Understanding the question and answering patterns through Class 12 Geography Question Answer in Hindi Chapter 4 मानव विकास will prepare you exam-ready.
Class 12 Geography Chapter 4 in Hindi Question Answer मानव विकास
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव विकास सूचकांक किस वर्ष में निर्मित किया गया-
(अ) 1990
(ब) 1985
(स) 1975
(द) 1970
उत्तर:
(अ) 1990
प्रश्न 2.
निम्न में से कौनसा देश मानव विकास सूचकांक में विश्व में प्रथम स्थान पर है-
(अ) कनाडा
(ब) नार्बे
(स) जापान
(द) चीन।
उत्तर:
(ब) नार्बे
प्रश्न 3.
निम्न में से कौनसा मानव विकास का सबसे पुराना उपागम है-
(अ) आय उपागम
(ब) कल्याण उपागम
(स) आधारभूत आवश्यकता उपागम
(द) क्षमता उपागम।
उत्तर:
(अ) आय उपागम
प्रश्न 4.
क्षमता उपागम का सम्बन्ध जिस विद्वान से है, वह है-
(अ) डॉ. महबूब-उल-हक
(ब) प्रो. अमत्य सेन
(स) हंटिंगटन
(द) कुमारी सैम्पल।
उत्तर:
(ब) प्रो. अमत्य सेन
प्रश्न 5.
निम्न मानव विकास सूचकांक वाले देशों में सूचकांक का स्कोर है-
(अ) 0.6 से नीचे
(ब) 0.549 से नीचे
(स) 0.5 से ऊपर
(द) 0.7 से नीचे।
उत्तर:
(ब) 0.549 से नीचे
प्रश्न 6.
निम्न में से कौनसा देश है जिसने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता को देश की प्रगति का आधिकारक माप घोषित किया है-
(अ) ब्राजील
(ब) श्रीलंका
(स) टोबैगो
(द) भूटान।
उत्तर:
(द) भूटान।
प्रश्न 7.
भारत में निम्न में कौनसे राज्य में मानव विकास सूचकांक उच्च है-
(अ) पंजाब
(ब) हरियाणा
(स) केरल
(द) गुजरात।
उत्तर:
(स) केरल
प्रश्न 8.
निम्न में से जिस उपागम को मूल रूप से अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने प्रस्तावित किया, वह है-
(अ) आय उपागम
(ख) कल्याण उपागम
(स) आधारभूत आवश्यकता उपागम
(द) क्षमता उपागम।
उत्तर:
(स) आधारभूत आवश्यकता उपागम
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव विकास के उच्च और निम्न स्तर देशों की संख्या लिखिए।
उत्तर:
मानव विकास प्रतिवेदन 2018 के अनुसार उच्च सूचकांक मूल्य वाले देशों की संख्या 53 एवं निम्न सूचकांक मूल्य वाले देशों की संख्या 38 है।
प्रश्न 2.
उच्च एवं मध्यम श्रेणी के मानव विकास सूचकांक में कितने देश सम्मिलित हैं?
उत्तर:
मानव विकास प्रतिवेदन 2018 के अनुसार उच्च सूचकांक मूल्य वाले वर्ग में 53 देश एवं मध्यम सूचकांक मूल्य वाले वर्ग में भी 39 देश सम्मिलित हैं।
प्रश्न 3.
मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से उच्च सूचकांक मूल्य वाले देशों की तुलना मध्यम सूचकांक मूल्य वाले देशों से कीजिए।
उत्तर:
उच्च सूचकांक मूल्य वाले देश वे हैं, जिनका मानव विकास सूचकांक मूल्य 0.701 से 0.799 के बीच है, जबकि मध्यम सूचकांक मूल्य वाले देशों का सूचकांक मूल्य 0.550 से 0.700 के बीच पाया जाता है।
प्रश्न 4.
अति उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देशों का स्कोर कितना होता है?
उत्तर:
0.800 से ऊपर सूचकांक मूल्य होता है।
प्रश्न 5.
विकास का अर्थ बताइये।
उत्तर:
विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तन से है जो कि मूल्य सापेक्ष होता है। अतः विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक वर्तमान दशाओं में वृद्धि न हो।
प्रश्न 6.
विकास किस समय होता है? बताइये।
उत्तर:
विकास उस समय होता है जब वर्तमान द्शाओं की गुणंवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन होता है।
प्रश्न 7.
वृद्धि और विकास किसके सन्दर्भ में परिवर्तन को इंगित करते हैं?
उत्तर:
वृद्धि और विकास दोनों समय के सन्द्र में परिवर्तन को इंगित करते हैं।
प्रश्न 8.
अनेक दशकों तक किसी देश के विकास के स्तर को किससे मापा जाता था?
उत्तर:
अनेक दशकों तक किसी देश के विकास के स्तर को केवल आर्थिक वृद्धि के सन्दर्भ में मापा जाता था।
प्रश्न 9.
दक्षिणी एशिया के उन दो अर्थशास्त्रियों के नाम लिखो जिन्होंने मानव विकास की अवधारणा के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
उत्तर:
डॉ. महबूब-उल-हक तथा प्रो. अमर्त्य सेन।
प्रश्न 10.
मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन किसने किया था?
उत्तर:
मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन डॉ. महबूब-उल-हक द्वारा किया गया।
प्रश्न 11.
विकासहीन वृद्धि से क्या आशय है?
उत्तर:
ऐसी वृद्धि, जो सकारात्मक न होने के कारण गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन नहीं ला पाती, विकासहीन वृद्धि कहलाती है।
प्रश्न 12.
विकासयुक्त वृद्धि किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसी वृद्धि, जिसमें वृद्धि के साथ-साथ विकास भी होता रहे, विकासयुक्त या सकारात्मक वृद्धि कहलाती है।
प्रश्न 13.
प्रो. अमर्त्य सेन ने विकास को किस रूप में देखा?
उत्तर:
प्रो. अमर्त्य सेन ने विकास को मानव स्वतंत्रता में वृद्धि के रूप में देखा।
प्रश्न 14.
मानव विकास के चार स्तम्भों के नाम बताइये।
उत्तर:
- समता
- सतत पोषणीयता
- उत्पादकता
- सरक्तिकरण।
प्रश्न 15.
भारत में किस वर्ग के व्यक्ति बड़ी संख्या में विद्यालय से विरत होते हैं?
उत्तर:’
भारत में स्त्रियाँ और सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए वर्गों के व्यक्ति बड़ी संख्या में विद्यालय से विरत होते हैं।
प्रश्न 16.
समता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समता का आशय प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यबस्था करना है।
प्रश्न 17.
उत्पादकता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता अथवा मानव कार्य के सन्द्र्भ में उत्पादकता है।
प्रश्न 18.
सशक्तिकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सशक्तिकरण का अर्थ अपने विकल्प चुनने के लिए शक्ति प्राप्त करना है।
प्रश्न 19.
मानव विकास के चार उपागमों के नाम बताइये।
उत्तर:
- आय उपागम
- कल्याण उपागम
- आधारभूत आवश्यकता उपागम
- क्षमता उपागम।
प्रश्न 20.
स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए चुने गए सूचक का नाम बताइये।
उत्तर:
स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए चुना गया सूचक जन्म के समय जीवन प्रत्याशा है।
प्रश्न 21.
संसाधनों तक पहुँच का मापन किसके सन्दर्भ में किया जाता है?
उत्तर:
संसाधनों तक पहुँच को मानव की क्रय-शक्ति के आधार पर मापा जाता है।
प्रश्न 22.
मानव विकास सूचकांक के मापन का आधार बताइये।
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक मानव विकास में प्राप्तियों का मापन करता है। यह प्रदर्शित करता है कि मानव विकास के प्रमुख क्षेत्रों में क्या उपलब्धि हुई है?
प्रश्न 23.
यू.एन.डी.पी. द्वारा प्रयुक्त मानव विकास मापन के दो महत्त्वपूर्ण सूचकांक बताइये।
उत्तर:
यू.एन.डी.पी. द्वारा प्रयुक्त मानव विकास मापन के दो महत्त्वपूर्ण सूचकांक मानव विकास सूचकांक और मानव गरीबी सूचकांक हैं।
प्रश्न 24.
विश्व में उस देश का नाम बताइये जिसने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता को देश की प्रगति का आधिकारिक माप घोषित किया है।
उत्तर:
भूटान विश्व में अकेला देश है जिसने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता को देश की प्रगति का आधिकारिक माप घोषित किया है।
प्रश्न 25.
निम्न सूचकांक मूल्य वाले देशों में स्कोर कितना पाया जाता है?
उत्तर:
निम्न सूचकांक मूल्य वाले देशों में मानव विकास सूचकांक का स्कोर 0.549 से कम पाया जाता है।
प्रश्न 26.
उच्च मानव विकास स्कोर वाले देश किस महाद्वीप में अवस्थित हैं तथा वे किसका प्रतिनिधित्व करते हैं?
उत्तर:
उच्च मानव विकास स्कोर वाले देश यूरोप महाद्वीप में अवस्थित हैं तथा वे औद्योगीकृत पश्चिमी विश्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रश्न 27.
निम्न सूचकांक मूल्य वाले देश किन घटनाओं के दौर से गुजर रहे हैं? बताइये।
उत्तर:
यह्न अधिकांशतः छोटे देश हैं जो कि राजनीतिक उपद्रव, गृह-युद्ध के रूप में सामाजिक अस्थिरता, अकाल अथवा बीमारियों की अधिक घटनाओं के दौर से गुजर रहे हैं।
प्रश्न 28.
मानव विकास के उच्च स्तरों वाले देश किन सैक्टरों में अधिक निवेश करते हैं?
उत्तर:
मानव विकास के उच्च स्तरों वाले देश सामाजिक सैक्टरों में अधिक निवेश करते हैं और राजनीतिक उपद्रव और अस्थिरता से प्रायः स्वतन्त्र होते हैं।
प्रश्न 29.
मध्यम सूचकांक मूल्य वाले देशों ने अभिनव इतिहास में किसका सामना किया है?
उत्तर:
मध्यम सूचकांक मूल्य वाले देशों ने अभिनव इतिहास में राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक विद्रोह का सामना किया है।
प्रश्न 30.
उन तीन देशों के नाम बताइये जिनकी छोटी अर्थव्यवस्थाएँ होते हुए भी मानव विकास सूचकांक भारत से ऊँचा है।
उत्तर:
श्रीलंका, ट्रिनिडाड और टोबैगो की अपेक्षाकृत छोटी अर्थव्यवस्थाएँ होते हुए भी मानव विकास सूचकांक भारत से ऊँचा है।
प्रश्न 31.
मानव विकास सूचकांक में भारत का विश्व में कौनसा स्थान है? विश्व में 130 वाँ स्थान था।
उत्तर:
2018 में मानव विकास सूचकांक में भारत का विश्व में 130 वाँ स्थान था।
प्रश्न 32.
समता की आपूति में क्या रूकावटें हैं? बताइये।
उत्तर:
लिंग, प्रजाति, आय व जाति समता की आपूर्ति में अवरोध अर्थात् रुकावटें हैं।
प्रश्न 33.
सतत पोषणीयता के लिए किन-किन साधनों का उपयोग करना आवश्यक है?
उत्तर:
सतत पोषणीयता के लिए पर्यावरणीय संसाधन, वितीय संसाधन तथा मानव संसाधन का उपयोग करना आवश्यक है।
प्रश्न 34.
डॉ. महबूब-उल-हक ने मानव विकास का वर्णन किस रूप में किया?
उत्तर:
मानव विकास का वर्णन एक ऐसे विकास के रूप में किया, जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है तथा उनके जीवन में सुधार लाता है।
प्रश्न 35.
मानव विकास सूचकांक सर्वाधिक विश्वसनीय माप क्यों नहीं है? कारण बताइये।
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक सर्वांधिक विश्वसनीय माप नहीं है क्योंकि-
- मानव विकास सूचकांक वितरण के सम्बन्ध में मौन है।
- यह मानव गरीबी का सही मापक नहीं है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विकास से क्या आशय है? इसके तीन मूल बिन्दु बताइये।
उत्तर:
विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तन है जो कि मूल्य सापेक्ष होता है। विकास उस समय होता है जब वृद्धि तथा गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन होता है। इसके तीन मूल बिन्दु निम्न प्रकार से हैं-
- लोगों के जीवन की गुणवत्ता
- अवसरों की पहुँच
- लोगों की स्वतन्त्रता।
प्रश्न 2.
डॉ. महबूब-उल-हक द्वारा प्रतिपादित मानव विकास अवधारणा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डॉ. महबूब-उल-हक के अनुसार मानव विकास लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है तथा उनके जीवन में सुधार लाता है। सभी प्रकार के विकास का केन्द्र बिन्दु मानव है। इनके विकल्प स्थिर नहीं हैं, अपितु परिवर्तनशील हैं। विकास का मूल उद्देश्य ऐसी दशाओं को उत्पन्न करना है जिसमें लोग सार्थक जीवन व्यतीत कर सकें, लोग स्वस्थ हों, अपने विवेक और बुद्धि का विकास कर सकें तथा अपने उद्देश्य को पूरा करने में स्वतन्त्र हों।
प्रश्न 3.
एक सार्थक जीवन की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
सार्थक जीवन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन जीना।
- ज्ञान में वृद्धि होना।
- पर्याप्त साधनों की उपलब्धता।
- संसाधनों तक पहुँच, स्वास्थ्य और शिक्षा।
प्रश्न 4.
कुछ व्यक्तियों में आधारभूत विकल्पों को तय करने की क्षमता और स्वतन्त्रता क्यों नहीं होती?
उत्तर:
कुछ व्यक्तियों में अपने आधारभूत विकल्पों को तय करने की क्षमता और स्वतन्त्रता नहीं होती; क्योंकि जान प्राप्त करने की अक्षमता, उनकी भौतिक निर्धनता, सामाजिक भेदभाव, संस्थाओं की अक्षमता आदि कारणों के कारण दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन जीने, शिक्षा प्राप्ति के योग्य होने और एक शिष्ट जीवन जीने के साधनों को प्राप्त करने के विकर्प अति सीमित रह जाते हैं। लोगों के विकल्पों में वृद्धि करने के लिए आवश्यक है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच के लिए मानखीय कार्यक्षमता में वृद्धि की जाये। अतः मानवीय कार्यक्षमता में कमी के कारण लोगों को अपने आधारभूत विकल्पों को चयन करने की क्षमता एवं स्वतंत्रता सीमित हो जाती है।
प्रश्न 5.
प्रो. अमर्त्य सेन के मतानुसार मानव विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. अमर्त्य सेन ने विकास का मुख्य ध्येय स्वतन्त्रता में वृद्धि अथवा परतन्त्रता में कमी के रूप में देखा। स्वतन्त्रता में वृद्धि ही विकास लाने वाला सर्वाधिक प्रभावशाली माध्यम है। इनका कार्य स्वतन्त्रता की वृद्धि में सामाजिक और राजनीतिक संस्थाओं तथा प्रक्रियाओं की भूमिका का अन्वेषण करना है ।
प्रश्न 6.
वृद्धि और विकास में क्या अन्तर है?
उत्तर:
वृद्धि और विकास दोनों समय के सन्दर्भ में परिवर्तन को इंगित करते हैं, फिर भी इनमें निम्न अन्तर पाए जाते हैं-
- वृद्धि धनात्मक एवं ऋणात्मक, दोनों प्रकार की हो सकती है, परन्तु विकास के अन्तर्गत गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन होता है।
- वृद्धि मात्रात्मक और मूल्यनिरपेक्ष होती है, जबकि विकास गुणात्मक होता है और इसका मूल्य सापेक्ष होता है।
- विकास उस समय तक नहीं हो सकता, जब तक कि वर्तमान दशाओं में सकारात्मक या धनात्मक परिवर्तन न हों, जबकि वृद्धि के लिए यह आवश्यक नहीं है।
प्रश्न 7.
उत्पादकता से क्या अभिप्राय है? इसमें किस प्रकार वृद्धि की जा सकती है?
उत्तर:
उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता अथवा मानव कार्य के सन्द्र्भ में उत्पादकता है। इसमें वृद्धि निम्नलिखित उपायों के द्वारा की जा सकती है-
- लोगों में क्षमताओं का निर्माण करना।
- लोगों के ज्ञान में वृद्धि करना।
- लोगों के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करना।
- लोगों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाना।
प्रश्न 8.
मानव विकास सूचकांक का मापन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक का मापन निम्न तीन क्षेत्रों के आधार पर किया जाता है-
(i) स्वास्थ्य-इसके मूल्यांकन के लिए चुना गया सूचक जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा है। उच्चतर जीवन प्रत्याशा दीर्घ तथा स्वस्थ जीवन जीने के अधिक अवसरों का द्योतक है।
(ii) शिक्षा-इसके मूल्यांकन के लिए प्रौढ़ साक्षरता दर तथा विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्या को आधार माना जाता है।
(iii) संसाधनों तक पहुँच-इसको मानव की क्रयशक्ति के आधार पर मापा जाता है। उक्त तीनों क्षेत्रों में से प्रत्येक को \(\frac{1}{3}\) भारिता दी जाती है। मानव विकास सूचकांक इन सभी आयामों को दिए गए भारों का कुल योग होता है। मानव विकास सूचकांक का मूल्य 1 के जितना निकट होता है, मानव विकास का स्तर उतना ही उच्च होता है।
प्रश्न 9.
विश्व में किस देश ने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता को देश की प्रगति का अधिकारिक माप घोषित किया है? इसके प्रमुख तत्च बताइये।
उत्तर:
भूटान विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जिसने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता को देश की प्रगति का आधिकारिक माप घोषित किया है। भूटान के लोगों ने अपने पर्यावरण अथवा सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक जीवन के अन्य पहलुओं को भौतिक प्रगति और प्रौद्योगिकी विकास से होने वाली सम्भावित हानि को सतर्कतापूर्वक अथवा ध्यान में रखकर अपनाया है। इसका साधारण अर्थ यह है कि प्रसन्नता की कीमत पर भौतिक प्रगति नहीं की जा सकती। सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता लोगों को विकास के आध्यात्मिक, भौतिक तथा गुणात्मक पक्षों को सोचने के लिए प्रोत्साहित करती है।
प्रश्न 10.
मानव विकास के मापन के कल्याण उपागम से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर;
मानव विकास के मापन का कल्याण उपागम-यह उपागम मानव को लाभार्थी अथया सभी विकासात्मक गतिविधियों के लक्ष्य के रूप में देखता है। यह उपागम शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सुख साधनों पर उच्चतर सरकारी व्यय का तर्क देता है। लोग विकास में प्रतिभागी नहीं हैं किन्तु वे केवल निष्क्रिय प्राप्तकर्त्ता हैं। सरकार कल्याण पर अधिकतम व्यय करके मानव विकास के स्तरों में वृद्धि करने के लिए जिम्मेदार है।
प्रश्न 11.
मानव विकास के मापन के आधारभूत आवश्यकता उपागम को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आधारभूत आवश्यकता उपागम-मानव विकास के मापन के इस उपागम को मूल रूप से अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने प्रस्तावित किया था। इसमें छः न्यूनतम आवश्यकताओं, यथा-स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता और आवास की पहचान की गई थी। इसमें मानव विकल्पों के प्रश्न की उपेक्षा की गई है और परिभाषित वर्गों की मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था पर जोर दिया गया है।
प्रश्न 12.
मानव विकास के मापन के आय उपागम को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आय उपागम-यह उपागम मानव विकास के मापन के उपागमों में सबसे प्राचीन अर्थात् पुराने उपागमों में से एक है। इसमें मानव विकास को आय के साथ जोड़कर देखा जाता है। इसमें यह माना जाता है कि आय का स्तर किसी व्यक्ति द्वारा भोगी जा रही स्वतन्त्रता के स्तर को परिलक्षित करता है। आय का स्तर ऊँचा होने पर मानव विकास का स्तर भी ऊँचा होता है।
प्रश्न 13.
स्पष्ट कीजिए कि मानव गरीबी सूचकांक मानव विकास सूचकांक की अपेक्षा अधिक कमी उद्घाटित करता है।
उत्तर:
मानव गरीबी सूचकांक मानव विकास सूचकांक से सम्बन्धित है। यह सूचकांक मानव विकास में कमी का मापन करता है। यह एक बिना आय वाला माप है। किसी प्रदेश के मानव विकास में कमी द्शाने के लिए 40 वर्ष की आयु तक जीवित न रह पाने की सम्भाव्यता, प्रौढ़ निरक्षरता दर, स्वछ जल की पहुँच न रख्यने वाले लोगों की संख्या और अल्प भार वाले छोटे बच्चों की संख्या आदि सभी इसमें गिने जाते हैं। अतः स्पष्ट है कि मानव गरीबी सूचकांक मानव विकास सूचकांक की अपेक्षा अधिक कमी उद्घाटित करता है।
प्रश्न 14.
मानव विकास प्रतिवेदन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 1990 से प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) मानव विकास प्रतिवेदन प्रकाशित कर रहा है। यह प्रतिवेदन मानव विकास स्तर के अनुसार सभी सद्स्य देशों की कोटि क्रमानुसार सूची उपलब्ध करवाता है। मानव विकास सूचकांक और गरीबी सूचकांक यू.एन.डी.पी. द्वारा प्रयुक्त मानव विकास मापन के दो महत्त्वप्ण सूर्णकांक हैं।
प्रश्न 15.
मानव विकास की अन्तर्राष्ट्रीय तुलनाओं के विषय में लिखिए।
उत्तर:
मानव विकास की अन्तर्राष्ट्रीय तुलनाओं के अध्ययन से स्पष्ट है कि-
(i) प्रदेश के आकार और प्रति व्यक्ति आय का मानव विकास से प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं हैं।
(ii) मानव विकास की दृष्टि से विश्व के बड़े देशों की अपेक्षा छोटे देशों का कार्य बेहतर रहा है।
(iii) इसी प्रकार मानव विकास के कोटि क्रम में निर्धन देशों या प्रदेशों का स्थान धनी पड़ोसियों से ऊँचा रहा है। उदाहरण के लिए, अपेक्षाकृत छोटी अर्थव्यवस्थाएँ होते हुए भी श्रीलंका, ट्रिनिड्डाड और टोबैगो का मानव विकास सूचकांक भारत से ऊँचा है। इसी प्रकार प्रति व्यक्ति आय कम होने के बावजूद मानव विकास में केरल का स्थान पंजाब और गुजरात से ऊँचा है।
अर्जित मानव विकास स्कोर के आधार पर देशों को निम्न चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
(1) अति उच्च मानव विकास सूचकांक मूल्य वाले देश-सूचकांक मूल्य 0.800 से ऊपर।
(2) उच्च सूचकांक मूल्य वाले देश-सूचकांक मूल्य 0.701 से 0.799 के बीच ।
(3) मध्यम सूचकांक मूल्य वाले देश-सूचकांक मूल्य 0.550 से 0.700 के बीच।
(4) निम्न सूचकांक मूल्य वाले देश-सूचकांक मूल्य 0.549 से कम।
प्रश्न 16.
मानव विकास सूचकांक में भारत का स्थान 129 देशों के बाद (पीछे ) होने का क्या कारण है?
उत्तर;
मानव विकास सूचकांक में भारत का स्थान 130वाँ (2018 के अनुसार) होने के निम्नलिखित कारण है-
(i) भारत विश्व की एक बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बाद भी मानव विकास सूचकांक में पिछड़ा हुआ है; क्योंकि भारत आकार एवं जनसंख्या की दृष्टि से.विश्व के बड़े देशों में सम्मिलित है। यहाँ जनसंख्या में तो निरन्तर वृद्धि हो रही है; परन्तु आवास जैसी सुविधाएँ, मूलभूत सेवाओं की व्यवस्था तथा अन्य विशेषताएँ पहले के समान ही हैं। अतः यहाँ वृद्धि के साथ विकास नहीं हो पाया है, जिस कारण इसका मानव विकास सूचकांक मूल्य निम्न है।
(ii) मानव विकास सूचकांक का मापन जीवन प्रत्याशा, शिक्षा तथा वास्तविक आय के आधार पर किया जाता है। भारत की कुल जनसंख्या का एक बड़ा भाग आज भी उक्त तीनों क्षेत्रों में अति पिछड़ी अवस्था में है।
निबन्धांत्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव विकास के प्रमुख उपागमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के उपागम
मानव विकास के अध्ययन के लिए मुख्यत : निम्नलिखित चार उपागमों का उपयोग किया जाता है-
1. आय उपागम-यह उपागम मानव विकास के सबसे पुराने उपागमों में से एक है। इनमें मानक विकास को आय के साथ जोड़कर देखा जाता है। इसके सम्बन्ध में यह विचार है कि आय का स्तर किसी व्यक्ति द्वारा भोगी जा रही स्वतन्त्रता के स्तर को परिलक्षित करता है। यदि किसी व्यक्ति की आय का स्तर उच्च है तो उसके मानव विकास का स्तर भी उच्च ही होगा।
2. कल्याण उपागम-यह उपागम मानव को लाभार्थी अथवा सभी विकासात्मक गतिविधियों के लक्ष्य के रूप में देखता है। यह उपागम शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सुख्व-साधनों पर उच्चतर सरकारी व्यय का तर्क देता है। लोग विकास में प्रतिभागी नहीं हैं; किन्तु वे केवल निष्क्रिय प्राप्तकर्त्ता हैं। सरकार कल्याण पर अधिकतम व्यय करके मानव विकास के स्तरों में वृद्धि करने के लिए जिम्मेदार हैं।
3. आधारभूत आवश्यकता उपागम-इस उपागम को मूल रूप से अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के द्वारा प्रस्तावित किया गया था। इसमें छः न्यूनतम आवश्यकताओं, यथास्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता और आवास की पहचान की गई थी। इसमें मानव विकल्पों के प्रश्न की उपेक्षा की गई है तथा परिभाषित वर्गों की मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था पर जोर दिया गया है।
4. क्षमता उपागम-इस उपागम का सम्बन्ध नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रो. अमत्त्य सेन से है। उनका मानना था कि मानवीय क्षमताओं का निर्धारण कर उनकी संसाधनों तक पहुँच को बढ़ाया जा सकता है तथा यही मानव विकास की कुंजी है।
प्रश्न 2.
मानव विकास सूचकांक मूल्य के आधार पर विश्व के देशों को वर्गीकृत करके उनकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास प्रतिवेद्न 2018 के अनुसार अर्जित मानव विकास स्कोर के आधार पर विश्व के देशों को निम्नलिखित चार समूहों के अन्तर्गत वर्गीकृत किया गया है-
(1) अति उच्च सूचकांक मूल्य वाले देश-मानव विकास प्रतिवेदन 2018 के अनुसार विश्व के वे देश अति उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देश हैं जिनका मानव विकास सूचकांक का स्कोर 0.800 से ऊपर है। इस वर्ग में 59 देश शामिल हैं। मानव विकास प्रतिबेदन 2018 के अनुसार विश्व में मानव विकास सूचकांक का सर्वोच्च मूल्य रखने वाले 10 देश क्रमशः नार्वे, स्विट्जरलैण्ड, आस्ट्रेलिया, आयरलैण्ड, जर्मनी, आइसलैण्ड, हांग-कांग, स्वीडन, सिंगापुर, नीदरलैण्ड हैं।
(2) उच्च सूचकांक मूल्य वाले देश-इस वर्ग में वे देश शामिल हैं जिनका मानव विकास सूचकांक 0.701 से 0.799 के बीच है। इस समूह में 53 देश शामिल हैं। इन देशों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध करवाना सरकार की महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। उच्चतर मानव विकास वाले देशों में सामाजिक खण्ड में बहुत निवेश हुआ है।
लोगों और सुशासन में उच्चतर निवेश ने इस वर्ग के देशों को अन्य देशों से सर्वथा अलग कर दिया है। इस वर्ग के अनेक देश पूर्व साम्राज्य शक्तियाँ रहे हैं। इन देशों में सामाजिक विविधता की डिग्री उच्च नहीं है। उच्च मानव विकास स्कोर वाले देश यूरोप महाद्वीप में अवस्थित हैं तथा औद्योगीकृत पश्चिमी विश्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस वर्ग में गैर-यूरोपीय देशों की संख्या आश्चर्यचकित करने वाली है, जिन्होंने इस सूची में अपना स्थान बनाया है।
(3) मध्यम सूचकांक मूल्य वाले देश-मानव विकास प्रतिवेदन 2018 के अनुसार विश्व के वे देश मध्यम सूचकांक मूल्य वाले देश हैं, जिनमें मानव विकास सूचकांक का स्कोर 0.550 से 0.700 के बीच पाया जाता है। इस वर्ग में विश्व के कुल 39 देश हैं। इनमें से अधिकांश देशों का विकास द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की अर्वधि में हुआ है। इस वर्ग के कुछ देश पूर्वकालीन उपनिवेश थे, जबकि अन्य अनेक देशों का विकास वर्ष 1990 में तत्कालीन सोवियत संघ के विघटन के बाद हुआ है।
इस वर्ग के अनेक देश अधिक लोकोन्मुखी नीतियों को अपनाकर तथा सामाजिक भेद्भाव को दूर करके तीव्र गति से अपने मानव विकास स्कोर में सुधार कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश देशों में उच्चतर मानव विकास के स्कोर वाले देशों की तुलना में सामाजिक विविधता अधिक पाई जाती है। इस वर्ग के अनेक देशों ने अपने अभिनव इतिहास में राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक विद्रोह का सामना किया है।
(4) निम्न सूचकांक मूल्य वाले देश-इस वर्ग के देशों का मानव विकास सूचकांक का स्कोर 0.549 से नीचे पाया गया है। इस वर्ग में विश्व के कुल 38 देश हैं। इनमें से अधिकतर छोटे देश हैं जो कि राजनीतिक उपद्रव, गृहयुद्ध के रूप में सामाजिक अस्थिरता, अकाल अथवा बीमारियों की अधिक घटनाओं के दौर से गुजर रहे हैं। सुविचारित नीतियों के माध्यम से इस वर्ग के देशों की मानव विकास की आवश्यकताओं के समाधान की तत्काल आवश्यकता हैं।
प्रश्न 3.
मानव विकास के चार प्रमुख स्तम्भों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के स्तम्भ जिस प्रकार किसी इमारत को स्तम्भों का सहारा होता है उसी प्रकार मानव विकास का विचार भी अग्रलिखित चार स्तम्भों की संकल्पनाओं पर आधारित है-
1. समता-समता का आशय प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्य अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था करना है। लोगों को उपलब्ध अवसर लिंग, प्रजाति, आय और भारत के सन्द्भ में जाति के भेदभाव के विचार के बिना समान होने चाहिए। यद्यपि ऐसा प्राय: नहीं होता फिर भी यह लगभग प्रत्येक समाज में घटित होता है।
यथा-किसी भी देश में यह जानना रुचिकर होता है कि विद्यालय से विरत अधिकांश छात्र किस वर्ग से सम्बन्धित हैं। उसके पश्चात् ऐसी घटनाओं के पीछे कारणों का पता लगाना चाहिए। भारत में स्त्रियाँ और सामाजिक एवं आर्थिक दुष्टि से पिछड़े हुए वर्गों के व्यक्ति बड़ी संख्या में विद्यालय से विरत होते हैं। इससे ज्ञात होता है कि शिक्षा तक पहुँच न होना किस प्रकार इन वर्गों के विकल्पों को सीमित करता है।
2. सतत पोषणीयता-सतत पोषणीयता अर्थात् निर्वहन का अर्थ है कि अवसरों की उपलब्धता में निरन्तरता होना। सतत पोषणीय मानव विकास के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर प्राप्त हों। समस्त पर्यावरणीय वित्तीय एवं मानव संसाधनों का उपयोग भविष्य को ध्यान में रख कर किया जाना चाहिए। इन संसाधनों में से किसी भी एक का दुरुपयोग भावी पीढ़ियों के लिए अवसरों को कम कर देगा।
यथा-बालिकाओं को विद्यालय भेजा जाना। यदि एक समुदाय अपनी बालिकाओं को विद्यालय भेजने के महत्त्व पर जोर नहीं देता तो युवा होने पर इन स्वियों के लिए अनेक अवसर समाप्त हो जायेंगे। उनकी वृत्तिका के विकल्पों में तीव्र गति से छंटनी हो जायेगी और यह उनके जीवन के अन्य पक्षों को भी प्रभावित करेगा। अतः प्रत्येक पीढ़ी को अपनी भावी पीढ़ियों के लिए अवसरों और विकल्पों की उपलब्धता को सुनिश्चित करना चाहिए।
3. उत्पादकता-उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता अथवा मानव कार्य के सन्दर्भ में उत्पादकता से है। लोगों में क्षमताओं का निर्माण करके ऐसी उत्पादकता में लगातार वृद्धि की जानी चाहिए। अन्ततः जन-समुदाय ही देशों के वास्तविक धन होते हैं। इस प्रकार उनके ज्ञान को बढ़ाने के प्रयास अथवा उनको बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध करवाने से उनकी कार्यक्षमता बेहतर हो जायेगी।
4. सशक्तिकरण-मानव विकास की अवधारणा के अन्तर्गत सशक्तिकरण का आशय है-मानव को अपने विकल्पों का चयन करने की शक्ति का प्राप्त होना। सशक्तिकरण के लिए मानव की बढ़ती स्वतंत्रता तथा कार्यक्षमता आवश्यक है। लोगों को सशक्त करने के लिए आवश्यक है कि देश में लोकोन्मुखी नीतियों के साथ-साथ उत्तम शासन व्यवस्था भी हों। इस सन्द्र्भ में देश में निवासित सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से पिछड़े मानवीय समूहों के सशक्तिकरण का विशेष महत्च है।
प्रश्न 4.
विकास की अवधारणा लिखिए तथा स्पष्ट कीजिए कि ‘विकास का केन्द्र बिन्दु मानव होता है।’
उत्तर:
विकास की अवधारणा अनेक दशकों तक किसी देश के विकास के स्तर को केवल आर्थिक वृद्धि के सन्दर्भ में मापा जाता है। इसका अर्थ यह है कि जिस देश की अर्थव्यवस्था जितनी ज्यादा बड़ी होती थी, उसे उतना ही अधिक विकसित माना जाता था। इस मापन की सबसे बड़ी कमी यह थी कि किसी देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था का उस देश में निवासित अधिकांश लोगों के जीवन स्तर में सुधार से कोई सम्बन्ध नहीं था।
मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डॉ. महबूब-उल-हक ने वर्ष 1990 में किया था। इन्होंने मानव विकास सूचकांक का निर्धारण करते हुए इस तथ्य पर बल दिया कि विकास का सम्बन्ध लोगों के विकल्पों में बढ़ोतरी से है ताकि वे आत्म-सम्मान के साथ दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकें। इसी सन्दर्भ में भारतीय अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन का यह मानना है कि ‘विकास का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता में वृद्धि करना है।’
अतः विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तन से है, जो मूल्य सापेक्ष होता है। इसका तात्पर्य यह है कि ‘किसी देश का विकास उस समय तक नहीं हो सकता, जब तक उस देश की वर्तमान दशाओं में सकारात्मक या गुणात्मक वृद्धि न हो।’ विकास का केन्द्र-बिन्दु मानव-वर्ष 1990 में पहली बार पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डों. महबूब-उल-हक ने मानव विकास की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए मानव विकास का वर्णन एक ऐसे विकास के रूप में किया, जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाता है। ये विकल्प स्थिर न होकर परिवर्तनशील होते हैं। विकास का मूल उद्देश्य ऐसी दशाओं को उत्पन्न करना है, जिससे मानवीय विकल्पों को बढ़ावा मिले तथा साथ ही उनके विकास से लोग सार्थक जीवन व्यतीत कर सकें। अतः इस अवधारणा में सभी प्रकार के विकास का केन्द्र-बिन्दु मनुष्य है न कि अर्थव्यवस्था।