Students can find the 11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 12 हँसी की चोट, सपना, दरबार to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 12 हँसी की चोट, सपना, दरबार
Class 11 Hindi Chapter 12 Question Answer Antra हँसी की चोट, सपना, दरबार
प्रश्न 1.
‘हँसी की चोट’ सवैये में कवि ने किन पंचतत्वों का वर्णन किया है तथा वियोग में वे किस प्रकार विदा होते हैं?
उत्तर :
‘हँसी की चोट’ सवैये में कवि ने निम्नलिखित पंचतत्वों का वर्णन किया है :
- वायु
- जल
- भूमि
- आकाश
- अग्नि
कवि के अनुसार, विरहिणी के ज़ोर-ज़ोर से साँसें छोड़ने के कारण वायु तत्व चला गया तथा अत्यधिक रोने से आँसुओं के माध्यम से जल तत्व बह गया। शरीर की गरमी चले जाने से अंग्न तत्व भी समाप्त हो गया तथा शरीर के कमज़ोर हो जाने के कारण भूमि तत्व भी चला गया। अब केवल आकाश तत्व ही बचा है, जो कृष्ण के दर्शन की आशा में अभी तक कायम है।
प्रश्न 2.
नायिका सपने में क्यों प्रसन्न थी और वह सपना कैसे टूट गया?
उत्तर :
नायिका सपना देख रही थी कि वर्षा ऋतु में बूँदें झर रही थीं। ऐसे मनभावन मौसम में कृष्ण ने उससे कहा कि आओ, झूला झूलने चलें। यह सुनकर वह अत्यंत प्रसन्न थी। कृष्ण के इस बुलावे पर उसने जैसे ही उठने की कोशिश की, उसकी नींद टूट गई। उसकी आँखें खुल गईं। अब वहाँ न घन थे और न घनश्याम। इससे वह बहुत दुखी थी।
प्रश्न 3.
‘सपना’ कवित्त का भाव-सौंदर्य लिखिए।
उत्तर :
इस कवित्त में कवि ने गोपी की भावना का वर्णन किया है। वह संयोग तथा वियोग-दोनों दशाओं का एक साथ चित्रण करता है। एक तरफ गोपी कृष्ण से मिलने की तरफ़ बढ़ रही है, दूसरी तरफ़ वियोग शुरू हो जाता है। इस तरह यहाँ संयोगावस्था अचानक वियोगावस्था में बदल जाती है। इससे गोपी की आँखें आँसुओं से भर उठती हैं।
प्रश्न 4.
‘दरबार’ सवैये में किस प्रकार के वातावरण का वर्णन किया गया है?
उत्तर :
‘दरबार’ सवैये में कवि ने सामंती वातावरण का चित्रण किया है। वहाँ राजा मूर्ख है तथा सभासद उसका अनुसरण करते हैं। सभी भोग-विलास में डूबे हैं। उनमें अच्छे-बुरे का अंतर पता करने का विवेक नहीं रह गया है। वे कोई बात नहीं सुनते हैं। उन्हें अपने पहनावे का भी ध्यान नहीं रह गया है। यहाँ कला तथा शिक्षा की कोई कद्र नहीं होती।
प्रश्न 5.
‘दरबार’ में गुणग्राहकता तथा कला की परख को किस प्रकार अनदेखा किया जाता है?
उत्तर :
‘दरबार’ शीर्षक सवैये में दरबारी माहौल का वर्णन है। दरबार में चाटुकार व मूख व्यक्ति होते हैं। वे लोग कला के महत्व को नहीं जानते। वे सिर्फ़ उसी वस्तु या साहित्य की प्रशंसा करते हैं, जो शासक को अच्छी लगती है। यहाँ भोग-विलास का वातावरण है।
प्रश्न 6.
भाव स्पष्ट कीजिए :
(क) हेरि हियो जु लियो हरि जू हरि।
(ख) सोए गए भाग मेरे जानि वा जगन में।
(ग) वेई छाई बूँदें मेरे आँसु हूवै दृगन में।
(घ) साहिब अंध, मुसाहिब मूक, सभा बहिरी।
उत्तर :
(क) इस अंश में नायिका कहती है कि कृष्ण ने जैसे ही उसे देखा, उसका दिल चुराकर ले गए। वह उनकी प्रतीक्षा में व्याकुल है।
(ख) इस अंश में नायिका कृष्ण के साथ झूला झूलने का सपना देख रही है। जैसे ही वह झूले पर बैठने के लिए उठी, वैसे ही उसकी नींद खुल गई। इस पर वह कहती है कि नींद खुलने पर उसके भाग्य सो गए। उसका सुख समाप्त हो गया।
(ग) नायिका कहती है कि सपने में बादलों की बूँदें अच्छी लग रही थीं, वे ही बूँदे जागने पर आँखों से आँसुओं के रुप में गिर रही थीं।
(घ) कबि राजदरबार के खराब वातावरण का वर्णन करता है। वह बताता है कि शासक मूर्ख है। वह अंधा है। राजदरबारी गूँगें हैं तथा सभा बहरी है। बे सिर्फ़ अपने हित में सोचते हैं। उन्हें कला, साहित्य आदि का ज्ञान नहीं है।
प्रश्न 7.
देव ने दरबारी चाटुकारिता और दंभपूर्ण वातावरण पर किस प्रकार व्यंग्य किया है?
उत्तर :
कवि देव ने द्रबारी चाटुकारिता तथा दंभपूर्ण वातावरण का चित्रण किया है। वह बताता है कि राजा मूख है। दरबारी उसका अनुमोदन करते हैं। सभा में कलाकारों की कद्र नहीं है। वहाँ बैठने, उठने, बोलने, चलने आदि का कोई स्तर नहीं है। वहाँ हर गलत कार्य होता है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
(क) साँसनि ही …………. तनुता करि।।
(ख) झहरि ………… गगन में।
(ग) साहिब अंध ……….. बाच्यो।।
उत्तर :
(क) व्याख्या भाग देखिए।
(ख) व्याख्या भाग देखिए।
(ग) व्याख्या भाग देखिए।
प्रश्न 9.
देव के अलंकार-प्रयोग और भाषा-प्रयोग के कुछ उदाहरण पठित पदों से लिखिए।
उत्तर :
देव ने सामान्यतया अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, प्रतीप आदि अलंकारों का प्रयोग किया है। ये अलंकार इनके काव्य में सहज ढंग से आए हैं, न कि कवि ने चमत्कार-प्रदर्शन के लिए इनका प्रयोग किया है। हालाँक ये कथ्य को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने में सहायक हैं।
संकलन में देव के तीन पद हैं। इन पदों में अलंकार की स्थिति इस प्रकार है :
पद-1. हंसी की चोट
अनुप्रास अलंकार –
- साँसनि ही सों समीर।
- तेज गयो गुन।
- भूमि गई तन की तनुता करि।
- ‘जा दिन तै ………. जू हरि।’ पूरी पंक्ति में।
यमक अलंकार-
- हेरि हियो जु लियो हरि जु हरि।
यहाँ रेखांकित में यमक है। पहले ‘जु’ का अर्थ ‘जो’ है और दूसरे ‘जू’ का अर्थ ‘प्राण’ है। इसी प्रकार पहले ‘हरि’ का अर्थ ‘कृष्ण या नायक है और दूसरे ‘हरि’ का अर्थ हरण करना’ है। अतः यमक अलंकार है।
पद-2. सपना
पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार –
- ‘झहरि-झहरि’ व ‘घहरि-घहरि’ में।
अनुप्रास अलंकार –
- झहरि-झहरि झीनी।
- घहरि-घहरि घटा घेरी।
- निगोड़ी नींद।
- जानि वा जगन।
- न घन हैं, न घनश्याम।
यमक अलंकार –
- ‘घन व घनश्याम में सभंग पद यमक है।
उत्प्रेक्षा अलंकार –
- झहरि-झहरि झीनी बूँद हैं परति मानो।
विरोधाभास अलंकार –
- सोए गए भाग मेरे जानि वा जगन में।
पद-3. दरजार
अनुप्रास अलंकार –
- मुसाहिब मूक।
- रंग रीझ।
- भूल्यो तहाँ भटक्यो।
- को काहू कर्म।
- निबरे नट।
यमक अलंकार –
- ‘घट औघट’ में सभंग पद या निरर्थक वर्णों का यमक है।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
‘दरबार’ सवैये को भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ‘अंधेर नगरी’ के समकक्ष रखकर विवेचना कीजिए।
उत्तर :
भारतेंदु हरिश्चंद्र का नाटक ‘ अंधर नगरी’ राजाओं की अज्ञानता, बुद्धिहीनता, अदूरदर्शिता व हास्यास्पद स्थिति पर करारा व्यंग्य है। देव का यह सवैया भी सामंती व्यवस्था के गिरते स्तर पर करारी चोट कर रहा है। भारतेंदु का फलक बड़ा है और देव का एक छंद मात्र ही है। विवेच्य विषय दोनों का एक ही है।
प्रश्न 2.
देव के समान भाषा प्रयोग करने वाले किसी अन्य कवि के पदों का संकलन कीजिए।
उत्तर :
विदूयार्थी स्वयं करें।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 12 हँसी की चोट, सपना, दरबार
कथ्य पर आधारित प्रश्नोत्तर –
प्रश्न 1.
‘सपना’ कवित्त में आँख खुलने पर गोपी ने क्या पाया?
उत्तर :
‘सपना’ कवित्त में गोपी की आँख खुलने पर उसने देखा कि वहाँ कृष्ण नहीं हैं, जो उसे अपने साथ झूला झूलने के लिए कह रहे थे तथा चारों तरफ बादल भी नहीं हैं। सपने में जो बूँदें पड़ रही थीं, वे बूँदें उसकी आँखों में आँसू के रूप में तैर रही थीं।
प्रश्न 2.
‘हँसी की चोट’ सवैये में चित्रित विरहिणी की कृशता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
विरह में विरहिणियों की दशा खराब है। उनके शरीर के तत्व एक-एक करके बाहर जा रहे हैं। साँसों के माध्यम से वायु तत्व समाप्त हो गया है। आँसुओं से जल तत्व खत्म हो गया है। शरीर की कमज़ोरी से भूमि तत्व भी चला गया है तथा तेज़ अर्थात अगिन तत्व भी अपना प्रभाव खो चुका है। अब केवल आकाश तत्व ही बचा है।
प्रश्न 3.
‘सपना’ कवित्त में किस प्रसंग का वर्णन हुआ है?
उत्तर :
‘सपना’ कवित्त में कवि ने उस प्रसंग का वर्णन किया है, जिसमें गोपी स्वप्न में कृष्ण के साथ झूला झूलने जा रही है। आकाश में घटा छाई हुई है तथा हल्की-हल्की बारिश हो रही है। इस समय वह गर्व से फूली हुई है। जैसे ही जाने के लिए उठती है, उसकी नींद टूट जाती है। नींद टूटते ही सपना टूटकर बिखर जाता है। अब वह सपना उसकी आँखों में आँसू के रूप में तैर रहा है।
प्रश्न 4.
नायिका कब फूली नहीं समा रही थी और आँख खुलने पर क्या हुआ?
उत्तर :
सपने में नायिका को कृष्ण ने कहा कि आओ आज हम साथ-साथ झूला झूलेंगे। इस आमंत्रण के बाद नायिका गर्व से फूली नहीं समाई। जैसे ही वह उठने को हुई, तभी निर्दयी नींद खुल गई। उसका भाग्य मानो सो गया आँख खुलने पर न बादल थे और न ही कृष्ग। आसमान की बूँदें आँसुओं के रूप में थीं।
प्रश्न 5.
‘दरबार’ सवैये में साहिब को अंधा क्यों कहा गया है?
उत्तर :
‘दरबार’ सवैये में साहब अर्थात सामंतकालीन राजा को अंधा इसलिए कहा गया है, क्योंकि वह केवल अपने राग-रंग में डूबा रहता है। उसे प्रजा की भलाई का कोई खयाल नहीं है। वह मूर्ख लोगों से घिरा रहता है। वह किसी की कोई बात नहीं सुनता है और न अपनी आँखों से प्रजा की दयनीय स्थिति देखता है।
प्रश्न 6.
‘नट की बिगरी मति’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर :
‘नट की बिगरी मति’ से कवि का आशय यह है कि नट, जो कलाकार का प्रतीक है, की बुद्धि फिर गई थी, जो इन मूर्ख लोगों के बीच अपनी कला का प्रदर्शन करने आया है। यहाँ उसकी कला के प्रशंसक नहीं हैं।
प्रश्न 7.
कृष्ण के हँसते हुए मुँह फेरकर चले जाने से गोपिका ने क्या कुछ खो दिया और क्या उसके पास शेष रह गया?
उत्तर :
कृष्ण के हँसकर मुँह फेर लेने से नायिका के शरीर के पाँचों तत्वों में से चार तत्व नष्ट हो गए। साँसों के ज़रीये उसका वायु तत्व चला गया तथा आँसू बहने से जल तत्व समाप्त हो गया। तेज़ भी समाप्त हो गया तथा शरीर कमज़ोर होने पर भूमि तत्व खत्म हो गया। अब केवल कृष्ग से मिलने की आशा में आकाश तत्व बचा है।
प्रश्न 8.
‘सोए गए भाग मेरे जानि वा जगन में’ की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
इस पंक्ति में कवि कहता है कि जब नायिका की नींद खुली, तो ऐसा लगा कि उसका भाग्य सो गया, क्योंक सपने में वह कृष्ण से मिलने का आनंद् उठा रही थी, जो जागने पर समाप्त हो गया। अब उसे इस वियोगावस्था में सपने की संयोगावस्था की अनुभूति हो रही थी।
प्रश्न 9.
‘वेई छाई बूँदैं मेरे आँसु हूवै दृगन में’- ‘वेई छाई बूँदें से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
‘वेई छाई बूँदे’ से कवि का तात्पर्य यह है कि सपने में आकाश में बादल छाए थे तथा हल्की-हल्की बूँदे गिर रही थीं। ये वही बूँदें थीं, जो सपना टूटने पर आँखों के आँसुओं के रूप में मिलीं।
प्रश्न 10.
‘सगरी निसि नाच्यो’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर :
इस पेंक्ति का अर्थ है-सारी रात नाचना। दूसरे शब्दों में, कलाकार ने मूर्ख राजा के दरबार में काफी समय तक कला का प्रदर्शन किया, परंतु रसिकहीनों तथा कला की कद्र न करने वालों पर उसके इस कला-प्रदर्शन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। यहाँ तो ‘भैंस के आगे बीन बजाने’ जैसा हाल हुआ।
प्रश्न 11.
‘हँसी की चोट’ सवैये की अंतिम पंक्ति में यमक और अनुप्रास का प्रयोग करके कवि क्या मर्म अभिव्यंजित करना चाहता है?
उत्तर :
‘हँसी की चोट’ सवैये की अंतिम पंक्ति है –
जा दिन तै मुख फेरि हरै हँसि,
हेरि हियो जु लियो हरि जू हरि।
उपर्युक्त पंक्ति में, कवि ने यमक तथा अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया है।
यहाँ ‘ह’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
‘हरि’ शब्द के दो अर्थ हैं-कृष्ण व हरना। यमक अलंकार से नायिका की व्याकुलता को दर्शाया गया है। श्रीकृष्ण के मुँह फेरकर चले जाने के बाद नायिका वियोगावस्था में अत्यधिक दुखी है।