट श्रेणी तथा डल्ली व दुर्ग जिलों में राजहरा श्रेणी की खदानें देश की महत्त्वपूर्ण लौह अयस्क खदानें हैं।
(4) कर्नाटक- इस राज्य में लौह अयस्क के निक्षेप बेलारी जिले के संदूर- होस्पेट क्षेत्र में, चिकमगलूर जिले की बाबा बुदन पहाड़ियों और कुद्रेमुख, शिमोगा, चित्रदुर्ग तथा तुमकुर जिलों के कुछ भागों में पाए जाते हैं।
(5) महाराष्ट्र – इस राज्य के चन्द्रपुर, भंडारा और रत्नागिरी जिलों में लौह अयस्क निक्षेप पाए जाते हैं।
(6) अन्य राज्य तेलंगाना के करीम नगर, वारांगल; आन्ध्रप्रदेश के कुरुनूल, कडप्पा तथा अनन्तपुर जिले में तमिलनाडु राज्य के सेलम तथा नीलगिरी जिलों में एवं गोआ में लौह अयस्क के निक्षेप पाए जाते हैं।
प्रश्न 3.
परम्परागत ऊर्जा स्रोत क्या है? परम्परागत ऊर्जा स्रोत कोयला का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परम्परागत ऊर्जा स्रोत ऊर्जा उत्पादन के लिए खनिज ईंधन अनिवार्य है। ऊर्जा की आवश्यकता कृषि, उद्योग, परिवहन तथा अर्थव्यवस्था के अन्य खंडों में होती है। कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे खनिज ईंधन या जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के परंपरागत स्रोत हैं। अतः ऐसे ऊर्जा संसाधन, जिनका उपयोग मानव आदिकाल से करता आ रहा है तथा जो अनव्यकरणीय होने के कारण सीमित एवं समाप्य हैं, परंपरागत ऊर्जा संसाधन कहलाते हैं।
परम्परागत ऊर्जा स्रोत :
कोयला यह भारत का एक महत्त्वपूर्ण खनिज है। इसका उपयोग मुख्यतः तापीय विद्युत उत्पादन तथा लौह अयस्क के प्रगलन हेतु किया जाता है। भारत में कोयला निक्षेप मुख्य रूप से गोंडवाना और टर्शियरी क्रम की चट्टानों में मिलते हैं।
कोयला निक्षेप – भारत में कोयला निक्षेप का लगभग 80% भाग बिटुमिनस प्रकार का तथा गैर कोककारी श्रेणी का है। गोंडवाना कोयले के निक्षेप मुख्यतः प. बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में मिलते हैं जबकि टर्शियरी कोयला निक्षेप मुख्यतः असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय तथा नागालैंड में पाये जाते हैं।
कोयला उत्पादक क्षेत्र – भारत में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण गोंडवाना कोयला क्षेत्र दामोदर घाटी में स्थित है। यह झारखंड – बंगाल कोयला पट्टी में स्थित है। इस प्रदेश के महत्त्वपूर्ण कोयला क्षेत्रों में प. बंगाल का रानीगंज तथा झारखंड के झरिया, बोकारो, गिरीडीह तथा करनपुरा हैं। झरिया व रानीगंज क्रमशः देश के सबसे बड़े कोयला क्षेत्र हैं। कोयले से संबद्ध अन्य नदी घटियां गोदावरी, महानदी व सोन हैं। सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कोयला खनन केन्द्र मध्यप्रदेश सिंगरौली (जिसका कुछ भाग उत्तर प्रदेश में भी आता है), छत्तीसगढ़ में कोरबा, ओडिशा में तलचर तथा रामपुर, महाराष्ट्र में चांदा- वर्धा, काम्पटी और बांदेर तथा तेलंगाना में सिंगरेनी व आन्ध्रप्रदेश में पांडुर हैं।
टर्शियरी कोयले का उत्पादन भारत के निम्न राज्यों में होता है –
- मेघालय यहाँ दरानगिरी, चेरापूँजी, मेवलांग तथा लैंग्रिन में।
- अरुणाचल प्रदेश – नामचिक- नारफुक में।
- माकुम, जयपुर, उत्तरी असम में नजीरा तथा जम्मू-कश्मीर के कालाकोट में।
इसके अलावा भूरा कोयला या लिग्नाइट तमिलनाडु के तटीय भागों पांडिचेरी, गुजरात और जम्मू-कश्मीर में भी पाया जाता है।
प्रश्न 4.
भारत में नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में प्रयुक्त खनिजों के निक्षेपों का वर्णन कीजिए तथा भारत की महत्त्वपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा परियोजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले महत्त्वपूर्ण खनिज यूरेनियम और थोरियम हैं। यूरेनियम के निक्षेप-ये मुख्यतः धारवाड़ शैलों में पाए जाते हैं। भौगोलिक रूप से यूरेनियम अयस्क सिंहभूम ताँबा पट्टी के साथ अनेक स्थानों पर मिलते हैं। यह राजस्थान के उदयपुर, अलवर, झुंझुनूं जिलों मध्य प्रदेश के दुर्ग जिले, महाराष्ट्र के भंडारा जिले तथा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पाया जाता है।
थोरियम के निक्षेप थोरियम मुख्यतः केरल के तटीय क्षेत्र की पुलीन बीच (Beach ) की बालू में मोनाजाइट एवं इल्मेनाइट से प्राप्त किया जाता है। विश्व के सबसे समृद्ध मोनाजाइट निक्षेप केरल के पालाक्काड़ तथा कोलाम जिलों, आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम तथा उड़ीसा में महानदी के नदी डेल्टा में पाए जाते हैं। भारत की महत्त्वपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा परियोजनाएँ- भारत में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना 1948 में की गई थी। इसके बाद 1954 में पहले परमाणु ऊर्जा संस्थान ‘ट्रांबे परमाणु ऊर्जा संस्थान’ की स्थापना की गई, जिसका 1967 में नाम बदलकर ‘भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र’ रखा गया।
भारत की महत्त्वपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा परियोजनाएँ निम्न प्रकार से हैं –
- तारापुर (महाराष्ट्र)
- कलपक्कम (तमिलनाडु)
- नरोरा (उत्तर प्रदेश )
- कैगा (कर्नाटक)
- काकरापाडा (गुजरात)
- कोटा के पास रावतभाटा (राजस्थान)
प्रश्न 5.
ऊर्जा के किन्हीं चार नवीकरण योग्य स्रोतों को विस्तार से समझाइए।
अथवा
अपरम्परागत ऊर्जा स्रोत क्या है? इसके किन्हीं तीन प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अपरम्परागत ऊर्जा स्रोत-साधारणतः ऐसे ऊर्जा स्रोत, जिन्हें मानव ने आधुनिक युग में ही काम में लेना शुरू किया है, ऊर्जा के अपरम्परागत स्रोत कहलाते हैं। इन ऊर्जा स्रोतों को उपयोग में लाने के लिए अधिक तकनीक की आवश्यकता होती है। प्रमुख अपरम्परागत ऊर्जा स्रोत सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा आदि हैं। यह ऊर्जा स्रोत अधिक समान रूप से वितरित तथा पर्यावरण अनुकूल व नवीकरण योग्य है। यह स्रोत अधिक आरंभिक लागत के बावजूद अधिक टिकाऊ, पारिस्थितिक अनुकूल तथा सस्ती. ऊर्जा उपलब्ध कराते हैं।
अपरम्परागत ऊर्जा के (कोई) चार प्रकार निम्न हैं –
1. सौर ऊर्जा सूर्य से ऊष्मा एवं प्रकाश के रूप में प्राप्त ऊर्जा, सौर ऊर्जा कहलाती है। सौर ऊर्जा का उपयोग दो विधियों से किया जाता है-फोटोवोल्टिक विधि एवं सौर तापीय विधि फोटोवोल्टाइक सेलों में विपाशित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है, जिसे सौर ऊर्जा कहा जाता है।
अन्य सभी अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अपेक्षा सौर तापीय विधि अधिक लाभप्रद है। यह लागत प्रतिस्पर्धी, पर्यावरण अनुकूल तथा निर्माण में आसान है। सौर ऊर्जा कोयला अथवा तेल आधारित संयंत्रों की अपेक्षा 7% अधिक और नाभिकीय ऊर्जा से 10% अधिक प्रभावी यह सामान्यतः हीटरों, फसल शुष्ककों (Crop dryer), कुकर्स (Cookers) आदि जैसे उपकरणों में अधिक प्रयोग की जाती है। भारत के पश्चिमी भागों गुजरात व राजस्थान में सौर ऊर्जा के विकास की अधिक संभावनाएँ हैं।
2. ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा महासागरीय धाराएँ ऊर्जा का अपरिमित भंडार गृह हैं। सत्रहवीं एवं अठारहवीं शताब्दी के प्रारंभ से ही अविरल ज्वारीय तरंगों और महासागरीय धाराओं से अधिक ऊर्जा तंत्र बनाने के निरंतर प्रयास जारी हैं। भारत के पश्चिमी तट पर उठने वाली वृहत ज्वारीय तरंगें, इस ऊर्जा के उत्पादन के लिए अनुकूल दशाएँ प्रदान करती हैं। यद्यपि भारत के पास तटों के साथ ज्वारीय ऊर्जा विकसित करने की व्यापक संभावनाएँ हैं, परन्तु अभी तक इनका उपयोग नहीं किया गया है।
3. भूतापीय ऊर्जा – जब पृथ्वी के गर्भ से मैग्मा निकलता है तो अत्यधिक ऊष्मा निर्मुक्त होती है। इसके अलावा, गीजर कूपों से निकलते गर्म पानी से भी तापीय ऊर्जा प्राप्त होती है। इस तापीय ऊर्जा को ही भू-तापीय ऊर्जा कहा जाता । इसे आसानी से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करके काम में लाया जा सकता है। वर्तमान में भूतापीय ऊर्जा सस्ता, पर्यावरण अनुकूल तथा न समाप्त होने वाला अति महत्त्वपूर्ण वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत है। भारत में हिमाचल प्रदेश में कुल्लू के निकट मनीकरण नामक स्थान पर भूतापीय ऊर्जा संयन्त्र कार्यरत है।
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4. जैव ऊर्जा वह ऊर्जा, जिसे जैविक उत्पादों से प्राप्त किया जाता है, जिसमें कृषि अवशेष, नगरपालिका, औद्योगिक तथा अन्य अपशिष्ट शामिल होते हैं, जैव ऊर्जा कहलाती है। जैव ऊर्जा, ऊर्जा परिवर्तन का एक संभावित स्रोत है। इसे विद्युत ऊर्जा, ताप ऊर्जा अथवा खाना पकाने के लिए गैस में परिवर्तित किया जा सकता है। इस प्रकार इस ऊर्जा के उत्पादन से एक ओर अपशिष्ट व कूड़ा- करकट का सुचारु निपटान होता है तो दूसरी ओर उससे उपयोगी ऊर्जा की भी प्राप्ति होती है।
यह ऊर्जा विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक जीवन को बेहतर बनाएगी, पर्यावरण प्रदूषण घटाएगी, उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ाएगी तथा जलाऊ लकड़ी पर दबाव कम करेगी। नगरपालिका कचरे को ऊर्जा में बदलने वाली ऐसी ही एक परियोजना नई दिल्ली के ओखला में स्थित है।
प्रश्न 6.
किन्हीं दो अलौह खनिजों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में बॉक्साइट तथा ताँबा उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में बॉक्साइट तथा तांबा अलौह खनिज प्रमुख रूप से पाये जाते हैं।
I. बॉक्साइट :
बॉक्साइट एक अयस्क है, जिसका प्रयोग एल्यूमिनियम के विनिर्माण में किया जाता है। यह मुख्यतः टर्शियरी निक्षेपों में पाया जाता है और लैटराइट चट्टानों से सम्बद्ध है। यह विस्तृत रूप से प्रायद्वीपीय भारत के पठारी क्षेत्रों अथवा पर्वत श्रेणियों के साथ-साथ देश के तटीय भागों में भी पाया जाता है। प्रमुख उत्पादक क्षेत्र – भारत में बॉक्साइट अयस्क के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र निम्न प्रकार से हैं-
- ओडिशा सबसे बड़ा उत्पादक। यहाँ के उत्पादक क्षेत्र कालाहांडी, संभलपुर, बोलनगीर तथा कोरपुट जिले हैं।
- झारखंड – यहाँ पर लोहारडागा जिले की पैटलैंडस में।
- गुजरात – यहाँ पर भावनगर और जामनगर जिले में।
- छत्तीसगढ़ – यहाँ पर अमरकंटक पठारी क्षेत्र में।
- मध्यप्रदेश – यहाँ पर कटनी, जबलपुर तथा बालाघाट जिलों में।
- महाराष्ट्र – यहाँ पर कोलाबा, थाणे, रत्नागिरी, सतारा, पुणे तथा कोल्हापुर जिलों में।
- कर्नाटक, तमिलनाडु तथा गोआ गौण उत्पादक राज्य हैं।
II. ताँबा :
बिजली की मोटरें, ट्रांसफार्मर तथा जेनेरेटर्स आदि बनाने तथा विद्युत उद्योग के लिए ताँबा एक अपरिहार्य धातु है। यह एक मिश्रातु योग्य, आघातवर्ध्य तथा तन्य धातु है। आभूषणों को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए इसे स्वर्ण के साथ मिलाया जाता है।
प्रमुख उत्पादक क्षेत्र भारत में ताँबे के निक्षेप मुख्यतः निम्न स्थानों पर पाये जाते हैं –
- झारखंड के सिंहभूमि जिले में।
- मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में।
- राजस्थान के झुंझुनूं तथा अलवर जिलों में।
ताँबा के गौण उत्पादक आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले का अग्निगुंडाला, कर्नाटक के चित्रदुर्ग व हासन जिले तथा तमिलनाडु का दक्षिण आरकाट जिला है।