Understanding the question and answering patterns through Class 12 Geography Question Answer in Hindi Chapter 3 मानव विकास will prepare you exam-ready.
Class 12 Geography Chapter 3 in Hindi Question Answer मानव विकास
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रथम मानव विकास रिपोर्ट का प्रकाशन कब किया गया ?
(क) 1970
(ग) 1990
(ख) 1980
(घ) 2001
उत्तर:
(ग) 1990
प्रश्न 2.
यू. एन. डी. पी. मानव विकास रिपोर्ट, 2018 में किस देश का मानव सूचकांक मूल्य सर्वाधिक है –
(क) नार्वे
(ग) फ्रांस
(ख) आस्ट्रेलिया
(घ) जर्मनी
उत्तर:
(क) नार्वे
प्रश्न 3.
मानव विकास का मापन किस प्रकार किया जाता है?
(क) गणना द्वारा
(ख) मानव विकास सूचकांक द्वारा
(ग) जनगणना द्वारा
(घ) साक्षरता द्वारा
उत्तर:
(ख) मानव विकास सूचकांक द्वारा
प्रश्न 4.
मानव जनसंख्या की तुलना में संसाधनों के अभाव के विषय में चिन्ता व्यक्त करने
(क) अरस्तु
(ग) स्ट्रेबो वाले प्रथम विद्वान थे
(ख) कोपरनिकस
(घ) माल्थस
उत्तर:
(घ) माल्थस
प्रश्न 5.
“व्यक्तिगत मितव्ययता, सामाजिक धन की न्यासधारिता और अहिंसा एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी है।” यह विचार है-
(क) गांधीजी
(ग) राजेन्द्र प्रसाद
(ख) नेहरूजी
(घ) लाल बहादुर शास्त्री
उत्तर:
(क) गांधीजी
प्रश्न 6.
1974 में प्रकाशित ‘स्माल इज ब्यूटीफुल’ पुस्तक के लेखक हैं –
(क) महात्मा गाँधी
(ख) 1987 में
(ग) शूमाकर
(घ) 2003 में
उत्तर:
(ग) शूमाकर
प्रश्न 7.
बुंडलैंड कमीशन की रिपोर्ट ‘आवर कामन फ्यूचर’ प्रकाशित हुई थी –
(क) 1974 में
(ग) 1997 में
(ख) माल्थस
(घ) ब्रुडलैंड
उत्तर:
(ख) माल्थस
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
केरल का मानव विकास सूचकांक सर्वाधिक होने का क्या कारण है?
उत्तर:
केरल का मानव विकास सूचकांक सर्वाधिक होने का कारण उसकी उच्च साक्षरता दर है।
प्रश्न 2.
यदि साक्षर जनसंख्या का अनुपात बढ़ जाये तो वह किस विकास का सूचक होगा?
उत्तर:
यदि साक्षर जनसंख्या का अनुपात बढ़ जाये तो वह सामाजिक सशक्तिकरण का सूचक होगा।
प्रश्न 3.
स्वस्थ जीवन के दो सूचक लिखिये।
उत्तर:
स्वस्थ जीवन के सूचक
- रोग और पीड़ा से मुक्त जीवन
- उचित दीर्घ आयु।
प्रश्न 4.
मानव विकास के आधारभूत कारक कौनसे हैं ?
उत्तर:
दीर्घ आयु, शिक्षा और आय
प्रश्न 5.
किसी देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य क्या कहलाता है?
उत्तर;
सकल राष्ट्रीय उत्पाद।
प्रश्न 6.
मानव विकास का मापन किसके माध्यम से किया जाता है?
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक द्वारा।
प्रश्न 7.
मानव विकास सूचकांक का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर;
लोगों का कल्याण तथा जीवन स्तर ऊँचा करना।
प्रश्न 8.
मानव विकास के चार पक्ष बताइये।
उत्तर:
आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पक्ष।
प्रश्न 9.
भारत में मानव विकास रिपोर्ट तैयार करने के लिए निर्धारित किए गए सूचक लिखिए।
उत्तर:
- आर्थिक उपलब्धियों के सूचक
- स्वस्थ जीवन के सूचक
- सामाजिक सशक्तिकरण के सूचक।
प्रश्न 10.
भारत का मानव सूचकांक मूल्य कितना है?
उत्तर:
वर्ष 2018 की रिपोर्ट में 0.640 अर्थात् मध्यम मानव विकास दर्शाने वाला मूल्य है।
प्रश्न 11.
विकास का मुख्य लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
विकास का मुख्य लक्ष्य, मानव जीवन की समृद्धि है, अर्थात् दीर्घ और स्वस्थ जीवन, उच्च शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर मानव विकास के प्रमुख तत्त्व हैं।
प्रश्न 12.
मानव विकास सूचकांक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
मानव विकास के मापन के लिए जिन मापकों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें मानव सूचकांक कहते हैं। जैसे— दीर्घ जीवन, साक्षरता आदि ।
प्रश्न 13.
भारत का विश्व के मानव विकास सूचकांक के कोटिक्रम में कौन-सा स्थान है? कौन-सा राज्य भारत के राज्यों के मानव विकास सूचकांक के कोटिक्रम में सर्वोच्च है?
उत्तर:
2018 में भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य 0.640 के साथ विश्व के 189 देशों में से 130वाँ स्थान है। 0.790 सूचकांक मूल्य के साथ भारत में केरल कोटिक्रम में सर्वोच्च है ।
प्रश्न 14.
भारत में सर्वोच्च साक्षरता दर वाले चार राज्यों के नाम बताइये। (2011 की जनगणना के अनुसार)
उत्तर:
- केरल (93.91%)
- मिज़ोरम (91.58%)
- त्रिपुरा (87.75%)
- गोआ (87.40%)।
प्रश्न 15.
देश में सर्वोच्च स्त्री साक्षरता दर रखने वाले तीन केन्द्रशासित प्रदेशों के नाम बताओ (2011 के अनुसार)
उत्तर:
देश में सर्वोच्च स्त्री साक्षरता दर वाले केन्द्रशासित केन्द्र क्रमशः लक्षद्वीप ( 88.25%), अंडमान-निकोबार द्वीप समूह ( 81.34%) व दिल्ली (80.93%) हैं।
प्रश्न 16.
देश में न्यूनतम साक्षरता दर रखने वाले चार राज्य कौनसे हैं ? (2011 के अनुसार)
उत्तर:
- बिहार (63.82%)
- अरुणाचल प्रदेश (66.95%)
- राजस्थान (67.06%)
- झारखण्ड (67.63%)
प्रश्न 17.
भारत में गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्या का सर्वाधिक प्रतिशत रखने वाले चार राज्य कौनसे हैं ?
उत्तर:
- छत्तीसगढ़ (39.93%)
- झारखण्ड (36.96%)
- मणिपुर (36.89%)
- अरुणाचल प्रदेश (34.67%)
प्रश्न 18.
2011 की जनगणना के अनुसार न्यूनतम साक्षरता दर रखने वाले पूर्वी भारत के दो राज्य कौनसे हैं ?
उत्तर:
पूर्वी भारत के अरुणाचल प्रदेश (66.95 प्रतिशत) और मेघालय (7548 प्रतिशत) राज्य में न्यूनतम साक्षरता दर पायी जाती है।
प्रश्न 19.
देश में सर्वोच्च मानव विकास सूचकांक मूल्य रखने वाले तीन राज्य कौनसे हैं ?
उत्तर:
भारत में सर्वोच्च सूचकांक मूल्य रखने वाले राज्य क्रमशः केरल (0.790), दिल्ली (0.750) और हिमाचल प्रदेश (0.652 ) हैं।
प्रश्न 20.
न्यूनतम मानव विकास के लिए कौनसे कारक उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
किसी भी राज्य या राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक कारक, उस क्षेत्र के मानव विकास को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 21.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रस्तुत 1993 की मानव विकास रिपोर्ट के मुख्य मुद्दे कौनसे थे?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की 1993 की मानव विकास रिपोर्ट के प्रमुख मुद्दे लोगों की प्रतिभागिता और उनकी सुरक्षा से सम्बन्धित थे।
प्रश्न 22.
नव-माल्थसवादियों और पर्यावरणविदों ने मानव विकास से सम्बन्धित कौनसा विचार दिया था?
उत्तर:’
इनका विचार था कि एक शांत और प्रसन्नचित्त सामाजिक जीवन के लिए संसाधन व जनसंख्या के बीच उचित सन्तुलन होना चाहिए।
प्रश्न 23.
गरीबी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
गरीबी वंचित रहने की अवस्था है। यह व्यक्ति की सतत, स्वस्थ और उचित जीवन जीने के लिए आवश्यक जरूरतों को संतुष्ट न कर पाने की असमर्थता को प्रतिबिंबित करती है।
प्रश्न 24.
पारिस्थितिक संकट का सबसे प्रमुख कारक कौनसा है?
उत्तर:
पर्यावरणीय प्रदूषण पारिस्थितिक संकट का सर्वप्रमुख कारक है।
प्रश्न 25.
मानव के साझा संसाधनों की त्रासदी का कारण किन्हें माना गया है?
उत्तर;
पर्यावरणीय प्रदूषण अर्थात् वायु, मृदा, जल और ध्वनि प्रदूषण मानव के साझा संसाधनों की त्रासदी का कारण बन गए हैं।
प्रश्न 26.
किसी भी देश में संसाधन आधार का माप किसे माना जाता है?
उत्तर:
किसी भी देश में सकल घरेलू उत्पादन और इसकी प्रति व्यक्ति उपलब्धता को ही संसाधन आधार / अक्षयनिधि का माप माना जाता है।
प्रश्न 27.
भारत में मानव विकास रिपोर्ट किसके द्वारा तैयार की जाती है?
उत्तर:
भारत के योजना आयोग द्वारा राज्य व केन्द्रशासित प्रदेशों को विश्लेषण की इकाई मानकर मानव विकास रिपोर्ट तैयार की जाती है।
प्रश्न 28.
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत के लिए विकास क्या है?
उत्तर:
वर्तमान समय में भारत के लिए विकास अवसरों के साथ-साथ उपेक्षाओं और वंचनाओं का मिला-जुला थैला है।
प्रश्न 29.
अल्पावधि में किये गये विकास के क्या दुष्परिणाम होते हैं?
उत्तर:
अल्पावधि में किया गया विकास बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक निम्नीकरण के साथ अनेक व्यक्तियों के लिए गरीबी और कुपोषण लाता है।
प्रश्न 30.
विकास की यूरोप- केंद्रित विचारधारा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वर्तमान समय में कंप्यूटरीकरण, औद्योगीकरण, सक्षम परिवहन व संचार तंत्र, उन्नत शिक्षा प्रणाली, आधुनिक चिकित्सा सुविधायें, वैयक्तिक सुरक्षा आदि को ही विकास मानना, यूरोप केंद्रित विकास की विचारधारा का मूलाधार हैं।
प्रश्न 31.
देश के किन राज्यों में 30 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे पायी जाती है?
उत्तर:
छत्तीसगढ़, झारखण्ड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा ।
प्रश्न 32.
देश में निर्धनता के अधिक होने का क्या कारण है?
उत्तर:
भारत में बिना रोजगार की आर्थिक वृद्धि और अनियमित बेरोजगारी गरीबी या निर्धनता के अधिक होने के महत्त्वपूर्ण कारण हैं।
प्रश्न 33.
मानव विकास की कुंजी किसे कहा गया है?
उत्तर:
समृद्ध संसाधन आधार और इन संसाधनों तक सभी वर्गों के लोगों की पहुँच, जिसके कारण भूख, गरीबी, दासता, अज्ञानता, निरक्षरता जैसी प्रबलताओं से मुक्ति ही मानव विकास की कुंजी है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित साक्षरता दर वर्ष 2011 को राज्यों से सुमेलित कीजिए।
(i) 63.82 | (a) राजस्थान |
(ii) 66.95 | (b) केरल |
(iii) 93.91 | (c) अरुणाचल प्रदेश |
(iv) 67.06 | (d) बिहार |
उत्तर:
सुमेलित राज्य निम्न प्रकार हैं –
(i) 63.82 | (d) बिहार |
(ii) 66.95 | (c) अरुणाचल प्रदेश |
(iii) 93.91 | (b) केरल |
(iv) 67.06 | (a) राजस्थान |
प्रश्न 2.
यदि आपको दिल्ली में निवास करना पड़े तो आपके सामने आने वाली किन्हीं चार समस्याओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:
यदि हमें दिल्ली में निवास करना पड़े तो हमारे सामने निम्न चार समस्याएँ आयेंगी-
- झुग्गी और गन्दी बस्तियों के गुच्छ पाए जाते हैं।
- ट्रैफिक जाम एवं अत्यधिक भीड़भाड़ की अत्यधिक समस्या है।
- अत्यधिक अपराधिक घटनाएँ घटित होती हैं।
- प्रदूषित जल एवं वायु तथा ध्वनि प्रदूषण की प्रमुख समस्या पाई जाती है।
प्रश्न 3.
निर्धनों में सामर्थ्य की गिरावट के लिए कौन-सी अंतर्सम्बन्धित प्रक्रियाएँ कार्यरत हैं?
उत्तर:
निर्धनों में सामर्थ्य की गिरावट के लिए निम्न तीन अंतर्सम्बन्धित प्रक्रियाएँ कार्यरत हैं –
- विस्थापन एवं दुर्बल होते सामाजिक बंधनों के कारण सामाजिक सामर्थ्य में कमी।
- विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों यथा जल, वायु, ध्वनि, मृदा आदि के कारण पर्यावरणीय सामर्थ्य में कमी।
- तीव्र गति से बढ़ती हुई बीमारियों एवं दुर्घटनाओं के कारण व्यक्तिगत सामर्थ्य में कमी।
इन तीनों अन्तर्सम्बन्धित प्रक्रियाओं का निर्धनों के जीवन की गुणवत्ता एवं मानव विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 4.
मानव विकास क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
अग्रलिखित कारणों से मानव विकास आवश्यक है –
- मानव विकास उच्चतम उत्पादकता का साधन है और स्वस्थ, शिक्षित एवं सचेत श्रमिक ही अधिक उत्पादन करने में सक्षम होते हैं।
- मानव विकास द्वारा पर्यावरणीय प्रदूषण जैसे जल, वायु, मृदा एवं ध्वनि प्रदूषण आदि के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
- मानव विकास निर्धनता को मिटाकर सभ्य एवं स्वस्थ समाज का निर्माण करता है।
- मानव विकास से अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों की प्राप्ति सम्भव है।
- मानव विकास लोकतंत्र व समाज की स्थिरता को बढ़ाता है।
प्रश्न 5.
भारत की आर्थिक उपलब्धियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कारक बतलाइये।
उत्तर:
आर्थिक विकास मानव विकास का अभिन्न अंग है। आर्थिक विकास के अभाव में किसी भी प्रकार का मानव विकास सम्भव नहीं है। लेकिन कई कारक ऐसे हैं जो भारत के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं भारत की आर्थिक उपलब्धियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले महत्त्वपूर्ण कारकों में गरीबी, अवसर विहीनता, कुपोषण, निरक्षरता, अनेक प्रकार के सामाजिक पूर्वाग्रहों के अलावा वृहत् स्तर पर मिलने वाली सामाजिक वितरण, अन्याय तथा प्रादेशिक विषमताएँ आदि सम्मिलित हैं।
प्रश्न 6.
आर्थिक विकास किस प्रकार मानव विकास सूचकांक पर सार्थक प्रभाव डालता है? उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
आर्थिक विकास मानव विकास का अभिन्न अंग है। आर्थिक विकास के बिना किसी भी प्रकार का मानव विकास संभव नहीं है। अतः जिस देश अथवा राज्य का आर्थिक विकास अधिक होगा उस देश अथवा राज्य का मानव विकास सूचकांक भी अधिक होगा। उदाहरण के लिए आर्थिक दृष्टि से विकसित महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों के मानव विकास सूचकांक का मूल्य असम, बिहार व मध्यप्रदेश आदि राज्यों की ऊँचा है।
प्रश्न 7.
“मानव विकास सूचकांक एक मिश्रित “संकेतक है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विकास एक प्रकार की स्वतन्त्रता है, जिसका सम्बन्ध प्रायः आधुनिकीकरण, सुविधा, अवकाश और समृद्धि से माना जाता है। जीवन की गुणवत्ता और जन-कल्याण के स्तर का मापन कठिन है, किन्तु इस दिशा में सर्वाधिक व्यवस्थित प्रयास संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा किया गया है। यू. एन. डी. पी. ने 1990 में प्रथम मानव विकास रिपोर्ट (HDI) का प्रकाशन किया जो दीर्घ जीविता, ज्ञान आधार, उच्च जीवन स्तर जैसे संकेतों से युक्त एक मिश्रित संकेतक का रूप है। यह रिपोर्ट मूलतः मानव विकास के विविध आयामों का मापन है।
प्रश्न 8.
मानव विकास के मापन हेतु आप किन सूचकों का उपयोग करेंगे?
अथवा
मानव के विकास को मापने के लिए कौन-से सूचक प्रयोग में लिए जाते हैं?
उत्तर:
यद्यपि मानवीय विकास का मात्रात्मक मापन कठिन है, फिर भी मानव विकास को मापने के लिए निम्न संकेतक प्रयोग में लिए जाते हैं-
- जीवन प्रत्याशा = मानव के जीवित रहने की सम्भावना का समय।
- सामाजिक सूचक = साक्षरता, स्त्री शिक्षा आदि।
- आर्थिक सूचक = उत्पादकता, प्रति व्यक्ति आय, रोजगार, सकल घरेलू उत्पाद आदि।
- स्वास्थ्य सम्बन्धी सूचक = जन्म दर मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, पोषण, लिंगानुपात आदि।
प्रश्न 9.
मानव विकास क्या है? समझाइये।
उत्तर:
” मानव विकास, स्वस्थ भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।” इस प्रकार लोगों के विभिन्न प्रकार के विकल्पों की श्रेणी में विस्तार मानव विकास का सर्वाधिक सार्थक पक्ष है। लोगों के विकल्पों में अनेक प्रकार के अन्य मुद्दे हो. सकते हैं। किंतु इनमें दीर्घ और स्वस्थ जीवन जीना, शिक्षित होना और राजनीतिक स्वतंत्रता, गारंटीकृत मानवाधिकारों और व्यक्तिगत आत्मसम्मान से युक्त शिष्ट जीवन स्तर के लिए आवश्यक संसाधनों तक पहुँच जैसे मुद्दे ज्यादा महत्त्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 10.
विकास का एक अन्य अन्तर संबंधित पक्ष भी है जिसका निम्नतर मानवीय दशाओं से सीधा सम्बन्ध है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
विकास का एक अन्य अंतर संबंधित पक्ष भी है जिसका निम्नतर मानवीय दशाओं से सीधा सम्बन्ध है। यह पक्ष पर्यावरणीय प्रदूषण से सम्बन्धित है जो पारिस्थितिक संकट का कारक है। वर्तमान में वायु, मृदा, जल और ध्वनि प्रदूषण न केवल ‘हमारे साझा संसाधनों की त्रासदी’ का कारण बने हैं बल्कि हमारे समाज के अस्तित्व के लिए भी खतरा बन गए हैं। इसके कारण निर्धनों में सामर्थ्य के गिरावट के लिए तीन अंतर्संबंधित प्रक्रियाएँ कार्यरत हैं –
- विस्थापन और दुर्बल होते सामाजिक बंधनों के कारण सामाजिक सामर्थ्य में कमी
- प्रदूषण के कारण पर्यावरणीय सामर्थ्य में कमी और
- बढ़ती बीमारियों और दुर्घटनाओं के कारण व्यक्तिगत सामर्थ्य में कमी। अंततः लोगों के जीवन की गुणवत्ता और मानव विकास पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इस प्रकार पर्यावरणीय प्रदूषण का निम्नतर मानवीय दशाओं से सीधा सम्बन्ध है।
प्रश्न 11.
भारत में जन्म दर व मृत्यु दर में 1951 के पश्चात् क्या परिवर्तन हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं, पर्याप्त पोषण, व्यक्तियों की सुरक्षा आदि सुविधाओं की उपलब्धताओं के कारण देश में 1951 के पश्चात् 2015 तक जन्म व मृत्यु दरों की प्रवृत्तियों में भिन्नता आयी है, जैसे -1951 में मृत्यु दर 25.1 प्रतिशत थी, जो 2015 में घटकर 6.5 प्रति हजार हो गयी, शिशु मृत्यु दर 148 प्रति हजार से 37 प्रति हजार तक पहुँच गयी। इसी प्रकार 1951 से 2015 की अवधि में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा पुरुषों के लिए 37.1 वर्ष से 66.9 वर्ष तथा स्त्रियों के लिए 36.2 वर्ष से 70 वर्ष हो गई है और जन्म दर 40.8 से घटकर 20.8 प्रतिशत तक हो गयी है।
प्रश्न 12.
भारत में साक्षरता से संबन्धित तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
भारत में साक्षरता से संबन्धित विशेषताएँ निम्न प्रकार से हैं –
- 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल साक्षरता लगभग 74.04% थी जबकि स्वी साक्षरता 65.46% रही।
- दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में कुल साक्षरता और महिला साक्षरता राष्ट्रीय औसत से ऊँची रही।
- भारत के राज्यों में साक्षरता दर में व्यापक प्रादेशिक असमानता पाई जाती है। यहाँ बिहार जैसे राज्य भी हैं, जहाँ बहुत कम (63.82% ) साक्षरता थी और केरल एवं मिजोरम जैसे राज्य भी हैं, जिनमें साक्षरता दर क्रमश: 93.91% और 91.58% तक रही।
प्रश्न 13.
मानव विकास की आवश्यकता क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर;
सामान्यतः लोगों के रहन-सहन के स्तर और इनके कल्याण के लिए आवश्यक दशाओं को बढ़ाना ही विकास होता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विकास की आवश्यकता कई कारणों से है, जैसे-
- मानव विकास उच्चतम उत्पादकता का साधन है; क्योंकि स्वस्थ, शिक्षित व सतर्क श्रमिक अधिक उत्पादन करने में समर्थ होते हैं।
- मानव विकास भौतिक पर्यावरण का हितैषी है। इसके द्वारा पर्यावरणीय प्रदूषण (जल, वायु, मृदा व ध्वनि प्रदूषण), मरुस्थलीकरण, मृदा अवनयन जैसे नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
- सुधरी मानवीय दशा और घटती गरीबी सभ्य और स्वस्थ समाज का निर्माण कर लोकतन्त्र तथा सामाजिक स्थिरता को बढ़ाती है।
अतः मानव विकास केवल अर्थव्यवस्था के विकास से सम्बन्धित न होकर, मानव के सम्पूर्ण विकास से सम्बन्ध रखता है।
प्रश्न 14.
आर्थिक विकास और मानव विकास में क्या अन्तर है?
उत्तर:
आर्थिक विकास, मानव विकास का ही एक अंग है, जिसमें मानव की आय के स्रोत बढ़ाने पर ही मुख्य रूप से बल दिया जाता है, जबकि मानव विकास जन- कल्याण के लिए मानवीय विकल्पों – सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास के परिवर्तन पर बल देता है। चूंकि किसी भी राष्ट्र की वास्तविक सम्पदा उसके लोग होते हैं। अतः किसी भी प्रकार के विकास के लिए आर्थिक विकास अनिवार्य है, परन्तु विकास का मुख्य लक्ष्य मानव जीवन की समृद्धि ही होना चाहिए।
प्रश्न 15.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की 1993 की मानव विकास रिपोर्ट की मुख्य विशेषता क्या थी?
उत्तर:
1993 की संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रस्तुत मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार “प्रगामी लोकतंत्रीकरण और बढ़ता लोक सशक्तीकरण मानव विकास की न्यूनतम दशाएँ हैं।” इस रिपोर्ट में आगे यह भी उल्लेख था कि “विकास लोगों को केन्द्र में रखकर किया जाना चाहिए न कि विकास को लोगों के बीच में रखकर” जैसा कि पहले होता था।
प्रश्न 16.
मानव विकास की प्रकृति का निर्धारण किन कारकों द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक में निम्न स्कोर अल्प विकास को बतलाता है। मानव विकास सूचकांक कई सूचक पर आधारित होता है। मानव विकास की प्रकृति को निर्धारित करने में मुख्यतः ऐतिहासिक कारक (जैसे-उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद व नव-साम्राज्यवाद ), सामाजिक-सांस्कृतिक कारक (जैसे-प्रजाति, धर्म, लिंग एवं जाति के आधार पर भेदभाव आदि), सामाजिक समस्याओं संबन्धी कारक (जैसे- (अपराध, आतंकवाद तथा युद्ध) तथा राजनैतिक कारक (जैसे- राज्य की प्रकृति, सरकार का स्वरूप तथा सशक्तिकरण का अभाव) निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 17.
” भारत के लिए विकास अवसरों के साथ- साथ उपेक्षाओं व वंचनाओं का मिला-जुला थैला है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत के लिए विकास अवसरों के साथ-साथ उपेक्षाओं एवं वंचनाओं का मिला-जुला थैला है। भारत में विकास अवसरों में अनेक स्थानिक व वर्गीय विविधताएँ देखने को मिलती हैं। यहाँ महानगरीय केन्द्रों और अन्य विकसित अंतर्वेश (इनक्लेव) जैसे कुछ क्षेत्र हैं जहाँ इनकी जनसंख्या के एक छोटे से खंड को आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। दूसरे छोर पर विशाल ग्रामीण क्षेत्र और नगरीय क्षेत्रों की गंदी बस्तियाँ हैं जिनमें पेयजल, शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाएँ और अवसंरचना इनकी अधिकांश जनसंख्या के लिए उपलब्ध नहीं है।
इसी प्रकार यदि हमारे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच विकास के अवसरों का वितरण देखा जाए तो इसमें भी भिन्नताएँ पायी जाती हैं। यहाँ अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों, करीब किसानों और गंदी बस्तियों में बड़ी संख्या में रहने वाले लोगों इत्यादि का बड़ा समूह सर्वाधिक हाशिए पर है। स्वी जनसंख्या का बड़ा भाग इन सबमें से सबसे ज्यादा कष्टभोगी है। वर्षों से हो रहे विकास के बाद भी सीमांत वर्गों में से अधिकांश की सापेक्षिक के साथ-साथ निरपेक्ष दशाएँ भी बदतर हुई हैं। परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग पतित, निर्धनतापूर्ण और अवमानवीय दशाओं में जीने को विवश हैं।
प्रश्न 18.
मानव विकास सूचकांक को प्रभावित करने वाले कारक कौनसे हैं? भारत का उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के मापन के लिए जिन मापकों का प्रयोग किया जाता है, उसे मानव सूचकांक कहा जाता है। मानव विकास सूचकांक को मुख्यतः सामाजिक और आर्थिक विकास प्रभावित करते हैं। भारत में 2011 में शत प्रतिशत के आसपास ( 93.91 प्रतिशत) साक्षरता दर प्राप्त करने व पुरुष तथा स्त्री साक्षरता के मध्य कम अंतर के कारण केरल मानव विकास सूचकांक मूल्य में सर्वोच्च स्थान पर है, जबकि निम्न साक्षरता दर ( 63.82 प्रतिशत) के कारण बिहार निम्नतम स्तर पर है। इसी प्रकार आर्थिक दृष्टि से अविकसित राज्यों जैसे- बिहार, असम, मध्यप्रदेश आदि का मानव विकास सूचकांक मूल्य, विकसित राज्यों जैसे महाराष्ट्र, आदि की तुलना में बहुत कम है।
प्रश्न 19.
जनसंख्या संसाधनों और विकास के मध्य संघर्ष और अंतर्विरोध के प्रमुख कारण कौनसे हैं ?
उत्तर:
विकास के लिए संसाधनों की उपलब्धता के स्थान पर इनका सामाजिक वितरण अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। विश्व में संसाधनों का असमान वितरण पाया जाता है। समृद्ध देशों व लोगों की इन संसाधन भण्डारों तक आसानी से पहुँच है, जबकि निर्धनों के संसाधन सिकुड़ते जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त समृद्ध देशों द्वारा अपनी प्रौद्योगिकी व उन्नत तकनीकों के माध्यम से अधिक से अधिक संसाधनों पर नियंत्रण करने के लिए किए गये प्रयास और इनका अपनी असाधारण विशेषता को प्रदर्शित करने के लिए किया गया प्रयोग ही जनसंख्या संसाधनों और विकास के बीच संघर्ष और अंतर्विरोधों का प्रमुख कारण है।
प्रश्न 20.
गाँधीजी द्वारा विकास सम्बन्धित विचारों को किन रिपोर्ट्स में शामिल किया गया है?
उत्तर:
गांधीजी ने जनसंख्या संसाधन और विकास के बीच संतुलन और समरसता पर बल दिया था। उनके अनुसार व्यक्तिगत मितव्ययता, सामाजिक धन की न्यासधारिता और अहिंसा एक व्यक्ति और राष्ट्र के उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने की कुंजी है। गांधीजी के इन विचारों को क्लब ऑफ रोम की रिपोर्ट ‘लिमिट्स टू ग्रोथ’ (1972), शूमाकर की पुस्तक ‘स्माल इज ब्यूटीफुल’ (1974), बुंडलैंड कमीशन की रिपोर्ट ‘ओवर कामन फ्यूचर’ (1987) और ‘एजेंडा – 21 रिपोर्ट ऑफ द रियो कान्फेरेंस’ (1993) में शामिल किया गया है।
प्रश्न 21.
स्वच्छ भारत मिशन पर टिप्पणी लिखिए। स्वच्छ भारत मिशन
उत्तर:
कारखानों से निकलने वाले विषैले और जैविक क्रियाओं से नष्ट न हो पाने वाले कचरे, शहरों के सीवर तथा खुले में शौच आदि के कारण स्वास्थ्य सम्बन्धित बहुत समस्याओं का समाधान करने के लिए बहुत से कदम उठाए हैं, स्वच्छ भारत मिशन उनमें से एक है। खतरे पैदा हुए हैं। भारत सरकार ने इन भारत सरकार ने देश को प्रदूषण रहित बनाने के विचार से स्वच्छ भारत अभियान चलाया है, जिसके उद्देश्य निम्न हैं –
- स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य देश को खुले में शौच से मुक्ति और नगर निगम के शत-प्रतिशत ठोस कचरे का वैज्ञानिक तरीके से उचित प्रबन्धन, घरों में शौचालय, सामुदायिक शौचालय, सार्वजनिक शौचालय का निर्माण है।
- ग्रामीण भारत में घरों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए साफ ईंधन के तौर पर एल. पी. जी. को सुलभ करना।
- जल से होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए प्रत्येक घर में पीने लायक जल की व्यवस्था करना।
- अपरम्परागत ईंधन के स्रोत, जैसे-पवन तथा सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में विकास के अवसरों का वितरण समान नहीं है, उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विकास एक प्रकार की स्वतंत्रता है, जिसका सम्बन्ध प्रायः आधुनिकीकरण, सुविधा और समृद्धि से जुड़ा माना जाता है। समृद्ध संसाधन आधार और इन संसाधनों तक सभी वर्ग के व्यक्तियों की पहुँच, उत्पादकता, जन – कल्याण के साथ भूख, गरीबी, अज्ञानता, दासता और निरक्षरता जैसे नकारात्मक पक्षों से मुक्ति को ही मानव विकास की कुंजी माना जाता है। वर्तमान समय में पश्चिमी विचारधारा के आधार पर औद्योगीकरण, सक्षम परिवहन व संचार व्यवस्था, विस्तृत शिक्षा प्रणाली, उन्नत और आधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ, वैयक्तिक सुरक्षा आदि को विकास का प्रतीक समझा जाता है और प्रत्येक व्यक्ति, समुदाय और सरकार अपने विकास स्तर को इन वस्तुओं की उपलब्धता तथा गम्यता के संदर्भ में आंकलित करते हैं।
किन्तु भारत जैसे उत्तर उपनिवेशी देश में उपनिवेशवाद, सीमांतीकरण, सामाजिक भेदभाव और प्रादेशिक असमानता आदि विकास का अलग रूप बताते हैं। इस प्रकार भारत के लिए विकास अवसर के साथ उपेक्षाओं व वंचनाओं का मिश्रित रूप है। यहाँ महानगरीय केन्द्रों और अन्य विकसित अंतर्वेशी क्षेत्रों में जनसंख्या के एक छोटे से अंश को तो सभी आधुनिक सुविधायें उपलब्ध हैं; परन्तु विशाल ग्रामीण क्षेत्रों और नगरीय गंदी बस्तियों में पेयजल, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाओं का भी अभाव है। इसी प्रकार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों, गरीब किसान, स्त्री जनसंख्या और गंदी बस्तियों में रहने वाले लोग निर्धनतापूर्ण और अमानवीय दशाओं में जीने को विवश हैं।
अतः स्पष्ट है कि देश में विकास के अवसरों का वितरण सर्वत्र समान नहीं है। जिस कारण वर्तमान विकास सामाजिक अन्याय, जीवन की गुणवत्ता और मानव विकास में गिरावट, पारिस्थितिक संकट के साथ सामाजिक अशांति का कारण बनता जा रहा है।
प्रश्न 2.
मानव विकास के संदर्भ में जनसंख्या, पर्यावरण और विकास के सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या, पर्यावरण और विकास मानव विकास विशेष रूप से सामाजिक विज्ञानों में प्रयुक्त होने वाली एक जटिल संकल्पना है, क्योंकि युगों से यही माना जा रहा है कि यदि एक बार विकास प्राप्त कर लिया गया, तो यह समाज की सभी सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय समस्याओं का निदान भी हो जाएगा। यद्यपि विकास ने मानव जीवन की गुणवत्ता में महत्त्वपूर्ण सुधार किये हैं किन्तु विकास के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में प्रादेशिक विषमताएँ सामाजिक असमानताएँ, भेदभाव, लोगों का विस्थापन, मानवाधिकारों पर आघात और मानवीय मूल्यों का विनाश तथा पर्यावरणीय निम्नीकरण भी बढ़ा है।
इन समस्याओं की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए UNDP ने अपनी 1993 की मानव विकास रिपोर्ट में विकास की अवधारणा में लोगों की प्रतिभागिता और उनकी सुरक्षा को प्रमुख स्थान प्रदान किया। इसमें मानव विकास की न्यूनतम दशाओं के रूप में उत्तरोत्तर लोकतंत्रीकरण और लोगों के बढ़ते सशक्तीकरण पर बल दिया गया। इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि वर्तमान नाभिकीय विश्व में शान्ति और मानव कल्याण दो प्रमुख वैश्विक चिन्ताएँ हैं।
दूसरी ओर नव-माल्थसवादियों, पर्यावरणविदों और आमूलवादी पारिस्थितिकविदों का मानना है कि एक प्रसन्नचित एवं शांत सामाजिक जीवन के लिए जनसंख्या और संसाधनों के बीच उचित संतुलन रहना अति आवश्यक है। विगत 300 वर्षों में विश्व के संसाधनों में बहुत थोड़ी वृद्धि हुई है। जबकि मानव जनसंख्या में विपुल वृद्धि हुई है। इन विचारकों के अनुसार विकास का प्रमुख उद्देश्य जनसंख्या तथा संसाधनों के मध्य संतुलन को कायम रखना होना चाहिए।
इस प्रकार स्पष्ट है कि संसाधनों की उपलब्धता का होना उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है, जितना कि उनका सामाजिक वितरण । समृद्ध देशों और लोगों की संसाधनों के विशाल भंडारों तक ‘पहुँच’ है जबकि निर्धन राष्ट्रों के संसाधन कम होते जा रहे हैं। इसके अलावा शक्तिशाली लोगों द्वारा अधिक से अधिक संसाधनों पर नियंत्रण करने के लिए किए गए अनंत प्रयत्नों और उनका अपनी असाधारण विशेषता को प्रदर्शित करने के लिए प्रयोग करना ही जनसंख्या संसाधनों और विकास के बीच संघर्ष और अंतर्विरोधों का प्रमुख कारण है।
प्रश्न 3.
भारत में मानव विकास सूचकांक पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की 2018 की मानव विकास रिपोर्ट में भारत को मध्यम विकास दर्शाने वाले देशों की श्रेणी में रखा गया है। विश्व के 189 देशों में 0.640 संयुक्त सूचकांक मूल्य के साथ भारत 130वें स्थान पर है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा चुने गए सूचकों का प्रयोग करते हुए भारत के योजना आयोग ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को विश्लेषण की इकाई मानकर, भारत के लिए मानव विकास रिपोर्ट तैयार की है। भारत के विभिन्न राज्यों के आर्थिक व सामाजिक विकास की पृष्ठभूमि पर आधारित इस रिपोर्ट में केरल ने 0.790 संयुक्त सूचकांक मूल्य के साथ सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है।
इसके बाद क्रमश: दिल्ली (0.750), हिमाचल प्रदेश (0.652), गोवा (0.617) और पंजाब (0.605) का स्थान है। केरल के मानव विकास सूचकांक का उच्चतम मूल्य यहाँ पुरुष व स्त्री साक्षरता के मध्य कम अंतर (1.93 प्रतिशत) तथा शत प्रतिशत के आसपास (93.91 प्रतिशत) साक्षरता दर को प्राप्त करने के लिए किए गए प्रभावी कार्यों के कारण है, जबकि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा में उच्च मानव विकास सूचकांक मूल्य का कारण इनका आर्थिक रूप से अत्यधिक विकसित होना है।
इनके विपरीत बिहार (0367), ओडिशा ( 0.362), और छत्तीसगढ़ (0.358) जैसे राज्यों का मानव विकास सूचकांक मूल्य न्यूनतम है। इन राज्यों में कुल साक्षरता दर बहुत निम्न होने के साथ पुरुष व स्त्री साक्षरता के मध्य अंतर भी अधिक है। इसके साथ आर्थिक रूप से अविकसित राज्य होने के कारण इन राज्यों में मानव विकास सूचकांक मूल्य निम्नतम है।
प्रश्न 4.
स्वस्थ जीवन के सूचक से क्या अभिप्राय है ? भारत के सन्दर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
स्वस्थ जीवन के सूचक किसी भी राज्य या राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक को निर्धारित करने वाले सूचकों में से एक महत्त्वपूर्ण सूचक है। रोग और पीड़ा से मुक्त जीवन और उचित दीर्घ आयु एक स्वस्थ जीवन के आधार होते हैं। एक स्वस्थ और लम्बे जीवन के लिए कई कारक उत्तरदायी होते हैं। सामान्यतः शिशु मृत्यु और माताओं में प्रजननोत्तर मृत्यु दर को घटाने के उद्देश्य से पूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, वृद्धों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ, पर्याप्त पोषण और व्यक्तियों की सुरक्षा एक स्वस्थ और लंबे जीवन के कुछ महत्त्वपूर्ण माप होते हैं।
भारत में वर्ष 1951-2015 के दौरान कुछ स्वास्थ्य सूचकों के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये गए हैं, जैसे –
- मृत्यु दर का घटना मृत्यु दर 1951 में 25.1 प्रतिशत थी, जो उन्नत और आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की उपस्थिति के कारण 2015 में घटकर 6.5 प्रति हजार हो गई।
- 1951 में देश में शिशु मृत्यु दर 148 प्रति हजार थी, जो 2015 में घटकर 37 प्रति हजार तक पहुँच गयी।
- इसी प्रकार 1951 से 2015 की अवधि में जीवन प्रत्याशा में भी वृद्धि हुई है। 1951 में पुरुषों के लिए यह 37.1 वर्ष तथा स्त्रियों के लिए 36.2 वर्ष थी जो 2015 में बढ़कर क्रमश: 66.9 वर्ष और 70 वर्ष तक हो गयी हैं।
- इसी प्रकार इसी अवधि ( 1951 से 2015) के दौरान भारत में जन्म दर 40.8 से घटकर 20.8 तक हो गई है।
- इसके विपरीत सामाजिक दृष्टिकोण और लिंग निर्धारण की वैज्ञानिक विधियों के कारण भारत में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों का लिंगानुपात सभी राज्यों में (केरल को छोड़कर) घटा है। 2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब व हरियाणा जैसे विकसित राज्यों में यह अनुपात प्रति हजार बालकों की संख्या पर 850 बालिकाओं से भी नीचे है।