Understanding the question and answering patterns through Geography Practical Book Class 11 Solutions Chapter 4 मानचित्र प्रक्षेप will prepare you exam-ready.
Class 11 Geography NCERT Solutions Chapter 4 in Hindi मानचित्र प्रक्षेप
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प को चुनें-
(i) मानचित्र प्रक्षेप, जो कि विश्व के मानचित्र के लिए न्यूनतम उपयोगी है-
(क) मर्केटर
(ख) बेलनी
(ग) शंकु
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ग) शंकु
(ii) एक मानचित्र प्रक्षेप, जो न सम-क्षेत्र हो एवं न ही शुद्ध आकार वाला हो तथा जिसकी दिशा भी शुद्ध नहीं होती है-
(क) शंकु
(ख) ध्रुवीय शिराबिन्दु
(ग) मर्केटर
(घ) बेलनी
उत्तर:
(क) शंकु
(iii) एक मानचित्र प्रक्षेप, जिसमें दिशा एवं आकृति शुद्ध होती है, लेकिन ध्रुवों की ओर यह बहुत अधिक विकृत हो जाती है-
(क) बेलनाकार सम – क्षेत्र
(ख) मर्केटर
(ग) शंकु
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ख) मर्केटर
(iv) जब प्रकाश के स्रोत को ग्लोब के मध्य रखा जाता है, तब प्राप्त प्रक्षेप को कहते हैं-
(क) लम्बकोणीय
(ख) त्रिविम
(ग) नोमॉनिक
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ग) नोमॉनिक
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-
(i) मानचित्र प्रक्षेप के तत्त्वों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानचित्र प्रक्षेप के तत्त्व निम्न हैं-
- पृथ्वी का छोटा रूप : मानचित्र प्रक्षेप में पृथ्वी के मॉडल को छोटी मापनी की सहायता से कागज के समतल सतह पर दर्शाया जाता है।
- अक्षांश के समान्तर : ये ग्लोब के चारों ओर स्थित वे वृत्त हैं जो विषुवत वृत्त के समान्तर होते हैं।
- देशान्तर के याम्योत्तर : ये अर्द्ध-वृत्त होते हैं जो उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव की ओर खींचे जाते हैं।
- मानचित्र प्रक्षेप बनाने में ग्लोब की सतह के मूल गुणों को संरक्षित रखा जाता है।
(ii) भूमण्डलीय सम्पत्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
क्षेत्रफल, आकृति, दिशा एवं दूरी को भूमण्डलीय गुण या सम्पत्ति कहा जाता है। इन भूमण्डलीय सम्पत्ति के आधार पर प्रक्षेपों को समक्षेत्र, यथाकृतिक, समदूरस्थ प्रक्षेप में वर्गीकृत किया गया है।
(iii) कोई भी मानचित्र ग्लोब का सही रूप नहीं दर्शाता है, क्यों?
उत्तर:
पृथ्वी का आकार जिऑयड की भाँति है। ग्लोब पृथ्वी का सबसे अच्छा प्रतिरूप होता है। यह पृथ्वी का त्रिविम स्वरूप दिखाता है। ग्लोब के इसी गुण के कारण महाद्वीपों एवं महासागरों के सही आकार, दिशा एवं दूरी की सही-सही जानकारी प्रदान की जाती है। मानचित्र में पृथ्वी का द्विविम प्रदर्शन होता है अतः यह ग्लोब का सही रूप नहीं दर्शाता।
(iv) बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप में क्षेत्र को समरूप कैसे रखा जाता है?
उत्तर:
बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप में एक दिशा में मापनी के परिवर्तन से उत्पन्न क्षेत्रफल की क्षति को दूसरी दिशा में मापनी परिवर्तन से पूरा कर दिया जाता है। अर्थात् अगर किसी प्रक्षेप में अक्षांशीय मापक में वृद्धि होती है तो क्षेत्र की समरूपता का गुण बनाए रखने के लिए देशान्तरीय मापक में उसी अनुपात में वृद्धि कर दी जाती है। इस प्रकार बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप में क्षेत्र को समरूप रखा जाता है।
प्रश्न 3.
अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(i) विकासनीय एवं अविकासनीय पृष्ठ।
उत्तर:
विकासनीय पृष्ठ वह होता है, जिसे समतल किया जा सकता है तथा जिस पर अक्षांश एवं देशान्तरों के जाल को प्रक्षेपित किया जा सके। बेलन, शंकु इसके उदाहरण हैं। अविकासनीय पृष्ठ वह है जिसे बिना सिकोड़े, खण्डित किए अथवा तोड़े-मोड़े चपटा नहीं किया जा सकता। ग्लोब इसका उदाहरण है।
(ii) समक्षेत्र तथा यथाकृतिक प्रक्षेप।
उत्तर:
समक्षेत्र प्रक्षेप के द्वारा पृथ्वी के विभिन्न भागों को सही-सही क्षेत्रफल के साथ दर्शाया जाता है, आकार में विकृति आती जाती है।
यथाकृतिक प्रक्षेप:
में क्षेत्रफल की शुद्धता का ध्यान नहीं रखा जाता, परन्तु विभिन्न क्षेत्रों की आकृति को सही – सही चित्रित किया जाता है।
(iii) अभिलम्ब एवं तिर्यक प्रक्षेप।
उत्तर:
अभिलम्ब प्रक्षेप में विकासनीय पृष्ठ ग्लोब पर विषुवत वृत्त को स्पर्श करता है। तिर्यक प्रक्षेप में विकासनीय पृष्ठ विषुवत वृत्त या ध्रुव के बीच किसी बिन्दु पर स्पर्शरेखीय होता है।
(iv) अक्षांश के समान्तर और देशान्तर के याम्योत्तर।
उत्तर:
अक्षांश के समान्तर ग्लोब के चारों ओर स्थित वे वृत्त हैं जो विषुवत वृत्त के समान्तर एवं ध्रुवों से समान दूरी पर स्थित होते हैं। ये एक समान लम्बाई के नहीं होते हैं। ये पूर्व से पश्चिम की ओर खींचे जाते हैं तथा एक- दूसरे से नहीं मिलते हैं। देशान्तर के याम्योत्तर वे अर्द्धवृत्त हैं जो उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव तक खींचे जाते हैं। दो विपरीत याम्योत्तर एक वृत्त का निर्माण करते हैं। ये सभी दोनों ध्रुवों पर एक बिन्दु पर मिलते हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दीजिए-
प्रश्न 4.
मानचित्र प्रक्षेप का वर्गीकरण करने के आधार की विवेचना कीजिए तथा प्रक्षेपों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
मानचित्र प्रक्षेप के वर्गीकरण के आधार निम्न हैं-
- बनाने की तकनीकी के आधार पर
- भूमण्डलीय गुणों के आधार पर
- प्रकाश के स्रोत के आधार पर
- विकासनीय पृष्ठ के आधार पर
प्रक्षेपी की मुख्य विशेषताएँ-
(a) बनाने की तकनीकी के आधार पर:
- संदर्श प्रक्षेप : संदर्श प्रक्षेप विकासनीय पृष्ठ पर ग्लोब के याम्योत्तर तथा समान्तर से बने जाल के प्रतिबिम्ब को प्रक्षेपित करके बनाया जा सकता है।
- असंदर्श प्रक्षेप : असंदर्श प्रक्षेप प्रकाश के स्रोत या प्रतिबिम्ब की सहायता के बिना बनाया जाता है जो कि समतल हो।
- रूढ़ अथवा गणितीय प्रक्षेप : रूढ़ प्रक्षेप वे हैं जिनकी व्युत्पत्ति गणितीय गणना एवं सूत्रों के द्वारा होती है तथा प्रक्षेपित प्रतिबिम्ब के साथ इनका सम्बन्ध कम होता है।
(b) भूमण्डलीय गुणों के आधार पर:
- समक्षेत्र प्रक्षेप : समक्षेत्र प्रक्षेप को होमोलोग्राफीय प्रक्षेप भी कहा जाता है । यह वह प्रक्षेप होता है जिसमें पृथ्वी के विभिन्न भागों को सही-सही दर्शाया जाता है।
- यथाकृतिक प्रक्षेप : यथाकृतिक प्रक्षेप वह है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की आकृति को सही-सही चित्रित किया जाता है। इसमें क्षेत्रफल की शुद्धता का ध्यान रखे बिना आकृति को यथावत् बनाए रखा जाता है।
- दिगंशीय प्रक्षेप : दिगंशीय प्रक्षेप वह है, जिसमें केन्द्र से सभी बिन्दुओं की दिशाओं को सही-सही दर्शाया जाता है।
- समदूरस्थ प्रक्षेप : समदूरस्थ प्रक्षेप वह प्रक्षेप है, जिसमें दोनों विशेषताओं को एक साथ दर्शाया जा सके, जिसमें दूरी या मापनी की शुद्धता को बनाए रखा जाता है।
(c) प्रकाश के स्रोत के आधार पर:
- नोमॉनिक प्रक्षेप : यह प्रकाश को ग्लोब के केन्द्र में रख कर प्राप्त किया जाता है।
- त्रिविम प्रक्षेप : यह प्रकाश के स्रोत को समतल कागज के ग्लोब से सटे हुए भाग के विपरीत ग्लोब की परिधि में रखकर खींचा जाता है।
- लम्बकोणीय प्रक्षेप : ग्लोब के जिस बिन्दु पर समतल सतह सटी होती है, उसके विपरीत अनन्त दूरी पर रखे प्रकाश के स्रोत के द्वारा खींचा जाता है।
(d) विकासनीय पृष्ठ के आधार पर :
- बेलनी प्रक्षेप : बेलनी प्रक्षेपों को बेलनाकार विकासनीय पृष्ठ का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। एक कागज का बना बेलन ग्लोब को लपेट लेता है तथा उस पर समान्तरों एवं याम्योत्तरों को प्रक्षेपित किया जाता है। जब बेलन को काट कर खोला जाता है, तब यह समतल कागज पर बेलनी प्रक्षेप के रूप में प्रकट होता है।
- शंकु प्रक्षेप : एक शंकु प्रक्षेप ग्लोब के चारों ओर शंकु को लपेट कर खींचा जाता है एवं इस पर पड़ने वाले रेखाजाल की छाया को प्रक्षेपित किया जाता है। जब शंकु को काटकर खोला जाता है, तब हमें चपटे कागज पर एक शंकु प्रक्षेप प्राप्त होता है।
- खमध्य प्रक्षेप : जब एक समतल सतह ग्लोब के किसी बिन्दु को स्पर्श करता है तथा इस पर रेखाजाल को प्रक्षेपित किया जाता है, तब खमध्य प्रक्षेप समतल सतह पर सीधे प्राप्त किया जाता है।
II. कौनसा मानचित्र प्रक्षेप नौ संचालन उद्देश्य के लिए बहुत उपयोगी होता है? इस प्रक्षेप की सीमाओं एवं उपयोगों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
नौ संचालन के उद्देश्य से मर्केटर प्रक्षेप बहुत उपयोगी होता है क्योंकि इसमें केन्द्र से सभी बिन्दुओं की दिशाओं को सही-सही दर्शाया जाता है।
- सीमाएँ :
- याम्योत्तर एवं अक्षांशों के सहारे मापनी का विस्तार उच्च अक्षांशों पर तीव्रता से बढ़ता है जिसके परिणामस्वरूप, ध्रुव के निकटवर्ती देशों का आकार उनके वास्तविक आकार से अधिक हो जाता है। उदाहरण के लिए, ग्रीनलैंड का आकार संयुक्त राज्य अमेरिका के बराबर हो जाता है, जबकि यह अमेरिका के आकार का 1/10वाँ हिस्सा है।
- इस प्रक्षेप में ध्रुवों को प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि 90° अक्षांश समान्तर एवं याम्योत्तर रेखाएँ अनन्त होती हैं।
- उपयोग :
- यह विश्व के मानचित्र के लिए बहुत ही उपयोगी है तथा एटलस मानचित्रों को बनाने में इसका उपयोग किया जाता है।
- यह समुद्र एवं वायु मार्गों पर नौसंचालन के लिए बहुत ही उपयोगी है।
- अपवाह प्रतिरूपों, समुद्री धाराओं, तापमान, पवनों एवं उनकी दिशाओं, पूरे विश्व में वर्षा का वितरण इत्यादि को मानचित्र पर दर्शाने के लिए यह उपयुक्त है।
III. एक मानक अक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप के मुख्य गुण क्या हैं तथा उसकी सीमाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक मानक अक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप के मुख्य गुण:
- सभी अक्षांशों के समान्तर वृत्तों के चाप होते हैं तथा उनके बीच की दूरी बराबर होती है।
- सभी याम्योत्तर रेखाएँ सीधी होती हैं, जो ध्रुवों पर मिल जाती हैं। याम्योत्तर समान्तर को समकोण पर काटती हैं।
- सभी याम्योत्तरों की मांपनी सही होती है, अर्थात् याम्योत्तरों पर सारी दूरियाँ सही होती हैं।
- एक वृत्त का चाप ध्रुव को दर्शाता है।
- मानक समान्तर पर मापनी शुद्ध होती है, लेकिन इससे दूर यह विकृत हो जाती है।
- याम्योत्तर ध्रुवों के निकट जाते हुए एक-दूसरे के समीप आ जाते हैं।
- यह प्रक्षेप न तो समक्षेत्र है तथा न ही यथाकृतिक प्रक्षेप।
सीमाएँ :
- यह विश्व मानचित्र के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि जिस गोलार्द्ध में मानक अक्षांश वृत्त चुना जाता है, उसके विपरीत गोलार्द्ध में चरम विकृति होती है।
- जिस गोलार्द्ध में यह बनाया जाता है, उसके लिए भी यह उपयुक्त नहीं है, क्योंकि उसमें भी ध्रुव पर तथा विषुवत वृत्त के पास विकृति होने के कारण इसका उपयोग बड़े क्षेत्र को प्रदर्शित करने के लिए अनुपयुक्त है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
1. निम्न में से किस प्रक्षेप में ध्रुव नहीं दर्शाए जा सकते
(अ) एक मानक अक्षांश वाला शंकु प्रक्षेप
(ब) बेलनाकार समक्षेत्रफल में
(स) दो मानक अक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप में
(द) मर्केटर में
उत्तर:
(द) मर्केटर में
2. यथाकृतिक प्रक्षेप है-
(अ) एक प्रधान अक्षांश वाला शंकु प्रक्षेप
(ब) दो प्रधान अक्षांश वाला शंकु प्रक्षेप
(स) मर्केटर प्रक्षेप
(द) बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप
उत्तर:
(स) मर्केटर प्रक्षेप
3. उष्ण कटिबन्धीय फसलों का वितरण दिखाया जाता है
(अ) मर्केटर से
(ब) एक मानक अक्षांश वाला शंकु प्रक्षेप से
(स) बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप से
(द) इनमें से किसी से नहीं
उत्तर:
(स) बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप से
4. समुद्री धाराओं, पवनों की दिशा, वर्षा वितरण दर्शाया जाता है
(अ) मर्केटर प्रक्षेप से
(ब) बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप से
(स) एक प्रधान अक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप से
(द) इनमें से किसी से नहीं
उत्तर:
(अ) मर्केटर प्रक्षेप से
5. नर्मदा नदी घाटी को प्रदर्शित किया जायेगा
(अ) एक मानक अक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप से
(ब) मर्केटर प्रक्षेप से
(स) समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप से
(द) इनमें से किसी से नहीं
उत्तर:
(अ) एक मानक अक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप से
6. विश्व में वर्षा के वितरण को मानचित्र में दर्शाने हेतु उपयुक्त है—
(अ) मर्केटर प्रक्षेप
(ब) बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप
(स) एक मानक अक्षांश शंकु प्रक्षेप
(द) दो मानक अक्षांश वाला शंकु प्रक्षेप
उत्तर:
(अ) मर्केटर प्रक्षेप
7. प्रकाश के स्रोत के आधार पर मानचित्र प्रक्षेप का प्रकार हैं–
(अ) नोमॉनिक प्रक्षेप
(स) लंबकोणीय प्रक्षेप
(ब) त्रिविम प्रक्षेप
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
8. भूमण्डलीय गुणों के आधार पर मानचित्र प्रक्षेप का प्रकार है-
(अ) समक्षेत्र प्रक्षेप
(ब) यथाकृतिक प्रक्षेप
(स) दिगंशीय प्रक्षेप
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
9. विकासनीय पृष्ठ के आधार पर मानचित्र प्रक्षेप का प्रकार है-
(अ) बेली प्रक्षेप
(ब) शंकु प्रक्षेप
(स) खमध्य प्रक्षेप
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
10. बनाने की तकनीक के आधार पर प्रक्षेप का प्रकार है—
(अ) संदर्श
(ब) असंदर्श
(स) रूढ़
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
रम्ब लाइन या लेक्सोड्रोम किसे कहते हैं?
उत्तर:
रम्ब लाइन मर्केटर प्रक्षेप पर खींची जाने वाली सीधी रेखा है जो एक स्थिर दिक्मान वाले दो बिन्दुओं को जोड़ती है। इसे लेक्सोड्रोम भी कहते हैं।
प्रश्न 2.
दिगंशीय प्रक्षेप क्या है?
उत्तर:
दिगंशीय प्रक्षेप वह है, जिसमें केन्द्र से सभी बिन्दुओं की दिशाओं को सही-सही दर्शाया जाता है।
प्रश्न 3.
समदूरस्थ प्रक्षेप किसे कहते हैं?
उत्तर:
समदूरस्थ प्रक्षेप वह है जिसमें दूरी या मापनी की शुद्धता को बनाए रखा जाता है। इसमें कुछ चुने हुए समान्तरों एवं याम्योत्तरों के साथ इसकी शुद्धता को बनाए रखा जाता है।
प्रश्न 4.
प्रकाश स्रोत के आधार पर प्रक्षेप के प्रकार बताइए।
उत्तर:
प्रकाश स्रोत के आधार पर प्रक्षेप को 3 भागों में वर्गीकृत किया गया है
- नोमॉनिक प्रक्षेप,
- त्रिविम प्रक्षेप,
- लम्बकोणीय प्रक्षेप।
प्रश्न 5.
नोमॉनिक प्रक्षेप, त्रिविम प्रक्षेप एवं लम्बकोणीय प्रक्षेप में प्रकाश स्रोत की स्थिति कहाँ-कहाँ होती है?
उत्तर:
नोमॉनिक प्रक्षेप में प्रकाश केन्द्र की स्थिति ग्लोब के केन्द्र में, त्रिविम प्रक्षेप में समतल कागज के ग्लोब से सटे हुए भाग के विपरीत ग्लोब की परिधि पर तथा लम्बकोणीय में प्रक्षेप की स्थिति अनन्त पर मानी जाती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक मानक अक्षांश वाले प्रक्षेप के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
एक मानक अक्षांश वाले प्रक्षेप के उपयोग :
- सामान्यतः इस प्रक्षेप का उपयोग मध्य अक्षांश क्षेत्रों के सीमित अक्षांशीय तथा बड़े देशान्तरीय विस्तार के मानचित्रण के लिए किया जाता है।
- इस प्रक्षेप के द्वारा मानक अक्षांश के साथ पूर्व से पश्चिम दिशा में लम्बी संकीर्ण पट्टी को शुद्ध रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
- मानक अक्षांशों की दिशा का उपयोग रेल लाइनों, सड़कों, संकीर्ण नदी घाटियों तथा अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं को प्रदर्शित करने में किया जाता है।
- यह प्रक्षेप कैनेडियन प्रशान्त रेल लाइन, ट्रांस-साइबेरियन रेल लाइन, कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय सीमा तथा नर्मदा घाटी को प्रदर्शित करने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है।
प्रश्न 2.
संदर्श एवं असंदर्श प्रक्षेप में अन्तर बताइए।
उत्तर:
संदर्श प्रक्षेप विकासनीय पृष्ठ पर ग्लोब के याम्योत्तर तथा समान्तर से बने जाल के प्रतिबिम्ब को प्रक्षेपित करके बनाया जा सकता है। असंदर्श प्रक्षेप प्रकाश के स्त्रोत या प्रतिबिम्ब की सहायता के बिना बनाया जाता है, जो कि समतल हो सकता है।
प्रश्न 3.
ग्लोब की सीमाएँ बताइए।
उत्तर:
एक ग्लोब की अनेक सीमाएँ होती हैं। यह महँगा होता है। इसे न तो आसानी से किसी भी जगह ले जाया जा सकता है और न ही छोटी-छोटी जानकारियाँ इस पर दिखाई जा सकती हैं। ग्लोब पर याम्योत्तर अर्द्धवृत्त एवं समान्तर पूर्णवृत्त होते हैं। जब उन्हें समतल सतह पर स्थानान्तरित किया जाता है, तब वे सीधी या वक्र प्रतिच्छेदी रेखाएँ बनाते हैं।
प्रश्न 4.
मानचित्र प्रक्षेप किसे कहते हैं एवं इसकी आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
यह गोलाकार सतह को समतल सतह पर स्थानान्तरित करने की एक पद्धति है। किसी सुविधाजनक मापनी पर गोलाकार पृथ्वी या उसके किसी अंश की अक्षांश समान्तर एवं देशान्तर याम्योत्तर रेखाओं के जाल को समतल सतह पर स्थानान्तरित करने का यह व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध कार्य होता है।
आवश्यकता :
मानचित्र प्रक्षेप की आवश्यकता इसलिए पड़ती है क्योंकि ग्लोब पर छोटे स्थानों के विस्तृत विवरण को देखने में कठिनाई होती है। ग्लोब पर दो प्राकृतिक प्रदेशों की तुलना करना मुश्किल होता है परन्तु मानचित्र प्रक्षेप से यह तुलना आसान हो जाती है। मानचित्र प्रक्षेप के माध्यम से छोटे स्थानों के विवरणों की व्याख्या की जा सकती है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप के गुण, सीमाएँ एवं उपयोग बताइए।
उत्तर:
बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप को लैम्बर्ट प्रक्षेप के नाम से भी जाना जाता है। इसे ग्लोब के विषुवतीय वृत्त पर सटे बेलन पर पड़ने वाली समान्तर किरणों के द्वारा प्राप्त किया जाता है। समान्तर एवं याम्योत्तर रेखाओं का प्रक्षेपण सीधी रेखा के रूप में तथा एक-दूसरे को समकोण पर काटते हुए प्राप्त किया जाता है।
गुण :
- सभी समान्तर एवं याम्योत्तर सीधी रेखाएँ होती हैं, जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं।
- ध्रुवीय समान्तर भी विषुवत वृत्त के बराबर होती है।
- मापनी केवल विषुवत वृत्त के पास ही सही होती है।
सीमाएँ :
- इसमें ध्रुव की ओर विकृति बढ़ती जाती है।
- यह प्रक्षेप यथाकृतिक प्रक्षेप नहीं है।
- क्षेत्र की समानता को बनाए रखने के लिए आकार में विकृति लानी पड़ती है।
उपयोग :
- यह प्रक्षेप 45° उ. एवं द. अक्षांशों के बीच के क्षेत्रों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है।
- यह उष्णकटिबन्धीय फसलों जैसे—चावल, चाय, कॉफी, रबड़ तथा गन्ना पैदा करने वाले क्षेत्रों को दर्शाने के लिए अधिक उपयुक्त है।
क्रियाकलाप
(1) 30° उ. से 70° उ. तथा 40° प. से 30° पू. के बीच स्थित एक क्षेत्र का रेखाजाल एक मानक अक्षांश वाले सामान्य शंकु प्रक्षेप पर बनाइए, जिसकी मापनी 1: 20,00,00,000 तथा मध्यांतर 10° है ।
गणना – पृथ्वी की घटी हुई त्रिज्या = \(\frac{64,00,00,000}{20,00,00,000}\) = 3.2 से.मी.
मानक अक्षांश 50° उत्तरी है। ( 30, 40, 50, 60, 70 )
देशान्तर = W (40, 30, 20, 10, 0, 10, 20, 30)E
रचना:
चित्र A के अनुसार 3.2 सेमी. का अर्द्धव्यास लेकर वृत्त का चतुर्थांश ABO खींचेंगे। OB रेखा के बिन्दु O पर 10° अन्तराल के बराबर कोण DOB तथा मानक अक्षांश के बराबर कोण COB बनाएँगे। C बिन्दु पर लम्ब उठायेंगे जो बढ़ाई गई रेखा को P बिन्दु पर काटता है। अब O को केन्द्र मानकर BD अर्द्धव्यास से वृत्तांश खीचेंगे जो OC रेखा को E बिन्दु पर काटेगा | E बिन्दु से OA रेखा पर EF लम्ब खींचेंगे।
प्रक्षेप बनाने के लिए एक लम्बवत् सरल रेखा P’G’ खींचेंगे। जो इस प्रक्षेप की केन्द्रीय मध्याह्न रेखा होगी तथा प्रश्न के अनुसार इसका मान 0° देशान्तर होगा। अब PC के बराबर दूरी लेकर P’ बिन्दु से एक वृत्तांश खीचेंगे जो प्रक्षेप में 50° उत्तर की मानक अक्षांश रेखा को प्रकट करेगा। अन्य वृत्तांश बनाने के लिए केन्द्रीय मध्याह्न रेखा पर BD दूरी के बराबर अंतर पर मानक अक्षांश से P’ की ओर दो चिन्ह तथा G’ की ओर दो चिन्ह लगाएँगे। P’ बिन्दु को केन्द्र मानकर इन चिन्हों से होकर गुजरते हुए वृत्तों के चाप खींचेंगे तथा चित्र के अनुसार इन चापों पर अक्षांश रेखाओं के अंशों में मान लिखेंगे।
अब EF दूरी के अंतर पर मानक अक्षांश में केन्द्रीय मध्याह्न रेखा के एक ओर तीन एवं दूसरी ओर चार चिन्ह लगाएँगे। इन चिह्नों को P’ बिन्दु से मिलाते हुए सरल रेखा खींचेंगे। ये सरल रेखाएँ देशान्तर प्रकट करेंगी। देशान्तर रेखाओं पर उनके मान लिखेंगे। प्रक्षेप के नीचे उसकी प्रदर्शक भिन्न लिखेंगे।
(2) विश्व का रेखाजाल बेलनाकार सम-क्षेत्र प्रक्षेप पर बनाइए, जहाँ प्रतिनिधि भिन्न 1 : 15,00,00,000 तथा मध्यांतर 15° है।
गणना:
ग्लोब का अर्द्धव्यास = \(\frac{64,00,00,000}{15,00,00,000}\) 4.2 सेमी.
विषुवत वृत्त की लम्बाई = 2πR = 2 × \(\frac{22}{7}\) × 4.2 = 26.4 सेमी.
विषुवत वृत्त के साथ मध्यांतर = 2 × \(\frac{22}{7}\) × 4.2 = 26.4 सेमी.
2 संलग्न देशान्तर रेखाओं के बीच दूरी = 26.4 × \(\frac{15}{360}\)
= 1.09 सेमी.
रचना:
प्रक्षेप बनाने के लिए किसी बिन्दु 0 को केन्द्र मानकर 4.2 सेमी. के अर्द्धव्यास का एक वृत्त बनाएँगे । जिसमें AC रेखा वृत्त का ध्रुवीय व्यास होगा। 0 तथा B बिंदु को मिलाते हुए आगे बढ़ाएँगे तथा बढ़ाई गई रेखा में 26.4 सेमी. अर्थात् भूमध्य रेखा के बराबर BD रेखा काटेंगे। B बिंदु पर EF तथा D बिंदु पर GH लम्ब खींचेंगे। ये लम्ब रेखाएँ प्रक्षेप में क्रमश: 180° पश्चिम तथा 180° पूर्व की देशान्तर रेखाओं को प्रकट करेंगी। अब OB रेखा के O बिंदु पर 15° के अंतराल पर कोण बनाती हुई रेखाएँ खींचेंगे। A, J, K, L, M, N, P, Q, R, S, T, C बिन्दुओं से BD के समान्तर रेखाएँ खींचकर क्रमशः 90° उ., 75° उ., 60°उ., 45°उ., 30° उ., 15° उ. तथा 15° द., 30° द., 45° द., 60° द., 75° द., 90° द. के अक्षांश वृत्त पूर्ण करेंगे। शेष देशान्तर बनाने के लिए 1.09 सेमी. के अंतराल पर 24 भागों में विभाजित करेंगे। इसे ऊपर दिए गए बेलनाकार सम क्षेत्रफल प्रक्षेप के अनुसार बनाया जाएगा।
(3) 1 : 25,00,00,000 की मापनी पर एक मर्केटर प्रक्षेप का रेखाजाल बनाइए, जिसमें अक्षांश एवं देशान्तर 20° के मध्यांतर पर खींची जाए।
गणना-
ग्लोब का अर्द्धव्यास = \(\frac{64,00,00,000}{25,00,00,000}\) = 2.56 सेमी.
भूमध्य रेखा की लंबाई = 2rR
= 2 × \(\frac{22}{7}\) × 2.56 = 16.1 सेमी.
दिए गए अंतराल पर 2 संलग्न देशान्तर रेखाओं के बीच दूरी
= [/latex]\frac{2 \pi \mathrm{R}}{360}[/latex] × 20 = \(\frac{16.1 \times 20}{360}\) = 9 सेमी.
रचना:
16.1 सेमी. लम्बी AB भूमध्य रेखा खींचेंगे। AB रेखा के दोनों ओर A बिन्दु पर CD तथा B बिन्दु पर EF लम्ब खींचेंगे। प्रक्षेप में दिए गए अंतराल पर 20°, 40°, 60°, 80° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांश वृत्त बनेंगे। इन अक्षांश वृत्तों की भूमध्य रेखा से दूरियाँ निम्न प्रकार ज्ञात करेंगे। 0.356 x R =
- 20° अक्षांश वृत्त की भूमध्य रेखा से दूरी = 0.356 × 2.56 = .91
- 40° अक्षांश वृत्त की सेमी. भूमध्य रेखा से दूरी = .763 × 2.56 = 1.9
- 60° अक्षांश वृत्त की सेमी. भूमध्य रेखा से दूरी = 1.317 × 2.56 = 3.37
- 80° अक्षांश वृत्त की सेमी. भूमध्य रेखा से दूरी = 2.436 × 2.56 = 6.23 सेमी.
अब A बिन्दु से .91 सेमी., 1.95 सेमी., 3.37 सेमी., 6.23 सेमी. की दूरी AC रेखा पर क्रमश: G, H, I तथा C बिन्दु एवं AD रेखा पर क्रमश: J, K, L, D बिन्दु अंकित करेंगे। इस प्रकार अंकित बिन्दुओं से AB के समान्तर रेखाएँ खींचकर 20°, 40°, 60°, 80° के उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांश वृत्त पूर्ण करेंगे। 20° के अंतराल पर शेष देशान्तर रेखाएँ बनाने के लिए 9 सेमी. के अंतराल के समान भागों में विभाजित कर लम्ब रेखाएँ खींचेंगे। इसे ऊपर दिए मर्केटर प्रक्षेप के चित्र के अनुसार बनाया जाएगा।