Well-organized Class 11 Geography Notes in Hindi and Class 11 Geography Chapter 16 Notes in Hindi जैव-विविधता एवं संरक्षण can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 11 Chapter 16 Notes in Hindi जैव-विविधता एवं संरक्षण
अपक्षय प्रावार वनस्पति विविधता का आधार है, अत: इसे ही जैव-विविधता का आधार माना गया है। सौर ऊर्जा और जल ही अपक्षय में विविधता और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न जैव-विविधता का मुख्य कारण हैं । प्रजातियों के दृष्टिकोण से और अकेले जीवधारी के दृष्टिकोण से जैव-विविधता सतत विकास का तंत्र है। ऐसा माना जाता है कि लगभग 99 प्रतिशत प्रजातियाँ आज लुप्त हो चुकी हैं। जैव-विविधता उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में अधिक होती है तथा ध्रुवीय प्रदेशों की तरफ कम होती जाती है।
→ जैव-विविधता का अर्थ:
जैव-विविधता दो शब्दों से मिलकर बना है। बायो का अर्थ है ‘जीव’ तथा डाइवर्सिटी का अर्थ है ‘ विविधता’। साधारण शब्दों में किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को जैव-विविधता कहते हैं। जैव-विविधता को तीन स्तरों पर आसानीपूर्वक समझा जा सकता है-
- आनुवंशिक जैव-विविधता :
जीवन निर्माण के लिए जीन एक मूलभूत इकाई है। किसी प्रजाति में जीन की विविधता ही आनुवंशिक जैव-विविधता है। समान भौतिक लक्षणों वाले जीवों के समूह को प्रजाति कहते हैं। मानव आनुवंशिक रूप से ‘होमोसेपिन प्रजाति’ से सम्बन्धित है। - प्रजातीय विविधता :
यह प्रजातियों की अनेकरूपता को बताती है। यह किसी निर्धारित क्षेत्र में प्रजातियों की संख्या से सम्बन्धित है। प्रजातियों की विविधता, उनकी मृद्धि, प्रकार तथा बहुलता से आँकी जा सकती है। जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है, उन्हें विविधता के हॉट-स्पॉट कहते हैं। - पारितंत्रीय विविधता :
प्रत्येक प्रकार के पारितंत्रों में होने वाली पारितंत्रीय प्रक्रियाएँ तथा आवास स्थानों की भिन्नता ही पारितंत्रीय विविधता बनाते हैं।
जैव-विविधता का महत्त्व
→ जैव-विविधता ने मानव संस्कृति के विकास में बहुत योगदान दिया है और इसी प्रकार मानव समुदायों ने भी आनुवंशिक, प्रजातीय व पारिस्थितिक स्तरों पर प्राकृतिक विविधता को बनाये रखने में बड़ा योगदान दिया है।
- जैव-विविधता की पारिस्थितिकीय भूमिका :
पारितंत्र में विभिन्न प्रजातियाँ कोई न कोई क्रिया करती हैं। पारितंत्र में कोई भी प्रजाति बिना कारण न तो विकसित हो सकती है और न ही बनी रह सकती है। जीव व प्रजातियाँ ऊर्जा ग्रहण करके उसका संग्रहण करती हैं। इसके अलावा प्रजातियाँ वायुमण्डलीय गैस को स्थिर करती हैं और जलवायु को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं। पारितंत्र में जितनी अधिक विविधता होगी प्रजातियों के प्रतिकूल स्थितियों में भी रहने की संभावना और उनकी उत्पादकता भी उतनी ही अधिक होगी। अधिक आनुवंशिक विविधता वाली प्रजातियों की तरह अधिक जैव-विविधता वाले पारितंत्र में पर्यावरण के परिवर्तनों को सहन करने की अधिक सक्षमता होती है। - जैव-विविधता की आर्थिक भूमिका :
सभी मनुष्यों के लिए दैनिक जीवन में जैव-विविधता एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। जैव-विविधता का एक महत्त्वपूर्ण भाग फसलों की विविधता है जिसे कृषि जैव-विविधता भी कहा जाता है। खाद्य फसलें, पशु, वन संसाधन, मत्स्य और दवा संसाधन आदि कुछ ऐसे प्रमुख आर्थिक महत्त्व के उत्पाद हैं जो कि मानव को जैव-विविधता के फलस्वरूप उपलब्ध होते हैं। - जैव-विविधता की वैज्ञानिक भूमिका :
जैव-विविधता इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक प्रजाति हमें यह संकेत दे सकती है कि जीवन का आरंभ कैसे हुआ और यह भविष्य में कैसे विकसित होगा। यह समझना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हमारे साथ सभी प्रजातियों को जीवित रहने का अधिकार है। जैव-विविधता का स्तर अन्य जीवित प्रजातियों के साथ हमारे सम्बन्ध का एक अच्छा पैमाना है। वास्तव में जैव-विविधता की अवधारणा अनेक मानव संस्कृतियों का अभिन्न अंग है।
जैव-विविधता का ह्रास
विगत कुछ दशकों से जनसंख्या वृद्धि के कारण, प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग अधिक होने लगा है। इससे संसार के विभिन्न भागों में प्रजातियों तथा उनकेआवास स्थलों में तीव्र गति से कमी हुई है। उष्णकटिबन्धीय वर्षा वाले वनों में पृथ्वी की लगभग 50 प्रतिशत प्रजातियाँ पाई जाती हैं और प्राकृतिक आवासों का विनाश सम्पूर्ण जैवमण्डल के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ है। प्राकृतिक आपदाएँ यथा भूकम्प, बाढ़, ज्वालामुखी उद्गार, दावानल, सूखा आदि पृथ्वी पर पाई जाने वाली प्राणिजात और वनस्पतिजात को क्षति पहुँचाते हैं। इसके फलस्वरूप प्रभावित प्रदेशों की जैव-विविधता में अन्तर आ जाता है। वे प्रजातियाँजो स्थानीय आवास की मूल जैव प्रजाति नहीं हैं लेकिन उस तंत्र में स्थापित की गई हैं उन्हें विदेशज प्रजातियाँ कहा जाता है।
→ संकटापन्न पौधों व जीवों की प्रजातियाँ: प्राकृतिक संसाधनों व पर्यावरण की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने संकटापन्न पौधों व जीवों की प्रजातियों को उनके संरक्षण के उद्देश्य से निम्नलिखित तीन वर्गों के अन्तर्गत विभाजित किया है-
- संकटापन्न प्रजातियाँ : इसमें वे सभी प्रजातियाँ शामिल हैं जिनके लुप्त हो जाने का खतरा है। विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियों के बारे में रेड लिस्ट के नाम से सूचना प्रकाशित की जाती है।
- सुभेद्य प्रजातियाँ : इसमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं जिनको यदि संरक्षित नहीं किया गया या उनके विलुप्त होने में सहयोगी कारक यदि जारी रहे तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है।
- दुर्लभ प्रजातियाँ : विश्व में इन प्रजातियों की संख्या बहुत कम है। ये प्रजातियाँ कुछ ही स्थानों पर सीमित है।
→ जैव-विविधता का संरक्षण
मानव के अस्तित्व के लिए जैव-विविधता अति आवश्यक है। जीवन का प्रत्येक रूप एक-दूसरे पर इतना निर्भर है कि किसी एक प्रजाति पर संकट आने से दूसरों में असन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। वर्तमान समय में यह अति आवश्यक है कि मानव को पर्यावरण मैत्री सम्बन्धी पद्धतियों के प्रति जागरूक किया जाए और विकास की ऐसी व्यावहारिक गतिविधियाँ अपनाई जायें जो कि दूसरे जीवों के साथ समन्वित हों और सतत पोषणीय हों। केवल प्रजातियों का संरक्षण और आवास स्थल की सुरक्षा ही अहम समस्या नहीं है अपितु संरक्षण की प्रक्रिया को जारी रखना भी उतना ही जरूरी है।
→ विश्व संरक्षण कार्ययोजना में जैव-विविधता संरक्षण के निम्न तरीके सुझाए गए हैं-
- संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए।
- प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने के लिए उचित योजनाएँ व प्रबन्धन अपेक्षित है।
- खाद्यान्नों, चारे, इमारती लकड़ी व वन्य प्रजातियों की किस्मों को संरक्षित करना चाहिए।
- प्रत्येक देश को वन्य जीवों के आवास को चिह्नित कर उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए।
- प्रजातियों के पलने, बढ़ने तथा विकसित होने के स्थान सुरक्षित व संरक्षित होने चाहिए।
- वन्य जीवों व पौधों का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों के अनुकूल होना चाहिए। भारत सरकार ने प्राकृतिक सीमाओं के भीतर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को बचाने, संरक्षित करने और विस्तार करने के लिए वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 पारित किया है।
→ भौगोलिक शब्दावली
- जैव-विविधता : किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता।
- जीन : जीवन निर्माण की एक मूलभूत इकाई।
- आनुवंशिक जैव-विविधता : प्रजाति में जीन की विविधता।
- प्रजाति : समान भौतिक लक्षणों वाले जीवों का समूह।
- हॉट स्पॉट : प्रजातीय विविधता के व्यापक क्षेत्र।
- रेड लिस्ट : विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियों की सूची।