Students can access the CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions and marking scheme Set 5 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 5 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
(i) निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
(ii) इस प्रश्न पत्र में खंड “अ’ में वस्तुपरक तथा खंड “ब में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
(iii) खंड “अ’” में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
(iv) खंड “ब” में वर्णनात्मक ग्रएन पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
(v) दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(vi) यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्त क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न (अंक 40)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (10 × 1 = 10)
विकास’ का सवाल आज विमर्श के केन्द्र में है। आधुनिकता के प्रतिफल के रूप में प्रकट हुई ‘विकास’ की अवधारणा के बारे में लोगों का विश्वास था कि विकास की यह अद्भुत घटना आधुनिक मनुष्य को अभाव, समाज और प्रकृति की दासता एवं जीवन को विकृत करने वाली शक्तियों से मुक्ति दिला देगी। लेकिन आधुनिक विकास के जो स्वप्न देखे थे उसके अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए। इसके फलस्वरूप लोगों का मन वैकल्पिक उपायों के बारे में सोचने लगा है। इस क्रम में हमें बरबस कुमारप्पा के बम आते हैं जिन्होंने इस बात को मज़बूती के साथ रखा है कि विकास की जो गांधीवादी अवधारणा है वही सार्थक एवं टिकाऊ है।
जे. सी. कुमारप्पा का आर्थिक दर्शन व्यापक और मौलिक है। कुमारप्पा का आर्थिक चिंतन गांधीवादी अहिंसा पद्धति पर आधारित होने के कारण व्यक्ति की स्वतन्त्रता, सृजनशीलता तथा दैनिक काम से उसके स्वस्थ सम्बन्ध को महत्त्वपूर्ण मानता है। कुमारप्पा के अनुसार किसी के दैनिक कामों में ही उसके सभी आदर्श, सिद्धान्त और धर्म प्रकट हो जाते हैं। यदि उचित रीति पर काम किया जाए तो वही काम मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास का रूप बन जाता है। कुमारप्पा बढ़ते हुए श्रम विभाजन के सन्दर्भ में लिखते हैं-“चीज़ों के बनाने की पद्धति में केन्द्रीकरण के अन्तर्गत जो श्रम-विभाजन होता है जो कि स्टैंडर्ड माल तैयार करने के लिए आवश्यक है, उसमें व्यक्तिगत कारीगरी दिखाने का कोई अवसर नहीं मिलता। केन्द्रित उद्योग में काम करने वाला उस बड़ी मशीन का एक पुर्ज़ा भर बनकर रह जाता है। उसकी स्वतन्त्रता और उसका व्यक्तित्व समाप्त हो जाता है।’
कुमारप्पा के ये विचार आज के स्वयंचलित मशीन आधारित महाकाय उद्योगों में कार्यरत मजदूरों के जीवन का प्रत्यक्ष अध्ययन करने पर उन विचारों की सत्यता को सिद्ध करते हैं आज इस बात को लेकर कोई दो राय नहीं हैं कि केन्द्रीय उत्पादन व्यवस्था, अपने दुर्गुणों से छुटकारा नहीं पा सकती। वह और भयावह तब बन जाती है जब वह “आवश्यकता के अनुसार उत्पादन”” के बजाए “बाज़ार के लिए उत्पादन” पर ध्यान केन्द्रित करती है। बेतहाशा उत्पादन बाज़ार की तलाश करने के लिए विवश होता है तथा उसका अंत गलाकाट परस्पर होड़ तथा युद्ध, उपनिवेशवाद इत्यादि में होता है।
कुमारप्पा उपरोक्त तथ्यों को भलीभाँति परख चुके थे तथा स्थाई स्रोतों के दोहन पर ध्यान देने तथा उन्हें विकसित करने पर ज़ोर देते रहे। कुमारप्पा ‘विकास’ की जिस अवधारणा की बात करते हैं, उसके केन्द्र में प्रकृति एवं मनुष्य है। मनुष्य की सुप्त शक्तियों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण निर्माण करना ही सच्चे विकास का उद्देश्य है।
1. अवतरण के अनुसार ‘विकास’ किसका प्रतिफल है?
(क) आनन्दमयता
(ख) वित्तीय प्रचुरता
(ग) अर्वाचीनता
(घ) शैक्षिकता
उत्तर:
(ग) अर्वाचीनता
2. विकास के फलस्वरूप क्या परिवर्तन हुआ ?
(क) मनुष्य के अभावों का विस्तार
(ख) मनुष्य के अभावों का अन्त
(ग) मनुष्य की दासता से मुक्ति
(घ) सामाजिक समस्याओं का अंत
उत्तर:
(क) मनुष्य के अभावों का विस्तार
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (I) कुमारप्पा में अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के समर्थक हैं
कथन (II) कुमारप्पा में वैश्वीकरण एवं निजीकरण के समर्थक हैं
कथन (III) कुमारप्पा में नए उद्यमों से औद्योगिक आत्मनिर्भरता बढ़ती है
कथन (IV) कुमारप्पा में नए उद्यमों से निर्धनता बढ़ती है
गद्यांश के अनुसार कौन-सा/से कथन सही है/हैं-
(क) केवल कथन (II) सही है
(ख) केवल कथन (III) सही है
(ग) केवल कथन (IV) सही है
(घ). केवल कथन (I) सही है
उत्तर:
(ख) केवल कथन (III) सही है
4. अवतरण के अनुसार विकास की प्रक्रिया कैसी होनी चाहिए?
(क) जो सामाजिक असमानता को समाप्त कर दे.
(ख) जो विज्ञान की मदद से जीवन दीर्घायु कर सके
(ग) जो सार्थक तथा दूरगामी परिणामों पर केन्द्रित हो
(घ) जिसमें लक्ष्य की प्राप्ति सर्वोपरि हो
उत्तर:
(ग) जो सार्थक तथा दूरगामी परिणामों पर केन्द्रित हो
5. अवतरण के अनुसार केन््द्रीकृत श्रम प्रणाली से क्या होता है?
(क) उत्पादों की गुणवत्ता में वांडनीय सुधार
(ख) व्यक्तिगत सृजनात्मकता का हास
(ग) प्रति व्यक्ति आर्थिक आय में घाटा
(घ) प्रति व्यक्ति रोज़गार अवसरों में कमी
उत्तर:
(ख) व्यक्तिगत सृजनात्मकता का हास
व्याख्या-केन्द्रीकृत श्रमप्रणाली में काम करने वाला उस बड़ी मशीन का एक पुर्ज़ा बनकर रह जाता है। उसकी स्वतन्त्रता और उसका व्यक्तित्व समाप्त हो जाता है।
6. कुमारप्पा के अनुसार व्यक्ति के दैनिक कार्यों के विषय में सत्य कथन कौन-सा है?
(क) यह जीवन-यापन हेतु आवश्यकता पूर्ति के लिए होते हैं
(ख) यह उसकी विचारधारा पर आधारित होते हैं
(ग) यह उसकी रुचि एवं क्षमता के अनुसार होते हैं
(घ) यह सामाजिक बंधनों के दायरे में बँधे होते हैं
उत्तर:
(ख) यह उसकी विचारधारा पर आधारित होते हैं
व्याख्या-कुमारप्पा का आर्थिक चिन्तन गांधीवादी अहिंसा पर आधारित है। उसके अनुसार किसी के दैनिक कामों में ही उसके संभी आदर्श, सिद्धान्त और धर्म प्रकट हो जाते हैं।
7. विकास के वैकल्पिक उपायों के बारे में चिंतन क्यों आरम्भ हुआ?
(क) कोविड महामारी के फैलने के कारण
(ख) पर्यावरण में आए बदलावों के कारण
(ग) प्रत्याशित फल न मिलने के कारण
(घ) विश्व राजनीति में बदलाव के कारण
उत्तर:
(ग) प्रत्याशित फल न मिलने के कारण
व्याख्या-विकास के वैकल्पिक उपायों के बारे में चिन्तन इसलिए आरम्भ हुआ क्योंकि उससे प्रत्याशित फल प्राप्त नहीं हुए जो जीवन को विकृत कर देने वाली शक्तियों से मुक्ति दिला सकें ।
8. केन्द्रीय उत्पादन व्यवस्था के विषय में क्या असत्य है?
(क) कम समय में अधिक मात्रा में गुणवत्तापूर्ण माल का उत्पादन
(ख) आवश्यकता से अधिक उत्पादन
(ग) आवश्यकतानुसार उत्पादन
(घ) कम निवेश में अधिक निर्गत
उत्तर:
(ग) आवश्यकतानुसार उत्पादन
9. अर्थव्यवस्था में प्रतियोगिता का क्या परिणाम होगा ?
(क) नए गत्यात्मक बाज़ारों पर अधिकार हेतु पारस्परिक टकराव
(ख) उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी वस्तुओं की उपलब्धि
(ग) विकासशील देशों में सस्ते श्रम आधारित उद्योगों का विकास
(घ) विकासशील देशों में कर चोरी की घटनाओं में बढ़ोत्तरी
उत्तर:
(क) नए गत्यात्मक बाज़ारों पर अधिकार हेतु पारस्परिक टकराव
व्याख्या–अर्थव्यवस्था में प्रतियोगिता का यह परिणाम होगा कि नए गत्यात्मक बाजारों पर अधिकार हेतु पारस्परिक टकराव बढ़ेगा क्योंकि आवश्यकतानुसार उत्पादन के बजाए बाज़ार के लिए उत्पादन पर केन्द्रीय उत्पादन व्यवस्था ध्यान केन्द्रित करने लगती है।
10. कुमारप्पा के अनुसार शाश्वत विकास का लक्ष्य क्या है?
(क) जीवन को केवल सुखी बनाना है
(ख) जीवन को दुःखी बनाना है
(ग) मनुष्य की संभावित क्षमताओं का विकास करना है
(घ) मनुष्य को निष्क्रिय बनाना है
उत्तर:
(ग) मनुष्य की संभावित क्षमताओं का विकास करना है
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
प्रभु ने तुमको कर दान किए,
सब वांछित वस्तु विधान किए।
तुम प्राप्त करो उनको न अहो,
फिर है किसका वह दोष कहो?
समझो न अलभ्य किसी धन को,
नर हो न निराश करो मन को।
किस गौरव के तुम योग्य नहीं,
कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं?
जन हो तुम भी जगदीश्वर के,
सब हैं जिसके अपने घर के।
फिर दुर्लभ क्या है उसके मन को ?
नर हो, न निराश करो मन को।
करके विधि-वाद न खेद करो,
निज लक्ष्य निरंतर भेद करो।
बनता बस उद्धम ही विधि है,
मिलती जिससे सुख की निधि है।
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को,
नर हो, न निराश करो मन को।
1. वांछित वस्तुओं को प्राप्त न कर सकने में किसका दोष है?
(क) अकर्मण्य मनुष्यों का
(ख) समाज में व्याप्त असमानता का
(ग) निराश नर-नारियों का
(घ). निराशाजनक परिस्थितियों का
उत्तर:
(क) अकर्मण्य मनुष्यों का
व्याख्या-ईश्वर ने इस धरती पर अनेक प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया है और उन सभी वस्तुओं का उपभोग करने के लिए मनुष्य को दो हाथ, दो पैर दिए हैं, जिससे मनुष्य वांछित वस्तुओं को प्राप्त कर सकता है। यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो दोष उसी का है, क्योंकि उचित कर्म और श्रम करना मानव का कार्य है।
2. इस काव्यांश से कवि के कौन-से विचारों का परिचय मिलता है? है।
(क) कवि अलभ्य धन अर्जित कर गौरव प्राप्ति के लिए प्रेरणा दे रहे हैं
(ख) कवि बता रहे हैं कि भगवान जी के लिए सभी जन एक समान हैं
(ग) कवि कर्मण्येबाधिकारस्ते का मार्ग अपनाकर कर्म करने को कह रहे हैं
(घ) कवि कह रहे हैं निराशा त्यागकर नियति स्वीकार करनी चाहिए
उत्तर:
(ग) कवि कर्मण्येबाधिकारस्ते का मार्ग अपनाकर कर्म करने को कह रहे हैं
व्याख्या-कवि मनुष्य को समझा रहा है कि अपना कर्म करते हुए परिणाम की चिन्ता नहीं करनी चाहिए।
3. इस काव्यांश से क्या प्रेरणा मिलती है?
(क) नर हैं, अतः निराश न हों
(ख) आशा के साथ जगदीश्वर पर भरोसा रखें
(ग) लक्ष्य है, अत: पाने का प्रयास करें
(घ) नियति निश्चित है, अतः प्रतीक्षा करें
उत्तर:
(ग) लक्ष्य है, अत: पाने का प्रयास करें
व्याख्या-इस काव्यांश में कवि ने सभी मनुष्यों को यह प्रेरणा दी है कि वे निराश न हों, तथा लक्ष्य प्राप्ति का उचित प्रयास करें।
4. प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने विधिवाद पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। निम्मलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (I) विधिवाद का खेद भाग्यवादी लोग करते हैं।
कथन (II) विधिवाद का खेद विधिवक्ता लोग करते हैं।
कथन (III) विधिवाद का खेद परिश्रमी लोग करते हैं।
कथन (IV) विधिवाद का खेद साधु-सन्त करते हैं।
निम्नलिखित विकल्पों पर विचार कीजिए तथा सही विकल्प चुनकर लिखिए।
(क) केवल कथन (I) सही है
(ख) केवल कथन (II) सही है
(ग) केवल कथन (III) सही है
(घ) केवल कथन (IV) सही है
उत्तर:
(क) केवल कथन (I) सही है
5. कॉलम (1) को कॉलम (2) से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए-
कॉलम-1 | कॉलम-2 | ||
1 | विधान किए | i | धिक् निष्क्रिय |
2 | निरन्तर भेद करो | ii | वांछित वस्तु |
3 | जीवन को समझो | iii | निजलक्ष्य |
विकल्प
(क) (1)-(iii), (2)-(i), (3)-(ii)
(ख) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
(ग) (1)-(ii), (2)-(iii), (3)-(i)
(घ) (1)-(iii), (2)-(ii), (3)-(i)
उत्तर:
(ग) (1)-(ii), (2)-(iii), (3)-(i)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
1. “न्यूजुपेग’ से आप कया समझते हैं?
(क) कथात्मक शैली में लेखन
(ख) आलेख की तरह लेखन
(ग) केस स्टडी प्रारूप में लेखन
(घ) अन्य खबर से जोड़ कर लेखन
उत्तर:
(घ) अन्य खबर से जोड़ कर लेखन
व्याख्या-न्यूज़ पेण आरम्भिक बिन्दु होता है जो एक न्यूज़ स्टोरी को आगे बढ़ाने या उससे जुड़ी अन्य ख़बरों के साथ जोड़ने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
2. समाचार पत्रों को सामान्य समाचारों से अलग हटकर विशेष क्षेत्रों के बारे में जानकारी क्यों देनी पड़ती है?
(क) बाज़ार में टिके रहने के लिए
(ख) सभी तरह के विषयों पर लेखन के लिए
(ग) पाठकों की रुचियों के लिए
(घ) विज्ञापन प्राप्त करने के लिए
उत्तर:
(ग) पाठकों की रुचियों के लिए
3. कवर करने वाले रिपोर्टर को पत्रकारिता जगत में किस नाम से बुलाते हैं?
(क) संवाददाता
(ख) अंशकालिक पत्रकार
(ग) पूर्णकालिक पत्रकार
(घ) फ्रीलांसर पत्रकार
उत्तर:
(क) संवाददाता
4. संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले संपादकीय लेखन को माना जाता है-
(क) संपादक की आवाज
(ख) पत्रकार की आवाज
(ग) अखूबार की आवाज
(घ) पाठक की आवाज
उत्तर:
(क) संपादक की आवाज
5. ‘फीचर को किस प्रकार का लेखन माना जाता है?
(क) कथात्मक
(ख) आत्मनिष्ठ
(ग) वर्णनात्मक
(घ) विवरणात्मक
उत्तर:
(ख) आत्मनिष्ठ
पाद्यपुस्तक आरोह भाग-2
प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
हो जाए न पथ में रात कहीं
मंजिल भी तो है दूर नहीं
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
बच्चे प्रत्याशा में होंगे
नीड़ों से झाँक रहे होंगे
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
1. चिड़िया के बच्चे कहाँ से झाँक रहे हैं ?
(क) छत से
(ख) अण्डों से
(ग) नीड़ों से
(घ) बिलों से
उत्तर:
(ग) नीड़ों से
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए पद्मांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए।
(क) जीवन रूपी पथ में अँधेरा छाने के भय से कवि भयभीत है
(ख) जीवन रूपी पथ में अँधेरा छाने के भय से चिड़िया भयभीत है
(ग) जीवन रूपी पथ में अँधेरा छाने के भय से बच्चे भयभीत है
(घ) जीवन रूपी पथ में अँधेरा छाने के भय से राहगीर भयभीत है
उत्तर:
(घ) जीवन रूपी पथ में अँधेरा छाने के भय से राहगीर भयभीत है
व्याख्या-राहगीर रात होने से पहले अर्थात् परिस्थितियाँ प्रतिकूल होने से पहले अपनी मंजिल को पा लेना चाहता है। उसे लगता है कि समय बहुत तीव्र गति से बीत रहा है अत: वह समय रहते ही अपना कार्य पूरा कर लेना चाहता है।
3. चिड़िया किसके बारे में सोच कर चंचल हो रही है ?
(क) भोजन के
(ख) बच्चों के
(ग) मौसम के
(घ) दुश्मन के
उत्तर:
(ख) बच्चों के
व्याख्या-चिड़िया अपने बच्चों के बारे में सोचकर चंचल हो रही है। शाम ढलते ही अंधेरा हो जाने पर चिड़िया के बच्चे डर जाएँगे। वे अपनी माँ की प्रतीक्षा में घोंसले से झाँक रहे होंगे। माँ भी अपने बच्चों की चिन्ता में बेचैन हो रही है।
4. निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : दिन जल्दी-जल्दी ढलता है में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
कारण (R) : जल्दी शब्द की आवृत्ति एक से अधिक बार होने और अर्थ एक समान रहने के कारण यहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
विकल्प
(क) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं
(ग) कथन (A) सही है, कारण (R) गलत है
(घ) कथन (A) गलत है, कारण (R) सही है
उत्तर:
(ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं
5. इस काव्यांश के रचयिता कौन हैं ?
(क) शमशेर बहादुर सिंह
(ख) कुँवर नारायण
(ग) रघुवीर सहाय
(घ) हरिवंश राय बच्चन
उत्तर:
(घ) हरिवंश राय बच्चन
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
उस बल को नाम जो दो; पर वह निश्चय उस तल की वस्तु नहीं है जहाँ पर संसारी वैभव फलता-फूलता है। वह कुछ अपर जाति का तत्त्व है। लोग स्पिरिचुअल कहते हैं; आत्मिक, धार्मिक , नैतिक कहते हैं; मुझे योग्यता नहीं कि मैं उन शब्दों में अंतर देखूँ और प्रतिपादन करूँ। मुझमें शब्द से सरोकार नहीं। मैं विद्वान नहीं कि शब्दों पर अटकूँ। लेकिन इतना तो है कि जहाँ तृष्णा है, बटोर रखने की स्पृहा है, वहाँ उस बल का बीज नहीं है। बल्कि यदि उस बल को सच्चा बल मानकर बात की जाए, तो कहना होगा कि संचय की – तृष्णा और वैभव की चाह में व्यक्ति की निर्बलता ही प्रभावित होती है। निर्बल ही धन की ओर झुकता है। वह अबलता है। वह मनुष्य पर धन की और चेतन पर जड़ की विजय है।
1. “अपर जाति का तत्त्व’ किसे कहा गया है ?
(क) निम्न वर्ग को
(ख) अभिजात वर्ग को
(ग) मध्यम वर्ग को
(घ) विजित वर्ग को
उत्तर:
(ख) अभिजात वर्ग को
व्याख्या-जहाँ संसारी वैभव फलता-फूलता है उस अपर जाति के तत्त्व को अभिजात वर्ग कहा गया है।
2. लेखक ने अबलता किसे माना है ?
(क) संचय की तृष्णा
(ख) संतोष न होना
(ग) धन की ओर झुकाव
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी
व्याख्या-जिस व्यक्ति को संचय की तृष्णा, वैभव की चाह होगी, उसे कभी भी संतोष नहीं हो सकता। उसका झुकाव केवल धन की ओर ही रहता है। यही उसकी अबलता है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए गद्यांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए। निर्बल धन की ओर झुकता है-
(क) धन के आकर्षण के कारण
(ख) धन की कमी के कारण
(ग) आत्मिक शक्ति के अभाव के कारण
(घ) वैभव की चाल के कारण
उत्तर:
(ग) आत्मिक शक्ति के अभाव के कारण
व्याख्या-निर्बल में संचय करने की तृष्णा और बैभव की चाह होती है इसलिए निर्बल धन की ओर झुकता है।
4. कॉलम (1) को कॉलम (2) से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए-
कॉलम-1 | कॉलम-2 | ||
1 | संसार वैभव | i | फलता-फूलता |
2 | जहाँ तृष्णा है। | ii | बटोर रखने की स्पृहा है |
3 | धन की ओर झुकता है। | iii | निर्बल |
विकल्प
(क) (1)-(ii), (2)-(iii), (3)-(i)
(ख) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
(ग) (1)-(iii), (2)-(i), (3)-(ii)
(घ) (1)-(i), (2)-(iii), (3)-(ii)
उत्तर:
(ख) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
5. उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? ह।
(क) बाज़ार दर्शन
(ख) बाज़ारवाद
(ग) लोक बाज़ार
(घ) पैसे की पॉवर
उत्तर:
(क) बाज़ार दर्शन
व्याख्या–उपर्युक्त गद्यांश ‘बाजार दर्शन’ पाठ से लिया गया है।
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 अंक (10)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (10 × 1 = 10)
1. “समहाउ इंप्रापर’ सिल्वर वैडिंग से लिए इस वाक्यांश में किस प्रकार के भाव की ध्वनि निकलती है?
(क) असंतोष की स्थिति
(ख) अनिर्णय की स्थिति
(ग) असहयोग की स्थिति
(घ) असमंजस्य की स्थिति
उत्तर:
(क) असंतोष की स्थिति
2. “जूझ’ कहानी के नायक के जीवन में संघर्ष की अधिकता क्यों थी?
(क) सहायता नहीं मिलने से
(ख) पिता के सहयोगी नहीं होने से
(ग) नहीं पढ़ पाने से
(घ) खेती का काम करने से
उत्तर:
(ख) पिता के सहयोगी नहीं होने से
व्याख्या-‘ जूझ” कहानी के नायक के जीवन में संघर्ष की अधिकता इसलिए थी क्योंकि उसे पिता का सहयोग नहीं मिला।
3. सिंधु सभ्यता के सबसे बड़े शहर का कया नाम था?
(क) कालीबंगा
(ख) लोथल
(ग) रोपड़
(घ) मुअनजो-दड़ो
उत्तर:
(घ) मुअनजो-दड़ो
4. निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : यशोधर बाबू ने दफ़्तर की घड़ी को ही सुस्त ठहराया।
कारण (R) : वह घड़ी अत्यन्त पुरानी थी।
विकल्प
(क) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं
(ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं
(ग) कथन (A) सही है, कारण (R) गलत है
(घ) – कथन (A) गलत है, कारण (R) सही है
उत्तर:
(क) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं
व्याख्या-पंत ने आखिरी फाइल का लाल फीता बाँधकर निगाह मेज से उठाई तब दफ़्तर की पुरानी दीवार घड़ी पाँच बजकर पच्चीस मिनट बजा रही थी।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (I) राजस्थान के कुलधरा गाँव के लोग कायर थे।
कथन (II) राजस्थान के कुलधरा गाँव के लोग निर्बल थे।
कथन (III) राजस्थान के कुलधरा गाँव के लोग दुर्बल थे।
कथन (IV) राजस्थान के कुलधरा गाँव के लोग स्वाभिमानी थे।
सही कथन/कथनों वाले विकल्प को चयनित कर लिखिए।
(क) केवल कथन (I) सही है।
(ख) केवल कथन (II) सही है।
(ग) केवल कथन (III) सही है।
(घ) केवल कथन (IV) सही है।
उत्तर:
(घ) केवल कथन (IV) सही है।
6. माँ ने कहा “अब तू ही बता, मैं का करूँ”? इस कथन में माँ के मन का भाव किस प्रकार का है?
(क) विवशता
(ख) असमर्थता
(ग) शक्तिहीनता
(घ) निराशा
उत्तर:
(क) विवशता
7. दत्ता जी राव का यह कथन-मैं पढ़ाऊँगा तुझे ‘। से दत्ता जी की लेखक के प्रति किस प्रकार की भावना प्रकट होती है?
(क) लेखक के पिता को छोटा समझना
(ख) लेखक को बच्चा समझना
(ग) लेखक के प्रति सहानुभूति
(घ) लेखक को गरीब समझना
उत्तर:
(ग) लेखक के प्रति सहानुभूति
8. महाकुंड की दीवारों की चिनाई करने के लिए किस सामग्री का प्रयोग किया गया था?
(क) चूने और चिरोड़ी का
(ख) चूने और रेता का
(ग) रेते और बदरपुर का
(घ) चूने और सीमेंट का
उत्तर:
(क) चूने और चिरोड़ी का
9. “पहली ही झलक में हमें अपलक कर दिया ‘-‘ अतीत में दबे पाँव पाठ से ली गई इस पंक्ति में ‘ अपलक कर दिया’ का अर्थ है-
(क) आश्चर्यचकित करना
(ख) प्रसन्न करना
(ग) अभिभूत करना
(घ) चिंतित करना
उत्तर:
(क) आश्चर्यचकित करना
10. मुअनजो-दड़ो के खास हिस्से के सिरे पर स्थित स्तूप वाले चबूतरे को कहा जाता है?
(क) स्तूप
(ख) बौड्ध स्तूप
(ग) गढ़
(घ) राजधानी
उत्तर:
(ख) बौड्ध स्तूप
खण्ड ‘ब’ वर्णनात्मक प्रश्न – 40 अंक
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन हु अंक (16)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)
(क) एक हृदयस्पर्शी घटना
उत्तर:
दसवीं कक्षा की पढ़ाई के बाद मुझे आगे की पढ़ाई के लिए आगरा आना पड़ा क्योंकि हमारे गाँव में दसर्वी तक ही स्कूल था। आगरा आकर मैं छात्रावास में रहने लगी, छात्रावास कैंपस में ही हमारा स्कूल था अत: हमें बाहर जाने की इजाजत केवल रविवार को, मिलती थी। स्टेशनरी और नित्य प्रति की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एक दुकान भी कैंपस में ही थी, इसलिए बाहर जाने की आवश्यकता भी कम ही होती थी। हम बाहर तभी जाते जब हमें कपड़ों की खरीददारी करनी होती या फिर फ़िल्म देखने का मन होता।
एक बार जब हमारी प्रथम सत्र की परीक्षाएँ समाप्त हुईं तो मैंने अपनी सहेली जो मेरे साथ ही कमरे में रहती थी, उसके साथ “बॉर्डर’ फ़िल्म देखने जाने का विचार बनाया। उस दिन छात्रावास से काफ़ी लड़कियाँ वही फ़िल्म देखने जा रही थीं। हम बहुत उत्साहित और खुश थे। बिल्कुल सही समय पर हम दोनों रिक्शे पर सवार होकर फ़िल्म देखने चल पड़े।
अभी हम थोड़ा ही आगे पहुँचे थे कि हमने देखा एक लड़की एक पेड़ के नीचे लड़खड़ाती-सी खड़ी थी, बहुत लोगों की भीड़ लगी थी किंतु उसमें से एक दो लोग ही लड़की को सँभाल रहे थे। लड़की की आँखें बार-बार बंद हो रही थीं। वह खड़ी होने की कोशिश करती, फिर गिर पड़ती। हमने भी रिक्शे में बैठे ही बैठे वाक्या जानने की कोशिश की तो पता चलां कि इस लड़की को मधुमक्खियों ने काट लिया है कुछ अभी भी कपड़ों में अंदर-बाहर चिपकी हुई हैं। पास से देखने पर लड़की की शक्ल कुछ जानी पहचानी लगी। मैं रिक््शे से उतर उसके पास जा पहुँची तब तक मैं शक्ल पूरी तरह से पहचान चुकी थी, वह मुझसे एक क्लास बड़ी कक्षा में पढ़ती थी और हमारे ही छात्रावास में दूसरे ब्लॉक में रहती थी। मैंने सभी को बताया कि मैं उसे जानती हूँ और उसे लोगों की मदद से रिक्शे में बैठाकर हॉस्टल की डिस्पेंसरी में ले आई। बॉर्डन ने तुरन्त डॉक्टर को फ़ोन किया। दवा को रुई में भिगोकर उसके शरीर में चिपकी मधुमक्खियों को हटाया गया लेकिन बहुत सारे जहरीले डंक शरीर में घुस चुके थे जिसके कारण वह अब पूरी तरह बेहोश हो चुकी थी।
शाम तक दवा और इंजेक्शन ने असर दिखाया और उसे होश आया, तब तक उसके परिवार के लोग आ चुके थे। वे सभी बार-बार मुझे धन्यवाद दे रहे थे। वॉर्डन और बाकी लोग भी मेरी सराहना कर रहे थे। उस दिन मैं अपने त्वरित निर्णय पर खुश थी। वास्तव में पिक्चर देखने के बदले इस सहायता का आनंद ही कुछ और था।
(ख) खिड़की से बाहर का दृश्य
उत्तर:
मेरी खिड़की के बाहर एक नींबू का पेड़ है, वह पेड़ बहुत घना है। उस पेड़ पर हमेशा नींबू (फल) लदे रहते हैं। कभी हरे नींबू, छोटे-छोटे नीबू या फिर बड़े-बड़े पीले-पीले नींबू। मेरे परिवार के अतिरिक्त पूरे मोहल्ले के लोग उस पेड़ के नींबू प्रयोग करते हैं, किंतु फिर भी उस पर नींबू लगे ही रहते हैं। मुझे यह सोचकर बहुत अच्छा लगता है कि मेरे जन्मोत्सव पर मेरे पूज्य बाबाजी ने वह पेड़ लगाया था।
गर्मियों के दिनों में कोई बाहर नहीं निकलता | गर्मी , धूप और गर्म हवाओं के कारण जब लोग घर के अंदर ए.सी. , कूलर में बैठे रहते हैं, नींबू के पेड़ पर सैकड़ों चिड़ियों का मेला लगा होता है। जब से मैंने पेड़ के नीचे एक बर्तन में दाना और दूसरे बर्तन में पानी रखना शुरू किया है तब से चिड़ियों की संख्या और अधिक बढ़ गई है। चिड़ियाँ अपने मित्रों के साथ वहाँ बैठकर खूब गप्पें लगाती हैं। कुछ चिड़ियों ने आस-पास के कोटरों में अपने घोंसले बनाए हुए हैं। दोपहर में वे नि्भीक होकर बच्चों सहित नींबू के पेड़ पर आ धमकती हैं। वहीं पर उनके बच्चे इस डाली से उस डाली पर फुदक-फुदक कर उड़ना सीखते हैं। कुछ चिड़ियाँ एक-दूसरे के गले से लगकर बैठी होती हैं तो कुछ प्रणय-लीलाओं और गाथाओं में व्यस्त रहती हैं। 48 डिग्री तापमान में भी मेरे कमरे की खिड़की के बाहर चिड़ियाँ चहचहाती रहती हैं। कभी-कभी अगर मैं दाना-पानी रखना भूल जाता’ हूँ तो अनेक चिड़ियाँ मेरी खिड़की पर आकर बैठ जाती हैं। ऐसा लगता है जैसे कह रही हों-हमें दाना दो, पानी दो। अगर कभी कोई साँप या बिल्ली पेड़ के आस-पास भी दिख जाती है तो सब मिलकर बड़े जोर से शोर मचाकर घर वालों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं फिर कोई-न-कोई वहाँ पर जाकर उनकी समस्या सुलझा देता है।
एक दिन मैं अपने कमरे की खिड़की बंद करना भूल गया और स्कूल चला गया, मैंने स्कूल से लौटकर देखा कि अनेक चिड़ियाँ मेरे कमरे में घुस आई थीं कुछ टेबल पर, कुछ पंखे पर और कुछ फर्श पर बैठकर बातें कर रही थीं। मुझे देखते ही सब फुर्र से उड़ गईं और नींबू के पेड़ पर जा बैठीं। लेकिन उस दिन के बाद से चिडियाँ मेरे होते हुए भी मेरे कक्ष में आने लर्गी, मैंने उन्हें आने से नहीं रोका, क्योंकि उनको पास से देखना, उनका मेरे पास आना, मुझसे न डरना, मुझे अच्छा लगता है किंतु स्कूल जाते समय चारों तरफ़ अच्छी प्रकार देखकर, कमरे की खिड़की बंद करना अब मैं कभी नहीं भूलता, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि कोई चिड़िया गलती से कमरे में बंद रह जाए, फिर डरकर मेरे पास आना छोड़ दे। मेरी खिड़की के बाहर का दृश्य बहुत मनोरम है।
(ग) वृक्ष
उत्तर:
जब भी मैं हरे-भरे छायादार वृक्षों को देखता हूँ, स्मृतियों में खो जाता हूँ। बचपन में मैंने कई वृक्ष लगाए आज वे बहुत बड़े-बड़े हो गए हैं, शीतल छाया देते हैं। गाँव में मेरे चाचा उन्हीं वृक्षों के नीचे अपने पालतू जानवर बाँधते हैं, वाहन खड़ा करते हैं तथा दोपहर में अपने मित्रों के साथ आनंदपूर्वक बैठते हैं। वहाँ हर समय कूलर, ए.सी., पंखों को चलाने की आवश्यकता नहीं जान ‘पड़ती। अब मैं अपनी जीविका के कारण शहर में निवास कर रहा हूँ। यहाँ गर्मी के मौसम में अपने वाहन खड़े करने के लिए लोग:वृक्ष की छाया खोजते हैं, क्योंकि धूप में खड़ी कार या अन्य किसी भी वाहन में बैठना मुश्किल हो जाता है। शहरों में वृक्षों ‘की बहुत आवश्यकता है फिर भी यहाँ पर वृक्ष लगाना, उसे पानी देना, बड़ा करना सरकार का कार्य समझते हैं अपना नहीं।
अनेक लोग ऐसे भी हैं जो वृक्ष लगाना तो चाहते हैं पर उनके पास जगह की कमी होने के कारण वे नहीं लगा पाते। कुछ लोग जगह होते हुए भी अपनी सुविधा (सर्दियों में धूप सेंकने) को देखते हुए हरे-भरे वृक्ष तुरंत काट देते हैं। लोगों की आँखें अभी भी नहीं खुल रही हैं। वे नहीं समझते कि वृक्ष हैं तो हम हैं। वृक्ष हैं तो जीवन है, जल है।
इस बार जब मैं गाँव गया तो देखा कि वह रास्ता जो वृक्षों की घनी छाया से कई किलोमीटर तक आच्छादित रहती थी, ठंडी हवा और घनी छाया के कारण अनेक गरीब परिवारों की झोपड़ियों का संरक्षक था, अब वह पूरी तरह वृक्षहीन हो चुका था। दुःख के साथ ही मेरी जिज्ञासा भी चरम पर पहुँच गई। मैंने आसपास के लोगों से पता किया तो पता चला कि सड़क को चार लाइन बनाने (सड़क चौड़ी करने के विकास कार्य) के सरकारी प्रोजेक्ट के कारण इस रास्ते के लगभग 600 से अधिक वृक्षों को काट दिया गया है। मेरा दिल रो उठा! क्या इन वृक्षों को अब पुन: लगा पाना और इतना बड़ा कर पाना अब संभव हो सकेगा ? क्या वृक्षों को काटना अत्यन्त आवश्यक था? क्या और अन्य कोई उपाय न था जिससे वृक्ष भी बच जाते और सड़क भी चौड़ी हो जाती ?
वह दुःखद दृश्य (वृक्षविहीन सड़क के दोनों किनारे) मुझे भुलाए नहीं भूलता। अब मैंने व्यक्तिगत रूप से इस संबंध में लोगों से मिलना, समझाना और वृक्षों की उपयोगिता के विषय में बताना प्रारंभ कर दिया है। मुझे पूरी आशा है कि परिणाम सुखद ही होगा।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर लगभग 40 शब्दों में निर्देशानुसार उत्तर दीजिए- (2 × 2 = 4)
(i) रणटंत या कुटेव को बुरी लत क्यों कहा गया है? नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन द्वारा इस लत से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:
रटंत का अर्थ है-दूसरों के द्वारा तैयार सामग्री को याद करके ज्यों-का त्यों प्रस्तुत कर देने की आदत।
लत कहे जाने के कारण-
- असली अभ्यास का मौका ना मिलना
- भावों की मौलिकता समाप्त हो जाना
- चिंतन-शक्त क्षीण होना
- सोचने को क्षमता में कमी होना
- दूसरों के लिखे पर आश्रित होना
अप्रत्याशित विषयों पर लेखन द्वारा इस लत से बचा जा सकता है क्योंकि इससे अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित होती है। नए विषयों पर विचार अभिव्यक्ति से मानसिक और आत्मिक विकास होता है।
अथवा
रेडियो नाटक की विशेषताओं का उल्लेख कौजिए।
उत्तर:
रैडियो नाटक में ध्वनि प्रभावों और संवादों का विशेष महत्त्व होता है। रेडियो नाटक की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- रेडियो नाटक में पात्रों से सम्बन्धित सभी जानकारियाँ संवादों के माध्यम से मिलती हैं।
- पूत्रों की चारित्रिक विशेषताएँ संवादों के द्वारा ही उजागर की जाती हैं।
- रेडियो नाटक का पूरा कथानक संवादों पर आधारित होता है।
- इसमें ध्वनि प्रभावों और संवादों के माध्यम से ही कथा को श्रोताओं तक पहुँचाया जाता है।
- संवादों के माध्यम से ही रेडियो नाटक का उद्देश्य स्पष्ट होता है।
- संतवादों के द्वारा ही श्रोताओं को सन्देश दिया जाता है।
(ii) इम्तिहान के दिन विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
इम्तिहान के नाम से बड़े-बड़े भी काँपने लगते हैं। इम्तिहान छोटों का हो या बड़ों का, पर यह डराता सभी को है। पिछले वर्ष जब 10वीं की बोर्ड परीक्षा हमें देनी थी तब सारा वर्ष स्कूल में हमें बोर्ड परीक्षा के नाम से डराया गया और घर पर भी धमकाया जाता था। मन-ही-मन हम भी इसके नाम से डरने लगे थे कि पता नहीं इस बार इम्तिहान के दिन में क्या होगा। पूरे वर्ष अच्छे से पढ़ाई कौ, बार-बार टेस्ट दिए पर फिर भी यह पता नहीं कि इम्तिहान में क्या होगा। पूरे वर्ष अच्छे से पढ़ाई, बार-बार टेस्ट दिए पर इम्तिहान के नाम से फिर भी डर लगता था। जिस दिन इम्तिहान था, उससे पहली रात मुझे बिल्कुल नींद नहीं आई। पहला पेपर हिन्दी का था और इस विषय पर मेरी अच्छी तैयारी थी पर इम्तिहान का भूत इस तरह सिर पर सवार था कि नीचे उतरने का नाम ही नहीं लेता था। सुबह स्कूल जाने को तैयार हुआ। स्कूल बस में सवार हुआ तो देखा जो साथी हर रोज हो-हल्ला करते थे, आज उनके हाथों में पुस्तकें हैं और नजरें पुस्तक पर, जिससे मैं अधिक डरने लगा। मैंने भी मन-ही-मन अपने पाठों को दोहराना चाहा पर ऐसा लग रहा था कि मुझे तो कुछ याद ही नहीं। सब कुछ भूलता-सा प्रतीत हो रहा था। मैंने भी जल्दी से अपनी पुस्तक खोली तो मुझे राहत महसूस हुई। मैंने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया कि मुझे यह सब याद था। खैर, स्कूल पहुँचे, अपनी जगह पर बैठे। प्रश्न-पत्र मिला, आसान लगा और ठीक समय पर पूरा कर भी लिया। जब बाहर निकले तो सभी प्रसन्न थे पर साथ ही चिन्ता थी अगले पेपर की। पन्द्रह दिन में सभी पेपर हो गए पर ये सारे दिन बहुत व्यस्तता के साथ बीते थे। इन दिनों न तो भूख लगती थी और न ही खेलने की इच्छा होती थी। सच में, इम्तिहान के दिन बहुत तनाव भरे होते हैं।
अथवा
कहानी को नाटक में किस प्रकार रूपान्तरित कर सकते हैं?
उत्तर:
कहानी को नाटक में रूपान्तरित करते समय अनेक महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए, जो इस प्रकार हैं-
- कहानी की कथावस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजित करके।
- कहानी में घटित घटनाओं के आधार पर दृश्यों का निर्माण करके।
- कथावस्तु से सम्बन्धित वातावरण की व्यवस्था करके।
- ध्वनि और प्रकाश की व्यवस्था करके।
- कथावस्तु के अनुरूप मंच सज्जा और संगीत का निर्माण करके।
- पात्रों एवं संवादों को अभिनय के अनुरूप स्वरूप प्रदान करके।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) इंटरनेट तेज़ी से लोकप्रिय क्यों हो रहा है ? किन्हीं चार कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
इंटरनेट के द्वारा व्यक्ति कहीं भी अर्थात् किसी भी स्थान पर सूचना प्राप्त कर सकता है। इंटरनेट दुनिया का सबसे बड़ा कम्प्यूटर नेटवर्क है। प्रत्येक व्यक्ति को यह उसकी डिवाइस की सहायता से आपस में जोड़ता है। इसकी वजह से डिजिटल लेन-देन भी सम्भव हो पाया है। इंटरनेट की लोकप्रियता के कारण निम्नलिखित हैं-
- इंटरनेट संचार का सबसे तीव्र गति का माध्यम है।
- इससे किसी भी विषय की तुरन्त जानकारी प्राप्त हो सकती है।
- इसमें सूचनाएँ लगातार अपडेट होती रहती हैं।
- इसके द्वारा दुनिया में किसी और व्यक्ति के साथ संवाद करना भी सम्भव है।
(ii) पत्रकारीय साक्षात्कार और सामान्य बात-चीत का अंतर करते हुए साक्षात्कारकर्ता के गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी विशेष विषय पर आमने-सामने किए गए वार्तालाप को साक्षात्कार कहते हैं। इसमें एक प्रकार की मौखिक प्रश्नावली होती है जिसमें हम किसी भी व्यक्ति के विचारों या उसकी प्रतिक्रियाओं को लिंखने की बजाए उसके समक्ष रहकर वार्तालाप करते हैं। लेकिन सामान्य बात-चीत में ऐसा नहीं होता है। सामान्य बात-चीत में अनौपचारिक होकर वार्तालाप होती है।
साक्षात्कार में एक पत्रकार किसी अन्य व्यक्ति से तथ्य उसकी राय और भावनाएँ जानने के लिए सवाल पूछता है। एक सफ़ल साक्षात्कार के लिए साक्षात्कारकर्ता के पास न सिर्फ ज्ञान होना चाहिए बल्कि उसमें संवेदनशीलता, कूटनीति, धैर्य और साहस जैसे गुण भी होने चाहिए।
(iii) समाचार के इंट्रो और बॉडी से आप क्या समझते है? मीडिया में इनका संबंध किससे है? उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर:
समाचार के मुखड़े (इंट्रो) यानी पहले पैराग्राफ या शुरुआती दो-तीन पंक्तियों में आमतौर पर तीन या चार ककारों का आधार बनाकर खूबर लिखी जाती है। ये चार ककार हैं-क्या, कौन, कब और कहाँ ? इसके बाद समाचांर की बॉडी में और समापन के पहले बाकी दो ककारों-कैसे और क्यों का जवाब दिया जाता है। इस तरह छ: ककारों के आधार पर समाचार तैयार होता है। इनमें से पहले चार ककार-क्या, कौन, कब और कहाँ-सूचनात्मक और तथ्यों पर आधारित होते हैं जबकि बाकी दो ककारों-कैसे और क्यों में विवरणात्मक, व्याख्यात्मक और विश्लेषणात्मक पहलू पर ज़ोर दिया जाता है।
‘पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 अंक (20)
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) “लक्ष्मण मूर्छा’ और राम का विलाप’ प्रसंग ईश्वरीय राम का पूरी तरह से मानवीकरण है। सिद्ध कौजिए।
उत्तर:
लक्ष्मण मूर्छा और राम-विलाप के सन्दर्भ में तुलसीदास जी कहते हैं कि मूर्च्छित लक्ष्मण को देखकर श्री राम जी भी चिन्तित हो जाते हैं। श्री राम जी भी ऐसे वचन कहने लगे जो मनुष्य के कहने योग्य हैं। साधारण मनुष्य की भाँति श्री राम भी अपने आघात भाई को देखकर कहते हैं कि आधी रात तो हो चुकी लेकिन हनुमान नहीं आए। श्रीराम लक्ष्मण को उठाकर अपने हृदय से लगा लेते हैं। श्री राम लक्ष्मण के त्यागों, प्यार व भ्रातभाव को प्रकट करते हैं।
(ii) कविता की उड़ान को फूलों के समान बताते हुए भी कवि ने यह क्यों कहा है कि कविता का खिलना फूल क्या जाने ? “कविता के बहाने ‘ के संदर्भ में लिखिए।
उत्तर:
कविता की उड़ान फूलों के समान होती है क्योंकि दोनों ही महकती हैं। कविता का खिलना फूल इसलिए नहीं जान सकता क्योंकि फूल का खिलऩा एक निश्चित सीमा तक होता है जबकि कविता हमेशा शाश्वत और निरन्तर महकने वाली होती है, इसलिए कविता की खिलने की कोई सीमा नहीं होती है। जबकि फूल खिल कर मुर्झा जाता है और कविता कभी नहीं मुर्झाती।
(iii) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के संदर्भ में बताइए कि शारीरिक चुनौती झेल रहे व्यक्ति को पर्दे पर दिखाने के पीछे मीडिया कर्मियों का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर:
शारीरिक चुनौती झेल रहे व्यक्ति को पर्दे पर दिखाने के पीछे मीडिया कर्मियो का उद्देश्य केवल कार्यक्रम को एक ही दिन में लीक़प्रिय बनाना है। इन मीडिया कर्मियों का इससे जुड़ा कोई सामाजिक उद्देश्य नहीं होता। इनकी अपंग व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं होती। केवल व्यवसाय करना ही इनका मुख्य उद्देश्य है। वह उसकी अपंगता का शोषण कर अपने कार्यक्रम को सफल बनाने का प्रयास करते हैं।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए- (2 × 2 = 4)
(i) बात और शरारती बच्चे की बीच की समानता “बात सीधी थी पर’ शीर्षक कविता के संदर्भ में लिखिए।
उत्तर:
बात भी शरारती बच्चे की तरह खेलती है। न तो उसमें कसाव होता है न ही कोई ताक़त होती है। जब अपनी बात को सहज रूप से न कहकर तोड़-मरोड़कर कहने का प्रयास किया जाता है तो वह उलझती चली जाती है और शरारती बच्चे के समान प्रतीत होती है।
(ii) शरदकालीन सुबह की तुलना किससे और किस आधार पर की गई है? ‘पतंग’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
शरदकालीन सुबह की तुलना खरगोश की आँखों की लालिमा से की है। शरद का मानवीकरण करते हुए कवि कहता है कि वह अपनी नई चमकीली साइकिल को तेज गति से चलाते हुए ज़ोर-जोर से घण्टी बजाते हुए पुलों को पार करके आ रहा है।
(iii) ‘आत्मपरिचय’ शीर्षक कविता में कवि की संग्रह के प्रति क्या धारणा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘आत्म-परिचय’ कविता में कवि ने बताया है कि मनुष्य द्वारा स्वयं को जानना अत्यन्त कठिन है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के बिना उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। समाज से मनुष्य को खट्टे-मीठे अनुभव प्राप्त होते हैं। यह संसार ही उसकी पहचान है। इसमें सुख-दुःख का समन्वय है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए – (3 × 2 = 6)
(i) “शिरीष के फूल ‘ पाठ में लेखक ने शिरीष, अवधूत और गांधी जी को एक ही श्रेणी में क्यों रखा है ? पाठ के अनुसार इस समानता का आधार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिरीष की तुलना अवधूत से इसलिए की गई है क्योंकि जिस प्रकार अवधूत अर्थात् संन््यासी सुख-दु ःख, लाभ-हानि की चिन्ता से परे होता है उसी प्रकार शिरीष का पेड़ भी धूप-आँधी की चिन्ता के बिना खड़ा रहता है। उसी प्रकार गांधी जी भी ब्रिटिश सरकार की अन्यायपूर्ण एवं दमनकारी नीतियों के विरुद्ध अपने सिद्धान्तों की रक्षा के लिए डटकर खड़े रहे।
(ii) “पहलवान की ढोलक ‘ पाठ के आधार पर राज पहलवान होने पर भी लुट्टन की दुर्गति का कारण कया था ? लुट्टन के जीवन में आया परिवर्तन किस ओर संकेत करता है?
उत्तर:
राजा साहब ने लुट्टन को सहारा इसलिए दिया था ताकि वह सुप्रसिद्ध पहलवान चाँद्सिंह को हरा सके। चाँदसिंह को हराने के बाद राजा ने उसे राज पहलवान घोषित कर दिया था लेकिन अन्त में राजा की मृत्यु के उपरान्त विलायती राज आ गया था, उसमें कुश्ती को बन्द कर घोड़ों की रेस को प्राथमिकता दी जाने लगी। उससे लुट्दन के जीवन में दुर्गति हो गई।
(iii) “काले मेघा पानी दे’ पाठ में बारिश करवाने के लिए कौन-सा अंतिम उपायकिया जाता है ? लेखक इसके लिए क्यों तैयार नहीं होता और जीजी किन तर्कों से इसे सही ठहराती हैं?
उत्तर:
बारिश करवाने के लिए सभी लोग इंद्र देवता से प्रार्थना करते हैं। बाद में इंदर सेना कीचड़ व पानी में लथपथ होकर वर्षा की गुहार लगाती थी। जीजी लेखक को समझाती हैं कि हम इंद्र भगवान को पानी नहीं देंगे तो वह हमें पानी कैसे देंगे ? ऋषियों ने भी दान को महान् बताया है। किसान भी तीस-चालीस मन गेहूँ उगाने के लिए पाँच-छ: सेर अच्छा गेहूँ बोता है। इसी तरह हम अपने घर का पानी इन पर फेंककर बुवाई करते हैं। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, फिर काले मेघा से पानी माँगते हैं।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(i) “बाज़ार दर्शन! पाठ के आधार पर लिखिए कि बाजार की कृतार्थता किसमें है? इसे कृतार्थता कैसे लोग प्रदान करते हैं?
उत्तर:
बाजार की असली कृतार्थता आवश्यकता के समय काम आना है। मन खाली रखने का मतंलब मन बन्द नहीं,करना है अर्थात् मन बाजार की चीज़ों से प्रभावित होता रहता है। परमात्मा सभी जगह विद्यमान है और इसी को ही शून्य होने का अधिकार है। मनुष्य अपूर्ण है क्योंकि उसके भीतर तृष्णा का समावेश है।
(ii) कारागार के नाम से भी डरने वाली भक्तिन लाट साहब से लड़ने के लिए क्यों तैयार हो गई थी ? ‘ भक्तिन’ पाठ के संदर्भ में लिखिए।
उत्तर:
भक्तिन लाट-साहब से लड़ने के लिए इसलिए तत्पर थी क्योंकि वह अपनी मालकिन को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती थी। वह चाहती थी कि उसकी मालकिन उसके साथ सदैव रहें। इस प्रकार भक्तिन अपनी निडरता की विशेषता को उजागर करती है।
(iii) ‘शिरीष के फूल’ पाठ के आधार पर लिखिए कि काल के देवता की मार से बचने का कया उपाय है?
उत्तर:
परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। मनुष्य को समयानुसार परिवर्तन करते रहना चाहिए। शिरीष के फूल भी हमें यही सिखाते हैं कि एक ही लीक पर चलने वाला व्यक्ति पिछड़ जाता है। वह प्रचंड लू और उमस को सहन करता है लेकिन फिर भी खिला रहता है। मनुष्य को भी ऐसा ही करना चाहिए।
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 अंक (4)
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(i) “सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर बताइए कि यशोधर बाबू का अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ मन-मुटाव क्यों रहता था?
उत्तर:
यशोधर बाबू का अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ मन-मुटाव इसलिए रहता था क्योंकि वे परम्परावादी और सिद्धान्तवादी थे। यशोधर बाबू प्राचीन जीवन-मूल्यों में विश्वास रखते थे, किन्तु उनकी पत्नी तथा बच्चे आधुनिक विचारों के थे। इसीलिए उनकी पत्नी तथा बच्चों से विचारों में भिन््नता थी। इस कारण बे दफ़्तर से छुट्टी होने के बाद भी जल्दी घर लौटना पसंद नहीं करते थे क्योंकि विचारों की भिन्नता के कारण परिवार के साथ ही छोटी-छोटी बात पर मतभेद होने लगा था।
(ii) “जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए कि मास्टर सौंदगलेकर जी का आनन्द पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
मास्टर सौंदगलेकर जी का आनंद पर अधिक प्रभाव पड़ा इसलिए वह कविता लेखन पठन में रुचि लेने लगा। मास्टर जी से प्रभावित होकर आनंद गणित में रुचि लेने लगा तथा माता-पिता का आदर करने लगा। इसके साथ-साथ आनंद पिता की सहायता के लिए निराई-गुड़ाई, भैंस चराने तथा फ़सलों की रक्षा करने जैसे कार्य भी करने लगा।
(iii) “अतीत में दबे पाँव’ के आधार पर महाकुंड के विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
स्तूप के टीले से महाकुंड के विहार की दिशा में उतरा जाता है। दाईं तरफ एक लम्बी गली दिखती है। इसके आगे महाकुंड है। धरोहर के प्रबन्धकों ने उस गली का नाम दैवमार्ग (डिविनिटि स्ट्रीट) रखा है। माना जाता है कि उस सभ्यता में सामूहिक स्नान किसी अनुष्ठान का अंग होता था। कुंड करीब चालीस फुट लम्बा और पच्चीस फुट चौड़ा है। गहराई सात फूट है।