CBSE Class 6 Hindi Unseen Passages अपठित गद्यांश
‘अपठित’ का अर्थ है ‘पहले न पढ़ा हुआ’। इस प्रकार अपठित गद्यांश/पद्यांश का अर्थ है-पहले न पढ़़ हुए गद्यांश/पद्यांश इनको पढ़ समझकर इन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सर्वप्रथम इनको बहुत ही ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए, फिर अच्छी तरह समझकर प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए।
अपठित गद्यांश :
नीच्चे दिए गए गद्यांशों को ध्यान से पदिए उ उनके प्रश्नों के उत्तर दींजिए-
1. संयुक्त परिवार एक ऐेसा केंद्र है, जहाँ बच्चे उचित वातावरण में पलते हैं। वहाँ उनको उदारता और आत्म-त्याग की शिक्षा मिलती है। बड़े होकर परिवार की ज्ञिम्मेदारीं सँभालने में ये बातें काफ़ी सहायक सिद्ध होती हैं। उसका हर एक सदस्य परिवार का एक उपयोगी सदस्य माना जाता है। वह परिवार के दुख व सुख का भागी होता है, कठिनाई और बेरोज़गारी में उसे परिवार से मदद मिलती है। रोग, आर्थिक कठिनाई, दुर्भाग्य से घिरे होने पर भी परिवार में उसे सुरक्षा मिलती है, जिससे कष्टों को सहन करने की शक्ति मिलती है।
लेकिन अब भारतवर्ष की संयुक्त परिवार व्यवस्था में परिवर्तन आता जा रहा है। इसका मुख्य कारण आर्थिक है। अंग्रेज्ं के राज से पूर्व भारत के लोगों का मुख्य पेशा खेती-बारी था। उस समय के उद्योग वे थे, जिन्हें आज लघु उद्योग या कुटीर उद्योग कहा जाता है।
प्रश्न क.
संयुक्त परिवार किस प्रकार का कैंद्र है?
उत्तर:
संयुक्त परिवार एक ऐसा केंद्र है, जहाँ बच्चे उचित वातावरण में पलते हैं।
प्रश्न ख.
संयुक्त परिवार में बच्चों को किस प्रकार की शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
संयुक्त परिवार में बच्चों को उदारता और त्याग की शिक्षा मिलती है।
प्रश्न ग.
संयुक्त परिवार का हर सदस्य उपयोगी सदस्य क्यों माना जाता है?
उत्तर:
क्योंकि वह परिवार के सुख-दुख का भागी होता है। अतः कठिनाई और बेरोज़गारी में उसे परिवार से मदद मिलती है।
प्रश्न घ.
कष्टों को सहन करने की शक्ति संयुक्त परिवार के सदस्य को कैसे मिलती है?
उत्तर:
रोग, आर्थिक कठिनाई, दुर्भाग्य से घिरे होने पर भी संयुक्त परिवार के सदस्य को सुरक्षा मिलती है, जिससे कष्टों को सहन करने की शक्ति मिलती है।
प्रश्न ड.
अंग्रेज़ों के राज से पहले भारत के लोगों का मुख्य पेशा क्या था?
उत्तर:
अंग्रेज़ों के राज से पहले भारत के लोगों का मुख्य पेशा खेती-बाड़ी था। उस समय के उद्योग वे थे, जिन्हें आज लघु उद्योग या कुटीर उद्योग कहा जाता है।
2. कार्य का महत्व और उसकी सुंदरता उसके समय पर संपादित किए जाने पर ही है। अत्यंत निपुणता से किया हुआ कार्य भी यदि आवश्यकता से पहले पूर्ण न हो सके तो उसका किया जाना निफ्फल होगा। चिड़ियों द्वारा खेत चुग लिए जाने पर यदि रखवाला उसकी रखवाली करे तो व्यर्थ ही होगा। उसके देर से किए गए श्रम का कोई महत्व नहीं होगा। श्रम का गौरव तभी है जब उसका लाभ किसी को प्राप्त हो सके। इसी प्रकार यदि बारिश का जल फसल सूखने के बाद प्राप्त हो तो कृषक के लिए वह व्यर्थ है। अबसर का सदुपयोग न करने वाले व्यक्ति को इसी कारण पश्चात्ताप करना पड़ता है।
प्रश्न क.
जीवन में समय का महत्व क्यों है?
उत्तर:
समय पर किया गया काम सफल होता है, इसलिए समय का महत्व है।
प्रश्न ख.
उपर्युक्त गद्यांश का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर:
समय का सदुपयोग ही गद्यांश का मुख्य भाव है।
प्रश्न ग.
बादल का बरसना कब व्यर्थ है?
उत्तर:
फसल को लाभ प्राप्त न हो तो बारिश का बरसना व्यर्थ है।
प्रश्न घ.
उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक बताइए।
उत्तर:
समय की महत्ता।
प्रश्न ङ
‘श्रम’ शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर:
मेहनत, परिश्रम
3. हमारे देश में विद्यालय एक प्रकार के मंदिर या आश्रम के समान थे। गुरु को साक्षात परमात्मा ही समझा जाता था तथा शिष्य पुत्र के समान समझे जाते थे। यहाँ सम्मान मिलना ही शक्ति प्राप्त करने का रहस्य रहा। प्राचीन समय में गुरु की शिक्षा, दान-क्रिया उनका आध्यात्मिक अनुष्ठान थी, परमात्मा प्राप्ति का एक साधन था। वह आज पेट पालने का एक सोत बन गई है। धन देकर विद्या खरीदने की यह क्रय-विक्रय पद्धति निस्संदेह इस भारतीय मिट्टी की देन नहीं है।
प्रश्न क.
भारतीय शिक्षा पद्धति की क्या विशेषता थी?
(i) क्रय-विक्रय करना
(ii) विद्यालय न जाना
(iii) विद्यालय को मंदिर समझना
(iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(iii) विद्यालय को मंदिर समझना
प्रश्न ख.
गुरु-शिष्य का संबंध कैसा था?
(i) मित्रतापूर्ण
(ii) पिता-पुत्र के समान
(iii) भाईंचारे वाला
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ii) पिता-पुत्र के समान
प्रश्न ग.
शिक्षा देना कैसा कार्य माना जाता था?
(i) हीन कार्य
(ii) आध्यात्मिक अनुष्ठान
(iii) प्राकृतिक कार्य
(iv) पतित अनुष्ठान
उत्तर:
(ii) आध्यात्मिक अनुष्ठान
प्रश्न घ.
उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है।
(i) शिक्षा का स्वरूप
(ii) शिक्षा की बर्बादी
(iii) अशिक्षा का बोलबाला
(iv) व्यावसायिक शिक्षा
उत्तर:
(i) शिक्षा का स्वरूप
प्रश्न ङ.
‘जरिया’ किस प्रकार का शब्द है?
(i) तत्सम
(ii) अपश्रंश
(iii) तद्भव
(iv) आगत
उत्तर:
(iv) आगत
4 गांधी जी ने हमेशा सभी को अपना कार्य स्वयं करने की शिक्षा दी। दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष करते हुए भी वे लोगों को सफ़ाई आदि अपने सभी कार्य स्वयं करने की शिक्षा देते थे। उनके लिए कोई भी ‘काम’ छोटा नहीं था। विश् के कर्मनिष्ठ लोगों में बाबा आमटे, सुंदर लाल बहुगुणा, फ़ादर डेमियन ऑफ मोलो, मदर टेरेसा, मार्टिन लूथर किंग के नाम सर्वोपरि हैं, जिन्होंने जनकल्याण में अपना जीवन लगा दिया। गांधी जी की जीवन-दृष्टि बहुत व्यापक थी। वे विश्व में हर इनसान को ईश्वर का रूप समझते थे। इसीलिए पूरा संसार आज भी उर्नको सम्मान की दृष्टि से देखता है।
प्रश्न क.
गांधी जी ने हमें क्या शिक्षा दी?
(i) अपना कार्य स्वयं करना
(ii) अपना कार्य नहीं करना
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) अपना कार्य स्वयं करना
प्रश्न ख.
विश्व के सर्वोपरि कर्मनिष्ठ नाम कौन-से हैं?
(i) बाबा आमटे
(ii) सुंदर लाल बहुगुणा
(iii) मद्र टेरेसा
(iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(iv) उपर्युक्त सभी
प्रश्न ग.
गांधी जी की जीवन-दृष्टि कैसी थी?
(i) संकुचित
(ii) समान
(iii) व्यापक
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iii) व्यापक
प्रश्न घ.
उपर्युंक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक कौन-सा है?
(i) सफलता का मार्ग जनकल्याण
(ii) सादा जीवन उध्च विचार
(iii) गांधी जी की व्यापक दृष्टि
(iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(i) सफलता का मार्ग जनकल्याण
प्रश्न ड.
‘सम्मान’ शब्द का विलोम शब्द कौन-सा है?
(i) अपमान
(ii) आदर
(iii) सत्कार
(iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(i) अपमान