Students can find the 11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 19 घर में वापसी to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 19 हस्तक्षेप
Class 11 Hindi Chapter 19 Question Answer Antra घर में वापसी
प्रश्न 1.
घर एक परिवार है, परिवार में पाँच सदस्य हैं, किंतु कवि पाँच सदस्य नहीं, उन्हें पाँच जोड़ी आँखें क्यों मानता है?
उत्तर :
कवि के घर में पाँच सदस्य हैं। रक्त संबंधों के आधार पर सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, लेकिन उनके पारिवारिक रिश्तों में जड़ता आ चुकी है। फिर भी कवि उन्हें पाँच जोड़ी आँखें मानता है। इसका कारण यह है कि आँखें संवाद का कार्य नहीं करतीं। वे सिर्फ़ एक-दूसरे को देख सकती हैं। यही स्थिति कवि के घर की है। गरीबी के कारण वे साथ अवश्य रहते हैं, परंतु उनमें भावनात्मक लगाव नहीं है।
प्रश्न 2.
‘पत्नी की आँखें आँखें नहीं, हाथ हैं, जो मुझे थामे हुए हैं’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
कवि अपनी पत्नी की आँखों को हाथों की संज्ञा देता है। कवि की पत्नी हर स्थिति में कवि का साथ देती है। उसी के सहारे के कारण कवि स्वयं गिरने से बचा है। वह परिवार को एक सूत्र में बाँधे हुए है। उसके बिना परिवार बिखर सकता है। कवि आर्थिक संकट से ग्रस्त है। वह किसी भी तरीके से उसकी मदद करती है। वह कवि के साथ भावनात्मक लगाव भी बनाए हुए है। वह हर प्रकार से कवि की सहायिका बनी हुई है।
प्रश्न 3.
‘वैसे हम स्वजन हैं, करीब हैं ……. क्योंकि हम पेशेवर गरीब हैं।’ से कवि का क्या आशय है? अगर अमीर होते, तो क्या स्वजन और करीब नहीं होते?
उत्तर :
कवि कहता है कि घर में सभी सदस्य रक्त संबंधी हैं। वे एक-दूसरे को चाहते हैं तथा एक-दूसरे के करीब हैं। वे एक-दूसरे के आत्मीय होने का दिखावा करते हैं, परंतु फिर भी अलग हैं। गरीबी के कारण वे एक-दूसरे की सहायता नहीं कर पाते। अमीर होने की दशा में स्थिति दूसरी होती। उस समय किसी को दूसरे की ज़रूत नहीं होती, क्योंकि आर्थिक रूप से मज़बूत होने पर उनकी सभी आवश्यकताएँ पूरी हो जातीं।
प्रश्न 4.
‘रिश्ते हैं; लेकिन खुलते नहीं हैं’-कवि के सामने ऐसी कौन-सी विवशता है, जिससे आपसी रिश्ते भी नहीं खुलते हैं?
उत्तर :
कवि की गरीबी के कारण आपसी रिश्ते नहीं खुल पाते। अर्थाभाव के कारण सभी लोग अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं कर पाते। आर्थिक संकट से संबंधों की मधुरता समाप्त हो गई है। हरेक एक-दूसरे से कुछ कहने से बचने की कोशिश करता है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
(क) माँ की आँखें पड़ाव से पहले ही तीर्थयात्रा की बस के दो पंचर पहिए हैं।
(ख) पिता की आँखें लोहसाँय की ठंडी शलाखें हैं।
उत्तर :
(क) भाव-सौंदर्य-भाव यह है कि माता जी की आँखों की ज्योति इतनी कम हो गई है कि वे चलने-फिरने से लाचार हो गई हैं। उनकी जीवन-यात्रा में व्यवधान आ गया है। शिल्प-सौंदर्य-
- ‘पड़ाव’ मृत्यु का तथा ‘तीर्थयात्रा ‘ जीवन रूपी यात्रा का प्रतीक है।
- ‘दो पंचर पहिए’ ज्योतिहीन आँखों के प्रतीक हैं। जीवन-यात्रा पूरी करने से पूर्व ही आँखों की ज्योति जाती रही।
- ‘पंचर पहिए’ में अनुप्रास अलंकार है।
- रूपक अलंकार है। खड़ी बोली है।
- भाषा में प्रवाह है।
(ख) भाव-सौंदर्य-भाव यह है कि पिता की आँखें गरीबी के कारण निराशा से भरी हैं। उनकी आँखों में तेज़ और चंचलता नहीं है, जबकि पुत्री की आँखों में उत्साह और उल्लास है। शिल्प-सौंदर्य-
- ‘लोहसाँय’ जीवन का तथा ‘ठंडी शलाखें’ निराशा की प्रतीक हैं।
- पिता जी की आँखें उनके जीवन में व्याप्त निराशा व टूटन का परिचायक है।
- प्रतीकात्मकता है।
- भाषा सहज है। खड़ी बोली है।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
घर में रहने वालों से ही घर, घर कहलाता है। पारिवारिक रिश्ते खून के रिश्ते हैं, फिर भी उन रिश्तों को न खोल पाना कैसी विवशता है? अपनी राय लिखिए।
उत्तर :
यह बात सही है कि घर में रहने वालों से ही घर, घर कहलाता है। करीबी रिश्ते होने के बावजूद उनमें अज़नबीपन रहता है, क्योंकि गरीबी के कारण इच्छाएँ दबी रह जाती हैं। गरीबी समाप्त होते ही रिश्तों में सहजता आ जाती है।
प्रश्न 2.
आप अपने पारिवारिक रिश्तों/संबंधों के बारे में एक निबंध लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3.
‘यह मेरा घर है’ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि आपका अपना घर है।
उत्तर :
मेरे घर में सभी सदस्य एक-दूसरे के प्रति आत्मीयता रखते हैं। सभी आपस में प्रेम से रहते हैं। वे एक-दूसरे की सहायता करते हैं। इसका कारण आर्थिक अभाव न होना है। सभी एक-दूसरे से अपनी भावनाओं की निःसंकोच अभिव्यक्ति करते हैं तथा परस्पर सुख-दुख में काम आते हैं। घर में आत्मीयता का वातावरण है, हैंसी-खुशी तथा चहल-पहल है। यह सब देखकर लगता है कि मेरा अपना ही घर है।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 19 घर में वापसी
कथ्य पर आधारित प्रश्नोत्तर –
प्रश्न 1.
कवि किस प्रकार के घर में वापसी की आकांक्षा करता है?
उत्तर :
‘घर में वापसी’ शीर्षक कविता में कवि उस घर में वापसी की आकांक्षा करता है, जहाँ पारिवारिक रिश्तों में मधुरता हो, जहाँ लोगों में एक-दूसरे के बीच संवाद हो, जहाँ गरीबी के कारण पारिवारिक रिश्तों में बिखराव और तनाव न हो। वह ऐसे घर को चाहता है, जिसमें माँ, बेटी, पिता जैसे संबोधन सार्थक हों। परिवार के सदस्य एक-दूसरे से हँसी-खुशी बात करें तथा आत्मीयता बनाए रखें।
प्रश्न 2.
‘घर में वापसी’ कविता में कवि ने माँ की आँखों की तुलना किससे और क्यों की है?
उत्तर :
कवि ने माँ की आँखों की तुलना तीर्थयात्रा की बस के दो पंचर पहिये से की है। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा है कि पवित्र कर्मों को करते हुए भी माँ की आँखों की रोशनी असमय चली गई। इस प्रकार वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकी अर्थात उसकी आँखें मरने तक उसका साथ नहीं निभा सकीं।
प्रश्न 3.
‘घर में वापसी’ के मार्ग में क्या व्यवधान है?
उत्तर :
कवि के घर में बहुत गरीबी है। इसी गरीबी के कारण पारिवारिक रिश्तों में खिंचाव है। वे अज़नबी बनकर रह गए हैं। ऐसा लगता है कि घर में ताला लग गया है तथा उसकी चाभी कहीं खो गई है तथा परिवार के सदस्यों के खून में इतना लोहा नहीं बचा है, जिससे चाभी बनवाकर इस जंग लगे ताले को खोला जा सके।
प्रश्न 4.
‘वैसे हम स्वजन है, करीब हैं’-कवि ने यहाँ ‘वैसे’ शब्द का प्रयोग क्यों किया है, जबकि निश्चय ही वे स्वजन हैं, करीब हैं।
उत्तर :
कवि ने ‘वैसे’ शब्द का प्रयोग समझदारी से किया है, क्योंकि वे सभी रक्त संबंधी हैं। वे एक परिवार के सदस्य हैं, इसके बावजूद उनमें आत्मीयता एवं संवाद का अभाव है। गरीबी के कारण वे एक-दूसरे से कटे रहते हैं।
प्रश्न 5.
पारिवारिक रिश्तों के बिखराव व शैथिल्य का क्या कारण है?
उत्तर :
पारिवारिक रिश्तों के बिखराव का कारण गरीबी है। गरीबी के कारण दैनिक आवश्यकताएँ पूरी नहीं हो पाती हैं, जिसके कारण स्नेह का अभाव हो जाता है। वे एक-दूसरे से दूर रहने में ठीक महसूस करते हैं। गरीबी ने परिवार को बाँटकर रख दिया है।
प्रश्न 6.
‘घर में वापसी’ कविता का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर :
धूमिल की इस कविता में गरीबी से संघर्षरत परिवार की व्यथा-कथा है। मनुष्य संसार की भागम-भाग भरे जीवन से राहत पाने के लिए स्नेह, ममत्व, अपनत्व और सुरक्षा भरे माहौल में घर बनाता है और उसमें रहता है। यहाँ विडंबना यह है कि तमाम रिश्ते-नातों, स्नेह और अपनत्व के बीच गरीबी की दीवार खड़ी है। गरीबी से लड़ते-लड़ते अब इतनी भी ताकत नहीं रही कि रिश्तों में ऊर्जा का संचार पैदा करने हेतु कोई चाभी बनाई जा सके और इस जटिल ताले को खोला जा सके। कविता में एक ऐसे घर की आकांक्षा है. जहाँ गरीबी दीवार की तरह बाधक न हो। माँ-पिता, बेटा-बेटी. पति-पत्नी आदि का स्नेहिल वातावरण हो, ताकि जीवन-संघर्ष में घर का सुख प्राप्त हो सके।