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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 2 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
(i) इस प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं– खंड “अ” और “ब”।
(ii) खंड “अ’ में उपप्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(iii) खंड “ब ‘ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
(iv)निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
(v) दोनों खंडों के कुल 8 ग्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(vi) यभासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्त क्रमश: लिखिए।
खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न (अंक 40)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन विचारकों ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है। इन नियमों में वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्त्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह, शुद्धतम् पारस्परिक सदभाव और सेवा की भावना आदि का नियम बहुत महत्त्वपूर्ण माने गए हैं। ये सभी नियम यदि एक व्यक्ति के चारित्रिक गुणों के रूप में भी अनिवार्य माने जाएँ तो उसका अपना जीवन सुखी और आनंदमय हो सकता है। सभी गुणों का विकास एक बालक में यदि उसकी बाल्यावस्था से ही किया जाए तो वह अपने देश का श्रेष्ठ नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण वह अपने परिवार, आस-पड़ोस, विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा।
वाणी एवं व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है, समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है किन्तु अहंकारहीन व्यक्ति ही स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का प्रयोग कर सकता है। अहंकारी और दंभी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है जिसका परिणाम यह होता है कि ऐसे आदमी के व्यवहार में शांति और सौहार्द्र का वातावरण नहीं बनता।
जिस प्रकार एक व्यक्ति समाज में रहकर अपने व्यवहार से कर्त्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहता है, उसी तरह देश के प्रति भी उसका व्यवहार कर्त्तत्य और अधिकार की भावना से भावित रहना चाहिए। इससे उसका कर्त्तव्य हो जाता है कि न तो वह स्वयं ऐसा कोई काम करे और न ही दूसरों को करने दे, जिसमें देश के सम्मान, सम्पत्ति और स्वाभिमान को ठेस लगे।
समाज एवं देश में शांति बनाए रखने के लिए धार्मिक सहिष्णुता भी बहुत आवश्यक है। यह वृत्ति तभी आ सकती है जब व्यक्ति सन्तुलित व्यक्तित्व का हो। वह आंतरिक व बाहरी संघर्ष से परे सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व वाला होना चाहिए।
(i) गद्यांश के संदर्भ में अच्छा नागरिक बनने के लिए नियमों का प्रावधान आवश्यक है, क्योंकि यह-
(क) स्वतन्त्रता को बढ़ावा देता है जिससे वातावरण को शान्ति से परिपूर्ण करता है।
(ख) व्यक्तित्व को निखारकर जीवन को आमोद-प्रमोद से परिपूर्ण करता है।
(ग) व्यक्तित्व को निखारकर जीवन को सुख और मंगलकामना से परिपूर्ण करता है।
(घ) व्यक्ति को अहंकार, स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार से परिपूर्ण करता है।
उत्तर:
(ख) व्यक्तित्व को निखारकर जीवन को आमोद-प्रमोद से परिपूर्ण करता है।
व्याख्या- अच्छा नागरिक बनने के लिए प्राचीन विचारकों के अनुसार व्यक्तित्व को निखारना है एवं जीवन को आमोद-प्रमोद से परिपूर्ण करना है।
(ii) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : धार्मिक सहिष्णुता की स्थापना आवश्यक है क्योंकि
कारण (R) : समाज एवं देश में शांति व्यवस्था बनी रहेगी।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
व्याख्या-समाज एवं देश में शान्ति बनाए रखने के लिए धार्मिक सहिष्णुता अत्यन्त आवश्यक है।
(iii) अहंकारी व्यक्ति किसका अभ्यासी होता है? ह।
(क) अशिष्ट वाणी का अभ्यासी होता है।
(ख) मधुर वाणी का अभ्यासी होता है।
(ग) स्तिग्ध वाणी का अभ्यासी होता है।
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) अशिष्ट वाणी का अभ्यासी होता है।
(iv) सन्तुलित व्यक्तित्व से तात्पर्य है-
(क) आन्तरिक व बाहरी संघर्ष से सम्पूर्ण सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व।
(ख) देश में पूर्णतः आदर्श नागरिक का व्यवहार करने वाला सुखदायक व्यक्तित्व।
(ग) आन्तरिक व बाहरी संघर्ष से रहित सम्पूर्ण सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व।
(घ) कर्त्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहने वाला भावुक प्रवृत्ति से परिपूर्ण व्यक्तित्व।
उत्तर:
(ग) आन्तरिक व बाहरी संघर्ष से रहित सम्पूर्ण सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व।
व्याख्या- आन्तरिक व बाहरी संघर्ष से रहित सम्पूर्ण सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व ही सन्तुलित व्यक्ति कहलाता है।
(v) वाणी एवं व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है। इस कथन के लिए उपयुक्त तर्क है-
(क) देश के सम्मान, सम्पत्ति और स्वाभिमान को ठेस पहुँचती है।
(ख) देश व समाज में शान्ति और सौहार्द्र का वातावरण नहीं बनता।
(ग) कर्त्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह बहुत आवश्यक है।
(घ) समाज में हार्दिक सदभाव की वृद्धि और सुख की प्रतिष्ठा होती है।
उत्तर:
(घ) समाज में हार्दिक सदभाव की वृद्धि और सुख की प्रतिष्ठा होती है।
व्याख्या-वाणी एवं व्यवहार की मधुरता से समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि होती है एवं सुख की प्रतिष्ठा होती है। इसी कारण वाणी एवं व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1 X 5 = 5)
नागरिक के कर्त्तव्य और अधिकारों की समष्टि को नागरिकता कहा जाता है। नागरिकता ऐसी विशेषता है, जिसके अभाव में मनुष्य न तो समाज का आवश्यक अंग बन पाता है और न राज्य का। इसके बिना मनुष्य का जीवन एक प्रकार से या तो पशुवत् हो जाता है या महान विरागी संन्यासी के समान, जिसका सांसारिकता से कोई संबंध नहीं होता।
अत: नागरिकता हर मनुष्य को नागरिक बनाने के लिए आवश्यक है। सदाचार का अर्थ है-सत् + आचार = सात्विक व्यवहार। किंतु साधारण अर्थ में इसका प्रयोग उन सभी व्यवहारों और कार्यों के लिए होता है, जो समाज द्वारा ग्राह्य हों और अच्छी सामाजिक क्रियाओं को नियंत्रित करता रहता है। इसकी आवश्यकता होती है, समाज को व्यवस्थित तथा मर्यादित रखने के लिए। झूठ न बोलना, चोरी न करना, किसी को अनावश्यक ढंग से न सताना, अनुचित रीति से कामाचार न करना आदि सदाचार माने जाते हैं।
इन सब कार्यों का त्याग इसलिए आवश्यक होता है कि इनसे समाज में अव्यवस्था उत्पन्न होती है तथा समाज का ढाँचा लड़खड़ा जाता है। समाज उन्हीं गुणों का आदर-सम्मान करता है, जो सामाजिक विधियों को दृढ़ बनाने में तथा बहुजन-हिताय और बहुजन-सुखाय कार्यों में सहायक होते हैं।
(क) प्रस्तुत गद्यांश में ‘सांसारिकता’ से अभिप्राय है
(i) सांसारिक जीवन से विरक्ति का भाव
(ii) सांसारिक भोग-विलास के साधन
(iii) सांसारिक कर्तव्यों और अधिकारों का निर्वहन
(iv) सांसारिक जीवन से मोह
उत्तर :
(iii) सांसारिक कर्त्त्यों और अधिकारों का निर्वहन गद्यांश के आधार पर कह सकते हैं कि ‘सांसारिकता’ से अभिप्राय सांसारिक कर्त्तव्यों और अधिकारों का निर्वहन करना है। मनुष्य समाज में रहकर ही अपने सांसारिक धर्म का पालन करता है।
(ख) निम्न में से कौन-सा शब्द गद्यांश में दिए गए ‘ग्राह्य’ शब्द के सही अर्थ को दर्शाता है?
(i) घृणित
(ii) ग्रहण करने योग्य
(iii) अनुकरणीय
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) ग्रहण करने योग्य प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, ‘ग्राह्यता’ शब्द का अर्थ ग्रहण करने योग्य होता है, जिसमें समाज द्वारा नागरिकों को ऐसा व्यवहार करने के लिए कहा गया है, जो समाज ग्रहण कर सके।
(ग) समाज उन्हीं गुणों का आदर-सम्मान करता है, जो बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय कार्यों में सहायक होते हैं। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक मनुष्य को बनने की प्रेरणा दे रहा है।
(i) परोपकारी
(ii) सदाचारी
(iii) स्वार्थी
(iv) (i) और (ii) दोनों
उत्तर :
(iv) (i) और (ii) दोनों प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लेखक मनुष्य को परोपकारी व सदाचारी बनने की प्रेरणा दे रहा है, क्योंकि ऐसे लोग ही समाज में आदर-सम्मान पाते हैं।
(घ) प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से हमें समाज में किस तरह का व्यवहार करने की सीख मिलती है?
(i) सात्विक व्यवहार करने की
(ii) मर्यादित आचरण करने की
(iii) अनुचित रीति से कामाचार न करने की
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से हमें समाज में सात्विक व्यवहार, मर्यादित आचरण करने की सीख मिलती है, जिसके अंतर्गत हमें चोरी, झूठ बोलना, किसी को सताना व अनुचित रीति के कामाचार आदि कार्य नहीं करने चाहिए।
(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. नागरिकता के अभाव में मनुष्य समाज व राज्य का आवश्यक अंग नहीं बन पाता है।
2. नागरिकता व सदाचार एक-दूसरे से संबंधित हैं।
3. सदाचार के लिए किसी त्याग की आवश्यकता नहीं होती।
4. सदाचार से समाज मर्यादित तथा व्यवस्थित रहता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/है?
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) केवल 3
(iv) 1, 2 और 4
उत्तर :
(iv) 1,2 और 4 नागरिक के कर्त्तव्य और अधिकारों की समष्टि को नागरिकता कहा जाता है। अतः इसके अभाव में मनुष्य समाज व राज्य का अंग बन नहीं पाता है। नागरिकता व सदाचार एक-दूसरे से संबंधित हैं। सदाचार से समाज मर्यादित व व्यवस्थित रहता है तथा इसके लिए चोरी न करना, झूठ न बोलना, किसी को न सताना आदि आवश्यक कार्य हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध ‘ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए – (1 × 4 = 4)
(i) “बामीरो फटती हुई धरती के किनारे चीखती हुई दौड़ रही थी।’ रेखांकित पदबंध का भेद है-
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) सर्वनाम पदबंध
(ग) क्रिया पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध
उत्तर:
(ग) क्रिया पदबंध
(ii) “निर्भीक और साहसी वज़ीर अली अपने अधिकार के लिए लड़ रहा था।’ इस वाक्य में विशेषण पदबंध है-
(क) साहसी वज़ीर अली
(ख) लिए लड़ रहा था
(ग) निर्भीक और साहसी
(घ) अपने अधिकार के लिए
उत्तर:
(ग) निर्भीक और साहसी
व्याख्या-‘ निर्भीक और साहसी ‘ वाक्य में विशेषण पदबंध है क्योंकि इसमें पदबंध की विशेषता बताई जा रही है।
(iii) क्रिया पदबंध का उदाहरण छाँटिए-
(क) बिल्ली ने उचककर दो में से एक अंडा तोड़ दिया।
(ख) यह काम तो हमेशा आदर्शवादी लोगों ने ही किया है।
(ग) दोनों कबूतर रातभर खामोश और उदास बैठे रहते हैं।
(घ) शैलेंद्र तो फ़िल्म-निर्माता बनने के लिए सर्वथा अयोग्य थे।
उत्तर:
(ग) दोनों कबूतर रातभर खामोश और उदास बैठे रहते हैं।
(iv) “बादशाह सुलेमान मानव जाति के साथ-साथ पशु-पक्षियों के भी राजा हैं।’ रेखांकित पदबंध का भेद है-
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) सर्वनाम पदबंध
(ग) विशेषण पदबंध
(घ) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर:
(क) संज्ञा पदबंध
(v) “हरिहर काका धीरे-धीरे चलते हुए आँगन तक पहुँचे।’ रेखांकित पदबंध का भेद है-
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) क्रिया पदबंध
(ग) विशेषण पदबंध
(घ) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर:
(घ) क्रियाविशेषण पदबंध
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4=4)
(क) ‘एक सिपाही ने आकर कर्नल को बताया है कि दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है।’ इस वाक्य का सरल वाक्य होगा
(i) सिपाही ने आकर कर्नल को बताया दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है।
(ii) सिपाही आता है और कर्नल को बताता है कि दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है।
(iii) सिपाही आता है, इसलिए कर्नल को बताता है कि दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है।
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(i) सिपाही ने आकर कर्नल को बताया दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है।
(ख) ‘अब तक हरिहर काका सब कुछ समझ चुके थे।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) सामान्य वाक्य
उत्तर:
(i) सरल वाक्य
(ग) ‘तुम बस रुकने के स्थान पर चले जाओ।’ दिए गए वाक्य का मिश्रित वाक्य होगा
(i) तुम रूको और बस रूकने के स्थान पर जाओ।
(ii) तुम उस स्थान पर जाओ, जहाँ बस रुकती है।
(iii) तुम जाओ, जहाँ बस रूकती है।
(iv) जहाँ बस रूकती है, वहाँ तुम जाओ।
उत्तर:
(ii) तुम उस स्थान पर जाओ, जहाँ बस रुकती है।
(घ) ‘यदि आप दवाई लेना चाहते हैं, तो लाइन में लग जाएँ।’ वाक्य-रचना की दृष्टि से है
(i) सरल वाक्य
(ii) मिश्र वाक्य
(iii) संयुक्त वाक्य
(iv) सार्थक वाक्य
उत्तर:
(ii) मिश्र वाक्य
(ङ) निम्न में से संयुक्त वाक्य है
(i) तताँरा ने विवश होकर आग्रह किया।
(ii) ग्वालियर में जहाँ हमारा मकान था, वहाँ उस मकान के दालान में दो रोशनदान थे।
(iii) खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले कभी नहीं की गई थी।
(iv) वे हरदम किताबें खोलते हैं और अध्ययन करते रहते हैं।
उत्तर:
(iv) वे हरदम किताबें खोलते हैं और अध्ययन करते रहते हैं।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(i) “महावीर’ शब्द/समस्तपद कौन-से समास का उदाहरण है?
(क) द्विगु समास
(ख) कर्मधारय समास
(ग) तत्पुरुष समास
(घ) अव्यीभाव समास
उत्तर:
(ख) कर्मधारय समास
व्याख्या-कर्मधारय समास में प्रथम पद विशेषण या उपमान होता है तथा द्वितीय पद विशेष्य या उपमेय होता है।
(ii) “चंद्रखिलौना’-समस्त पद का विग्रह होगा
(क) चंद्र का खिलौना
(ख) चंद्र और खिलौना
(ग) चंद्र रूपी खिलौना
(घ) चंद्र के लिए खिलौना
उत्तर:
(ग) चंद्र रूपी खिलौना
(iii) निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए
समस्तपद | समास |
1. गृहप्रवेश | (i) ढंद्व समास |
2. साफ़ – साफ़ | (ii) अव्ययीभाव समास |
3. त्रिकोण | (iii) तत्पुरुष समास |
4. मृगलोचन | (iv) बहुब्रीहि समास |
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं
(क) (i) और (ii)
(ख) (i) और (iii)
(ग) (ii) और (iv)
(घ) (iii) और (iv)
उत्तर:
(ग) (ii) और (iv)
(iv) “सत्याग्रह’ शब्द के लिए सही समास- विग्रह और समास का चयन कीजिए– है
(क) सत्य और ग्रह – इंद्र समास ”
(ख) सत्य का आग्रह – तत्पुरुष समास
(ग) सत्य आग्रह – अव्ययीभाव समास
(घ) सत्य के लिए आग्रह – तत्पुरुष समास
उत्तर:
(घ) सत्य के लिए आग्रह – तत्पुरुष समास
(v) “चतुर्मुख’ का समास विग्रह एवं भेद होगा-
(क) चतुर है जो – बहुब्रीहि समास
(ख) चार मुख – तत्पुरुष समास
(ग) चार हैं मुख जिसके अर्थात् ब्रह्मा – बहुब्रीहि समास
(घ) चतुराई झलकती है जिसके मुख से अर्थात् व्यक्ति विशेष – बहुव्रीहि समास
उत्तर:
(ग) चार हैं मुख जिसके अर्थात् ब्रह्मा – बहुब्रीहि समास
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार मुहावरे पर आधारित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4 = 4)
(क) व्यापारी हमेशा ……….. लगे रहते हैं। उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) नाक-भौं चढ़ाने में
(ii) थाह लेने में
(iii) दुम दबाकर भागने में
(iv) निन्यानवे के फेर में
उत्तर:
(iv) निन्यानवे के फेर में
(ख) मालिक और मजदूर एक-दूसरे की ……………..। उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) नस-नस पहचानते हैं
(ii) चुगली करते हैं
(iii) पीठ थपथपाते हैं
(iv) वारी जाते हैं
उत्तर:
(i) नस-नस पहचानते हैं
(ग) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्प का चयन कीजिए
(i) आँख भरकर देखना-मन भर देखना
(ii) आकाश-पाताल एक करना-खोजना
(iii) कलम तोड़ना-चीजें तोड़ना
(iv) दीर्घ निश्वास लेना-बहुत सोचना
उत्तर:
(i) आँख भरकर देखना-मन भर देखना
(घ) खोया हुआ बेटा मिलने पर माँ की …………. आई। रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरे से कीजिए
(i) जान के लाले पड़ना
(ii) जड़ जमना
(iii) जान में जान आना
(iv) जामे से बाहर होना
उत्तर:
(iii) जान में जान आना
(ङ) रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त करना उचित रहेगा?
रमेश हमेशा गरीबों की इज्जत उतारता रहता है।
(i) नाक कटना
(ii) नाक काटना
(iii) पछाड़ देना
(iv) नाक में दम करना
उत्तर:
(ii) नाक काटना
(च) ‘उलझ जाना’ के लिए उपयुक्त मुहावरा है
(i) चक्कर काटना
(ii) चक्कर खा जाना
(iii) सुध-बुध खोना
(iv) हिम्मत टूटना
उत्तर:
(ii) चक्कर खा जाना
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों,
साँस थमती गई, नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया,
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया,
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों…………1
जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं,
हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं,
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों……2
(i) “सर हिमालय का हमने न झुकने दिया ‘-पंक्ति में ‘सर’ किसका प्रतीक है?
(क) स्वाभिमान
(ख) सिर
(ग) घमंड
(घ) पराक्रम ।
उत्तर:
(क) स्वाभिमान
व्याख्या-‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया” पंक्ति में ‘सर’ स्वाभिमान का प्रतीक है।
(ii) पद्यांश में ‘बाँकपन’ शब्द प्रतीक है-
(क) वक्रता
(ख) शारीरिक सौष्ठव
(ग) छवि
(घ) बेमिसालपन।
उत्तर:
(घ) बेमिसालपन।
(iii) धरती के दुल्हन बनने से तात्पर्य है-
(क) दुल्हन की भाँति शरमा रही है।
(ख) चारों ओर हरियाली फैली है।
(ग) बलिदान से गौरवान्वित हुई है।
(घ) दुल्हन की भाँति अपने प्रियतम की राह देख रही है।
उत्तर:
(ग) बलिदान से गौरवान्वित हुई है।
व्याख्या-कवि धरती को दुल्हन मानकर वीर युवकों को धरती रूपी दुल्हन के लिए बलिदान देने का आग्रह कर रहा है।
(iv) सर पर कफून बाँधने का अर्थ है-
(क) बलिदान के लिए तैयार होना
(ख) मरने की कोशिश करना
(ग) अपने लिए जान की बाजी लगाना
(घ) लोगों को दिखाना कि हम मरने से नहीं डरते।
उत्तर:
(क) बलिदान के लिए तैयार होना
(v) पद्यांश से मेल खाते वाक््यों के लिए उचित विकल्प चुनिए-
(क) कवि को मातृभूमि से प्रेम नहीं है।
(ख) कवि धरती को अपनी माता मानता है।
(ग) कवि राजद्रोही है।
(घ) कवि मरने की कोशिश करता है।
उत्तर:
(ख) कवि धरती को अपनी माता मानता है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 2=2)
(क) ‘तरने की शक्ति हो अनामय’ पंक्ति का भाव है
(i) ईश्वर मनुष्य की सहायता करे
(ii) ईश्वर मनुष्य को सांत्वना दे
(iii) भवसागर से पार करने को ईश्वर मनुष्य के अंदर शक्ति संचारित करे
(iv) ईश्वर मनुष्य को क्षमा करे
उत्तर:
(iii) भवसागर से पार करने को ईश्वर मनुष्य के अंदर शक्ति संचारित करे प्रस्तुत पंक्ति में कवि प्रार्थना करता है कि ईश्वर उसकी सहायता के लिए आगे नहीं आए, अपितु भवसागर को पार करने की अनंत शक्ति उसके अंद्र संचारित करे।
(ख) युद्ध भूमि में सैनिक देश को साथियों के हवाले क्यों कर देता है?
(i) देश की रक्षा करते समय वह अपने प्राण न्योछावर कर रहा है
(ii) उससे अब देश की रक्षा नहीं होगी
(iii) वह शत्रुओं का सामना नहीं कर सकता
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) देश की रक्षा करते समय वह अपने प्राण न्योछावर कर रहा है युद्ध भूमि में सैनिक देश की रक्षा करते समय अपने प्राण न्योछावर कर रहा है, इसलिए वह देश तथा उसकी रक्षा की जिम्मेदारी साथियों के हवाले कर रहा है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
वामीरो के रुदन स्वरों को सुनकर उसकी माँ वहाँ पहुँची और दोनों को देखकर आग-बबूला हो उठी। सारे गाँव वालों की उपस्थिति में यह दृश्य उसे अपमानजनक लगा। इस बीच गाँव के कुछ लोग भी वहाँ पहुँच गए। वामीरो की माँ क्रोध में उफ़न उठी । उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाजें उठाने लगे। यह तताँग के लिए असहनीय था। वामीरो अब भी रोए जा रही थी। तताँरा भी गुस्से से भर उठा। उसे जहाँ विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था वहीं अपनी असहायता पर खीझ। वामीरो का दुःख उसे और गहरा कर रहा था। उसे मालूम न था कि क्या कदम उठाना चाहिए? अनायास उसका हाथ तलवार की मूठ पर जा टिका। क्रोध में उसने तलवार निकाली और कुछ विचार करता रहा। क्रोध लगातार अग्नि की तरह बढ़ रहा था।
(i) गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना क्यों की गई है? है
(क) क्रोध और अग्नि दोनों ही बड़े गर्म होते हैं।
(ख) क्रोध और अग्नि दोनों ही पर नियंत्रण कठिन है।
(ग) तताँरा का स्वभाव बहुत गुस्से वाला था।
(घ) वामीरो की माँ और ततरा दोनों ही गुस्से में थे।
उत्तर:
(ख) क्रोध और अग्नि दोनों ही पर नियंत्रण कठिन है।
व्याख्या-गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना इसलिए की गई है क्योंकि क्रोध और अग्नि दोनों ही पर नियंत्रण कठिन है।
(ii) तताँरा को गुस्सा आने के कारणों पर विचार कीजिए और उचित विकल्प का चयन कीजिए।
(1) वामीरो की माँ ने तताँरा से झगड़ा किया।
(2) वामीरो ने तताँरा से झगड़ा किया।
(3) वामीरो घर से भाग गई थी।
(4) उसे विवाह की निषेध परम्परा पर क्षोभ था।
विकल्प
(क) केवल (1)
(ख) केवल (2)
(ग) केवल (3)
(घ) केवल (4)
उत्तर:
(घ) केवल (4)
व्याख्या-जब गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाजें उठाने लगे, तब तताँरा को गुस्सा आया, उसे विवाह की निषेध परम्परा पर क्षोभ था।
(iii) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए। ह।
कथन (A) : वामीरों की माँ को दृश्य अपमानजनक इसलिए लगा
कारण (R) : क्योंकि माँ गाँव की परम्परा से बँधी थी।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(ग) कथन (A) गलत तथा कारण (R) सही है।
(घ) कथन (A) सही तथा कारण (R) गलत है।
उत्तर:
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(iv) तताँरा-वामीरों कथा समाज की किस समस्या की ओर ध्यान इंगित कराती है?
(क) जाति-प्रथा
(ख) बेमेल-विवाह
(ग) विवाह के परंपरागत नियम
(घ) बाल-विवाह।
उत्तर:
(ग) विवाह के परंपरागत नियम
व्याख्या-ततारा-वामीरो कथा समाज की विवाह के परम्परागत नियम की ओर ध्यान इंगित कराती है।
(v) “आग-बबूला हो उठने’ का क्या अर्थ है?
(क) अत्यधिक क्रोध आना
(ख) आग की प्रचंड लपटों की तरह लहराना
(ग) बच्चों की चिंता करना हि
(घ) बहुत परेशान हो उठना।
उत्तर:
(क) अत्यधिक क्रोध आना
व्याख्या-‘ आग-बबूला हो उठने का अर्थ है-अत्यधिक क्रोध आना।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।
(क) कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर छोटे भाई का बड़े भाई के प्रति व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
(i) वह उनका सम्मान करने लगा
(ii) वह उनसे हमदर्दी रखने लगा
(iii) उसमें थोड़ा अभिमान आ गया और उसने डरना छोड़ दिया
(iv) वह बड़े भाई साहब का अपमान करने लगा
उत्तर:
(iii) उसमें थोड़ा अभिमान आ गया और उसने डरना छोड़ दिया कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर छोटे भाई को स्वयं पर थोड़ा अभिमान हुआ और उसका आत्मसम्मान भी बढ़ा तथा वह खेलकूद में निर्भीक होकर पहले से अधिक समय व्यतीत करने लगा।
(ख) ‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर कौन से कथन बताते हैं कि संसार टुकड़ों में बँट गया?
1. आपसी प्रेमभाव कम हो गया है।
2. भौगोलिक दूरियाँ बढ़ गई हैं।
3. लोगों की स्वार्थ भावना बढ़ रही है।
4. पारिवारिक सौहार्द की कमी हो रही है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 3
(iii) 1,3 और 4
(iv) 3 और 4
उत्तर:
(iii) 1,3 और 4 प्रस्तुत पाठ के अनुसार, संसार टुकड़ों में बैंट गया है, क्योंकि अब जीवन डिब्बे जैसे घरों में सिमटकर रह गया है व आपसी प्रेमभाव खत्म हो गया है तथा लोगों में स्वार्थ की भावना बढ़ गई है व पारिवारिक सोहार्द की कमी होती जा रही है।
खंड ‘ब’- वर्णनात्मक प्रश्न (अंक 40)
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) “बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचारों से सहमत हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
“बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने शिक्षा की रटंत प्रणाली पर तीख़ा व्यंग्य किया है। कहानी का बड़ा भाई तक बेचारा दीन पात्र है जो पाठ्यक्रम के एक-एक शब्द को तोते की तरह रटता रहता है। वह किसी भी शब्द को दिमाग तक नहीं पहुँचने देता। वह न तो विषय को समझता है, न समझे हुए विषय को अपनी भाषा में कहना जानता है। इस कारण वह चौबीसों घंटे पढ़ते-पढ़ते निस्तेज हो जाता है, फिर भी परीक्षा में पास नहीं हो पाता। पूरी शिक्षा व्यवस्था पुस्तकीय ज्ञान पर आधारित है। बच्चे पुस्तकीय ज्ञान के बोझ से दबे रहते हैं। हम उनके विचारों से पूरी तरह सहमत हैं। रटने मात्र से विद्या की प्राप्ति संभव नहीं है। इसके लिए समझ का होना बहुत ही आवश्यक है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बड़े भाई स्वयं हैं जो हर कक्षा में दो-दो साल के लिए ठहरते है।
(ii) “कारतूस” पाठ के आधार पर वजीर अली की चारित्रिक विशेषताओं का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आसिफ़उद्दौला का पुत्र/ सआदत अली का भतीजा/ अवध का भूतपूर्व नवाब/ एक जाँबाज़ सिपाही
विशेषताएँ (सोदाहरण)
- देशभक्त – अंग्रेज़ों से नफ़रत, उन्हें देश से बाहर निकालने का प्रयास
- जाँबाज़ – अंग्रेज़ी सेना का डटकर मुकाबला करना
- निडर – कर्नल के खेमे में अकेले घुसकर कारतूस हासिल करना
- नीतिकुशल – अफ़गानिस्तान के शासक (बादशाह) शाहे-ज़मा के सहयोग से अंग्रेज़ों को भारत से भगाने की योजना बनाना
- स्वाभिमानी – वकील द्वारा अपमानित किए जाने पर उसको जान से मार देना (किन्हीं दो विशेषताओं का सोदाहरण उल्लेख करने पर पूर्ण अंक दिए जाएँ, अन्य चरित्रगत उपयुक्त विशेषताएँ भी स्वीकार्य)
व्याख्यात्मक हल-
बजीर अली आसिफ़ड्द्दौला का पुत्र था व सआदतअली का भतीजा था। वह अवध का भूतपूर्व नवाब व एक जाँबाज सिपाही था। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपने लाभ के लिए वजीर अली को शासन से वंचित कर उसके चाचा सआदतअली को नवाब बना दिया था। तब से वह अंग्रेजों से नफ़रत करने लगा था। वह उनका कट्टर विरोधी हो गया था। वह एक देशभक्त था जो अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने का प्रयास करता रहता था। वह एक निडर व बहादुर सिपाही भी था। उसने अकेले ही अंग्रेजी सेना के कर्नल के खेमे में घुसकर, कर्नल से कारतूस हासिल कर लिए थे। कर्नल भी उसकी बहादुरी से अचम्भित रह गया था।
(iii) शैलेन्द्र की फ़िल्म की कहानी सुनकर राजकपूर ने क्या शर्त रखी ? शैलेन्द्र पर इसकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर:
शैलेन्द्र द्वारा राजकपूर को फ़िल्म की कहानी सुनाए जाने पर राजकपूर ने बड़े उत्साहपूर्वक उस फ़िल्म में काम करना स्वीकार ‘कर लिया और साथ ही यह शर्त भी रखी कि शैलेन्द्र को राजकपूर का पारिश्रमिक भी एडवांस में देना होगा। यह सुनकर शैलेन्द्र का चेहरा मुर॒झा गया और वे उलझन में पड़ गए कि यह तो बहुत बड़ा स्टार है, मुझसे बहुत पैसे न माँग ले लेकिन हँसते हुए जब राजकपूर ने एक रुपया माँगा तो उनकी उलझन दूर हो गई।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 x 2=6)
(क) ‘द्रौपदी री लाज राखी बूढ़तो गजराज, राख्यो, भगत कारण रूप नरहरि’। प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा किन उदाहरणों के माध्यम से श्रीकृष्ण से प्रार्थना कर रही है?
(ख) ‘आत्मत्राण’ कविता का कवि ईश्वर को सर्वोच्च सत्ता मानते हुए भी उनसे किसी प्रकार की सहायता की अपेक्षा नहीं करता। क्यों? लिखिए।
(ग) ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में हिमालय पर्वत को किसके प्रतीक के रूप में बताया गया है? ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत करता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से मीराबाई अपने आराध्य से प्रार्थना करते हुए कहती है कि आप ही अपनी इस दासी को कष्टों से दूर कर सकते हो। आपने ही द्रौपदी की लाज बचाकर उसे अपमानित होने से बचाया था तथा आपने अपने प्रिय भक्त प्रद्धाद को बचाने के लिए नरसिंह भगवान का रूप धारण किया था तथा डूबते हाथी को मगरमच् से बचाकर उसके प्राणों की रक्षा की थी। इसी प्रकार हे प्रभु! आप – मेरे कष्टों को भी दूर कर मुझे हर प्रकार के सांसारिक बंधन से छुटकारा दिलाइए।
(ख) ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि ईश्वर को सर्वोच्च सत्ता मानता है, लेकिन उनसे सहायता की अपेक्षा नहीं करता, क्योंकि वह कहता है कि मुझमें आत्मविश्वास की कमी न हो। मेरे जीवन में कोई भी मुसीबत आने पर मेरा बल, शक्ति और मेरा पराक्रम न डगमगाए। आप मुझे दु:खों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करें। कवि नहीं चाहता कि उसके कष्टों के भार को ईश्वर कम करें। मैं तो केवल इतना चाहता हूँ कि जीवन में आने वाली मुसीबतों का मैं डटकर, निर्भय होकर सामना कर सकूँ अर्थात् आप मुझे निर्भयता का वरदान दें।
(ग) ‘कर चले हम फिदा’ कविता में हिमालय पर्वत को देश की अस्मिता एवं इसके सिर के ताज के प्रतीक के रूप में बताया गया है। भारत-चीन युद्ध के दौरान हिमालय की यादियों में शत्रुओं के अधिकार को रोकने के लिए जवानों ने अपना जीवन त्याग दिया। भारतीय सैनिकों ने अपने बलिदान के द्वारा हिमालय के गौरव को पद-दलित होने से रोका। ‘सर पर कफ़न बाँधने’ जैसी पंक्तियों से कवि ने देशवासियों को देश के लिए मर-मिटने की परंपरा की याद दिलाई है। कवि मानता है कि हमें त्याग के मार्ग को व्यर्थ नहीं होने देना है। हमें ऐसे काफ़िले सजाते रहने होंगे, जो देश के लिए बलिदान करने हेतु तत्पर हों, क्योंकि स्वतंत्रता के बाद स्वतंत्रता की सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए-(3 × 2 = 6)
(i) येपी ने इफ़्फून की दादी से अपनी दादी बदलने की बात क्यों कही होगी ? इससे बाल मन की किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर:
टोपी और इफ्फन की दादी के बीच बड़ा ही सहज और आत्मीय संबंध था। इफ़्फन और उसकी दादी से दोस्ती के बाद टोपी के जीवन में कुछ खुशियाँ आईं। उसे इफ्फ़न की दादी से भरपूर प्यार मिलता था। वे कभी बच्चों को डाँटती नहीं थीं। उसे बड़े प्यार से अपने पास बैठाकर बातें करती थीं। उनका स्वभाव स्नेहपूर्ण और ममत्व से भरा था। इन्हीं कारणों से टोपी ने इफ्फ़न से दादी बदलने की बात कही। इससे बाल मन की इस बात का पता चलता है कि बच्चे स्नेह और आत्मीयता की भाषा समझते हैं। प्रमाणस्वरूप इफ़्फ़न के पूरे घर में उसकी दादी को छोड़कर हर व्यक्ति किसी न किसी तरीके से टोपी का दिल दुःखाया करता था, फिर भी टोपी किसी-न-किसी बहाने इफ़्फ़न के घर पहुँच जाया करता था। यह दोनों के अटूट प्रेम का परिणाम ही था कि अपने घर के लोगों के मना कर देने के बाद टोपी इफ़्फन के घर जाकर उसकी दादी से कहानी सुना करता था। वह इफ़्फ़न की दादी के आँचल में अपना अकेलापन भूल जाता था। इससे यह भी पता चलता है कि बाल मन पर प्यार व स्नेह का बहुत प्रभाव पड़ता है।
(ii) महंत और अपने भाई, हरिहर काका को एक जैसे क्यों लगने लगते हैं ? ‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- दोनों ही स्वार्थ में डूबे हुए थे।
- दोनों में से कोई भी हरिहर काका को नहीं, उनकी जमीन-जायदाद चाहते थे।
- उनकी जमीन हथियाने के लिए वे किसी भी हद तक गिर सकते हैं।
- दिखाबा करने के अलावा दोनों कुछ नहीं करते थे।
- दोनों हरिहर काका की जान तक लेने को तैयार थे।
व्याख्यात्मक हल-
हरिहर काका एक वृद्ध और निस्संतान व्यक्ति हैं, अकेलेपन के कारण उन्होंने भाइयों के परिवार का आश्रय लिया। हरिहर काका के हिस्से में 15 बीघा जमीन थी जिस पर भाइयों के अलावा ठाकुरबारी के महंत की दृष्टि थी। महंत और हरिहर काका के भाई दोनों ही स्वार्थ में डूबे हुए थे। हरिहर काका ने जब निश्चय किया कि वे अपनी ज़मीन भाइयों तथा महंत किसी के नाम नहीं लिखेंगे। उन दोनों ने ही ज़मीन हड़पने के लिए जबरदस्ती कागजों पर उनके अँगूठे का निशान लिया व शारीरिक यंत्रणाएँ दीं। जमीन हथियाने के लिए वे इतना गिर गए कि उनकी जान लेने की भी कोशिश की। उनकी देखभाल करने का तो केवल उन्होंने दिखावा ही किया। इसी कारण हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक जैसे लगने लगे।
(iii) लेखक को स्कूल जाने के नाम से उदासी क्यों आती थी? “सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। आपको “ु जाना कैसा लगता है और क्यों ?
उत्तर:
“सपनों के से दिन’ पाठ में लेखक को स्कूल जाने के नाम पर उदासी आ जाती थी। इस उदासी के अनेक कारण थे। उस समय के अभिभावक अपने बच्चों को अधिक पढ़ाना नहीं चाहते थे। लेखक के अधिकतर मित्र स्कूल न जाकर खेल-कूद में समय बिताया करते थे। यह देखकर लेखक का भी मन खेलने के लिए ललचाया करता था। अन्य कारणों में गृह कार्य की अधिकता और अध्यापकों से मार खाने का भय भी लेखक को स्कूल नहीं जाने के लिए प्रेरित करता था। लेखक के पिता नई श्रेणी के लिए नई पुस्तक न देकर हेडमास्टर जी द्वारा दी गई पुरानी पुस्तकों से पढ़ने के लिए कहते थे। स्कूल जाने के प्रति अरुचि पैदा करने में यह भी एक मुख्य कारण था। इन सबके विपरीत मुझे स्कूल जाना अच्छा लगता है। इसका सबसे बड़ा कारण आजकल के पाठ्यक्रम में खेल-कूद का समावेश होना है। अब स्कूलों में केवल पढ़ने की बात ही नहीं होती अपितु खेल-कूद को भी समान महत्त्व दिया जाता है।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। (5 x 1=5)
(क) बिना विचारे जो करै, सो पाछे पछताए
संकेत बिंदु
- चंचल मानव मन
- विवेकपूर्ण कर्म से ही सफलता
- मानव : विवेकशील प्राणी
- उपसंहार
उत्तर:
यह सर्वविदित है कि मानव का मन चंचलता से युक्त होता है। चंचलता के कारण मानव कई बार सत्य के मार्ग से विचलित हो जाता है और अनेक प्रकार की कठिनाइयों-बुराइयों में फैस जाता है। विचार करके कार्य करने से कार्य ठीक होता है, जिससे मानव की उन्नति होती है। इसी को विवेक कहा जाता है। मनुष्य अपनी विवेकशीलता के कारण ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना जाता है, विवेक ही मनुष्य को पशुओं से अलग करता है।
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मनुष्य को विवेक, विचारशीलता, सुमति आदि की अत्यंत आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि कार्य प्रारंभ करने से पूर्व यदि सोच-समझकर निर्णय नहीं लिया गया, तो बाद में हाथ मलने या सिर पीटकर पछताने के अतिरिक्त कुछ नहीं बचता।
रावण जैसा महापतापी, महापंडित, शूरवीर, शिव भक्त राजा अपने अविवेकपूर्ण निर्णय के कारण ही सपरिवार विनाश को प्राप्त हुआ, इसलिए सोच-विचारकर ही कदम बढ़ाना चाहिए। विवेकपूर्ण ढंग से आगे बढ़ना ही सफलता का मूलमंत्र है। अतः हमें बिना विचारे न तो बोलना चाहिए और न ही कोई ऐसा कार्य करना चाहिए, जो हमारे प्रगति के मार्ग को अवरुद्ध करता हो।
(ख) धर्म-निरपेक्षता
संकेत बिंदु –
- धर्म-निरपेक्षता का अर्थ और आवश्यकता
- धर्म-निरपेक्षता के लिए आवश्यक तत्त्व
- धर्म-निरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता का संबंध
- उपसंहार
उत्तर:
धर्म-निरपेक्षता का अर्थ है-किसी एक धर्म विशेष को प्रोत्साहन न देकर सभी धर्मों को पनपने तथा विकास करने का अवसर प्रदान करना। भारत जैसा विशाल राष्ट्र आज विभिन्न धर्मों, संप्रदायों और जातियों के रहते हुए भी यदि धार्मिक रूप से एक है, तो इसका श्रेय निश्चित रूप से धर्म-निरपेक्षता को जाता है। धर्म-निरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता का आपस में बहुत गहरा संबंध है। जिस राष्ट्र में अनेक धर्म, जातियाँ, संप्रदाय और भाषाएँ हैं, वहाँ धर्म-निरपेक्षता को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
धर्म-निरपेक्षता को बनाए रखने में सरकार तथा नागरिकों के साथ-साथ धार्मिक संस्थाओं, संगठनों, बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, साहित्यकारों आदि का बहुत बड़ा योगदान होता है। धार्मिक संस्थाओं और संगठनों को अपने धर्म की अच्छाइयों को इस प्रकार सामने लाना चाहिए कि उससे दूसरे धर्मों के लोगों के प्रति वैमनस्य की भावना उनके मन में न आ सके।
शिक्षाविदों का यह कर्त्तव्य है कि वे शिक्षा नीति में इस प्रकार सुधार करें, जिससे ‘सर्वधर्म समभाव’ की भावना को बल मिले। वस्तुतः वर्तमान समय में राष्ट्र के सभी नागरिकों से यह अपेक्षा है कि वे धर्मनिरपेक्षी बनें और अपने भीतर सर्वधर्म समभाव के विचार विकसित करें।
(ग) 18 वर्ष की आयु में मताधिकार
संकेत बिंदु
- 18 वर्ष की आयु में मताधिकार के विचार की तार्किकता
- युवा : राष्ट्र का महत्त्वपूर्ण एवं राजनीतिक वर्ग
- ध्यान रखने योग्य बातें
- उपसंहार
उत्तर:
कुछ लोगों का विचार है कि 18 वर्ष की आयु में मताधिकार का अधिकार सही नहीं है। यह विचार पूर्णत: गलत है कि इससे छात्रों की पढ़ाई पर गलत प्रभाव पड़ेगा। यदि देश के विकास में छात्रों का योगदान है, तो उन्हें मत देने के अधिकार से किस प्रकार वंचित किया जा सकता है ? युवाओं ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया था, जिसके कारण देश को स्वतंत्रता मिली।
जब भी देश पर कोई संकट आया है, तो देश के युवाओं ने आगे बढ़कर प्रत्येक संकट का सफलतापूर्वक सामना किया है। देश की किसी भी समस्या को सुलझाने में युवा वर्ग को आमंत्रित किया जाता है, तो उससे मताधिकार का प्रयोग करने में किस प्रकार गलती हो सकती है? हाँ, यह बात अलग है कि युवा वर्ग का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना बहुत आवश्यक है कि उनके कारण देश की प्रतिष्ठा पर किसी भी प्रकार की आँच नहीं आनी चाहिए। 18 वर्ष की आयु के युवाओं को मत देने का अधिकार बहुत अच्छी नीति है।
युवा वर्ग के संदर्भ में इतना अवश्य सुधार किया जाना चाहिए कि उन्हें इस बात का ज्ञान कराया जाए कि वे छोटी-छोटी-सी बात पर आदोलनरत होकर सरकारी व निजी संपत्ति को ‘नुकसान न पहुँचाएँ। किसी भी राष्ट्र के सुनहरे भविष्य की दिशा उसका युवा वर्ग तय करता है। वह अपने मताधिकार द्वारा स्वयं के भविष्य हेतु उचित प्रतिनिधि चुन सकता है। अतः 18 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों को मताधिकार दिया जाना सरकार का एक अच्छा निर्णय माना जाता है।
प्रश्न 15.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए- (5 × 1 = 5)
(i) आप वेणु राजगोपाल/वबेणी राजगोपाल हैं। हिंदुस्तान टाइम्स दिल्ली के संपादक के नाम एक पत्र लिखकर सामाजिक जीवन में बढ़ रही हिंसा पर अपने विचार व्यक्त कीजिए। (शब्द-सीमा – लगभग 100 शब्द)
उत्तर:
हिन्दुस्तान टाइम्स
नई दिल्ली
संपादक
‘विषय-सामाजिक जीवन में बढ़ती हिंसा
मान्यवर
‘सविनय निवेदन यह है कि हमारे समाज में महिलाओं को आज भी वह स्थान प्राप्त नहीं है जो पुरुषों को है। आज भी पुरुष का प्रभुत्व स्त्री पर कायम है। स्त्री को शारीरिक पीड़ा दी जाती है। साथ ही उसके साथ दुर्व्यवहार करके उसे अपमानित भी किया जाता है। पुरुष प्राप्त दहेज से असंतुष्ट हैं जिसके कारण वे स्त्रियों के साथ मारपीट भी करते हैं, अतः आपसे निवेदन है कि इस विषय से सम्बन्धित लेख को आप अपने समाचार-पत्र में स्थान दें, जिससे लोगों की मानसिकता ठीक हो सके। आपकी अति कृपा होगी।
वेणु राजगोपाल
दिनांक- …….2022
अथवा
(ii) आपके विद्यालय में खेल की उपयुक्त सामग्री है तथा समय-समय पर सभी स्तरों पर मैच का आयोजन भी किया जाता है। विद्यालय के खेल कप्तान होने के नाते प्रधानाचार्य के प्रति आभार व्यक्त करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य
राजकीय वरिष्ठ विद्यालय
ज्वाला टेंडी
नई दिल्ली -110005,
विषय-प्रधानाचार्य को आभार पत्र
आदरणीय
मैं सोनू जो कि आपके विद्यालय के क्रिकेट टीम का कप्तान हूँ। आपने समय-समय पर विद्यालय में खेल का आयोजन कराया, जिसमें हमारी टीम ने हिस्सा लिया और विजय भी हुई। आपने कई खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जिसमें पड़ोसी विद्यालयों की टीमों ने भी भाग लिया। उस खेल प्रतियोगिता में हमारे विद्यालय की टीम विजयी रही जिसके लिए मैं अपनी पूरी टीम की तरफ़ से आपका आभार व्यक्त करता हूँ।
धन्यवाद
क.ख. ग.
कप्तान, क्रिकेट टीम
दिनांक- …….2022
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए। (4 x 1=4)
प्रधानाचार्य के द्वारा विशेष कक्षा का आयोजन कराने के संदर्भ में सूचना लिखिए।
अथवा
आप फैरी पब्लिक स्कूल मॉडल टाउन, दिल्ली की छात्रा आरोही गुप्ता हैं। विद्यालय में आपको एक पर्स मिला है। इस संबंध में लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए।
उत्तर:
प्रतिभा विकास विद्यालय, अशोक विहार, नई दिल्ली-52 दिनांक 1 जुलाई, 20xx. विशेष ‘कक्षा-कक्ष’ का आयोजन सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि कक्षा सात से लेकर ग्यारहवीं तक की कक्षाओं के लिए विशेष कक्षा (कक्षा-कक्ष) का प्रबंध किया गया है, जिसमें सभी विषय के अध्यापकों का प्रबंध किया गया है। अतः उचित समय पर आकर शिक्षार्थी अपने-अपने विषय की समस्या का समाधान शिक्षक से प्राप्त करने का प्रयास करें तथा अपने अध्ययन को सफल व आसान बनाएँ तथा प्रत्येक छात्र से अनुरोध है कि अपनी-अपनी समस्या को लिखकर लाएँ, जिससे उनकी प्रत्येक समस्या का समाधान हो सके। |
अथवा
फैरी पब्लिक स्कूल, दिल्ली दिनांक 3 जुलाई, 20xx खोया-पाया के संबंध में सभी को यह सूचित किया जाता है कि 2 जुलाई, 20xx को विद्धालय के खेल परिसर में मुझे एक पर्स मिला है, जिसमें कुछ रुपये तथा कार्ड है। यह पर्स नीले रंग का है। जिस विद्यार्थी का यह पर्स हो, वह पहचान बताकर प्रधानाचार्य के कक्ष से इसे ले सकता है। पर्स प्रधानाचार्य के पास पूर्णतः सुरक्षित है तथा विद्यालय समय में ही आकर अपना पर्स लें। |
प्रश्न 17.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 40 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए- (3 × 1 = 3)
(i) स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा योग दिवस के अवसर के प्रचार-प्रसार के लिए एक आकर्षक विज्ञापन लगभग 40 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर:
अथवा
(ii) लोकल फॉर वोकल (स्थानीय उत्पादों का प्रयोग) के प्रचार-प्रसार के लिए एक आकर्षक विज्ञापन लगभग 40 शब्दों में तैयार ‘कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 18.
‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ उक्ति को आधार बनाकर लगभग 100 शब्दों में एक लघु कथा लिखिए (5 x 1=5)
अथवा
आप राम कपूर/नीता कपूर हैं। आपकी कॉलोनी में सड़क अत्यंत टूटी-फूटी है तथा उसमें बहुत से गड्ढे हैं, जिससे प्रतिदिन कोई-न-कोई दुर्घटना होती रहती है। आप अपने क्षेत्र के अतिरिक्त मुख्य अभियंता को लगभग 100 शब्दों में ई-मेल लिखकर उनको इस समस्या से अवगत कराइए।
उत्तर:
उक्ति का अर्थ ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ उक्ति से आशय यह है कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरों को उपदेश देने में कुशल होता है। प्रत्येक व्यक्ति दूसरों का कर्त्तव्य-अकर्त्तव्य का बोध कराता है, पर स्वयं उसका आचरण उसके उपदेश के विपरीत होता है। व्यक्ति को दूसरों को उपदेश देने से पूर्व स्वयं भी आत्मचिंतन कर लेना चाहिए कि वह जो उपदेश दे रहा है कि क्या वह उस पर स्वयं अमल भी करता है या नहीं। दूसरों को उपदेश देना बहुत सरल होता है, किंतु स्वयं उन उपदेशों पर आचरण करना कठिन होता है।
कथा प्राचीन समय की बात है किसी गाँव में एक साधु महात्मा रहते थे। उनके सैकड़ों भक्त थे। लोग उनके प्रवचन सुनने के लिए दूर-दूर से आते थे। वे लोगों को तरह-तरह की नैतिक कथाएँ सुनाते तथा ज्ञानवर्द्धक बातें बताते। वे अकसर मोह-माया से दूर रहने का उपदेश देते। एक दिन पास के गाँव में रहने वाली एक वृद्ध माता ने अपने बेटे से उस महात्मा के प्रवचन सुनने की इच्छा व्यक्त की। उसका बेटा अपनी माँ की इच्छा टाल न सका और अगले ही दिन अपनी माँ को लेकर महात्मा के आश्रम में जा पहुँचा और उनके प्रेरक वचन सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुआ। अब वह अपनी माता के साथ महात्मा के प्रवचन सुनने आने लगा।
एक दिन आश्रम से घर जाते समय सड़क दुर्घटना में उसकी माता का देहांत हो गया। वह फूट-फूटकर रोने लगा। वह अत्यंत दुःखी रहने लगा तथा उसने आश्रम में जाना भी छोड़ दिया था। जब महात्मा को इस बात का पता चला तो वह उस व्यक्ति के घर पहुँचे और उसे सांत्वना दी। शरीर की नश्वरता के संदर्भ में उसे विभिन्न उपदेश भी दिए।
महात्मा की बातों को सुनकर वह आदमी धीरे-धीरे सहज होने लगा और अपने दुःख से उभरने लगा। जब उस आदमी ने अपनी पूर्णतः भावनाओं पर नियंत्रण कर लिया तो वह महात्मा को धन्यवाद कहने उनके आश्रम में गया। वहाँ जाकर उसने देखा कि महात्मा जी जोर-जोर से रो रहे थे। सभी भक्तजन उन्हें घेरकर खड़े थे।
एक भक्त से पता चला कि अपने सर्वप्रिय खरगोश की मृत्यु से दु:खी होकर महात्मा फूट-फूटकर रो रहे हैं। तब वह आदमी महात्मा के पास गया और कहने लगा कि मेरी माँ की मृत्यु पर आप मुझे इतने उपदेश दे रहे थे और आज एक खरगोश की मृत्यु से आप इतने दुःखी हो रहे हैं। आपने तो “पर उपदेश कुशल बहुतेरे” उक्ति को चरितार्थ कर दिया और वहाँ से चला आया। सीख इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों को उपदेश देना बहुत सरल है तथा स्वयं उस पर अमल करना बहुत मुश्किल होता है। अतः दूसरों को उपदेश देने से पहले स्वयं के आचरण में भी उन बातों को अपना लेना चाहिए।
अथवा