Understanding the question and answering patterns through Class 11 Geography Question Answer in Hindi Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना will prepare you exam-ready.
Class 11 Geography Chapter 3 in Hindi Question Answer पृथ्वी की आंतरिक संरचना
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुचयनात्मक प्रश्न-
1. निम्न में से कौनसा भूगर्भ की जानकारी का अप्रत्यक्ष साधन है-
(अ) ठोस धरातलीय चट्टानें
(स) ज्वालामुखी उद्गार
(ब) खनन क्षेत्रों की चट्टानें
(द) गुरुत्वाकर्षण।
उत्तर:
(द) गुरुत्वाकर्षण।
2. भ्रंशतल के किनारे चट्टानों के सरक जाने के कारण उत्पन्न होने वाले भूकम्प कहलाते हैं-
(अ) बाँध जनित भूकम्प
(ब) विवर्तनिक भूकम्प
(स) ज्वालामुखी जन्य भूकम्प
(द) नियात भूकम्प।
उत्तर:
(ब) विवर्तनिक भूकम्प
3. मैण्टल का ऊपरी भाग कहलाता है-
(अ) दुर्बलतामण्डल
(ब) क्रोड
(स) निफे
(द) स्थलमण्डल
उत्तर:
(अ) दुर्बलतामण्डल
4 भूगर्भ की जानकारी का प्रत्यक्ष स्रोत है-
(अ) धरातलीय ठोस चट्टानें
(ब) भूगर्भिय क्षेत्रों में प्रवेधन
(स) ज्वालामुखी उद्गार
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
5. निम्न में से कौनसी तरंगें प्राथमिक तरंगें हैं-
(अ) p तरंगे
(ब) s तरंगे
(स) Q तरंगें
(द) R तरंगें
उत्तर:
(अ) p तरंगे
6. खनन क्षेत्र में प्राय: किस प्रकार का भूकम्प आता है?
(अ) विस्फोटक भूकम्प
(ब) नियात भूकम्प
(स) विवर्तनिक भूकम्प
(द) बाँध जनित भूकम्प
उत्तर:
(ब) नियात भूकम्प
7. भूकम्प का प्रभाव है-
(अ) सुनामी
(स) मृदा द्रवण
(ब) हिमस्खलन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
8. ‘रिक्टर स्केल’ पर भूकम्प की तीव्रता कितनी होती है?
(अ) 0 से 10
(ब) 0 से 20
(स) 5 से 10
(द) 0 से 25
उत्तर:
(अ) 0 से 10
9. कोड मुख्य रूप से निम्न में से किस पदार्थ से बना है?
(अ) निकिल व लोहा
(ब) कोयला व लोहा
(स) ताँबा व निकिल
(द) अभ्रक व लोहा।
उत्तर:
(अ) निकिल व लोहा
10. अन्तर्वेधी आग्नेय चट्टानों का क्षैतिज तल में एक चादर के रूप में कम मोटाई वाला जमाव कहलाता है
(अ) शीट
(ब) सिल
(स) लैपोलिथ
(द) डाइक।
उत्तर:
(अ) शीट
11. निम्न में से कौनसी भूकम्प तरंगें संचरण गति की दिशा में ही पदार्थ पर दबाव डालती हैं
(अ) धरातलीय तरंगें
(ब) प्राथमिक तरंगें
(स) द्वितीयक तरंगें
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) प्राथमिक तरंगें
12. मैग्मा भण्डारों के जमे हुए भाग से बनने वाली स्थलाकृति है-
(अ) सिल
(ब) डाइक
(स) बैथोलिथ
(द) लैपोलिथ।
उत्तर:
(स) बैथोलिथ
13. पृथ्वी की त्रिज्या है-
(अ) 5,370 किमी.
(ब) 6,370 मीटर
(स) 7,370 किमी.
(द) 6,370 किमी.
उत्तर:
(द) 6,370 किमी.
रिक्त स्थान वाले प्रश्न-
नीचे दिए गए प्रश्नों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
1. ज्वालामुखी उद्गार भू-गर्भ की जानकारी का एक _____ स्रोत है। (प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष)
2. पदार्थ के गुणधर्म के विश्लेषण से पृथ्वी के आन्तरिक भाग की _____ जानकारी प्राप्त होती है। (प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष)
3. _____तरंगें तीव्र गति से चलने वाली तरंगे हैं और धरातल पर सबसे पहले पहुँचती है। (p/s)
4. _____ भूकम्प भ्रंशतल के किनारे चट्टानों के सरक जाने के कारण उत्पन्न होते हैं। ( विवर्तनिक / नियात)
5. रिक्टर स्केल के अनुसार भूकम्प की तीव्रता 0 से _____ होती है। (5/10)
6. क्रोड भारी पदार्थ मुख्यतः निकिल व _____ का बना होता है। (लोहे/ताँबे)
उत्तर:
1. ज्वालामुखी उद्गार भू-गर्भ की जानकारी का एक प्रत्यक्ष स्रोत है।
2. पदार्थ के गुणधर्म के विश्लेषण से पृथ्वी के आन्तरिक भाग की अप्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त होती है।
3. p तरंगें तीव्र गति से चलने वाली तरंगे हैं और धरातल पर सबसे पहले पहुँचती है।
4. विवर्तनिक भूकम्प भ्रंशतल के किनारे चट्टानों के सरक जाने के कारण उत्पन्न होते हैं।
5. रिक्टर स्केल के अनुसार भूकम्प की तीव्रता 0 से 10 होती है।
6. क्रोड भारी पदार्थ मुख्यतः निकिल व लोहे का बना होता है।
नीचे दिए गए कथनों में से सत्य / असत्य कथन छाँटिए-
1. क्रोड व मैटल की सीमा 2900 किलोमीटर की गहराई पर है।
2. गुरुत्वाकर्षण चुंबकीय क्षेत्र व भूकम्प संबंधी क्रियाएँ भूगर्भ की जानकारी के अप्रत्यक्ष स्रोत है।
3. भूतल पर वह बिन्दु जो भूकम्प के उद्गम केन्द्र के समीपतम होता है अधिकेन्द्र कहलाता है।
4. जो भूकम्प बड़े बाँध वाले क्षेत्रों में आते हैं उन्हें नियात भूकम्प कहते हैं।
5. मैटल मोहो असांतत्य से आरम्भ होकर 3900 किलोमीटर की गहराई तक पाया जाता है।
6. कैथोलिक एवं लैकोलिथ ज्वालामुखी की अंतर्वेधी आकृतियाँ हैं।
उत्तर:
1. क्रोड व मैटल की सीमा 2900 किलोमीटर की गहराई पर है। (सत्य)
2. गुरुत्वाकर्षण चुंबकीय क्षेत्र व भूकम्प संबंधी क्रियाएँ भूगर्भ की जानकारी के अप्रत्यक्ष स्रोत है। (सत्य)
3. भूतल पर वह बिन्दु जो भूकम्प के उद्गम केन्द्र के समीपतम होता है अधिकेन्द्र कहलाता है। (सत्य)
4. जो भूकम्प बड़े बाँध वाले क्षेत्रों में आते हैं उन्हें नियात भूकम्प कहते हैं। (असत्य)
5. मैटल मोहो असांतत्य से आरम्भ होकर 3900 किलोमीटर की गहराई तक पाया जाता है। (असत्य)
6. कैथोलिक एवं लैकोलिथ ज्वालामुखी की अंतर्वेधी आकृतियाँ हैं।(सत्य)
मिलान करने वाले प्रश्न
निम्न को सुमेलित कीजिए-
1. अंतर्वेधी आकृति | (अ) p तरंगे |
2. प्राथमिक तरंगें | (ब) s तरंगे |
3. द्वितीयक तरंगे | (स) लैकोलिथ |
4. भूकम्पमापी | (द) शील्ड ज्वालामुखी |
5. हवाई द्वीप के ज्वालामुखी | (य) सिस्मोग्राफ |
उत्तर:
1. अंतर्वेधी आकृति | (स) लैकोलिथ |
2. प्राथमिक तरंगें | (अ) p तरंगे |
3. द्वितीयक तरंगे | (ब) s तरंगे |
4. भूकम्पमापी | (य) सिस्मोग्राफ |
5. हवाई द्वीप के ज्वालामुखी | (द) शील्ड ज्वालामुखी |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
भूकंप तरंगों को अभिलेखित करने वाले यंत्र को क्या कहते हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
सिस्मोग्राफ।
प्रश्न 2.
भूकंप अधिकेन्द्र ( Epicentre) पर सबसे पहले पहुँचने वाली भूकंपीय तरंगों का नाम लिखिए।
उत्तर:
P या प्राथमिक तरंगें।
प्रश्न 3.
‘P’ व ‘S’ दोनों तरंगों का सम्मिलित ‘भूकंपीय छाया क्षेत्र’ का भूकंप अधिकेन्द्र से कोणीय क्षेत्र कितना होता है?
उत्तर:
105° से 145° के मध्य।
प्रश्न 4.
भूमिगत खानों की छतों के ढह जाने से आने वाले भूकंप को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
नियात भूकंप|
प्रश्न 5.
भूकंप के आघात की तीव्रता / गहनता (Intensity) को किस वैज्ञानिक के नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
इटली के भूकंप वैज्ञानिक मरकैली के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 6.
महासागरों के नीचे भूपर्पटी (Crust) का घनत्व कितना होता है?
उत्तर:
2.7 ग्राम प्रति घन सेमी.।
प्रश्न 7.
ज्वालामुखी उद्गार के समय जो लावा धरातल पर पहुँचता है, उसके मुख्य स्रोत का नाम लिखिए।
उत्तर:
दुर्बलतामंडल (Asthenosphere)।
प्रश्न 8.
हाईपोसेंटर किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के आंतरिक भाग में वह स्थान जहाँ से भूकंप की उत्पत्ति होती है, हाइपोसेंटर या फोकस ( उद्गम केन्द्र) कहलाता है।
प्रश्न 9.
कौनसी प्रक्रियाएँ लगातार भृदृश्य को आकार देती हैं?
उत्तर:
हिर्जात व अन्तर्जात प्रक्रियाएँ लगातार भूदृश्य को आकार देती रहती हैं।
प्रश्न 10.
पृथ्वी के आन्तरिक भाग में अधिक गहराई तक जा पाना असम्भव क्यों होता है?
उत्तर:
पृथ्वी के आन्तरिक भाग में अधिक गहराई में जा पाना असम्भव होता है क्योंकि अधिक गहराई पर तापमान बहुत अधिक होता है।
प्रश्न 11.
पृथ्वी के आन्तरिक भाग की जानकारी प्राप्त करने के लिए विश्व के वैज्ञानिक कौनसी दो मुख्य परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं?
उत्तर:
विश्व के वैज्ञानिक दो मुख्य परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं, ये हैं- गहरे समुद्र में प्रवेधन परियोजना व समन्वित महासागरीय प्रवेधन परियोजना।
प्रश्न 12.
वर्तमान समय तक सबसे गहरा प्रवेधन किस महासागर में एवं कितनी गहराई तक किया गया है?
उत्तर:
वर्तमान समय तक सबसे गहरा प्रवेधन आर्कटिक महासागर में कोला क्षेत्र में 12 किलोमीटर की गहराई तक किया गया है।
प्रश्न 13.
पृथ्वी के आन्तरिक भाग की जानकारी के लिए उल्काओं का अध्ययन महत्त्वपूर्ण स्रोत क्यों है?
उत्तर:
उल्काएँ वैसे ही पदार्थ के बने ठोस पिण्ड हैं, जिनसे पृथ्वी बनी है। अतः पृथ्वी के आन्तरिक भाग की जानकारी के लिए उल्काएँ महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
प्रश्न 14.
अधिकेन्द्र ( Epicentre) किसे कहते हैं?
उत्तर:
भूतल का वह बिन्दु जो कि भूकम्प के उद्गम केन्द्र के समीपतम होता है, अधिकेन्द्र कहलाता है
प्रश्न 15. सबसे पहले भूकम्पीय तरंगों को किस स्थान पर महसूस किया जाता है? यह कहाँ स्थित होता है?
उत्तर:
सबसे पहले भूकम्पीय तरंगों को अधिकेन्द्र पर महसूस किया जाता है। अधिकेन्द्र, उद्गम केन्द्र के ठीक ऊपर (90° के कोण पर ) होता है।
प्रश्न 16. स्थलमण्डल से क्या आशय है?
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल से 200 किलोमीटर तक की गहराई वाले भाग को स्थलमण्डल कहते हैं।
प्रश्न 17.
धरातलीय तरंगों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भूगर्भिक तरंगों एवं धरातलीय शैलों के मध्य अन्योन्य क्रिया के कारण उत्पन्न होने वाली तरंगें, धरातलीय तरंगें कहलाती हैं।
प्रश्न 18.
प्राथमिक तरंगों की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- प्राथमिक तरंगें ध्वनि तरंगों के समान होती हैं।
- ये गैस, तरल व ठोस तीनों प्रकार के पदार्थों से गुजर सकती हैं।
प्रश्न 19.
द्वितीयक तरंगों की विशेषता बताइए।
उत्तर:
यें केवल ठोस पदार्थों के माध्यम से ही गुजर सकती हैं तथा परावर्तन से ये तरंगें प्रतिध्वनित होकर वापस लौट आती हैं, जबकि आवर्तन से कई दिशाओं में चलती हैं।
प्रश्न 20.
धरातलीय तरंगों की प्रमुख विशेषता बताइए।
उत्तर:
ये तरंगें सिस्मोग्राफ पर सबसे अंत में अभिलेखित होती हैं। ये सबसे ज्यादा विनाशकारी होती हैं। इनसे शैलें विस्थापित हो जाती हैं और इमारतें गिर जाती हैं।
प्रश्न 21.
विवर्तनिक भूकम्प से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वे भूकम्प, जो कि भ्रंशतल के किनारे की चट्टानों के सरक जाने के कारण उत्पन्न होते हैं, विवर्तनिक भूकम्प कहलाते हैं।
प्रश्न 22.
भूकम्पीय घटनाओं के मापन का आधार बताइए।
उत्तर:
भूकम्पीय घटनाओं का मापन भूकम्पीय तीव्रता के आधार पर अथवा आघात की तीव्रता के आधार पर किया जाता हैं।
प्रश्न 23.
भूकम्पीय तीव्रता की मापनी को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
भूकम्पीय तीव्रता की मापनी रिक्टर स्केल के नाम से जानी जाती है।
प्रश्न 24.
सुनामी क्या हैं? ये किस प्रकार उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
सुनामी वस्तुतः विशाल समुद्री लहरें हैं, जो समुद्री अधस्तल पर भूकंपीय तरंगों के उत्पन्न होने से उठती है।
प्रश्न 25.
क्रोड का निर्माण कौन-कौनसे पदार्थों से हुआ है?
उत्तर:
क्रोड मुख्य रूप से निकल और लोहे से निर्मित है। इस कारण इसे निफे परत भी कहा जाता है।
प्रश्न 26.
ज्वालामुखी किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह स्थान जहाँ से गैसें, राख और तरल चट्टानी पदार्थ लावा निकलकर पृथ्वी के धरातल तक पहुँचता है, ज्वालामुखी कहलाता है। I
प्रश्न 27.
मैग्मा क्या है?
उत्तर:
तरल चट्टानी पदार्थ दुर्बलता मण्डल से निकलकर धरातल पर पहुँचता है। जब तक यह पदार्थ मैण्टल के ऊपरी भाग में रहता है, मैग्मा कहलाता है।
प्रश्न 28.
लावा क्या है?
उत्तर:
तरल चट्टानी पदार्थ दुर्बलता – मण्डल से निकलकर जब भूपटल के ऊपर या धरातल पर पहुँचता है तो यह लावा कहलाता है।
प्रश्न 29.
ज्वालामुखी कुण्ड (काल्डेरा) किसे कहते हैं?
उत्तर:
ज्वालामुखी विस्फोट के पश्चात् लावा के गिरने से बनने वाले धंसे हुए विध्वंस गर्त ही ‘ज्वालामुखी कुंड’ (Caldera) कहलाते हैं।
प्रश्न 30.
भारत में वृहत् बेसाल्ट लावा प्रवाह कहाँ स्थित हैं?
उत्तर:
भारत का दक्कन ट्रैप, जिस पर वर्तमान महाराष्ट्र पठार का अधिकांश भाग पाया जाता है, लावा प्रवाह क्षेत्र है।
प्रश्न 31.
लैकोलिथ आकृति का कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कर्नाटक के पठार में ग्रेनाइट चट्टानों की बनी गुम्बदनुमा पहाड़ियाँ लैकोलिथ आकृति का उत्तम उदाहरण हैं।
प्रश्न 32.
बैथोलिथ क्या है?
उत्तर:
भूपर्पटी में अधिक गहराई पर मैग्मा भण्डारों के गुबंद के आकार में जमे हुए भाग बैथोलिथ कहलाते हैं।
प्रश्न 33.
किस भूकंपीय तरंग से चट्टानों में संकुचन व फैलाव होता है?
उत्तर:
‘P’ भूकंपीय तरंग से।
प्रश्न 34.
भूकम्पीय तरंगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भूकम्प तरंगें:
- भूगर्भिक तरंगें
- ‘P’ तरंगें
- ‘S’ तरंगें ।
- धरातलीय तरंगें।
प्रश्न 35.
भूकम्प के कोई चार प्रकार लिखिए।
उत्तर:
- विवर्तनिक भूकम्प
- ज्वालामुखीजन्य भूकम्प
- नियात भूकम्प
- विस्फोट भूकम्प।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
पृथ्वी की आंतरिक जानकारी के लिए उल्काओं का अध्ययन क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
उल्काएँ पृथ्वी की आन्तरिक जानकारी का अप्रत्यक्ष स्रोत है। उल्काएँ कभी – कभी धरती तक पहुँचती हैं। उल्काओं से प्राप्त पदार्थ और उनकी संरचना पृथ्वी से मिलती-जुलती है। उल्काएँ वैसे ही पदार्थ के बने ठोस पिंड हैं जिनसे हमारी पृथ्वी बनी है। अतः पृथ्वी की आंतरिक जानकारी के लिए उल्काओं का अध्ययन महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 2.
लावा एवं मैग्मा में क्या अन्तर है? लिखिए।
उत्तर:
तरल चट्टानी पदार्थ धरातल के नीचे, जब तक मैण्टल के ऊपरी भाग में रहता है, मैग्मा कहलाता है। जब यही पदार्थ भूपटल के ऊपर या धरातल पर आ जाता है, तब इसे लावा कहते हैं। धरातल पर पहुँचने वाले पदार्थ में लावा प्रवाह, लावा के जमे हुए टुकड़ों का मलबा (ज्वलखण्डाश्मि), ज्वालामुखी बम, राख, धूलकण व विभिन्न गैसें शामिल होते हैं
प्रश्न 3.
पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी प्रदान करने वाले अप्रत्यक्ष साधनों के विषय में लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में जानकारी देने वाले अप्रत्यक्ष स्रोतों के अंतर्गत गहराई के साथ-साथ बढ़ते तापमान, घनत्व, दबाव, उल्काओं, गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र एवं भूकंप सम्बन्धी तरंगों के वैज्ञानिक अध्ययन तथा विश्लेषण को सम्मिलित किया जाता है।
प्रश्न 4.
भूकम्पीय तरंगों के वेग एवं दिशा में परिवर्तन किस कारण से होता है? लिखिए।
उत्तर:
भूकंपीय तरंगों का वेग अलग-अलग घनत्व वाले पदार्थों से गुजरने पर परिवर्तित हो जाता है। अधिक घनत्व वाले पदार्थों में तरंगों का वेग अधिक होता है। पदार्थों के घनत्व में भिन्नताएँ होने के कारण परावर्तन एवं आवर्तन होता है जिससे इन तरंगों की दिशा भी बदल जाती है।
प्रश्न 5.
भूगर्भिक तरंगों के प्रमुख प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भूगर्भिक तरंगों के प्रकार – भूगर्भिक तरंगें निम्नलिखित दो प्रकार की होती हैं
- ‘P’ या प्राथमिक तरंगें-ये तीव्र गति से चलने वाली तरंगें हैं। ये धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं। ये ध्वनि तरंगों के समान होती हैं। ये गैस, तरल व ठोस तीनों प्रकार के पदार्थों से होकर गुजर सकती हैं।
- ‘S’ या द्वितीयक तरंगें ये तरंगें धरातल पर कुछ समय अन्तराल के बाद पहुँचती हैं। ये केवल ठोस पदार्थों के ही माध्यम में चलती हैं। ये तरंगें ऊर्ध्वाधर तल में, तरंगों की दिशा के समकोण पर कंपन पैदा करती हैं।
प्रश्न 6.
भूगर्भ की जानकारी के प्रत्यक्ष स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रत्यक्ष स्रोत के अन्तर्गत धरातलीय चट्टानें, खनन क्षेत्र, वैज्ञानिकों की गहरे समुद्र में प्रवेधन परियोजना एवं समन्वित महासागरीय प्रवेधन (Drilling) परियोजना शामिल हैं। वर्तमान तक सबसे गहरा प्रवेधन आर्कटिक महासागर में कोला क्षेत्र में 12 किमी. की गहराई तक किया गया है। इस खुदाई से प्राप्त पदार्थों के विश्लेषण से पृथ्वी की आंतरिक संरचना से सम्बन्धित असाधारण जानकारी प्राप्त हुई है। ज्वालामुखी उद्गार से निकला पदार्थ भी आंतरिक भाग की जानकारी देने वाला प्रत्यक्ष स्रोत है।
प्रश्न 7.
दुर्बलता मण्डल क्या है?
उत्तर:
भूगर्भ में भूपर्पटी के नीचे का भाग मैंटल कहलाता है। मैंटल का ऊपरी भाग दुर्बलता मण्डल कहलाता है। इसका विस्तार 400 किमी. तक आंका गया है। ज्वालामुखी उद्गार के दौरान निकलने वाले लावा का मुख्य स्रोत दुर्बलता मण्डल ही है। इसका घनत्व भूपर्पटी की चट्टानों से अधिक होता है।
प्रश्न 8.
भूदृश्य के विकास को प्रभावित करने वाले सभी कारकों का अध्ययन करना क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल का विन्यास मुख्य रूप से भूगर्भ में होने वाली प्रक्रियाओं का परिणाम है। बहिर्जात व अन्तर्जात प्रक्रियाएँ लगातार भूदृश्य को आकार प्रदान करती रहती हैं। अन्तर्जात प्रक्रियाओं के प्रभाव के बिना भू- आकृति की प्रकृति को समझना असम्भव है अर्थात् किसी भी प्रदेश की भू-आकृति को समझने के लिए भूगर्भिक क्रियाओं के प्रभाव को जानना आवश्यक है। मानव जीवन मुख्य रूप से अपनी क्षेत्रीय भू-आकृति से प्रभावित होता है। इसी कारण भूदृश्य के विकास को प्रभावित करने वाले सभी कारकों के विषय में जानकारी करना आवश्यक होता है।
प्रश्न 9.
भूगर्भ की जानकारी के अप्रत्यक्ष स्रोत गुरुत्वाकर्षण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण-पृथ्वी के धरातल पर विभिन्न अक्षांशों पर गुरुत्वाकर्षण बल एकसमान नहीं होता है। गुरुत्वाकर्षण बल ध्रुवों पर अधिक व भूमध्य रेखा पर कम होता है। पृथ्वी के केन्द्र से दूरी के कारण गुरुत्वाकर्षण बल ध्रुवों पर अधिक और भूमध्य रेखा पर कम होता है। गुरुत्व का मान पदार्थ के असमान द्रव्यमान तथा पृथ्वी के अंदर पदार्थों के असमान वितरण से भी परिवर्तित होता है। अलग-अलग स्थानों पर गुरुत्वाकर्षण की भिन्नता अनेक अन्य कारकों से भी प्रभावित होती है। यह भिन्नता ‘गुरुत्व विसंगति’ कहलाती है। इसके द्वारा भूपर्पटी में पदार्थ के द्रव्यमान के वितरण की जानकारी प्राप्त होती है।
प्रश्न 10.
भूकम्प की उत्पत्ति किस प्रकार होती है? लिखिए।
उत्तर:
भूकम्प की उत्पत्ति – भूपटल पर प्रायः भ्रंश के किनारे-किनारे ही ऊर्जा निकलती है। भ्रंश के दोनों तरफ चट्टानें विपरीत दिशा में गति करती हैं। जहाँ ऊपर के शैलखण्ड दबाव डालते हैं, उनके आपस का घर्षण उन्हें परस्पर बाँधे रखता है। अलग हो जाने की प्रवृत्ति के कारण एक समय घर्षण का प्रभाव कम हो जाता है। परिणामस्वरूप शैलखण्ड विकृत होकर अचानक एक-दूसरे के विपरीत दिशा में खिसक जाते हैं। इसके फलस्वरूप ऊर्जा निकलती है जो सभी दिशाओं में गतिमान होती है। ऊर्जा तरंगें अलग-अलग दिशाओं में चलती हुई पृथ्वी की सतह तक पहुँचती हैं। इससे पृथ्वी कम्पन करने लगती है। फलस्वरूप भूकम्प की उत्पत्ति होती है।
प्रश्न 11.
अवकेंद्र (Hypocentre) एवं अधिकेंद्र (Epicentre) में अन्तर लिखिए।
अथवा
भूकम्प मूल व अधिकेन्द्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के आंतरिक भाग में, वह स्थान जहाँ से भूकंप की उत्पत्ति होती है अथवा ऊर्जा निकलती है, भूकंप का उद्गम केन्द्र (focus) या अवकेंद्र या भूकम्प मूल कहलाता है। यहीं से ऊर्जा तरंगें अलग-अलग दिशाओं में चलती हुई पृथ्वी की सतह तक पहुँचती हैं। इसके विपरीत भूतल का वह बिंदु, जो उद्गम केंद्र के समीपतम होता है तथा जहाँ भूकंप तरंगें सबसे पहले पहुँचती हैं, अधिकेन्द्र ( Epicentre) कहलाता है। यह उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर स्थित होता है।
प्रश्न 12.
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना का नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर:
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भूकम्प के प्रकार, माप एवं प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भूकम्प के प्रकार
आवृत्ति के आधार पर भूकम्प निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
- विवर्तनिक भूकम्प: ये भूकम्प भ्रंशतल के किनारे की चट्टानों के खिसक जाने के फलस्वरूप उत्पन्न होते हैं। सामान्यत: इसी प्रकार के भूकम्प अधिक आते हैं।
- ज्वालामुखीजन्य भूकम्प: ये सामान्यतः विवर्तनिक भूकम्प ही हैं, जो सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों में ही आते हैं।
- नियात या खनन क्षेत्र के भूकम्प: धरातल पर खनन क्षेत्रों में कभी-कभी अत्यधिक खनन कार्य से भूमिगत खानों की छत ढह जाती है जिसके फलस्वरूप हल्के झटके महसूस किए जाते हैं। इनको नियात भूकम्प के नाम से जाना जाता है।
- विस्फोट भूकम्प: कभी-कभी परमाणु व रासायनिक विस्फोट से उत्पन्न कंपन के फलस्वरूप आने वाले भूकंप विस्फोट भूकंप कहलाते हैं।
- बाँधजनित भूकम्प: धरातल पर जिन स्थानों में बाँध बनाए जाते हैं वहाँ कभी – कभी भू- असन्तुलन उत्पन्न होने के कारण भूकम्प आते हैं। इनको बाँधजनित भूकम्प कहा जाता है
भूकम्पों की माप:
भूकम्पीय घटनाओं का मापन भूकम्पीय तीव्रता या आघात की तीव्रता के आधार पर किया जाता है। भूकम्पीय तीव्रता की मापनी ‘रिक्टर स्केल’ के नाम से जानी जाती है। भूकम्पीय तीव्रता भूकम्प के दौरान ऊर्जा के मुक्त होने से सम्बन्धित है। इस मापनी के अनुसार भूकम्प की तीव्रता 0 से 10 तक होती है। आघात की तीव्रता व गहनता को इटली के भूकम्प वैज्ञानिक मरकैली के नाम पर जाना जाता है। इसे झटकों से हुई प्रत्यक्ष हानि के द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसकी गहनता 1 से 12 तक होती है।
भूकम्प के प्रभाव:
भूकम्प एक प्राकृतिक आपदा है। भूकम्पीय आपदा से होने वाले प्रकोपों में भूमि का हिलना, धरातलीय विसंगति, भूस्खलन, पंक स्खलन, मृदा द्रवण, धरातल का एक तरफ झुकना, हिमस्खलन, धरातलीय विस्थापन, बांध व तटबंध के टूटने से बाढ़ का आना, आग लगना, इमारतों का टूटना, ढाँचों का ध्वस्त होना, वस्तुओं का अपनी जगह से गिरना, महासागरों में सुनामी लहरों का उत्पन्न होना आदि को शामिल किया जाता है। इनके परिणामस्वरूप जन-धन की अपार हानि होती है।
प्रश्न 2.
ज्वालामुखी से क्या आशय है? इसके प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ज्वालामुखी की परिभाषा:
धरातल का वह स्थान जहाँ से निकलकर गैसें राख और तरल चट्टानी पदार्थ व लावा पृथ्वी के धरातल तक पहुँचता है, ज्वालामुखी कहलाता है। यदि यह पदार्थ कुछ समय पहले ही बाहर आया हो या अभी निकल रहा हो तो वह ज्वालामुखी सक्रिय ज्वालामुखी कहलाता है।
ज्वालामुखी क्रिया से निकलने वाले पदार्थ:
ज्वालामुखी क्रिया के दौरान तरल चट्टानी पदार्थ दुर्बलता मण्डल से निकलकर धरातल पर पहुँचता है। जब तक यह पदार्थ मैण्टल के ऊपरी भाग में है वह मैग्मा कहलाता है। जब यह भूपटल के ऊपर या धरातल पर पहुँचता है तो लावा कहलाता है। वह पदार्थ जो कि धरातल पर पहुँचता है उसमें लावा प्रवाह, लावा के जमे हुए टुकड़ों का मलबा अर्थात् ज्वल – खण्डाश्मि, ज्वालामुखी बम, राख, धूलिकण व गैसें, यथा नाइट्रोजन यौगिक, सल्फर यौगिक और कुछ मात्रा में क्लोरीन, हाइड्रोजन व ऑर्गन शामिल होते हैं।
ज्वालामुखी के प्रकार:
ज्वालामुखी उद्गार की प्रवृत्ति और धरातल पर विकसित आकृतियों के आधार पर ज्वालामुखियों को निम्नलिखित प्रकारों के अन्तर्गत वर्गीकृत किया गया है-
(1) शील्ड ज्वालामुखी:
बेसाल्ट प्रवाह को छोड़कर शील्ड ज्वालामुखी सबसे विशाल होते हैं। हवाई द्वीप के ज्वालामुखी इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं। ये ज्वालामुखी बेसाल्ट निर्मित होते हैं। उद्गार के समय लावा बहुत तरल अवस्था में होता है। इसी कारण इनका ढाल तीव्र नहीं होता। यदि किसी प्रकार निकास नालिका से पानी अन्दर चला जाए तो ये ज्वालामुखी विस्फोटक भी हो जाते हैं अन्यथा कम विस्फोट होना ही इनकी विशेषता है। इनसे लावा फव्वारे के रूप में बाहर आता है और निकास पर बनने वाला शंकु सिण्डर शंकु के रूप में विकसित होता ह।
(2) मिश्रित ज्वालामुखी:
इनसे अधिक ठण्डा व गाढ़ा या चिपचिपा लावा निकलता है। ये प्राय: भीषण विस्फोटक प्रवृत्ति के होते हैं। इनसे लावा के साथ भारी मात्रा में ज्वलखण्डाश्मि पदार्थ व राख भी धरातल पर पहुँचती है। यह पदार्थ
निकास नली के आस-पास परतों के रूप में जमा हो जाते हैं जिनके जमाव मिश्रित ज्वालामुखी के रूप में दिखलाई देते हैं।
(3) ज्वालामुखी कुण्ड:
ये सबसे अधिक विस्फोटक होते हैं। विस्फोट के समय ये स्वयं नीचे धँस जाते हैं। लावा के गिरने से जो गड्ढे बनते हैं उन्हें ही ज्वालामुखी कुण्ड (Caldera) कहा जाता है। स्पष्टतया इनके लावा भंडार विशाल होने के साथ-साथ इनके बहुत पास स्थित होते हैं। इनके द्वारा निर्मित पहाड़ी मिश्रित ज्वालामुखी के समान दिखलाई देती हैं।
(4) बेसाल्ट प्रवाह क्षेत्र:
इनसे अत्यधिक तरल लावा निकलता है, जो हजारों वर्ग किमी. तक प्रवाहित हो सकता है। इनमें लावा प्रवाह क्रमानुसार होता है, कुछ प्रवाह 50 मीटर से भी अधिक मोटे हो जाते हैं। अनेक बार अकेला प्रवाह सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तक फैल जाता है । भारत का दक्कन ट्रैप जिस पर वर्तमान महाराष्ट्र के पठार का अधिकतर भाग पाया जाता है वह वृहद् लावा प्रवाह का क्षेत्र है।
(5) मध्य महासागरीय कटक ज्वालामुखी:
इस प्रकार के ज्वालामुखियों का उद्गार महासागरों में होता है मध्य महासागरीय कटक एक श्रृंखला है जो कि 70,000 किलोमीटर से अधिक लम्बी है तथा यह सभी महासागरीय बेसिनों में फैली हुई है। इस कटक के मध्यवर्ती भाग में लगातार उद्गार होते रहते हैं।
प्रश्न 3.
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना का वर्णन कीजिए एवं इसकी प्रत्येक परत का विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना:
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना के अन्तर्गत उन पदार्थों का अध्ययन किया जाता है जिनसे इसकी रचना हुई है। भू- वैज्ञानिकों ने भूकम्प लहरों की गति एवं भूकम्पलेखी यन्त्र की सहायता से स्पष्ट किया है कि पृथ्वी अनेक परतों के रूप में बनी हुई है। ये परत एक-दूसरे के ऊपर स्थित हैं । ये परतें अपनी मोटाई, गहराई, घनत्व, तापमान, दाब तथा बनावट के आधार पर एक-दूसरे से भिन्न हैं।
पृथ्वी की परतें : पृथ्वी की निम्नलिखित तीन परतें हैं-
(1) भूपर्पटी या क्रस्ट:
यह पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है। इसकी प्रकृति भंगुर होती है जिसमें जल्दी टूट की प्रवृत्ति पाई जाती है। इसकी मोटाई महाद्वीपों व महासागरों के नीचे अलग-अलग है। महासागरों में इसकी मोटाई ‘अपेक्षाकृत कम है। महासागरों के नीचे इसकी औसत मोटाई 5 किमी. जबकि महाद्वीपों के नीचे यह 30 किमी. तक है। मुख्य पर्वतीय श्रृंखलाओं के क्षेत्र में इसकी मोटाई और भी अधिक है। भूपर्पटी का निर्माण भारी चट्टानों से हुआ है एवं इसका घनत्व 3 ग्राम प्रति घन सेण्टीमीटर है। महासागरों के नीचे भूपर्पटी की चट्टानें बेसाल्ट निर्मित हैं। महासागरों के नीचे इनका घनत्व 2.7 ग्राम प्रति घन सेण्टीमीटर है।
(2) मैण्टल:
भूगर्भ में भू-पर्पटी के नीचे का भाग मैण्टल कहलाता है। इसकी मोटाई 2900 कि.मी. तक है जो कि मोहो असांतत्य से शुरू होती है। मैण्टल का ऊपरी भाग दुर्बलता मण्डल कहलाता है। इसका विस्तार 400 कि.मी. तक अंकित किया गया है। ज्वालामुखी उद्गार के दौरान जो लावा धरातल पर पहुँचता है उसका मुख्य स्रोत यही है। इसका घनत्व 3.4 ग्राम प्रति घन सेण्टीमीटर है। भूपर्पटी एवं मैण्टल का ऊपरी भाग मिलकर स्थल – मण्डल कहलाते हैं। इसकी मोटाई पृथ्वी के धरातल से 200 कि. मी. के मध्य पाई जाती है। निचला मैण्टल ठोस अवस्था में है।
(3) क्रोड:
पृथ्वी की संरचना का यह केन्द्रीय भाग है जिसकी रचना भारी धातुओं की चट्टानों से हुई है। क्रोड व मैण्टल की सीमा 2900 किलोमीटर की गहराई पर है। बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है जबकि आन्तरिक क्रोड ठोस अवस्था में है। मैण्टल व क्रोड की सीमा पर चट्टानों का घनत्व लगभग 5 ग्राम प्रति घन सेण्टीमीटर तथा केन्द्र में 6300 किलोमीटर की गहराई तक घनत्व लगभग 13 ग्राम प्रति घन सेण्टीमीटर है। इससे स्पष्ट होता है कि क्रोड भारी पदार्थों मुख्य रूप से निकल व लोहे से निर्मित हैं। अतएव इसे ‘निफे’ भी कहते हैं।
प्रश्न 4.
भूकम्प से क्या तात्पर्य है? भूकंपीय तरंगों के छायाक्षेत्र के उद्भव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भूकम्प का अर्थ:
1. साधारण भाषा में भूकम्प का अर्थ:
पृथ्वी का कम्पन होता है। यह एक प्राकृतिक घटना है। ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें पैदा होती हैं जो कि सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी में कम्पन उत्पन्न करती हैं जिनसे भूकम्प आते हैं।
2. छाया क्षेत्र का उद्भव:
भूकम्पलेखी यन्त्र (सिस्मोग्राफ) पर दूरस्थ स्थानों से आने वाली भूकम्पीय तरंगों का अभिलेखन किया जाता है। फिर भी कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहाँ कोई भी भूकम्पीय तरंग अभिलेखित नहीं होती। ऐसे क्षेत्र भूकम्पीय छाया क्षेत्र कहलाते हैं।
3. भूकम्पीय तरंगों का अभिलेखन एवं छाया क्षेत्र में भिन्नता:
एक भूकम्प का छायाक्षेत्र दूसरे भूकम्प के छायाक्षेत्र से अलग होता है। भूकम्पलेखी यन्त्र भूकम्प अधिकेन्द्र से 105° के अन्दर किसी भी दूरी पर P और S दोनों ही तरंगों का अभिलेखन करते हैं। भूकंपलेखी, अधिकेन्द्र से 145° से परे केवल P तरंगों के पहुँचने को ही दर्ज करते हैं और S तरंगों को अभिलेखित नहीं करते। अतः वैज्ञानिकों का मानना है कि भूकम्प अधिकेन्द्र से 105° और 145° के मध्य का क्षेत्र दोनों प्रकार की तरंगों के लिए छायाक्षेत्र है। 105° के परे पूरे क्षेत्र में S तरंगें नहीं पहुँचतीं। S तरंगों का छायाक्षेत्र P तरंगों के छायाक्षेत्र से अधिक विस्तृत है। S तरंगों का छायाक्षेत्र न केवल विस्तार में बड़ा है अपितु यह पृथ्वी के 40 प्रतिशत भाग से भी अधिक है।
प्रश्न 5.
भूकंपीय तरंगें कितने प्रकार की होती हैं? विस्तार से समझाइये।
अथवा
भूकंपीय तरंगों के प्रकार बताते हुए भूकम्पीय छाया क्षेत्र का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
भूकंपीय तरंगों के प्रकार, अभिलेखन एवं छाया क्षेत्र के उद्भव का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भूकंपीय तरंगें:
पृथ्वी के आंतरिक भाग में भूगर्भिक क्रियाओं के कारण चट्टानों का घर्षण व स्थानान्तरण होता है, जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है। ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं। जिस स्थान से ऊर्जा निकलती है, वह भूकंप का उद्गम केंद्र (Focus) या अवकेन्द्र (Hypocentre) कहलाता है। ये ऊर्जा तरंगें सभी दिशाओं में चलती हुई पृथ्वी की सतह पर पहुँचती हैं और भूकंप लाती हैं । भूकंपीय तरंगें सबसे पहले उद्गम केंद्र के समीपस्थ एवं ठीक ऊपर स्थित अधिकेंद्र (Epicentre) पर महसूस की जाती हैं। भूकंपमापी यंत्र (सिस्मोग्राफ) भूकंपीय तरंगों को अभिलेखित करता है । अभिलेखित वक्र निम्न तीन अलग-अलग तरंगों को प्रदर्शित करता है।
भूकंपीय तरंगें मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं। भूगर्भिक तरंगें और धरातलीय तरंगें।
(i)भूगर्भिक तरंगें:
ये तरंगें, उद्गम केन्द्र से ऊर्जा के मुक्त होने के दौरान उत्पन्न होती हैं और पृथ्वी के आंतरिक भाग से सभी दिशाओं में आगे बढ़ती हैं। इसलिए इन्हें भूगर्भिक तरंगें कहा जाता है। ये तरंगें भी दो प्रकार की होती हैं-
(क) ‘P’ तरंगें:
ये तीव्र गति से चलने वाली तरंगें हैं और धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं। इसलिए इन्हें ‘प्राथमिक तरंगें’ भी कहा जाता है। ये तरंगें ‘ ध्वनि तरंगों’ जैसी होती हैं। ये गैस, तरल व ठोस तीनों प्रकार से पदार्थों से गुजर सकती हैं। इन तरंगों से कंपन की दिशा तरंगों की दिशा के समानांतर ही होती है। ये संचरण गति की दिशा में ही पदार्थ पर दबाव डालती हैं। परिणामस्वरूप पदार्थ के घनत्व में अंतर आ जाता है और शैलों में संकुचन व फैलाव की प्रक्रिया प्रारंभ होती है।
(ख)‘S’ तरंगें:
ये तरंगें धरातल पर कुछ समय अंतराल के बाद पहुँचती हैं। इस कारण ये ‘द्वितीयक तरंगें ‘ कहलाती हैं। ये तरंगें केवल ठोस पदार्थों के माध्यम से ही चलती हैं। पृथ्वी के आंतरिक भाग में बाह्य क्रोड में ये तरंगें प्रवेश नहीं करती हैं, इसी कारण उसे तरल अवस्था में माना जाता है। ये तरंगें ऊर्ध्वाधर तल में, तरंगों की दिशा के समकोण पर कंपन पैदा करती हैं। अतः ये जिस पदार्थ से होकर गुजरती हैं, उसमें उभार व गर्त बनाती हैं।
(ii) धरातलीय तरंगें-भूगर्भिक तरंगों एवं धरातलीय शैलों के मध्य अन्योन्य क्रिया के कारण नई तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो धरातलीय तरंगें कहलाती हैं। ये तरंगें धरातल के साथ-साथ चलती हैं तथा अलग-अलग घनत्व के पदार्थों से गुजरने पर इनकी गति में भी अंतर आ जाता है। ये तरंगें धरातल पर सबसे अंत में पहुँचती हैं तथा सबसे अधिक विनाशकारी होती हैं। इनसे शैलें विस्थापित हो जाती हैं जिससे इमारतें गिर जाती हैं।
[ नोट- भूकंपीय तरंगों के अभिलेख एवं छाया क्षेत्र के उद्भव के लिए पिछले प्रश्न का उत्तर देखें ।]
मानचित्रात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित स्थलाकृतियों को पहचानिये एवं बताइए कि ये किस क्रिया से सम्बन्धित हैं एवं इनके क्या नाम हैं?
उत्तर:
- यह स्थलाकृति ज्वालामुखी क्रिया से सम्बन्धित है तथा इसे मिश्रित ज्वालामुखी कहा जाता है
- यह स्थलाकृति ज्वालामुखी क्रिया से सम्बन्धित है तथा इसे शील्ड ज्वालामुखी कहते हैं।
- यह स्थलाकृति ज्वालामुखी क्रिया से सम्बन्धित है तथा इसे सिंडर शंकु कहते हैं।
प्रश्न 2.
निम्नांकित दृश्य किस स्थान का है एवं किस क्रिया से सम्बन्धित है?
उत्तर:
यह दृश्य भारत में उरी में स्थित अमन सेतु का है। यह भूकम्प के द्वारा हुए नुकसान का दृश्य है।