Understanding the question and answering patterns through Class 12 Geography Question Answer in Hindi Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ will prepare you exam-ready.
Class 12 Geography Chapter 6 in Hindi Question Answer द्वितीयक क्रियाएँ
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
उत्पाद के आधार पर निम्नलिखित में से कौनसा मूलभूत उद्योग है –
(अ) लौह-इस्पात उद्योग
(ब) वाहन उद्योग
(स) बिस्कुट उद्योग
द) वस्त्र उद्योग
उत्तर:
(अ) लौह-इस्पात उद्योग
प्रश्न 2.
एल्यूमिनियम उद्योग निम्न में से जिस कारक के निकट स्थापित किया जाता है, वह है-
(अ) बाजार
(ब) कच्चा माल
(स) कुशल श्रम
(द) ऊर्जा
उत्तर:
(द) ऊर्जा
प्रश्न 3.
कृत्रिम रेशों का उद्योग जिस प्रकार का उद्योग है, वह है
(अ) जीव-आधारित
(ब) रासायनिक
(स) खनिज आधारित
(द) कृषि आधारित
उत्तर:
(ब) रासायनिक
प्रश्न 4.
रूहर औद्योगिक प्रदेश निम्न में से जिस देश में है, वह है –
(अ) जर्मनी
(स) फ्रान्स
(ब) संयुक्त राज्य अमेरिका
(द) चीन
उत्तर:
(अ) जर्मनी
प्रश्न 5.
सिलीकॉन घाटी जिस नगर के पास स्थित है, वह है-
(अ) न्यूयार्क
(ब) मॉण्ट्रियल
(स) सेन फ्रांसिस्को
(द) बोस्टन
उत्तर:
(स) सेन फ्रांसिस्को
प्रश्न 6.
निम्न में से कौनसा औद्योगिक केन्द्र संयुक्त राज्य
अमेरिका का ‘जंग का कटोरा’ कहलाता है –
(अ) पिट्सबर्ग
(स) गैरी
(ब) शिकागो
(द) बफैलो
उत्तर:
(अ) पिट्सबर्ग
प्रश्न 7.
वे उद्योग जो कि ऐसे सामान का उत्पादन करते हैं। जो प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता द्वारा उपभोग कर लिया जाता है, कहलाते हैं –
(अ) वनों पर आधारित उद्योग
(ब) उपभोक्ता उद्योग
(स) खनिज आधारित उद्योग
(द) कच्चे माल पर आधारित उद्योग
उत्तर:
(ब) उपभोक्ता उद्योग
प्रश्न 8.
उद्योगों की सफल स्थापना होती है –
(अ) परिवहन केन्द्रों पर
(ब) कच्चे माल के समीपवर्ती क्षेत्रों पर
(स) अधिकतम लाभ प्राप्त करने वाले स्थानों पर
(द) उपभोक्ता क्षेत्रों पर
उत्तर:
(स) अधिकतम लाभ प्राप्त करने वाले स्थानों पर
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
महान झील औद्योगिक प्रदेश किस देश में स्थित है?
उत्तर:
महान झील औद्योगिक प्रदेश ‘संयुक्त राज्य अमेरिका’ में स्थित है।
प्रश्न 2.
पशु आधारित किन्हीं दो उद्योगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) चमड़ा उद्योग
(2) ऊनी वस्त्र उद्योग।
प्रश्न 3.
प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य किस गतिविधि के द्वारा बढ़ जाता है?
उत्तर:
द्वितीयक गतिविधि के द्वारा।
प्रश्न 4.
आर्थिक क्रियाकलाप क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए आर्थिक क्रियाकलाप आवश्यक हैं।
प्रश्न 5.
निर्माण उद्योग की सबसे छोटी इकाई का नाम बताइये।
उत्तर:
कुटीर उद्योग
प्रश्न 6.
विनिर्माण से क्या आशय है?
उत्तर:
विनिर्माण से आशय किसी भी वस्तु का उत्पादन
प्रश्न 7.
द्वितीयक क्रियाओं के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के मूल्य में वृद्धि किस प्रकार होती है?
उत्तर:
द्वितीयक क्रियाओं द्वारा प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर उसे मूल्यवान वस्तु बनाए जाने के कारण प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है।
प्रश्न 8.
विनिर्माण किसकी सहायता से किया जाता है ?
उत्तर:
विनिर्माण आधुनिक शक्ति के साधन एवं मशीनरी के द्वारा अथवा पुराने साधनों के द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 9.
यंत्रीकरण की विकसित अवस्था क्या है?
उत्तर;
स्वचालित अर्थात् निर्माण प्रक्रिया के दौरान मानव की सोच को शामिल किए बिना कार्य करना यंत्रीकरण की विकसित अवस्था है।
प्रश्न 10.
किस उद्योग को आधारभूत उद्योग कहा जाता है?
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग कहा जाता है।
प्रश्न 11.
प्लास्टिक उद्योग किस वर्ग का उद्योग है?
उत्तर:
प्लास्टिक उद्योग पेट्रो रसायन वर्ग का उद्योग
प्रश्न 12.
उन दो उद्योगों के नाम बताइये जिनको व्यापक बाजार की आवश्यकता होती है।
उत्तर:
(i) वायुयान निर्माण उद्योग
(ii) शस्त्र निर्माण उद्योग।
प्रश्न 13.
सिलिकन घाटी कहाँ स्थित है?
उत्तर:
सिलिकन घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलीफोर्निया घाटी में स्थित है।
प्रश्न 14.
सन्तुलित विकास कैसे प्राप्त होता है?
उत्तर:
प्रादेशिक नीतियों के द्वारा सन्तुलित विकास प्राप्त होता है।
प्रश्न 15.
यंत्रीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए मशीनों का प्रयोग करना यंत्रीकरण कहलाता है।
प्रश्न 16.
उद्योगों की स्थापना किस स्थान पर की जानी चाहिए?
उत्तर:
उद्योग अपनी लागत घटाकर लाभ बढ़ाते हैं इसी कारण उद्योगों की स्थापना उस स्थान पर की जानी चाहिए जहाँ पर उत्पादन लागत कम हो ।
प्रश्न 17.
बाजार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
बाजार से तात्पर्य उस क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की मांग एवं वहाँ के निवासियों में खरीदने की क्षमता है।
प्रश्न 18.
यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान एवं आस्ट्रेलिया के क्षेत्र वृहद् वैश्विक बाजार क्यों हैं?
उत्तर;
यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान एवं आस्ट्रेलिया के क्षेत्र’ वृहद् वैश्विक बाजार हैं क्योंकि इन प्रदेशों के लोगों की क्रय क्षमता अधिक है।
प्रश्न 19.
पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में उद्योगों के संकेन्द्रण का कारण बताइये ।
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में अत्यधिक परिवहन तंत्र विकसित होने के कारण सदैव इन क्षेत्रों में उद्योगों का संकेन्द्रण हुआ है।
प्रश्न 20.
उद्योगों के विकास में संचार की आवश्यकता बताइये।
उत्तर:
उद्योगों के लिए सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं प्रबंधन के लिए संचार के साधनों की आवश्यकता होती है ।
प्रश्न 21.
स्वच्छन्द उद्योगों की स्थापना में सहायक महत्त्वपूर्ण कारक कौनसा है ? बताइये।
उत्तर:
स्वच्छन्द उद्योगों की स्थापना में सहायक महत्त्वपूर्ण कारक सड़कों के जाल द्वारा अभिगम्यता होती है।
प्रश्न 22.
किसी उद्योग का आकार किस पर निर्भर करता है? बताइये।
उत्तर:
किसी उद्योग का आकार उसमें निवेशित पूँजी, कार्यरत श्रमिकों की संख्या एवं उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है।
प्रश्न 23.
द्वितीयक व्यवसाय किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे व्यवसाय जो प्राथमिक क्रियाओं द्वारा प्राप्त वस्तुओं को मानव के लिए अधिक उपयोगी व मूल्यवान बनाने का कार्य करते हैं, द्वितीयक व्यवसाय कहलाते हैं।
प्रश्न 24.
कृषि व्यापार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यह एक प्रकार की व्यापारिक कृषि है, जो औद्योगिक स्तर पर की जाती है। इसमें बड़े आकार के कृषि फार्म होते हैं, जो यंत्रीकृत रसायनों पर निर्भर होते हैं।
प्रश्न 25.
बड़े पैमाने के उद्योग की स्थापना के प्रमुख कारक बताइये ।
उत्तर:
विशाल बाजार, विभिन्न प्रकार का कच्चा माल, शक्ति के साधन, कुशल श्रमिक, विकसित प्रौद्योगिकी, अधिक उत्पादन एवं अधिक पूँजी की आवश्यकता ।
प्रश्न 26.
गैर-आधारभूत उद्योग किन्हें कहा जाता है?
उत्तर:
उपभोक्ता वस्तुएँ तैयार करने वाले उद्योगों को गैर-आधारभूत उद्योग कहा जाता है।
प्रश्न 27.
यूरोप के प्रमुख औद्योगिक प्रदेश का नाम बताइये।
उत्तर:
जर्मनी का रूहर कोयला क्षेत्र।
प्रश्न 28.
संयुक्त क्षेत्र के उद्योग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे उद्योग जिनका संचालन संयुक्त कम्पनी के द्वारा या किसी निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी के संयुक्त प्रयासों द्वारा किया जाता है, संयुक्त क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं।
प्रश्न 29.
निजी क्षेत्र के उद्योग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे उद्योग जिनका स्वामित्व व्यक्तिगत निवेशकों के पास होता है तथा निजी संगठनों के द्वारा संचालित किए जाते हैं, निजी क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं।
प्रश्न 30.
उपभोक्ता वस्तु उद्योग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे उद्योग जो कि ऐसे सामान का उत्पादन करते हैं जो कि प्रत्यक्ष रूप में उपभोक्ता द्वारा उपभोग कर लिया जाता है, उपभोक्ता वस्तु उद्योग कहलाते हैं।
प्रश्न 31.
आधारभूत उद्योग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर?;
वे उद्योग जिनके उत्पाद को अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाया जाता है, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं।
प्रश्न 32.
प्रौद्योगिक ध्रुव से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विज्ञान पार्क, विज्ञान नगर तथा अन्य उच्च तकनीकी औद्योगिक कॉम्पलैक्स को प्रौद्योगिक ध्रुव के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 33.
वे कौनसे कारक हैं जिनके कारण उद्योगों में श्रम पर निर्भरता को कम कर दिया है?
उत्तर:
यंत्रीकरण में बढ़ती स्थिति, स्वचालित यंत्रीकरण, औद्योगिक प्रक्रिया का लचीलापन आदि कारकों ने उद्योगों में श्रम पर निर्भरता को कम कर दिया है।
प्रश्न 34.
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो रसायन कॉम्पलेक्स अधिकतर तटीय क्षेत्र में क्यों हैं ?
उत्तर:
क्योंकि पेट्रो रसायन उद्योग के लिए खनिज तेल लैटिन अमेरिका तथा पश्चिमी एशिया से आयात किया जाता है।
प्रश्न 35.
द्वितीयक कार्यकलापों में कौन-सी क्रियाएँ सहायक होती हैं?
उत्तर:
इसमें विनिर्माण, प्रसंस्करण तथा निर्माण क्रियाएँ सहायक होती हैं।
प्रश्न 36.
द्वितीयक कार्यकलापों को द्वितीयक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
द्वितीयक कार्यकलाप व निर्माण उद्योग कच्चे माल का प्रयोग करके इनका रूप तथा मूल्य परिवर्तित करते हैं। इसी कारण इन्हें द्वितीयक कहा जाता है।
प्रश्न 37.
वन आधारित प्रमुख उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
इमारती लकड़ी, लाख, तारपीन का तेल, कागज आदि वन आधारित प्रमुख उद्योग हैं।
प्रश्न 38.
रसायन आधारित प्रमुख उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर;
पेट्रोरसायन, प्लास्टिक, कृत्रिम रेशा, नमक व रासायनिक उर्वरक प्रमुख रसायन आधारित उद्योग हैं।
प्रश्न 39.
किन्हीं तीन प्रमुख अलौह धात्विक उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
(1) तांबा उद्योग
(2) एल्यूमिनियम उद्योग
(3) रत्न एवं आभूषण उद्योग।
प्रश्न 40.
किन्हीं दो प्रमुख अधात्विक उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
(1) सीमेण्ट उद्योग
(2) चीनी मिट्टी के बर्तन
प्रश्न 41.
लौह इस्पात उद्योग को भारी उद्योग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
क्योंकि इसमें बड़ी मात्रा में भारी-भरकम कच्चा माल उपयोग में लाया जाता है एवं इसके उत्पाद भी भारी होते हैं।
प्रश्न 42.
प्रौद्योगिकीय नवाचार क्या है?
उत्तर:
शोध एवं विकसित विधियों द्वारा विनिर्माण की गुणवत्ता को नियंत्रित करने, अपशिष्टों का निस्तारण करने, तकनीकी अदक्षता को समाप्त करने तथा प्रदूषण को नियंत्रित करने सम्बन्धी समस्त क्रियाकलाप ‘प्रौद्योगिकीय नवाचार’ कहलाते हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राथमिक एवं द्वितीयक क्रियाकलापों में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाकलाप – प्राथमिक क्रियाकलाप प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर निर्भर होते हैं। प्राथमिक क्रियाकलापों में धरातल से प्राप्त पदार्थ कच्चे माल के रूप में भोजन सामग्री बनाने, वस्त्र बनाने तथा अन्य उपयोगी सामान बनाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। आखेट, संग्रहण, पशुचारण, खनन, मछली पकड़ना, लकड़ी काटना, कृषि आदि प्राथमिक क्रियाकलाप हैं।
द्वितीयक क्रियाकलाप – द्वितीयक क्रियाकलापों से तात्पर्य मनुष्य द्वारा कच्चे माल को संसाधित करके उसे नवीन वस्तुओं में परिवर्तित करने से है। द्वितीयक क्रियाकलापों में उद्योगों को शामिल किया जाता है जो कि विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते हैं। विनिर्माण उद्योग, डेयरी उद्योग, कुटीर उद्योग आदि सभी क्रियाएँ द्वितीयक क्रिया-कलाप
प्रश्न 2.
लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग अन्य सभी उद्योगों को आधार प्रदान करता है। इसी कारण इसे आधारभूत उद्योग कहा जाता है। यह आधारभूत इसलिए है क्योंकि यह अन्य उद्योगों, जैसे मशीन और औजार जो आगे उत्पादों के लिए प्रयोग किए जाते हैं, को कच्चा माल प्रदान करता है। अतः कई उद्योग लौह इस्पात उद्योग पर आधारित रहते हैं अतः यह एक आधारभूत उद्योग है।
प्रश्न 3.
” द्वितीयक गतिविधियों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है।” दो उदाहरण देकर इस तथ्य की पुष्टि कीजिये ।
उत्तर:
द्वितीयक गतिविधियों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है। प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर यह उसे मूल्यवान बना देती है। खेतों, वनों, खदानों एवं समुद्रों से प्राप्त पदार्थों के विषय में भी यह बात सही है। इस प्रकार द्वितीयक गतिविधियाँ विनिर्माण, प्रसंस्करण और निर्माण उद्योग से सम्बन्धित हैं।
उदाहरण –
- कपास का सीमित उपयोग है किन्तु तन्तु में परिवर्तित होने के बाद यह और अधिक मूल्यवान हो जाता है और इसका उपयोग वस्त्र बनाने में किया जाता है।
- खदानों से प्राप्त लौह-अयस्क का प्रत्यक्ष उपयोग नहीं किया जाता किन्तु अयस्क से इस्पात बनाने के बाद यह मूल्यवान हो जाता है तथा इसका उपयोग अनेक प्रकार की मशीनें एवं औजार बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 4.
आधुनिक निर्माण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये
उत्तर:
आधुनिक निर्माण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- आधुनिक निर्माण एक जटिल प्रौद्योगिकी तंत्र है।
- इसमें अत्यधिक विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन के द्वारा कम प्रयास एवं अल्प लागत से अधिक माल का उत्पादन किया जाता है।
- इसमें अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है।
- इसका बड़ा संगठन होता है।
- इसमें प्रशासकीय अधिकारी वर्ग की प्रमुख भूमिका होती है।
प्रश्न 5.
बाजार तक अभिगम्यता उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाला महत्त्वपूर्ण कारक है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
उद्योगों की स्थापना में सबसे महत्त्वपूर्ण कारक उसके द्वारा उत्पादित माल के लिए बाजार का उपलब्ध होना है। बाजार से तात्पर्य उस क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की मांग एवं वहां के निवासियों में खरीदने की क्षमता अर्थात् क्रय शक्ति है। दूरस्थ क्षेत्र जहाँ कम जनसंख्या निवास करती है, छोटे बाजारों से युक्त होते हैं। यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान एवं आस्ट्रेलिया के क्षेत्र वृहद् वैश्विक बाजार हैं क्योंकि इन प्रदेशों के लोगों की क्रय शक्ति अधिक है। दक्षिणी एवं दक्षिणी-पूर्वी एशिया के घने बसे प्रदेश भी वृहद् बाजार उपलब्ध कराते हैं। कुछ उद्योगों यथा वायुयान निर्माण तथा शस्त्र निर्माण उद्योग का व्यापक बाजार होता है।
प्रश्न 6.
उद्योगों की स्थापना में परिवहन एवं संचार की सुविधाओं की अभिगम्यता की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
कच्चे माल को कारखानों तक लाने के लिए और परिष्कृत सामग्री को बाजार तक पहुँचाने के लिए तीव्र और सक्षम परिवहन सुविधाएँ औद्योगिक विकास के लिए अत्यावश्यक हैं। परिवहन लागत किसी औद्योगिक इकाई की अवस्थिति को निश्चित करने वाला महत्त्वपूर्ण कारक है। पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में अत्यधिक परिवहन तंत्र विकसित होने के कारण हमेशा इन क्षेत्रों में उद्योगों का संकेन्द्रण हुआ है। आधुनिक उद्योग अपृथक्करणीय ढंग से परिवहन तंत्र से जुड़े हुए परिवहनीयता में सुधार समाकलित आर्थिक विकास और विनिर्माण की प्रादेशिक विशिष्टता को बढ़ाता है। उद्योगों के लिए सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं प्रबंधन के लिए संचार भी अति आवश्यक है।
प्रश्न 7.
स्वच्छन्द उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
स्वच्छन्द उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- स्वच्छन्द उद्योग व्यापक विविधता वाले स्थानों में स्थित होते हैं।
- ये उद्योग किसी विशिष्ट कच्चे माल, जिनके भार में कमी हो रही है अथवा नहीं, पर निर्भर नहीं रहते हैं।
- ये उद्योग संघटक पुरजों पर निर्भर रहते हैं जो कहीं से भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
- इन उद्योगों में उत्पादन कम मात्रा में होता है एवं श्रमिकों की भी कम आवश्यकता होती है।
- सामान्य रूप से ये उद्योग प्रदूषण नहीं फैलाते हैं।
- स्वच्छन्द उद्योगों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण कारक सड़कों के जाल द्वारा अभिगम्यता होती
प्रश्न 8.
कुटीर उद्योगों में निर्मित होने वाली दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुएँ बताइये ।
उत्तर;
कुटीर उद्योगों में दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुओं, जैसे—खाद्य पदार्थ, कपड़े, चटाइयाँ, बर्तन, औजार, फर्नीचर, जूते एवं लघु मूर्तियाँ उत्पादित की जाती हैं। इसके अलावा पत्थर एवं मिट्टी के बर्तन एवं ईंट, चमड़े से कई प्रकार का सामान बनाया जाता है। सुनार सोने, चांदी एवं तांबे से आभूषण बनाता है। कुछ शिल्प की वस्तुएँ बांस एवं स्थानीय वनों से प्राप्त लकड़ी से बनाई जाती हैं।
प्रश्न 9.
कुटीर उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
कुटीर उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- कुटीर उद्योग निर्माण की सबसे छोटी इकाई होते हैं।
- कुटीर उद्योग में शिल्पकार स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करते हैं एवं साधारण औजारों द्वारा परिवार के सभी सदस्य मिलकर अपने दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।
- कुटीर उद्योग में तैयार माल का या तो स्वयं उपयोग किया जाता है अथवा इसे स्थानीय गांव के बाजार में बेच दिया जाता है।
- कुटीर उद्योगों में उत्पादित उत्पादों की कभी- कभी अदला-बदली भी की जाती है।
- पूँजी एवं परिवहन इन उद्योगों को अधिक प्रभावित नहीं करते क्योंकि इनके द्वारा निर्मित वस्तुओं का व्यापारिक महत्त्व कम होता है एवं अधिकतर उपकरण स्थानीय लोगों द्वारा निर्मित होते हैं।
प्रश्न 10.
छोटे पैमाने के उद्योग क्या होते हैं? विश्व में इनका विकास कौन-कौनसे देशों में हुआ है?
उत्तर:
छोटे पैमाने के उद्योग – छोटे पैमाने के उद्योगों के उत्पादन की तकनीक एवं निर्माण स्थल दोनों कुटीर उद्योग से भिन्न होते हैं। इसमें स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है एवं अर्द्धकुशल श्रमिक व शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। रोजगार के. अवसर इस उद्योग में अधिक होते हैं जिससे स्थानीय निवासियों की क्रय शक्ति बढ़ती है।
प्रमुख देश – भारत, चीन, इण्डोनेशिया एवं ब्राजील जैसे देशों ने अपनी जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए इस प्रकार के श्रम साधन छोटे पैमाने के उद्योग शुरू किए हैं।
प्रश्न 11.
बड़े पैमाने के उद्योग से क्या आशय है? इनका विकास कहाँ हुआ?
उत्तर:
बड़े पैमाने के उद्योग जिस उद्योग के लिए विशाल बाजार, विभिन्न प्रकार का कच्चा माल, शक्ति के साधन, कुशल श्रमिक, विकसित प्रौद्योगिकी, अधिक उत्पादन एवं अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है, वे बड़े पैमाने के उद्योग कहलाते हैं। विकास के प्रमुख देश बड़े पैमाने के उद्योग सर्वप्रथम ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी भाग एवं यूरोप में स्थापित किए गये थे किन्तु वर्तमान समय में इनका विस्तार विश्व के सभी भागों में हो गया है। विगत 200 वर्षों में बड़े पैमाने के उद्योगों का अधिक विकास हुआ है।
प्रश्न 12.
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेशों की विशेषताएँ बतलाइये।
उत्तर;
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेश-परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेश भारी उद्योग के क्षेत्र होते हैं जिनमें कोयला खदानों के समीप स्थित धातु पिघलाने वाले उद्योग, भारी इंजीनियरिंग, रसायन निर्माण, वस्त्र उत्पादन इत्यादि का कार्य किया जाता है। इनको ‘धुएँ की चिमनी वाला उद्योग’ भी कहते हैं।
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेशों के पहचान बिन्दु अर्थात् विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- निर्माण उद्योगों में रोजगार का अनुपात ऊँचा होता है।
- इनमें उच्च गृह घनत्व जिसमें घर घटिया प्रकार के होते हैं एवं सेवाएँ अपर्याप्त होती हैं।
- इन प्रदेशों में वातावरण अनाकर्षक होता है जिसमें गन्दगी के ढेर व प्रदूषण होता है।
- बेरोजगारी की समस्या उत्प्रवास, विश्वव्यापी मांग कम होने से कारखाने बन्द होने के कारण यह परित्यक्त भूमि के क्षेत्र होते हैं।
प्रश्न 13.
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों के प्रकार बताइये।
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को अग्रलिखित तीन वर्गों के अन्तर्गत विभक्त किया गया है –
(1) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग – सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग सरकार के अधीन होते हैं। भारत में बहुत उद्योग सार्वजनिक क्षेत्र के अधीन हैं। समाजवादी देशों में भी अनेक उद्योग सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं। मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सार्वजनिक दोनों प्रकार के उद्यम पाए जाते हैं।
(2) निजी क्षेत्र के उद्योग – निजी क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व व्यक्तिगत निवेशकों के पास होता है। ये निजी संगठनों द्वारा संचालित होते हैं। पूँजीवादी देशों में अधिकतर उद्योग निजी क्षेत्र में हैं।
(3) संयुक्त क्षेत्र के उद्योग संयुक्त क्षेत्र के उद्योग का संचालन संयुक्त कम्पनी के द्वारा या किसी निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी के संयुक्त प्रयासों द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 14.
यूरोप का सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक संकुल कौनसा है तथा क्यों?
उत्तर:
यूरोप में सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक संकुल राइन नदी घाटी क्षेत्र है। यह संकुल स्विट्जरलैण्ड से लेकर जर्मन संघीय गणराज्य तक विस्तृत है। यहाँ पर कोयला क्षेत्र स्थित है तथा यहाँ रेल मार्गों, नदियों तथा नहरों के जल मार्गों द्वारा यातायात सुविधाएँ प्राप्त हैं। यहाँ श्रम के साथ-साथ स्थानीय माँग भी है तथा जलविद्युत विकास की सुविधा भी प्राप्त है। जिस कारण यह यूरोप का सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक संकुल है।
प्रश्न 15.
कच्चे माल के निकट कौन से उद्योग लगाए जाते हैं? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कच्चा माल निर्माण उद्योगों का आधार है। जिन उद्योगों का निर्माण के उपरान्त भार कम हो जाता है, वे उद्योग कच्चे माल के निकट स्थापित किए जाते हैं। यथा गन्ने से चीनी बनाना । जिन उद्योगों में भारी अर्थात् वजन वाले कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है, वे उद्योग भी कच्चे माल के निकट लगाए जाते हैं। यथा-लौह इस्पात उद्योग।
प्रश्न 16.
विकासशील देशों में निर्माण उद्योगों की कमी क्यों है? बताइये।
उत्तर:
निर्माण उद्योगों के लिए पर्याप्त पूँजी की आवश्यकता होती है। इन उद्योगों के लिए मांग क्षेत्र तथा बाजार का होना भी जरूरी है परन्तु विकासशील देशों में पूँजी की कमी है तथा लोगों की क्रय शक्ति कम है। इसी कारण मांग भी कम है। इन कारणों से विकासशील देशों में भारी उद्योगों की कमी पाई जाती है।
प्रश्न 17.
प्रौद्योगिक ध्रुव से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रौद्योगिक ध्रुव – वे उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग, जो प्रादेशिक संकेन्द्रित हैं, आत्मनिर्भर एवं उच्च विशिष्टता लिए होते हैं, उन्हें प्रौद्योगिक ध्रुव कहा जाता है। एक प्रौद्योगिक ध्रुव एक संकेन्द्रित क्षेत्र के भीतर अभिनव प्रौद्योगिकी व उद्योगों से सम्बन्धित उत्पादन के लिए नियोजित विकास है। प्रौद्योगिक ध्रुव में विज्ञान अथवा प्रौद्योगिकी पार्क, विज्ञान नगर (साइन्स सिटी) तथा दूसरी उच्च तकनीकी औद्योगिक संकुल शामिल किए जाते हैं।
प्रश्न 18.
स्पष्ट कीजिए कि जर्मनी में ‘नया रूहर’ भू- दृश्य विकसित हो रहा है।
उत्तर:
जर्मनी के इस्पात उत्पादन का 80 प्रतिशत रूहर से प्राप्त होता है। औद्योगिक ढाँचे में परिवर्तन के कारण कुछ क्षेत्रों के उत्पादन में गिरावट आ गई है एवं प्रदूषण व औद्योगिक अपशिष्ट की समस्या भी होने लगी है। वर्तमान में रूहर क्षेत्र के भविष्य की सम्पन्नता कोयला व इस्पात के बजाय नवीन उद्योग यथा ओपेल कार बनाने का कारखाना, नए रासायनिक संयंत्र, विश्वविद्यालय इत्यादि पर आधारित है। यहाँ खरीददारी के बड़े-बड़े बाजार बन गये हैं जिससे जर्मनी में एक नया रूहर’ भू-दृश्य विकसित हो रहा है।
प्रश्न 19.
बड़े तथा लघु पैमाने के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
बड़े तथा लघु पैमाने के उद्योगों में अन्तर –
बड़े पैमाने के उद्योग | लघु पैमाने के उद्योग |
1. बड़े पैमाने के उद्योगों में ऊर्जा चालित मशीनों से उत्पादन किया जाता है। | लघु पैमाने के उद्योगों में छोटी-छोटी मशीनों से उत्पादन किया जाता है। |
2. इन उद्योगों में पूँजी का विपुल मात्रा में निवेश किया जाता है। | इन उद्योगों में कम पूँजी निवेश के उद्योग लगाए जाते हैं। |
3. ये उद्योग विकसित देशों के विकास का आधार होते हैं। | ये उद्योग विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। |
प्रश्न 20.
निजी अथवा व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक क्षेत्र में अन्तर
व्यक्तिगत क्षेत्र | सार्वजनिक क्षेत्र |
1. जब किसी उद्योग की समस्त पूँजी, लाभ, हानि तथा सम्पत्ति एक ही व्यक्ति की होती है तो उसे व्यक्तिगत क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। | जब किसी उद्योग की पूँजी और सम्पत्ति के अधिकार जनता तथा समुदाय के हाथ में होते हैं तो उसे सार्वजनिक क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। |
2. इसमें अधिकतर छोटे पैमाने के उद्योग शामिल किए जाते हैं। | इसमें प्रायः भारी उद्योग शामिल किए जाते हैं। |
3. व्यक्तिगत क्षेत्र के उद्योग मुख्यतः जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों में प्रचलित हैं। | सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग मुख्यतः समाजवादी देश, जैसेरूस तथा भारत में प्रचलित हैं। |
4. भारत में अनेक पूँजीपतियों द्वारा संचालित किए जाने वाले उद्योग यथा टाटा लौह-इस्पात उद्योग व्यक्तिगत क्षेत्र में गिने जाते हैं। | भारत में भिलाई इस्पात संयंत्र सार्वजनिक क्षेत्र का उद्योग है। |
प्रश्न 21.
कुटीर एवं लघु उद्योगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुटीर एवं लघु उद्योगों में अन्तर
कुटीर उद्योग | लघु उद्योग |
1. कुटीर उद्योग में एक हस्तकार अपने परिवार के सहयोग से अपनी दक्षता के आधार पर घर में ही वस्तुओं का निर्माण करता है। | लघु उद्योग में एक हस्तकार छोटी-छोटी मशीनों की सहायता से उत्पादन करता है। |
2. ये उद्योग स्थानीय मांग को पूरा करते हैं। | इस उद्योग में निर्मित उत्पाद बाजार में व्यापारियों के द्वारा बेचे जाते हैं। |
3. इन उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग करके छोटे स्तर पर उत्पादन किया जाता है। | इन उद्योगों में बाहर से कच्चा माल मंगवाकर बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। |
4. ग्रामीण क्षेत्रों में रस्सी बुनना, सूत कातना, चटाई बनाना आदि कुटीर उद्योग हैं। | विकासशील देशों में खिलौने, बर्तन बनाना, चमड़े का सामान बनाना आदि लघु उद्योग हैं। |
प्रश्न 22.
भारी उद्योग तथा कृषि उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारी उद्योग तथा कृषि उद्योग में अन्तर
भारी उद्योग | कृषि उद्योग |
1. ये प्रायः द्वितीयक उद्योग होते हैं। | ये प्रायः प्राथमिक उद्योग होते हैं। |
2. इन उद्योगों में शक्ति चालित मशीनों का अधिक प्रयोग किया जाता है। | ये उद्योग कृषि पदार्थों पर आधारित होते हैं। |
3. इन उद्योगों में बड़े पैमाने पर उपकरण तथा मशीनें बताई जाती हैं। | इन उद्योगों में कृषि पदार्थों का रूप परिवर्तित करके अधिक उपयोगी पदार्थ यथा-कपास से कपड़े बनाए जाते हैं। |
4. ये पूँजीप्रधान उद्योग होते हैं। | ये कृषिप्रधान उद्योग होते हैं। |
5. इनमें प्रायः बड़े पैमाने के उद्योग लगाए जाते हैं। | इनमें प्राय: छोटे तथा मध्यम वर्ग के उद्योग लगाए जाते हैं। |
6. लौह-इस्पात, वायुयान, जलयान आदि भारी उद्योग हैं। | पटसन उद्योग, चीनी उद्योग, वस्त्र उद्योग आदि कृषिआधारित उद्योग हैं। |
प्रश्न 23.
आधारभूत तथा गैर आधारभूत उद्योगों का संक्षेप में विवरण दीजिए।
उत्तर:
वे उद्योग, जिनके उत्पाद को अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं। लौह-इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है, जिसके उत्पादों का प्रयोग दूसरे उद्योग कच्चे माल के रूप में करते हैं। इसके विपरीत उपभोक्ता वस्तु उद्योग अथवा गैर- आधारभूत उद्योग, ऐसे उत्पादों का निर्माण करते हैं, जो सीधे उपभोक्ता द्वारा उपभोग कर ली जाती हैं।
उदाहरणस्वरूप – ब्रेड, बिस्कुट, चाय आदि।
प्रश्न 24.
कृषि आधारित उद्योगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कृषि आधारित प्रमुख उद्योग निम्न प्रकार से –
- भोजन तैयार करने वाले उद्योग,
- शक्कर उद्योग
- अचार उद्योग
- फलों के रस एवं पेय पदार्थ (चाय, कॉफी एवं कोकोआ आदि) उद्योग
- मसाला उद्योग
प्रश्न 23.
आधारभूत तथा गैर आधारभूत उद्योगों का संक्षेप में विवरण दीजिए।
उत्तर:
वे उद्योग, जिनके उत्पाद को अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं। लौह-इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है, जिसके उत्पादों का प्रयोग दूसरे उद्योग कच्चे माल के रूप में करते हैं। इसके विपरीत उपभोक्ता वस्तु उद्योग अथवा गैर- आधारभूत उद्योग, ऐसे उत्पादों का निर्माण करते हैं, जो सीधे उपभोक्ता द्वारा उपभोग कर ली जाती हैं।
उदाहरणस्वरूप –
ब्रेड, बिस्कुट, चाय आदि।
प्रश्न 24.
कृषि आधारित उद्योगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कृषि आधारित प्रमुख उद्योग निम्न प्रकार से
- भोजन तैयार करने वाले उद्योग,
- शक्कर उद्योग
- अचार उद्योग
- फलों के रस एवं पेय पदार्थ (चाय, कॉफी एवं कोकोआ आदि) उद्योग,
- मसाला उद्योग
- तेल एवं वस्त्र (सूती, रेशमी एवं जूट) उद्योग
- रबड़ उद्योग, आदि।
प्रश्न 25.
कृषि व्यापार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कृषि व्यापार यह एक प्रकार की व्यापारिक कृषि है, जो औद्योगिक पैमाने पर की जाती है। इसका वित्त- पोषण प्रायः वह व्यापार करता है, जिसकी मुख्य रुचि कृषि | के बाहर होती है। कृषि व्यापार फार्म आकार में बड़े, यंत्रीकृत, रसायनों पर निर्भर एवं अच्छी संरचना वाले होते हैं। इनको प्राय: ‘कृषि कारखाने’ भी कहा जाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों को वर्गीकृत कीजिए।
अथवा
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
कच्चे माल के आधार पर स्थापित होने वाले विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
कच्चे माल पर आधारित उद्योग कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया गया है।
1. कृषि आधारित उद्योग कृषि के अन्तर्गत खेतों से प्राप्त कच्चे माल को विभिन्न प्रक्रियाओं के द्वारा तैयार माल में बदल कर विक्रय हेतु ग्रामीण तथा नगरीय बाजारों में कृषि आधारित उद्योगों द्वारा भेजा जाता है। कृषि व्यापार एक प्रकार की वाणिज्यिक अर्थात् व्यापारिक कृषि है जो कि औद्योगिक पैमाने पर की जाती है। इसका वित्त पोषण प्रायः वह व्यापार करता है जिसकी मुख्य रुचि कृषि के बाहर होती है। कृषि व्यापार फार्म आकार में बड़े, यन्त्रीकृत, रसायनों पर निर्भर एवं अच्छी संरचना वाले होते हैं। इनको कृषि कारखाने’ भी कहा जाता है।
भोजन प्रसंस्करण – कृषि से तैयार खाद्य में मलाई ( क्रीम) का उत्पादन, डिब्बा खाद्य, फलों से खाद्य तैयार करना तथा मिठाइयाँ शामिल की जाती हैं। खाद्य को सुरक्षित रखने की अनेक विधियाँ प्राचीन काल से चली आ रही हैं। यथा- उनको सुखाकर, संधान कर या अचार के रूप में तेल या सिरका डालकर भोजन प्रसंस्करण किया जाता है। किन्तु इन विधियों का औद्योगिक क्रान्ति के पूर्व सीमित उपयोग ही होता था।
प्रमुख उद्योग – प्रमुख कृषि आधारित उद्योगों में भोजन तैयार करने वाले उद्योग, शक्कर, फलों के रस, पेय पदार्थ (यथा- चाय, कॉफी, कोकोआ), मसाले, तेल व वस्त्र (यथा-सूती, रेशमी, जूट) तथा रबड़ उद्योग आते हैं।
2. खनिज आधारित उद्योग खनिज आधारित उद्योगों में खनिजों को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है। कुछ उद्योग लौह अंश वाले धात्विक खनिजों का उपयोग करते हैं, यथा— लौह इस्पात उद्योग जबकि कुछ अलौह धात्विक खनिजों का उपयोग करते हैं यथा-एल्यूमिनियम, ताँबा एवं जवाहरात उद्योग कुछ उद्योग अधात्विक खनिजों का उपयोग करते हैं यथा सीमेण्ट, मिट्टी के बर्तन आदि ।
प्रमुख उद्योग – प्रमुख खनिज आधारित उद्योगों में लौह-इस्पात, ताँबा प्रगलन, सीसा जस्ता, एल्यूमिनियम, सोना, चाँदी, सीमेण्ट, मिट्टी के बर्तन, वायुयान, जलवान, मोटरगाड़ी, रेल के इंजिन व डिब्बों का निर्माण आदि उद्योग आते हैं।
3. रसायन आधारित उद्योग-रसायन आधारित उद्योगों में प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले रासायनिक खनिजों का उपयोग होता है। यथा— पेट्रो रसायन उद्योग में खनिज तेल (पेट्रोलियम) का उपयोग होता है। नमक, गंधक एवं पोटाश उद्योगों में भी प्राकृतिक खनिजों को काम में लिया जाता है। कुछ रासायनिक उद्योग लकड़ी एवं कोयला से प्राप्त कच्चे माल पर भी निर्भर होते हैं।’ प्रमुख रसायन आधारित उद्योगों के अन्तर्गत पेट्रो रसायन, नमक, गंधक, पोटाश, कृत्रिम रेशे बनाना, प्लास्टिक निर्माण आदि उद्योग आते हैं।
4. वनों पर आधारित उद्योग- वनों से प्राप्त कई मुख्य एवं गौण उपजें कच्चे माल के रूप में उद्योगों में प्रयुक्त की जाती हैं। फर्नीचर उद्योग के लिए इमारती लकड़ी, कागज उद्योग के लिए लकड़ी, बांस एवं लाख उद्योग के लिए लाख वनों से ही प्राप्त होती हैं। प्रमुख उद्योग वनों पर आधारित उद्योगों के अन्तर्गत फर्नीचर, कागज व लाख आदि उद्योग आते हैं।
5. पशु आधारित उद्योग चमड़ा एवं ऊन पशुओं से प्राप्त प्रमुख कच्चा माल है। चमड़ा उद्योग के लिए चमड़ा एवं ऊनी वस्त्र उद्योग के लिए ऊन पशुओं से प्राप्त की जाती है। हाथी दाँत के लिए दाँत भी हाथी से मिलता है। प्रमुख उद्योग – पशु आधारित उद्योगों के अन्तर्गत चमड़ा, ऊनी वस्त्र, हाथी दांत से निर्मित सामग्री आदि उद्योग शामिल किए जाते हैं।
प्रश्न 2.
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले किन्हीं चार कारकों को विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले कारक उद्योग अपनी लागत घटाकर लाभ को बढ़ाते हैं। इसी कारण उद्योगों की स्थापना उस स्थान पर की जानी चाहिए जहाँ पर उत्पादन लागत कम आए।
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं –
1. बाजार तक अभिगम्यता – उद्योगों की स्थापना से सबसे प्रमुख कारक उसके द्वारा उत्पादित माल के लिए बाजार का उपलब्ध होना है। बाजार से तात्पर्य उस क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की माँग एवं उस क्षेत्र के निवासियों में खरीदने की क्षमता अर्थात् क्रय शक्ति है। दूरस्थ क्षेत्र जहाँ कम जनसंख्या निवास करती है, छोटे बाजारों से युक्त होते हैं। यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया के क्षेत्र वृहद् वैश्विक बाजार हैं क्योंकि इन प्रदेशों के लोगों की क्रय क्षमता अधिक है। दक्षिणी एवं दक्षिणी-पूर्वी एशिया के घने बसे प्रदेश भी वृहद् बाजार उपलब्ध करवाते हैं। कुछ उद्योगों का व्यापक बाजार होता है यथा- वायुयान निर्माण एवं शस्त्र निर्माण उद्योग।
2. कच्चे माल की प्राप्ति तक अभिगम्यता – उद्योग के लिए कच्चा माल अपेक्षाकृत सस्ता एवं सरलता से परिवहन योग्य होना चाहिए। भारी वजन, सस्ते मूल्य एवं वजन घटने वाले पदार्थों पर आधारित उद्योग कच्चे माल के स्रोत स्थल के समीप ही स्थित होते हैं। यथा – इस्पात, चीनी एवं सीमेण्ट उद्योग। कच्चे माल के स्रोतों के समीप स्थापित उद्योगों के लिए पदार्थ की शीघ्र नष्टशीलता एक अनिवार्य कारक है। इसीलिए कृषि प्रसंस्करण एवं डेयरी उत्पाद क्रमशः कृषि उत्पादन क्षेत्रों अथवा दुग्ध आपूर्ति स्रोतों के समीप ही स्थापित किए जाते हैं।
3. श्रम आपूर्ति तक अभिगम्यता – उद्योगों की अवस्थिति में श्रम एक प्रमुख कारक है। बढ़ते हुए यन्त्रीकरण, स्वचलन और औद्योगिक प्रक्रिया के लचीलेपन ने उद्योगों में श्रमिकों पर निर्भरता को कम किया है फिर भी कुछ प्रकार के उद्योगों में अब भी कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
4. शक्ति के साधनों तक अभिगम्यता – वे उद्योग जिनमें अधिक ऊर्जा अर्थात् शक्ति की आवश्यकता होती है। वे ऊर्जा के स्रोतों के समीप ही स्थापित किये जाते हैं। यथा एल्यूमिनियम उद्योग प्राचीन काल में कोयला प्रमुख शक्ति का साधन था किन्तु वर्तमान समय में जल विद्युत एवं खनिज तेल भी अनेक उद्योगों के लिए शक्ति का महत्त्वपूर्ण साधन है।
5. परिवहन एवं संचार की सुविधाओं तक अभिगम्यता – कच्चे माल को कारखाने तक लाने के लिए और परिष्कृत सामग्री को बाजार तक पहुँचाने के लिए तीव्र और सक्षम परिवहन सुविधाएँ औद्योगिक विकास के लिए अत्यावश्यक हैं। परिवहन लागत किसी औद्योगिक इकाई की अवस्थिति को निश्चित करने वाला महत्त्वपूर्ण कारक है। पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में अत्यधिक परिवहन तन्त्र विकसित होने के कारण ही हमेशा उद्योगों का संकेन्द्रण रहा है। आधुनिक उद्योग अपृथक्करणीय ढंग से परिवहन तन्त्र से जुड़े हैं। उद्योगों हेतु सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं प्रबन्धन के लिए संचार भी महत्त्वपूर्ण आवश्यकता होती है।
6. सरकारी नीति – सन्तुलित आर्थिक विकास के लिए सरकार प्रादेशिक नीति अपनाती है जिसके अन्तर्गत विशिष्ट क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना की जाती है।
7. समूहन अर्थव्यवस्था तक अभिगम्यता तथा उद्योगों के मध्य सम्बन्ध – प्रधान अर्थात् प्रमुख उद्योग की समीपता से अन्य अनेक उद्योग लाभान्वित होते हैं। ये लाभ समूहन अर्थव्यवस्था के रूप में परिणित हो जाते हैं। विभिन्न उद्योगों के मध्य पाई जाने वाली श्रृंखला से बचत की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 3.
विनिर्माण से क्या आशय है? आधुनिक बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की विशेषताएँ बताइये ।
अथवा
आधुनिक बड़े पैमाने के विनिर्माण उद्योग को स्पष्ट कीजिए तथा इसकी चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।
अथवा
आधुनिक बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की कोई चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
विनिर्माण से आशय विनिर्माण से आशय किसी वस्तु का उत्पादन है। हस्तशिल्प कार्य से लेकर लोहे व इस्पात को गढ़ना, प्लास्टिक के खिलौने बनाना, कम्प्यूटर के अति सूक्ष्म घटकों को जोड़ना एवं अन्तरिक्ष यान निर्माण इत्यादि सभी प्रकार के उत्पादन को निर्माण के अन्तर्गत ही माना जाता है। विनिर्माण की सभी प्रक्रियाओं में कुछ सामान्य विशेषताएँ होती हैं यथा शक्ति का उपयोग, एक ही प्रकार की वस्तुओं का विशाल उत्पादन एवं कारखानों में विशिष्ट श्रमिक जो कि मानक वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।
विनिर्माण आधुनिक शक्ति के साधन एवं मशीनरी के द्वारा या पुराने साधनों द्वारा किया जाता है। विनिर्माण उद्योग विनिर्माण का शाब्दिक अर्थ- ‘हाथ से बनाना’ फिर भी इसमें यन्त्रों द्वारा बनाया गया सामान भी शामिल किया जाता है। यह एक अति आवश्यक प्रक्रिया है जिसमें कच्चे माल को स्थानीय या दूरस्थ बाजार में बेचने के लिए ऊँचे मूल्य के तैयार माल में परिवर्तित कर दिया जाता है।
आधुनिक बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की विशेषताएँ – वर्तमान समय बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. कौशल का विशिष्टीकरण एवं उत्पादन की विधियाँ- बड़े पैमाने पर कार्यरत विनिर्माण में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है तथा इसमें प्रत्येक श्रमिक लगातार एक ही प्रकार के कार्य को करता है।
2. यन्त्रीकरण – किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए मशीनों का प्रयोग करना यन्त्रीकरण कहलाता है। निर्माण प्रक्रिया के दौरान मानव की सोच को शामिल किए बिना कार्य करना अर्थात् स्वचालित यन्त्रीकरण की विकसित अवस्था है। पुनर्निवेशन एवं संवृत पाश कम्प्यूटर नियन्त्रित प्रणाली से युक्त स्वचालित कारखाने जिनमें मशीनों को सोचने के लिए विकसित किया गया है वे पूरे विश्व में नजर आने लगी हैं।
3. प्रौद्योगिकीय नवाचार – इसके अन्तर्गत शोध एवं विकासमान युक्तियों के द्वारा विनिर्माण की गुणवत्ता को नियन्त्रित करने, अपशिष्टों के निस्तारण एवं अदक्षता को समाप्त करने तथा प्रदूषण को नियंत्रित करने जैसे उपाय सम्मिलित हैं।
4. संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण – इसके अन्तर्गत जटिल प्रौद्योगिकी तंत्र अत्यधिक विशिष्टीकरण, श्रम विभाजन, कम लागत से अधिक उत्पादन प्राप्त करना, अधिक पूँजी, बड़ा संगठन तथा प्रशासकीय अधिकारी वर्ग को सम्मिलित किया जाता है।
5. अनियमित भौगोलिक वितरण – विश्व में आधुनिक निर्माण के मुख्य संकेन्द्रण कुछ स्थानों में सीमित हैं। विश्व के कुल स्थलीय भाग के 10 प्रतिशत से कम भू-भाग पर इनका विस्तार है। यह देश के आर्थिक एवं राजनैतिक शक्ति के केन्द्र बन गए हैं। कुल क्षेत्र को आच्छादित करने की दृष्टि से विनिर्माण स्थल, प्रक्रियाओं की अत्यधिक गहनता के कारण बहुत कम स्पष्ट हैं तथा कृषि की अपेक्षा बहुत छोटे क्षेत्रों में संकेन्द्रित हैं।
यथा – अमेरिका की मक्का पेटी के 2.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में साधारण रूप से चार बड़े फार्म होते हैं जिनमें 10 से 20 श्रमिक कार्य करते हैं जिनसे 50 से 100 मनुष्यों का भरण-पोषण होता है। किन्तु इतने ही क्षेत्र में अनेकों वृहद् समाकलित कारखानों को समाविष्ट किया जा सकता तथा हजारों श्रमिकों को रोजगार दिया जा सकता है।
प्रश्न 4.
आकार पर आधारित उद्योगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आकार पर आधारित उद्योग किसी उद्योग का आकार उसमें निवेशित पूँजी, कार्यशील श्रमिकों की संख्या एवं उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है। आकार के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित वर्गों के अन्तर्गत विभाजित किया गया है –
1. कुटीर उद्योग – कुटीर उद्योग निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। इसमें शिल्पकार स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करते हैं एवं साधारण औजारों द्वारा परिवार के सभी सदस्य मिलकर अपने दैनिक जीवन के उपभोग की वस्तुओं का उत्पादन करते हैं तैयार माल का या तो वे स्वयं उपभोग करते हैं या इसे स्थानीय गाँव के बाजार में बेच देते हैं।
कभी-कभी ये अपने उत्पादों की अदला- बदली भी करते हैं। पूँजी एवं परिवहन इन उद्योगों को अधिक प्रभावित नहीं करते हैं; क्योंकि इनके द्वारा निर्मित वस्तुओं का व्यापारिक महत्त्व कम होता है एवं अधिकतर उपकरण स्थानीय लोगों के द्वारा निर्मित होते हैं।
प्रमुख निर्मित वस्तुएँ – कुटीर उद्योग में दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुओं यथा खाद्य पदार्थ, कपड़ा, चटाइयाँ, बर्तन, औजार, फर्नीचर, जूते एवं लघु मूर्तियाँ उत्पादित की जाती हैं। इसके अलावा पत्थर एवं मिट्टी के बर्तन व ईंट तथा चमड़े से कई प्रकार का सामान बनाया जाता है। सुनार सोना, चाँदी एवं ताँबे से आभूषण बनाता है। कुछ शिल्प की वस्तुएँ बांस एवं स्थानीय वनों से प्राप्त लकड़ी से बनाई जाती हैं।
2. छोटे पैमाने के उद्योग – इनके उत्पादन की तकनीक एवं निर्माण स्थल दोनों कुटीर उद्योग से अलग होते हैं। इसमें स्थानीय कच्चे माल का उपयोग किया जाता है एवं अर्द्ध कुशल श्रमिक व शक्ति के साधनों से चलने वाले यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है। रोजगार के अवसर छोटे पैमाने के उद्योगों में अधिक होते हैं जिससे स्थानीय निवासियों की क्रय शक्ति बढ़ जाती है भारत, चीन, इण्डोनेशिया एवं ब्राजील जैसे देशों ने अपनी जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए इस प्रकार के श्रम- सघन छोटे पैमाने के उद्योग प्रारम्भ किए हैं।
3. बड़े पैमाने के उद्योग – बड़े पैमाने के उद्योग के लिए विशाल बाजार, विभिन्न प्रकार का कच्चा माल, शक्ति के साधन, कुशल श्रमिक, विकसित प्रौद्योगिकी, अधिक उत्पादन एवं अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है। विगत 200 वर्षों में बड़े पैमाने के उद्योगों का विकास हुआ है। पूर्व में ये उद्योग ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी भाग एवं यूरोप में लगाए गये थे; किन्तु वर्तमान में इनका विस्तार विश्व के सभी देशों में हो गया है। विश्व के प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों को उनके वृहद् पैमाने पर किये गये निर्माण के आधार पर दो बड़े समूहों में विभाजित किया जा सकता है।
यथा –
(i) परम्परागत वृहद् औद्योगिक प्रदेश जिनके समूह कुछ अधिक विकसित देशों में हैं।
(ii) उच्च प्रौद्योगिकी वाले वृहद् औद्योगिक प्रदेश जिनका विस्तार कम विकसित देशों में हुआ है।
प्रश्न 5.
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग की संकल्पना की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग की संकल्पना की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं –
(1) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग निर्माण क्रियाओं में नवीनतम पीढ़ी है। इसमें उन्नत वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्माण गहन शोध एवं विकास के प्रयोग द्वारा किया जाता है।
(2) इसमें संपूर्ण श्रमिक शक्ति का अधिकतर भाग व्यावसायिक (सफेद कॉलर) श्रमिकों का होता है। ये उच्च दक्ष एवं विशिष्ट व्यावसायिक श्रमिक वास्तविक उत्पादन (नीला कॉलर) श्रमिकों से संख्या में अधिक होते हैं।
(3) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग में यंत्र मानव कंप्यूटर आधारित डिजाइन (कैड) तथा निर्माण, धातु पिघलाने एवं शोधन के इलेक्ट्रोनिक नियंत्रण एवं नए रासायनिक व औषधीय उत्पाद प्रमुख स्थान रखते हैं।
(4) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग के भूदृश्य में विशाल भवनों, कारखानों एवं भंडार क्षेत्रों के स्थान पर आधुनिक, नीचे साफ़-सुथरे, बिखरे कार्यालय एवं प्रयोगशालाएँ देखने को मिलती हैं।
(5) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों के लिए नियोजित व्यवसाय पार्क का निर्माण किया जा रहा है।
(6) वे उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग जो प्रादेशिक संकेंद्रित हैं, आत्मनिर्भर एवं उच्च विशिष्टता लिए होते हैं उन्हें प्रौद्योगिकी ध्रुव कहा जाता है। सेन फ्रांसिस्को के समीप सिलीकन घाटी एवं सिवटल के समीप सिलीकन वन प्रौद्योगिकी ध्रुव के अच्छे उदाहरण हैं।
प्रश्न 6.
लौह-इस्पात के स्थानीयकरण के कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योग होना – लौह-इस्पात उद्योग सभी उद्योगों का आधार है। इसी कारण इसे आधारभूत उद्योग कहा जाता है। यह आधारभूत इसलिए है क्योंकि यह अन्य उद्योगों यथा – मशीन और औजार, जो कि आगे उत्पादों के लिए प्रयोग किए जाते हैं, को कच्चा माल प्रदान करता है। इसे भारी उद्योग भी कहते हैं; क्योंकि इसमें बड़ी मात्रा में भारी-भरकम कच्चा माल उपयोग में लाया जाता है एवं इसके उत्पाद भी भारी होते हैं।
निर्माण प्रक्रिया – लोहा निकालने के लिए लौह- अयस्क को झोंका भट्टियों में कार्बन (कोक) एवं चूना- पत्थर के साथ प्रगलन किया जाता है। पिघला हुआ लौह बाहर निकलकर जब ठण्डा हो जाता है तब उसे कच्चा लोहा कहा जाता है। इसी कच्चे लोहे में मैंगनीज मिलाकर इस्पात बनाया जाता है।
स्थानीयकरण के कारण – लौह इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
1. कच्चे माल की उपलब्धता परम्परागत रूप से बड़े इस्पात उद्योग की स्थिति कच्चे माल के स्रोत के समीप ही रही है। जहाँ लौह अयस्क, कोयला, मैंगनीज एवं चूना पत्थर आसानी से उपलब्ध हो जाता है या यह ऐसे स्थान पर भी स्थापित किया जा सकता है जहाँ कच्चा माल आसानी से पहुँचाया जा सके यथा-पत्तन के समीप ।
2. बाजार का समीप होना – छोटे इस्पात के कारखाने जिनका निर्माण और प्रचालन क्रम महंगा है, की अवस्थिति के लिए कच्चे माल की अपेक्षा बाजार का समीप होना अधिक महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि कच्चे माल के रूप में रद्दी धातु बाजार से उपलब्ध हो जाती है।
3. विशाल संघटित संयन्त्रों का उपयोग करना- परम्परागत रूप से अधिकतर इस्पात का उत्पादन विशाल संघटित संयन्त्रों के द्वारा ही किया जाता है किन्तु वर्तमान समय में छोटे इस्पात संयन्त्र जिनमें केवल एक प्रक्रिया- इस्पात का निर्माण होता है अधिक संख्या में स्थापित किए जा रहे हैं।
प्रश्न 7.
विश्व में लौह इस्पात उद्योग के वितरण प्रतिरूप की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विश्व में लौह-इस्पात का वितरण लौह-इस्पात उद्योग एक जटिल उद्योग है जिसमें अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है तथा उत्तरी अमेरिका, यूरोप एवं एशिया के विकसित देशों में इसका केन्द्रीकरण है। विश्व में लौह इस्पात का केन्द्रीकरण निम्नलिखित देशों में है-
1. संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात का उत्पादन करने वाले प्रमुख क्षेत्र उत्तरी अप्लेशियन प्रदेश अर्थात् पिट्सबर्ग, महान झील क्षेत्र शिकागो, गैरी, इरी, क्लीवलैण्ड, लोरेन, बफैलो एक ड्युलुथ तथा एटलाण्टिक तट पर स्पैरोज पाइन्ट एवं मोरिस विले हैं। इनके अलावा इस उद्योग का विस्तार दक्षिण राज्य अलाबामा में भी हुआ है। पिट्सबर्ग क्षेत्र का महत्त्व अब कम हो रहा है जिस कारण इस क्षेत्र को ‘जंग क कटोरा’ कहा जाता है।
2. यूरोप- यूरोप में ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी, बेल्जियम लक्जमबर्ग, नीदरलैण्ड एवं रूस लौह इस्पात के प्रमुख उत्पादक देश हैं। यथा-
- ग्रेट ब्रिटेन – ग्रेट ब्रिटेन में बरमिंघम एवं शैफील्ड में लौह-इस्पात के प्रमुख कारखाने स्थापित हैं।
- जर्मनी जर्मनी में डूइसबर्ग, डोरटमुण्ड, डुसुलडोरफ एवं ऐसेन लौह-इस्पात के प्रमुख केन्द्र हैं।
- फ्रांस फ्रांस में ली क्रीयुसोट एवं सेण्ट इटीनी लौह इस्पात के प्रमुख केन्द्र हैं।
- सोवियत रूस – सोवियत रूस में मास्को, सेण्ट पीटर्सबर्ग, लीपेटस्क एवं तुला लौह-इस्पात के प्रमुख केन्द्र हैं।
- यूक्रेन – यूक्रेन में क्रिबोई रॉग एवं दोनेत्सक लौह-इस्पात के प्रमुख केन्द्र हैं।
3. एशिया – एशिया महाद्वीप में लौह-इस्पात उत्पादक प्रमुख देश निम्नलिखित हैं –
- जापान जापान में नागासाकी टोकियो एवं योकोहामा लौह-इस्पात के प्रमुख केन्द्र हैं।
- चीन – चीन में शंघाई, तियनस्तिन एवं वूहान ह-इस्पात के प्रमुख केन्द्र हैं।
- भारत – भारत में जमशेदपुर, कुल्टी बुरहानपुर, दुर्गापुर, राउरकेला, भिलाई, बोकारो, सलेम, विशाखापट्टनम एवं भद्रावती लौह इस्पात के प्रमुख केन्द्र हैं।
प्रश्न 8.
सूती कपड़ा उद्योग के विकास एवं वितरण पर भौगोलिक निबन्ध लिखिए। सूती कपड़ा उद्योग
उत्तर:
सूती कपड़ा उद्योग –
सूती कपड़ा उद्योग के विकास के प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं –
(1) श्रमिकों की आवश्यकता- सूती कपड़ा उद्योग में सूती कपड़े का निर्माण हथकरघा, बिजली करघा एवं कारखानों में किया जाता है। हथकरघा क्षेत्र में अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है एवं यह अर्द्ध-कुशल श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है। पूँजी की आवश्यकता भी इसमें कम होती है।
(2) यन्त्रों का प्रयोग करना- बिजली करषों से कपड़ा बनाने में यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है। अतः इसमें श्रमिकों की कम आवश्यकता होती है एवं उत्पादन भी अधिक होता है।
(3) पूँजी की आवश्यकता होना कारखानों में कपड़ा बनाने के लिए अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है; किन्तु इसमें अच्छे प्रकार के कपड़े का बहुत अधिक मात्रा में उत्पादन किया जाता है।
(4) कपास आवश्यक कच्चा माल होना सूती वस्त्र निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में उत्तम किस्म की कपास आवश्यक कच्चा माल है। विश्व में उत्पादित कुल कपास के 50 प्रतिशत से अधिक कपास का उत्पादन भारत, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान एवं मिस्र में किया जाता है।
(5) आयातित कपास से वस्त्र निर्माण करना- ग्रेट ब्रिटेन, उत्तरी-पश्चिमी यूरोप के देश एवं जापान आयातित धागे से सूती कपड़ों का उत्पादन करते हैं। अकेला यूरोप महाद्वीप विश्व के लगभग आधे कपास का आयात करता है।
(6) कृत्रिम रेशे से प्रतिस्पर्द्धा करना- वर्तमान समय में सूती वस्त्र उद्योग को कृत्रिम रेशे से प्रतिस्पर्द्धा करनी पड़ती है जिसके कारण अनेक देशों में इसमें नकारात्मक प्रवृत्ति देखी जा रही है। वैज्ञानिक प्रगति एवं तकनीकी सुधारों से उद्योगों की संरचना में परिवर्तन होता है। यथा-द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर 70 के दशक तक जर्मनी ने इस उद्योग में काफी प्रगति की किन्तु अब इसके उत्पादन में कमी आ रही है। वर्तमान में यह उद्योग उन कम विकसित देशों में स्थानान्तरित हो गया है जहाँ श्रम लागत कम है।
वितरण-विश्व में सूती वस्त्र उत्पादन के प्रमुख केन्द्र संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन आदि देशों में हैं। भारत में गुजरात एवं महाराष्ट्र वस्त्र उत्पादन करने की दृष्टि से प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
प्रश्न 9.
विनिर्माण उद्योगों के वर्गीकरण को चार्ट द्वारा समझाइए।
उत्तर:
विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण –