Understanding the question and answering patterns through Geography Practical Book Class 11 Solutions Chapter 1 मानचित्र का परिचय will prepare you exam-ready.
Class 11 Geography Practical Chapter 1 Question Answer in मानचित्र का परिचय
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनें।
(i) रेखाओं एवं आकृतियों के मानचित्र कहे जाने के लिए निम्नलिखित में से क्या अनिवार्य है
(क) मानचित्र रूढ़ि
(ख) प्रतीक
(ग) उत्तर दिशा
(घ) मानचित्र मापनी
उत्तर:
(घ) मानचित्र मापनी
(ii) एक मानचित्र जिसकी मापनी 1 : 4000 एवं उससे बड़ी है, उसे कहा जाता है-
(क) भूसम्पत्ति मानचित्र
(ख) स्थलाकृतिक मानचित्र
(ग) भित्ति मानचित्र
(घ) एटलस मानचित्र
उत्तर:
(क) भूसम्पत्ति मानचित्र
(iii) निम्नलिखित में से कौनसा मानचित्र के लिए अनिवार्य नहीं है—
(क) मानचित्र प्रक्षेप
(ख) मानचित्र व्यापकीकरण
(ग) मानचित्र अभिकल्पना
(घ) मानचित्रों का इतिहास
उत्तर:
(घ) मानचित्रों का इतिहास
निम्न प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-
प्रश्न 1.
मानचित्र व्यापकीकरण क्या है?
उत्तर:
मानचित्र की आकृतियों का सरल प्रदर्शन जो इसकी मापनी या उद्देश्य के उपयुक्त हो एवं उनके वास्तविक स्वरूप को प्रभावित नहीं करता हो, मानचित्र व्यापकीकरण कहलाता है।
प्रश्न 2.
मानचित्र अभिकल्पना क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
मानचित्र अभिकल्पना में मानचित्र की आलेखी विशिष्टताओं जैसे उचित संकेतों का चयन, . उनके प्रकार एवं आकार, लिखावट का तरीका, रेखाओं की चौड़ाई का निर्धारण, रंगों का चयन, रूढ़ चिन्ह आदि को योजनाबद्ध किया जाता है। इससे मानचित्र निर्माण से संबंधित जटिलताएँ कम होती हैं तथा मानचित्र अभिकल्पना से उन सिद्धान्तों की गहन जानकारी होती है जो आलेखी संचार के प्रभावों का नियमन करते हैं।
प्रश्न 3.
लघुमान वाले मानचित्रों के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
लघुमान मानचित्रों को 2 वर्गों में विभाजित किया जाता है-
- भित्ति मानचित्र : ये बड़े आकार के कागज या प्लास्टिक पर बने मानचित्र होते हैं जिनका उपयोग कक्षा या व्याख्यान कक्ष के लिए होता है।
- एटलस मानचित्र : ये मानचित्र बड़े आकार वाले क्षेत्रों को प्रदर्शित करते हैं तथा भौतिक एवं सांस्कृतिक विशिष्टताओं को सामान्य तरीके से दर्शाते हैं।
प्रश्न 4.
वृहद् मापनी के मानचित्रों के दो प्रमुख प्रकारों को लिखें।
उत्तर:
वृहद् मापनी के दो प्रमुख प्रकार निम्न हैं:
- भू-सम्पत्ति मानचित्र:
ये मानचित्र 1 : 4000 मापनी या उससे बड़ी मापनी पर बनाए जाते हैं। इनका निर्माण कृषि भूमि का सीमा निर्धारण नगरों के व्यक्तिगत मकानों को प्लान में दर्शाने के लिए होता है। - स्थलाकृतिक पत्रक:
इन मानचित्रों में स्थलाकृतिक आकृतियाँ जैसे उच्चावच, अपवाह, वन, बस्ती, परिवहन साधन, कृषि भूमि आदि को रूढ़ चिन्हों एवं समान रंगों से दर्शाया जाता है।
प्रश्न 5.
मानचित्र रेखाचित्रों से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
मानचित्र सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके किसी भाग का समतल पृष्ठ पर समानीत मापनी द्वारा वरणात्मक, तथा व्यापकीकृत निरूपण होता है। जबकि वास्तविक मापनी या अभिविन्यास के बिना मुक्त हस्त से खींचे गए सरल मानचित्र रेखाचित्र कहलाते हैं।
प्रश्न 3.
मानचित्र के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या करें।
उत्तर:
मानचित्र किसी मापनी से लघुकृत हुए आयामों के आधार पर सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके किसी भाग का चयनित, संकेतात्मक तथा सामान्य प्रदर्शन है। मानचित्रों को वर्गीकृत करने के विभिन्न आधार हैं। मानचित्रों के विभिन्न प्रकारों को निम्न चित्र की सहायता से समझा जा सकता है-
मापनी आधारित मानचित्रों के प्रकार – मापनी के आधार पर मानचित्रों को वृहद् मापनी तथा लघु मापनी मानचित्रों में वृर्गीकृत किया जा सकता है।
1. वृहद् मापनी मानचित्र : इन मानचित्रों में छोटे क्षेत्रों को अपेक्षाकृत वृहद् मापनी के द्वारा दिखाया जाता है। इन मानचित्रों के दो प्रकार हैं-
(क) भू-सम्पत्ति मानचित्र:
कैडस्ट्रल या भूसम्पत्ति शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के ‘कैडेस्त्रे’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है, क्षेत्रीय सम्पत्ति की पंजिका। इन मानचित्रों का निर्माण कृषित भूमि की सीमा निर्धारण तथा नगरों में व्यक्तिगत मकानों के प्लान को दर्शाने के लिए किया जाता है। ये मानचित्र सरकार द्वारा विशेष रूप से भूमिकर, लगान वसूली, स्वामित्व रिकार्ड रखने के लिए किया जाता है। गाँवों के भू-सम्पत्ति मानचित्र 1 : 4000 तथा नगरों के मानचित्र 1: 2000 मापनी पर बनाए जाते हैं।
(ख) स्थलाकृतिक पत्रक:
ये मानचित्र भारत के सर्वेक्षण विभाग द्वारा 1 : 2,50,000, 1: 50,000 तथा 1 : 25,000 की मापनी पर बनाए जाते हैं। इन मानचित्रों में स्थलाकृतिक जानकारियाँ जैसे-आकृति, उच्चावच, अपवाह, कृषि भूमि, वन, बस्ती, परिवहन के साधन, स्कूलों, डाकघरों की स्थिति तथा अन्य सेवाओं एवं सुविधाओं को रूढ़ चिन्हों एवं समान रंगों द्वारा दर्शाया जाता है।
2. लघु मापनी मानचित्र: लघुमान मानचित्रों का प्रयोग वृहद् क्षेत्रों को दर्शाने के लिए होता है। इनको दो वर्गों में विभाजित किया गया है-
(क) भित्ति मानचित्र :
यह मानचित्र बड़े आकार के कागज या प्लास्टिक पर बने होते हैं जिनका उपयोग कक्षा या व्याख्यान कक्ष के लिए किया जाता है।
(ख) एटलस मानचित्र :
ये मानचित्र बड़े आकार वाले क्षेत्रों को प्रदर्शित करते हैं तथा भौतिक एवं सांस्कृतिक विशिष्टताओं को सामान्य तरीके से दर्शाते हैं। ये मानचित्र हमें विश्व या किसी महाद्वीप, देश या उसके किसी उपविभाग के संबंध में स्थिति, आकृति, उच्चावच, अपवाह, जलवायु, वनस्पति, नगरों, जनसंख्या, उद्योगों की स्थिति, परिवहन तंत्र, पर्यटन तथा धरोहरों आदि की जानकारियाँ प्रदान करते हैं।
प्रकार्यों के आधार पर वर्गीकरण : व्यापक रूप से मानचित्रों को उनके प्रकार्य के आधार पर भौतिक एवं सांस्कृतिक मानचित्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- भौतिक मानचित्र : भौतिक मानचित्र प्राकृतिक लक्षणों, जैसे- उच्चावच, मृदा, अपवाह, जलवायु तत्वों, इत्यादि को दर्शाते हैं।
- उच्चावच मानचित्र : इन मानचित्रों में पर्वतों, मैदानों, पठारों, अपवाह तंत्रों आदि को दर्शाया जाता है।
- भूगर्भीय मानचित्र : ये मानचित्र भूगर्भीय संरचनाओं, शैल प्रकारों को दर्शाते हैं।
- जलवायु मानचित्र : इन मानचित्रों में जलवायु क्षेत्रों के अतिरिक्त तापमान, वर्षा, सापेक्ष आर्द्रता, बादल, वायु की दिशा, गति आदि तत्वों को दर्शाया जाता है।
- मृदा मानचित्र : इनके द्वारा मृदाओं के वितरण तथा उनके गुणों को दर्शाया जाता है।
- सांस्कृतिक मानचित्र : सांस्कृतिक मानचित्र मानव निर्मित लक्षणों को दर्शाता है। इनमें विभिन्न प्रकार के मानचित्र होते हैं जो जनसंख्या वितरण, वृद्धि, लिंग, आयु, सामाजिक तथा धार्मिक घटक, साक्षरता, शैक्षिक स्तर की प्राप्ति, व्यावसायिक संरचना, बस्तियों की स्थिति, सुविधाओं आदि को दर्शाते हैं।
- राजनैतिक मानचित्र : ये मानचित्र किसी क्षेत्र के प्रशासनिक विभाजन; जैसे- देश, राज्य, जिलों को दर्शाते हैं।
- जनसंख्या मानचित्र : जनसंख्या संबंधी तत्वों को दर्शाते हैं।
- आर्थिक मानचित्र : इन मानचित्रों के द्वारा विभिन्न फसलों, खनिजों का उत्पादन, वितरण, उद्योगों, बाजारों की स्थिति, व्यापार मार्गों आदि को दर्शाते हैं।
- परिवहन मानचित्र : ये मानचित्र सड़कों, रेलों की पटरियों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों को दर्शाते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न-
दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें-
1. मानचित्र में पृथ्वी का प्रदर्शन होता है—
(अ) एक विमीय
(ब) त्रिविमीय
(स) द्विविमीय
(द) बहुविमीय
उत्तर:
(स) द्विविमीय
2. विश्व का सबसे प्राचीन मानचित्र पाया गया है-
(अ) अरब में
(ब) यूनान में
(स) भारत में
(द) मेसोपोटामिया में
उत्तर:
(द) मेसोपोटामिया में
3. किसी क्षेत्र के उच्चावच, भूगर्भीय जलवायु, मृदा संबंधी तत्वों को दर्शाया जाता है—
(अ) भौतिक मानचित्रों से
(ब) सांस्कृतिक मानचित्रों से
(स) आर्थिक मानचित्रों से
(द) राजनैतिक मानचित्रों से
उत्तर:
(अ) भौतिक मानचित्रों से
4. आधार दिशा रेखा या शून्य रेखा दर्शाती है-
(अ) पूर्व दिशा को
(स) उत्तर दिशा को
(ब) पश्चिम दिशा को
(द) दक्षिण दिशा को
उत्तर:
(स) उत्तर दिशा को
5. गाँवों के भूसम्पत्ति मानचित्र बनाए जाते हैं–
(अ) 1 : 25,000 मापनी पर
(ब) 1 : 4000 मापनी पर
(स) 1 : 2,000 मापनी पर
(द) 1 : 50,000 मापनी पर
उत्तर:
(ब) 1 : 4000 मापनी पर
6. ध्रुवीय प्लैनीमीटर से ज्ञात की जाती है-
(अ) मानचित्र पर दो स्थानों के बीच दूरी
(ब) दिशा का मापन
(स) वायु की दिशा
(द) क्षेत्रफल की गणना
उत्तर:
(द) क्षेत्रफल की गणना
7. मानचित्रों के लिए अनिवार्य तत्त्व है—
(अ) मापनी
(ब) मानचित्र प्रक्षेप
(स) मानचित्र व्यापकीकरण
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
8. निम्न में से किसमें मानचित्रों की आलेखी विशिष्टताओं को योजनाबद्ध किया जाता है?
(अ) मानचित्र अभिकल्पना
(स) मानचित्र प्रक्षेप
(ब) मानचित्र व्यापकीकरण
(द) मापनी
उत्तर:
(अ) मानचित्र अभिकल्पना
9. प्राचीन भारतीय विद्वानों ने पूरे विश्व के द्वीपों को कितने भागों में बाँटा था?
(अ) 5
(ब) 7
(स) 9
(द) 11
उत्तर:
(ब) 7
10. भौतिक मानचित्र का प्रकार है-
(अ) उच्चावच मानचित्र
(ब) भूगर्भीय मानचित्र
(स) जलवायु मानचित्र
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
11. निम्न में से कौनसा मानचित्र मानव निर्मित लक्षणों को दर्शाता है?
(अ) भौतिक मानचित्र
(ब) वृहद् मापनी मानचित्र
(स) सांस्कृतिक मानचित्र
(द) जलवायु मानचित्र
उत्तर:
(स) सांस्कृतिक मानचित्र
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
मानचित्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानचित्र किसी मापनी से लघुकृत हुए आयामों के आधार पर सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके किसी भाग का चयनित संकेतात्मक एवं सामान्य प्रदर्शन होता है।
प्रश्न 2.
मापनी किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानचित्र पर किन्हीं दो स्थानों के बीच दूरी तथा धरातल पर उन्हीं दो स्थानों के बीच की वास्तविक दूरी का अनुपात मापनी कहलाता है।
प्रश्न 3.
प्रधान दिग्बिंदु क्या है?
उत्तर:
उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम दिशाओं को प्रधान दिग्बिंदु या कार्डिनल प्वाइंट कहा जाता है।
प्रश्न 4.
मानचित्र पर किसी स्थान का क्षेत्रफल ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
आर्थिक मानचित्र में क्या-क्या दर्शाया जाता है?
उत्तर:
आर्थिक मानचित्र में विभिन्न फसलों, खनिजों का उत्पादन, वितरण, उद्योगों एवं बाजारों का वितरण, व्यापार मार्ग, उत्पादों के प्रवाह को दर्शाया जाता है।
प्रश्न 6.
मानचित्रकला (Cartography) क्या है?
उत्तर:
मानचित्र, चार्ट, खाका तथा अन्य प्रकार के ग्राफ, विज्ञान, तकनीक और उनका अध्ययन तथा उपयोग मानचित्रकला कहलाता है।
प्रश्न 7.
मानचित्र क्रम किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी देश या क्षेत्र के लिए समान मापनी प्रकार तथा विशिष्टता के साथ बनाए गए मानचित्रों का समूह मानचित्र क्रम कहलाता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
मानचित्र में दूरी का मापन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
मानचित्र में दिखाए गए रैखिक लक्षणों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। सीधी रेखाएँ एवं टेढ़ी- मेढ़ी रेखाएँ। सीधी रेखा वाले लक्षणों, जैसे- सड़कों, रेल की पटरियों, नहरों का मापन चाँदे की सहायता से या मानचित्र की सतह पर एक स्केल रखकर कर लिया जाता है। अव्यवस्थित रास्तों या टेढ़े-मेढ़े रास्तों का जैसे-तटीय किनारों, नदियों, धाराओं का मापन धागे या साधारण यंत्र वक्ररेखा मापी द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 2.
ध्रुवीय प्लैनीमीटर की सहायता से क्षेत्रफल का मापन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
ध्रुवीय प्लैनीमीटर में एक छड़ की गति को नापा जाता है, जिसके एक सिरे को त्रिज्य चाप पर स्थिर करके उसके रेखापथ को सीमित कर दिया जाता है। जिस क्षेत्र का क्षेत्रफल मापना है, उसकी परिधि को एक निर्देशक बिंदु की मदद से दक्षिणावर्त दिशा में ट्रेस कर लेते हैं। क्षेत्र की परिधि मापने से पूर्व एवं पश्चात् डायल की रीडिंग उपकरणीय इकाई में मान देगी। क्षेत्रफल को वर्ग इंच या सेंटीमीटर में परिवर्तित करने के लिए इस रीडिंग को उपकरण विशेष के स्थिरांक से गुणा कर ते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
मानचित्र निर्माण की अनिवार्यताएँ या प्रक्रम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानचित्रकला, मानचित्र बनाने की कला एवं विज्ञान है। जिसमें सभी प्रकार के मानचित्रों को बनाने का प्रक्रम सर्वनिष्ठ है। ये अनिवार्य प्रक्रम निम्नलिखित हैं-
(1) मापनी:
मानचित्र बनाने के लिए सबसे पहले मापनी के विषय में निर्णय लेना होता है। किसी मानचित्र की मापनी इस बात को निर्धारित करती है कि उस मानचित्र में कितनी सूचनाओं, विषयवस्तु एवं वास्तविकताओं का समावेश किस हद तक सीमित है।
(2) मानचित्र प्रक्षेप:
मानचित्र पृथ्वी की त्रिविम सतह का कागज की समतल सतह पर दी गई एक सरल प्रस्तुति है। पृथ्वी की आकृति व वक्रित जिऑयड है अतः मानचित्र निर्माण के दौरान भूजल परिवर्तन के कारण जिऑयड के वास्तविक स्वरूप की दिशाओं, दूरियों, क्षेत्र तथा आकारों में अपरिहार्य परिवर्तन होते हैं। एक गोलाकार सतह को, समतल सतह पर दर्शाने की प्रणाली को प्रक्षेप कहते हैं। अतः प्रक्षेपों का चयन, उपयोग, निर्माण मानचित्र निर्माण में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है।
(3) मानचित्र व्यापकीकरण:
प्रत्येक मानचित्र एक निश्चित उद्देश्य के साथ बनाया जाता है। अतः मानचित्र के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उसकी विषयवस्तु को सावधानीपूर्वक नियोजित किया जाए। मानचित्र पर आकृतियों का सरल प्रदर्शन जो इसकी मापनी या उद्देश्य के उपयुक्त हो एवं उनके वास्तविक स्वरूप को प्रभावित नहीं करता हो, मानचित्र व्यापकीकरण कहलाता है।
(4) मानचित्र अभिकल्पना:
मानचित्र अभिकल्पना में मानचित्र की आलेखी विशिष्टताओं को योजनाबद्ध किया ता है। इनमें उचित संकेतों का चयन, उनके आकार एवं प्रकार, लिखावट का तरीका, रेखाओं की चौड़ाई का निर्धारण, रंगों का चयन, मानचित्र में रूढ़ चिन्हों का प्रयोग आदि विभिन्न तत्वों की संबंधित योजनाएँ बनाई जाती हैं। अतः मानचित्र अभिकल्पना मानचित्र बनाने की महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है।
(5) मानचित्र निर्माण एवं उत्पादन:
मानचित्रकला प्रक्रम का पाँचवाँ महत्त्वपूर्ण कार्य मानचित्रों को बनाना तथा उनका पुनरुत्पादन करना है। प्राचीन समय में मानचित्र निर्माण का कार्य हाथों से होता था। परन्तु वर्तमान में इसमें मशीनों, कम्प्यूटर का उपयोग होने लगा है।