Students can find the 11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 13 औरै भाँति कुंजन में गुंजरत, गोकुल के कुल के गली के गोप, भाैंरन को गुंजन बिहार to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 13 औरै भाँति कुंजन में गुंजरत, गोकुल के कुल के गली के गोप, भाैंरन को गुंजन बिहार
Class 11 Hindi Chapter 13 Question Answer Antra औरै भाँति कुंजन में गुंजरत, गोकुल के कुल के गली के गोप, भाैंरन को गुंजन बिहार
प्रश्न 1.
पहले छंद में कवि ने किस ऋतु का वर्णन किया है?
उत्तर :
पहले छंद में कवि ने वसंत ऋतु का वर्णन किया है। इस ऋतु में प्रकृति के सौंदर्य तथा पक्षियों, पशुओं और मानव के व्यवहार में जो परिवर्तन आते हैं, उनका सुंदर चित्रण है।
प्रश्न 2.
इस ऋतु में प्रकृति में क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर :
वसंत ऋतु में प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं :
- इस ऋतु के आगमन से ही बाग-बगीचों में भौरों की भीड़ बढ़ जाती है।
- तरह-तरह के फूल खिल जाते हैं।
- आम की डालों पर बौर आ जाते हैं। जिन पर फूल-फल आने का संकेत मिलने लगता है।
- पक्षियों के समूहों की आवाज़ बदल जाती है। उनके कलरव में उल्लास एवं वसंत की मादकता छा जाती है।
प्रश्न 3.
‘औरै’ की बार-बार आवृत्ति से अर्थ में क्या विशिष्टता उत्पन्न हुई है?
उत्तर :
पहले कवित्त में कवि ने ‘औरै’ की आवृत्ति की है। ‘औरै’ शब्द का अर्थ है-और तरह का। कवि ने ‘औरै’ शब्द की आवृत्ति से वसंत ऋतु के प्रभाव का प्रभावशाली वर्णन किया है। इससे साफ़ पता चलता है कि इस ऋतु में प्रकृति से लेकर मनुष्य तक का रूप बदल जाता है। उनके व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। पक्षियों का स्वर अलग तरह का होता है। हर चीज़ बदली हुई नज़र आती है।
प्रश्न 4.
‘पद्माकर के काव्य में अनुप्रास योजना अनूठी बन पड़ी है।’ उक्त कथन को प्रथम छंद के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि पद्माकर का अनुप्रास अलकार के प्रति विशेष झुकाव है। वे अपने हर पद में अनुप्रास अलंकार की योजना करते हैं। यह योजना बोझिल प्रतीत नहीं होती, अपितु यह अर्थ में चमत्कार लाती है। वे अनुप्रास से ध्वनि-चित्र खड़ा कर देते हैं; जैसे-
छलिया छबीले छैल औरे छबि हव्व गए।
× × ×
और रस औरे रीति और राग औरै रंग,
इन पंक्तियों में कवि ने वसंत के प्रभाव को दर्शाया है, जिनमें अनुप्रास की योजना अनूठी बन पड़ी है।
प्रश्न 5.
होली के अवसर पर सारा गोकुल गाँव किस प्रकार रंगों के सागर में डूब जाता है? दूसरे छंद के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
होली के अवसर पर सारा गोकुल गाँव मस्ती से सराबोर हो जाता है। यहाँ नवयुवक मनमानी करते हैं। अपनी मस्ती में वे कुछ भी कर सकते हैं। वे पड़ोस तथा पिछवाड़े से भाग-भागकर चले जा रहे हैं। उन पर कोई नियंत्रण नहीं है। गोपियाँ भी रंगों और मस्ती में सराबोर होने में पीछे नहीं हैं।
प्रश्न 6.
‘बोरत तों बोरूयौ पै निचोरत बनै नहीं’ इस पंक्ति में गोपिका के मन का क्या भाव व्यक्त हुआ है?
उत्तर :
काले रंग में सराबोर गोपी का चित्त कृष्ण-प्रेम में डुब गया है। कृष्ण-प्रेम ने उसके मन को चोरी से चुरा लिया है। वह कृष्ण-प्रेम को त्यागना नहीं चाहती। होली के रंग में भीगने के बाद मनुष्य अपने रंग में डूबे कपड़े निचोड़ना चाहता है, ताकि रंगों का असर कम हो जाए, परंतु यहाँ गोपी उसी काले रंग में डूबे रहना चाहती है। इसका कारण यह है कि गोपी काले रंग को कृष्ण-प्रेम का पर्याय मानती है।
प्रश्न 7.
पद्माकर ने किस तरह भाषा शिल्प से भाव-सौंदर्य को और अधिक बढ़ाया है? सोदाहरण लिखिए।
उत्तर :
पद्माकर भावों का सुंदर चित्रण करते हैं। भाषा पर उनका असाधारण अधिकार है। उनकी भाषा में प्रवाह तथा गेयता है। उन्होंने ब्रजभाषा के माधुर्य को बनाए रखा है। जगह-जगह लाक्षणिकता का भी प्रयोग किया है।
अनुप्रास के प्रयोग में वे सिद्धहस्त हैं। वे अनुप्रास से ध्वनिचित्र-सा खड़ा कर देते हैं; जैसे –
औरै रस और रीति औरै राग औरै रंग,
औरे तन और मन और बन हववै गए।
कवि पद्माकर के काव्य में चित्रात्मकता हैं; जैसे –
और भाँति कुंजन में गुंजरत भीर भौर,
औरे डौर झौरन पें बौरन के हवे गए।
इसी प्रकार पद्माकर ने भाव-सौंद्य को और अधिक प्रभावपूर्ण बनाया है कि भाव पढ़ने वाले के मन को छू जाते हैं; जैसे –
और भाँति बिहग-समाज में अवाज होति,
ऐसे रितुराज के न आज दिन द्वे गए।
प्रश्न 8.
तीसरे छंद में कवि ने सावन ऋतु की किन-किन विशेषताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है?
उत्तर :
तीसरे छंद में कवि ने सावन ऋतु की निम्नलिखित विशेषताओं का वर्णन किया है :
- सावन में भौंरों का गुंजन राग-मल्हार की तरह लगता है।
- बादल देखकर मोर शोर मचाने लगते हैं।
- झूले पर झूलना अच्छा लगता है।
- बादल वर्षा के रूप में प्रेम बरसाते हैं।
प्रश्न 9.
प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए –
(क) और भाँति कुंजन छबि छवै गए।
(ख) तौ लौं चलित बनै नही।
(ग) कहैं पद्माकर लगत है।
उत्तर :
(क) व्याख्या भाग देखिए।
(ख) व्याख्या भाग देखिए।
(ग) व्याख्या भाग देखिए।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
वसंत एवं सावन संबंधी अन्य कवियों की कविताओं का संकलन कीजिए।
उत्तर :
ऋतु संबंधी कुछ महत्वपूर्ण कवियों के छंद इस प्रकार हैं :
(क) आयो रितुराज, फूल्यौ सुमन-समाज
भयौ अमल अकास, वह पवन हरं-हरैं
लपटे लतान सों तमालन के जाल, बौरे-
अमित रसाल सो विसाल मन को हरैं।।
कहत ‘किशोर’ कीर-कोकिला-चकोर नहीं
गनैं साँझ भोर चारों ओर सोर को करैं।
आनंद् मगन कैसी लगन लगाई देव
मेंदिर कुंज-कुंज अलि-पुंज गुंजरै।।
-किशोर
(ख) वृष कौं तरानि तेज सहसौ किरन करि
ज्वालन के ज्वाल विकराल बरसत है।
तपति धरनि, जग जरत झरनि, सीरी
छाँह को पकरि पंथी-पंछी विरमत है।।
सेनापति नैंक दुपहरी के ढरत, होत
घमका विषम, ज्यों न पात खरकत है।
मेरे जान पौनों सीरी ठौर को पकरि कौनौं
घरी एक बैठि कहूँ घामै बितवत है।।
– सेनापति
(ग) ग्रीष्म के भानु को बढ्यो है बे प्रमान तेज,
दिसि दिसि दीरघ दवागि अरगई हैं।
शीत भज्यौ चंदन तें, चंद्रिक तें चंद्रका ते,
खस बिजनाह तें भाक भर गई है।।
ग्वाल कवि कहै फेर तें कमल हूँ ते,
थलके सुथलहु ते सीमा भर गई है।
शशि को न जानो सेत जारि दियो बार-बार,
ह्वै गयो अंगार तापै छार पर गई है।।
– ग्वाल
प्रश्न 2.
पद्माकर के भाषा-सौंदर्य को प्रकट करने वाले अन्य कवित्त, सवैये भी संकलित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 13 औरै भाँति कुंजन में गुंजरत, गोकुल के कुल के गली के गोप, भाैंरन को गुंजन बिहार
कध्य पर आधारित प्रश्नोत्तर –
प्रश्न 1.
ऋतुराज के आने पर पक्षियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
ऋतुराज के आने पर पक्षियों की आवाज़ में अंतर आ जाता है। वे अलग तरह से स्वर पैदा करने लगते हैं। कवि भी यही कहता है –
औरै भाँते बिहग-समाज में अवाज होति।
प्रश्न 2.
सावन में भौंरों का गुंजन कैसा लगता है?
उत्तर :
सावन में भौरे वन तथा झाड़ियों में गुंजन करने लगते हैं। उनका गायन सुंदर राग मल्हार के समान लगता है। यह मन को बहुत अच्छा लगता है।
प्रश्न 3.
‘स्याम-रंग में चुराई चित चोराचोरी’ का क्या आशय है?
उत्तर :
इस पंक्ति में कवि कहना चाहता है कि कृष्ण के प्रेम में गोपी डूब गई है। कृष्ण ने चोरी-चोरी उसका दिल चुरा लिया है। गोपी श्रीकृष्ण के प्रेम में डूबे रहना चाहती है।
प्रश्न 4.
पद्माकर ने होली का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर :
कवि पद्माकर ने होली का वर्णन करते हुए कहा है कि होली मस्ती और उल्लास का त्योहार है। इसकी मस्ती में गोकुल के सारे कुल-परिवार, गली-मोहल्ले, ग्वाल-बाल आकंठ डूबे हैं। गोपियाँ भी रंग में सराबोर हैं। होली पर गोकुल गाँव में किसी के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। गोप और गोपियाँ मर्यादा को भूल चुके हैं। वे एक-दूसरे के रंग में डूबे हुए हैं।
प्रश्न 5.
‘गोकुल के कुल के गली के गोप गाउन के
जौ लगि कछू-को-कछू भाखत भनै नहीं।’
उपर्युक्त पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
भाव-सौंदर्य –
– इन पंक्तियों में होली के त्योहार पर मस्ती में ड्बे गोकुल के कुल-परिवार, गली-मोहल्ले गाँव और ग्वाल-बालों का वर्णन है। ये लोग मस्ती में इतने डूबे हैं कि इनकी मनमानी को देखकर इनके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
शिल्प-सौंदर्य –
- काव्यांश की रचना कवित्त छंद में है।
- भाषा में ब्रजभाषा की मधुरता है।
- प्रथम पंक्ति में ‘ग’ वर्ण की पुनरावृत्ति के कारण तथा ‘भाखत भनै’ में अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है।
- अभिधा शब्द-शक्ति है।
- माधुर्य गुण है।
प्रश्न 6.
‘गुमानहूँ तें मानहूँ तैं’ में क्या सौंदर्य छिपा है?
उत्तर :
इस पंक्ति में कवि कहना चाहता है कि वर्षा ऋतु में रूठना-मनाना अच्छा लगता है, क्योंकि यह ऋतु मिलन की ऋतु कही जाती है। इसके अलावा भाषा की दृष्टि से शब्द-चयन अत्यंत सुंदर बन पड़ा है।