Students can find the 11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 9 भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 9 भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?
Class 11 Hindi Chapter 9 Question Answer Antra भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?
प्रश्न 1.
पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि ‘इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए, वही बहुत कुछ है’-क्यों कहा गया है?
उत्तर :
लेखक द्वारा इस कथन के कहे जाने के पीछे यह कारण है कि इस देश के अधिकांश लोग काम से जी चुराते हैं। वे आलस्य में डूबे रहते हैं। यहाँ बेरोज़गारों की भारी भीड़ है। इस देश की तरक्की तभी हो सकती है, जब यहाँ के लोगों का निकम्मापन दूर हो। जो लोग हाथ आए अवसर का लाभ नहीं उठाते हैं और अपना समय व्यर्थ की गपशप में बिता देते हैं, वे आलस्य करते हुए भाग्यवाद में आस्था रखते हैं। इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है।
प्रश्न 2.
‘जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो।’ वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है
उत्तर :
लेखक ने ऐसे समाज की कल्पना की है, जहाँ बहुत सारे लोग एक स्थान पर एकत्रित होते हैं तथा उत्साह के साथ आपस में मिलते-जुलते हैं। ऐसे समाज के लोग जाति, धर्म, राज्य, भाषा, संप्रदाय आदि भेदभावकारी तत्वों को महत्व न देकर एकता का परिचय देते हैं।
प्रश्न 3.
‘जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजिन के नहीं चल सकती, ठीक उसी प्रकार हिंदुस्तानी लोगों को कोई चलाने वाला हो’ से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर :
लेखक ने हिंदुस्तानी लोगों की रेलगाड़ी से तुलना की है। इसका कारण यह है कि इस रेलगाड़ी का इंजन विदेशी है। रेलगाड़ी में तरह-तरह के डिब्बे होते हैं, परंतु इन्हें चलाने के लिए इंजन की ज़रूरत होती है। इसी तरह भारत में जाति, धर्म, भाषा तथा जलवायु के आधार पर अलग-अलग मतों के व्यक्ति हैं। उन्हें एक सूत्र में बाँधने के लिए कठोर प्रशासन की ज़रूरत है। भारतीय लंबे समय तक पराधीन रहे, इस कारण शासन करने की क्षमता के बारे में उन्हें खुद पर विश्वास नहीं होता। उनमें नेतुत्व का अभाव है।
प्रश्न 4.
देश की सब प्रकार से उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए, उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
देश की सब प्रकार से उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने निम्नलिखित उपाय बताए हैं :
(क) भारतीयों को कुएँ के मेढक या काठ के उल्लू बनने की प्रवृत्ति छोड़नी होगी।
(ख) भारतीयों को आत्मनिर्भर बनना होगा। आत्मनिर्भर होने से उनमें आत्मविश्वास पैदा होगा। वे दूसरों की तरफ ताकना बंद कर देंगे।
(ग) भारतीयों को व्यक्तिगत सुखों को त्यागना होगा। उन्हें धन, मान आदि को छोड़कर देश-हित में लगना होगा।
(घ) भारत में अनेक कुरीतियाँ व्याप्त हैं। उन्हें दूर करने के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना होगा। ज्ञान से समाज में अंधविश्वास दूर होंगे।
प्रश्न 5.
लेखक जनता से मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्यों करता है?
उत्तर :
लेखक जनता से आग्रह करता है कि मत-मतांतर को छेड़ दें तथा आपस में प्रेम बढ़ाएँ। हिंदुस्तान में रह रहे हर व्यक्ति को एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए। चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान। इस तरीके से देश की उन्नति होगी तथा हर तरफ समृद्धि फैलेगी।
प्रश्न 6.
आज देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में नीचे दिए गए वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए :
‘जैसे हज्ञार धारा होकर गंगा समुद्र में मिली है, वैसे ही तुम्हारी लक्ष्मी हज़ार तरह से इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती हैं।’
उत्तर :
लेखक के इस वक्तव्य का औचित्य अंग्रेज़ी शासन में था। उस समय भारत से धन का निष्कासन विभिन्न रूपों में होता था। बदले में भारत में दरिद्रता का साम्राज्य फैल रहा था। आज स्थिति दूसरी है। आज हम अपनी शर्तों पर व्यापार करते हैं। हम उन्हीं चीज़ों का आयात करते हैं, जो हमारे लिए बेहद आवश्यक हैं। इसके अतिरिक्त आज हमें अपने धन के निष्कासन को रोकने का अधिकार भी है।
प्रश्न 7.
आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है? कोई चार उदाहरण तर्क सहित दीजिए।
उत्तर :
देश की उन्नति निम्नलिखित प्रकार से संभव है :
(क) देश की अंधाधुंध बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण करना चाहिए। अधिक जनसंख्या विकास की गति को खत्म कर देती है।
(ख) देश में साक्षरता बढ़ानी होगी। साक्षर होने से नागरिकों की उन्नति तेज़ी से होगी।
(ग) देशवासियों में कार्य करने की प्रवृत्ति का विकास करना होगा। उन्हें जापानियों तथा चीनियों की तरह अपनी कार्य-क्षमता को बढ़ाना होगा।
(घ) भारत में जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र आदि के नाम पर भेद रहता है। उन्हें भूलकर सभी को एक होना होगा, तभी उन्नति होगी।
प्रश्न 8.
भाषण की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि पाठ ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ एक भाषण है।
उत्तर :
भाषण की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं :
(क) भाषण में संबोधन शैली का प्रयोग किया जाता है।
(ख) भाषण में जिज्ञासा भाव की प्रमुखता होती है।
(ग) रोचक प्रसंगों का वर्णन किया जाता है, जिनपर श्रोता तालियाँ बजाते हैं।
(घ) भाषण के दौरान भावों का प्रवाह होता है।
इस पाठ में लेखक ने भारतीयों की कमियों को बताते हुए ब्रिटिश शासन की अक्षमता पर कड़ा प्रहार किया है। लेखक ने भारतीयों के निकम्मेपन, जाहिलता, मत-मतांतरों में बँटे रहने पर कटाक्ष किया है। इसके अलावा देशवासियों से एकजुट होकर आलस्य त्यागकर भारत की उन्नति में योगदान देने का आह्वान किया है।
प्रश्न 9.
‘अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो’ से लेखक का क्या तात्पर्य है? वर्तमान संदर्भों में इसकी प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
लेखक के इस कथन का तात्पर्य यह है कि अपनी भाषा के विकास से ही देश की उन्नति होगी, क्योंकि देश की अधिकांश जनसंख्या अपनी भाषा को ही समझती है। वह विदेशी भाषा को समझने में सक्षम नहीं है। इससे समय, धन व श्रम का अपव्यय होता है। आज के संदर्भ में इसकी प्रारंगिकता और भी बढ़ गई है। आज देश में अंग्रेज़ी भाषा के प्रचार-प्रसार को देखते हुए अपनी भाषा में काम करने पर बल दिया जाना चाहिए। अपनी भाषा में ही काम करने पर बेहतर परिणाम मिलता है तथा आत्मविश्वास बढ़ता है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए :
(क) सास के अनुमोदन से ………….. फिर परदेस चला जाएगा।
(ख) दरिद्र कुटुंबी इस तरह ………. वही दशा हिंदुस्तान की है।
(ग) वास्तविक धर्म तो ……….. शोधे और बदले जा सकते हैं।
उत्तर :
(क) इस गद्यांश में लेखक कहता है कि अंग्रेज़ों के राज में सब प्रकार के साधन पाकर भी भारतीय यदि प्रगति नहीं कर पाए, तो यह उनका दुर्भाग्य है। लेखक ने दृष्टांत दिया है कि जिस प्रकार सास की सहमति से पति से मिलने का अवसर मिले और पत्नी अपने प्राण प्यारे परदेशी पति के साथ आनंद भी न ले, तो यह उसका दुर्भाग्य है। वह पति फिर बाहर चला जाएगा। ठीक यही स्थिति अंग्रेज़ी शासन की है। आज है कल नहीं रहे, इसलिए भारतीयों को अंग्रेज़ों के ज्ञान, शासन तथा सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए।
(ख) इस गद्यांश में लेखक ने भारत की गरीबी का वर्णन किया है। लेखक बताता है कि जिस प्रकार दरिद्र परिवार अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए फटे कपड़े भी पहनते हैं, उसी प्रकार भारत की दशा है। यहाँ चारों तरफ बेरोज़गारी, बेईमानी तथा फ़रेब है। दरिद्रता का साम्राज्य है। भारतीयों को इन समस्याओं पर काबू पाना है तथा परिश्रम करके देश की तरक्की करनी है।
(ग) इस गद्यांश में लेखक ने धर्म के नियमों को समयानुसार बदलने की ज़रूरत पर बल दिया है। धर्म के नियमों का एक उद्देश्य होता है, परंतु लोगों ने नए-नए नियम बनाकर धर्म को बाँध दिया है। लेखक की मान्यता है कि विधवा-विवाह, समुद्र-यात्रा, बाल-विवाह आदि के बारे में धर्म के जो नियम हैं, उन्हें बदल देना चाहिए। उन्हें न बदलने से बुराइयाँ उत्पन्न होती हैं, फलतः समाज पिछड़ जाता है।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
पृथ्वीराज चौहान की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
पृथ्वीराज चौहान दिल्ली का प्रसिद्ध राजा था। वह कन्नौज के राजा की पुत्री संयोगिता से विवाह करना चाहता था. पर इसके लिए कन्नौज का राजा जयचंद तैयार न था। पृथ्वीराज ने स्वयंवर-स्थल से संयोगिता का अपहरण कर लिया। इस अपमान से जयचंद तिलमिला उठा। वह पृथ्वीराज से बदला लेने में समर्थ न था, अतः उसने मुहम्मद गोरी को भारत बुलवाया। पृथ्वीराज ने उसे सोलह बार हराया, पर सत्रहवीं बार गोरी ने उसे हरा दिया। उसने पृथ्वीराज को गिरफ़्तार करवा लिया और उसकी आँखें फोड़ दीं। पृथ्वीराज के साथ उसका दरबारी कवि एवं मित्र चंदबरदाई भी गिरफ़्तार हुआ था। गोरी को किसी ने बताया कि पृथ्वीराज शब्दबेधी बाण चलाता है। यह जाँचने के लिए गोरी ने उसे धनुष-बाण देकर लोहे के तवों पर तीर चलाने के लिए कहा। इसी समय चंदबरदाई ने निम्नलिखित दोहा पढ़कर गोरी के स्थान का संकेत कर दिया।
को जानै फिर कब चढ़ै, अबकी चढ़ी कमान।
इक्के मारथ इक्क सर, जिनि चुक्के चौहान।।
इतना सुनते ही पृथ्वीराज चौहान ने शब्दबेधी बाण चलाकर गोरी को राजदरबार में ही तीर का निशाना बनाकर मार डाला।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 9 भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?
विषयवस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर –
प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि देश की उन्नति में समय के सदुपयोग का बड़ा योगदान होता है।
उत्तर :
समय के सदुपयोग से मानव-जीवन का विकास होता है। देश की उन्नति में समय का सदुपयोग सहायक है, परंतु आजकल लोग समय के सदुपयोग को महत्व नहीं देते। भारतेंदु ने बताया है कि विदेशों में तो कोचवान तक अखबार पढ़ते हैं। वे समय की कीमत जानते हैं। यदि भारत में भी हर नागरिक समय का सदुपयोग करे, तो देश का विकास हो सकता है।
प्रश्न 2.
‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती जै?’ निबंध में लेखक ने किन दो प्रमुख शैलियों का प्रयोग किया है? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर :
‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ निबंध में लेखक ने मुख्यतया व्यंग्यात्मक तथा दृष्टांत शैली का प्रयोग किया है, जो निम्नलिखित हैं :
(क) व्यंग्यात्मक शैली-भारतेंदु ने अपने कथन को प्रभावशाली बनाने के लिए निबंध में स्थान-स्थान पर व्यंग्य भी किए हैं। निबंध से व्यंग्यात्मक शैली के निम्नलिखित उदाहरण द्रष्टव्य है :
“वैसे ही अंग्रेज्जों के राज्य में भी जो हम कुएँ के मेंढक, काठ के उल्लू, पिंजड़े के गंगाराम ही रहें, तो हमारी कमबख्त कमबखी फिर कमबख्ती है।” “घर की तो मूँछ ही मूँछे हैं।”
(ख) दृष्टांत शैली-भारतेंदु ने निबंध में अपनी बात पुष्ट करने के लिए विभिन्न उदाहरणों का प्रयोग किया है। दृष्टांत शैली का निम्नलिखित उदाहरण द्रष्टव्य है :
“यह तो वही मसल हुई कि एक बेफ़िकरे मँगनी का कपड़ा पहनकर किसी महफ़िल में गए। कपड़े को पहिचानकर एक ने कहा, ‘अजी यह अंगा फलाने का है…….’ तो उन्होंने हँसकर जवाब दिया कि ‘घर की तो मूहैं ही मूछें है’।’
प्रश्न 3.
धर्म के क्षेत्र में कौन-कौन सी खामियाँ पैदा हुईं?
उत्तर :
धर्म के क्षेत्र में दो खामियाँ पैदा हुई, जो निम्नलिखित हैं :
(क) लोगों ने धर्म के मतलब को न समझकर धर्म की बातों को ही धर्म समझ लिया। वास्तविक धर्म तो केवल परमेश्वर के चरणकमल का भजन है।
(ख) महात्मा या बुद्धिमान व्यक्तियों के वंशजों ने अपने बाप-दादों का मतलब न समझकर बहुत-से नए-नए धर्म बनाकर शास्त्रों में रख दिए। सभी तिथि, व्रत तथा स्थान तीर्थ हो गए।
प्रश्न 4.
मुसलमानों को लेखक क्या संदेश देता है?
उत्तर :
लेखक कहता है कि मुसलमान हिंदुस्तान में बसकर हिंदुओं को नीचा समझना छोड़ दें। भाइयों की भाँति हिंदुओं से बरताव करें। ऐसी बात न करो, जो हिंदुओं का जी दुखाने वाली हो। जो बात हिंदुओं को नहीं मयस्सर है, वह धर्म के प्रभाव से मुसलमानों को सहज प्राप्त है। उनमें जाति नहीं, खाने-पीने में चौका-चूल्हा नहीं, विलायत जाने में रोक-टोक नहीं।फिर भी बड़े ही सोच की बात है कि मुसलमानों ने अभी तक अपनी दशा कुछ नहीं सुधारी। अभी तक बहुतों को यही ज्ञान है कि दिल्ली, लखनक की बादशाहत कायम है। वे दिन गए अब हिंदुओं के साथ तुम भी दौड़ो, एक-एक दो होंगे। पुराने मतभेद दूर करो। ‘मसनवी’ और ‘इंदरसभा’ पढ़ाकर छोटेपन ही से अपने लड़कों का सत्यानाश मत करो। उनको अच्छी-से-अच्छी तालीम दो। पेंशन और वज़ीफा या नौकरी का भरोसा छोड़ो। लड़कों को रोज़गार सिखलाओ। विलायत भेजो। बचपन से मेहनत की आदत डालो।
प्रश्न 5.
हिंदुस्तानी लोगों की रेल की गाड़ी से तुलना क्यों की गई है?
उत्तर :
हिंदुस्तानी लोगों की तुलना रेल की गाड़ी से इसलिए की गई है, क्योंकि यहाँ पर विभिन्न वर्गों तथा जातियों के लोग हैं। वे काम कर सकते हैं, परंतु उन्हें निर्देशित करने वाला चाहिए। रेलगाड़ी को चलाने के लिए इंजन की ज़रूरत होती है, उसी तरह भारतीय लोगों को निर्देशन की ज़रूरत है। उसके बाद वे दुनिया का हर कार्य कर सकते हैं। हनुमान को भी बल का अहसास कराया गया था, तभी वे समुद्र लाँघ सके थे।
प्रश्न 6.
लेखक ने अपनी खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर :
लेखक बताता है कि उन्नति के लिए सबसे जरूरी है-वस्तुस्थिति की जानकारी। कोई भी खराबी अकारण पैदा नहीं होती। उन कारणों को दूर करके ही विकास किया जा सकता है। बुराइयाँ तभी समाप्त हो सकती हैं, जब उन्हें जड़ से समाप्त किया जाए। धर्म, सुख तथा पड्यंत्र की आड़ में छिपे लोगों को बाहर निकालकर नष्ट करना होगा। इस समय जो बातें उन्नति के पथ में बाधक हैं, उन्हें समूल नष्ट करना होगा। जब तक कुछ लोगों को जाति से बाहर नहीं निकाला जाएगा, दरिद्र नहीं किया जाएगा, सज़ा नहीं होगी, तब तक देश सुधर नहीं सकता।
प्रश्न 7.
देश का रुपया और बुद्धि बढ़े, इसके लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर :
देश का रुपया और बुद्धि बढ़े, इसके लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए :
- धर्माधिकारियों तथा शासकों से उम्मीद छोड़ देनी चाहिए।
- आलस्य छोड़कर मेहनत करनी चाहिए।
- प्रगति के लिए दौड़ लगानी चाहिए।
- अंग्रेज़ी राज में उपलब्ध साधनों का सदुपयोग करना चाहिए।
- धर्म, घर, बाहर, रोज़गार, शिष्टाचार, चाल-चलन आदि सभी क्षेत्रों में उन्नति करनी चाहिए।
प्रश्न 8.
ऐसी कौन-सी बातें है, जो समाज-विरुद्ध मानी जाती हैं, किंतु धर्मशास्त्रों में उनका विधान है?
उत्तर :
लेखक ने ऐसी अनेक बातें बताई हैं, जो समाज-विरुद्ध मानी जाती हैं, किंतु धर्मशास्त्रों में उनका विधान है। वे बातें निम्नलिखित हैं :
- धर्मशास्त्रों में जहाज़ के सफ़र का निषेध है।
- धर्मशास्त्र विधवा-विवाह के विरोधी हैं।
- धर्मशास्त्र बाल-विवाह के समर्थक हैं, जबकि समाज के विकास के दृष्टिकोण से यह परंपरा विरुद्ध है।
- धर्मशास्त्र कुलीन प्रथा तथा बहुविवाह को बढ़ावा देते हैं।
- धर्मशास्त्र स्त्री-शिक्षा के विरोधी हैं।
- धर्मशास्त्रों में जाति, धर्म तथा संप्रदाय के नाम पर भेदभाव है।
प्रश्न 9.
देश की सब प्रकार से उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने क्या उपाय बताए हैं?
उत्तर :
देश की सब प्रकार से उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने निम्नलिखित उपाय बताए हैं :
- हमें विदेशी भाषा का मोह छोड़ देना चाहिए।
- भारतीयों को आपसी भाईचारे के साथ धार्मिक एकता निभानी चाहिए।
- परिश्रम और ईमानदारी से देश का विकास करना चाहिए।
- धार्मिक कुरीतियों को त्याग देना चाहिए।
- समय का सदुपयोग करना चाहिए।
- जनसंख्या नियंत्रित करनी चाहिए।
- अपनी कमियों का विश्लेषण करके उन्हें दूर करना चाहिए।
- धर्मनीति और समाजनीति में संतुलन होना चाहिए।
- रोज़गार-उन्मुख शिक्षा का प्रचार-प्रसार होना चाहिए।
प्रश्न 10.
(क) पाठ के आधार पर निम्नलिखित का कारण स्पष्ट कीजिए :
- बलिया का मेला और स्नान
- एकादशी का व्रत
- गंगा जी का पानी पहले सिर पर चढ़ाना
- दीवाली मनाना
- होली मनाना
(ख) उक्त संदर्भ में क्यों कहा गया है कि ‘यही तिहवार ही तुम्हारी मानो म्युनिसिपलिटी है?’
उत्तर :
(क)
- बलिया के मेले का आयोजन आनंद के लिए होता है। इस दिन एक स्थान पर बहुत सारे लोग एकत्रित होते हैं और गंगा में स्नान करते हैं।
- एकादशी के व्रत से शरीर की शुद्धि हो जाती है।
- गंगा-स्नान से पूर्व पानी को पहले सिर पर डाला जाता है। इससे तलुए की गर्मी सिर पर चढ़कर गर्मी उत्पन्न नहीं करती।
- दीवाली के अवसर पर हर घर की सफ़ाई की जाती है। यह सफ़ाई तथा रोशनी का त्योहार है।
- होली के अवसर पर बसंत की बिगड़ी हवा को स्थान-स्थान पर आग जलाकर ठीक किया जाता है।
(ख) लेखक ने त्योहार को इसलिए ‘म्युनिसिपलिटी’ कहा है, क्योंकि त्योहार के अवसर पर घरों में सफ़ाई की जाती है। म्युनिसिपलिटी का कार्य भी सफ़ाई करना है।
प्रश्न 11.
पाठ में कई वर्ष पुरानी हिंदी भाषा का प्रयोग है, इसलिए चाहैं, फैलावैं, सकैगा आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है, जो आज की हिंदी में चाहे, फैलाएँ, सकेगा आदि लिखे जाते हैं।
निम्नलिखित शब्दों को आज की हिंदी में लिखिए :
जैसे-मिहनत, छिन-प्रतिछिन, तिहवार।
इसी प्रकार पाठ में से अन्य दस शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
मेहनत, क्षण-प्रतिक्षण, त्योहार।
- प्रगट – प्रकट
- इंजिन – इंजन
- दिलावै – दिलाए
- खोनै – खोए
- देखै – देखे
- रक्खो – रखो
- तावे – तवे
- जनम – जन्म
- प्रान – प्राण
- कहैंगे – कहेंगे
प्रश्न 12.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :
(क) राजे-महाराजों को अपनी पूजा, भोजन, झूठी गप से छुट्टी नहीं।
(ख) सबके जी में यही है कि पाला हमीं पहले छू लें।
(ग) हमको पेट के धंधे के मारे छुट्टी ही नहीं रहती बाबा, हम क्या उन्नति करैं।
(घ) यह तो वही मसल हुई कि एक बेफ़िकरे मँगनी का कपड़ा पहिनकर महफिल में गए।
उत्तर :
(क) इस पंक्ति में लेखक ने तत्कालीन राजाओं पर गहरा कटाक्ष किया है। तत्कालीन राजा तथा महाराजा जनता की तरफ ध्यान नहीं देते थे। वे तो अपने चापलूसों से घिरे रहते थे। उन्हें स्वादिष्ट भोजन तथा झूठी प्रशंसा से फुर्सत ही नहीं मिलती थी। वे भोग-विलास में डूबे रहते थे।
(ख) इस पंक्ति में लेखक ने अमेरिका, यूरोप तथा जापान जैसे देशों की तत्कालीन प्रवृत्ति का उल्लेख किया है। वे सभी प्रगति की दौड़ में शामिल हैं। हर देश यह चाहता है कि वह जल्द-से-जल्द आगे बढ़े तथा विकास के चरम रूप को प्राप्त कर ले।
(ग) यहाँ लेखक ने भारतीयों की प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है। लेखक कहता है कि हमारे यहाँ के लोग यह तर्क देते हैं कि वे अपनी भूख शांत करने भर भी कमा नहीं पाते, उन्नति के बारे में क्या चितन करें। यहाँ लोग मूलभूत आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करते हैं। भारतीयों का दृष्टिकोण सीमित है।
(घ) इस पंक्ति में लेखक ने भिक्षावृत्ति पर व्यंग्य किया है। भारतीय विदेशों में बनी चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं। यहाँ दैनिक ज़रूरत की कोई वस्तु नहीं बनती। हर चीज़ बाहर से आती है। यह तो उसी प्रकार है, जैसे कोई मँगनी के वस्त्र पहनकर महफ़िल में जाए। उस समय भारत अपनी आवश्यकता की छोटी-छोटी वस्तुएँ भी विदेश से मँगाया करता था।
प्रश्न 13.
पंक्ति पूरी कीजिए, अर्थ लिखिए और इन्हें जिन कवियों-शायरों ने लिखा है, कहा है, उनका नाम लिखिए :
(क) अजगर करै न चाकरी, पंछी करै न काम …….
(ख) अबकी चढ़ी कमान, को जानै फिर कब चढ़ै …….
(ग) शौक तिफ्ली से मुझे गुल की जो दीदार का था …….
उत्तर :
(क) अजगर करे न चाकरी, पंछी करै न काम।
दास मलूका कहि गए, सबके दाता राम।।
(ख) अबकी चढ़ी कमान, को जानै फिर कब चढ़ै।
जिनि चुक्के चौहान, इक्के मारय इक्क सर।
(ग) शौक तिफ्ली से मुझे गुल की जो दीदार का था।
न किया हमने गुलिस्ताँ का सबक याद कभी।।